हिना की शातिर चाल – भाग 4

हिना अनिल के घर में परिवार के सदस्य की तरह रहने लगी. इस बीच रिश्तेदारी में जाने के बहाने वह नाजिम से मिलने जेल भी गई. दोबारा जेल जाने की बात हिना ने अनिल से छिपा ली थी. अनिल प्रौपर्टी का काम करता था. हिना को भी इस का अच्छा तजुर्बा था, इसलिए अनिल ने उस से ऐसा ही कुछ करने को कहा तो उस ने नोएडा विकास प्राधिकरण में अनिल के रसूख और अपनी सुंदरता के दम पर पकड़ बनानी शुरू कर दी.

किसी भी बाहरी लड़की को घर में रखना ठीक नहीं था. फिर हिना भी वहां नहीं रहना चाहती थी, इसलिए उस ने अनिल से कोई किराए का फ्लैट दिलाने को कहा. अनिल ने उसे प्रौपर्टी डीलर जगदीप सिंह गिल के माध्यम से सेक्टर-71 स्थित फ्लैट नंबर डी-20/2 साढ़े 5 हजार रुपए महीना किराए पर दिला दिया.

उस फ्लैट में अनिल ने जरूरी सामान की भी व्यवस्था करवा दी तो हिना उस में शिफ्ट हो गई. तब तक नाजिम की जमानत हो चुकी थी. दोनोें की फोन पर बातें होती ही रहती थीं, जब तब मिलते भी रहते थे. प्रौपर्टी के काम से हिना खर्च भर के लिए कमा लेती थी.

एक दिन हिना अनिल के साथ बैठी थी तो उस ने कहा, ‘‘तुम ने मेरी बहुत मदद की है. बस एक मदद और कर दो.’’

‘‘क्या?’’

‘‘मैं ब्यूटीपार्लर का काम जानती हूं. मैं अपना ब्यूटीपार्लर खोलना चाहती हूं. इस के लिए मुझे 6 लाख रुपए चाहिए. मैं तुम्हारे रुपए धीरेधीरे कर के लौटा दूंगी.’’ हिना ने कहा.

‘‘ठीक है, बड़ी रकम का मामला है, इसलिए थोड़ा सोचने का वक्त दो.’’

हिना को ले कर अनिल के परिवार में कोई मतभेद नहीं था. सभी उसे पसंद करते थे. घर में रुपयों का लेनदेन अनिल के पिता के हाथों में था. घर में किसी को भी पैसों की जरूरत होती थी तो वह उन्हीं से पैसे मांगता था.

अनिल ने हिना के पैसे मांगने की बात पिता को बताई तो वह उसे पैसे देने को तैयार हो गए. उन्होंने अनिल को 6 लाख रुपए दे दिए तो अनिल ने वे रुपए हिना को दे दिए.

पैसे मिलते ही हिना को एक बार फिर पंख लग गए. उस ने अपना दायरा बढ़ाना शुरू किया. वह प्राधिकरण में लोगों के अटके काम कराने के साथ ठेके दिलाने लगी. प्राधिकरण और प्रौपर्टी के धंधे से जुडे़ लोगों में हिना की एक अलग पहचान बन गई. उसी बीच उस की दोस्ती संदीप और रफीक से हो गई. ये दोनों गाजियाबाद के रहने वाले थे.

हिना अकेली ही रहती थी, इसलिए उस के दोस्तों का उस के फ्लैट पर आनाजाना शुरू हो गया. फ्लैट पर खानेपीने की पार्टियां भी होने लगीं. स्टेटस व दायरा बढ़ाने के लिए वह 3-3 मोबाइल फोनों का इस्तेमाल करती थी. महंगे शौकों की लत उसे पहले से ही थी. वह खूब बनसंवर कर रहती थी.

ब्यूटीपार्लर में हिना का एक बार का खर्च 10 से 20 हजार रुपए आता था. वह स्पा व मसाज थैरेपी भी लेती थी. उस ने अनिल से जो रुपए ब्यूटीपार्लर खोलने के लिए थे, उन्हें वह अपने रईसी शौकों में उड़ाने लगी.

बाहर आते ही नाजिम हिना से निकाह के लिए कहने लगा. दूसरी ओर अनिल की छोटी बहन मोनिका की शादी तय हो गई. 8 मई, 2014 को उस का विवाह होना था. हिना ने एक बार फिर अनिल की शराफत का फायदा उठाया. उस ने कहा कि वह एक लड़के से प्रेम करती है और उस से निकाह करना चाहती है.

अनिल को इस में भला क्या आपत्ति होती. सुनीता भी चाहती थी कि उस का घर बस जाए. उस ने हिना को निकाह का जोड़ा खरीदवाया.

जनवरी में बिजनौर जा कर उस ने नाजिम से निकाह कर लिया. अनिल भी उस के साथ था. उसे क्या पता था कि हिना खुद तो शातिर है ही, जिस से निकाह कर रही है वह भी हिस्ट्रीशिटर है. नाजिम ने उस से बताया था कि वह दिल्ली में नौकरी करता है.

निकाह के बाद नाजिम हिना के फ्लैट पर आनेजाने लगा. चूंकि नाजिम की नीयत साफ नहीं थी, इसलिए हिना के फ्लैट पर आनेजाने वाले उस के दोस्तों से उसे कोई दिक्कत नहीं थी. समय अपनी गति से चलता रहा.

अनिल की बहन की शादी थी, इसलिए उस ने हिना से अपने पैसे मांगे. ब्यूटीपार्लर तो मात्र बहाना था, हिना ने अनिल से रुपए ऐश की जिंदगी जीने के लिए लिए थे. उस ने सोचा था कि कहीं से अचानक पैसे मिलेंगे तो वह अनिल के रुपए लौटा देगी.

हिना अनिल को टालने लगी. लेकिन जब अनिल लगातार अपने पैसे मांगने लगा तो हिना को परेशानी होने लगी. उस के पास रुपए थे नहीं जो लौटा देती. टालने की एक सीमा होती है. हद पार हो गई तो अनिल ने एक दिन धमकी वाले अंदाज में कहा, ‘‘मेरी बहन की शादी है और मुझे हर हाल में रुपए चाहिए. मैं ने हर बुरे वक्त में तुम्हारी मदद की है, इसलिए मैं नहीं चाहता कि मुझ से तुम्हें कोई परेशानी हो.’’

‘‘मैं समझती हूं अनिल लेकिन…’’

‘‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम मेरे रुपए जल्दी लौटा दो, बस.’’

हिना जानती थी कि अनिल रसूखदार नेता है. अगर वह चाहे तो किसी भी हद तक जा सकता है. उस ने इस मुद्दे पर नाजिम से बात की तो उस ने अनिल को रास्ते से हटाने की खतरनाक सलाह दे डाली. हिना इस के लिए तैयार भी हो गई. उस ने यह भी नहीं सोचा कि अनिल ने उस की कितने बुरे वक्त पर मदद की थी. इस के बाद हिना ने अनिल को खत्म करने की जो योजना बनाई, उस में उस ने रफीक और संदीप को भी शामिल कर लिया.

योजना बना कर 20 अप्रैल, 2014 की शाम हिना ने अनिल को फोन किया कि वह आ कर अपने रुपए ले जाए. अनिल साढ़े 8 बजे के करीब स्कूटी से हिना के फ्लैट पर पहुंचा. तो वहां शराब की महफिल सजी थी. महफिल में नाजिम, रफीक और संदीप शामिल थे. यह सब देख कर अनिल को गुस्सा आ गया. उस ने हिना को बुराभला कह कर अपने रुपए मांगे.

अनिल की हिना और वहां मौजूद लोगों से बहस हो गई. वे तो वहां उसे मारने की योजना बना कर ही बैठे थे. अनिल के साथ वहां जो होने वाला था, उस के बारे में उस ने सपने में भी नहीं सोचा था. सभी एकदम से अनिल पर टूट पड़े.

अनिल ने खुद को छुड़ाना चाहा तो पीछे की ओर गिर गया. इस से उस के सिर में चोट लग गई. सब ने अनिल की हत्या का इरादा बना रखा था, इसलिए उस का गला दबा कर उसे मार दिया. इस के बाद उन्होंने उस के बाएं हाथ की कलाई काट दी.

धक्कामुक्की में मेज का शीशा टूट गया था. हत्या को आत्महत्या का रूप देने के लिए उन्होंने बैड के ऊपर  लगे पंखे से चुन्नी लटका दी. लेकिन जल्दबाजी में ऐसा कर नहीं पाए. अपना काम कर के नाजिम, संदीप और रफीक चले गए. इस के बाद हिना ने अनिल की पत्नी सुनीता को फोन कर के फ्लैट में लाश पड़ी होने की सूचना दे दी.

अनिल का भाई जब वहां पहुंचा तो हिना भी फरार हो चुकी थी. पुलिस ने दबाव बनाया तब उस ने वकील की मदद से 29 अप्रैल को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

पुलिस ने हिना की निशानदेही पर वह चाकू भी बरामद कर लिया था, जिस से अनिल के हाथ को काटा गया था. रिमांड अवधि खत्म होने पर कोतवाली प्रभारी रीता यादव ने हिना को अदालत में पेश किया, जहां से उसे पुन: जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पुलिस अन्य अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. उन की सरगर्मी से तलाश की जा रही थी. अनिल ने हिना को पहचानने में भूल कर दी, यही उस के लिए मुसीबत बन गया.

ऐसे पकड़ में आया फरजी आईपीएस औफीसर

राजस्थान के बानसुर विधानसभा क्षेत्र में एक गांव है हमीरपुर. वहां एक रिटायर फौजी का बेटा सुनील  सांखला आईपीएस बन गया था. उसे 2021 के यूपीएससी परीक्षा में 263 रैंक मिला था. गांव में उस के दोस्तों और रिश्तेदारों को इस की जानकारी 22 अप्रैल, 2022 को उस के सोशल मीडिया पोस्ट से लगी थी. यह खबर पूरे गांव में फैल गई और उन्होंने उस का स्वागत करने का मन बना लिया.

गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, क्योंकि उन्हें उसी ने 2020 में बताया था कि उस की इनकम टैक्स विभाग में नौकरी लगी हुई थी, इस के साथ ही वह यूपीएससी की तैयारी कर रहा है. आईपीएस बन कर ही गांव आवेगा. जैसा कहा था, वैसा उस ने कर दिखाया, गांव वाले उस की तारीफ किए बगैर नहीं थकते थे. आए दिन चौपाल पर उस की चर्चा होने लगी थी. उस के किस्से नई पीढ़ी के स्कूली लड़कों को सुनाए जाने लगे थे. वह एक तरह से प्रेरणा का स्रोत बन चुका था.

उस ने अपने सोशल मीडिया के फेसबुक पेज पर पुलिस के स्टार और भारत के अशोक स्तंभ लगी पट्टी की तसवीरें थीं. कुछ अन्य तसवीरों में कुछ अखबारों की कतरनें थीं, जिस में उस के बारे में लिखा था कि उस ने किस तरह से परीक्षा पास की, कितने घंटे की रोजाना पढ़ाई की, किस का कितना सपोर्ट मिला, इंटरव्यू में क्या कुछ पूछा गया, समाज और देश के लिए वह क्या करना चाहता है. उस का लक्ष्य क्या है, उद्ïदेश्य क्या है, प्रेरणा कहां से मिली, उन से क्या सीखनी चाहिए? इत्यादि.

गांव में उस के आने का इंतजार होने लगा. 22 अप्रैल, 2022 को वह अपने गांव आया. उसे गांव वालों ने सिर आंखों पर बिठा लिया. उस के दोस्त खुशी से झूम उठे. उस के गांव आने की खुशी में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने गांव की चौपाल पर उस का भव्य स्वागत किया. साफा बांधा गया, माला पहनाई गई, गांव में मिठाई बांटी गई और गांव के वरिष्ठ नागरिकों ने उस की सफलता की तारीफ की. उस की पढ़ाई, मेहनत, ईमानदारी और जज्बे को प्रेरक बताया.

इस भव्य स्वागत समारोह की एक ग्रुप फोटी उतारी गई. इसे सभी ने यादगार के तौर पर अपनेअपने मोबाइल में सेव कर लिया. उस के घर में इस का प्रिंट निकाल कर दीवार पर लगा दिए गए.

देखते ही देखते उस की लोकप्रियता गांव से निकल कर आसपास के क्षेत्रों और उस के समाज में फैल गई. जिस ने भी सुना, उस की तरीफ की. उस के बाद उस के पास शादी के औफर आने लगे. उस के परिवार से अधिक हैसियत वाले समृद्ध परिवार अपनी लड़की की शादी उस से करने को लालायित हो गए.

24 वर्षीय सुनील सांखला के पिता भारतीय सेना से सेवानिवृत्त थे. उस ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि उस की पोस्टिंग महाराष्ट्र कैडर में है. फिलहाल वह वहीं ड्यूटी कर रहा है. अगले रोज उस के फेसबुक पेज पर स्वागत के ग्रुप फोटो के साथ जौइनिंग लेटर और अन्य जगहों से मिले सम्मान आदि की तसवीरें भी लगा दीं.

उस के कई शौक में एक शौक अपनी पब्लिसिटी का भी भा. वह अपने बारे में लोगों को बताने को उत्सुक रहता था कि उस का ओहदा किस तरह का है? उस की कौन सी खूबी के चलते उसे पुरस्कार, सम्मान और बधाइयां मिलती हैं. उस की सोशल साइट पेज पर 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के प्रशंसा पत्र भी लगे हुए थे. उन में एक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के थे.

इन सब वजहों से ही वह लोकप्रिय हो गया था. जहां उसे अपना प्रभाव जमाने और पहचान बताने की जरूरत होती थी, वहां वह इन का ही इस्तेमाल करता था. खैर, सब कुछ उस के मनमुताबिक चल रहा था. इसी बीच उस के लिए अच्छे घराने से शादी का प्रस्ताव भी आ गया. उस की सगाई भी हो गई.

सगाई के समय उस ने अपने होने वाले ससुराल वालों बताया कि उस का आईपीएस के लिए चयन महाराष्ट्र कैडर में हुआ है. उस ने यह भी बताया कि उसे सीबीआई विभाग में एक महत्त्वपूर्ण जांच की जिम्मेदारी मिली है. इसलिए वह ज्यादातर सिविल कपड़ों में ही होता है. वैसे खास मौके पर वरदी में होता है.

एक दिन आईपीएस सुनील का ससुराल वालों के साथ उदयपुर जाना हुआ. वहां सर्किट हाउस पहुंचा और अपने लिए ठहरने के लिए कमरा बुक करने का आग्रह किया.

उस ने बताया कि यहां उस का एक जांचपड़ताल के सिलसिले में आना हुआ है. संयोग से उसी समय उदयपुर के एसपी भुवन भूषण यादव भी वहां पहुंच गए. सुनील कुमार उन्हें देखते ही सैल्यूट करते हुए बोला, ”सर! जय हिंद!’’

”जय हिंद!’’ यादव भी बोले और हाथ नीचे करने से पहले सुनील के सैल्यूट करने के तरीके को देख कर वह चौंक गए.

सवालिया निगाहों से देखते हुए उन्होंने पूछा, ”आप न्यू अपौइंटमेंट! …कहां से?’’

”सर, मैं सुनील कुमार राजस्थान से, मुंबई से आया हूं…सीबीआई में हूं.’’

”ओके गुड…बैच?’’ यादव ने दूसरा सवाल किया.

”…जी…जी.’’ सुनील कोई स्पष्ट जवाब नहीं सका.

”लगता है आप थोड़ी हड़बड़ी में हैं…’’ यादव ने व्यंग्य किया, ”हो जाता है ऐसा अकसर नए अफसर को सीनियर के सामने… कोई बात नहीं…लेकिन आप के सैल्यूट करने का अंदाज मुझे कुछ ठीक नहीं लगा,’’ एसपी यादव बोले.

”अभी चलता हूं फिर मिलूंगा,’’ कहते हुए उस पर एसपी यादव परीक्षण करती एक नजर डालते हुए जाने के लिए मुड़ गए. सुनील उन की इस अदा के बारे में कुछ समझ नहीं पाया. यह सब रिसैप्शन के पास ही हो रहा था.

”सर, आप का कोई आईडी

कार्ड!’’ रिसैप्शन पर बैठा व्यक्ति बोला.

”हांहां, यह लो.’’ कहते हुए सुनील ने अपनी जेब से आईडी कार्ड निकाल कर उस के सामने बढ़ा दिया.

रिसैप्शन पर बैठे व्यक्ति ने सुनील का आईडी कार्ड ले कर स्कैन किया और वापस लौटाते हुए बोला, ”सर, इस में अच्छा फोटो नहीं लगाया है, आप के डिपार्टमेंट वालों ने, दूसरा बनवा लीजिएगा.’’

”इस में क्या खराबी है?’’ सुनील ने चौंकते हुए पूछा.

”आप के साथ और लोग भी हैं?’’ रिसैप्शनिस्ट बोला.

”हां, तो?’’ सुनील बोला.

”सर, एक साथ एक ही अलाउड है, लेकिन आप ने 3 का नाम लिखा है.’’

”अरे कुछ नहीं होता…कर लो!’’ सुनील ने समझाते हुए एक तरह से आग्रह किया.

”सर, सभी का आईडी दीजिए.’’

”अरे, मैं हूं न! आईपीएस हूं…और तुम मुझ से ही बहस कर रहे हो!’’ सुनील बोला.

”क्यों नहीं मिस्टर सुनील, वह अपनी ड्यूटी निभा रहा है. तुम गलत हो और उसे भी गलत करने के लिए दबाव दे रहे हो.’’ उसी वक्त एसपी यादव वहां आ गए और उन्होंने सख्ती भरे अंदाज में कहा.

”सर, आप इसी की तरफदारी कर रहे हैं? हम लोगों के पीछे यहां कौन कितना काम करता है, नहीं जानते क्या आप?’’ सुनील बोला.

”लाओ, दिखाओ मुझे अपना आईडी कार्ड.’’ एसपी बोले.

”सर, आप एक आईपीएस पर शक कर रहे हैं?’’

”शक नहीं, विश्वास के साथ कहता हूं कि तुम गलत हो. मैं ने मुंबई में पता कर लिया है. वहां तुम्हारे नाम का सीबीआई में कोई है ही नहीं.’’ एसपी बोले.

”क्या बोल रहे हैं सर, मेरा आईडी देखिए सीबीआई का है.’’

”ऐसा है मिस्टर सुनील, मैं ने बांद्रा मुंबई में पोस्टेड सीबीआई विभाग में अभीअभी बात की है. वहां के औफिसर का कहना है कि सीबीआई से आईडी कार्ड जारी नहीं किया जाता, तुम फरजी आईपीएस हो. मुझे तो तुम पर संदेह उसी वक्त हो गया था जब तुम ने उल्टा सैल्यूट मारा था. जिसे सही सैल्यूट का पता नहीं हो, वह पुलिस का अफसर कैसे हो सकता है…’’

”सर, आप मुझ पर गलत आरोप लगा रहे हैं.’’ सुनील हकलाता हुआ बोला. सर्दी में चेहरे पर पसीने की बूंदें भी दिखने लगी थीं.

”मैं ने तुम्हारे तीनों आदमियों से भी पूछताछ की है…उन की बातें तुम्हारी बातों से मेल नहीं खाती हैं.’’

सुनील क्यों बना फरजी आईपीएस

एसपी भुवन भूषण यादव ने तुरंत फोन कर के स्थानीय पुलिस को बुला लिया. सुनील को तुरंत हिरासत में ले लिया गया. उसे उदयपुर की हाथीपोल थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया. उस के साथ उस के परिवार के 3 अन्य लोग इंद्राज सैनी, अमित कुमार चौहान और सत्यनारायण भी गिरफ्तार कर लिए गए थे. उस से पूछताछ होने पर उस ने अपने फरजीवाड़े का जुर्म स्वीकार कर लिया.

ऐसा कदम उठाने के संबंध में उस ने बताया कि उस का सपना आईएएस बनने का था, लेकिन नहीं बन पाया. तब उस ने ऐसा किया. उस ने 4 बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन पास नहीं हो पाया. उसे बुरा लगा, लेकिन अपने आसपास के लोगों में रुतबा दिखाने के लिए दिल्ली जा कर कुछ समय गुजारा करने लगा. फिर सीबीआई का फरजी आईपीएस अधिकारी बन कर गांव लौटा.

संयोग से उसे बानसूर गांव के एक इंसपेक्टर का फरजी आईडी कार्ड भी मिल गया. एक आईपीएस में जितना रुतबा, रौब और दंबगई का जलवा होता है, उतना किसी और विभाग के अफसर में शायद नहीं होता. ऐसा सुनील सांखला का सोचना था. लेकिन शायद उस ने बचपन में पंचतंत्र की कहानी ‘रंगा सियार’ नहीं पढ़ी होगी, वरना वह न तो नकली वरदी पहनता और न ही असली पुलिस की नजरों में आ पाता.

हालांकि गांव वाले उसे पहले से ही काफी होनहार समझते थे, जब उन्होंने उस की करतूत के बारे में सुना, तब भौचक रह गए. उस के शातिराना ढंग के बारे में जिस ने भी सुना, दंग रह गया. उस ने न केवल नकली आईडी बनवाई और वरदी पहनी, बल्कि 2 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के लेटर हेड पर फरजी बधाई संदेश भी बनवा लिए. उस ने पूछताछ में बताया कि उस ने पुलिस वरदी औनलाइन मंगवाई थी. पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

इंदौर का फरजी आईएएस

इंदौर के कंट्रोल रूम में 6 सितंबर, 2023 को एक काल आई. फोन करने वाले ने धमकाते हुए कड़क आवाज में कहा, ”हैलो! मेरी बात को ध्यान से सुनो. मैं दिल्ली पीएमओ से बोल रहा हूं. मेरे लिए दिल्ली में किसी अच्छे होटल में कमरा बुक करवा दो.’’

”आप कौन साहब बोल रहे हैं?’’ कंट्रोल रूम में औपरेटर की ड्यूटी पर बैठे कर्मचारी ने शालीनता से पूछा.

”बदतमीज! जयहिंद बोलना भी नहीं सीखा. सीधे मेरे बारे में पूछता है.’’ काल करने वाला व्यक्ति फिर कड़कती आवाज में बोला.

”सर, आप बताएंगे, तभी तो मैं जानूंगा कि आप कौन साहब हैं? धमकी के यहां सैकड़ों फोन आते रहते हैं…’’ औपरेटर बोला.

”यस ओके! मैं दिल्ली कैडर का अमित सिंह आईएएस हूं. मेरे लिए तुम्हें 2 काम अर्जेंट करने हैं…’’

”जय हिंद सर!’’ आईएएस शब्द सुनते ही औपरेटर ने अभिवादन किया.

”जय हिंद!…मेरे नाम से होटल में कमरा बुक करना है और हां, 2 मोबाइल सिम भी अरेंज करवा देना.’’ यह कहते हुए उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर दुविधा में पड़ गया कि होटल का कमरा किस नाम और आईडी से बुक करवाए…और सिम का क्या करे? जब कुछ समझ में नहीं आया, तब उस ने अपने अफसर से बात करने के लिए फोन मिला दिया.

वहां उसे मालूम हुआ कि इसी तरह का फोन लसूडिय़ा इलाके के पटवारी के पास भी आया था. वहां भी फोन करने वाले ने धमकी के अंदाज में कमरा बुक करवाने के लिए कहा था. लगता है कोई सनकी है या फिर फरजी.

कंट्रोल रूम का औपरेटर इस बारे में यही सोच रहा था कि क्या करे, क्या नहीं, तभी दोबारा उसी व्यक्ति का फोन आ गया. पहले जैसे रोबीले अंदाज में उस ने बात की. औपरेटर ने बात करते हुए उस से कौंटेक्ट नंबर मांग लिया ताकि उन्हें होटल बुकिंग की सूचना दे सके.

उधर मल्हारगंज में रहने वाले पटवारी संतोष चौधरी ने भी लसूडिय़ा थाने में शिकायत दर्ज कराई कि एक व्यक्ति आईएएस अधिकारी बन कर शादी करवाने के लिए धमका रहा है. वह बारबार काल कर के कह चुका है कि कोई लड़की हो तो बताओ, शादी करनी है.

उस के बाद इस की सूचना इंदौर क्राइम ब्रांच को भेज दी गई. क्राइम ब्रांच ने इस सूचना के संबंध में तहकीकात शुरू की. उन्हें संदेह इस बात का हुआ कि एक आईएएस अधिकारी विशेष तरह के प्रोटोकाल में रह कर कार्य करते हैं. उसी के तहत आदेश जारी किया जाता. सीधे कंट्रोल रूम में फोन नहीं करते हैं.

वह एक सिस्टम का हिस्सा होते हैं और उसी के तहत कामकाज किया जाता है. व्यक्तिगत काम के लिए फोन करना प्रोटोकाल के खिलाफ माना जाता है, जबकि फोन करने वाले ने न केवल होटल बुक करने का आदेश दिया था, बल्कि 2 सिमकार्ड उपलब्ध करवाने के लिए भी कहा था. इस पर तुरंत काररवाई की गई.

उसी रोज वह पकड़ा भी गया. लसुडिय़ा थाने की पुलिस ने उस से पूछताछ की, तब मालूम हुआ कि उस का नाम रामदास गुर्जर है और वह अंबाह मुरैना का रहने वाला है. उस से अपना जुर्म तुरंत स्वीकार कर लिया.  इस बारे में एडिशनल डीसीपी (क्राइम ब्रांच) राजेश दंडोतिया के अनुसार उस के खिलाफ फरजी आईएएस के नाम पर धमकी देने और धमकी देने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

पूछताछ में उस ने बताया कि उसे यह आइडिया ‘स्पैशल 26’ फिल्म देख कर आया था. यह स्पष्ट बताने से इनकार किया कि उस ने कितनों के साथ ठगी की है.

—विजय सोनी

घर वालों को रास न आया बेटी का प्यार

हिना की शातिर चाल – भाग 3

आखिर मुखबिरों के जरिए यह बात पुलिस तक पहुंच गई. थाना लिंक रोड पुलिस ने जांच की तो पता चला कि हिना और मुमताज नकली नोटों की तस्करी से जुड़ी हैं.

तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी को जब इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने तुरंत काररवाई करने का आदेश दिया. पुलिस ने जानकारियां जुटा कर अपना जाल बिछाया और 23 अप्रैल, 2013 को कौशांबी बसअड्डे से हिना, उस की बहन मुमताज, रफीक, नुरैन और मोइनुद्दीन को उस समय गिरफ्तार कर लिया गया, जब वे नोटों का लेनदेन कर रहे थे.

पुलिस ने इन लोगों के कब्जे से 7 लाख रुपए के नकली नोट बरामद किए. इन नोटों में 5 लाख 100 के और बाकी 5 सौ के नोट थे. पूछताछ में पता चला कि अब तक ये लोग लाखों के नकली नोट खपा चुके थे. गाजियाबाद पुलिस द्वारा नकली नोटों की अब तक की यह सब से बड़ी बरामदगी थी.

इस की सूचना गृह मंत्रालय, खुफिया एजेंसियों एनआईए, आईबी और रा को भी दी गई. हिना से गहन पूछताछ की गई. उस के बाद सभी को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें डासना जेल भेज दिया गया.

हिना के लिए जेल की जिंदगी गरीबी के दिनों से भी ज्यादा बदतर थी. वह बाहर आने के लिए छटपटा रही थी. लेकिन उस का कोई भी ऐसा अपना नहीं था, जो उस की जमानत कराता. जेल में ही उस की मुलाकात वर्षा से हुई. वर्षा भी किसी अपराध में जेल में बंद थी. एक ही बैरक में होने की वजह से उन में दोस्ती हो गई थी.

जेल में वर्षा से मिलने उस के तमाम परिचित आते रहते थे. जबकि हिना से मिलने कोई नहीं आता था. वर्षा से मिलने अनिल यादव भी आता था. अनिल को देखते ही हिना ताड़ गई थी कि वह न सिर्फ पैसे वाला है, बल्कि शरीफ भी है. उसी को ध्यान में रखते हुए हिना ने एक दिन वर्षा से कहा कि वह किसी भी तरह उस की जमानत करा दे.

‘‘लेकिन मैं तो खुद ही जेल में हूं. ऐसे में मैं तुम्हारी जमानत कैसे करा सकती हूं?’’ वर्षा ने कहा.

‘‘अगर तुम चाहो तो जेल में रहते हुए भी यह काम करा सकती हो.’’

‘‘वह कैसे?’’ वर्षा ने पूछा.

‘‘वह जो तुम से मिलने आए थे, क्या नाम था उन का?’’

‘‘अनिल यादव, वह बहुत अच्छे आदमी हैं.’’

‘‘वह तो देख कर ही लग रहा था. उन से कह कर मेरी जमानत करा दो. मम्मी कह रही थीं कि जमानती तो मिल गए हैं, लेकिन इतने पैसे नहीं हैं कि वह वकील कर लें.’’

‘‘ठीक है, इस बार आएंगे तो मैं बात कर के तुम्हारी मुलाकात करा दूंगी. हो सकता है, तुम्हारी जमानत करवा ही दें.’’

कुछ दिनों बाद अनिल वर्षा से मिलने गया तो उस ने हिना की मुलाकात उस से करा दी. हिना ने उस से इस तरह दुखड़ा रोया कि वह उस की बातों में आ गया.

हिना का भोलाभाला चेहरा देख कर अनिल को लगा कि यह मुसीबत की मारी है. मन में दया आ गई और उस ने उसे मदद का आश्वासन दे दिया. हिना ने मां का पता अनिल को दे दिया था. अनिल के मन में दूसरों के लिए कुछ करने का भाव था, इसलिए दिल्ली जा कर वह हिना की मां से मिला.

संतान कैसी भी हो, मांबाप के मन में उस के लिए हमेशा तड़प होती है. शकीला का भी यही हाल था. अनिल ने हिना की जमानत के लिए पैसे तो दिए ही, वकील का भी इंतजाम करा दिया. शकीला ने जमानती की व्यवस्था कर के उस की जमानत करा ली. इस के बाद हिना ने बाहर आ कर अपनी बहन मुमताज की भी जमानत करा ली.

जेल में रहते हुए हिना ने सोचा था कि अब वह कोई ऐसा काम नहीं करेगी, जिस से फिर उसे जेल जाना पड़े. लेकिन बाहर आते ही उस के इरादे बदल गए. उस ने अनिल से संपर्क बनाए रखा, क्योंकि उस से उस के कुछ सपने पूरे हो सकते थे.

सीधासादा अनिल आसानी से बातों में आ जाने वाला इंसान था. उस की इसी कमजोर नस को हिना ने पकड़ लिया था. जेल से आने के बाद वह मां के ही पास रह रही थी.

शकीला ने हिना को खूब समझाया. लेकिन वह पाई पाई के लिए मोहताज थी. उसे जिंदगी की शुरुआत फिर से करनी थी. अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए वह कुछ करने के बारे में सोचने लगी. उस की एक बहन शहनाज संभल कस्बे में ब्याही थी. उस के पति का इंतकाल हो चुका था. हिना उस के यहां गई और एक ज्वैलर्स की दुकान पर खरीद के बहाने गहनों पर हाथ साफ कर दिया. उस की बदकिस्मती थी कि वह रंगेहाथों पकड़ी गई. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.

जिस परेशानी से हिना ने किसी तरह पीछा छुड़ाया था, वही फिर उस के गले पड़ गई इस के लिए वह खुद ही जिम्मेदार थी. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी उस की आजादी छिन जाएगी.  मुरादाबाद में उस का कोई अपना नहीं था, इसलिए जमानत का भी इंतजाम नहीं हो सकता था.

लेकिन शातिर हिना ने इस का इंतजाम कर लिया. उसी जेल में जिला बिजनौर के कस्बा नजीबाबाद का हिस्ट्रीशीटर नाजिम बंद था. नजीबाबाद कोतवाली में उस की हिस्ट्रीशीट खुली हुई थी. जेल में भी वह दबंगई से रह रहा था. हिना को नाजिम काम का आदमी लगा तो उस ने उस पर निशाना साध दिया. नाजिम को भी हिना अच्छी लगी. उस ने उस से दोस्ती कर ली.

हिना ने नाजिम से दोस्ती अपना काम निकालने के लिए की थी. इस के अलावा उस जैसा आदमी प्रौपर्टी के धंधे में भी काम आ सकता था. हिना उस से मिल कर अपना दर्द बयां करने लगी.

लेकिन नाजिम भी कम चलाक नहीं था. हिना ने जब उस से कहा कि वह उसे पसंद करती है. अगर वह उस की जमानत करा देगा तो वह उस की अहसानमंद रहेगी. नाजिम ने उस की जमानत कराने का वादा करते हुए कहा, ‘‘हिना, तुम्हें पसंद तो मैं भी करता हूं और तुम्हारी जमानत भी करा दूंगा. लेकिन बाहर निकल कर तुम्हें मुझ से निकाह करना पड़ेगा.’’

हिना को जरूरत थी, इसलिए उस ने हामी भर दी. नाजिम हिना पर फिदा तो था ही, उस से निकाह कर के उसे पुलिस से बचने का एक नया ठिकाना भी मिल सकता था. इसलिए उस ने अपने लोगों और वकील से संपर्क कर के हिना की जमानत करा दी.

हिना की यह हकीकत जान कर शकीला काफी नाराज थी. घर आने पर उस ने हिना को डांटाफटकारा तो वह घर छोड़ कर चली गई. वह अनिल से मिली और उसे अपनी परेशानी बताते हुए कहा, ‘‘अनिल, मुझे तुम्हारा सहारा चाहिए. मां से लड़ाई हो गई है. मेरे पास रहने की भी कोई जगह नहीं है.’’

अनिल भला आदमी था. हिना को परेशान देख कर वह उसे अपने फ्लैट पर ले गया. मामला एक जवान लड़की का था, इसलिए घर वालों ने उस से हिना के बारे में पूछा. तब अनिल ने उसे अपने दोस्तों की दोस्त बता कर घर में ही रहने की व्यवस्था करा दी. हिना तेज तो थी ही, उस ने कुछ ही देर में लच्छेदार बातें कर के अनिल की पत्नी सुनीता को वश में कर लिया.

हिना की शातिर चाल – भाग 2

अगले दिन कोतवाली प्रभारी रीता यादव ने जेल जा कर हिना से पूछताछ की. जेल में उस ने अनिल की हत्या में अपना हाथ होने से साफ मना कर दिया. जेल में हिना पर कोई दबाव नहीं बनाया जा सकता था. वैसे भी वह काफी तेजतर्रार लग रही थी, इसलिए रीता यादव ने अदालत में उस के रिमांड की अर्जी लगाई.

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनितचंद्र ने अर्जी मंजूर कर के 7 मई को हिना को 12 घंटे के पुलिस रिमांड पर दे दिया. हिना बहुत ही शातिर थी. पूछताछ में पहले तो वह पुलिस को बरगलाती रही, लेकिन जब उस ने देखा कि वह बचने वाली नहीं है तो वह फूटफूट कर रोने लगी.

पुलिस ने हिना को चुप करा कर लंबी पूछताछ की. इस पूछताछ में चौंकाने वाली जो कहानी निकल कर सामने आई, उस में अनिल ने अपनी सज्जनता और विश्वास की कीमत जान दे कर चुकाई थी.

हिना खान उर्फ रूबी कौसर मूलरूप से जिला मुरादाबाद के एक गांव के रहने वाले साबिद खान की बेटी थी. साबिद के परिवार में पत्नी शकीला के अलावा 5 बच्चे थे. हिना उन में सब से अधिक महत्वाकांक्षी थी. बचपन से ही वह ठाठबाट से रहने के सपने देखती आई थी.

साबिद की हैसियत ऐसी नहीं थी कि वह अपने बच्चों की हर ख्वाहिश पूरी कर पाता. आर्थिक तंगियों से जूझ कर उस ने किसी तरह बच्चों को बड़ा किया. बेटे काम से लग गए तो उस ने दोनों बड़ी बेटियों का निकाह कर दिया.

उसी बीच साबिद का इंतकाल हो गया तो परिवार की जिम्मेदारी बेटों पर आ गई. बाप के मरने के बाद हिना के दोनों भाई आपराधिक प्रवृत्ति के हो गए. तीसरी तक पढ़ी हिना अब तक जवान हो चुकी थी. वह काफी खूबसूरत थी.

भाइयों की वजह से पुलिस आए दिन घर पर दबिशें देने लगी तो परिवार में बिखराव की स्थिति बन गई. पुलिस जब बहुत ज्यादा परेशान करने लगी तो शकीला हिना और बेटों को ले कर दिल्ली आ गई और मौजपुर में रहने लगी.

दिल्ली बिलकुल हिना के सपनों जैसी थी. यहां के लोगों की चमकदमक वाली जीवनशैली, ऊंची इमारतें और उन के पास खड़ी महंगी कारें, इन सब ने हिना को खूब लुभाया. गांव में रह कर उस ने कभी सोचा भी नहीं था कि दुनिया इस तरह की भी है. हिना भले ही न के बराबर पढ़ी थी, लेकिन भाईबहनों में वह सब से ज्यादा तेजतर्रार थी.

गरीबी की वजह से हिना ने अपने जिन सपनों को कुचला था, दिल्ली आ कर वह उन्हें पूरा करना चाहती थी. खूबसूरत हिना को तमाम आंखें ताकती रहती थीं. इस से उसे जल्दी ही अपनी अहमियत का अंदाज हो गया.

हिना किसी भी तरह ऐशोआराम की जिंदगी हासिल करना चाहती थी. उसी बीच उस की दोस्ती आसिफ से हो गई. आसिफ हिना पर खूब पैसे खर्च करता था. वह उस के साथ दिल्ली के पार्कों और रेस्टोरेंटों में घूमती जरूर रही, लेकिन वह उस की मंजिल नहीं थी.

आसिफ को हिना की सच्चाई का पता तब चला, जब उस ने दरियागंज के रहने वाले एक अन्य युवक से दोस्ती कर ली. आसिफ को यह बात बेहद नागवार गुजरी. आखिर एक दिन संदिग्ध हालातों में उस ने आत्महत्या कर ली.

समय अपनी गति से चलता रहा और हिना उस के साथ खुले आकाश में पंख फैला कर उड़ने की कोशिश रहती रही.

दरियागंज के जिस युवक के साथ हिना ने दोस्ती और प्यार का सफर शुरू किया था, वक्त के साथ वह भी उसे छोटा मोहरा नजर आने लगा. लेकिन ऐसे लोग उसे बेहतरीन जिंदगी से रूबरू करा कर उस की अहमियत का अंदाजा जरूर कराते थे.

हिना ऐसे ही लोगों की बदौलत ऊंचाइयों को छूना चाहती थी. उस के संपर्क बढ़े तो उस ने उसे भी किनारे लगा दिया. उस युवक ने हिना के रवैए से आहत हो कर जहर खा लिया. लेकिन उस की किस्मत अच्छी थी कि समय पर इलाज मिल गया, जिस से वह बच गया.

अब तक हिना के सपनों को पंख लग चुके थे. वह पैसे वाले लोगों को इस्तेमाल करना भी सीख गई थी. उस की जिंदगी में इस तरह के लोग आतेजाते भी रहे. उधर शकीला उस का निकाह करना चाहती थी. हिना ने भी सोचा कि शायद निकाह से ही जिंदगी आराम से कट जाए, इसलिए उस ने निकाह कर लिया. निकाह के साल भर बाद उसे एक बेटी भी पैदा हुई.

हिना का पति उस की हसरतों को पूरी नहीं कर पा रहा, जिस से दोनों में अनबन रहने लगी. फिर जल्दी ही दोनों अलग हो गए. हिना बेटी को अपने साथ ले आई. वह कुछ ऐसा करना चाहती थी, जिस से जिंदगी आराम से कटे,  क्योंकि उस का हर शौक महंगा था.

हिना की बहन मुमताज का भी पति से विवाद रहता था, जिस से वह भी मायके में ही रहती थी. जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए दोनों बहनों ने गाजियाबाद की ओर रुख किया. उन्होंने दिल्ली बौर्डर पर स्थित पौश इलाके वसुंधरा के सेक्टर-4 में एक फ्लैट किराए पर लिया और कुछ लोगों से संपर्क कर के प्रौपर्टी का धंधा शुरू कर दिया.

हिना खूबसूरत तो थी ही, तेजतर्रार भी थी. उसे लोगों से काम निकालने का हुनर भी बखूबी आता था, जिस से वह ठीकठाक कमाई करने लगी थी. यह सन 2011 की बात है.

उसी दौरान हिना के तार नकली नोटों के कारोबारियों से जुड़ गए. उस का संपर्क रफीक, नुरैन व मोइनुद्दीन से हुआ. ये तीनों नेपाल से बंगलादेश के रास्ते नकली नोट ला कर भारत के अलगअलग हिस्सों में खपाते थे. ये नकली नोट पाकिस्तान से आते थे. रफीक बिहार के गोपालगंज जिले का रहने वाला था तो नुरैन और मोइनुद्दीन उत्तरप्रदेश के देवरिया के रहने वाले थे.

भारत में 1 लाख रुपए नकली नोट 35 हजार रुपए में दिए जाते थे. दिल्ली या उस के आसपास के इलाकों तक आते आते इन की कीमत 50 हजार रुपए हो जाती थी. 15 हजार के फायदे के लिए लोग हिना से डील करने लगे.

दिल्ली और उस के आसपास के इलाकों में नकली नोटों की तस्करी की पूरी जिम्मेदारी हिना और मुमताज के हाथों में थी. उन के पास पैसा आने लगा तो रातोंरात उन के रंगढंग बदल गए. हिना के फ्लैट में सुखसुविधा की हर चीज आ गई. उस ने बढि़या कार भी खरीद ली.

दोनों बहनें प्रौपर्टी के बिजनैस की आड़ में नकली नोटों का धंधा कर रही थीं. राष्ट्रद्रोह का काम कर के वे ठाठ से रह रही थीं.  बड़ेबड़े तस्कर उन से फोन पर संपर्क करते थे. उन तक नोट पहुंचाने का काम रफीक, नुरैन और मोइनुद्दीन करते थे. नकली नोट ट्रेन द्वारा ले जाए जाते थे, जबकि डील बसअड्डे पर होती थी. हिना के पास अब दौलत की कमी नहीं थी. अनापशनाप पैसा आया तो उसे शेखी बघारने का चस्का लग गया.

वेटर से ले कर दुकानदारों तक को वह हजार-पांच सौ का नोट देती तो बचे रुपए वापस नहीं लेती थी. लोग रुपए लौटाने लगते तो वह गर्व से कहती, ‘‘रख लीजिए, अगर हम ने बचे हुए रुपए वापस लिए तो यह हमारी तौहीन होगी.’’

दुकानदार या वेटर उसे ताकते रह जाते और उस की दरियादिली के कायल हो जाते. हिना का पर्स हमेशा नोटों से भरा रहता था. वह सौ, 2 सौ रुपए के सामान के भी हजार रुपए दे देती थी.

हिना की शातिर चाल – भाग 1

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका देश की राजधानी दिल्ली से सटा उत्तर प्रदेश का जिला गौतमबुद्ध नगर (नोएडा)  जिस तेजी से विकास कर रहा है, उतनी ही तेजी से वहां अपराध का ग्राफ भी बढ़ रहा है. सच है, जहां पैसा होगा वहां अपराध भी होगा. क्योंकि ये दोनों साथसाथ चलते हैं. पुलिस के सजग रहने के बावजूद कब कौन किस तरह के अपराध का शिकार हो जाए, कोई नहीं जानता.

20 अप्रैल, 2014 को उत्तरप्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी के युवा नेता और नगर के महासचिव अनिल यादव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. रात सवा 8 बजे के करीब उस की पत्नी सुनीता को हिना ने फोन कर के बताया, ‘‘अनिल की हत्या हो गई है और उन की लाश मेरे फ्लैट में पड़ी है.’’

हिना की बात सुन कर सुनीता के होश उड़ गए. वह हड़बड़ा कर बोली, ‘‘क…क्… क्या?’’

सुनीता कुछ और पूछ पाती, उस से पहले ही दूसरी ओर से फोन काट दिया गया. उस ने पलट कर फोन मिलाया, लेकिन दूसरी ओर से फोन नहीं उठाया गया. इस अनहोनी से सुनीता कांप उठी. कुछ देर पहले ही अनिल हिना के फ्लैट पर जाने की बात कह कर घर से निकला था. अनिल अपनी पत्नी और 2 बेटों, आर्यन तथा अवि के साथ सेक्टर-71 के एक अपार्टमेंट में रहता था.

सुनीता ने अपने देवर सुनील को फोन कर के यह बात बताई तो वह भी घबरा गया. सुनील अपने रिश्ते के भाई सुभाष को साथ ले कर थोड़ी ही देर में हिना के सेक्टर-71 स्थित डी-20/2 नंबर के फ्लैट पर पहुंच गया.

फ्लैट के दरवाजे पर बाहर से कुंडा लगा था. सुनील ने कुंडा खोला तो अंदर का नजारा देख कर उस के होश उड़ गए. अनिल फर्श पर सीधा अचेत पड़ा था. उस के बाएं हाथ की कलाई पर कटे के निशान थे. होंठ और चेहरा नीला पड़ा हुआ था. गले पर भी दबाने का निशान था. इस के अलावा फर्श पर खून के धब्बे भी थे.

सुनील ने सुभाष की मदद से अनिल को कार में डाला और सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल ले गए. वहां के डाक्टरों ने अनिल को भरती करने से मना कर दिया तो वे उसे ले कर मेट्रो अस्पताल गए, जहां डाक्टरों ने चैक कर के उसे मृत घोषित कर दिया.

अनिल की मौत की खबर से उस के घर में कोहराम मच गया. घर वाले और नाते रिश्तेदार अस्पताल पहुंच गए. घटना की सूचना पा कर कोतवाली सेक्टर-58 के प्रभारी एस.के. यादव भी मौके पर जा पहुंचे.

मामला सत्तारूढ़ दल के युवा नेता से जुड़ा था, इसलिए पुलिस अधीक्षक योगेश सिंह, पुलिस उपाधीक्षक विश्वजीत श्रीवास्तव भी मौके पहुंच गए थे. जिस फ्लैट में घटना घटी थी, उस का सामान बिखरा हुआ था. वहां शराब की 2 खाली बोतलें और कुछ गिलास रखे थे.

पीले रंग की एक चुन्नी बैड के ठीक ऊपर पंखे से लटक रही थी. चुन्नी में नीचे की ओर फंदा नहीं था. पहली ही नजर में लग रहा था कि हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई थी.

इस बीच पुलिस ने अनिल की लाश को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया था. अनिल के घर वाले रिपोर्ट दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे तो पुलिस ने सुबह आने को कहा. अगले दिन अनिल के घर वालों ने हिना और उस के साथियों के खिलाफ कोतवाली सेक्टर 58 में अनिल की हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया.

पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने अनिल की लाश को उस के घर वालों के हवाले कर दिया. कोतवाली प्रभारी एस.के. यादव की कार्यशैली से अनिल के घर वाले काफी नाराज थे, क्योंकि अभी तक वह उन से मिले तक नहीं थे.

अनिल की हत्या और कोतवाली प्रभारी की कार्यशैली से क्षुब्ध घर वालों ने कुछ लोगों के साथ मिल कर सड़क पर जाम लगा दिया और इंसपेक्टर के खिलाफ काररवाई कर के हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे.

इस हंगामें की सूचना पुलिस अधिकारियों को मिली तो वे मौके पर पहुंच गए. उन्होंने जाम लगाने वालों को समझाबुझा कर जांच थाना सेक्टर-20 की थानाप्रभारी रीता यादव को सौंप दी.

पुलिस ने अनिल के घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि हिना अनिल की परिचित थी. उसे वह फ्लैट अनिल ने ही किराए पर दिलाया था. हिना पर उस के 6 लाख रुपए उधार थे. वह उन्हें लेने गया था, तभी उस की हत्या कर दी गई थी.

अनिल नोएडा से सटे गांव बहलोलपुर के रहने वाले छोटेलाल यादव का बेटा था. छोटेलाल के परिवार में पत्नी सरोज के अलावा 3 बेटियां कृष्णा, मोनिका, सोनी और 2 बेटे अनिल तथा सुनील थे.

छोटेलाल के पास ठीकठाक जमीन थी. नोएडा बसा तो उन की सारी जमीन प्राधिकरण ने ले ली. छोटेलाल सुलझे हुए व्यक्ति थे. उन्हें जमीन के मुआवजे के रूप में जो पैसा मिला, उस से उन्होंने प्रौपर्टी की खरीदफरोख्त का काम शुरू कर दिया था.

इस के लिए छोटेलाल ने नोएडा में अपना औफिस भी बना रखा था. प्रौपर्टी के काम में उन के बेटे भी उन का हाथ बंटाते थे. अनिल को राजनीति में रुचि थी, इसलिए बीए करने के बाद वह राजनीति में आ कर समाजवादी पार्टी से जुड़ गया. उस का युवाओं में खासा प्रभाव था, इसलिए पार्टी ने उसे महानगर इकाई का सचिव बना दिया था.

मामला गंभीर था. एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने अपने अधीनस्थों को इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का आदेश दिया. कोतवाली प्रभारी रीता यादव हिना की तलाश में जुट गईं. जानकारियों के आधार पर पुलिस ने उस के कई ठिकानों पर दबिश दी, परंतु वह हाथ नहीं लगी.

प्रौपर्टी डीलर जगदीप सिंह गिल को भी हिरासत में ले कर पूछताछ की गई, क्योंकि उसी के माध्यम से हिना को फ्लैट किराए पर दिलाया गया था. लेकिन उस से पूछताछ में पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

इसी बीच पुलिस को खबर मिली कि हिना अदालत में आत्मसमर्पण की फिराक में है. उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने 29 अप्रैल को अदालत के बाहर अपना जाल बिछाया, लेकिन पुलिस को चकमा दे कर वह बुर्के में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हो गई. उसे न्यायिक हिरासत में लुक्सर स्थित जिला जेल भेज दिया गया.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 3

पूछताछ में पता चला कि अर्चना के पति विकास गुप्ता और राजू सिंह के भाई संजीव सिंह पिछले 3 साल से साझे में रियल एस्टेट का बिजनैस कर रहे थे. इसीलिए उन्हें पार्टी में बुलाया गया था.

5 आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद जांच अधिकारी सी.एल. मीणा ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों को जब पूछताछ के लिए बुलाया, तो उन के मोबाइल से घटना के वक्त बनाई गई कुछ वीडियो क्लिप बरामद हुईं. इस मामले में पुलिस ने 55 लोगों से पूछताछ की.

दरअसल, पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही जानकारी मिल गई थी कि पार्टी में शामिल कुछ लोगों ने इस पार्टी की विडियो बनाई थी. हालांकि घटना के बाद राजू सिंह के परिवार वालों ने ज्यादातर लोगों के मोबाइल फोन से इन वीडियो को डिलीट करा दिया था.

राजू कुमार सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में पारू प्रखंड के बड़ा दाउद गांव के रहने वाले हैं. 48 वर्षीय राजू सिंह 3 भाइयों में मंझले हैं. उन के पिता उदयप्रताप सिंह कई बार पारू प्रखंड की आनंदपुर खरौनी पंचायत के मुखिया रहे हैं. राजू कुमार सिंह ने सन 2005 में राजनीति में एंट्री ली थी. वे पहली बार लोक जनशक्ति पार्टी के टिकट पर साहेबगंज से विधायक चुने गए थे.

उसके बाद 2005 में ही हुए अक्तूबर में हुए चुनाव में पार्टी बदल कर वह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर साहेबगंज से दोबारा विधायक चुने गए. फिर साल 2010 में यहीं से वह दोबारा विधायक बने. इस तरह वे 4  बार विधायक चुने गए. इस के बाद राजू कुमार सिंह ने सन 2015 में जेडीयू को छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था.

2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. राजू कुमार सिंह ने साल 2009 में अपनी पत्नी रेनू सिंह को भी निर्दलीय चुनाव लड़ा कर एमएलसी बनवा दिया. पूर्वी चंपारण से पंचायती राज कोटे से रेनू सिंह एमएलसी की सीट पर विजयी हुई थीं.

रसूखदार परिवार के हैं पूर्व विधायक

राजू कुमार सिंह ने 1984 में बिहार के मुजफ्फरपुर से मैट्रिक के बाद 1996 में महाराष्ट्र से बीटेक की पढ़ाई पूरी की थी. इस के बाद उन्होंने यूक्रेन से एमटेक करने के बाद महाराष्ट्र से पीएचडी की डिग्री भी हासिल की.

हालांकि राजू सिंह आमतौर पर बिहार में ही रहते थे, लेकिन परिवार दिल्ली में होने की वजह से अकसर यहां आते रहते थे. संपन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाले राजू सिंह की गिनती बिहार में राजपूतों के दंबग नेता के रूप में होती थी. बिहार के रसूखदार सियासतदारों में शामिल राजू सिंह न सिर्फ राजनीति की चर्चित हस्ती थे, बल्कि उद्योग और व्यवसाय में भी उन की तूती बोलती थी.

वैसे राजू कुमार सिंह के परिवार की पहचान दवा के बड़े व्यवसाई के रूप में भी होती है. उनका दवाओं का कारोबार नोएडा, अहमदाबाद समेत कई बड़े शहरों फैला है. इस के अलावा रूस और अमेरिका में भी उन का दवाओं का कारोबार बताया जाता है.

बताया जाता है कि सोवियत संघ के विघटन और आर्थिक मंदी के समय राजू सिंह का परिवार दवा के कारोबार को सोवियत संघ तक ले कर गया और फिर करोड़ों की दवाओं का साम्राज्य स्थापित कर लिया.

राजू सिंह के पैतृक गांव बड़ा दाउद में उन का कोल्ड स्टोरेज, पारू प्रखंड में चीनी मिल, मुजफ्फरपुर शहर के कलम बाग चौक और मोतीझील में 2 व्यावसायिक प्रतिष्ठान और सुप्रसिद्ध डीआरबी मौल में भी राजू सिंह की हिस्सेदारी है.

अर्चना गुप्ता की हत्या का मामला उन के खिलाफ दर्ज पहला आपराधिक मामला नहीं है. उन के बारे में कहा जाता है कि वह शराब पी कर अकसर अपने लाइसेंसी हथियारों से फायरिंग करते रहते थे.

अनेक मामले दर्ज हैं पूर्व विधायक पर

राजू कुमार सिंह के खिलाफ 2015 के चुनाव के समय 5 आपराधिक मामले दर्ज थे जिस में धमकी देने, मारपीट करने, जान से मारने का प्रयास और आर्म्स एक्ट से जुड़ी कई संगीन धाराओं में उन के खिलाफ मामले दर्ज हैं. उन के खिलाफ एक नाबालिग लड़की को वेश्यावृत्ति के लिए बेचने समेत सरकारी काम में बाधा डालने के भी मामले चल रहे हैं.

हाल के दिनों में अमर भगत हत्याकांड में भी उन का नाम उछला था, लेकिन पुलिस को उन के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला. राजू सिंह हमेशा नक्सलियों और माओवादियों से खुद को खतरा बताते रहे हैं. यही कारण था कि प्रशासन ने उन्हें विशेष सुरक्षा भी मुहैया कराई थी.

नए साल की पूर्वसंध्या पर राजू सिंह व उन के भाइयों ने अपने फार्महाउस पर 55-60 लोगों को पार्टी में बुलाया था. देर रात सभी मेहमान शराब के नशे में धुत नाच रहे थे. इसी बीच आरोपी पूर्व विधायक ने 3 राउंड गोली चलाईं, जिस में एक गोली अर्चना गुप्ता के सिर में लगी.

फार्महाउस पर म्यूजिक बजा रहे 2 डिस्क जौकी (डीजे) ने पुलिस को दिए अपने बयानों में बताया है कि उस रात राजू सिंह एक हाथ में पिस्टल और दूसरे हाथ में शराब का गिलास ले कर नाच रहे थे. साथ ही अर्चना गुप्ता की हत्या के एक घंटे बाद तक राजू सिंह खून से सने उस डांस फ्लोर पर शराब पीते रहे.

पुलिस ने दोनों डीजे के बयान मजिस्ट्रैट के सामने भी दर्ज करा दिए हैं, जिस का यह अर्थ है कि अदालत के समक्ष इसे अहम सबूत के रूप में स्वीकार किया जाएगा.

प्रतिभाशाली महिला थीं अर्चना गुप्ता

इस बयान में बताया गया कि डांस फ्लोर पर करीब 14 लोग थे. डांस फ्लोर पर मौजूद कुछ लोगों ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने राजू सिंह के हाथ में पिस्टल देखी थी. पुलिस को जांच के बाद यह भी पता चला कि फार्महाउस में पिस्टल से 6 और राइफल से 2 फायर किए गए थे. लेकिन नशे और सियासी उन्माद में उन की फायरिंग से एक प्रतिभाशाली महिला की जिंदगी खत्म हो गई.

42 साल की अर्चना गुप्ता, जो एक किताब लिख चुकी थीं, 2 किताबों को फाइनल टच देने का काम कर रही थीं. वह एक डौक्यूमेंट्री पर भी काम कर रही थीं. वह सन 2017 तक आईपी यूनिवर्सिटी में पढ़ाती थीं. वह बेहतरीन मां, उम्दा आर्किटेक्ट, अच्छी राइटर और शानदार टीचर थीं. वह आगे भी बहुत कुछ करना चाहती थीं. लेकिन नए साल के इस जश्न की पार्टी ने सब पर पानी फेर दिया.

विकास गुप्ता जो रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े थे, राजू सिंह के भाई संजीव सिंह के 25 साल पुराने जिगरी दोस्त हैं, इसीलिए विकास की जानपहचान संजीव के दूसरे भाइयों राजेश व राजू सिंह से भी थी.

जिस फार्महाउस में पार्टी चल रही थी, वह फार्महाउस भी संजीव सिंह का ही था. पारिवारिक दोस्ती के कारण विकास गुप्ता अपनी पत्नी अर्चना व बेटी को ले कर नए साल की इस पार्टी में आए थे, लेकिन खुशी का यह जश्न उन की पत्नी की जिंदगी लील गया.

अर्चना गुप्ता ने भले ही दम तोड़ दिया, लेकिन मरने के बाद भी उन्होंने एक मिसाल पेश कर दी. भले ही अब वह इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन जातेजाते वह 2 लोगों को जिंदगी दे गईं. उन्होंने मरने से पहले अपनी दोनों किडनियां डोनेट कर दीं.

गोली लगने के बाद अर्चना के पति विकास गुप्ता ने उन्हें वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल में एडमिट कराया था, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली. मौत के बाद उन की एक किडनी फोर्टिस अस्पताल के एक 43 साल के मरीज को ट्रांसप्लांट की गई, तो दूसरी अपोलो अस्पताल में एडमिट 67 साल की एक महिला को डोनेट की गई.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 2

पुलिस ने मेहमानों की मांगी लिस्ट

उस वक्त वहां सिर्फ 22 पुरुष व महिलाएं और कुछ कर्मचारी मौजूद थे. लेकिन कोई भी यह जानकारी नहीं दे सका कि फायरिंग होने के दौरान अर्चना गुप्ता को किस के हथियार से चली गोली लगी. पुलिस ने संजीव सिंह को हिदायत दी कि उस रात पार्टी में मौजूद सभी मेहमानों के नामपते की सूची व फोन नंबर अगले कुछ घंटों के भीतर पुलिस को उपलब्ध कराएं.

इस के बाद फार्महाउस पर पुलिस का पहरा बैठा दिया गया और उस क्षेत्र में जहां गोली चलने की घटना हुई थी, किसी को भी नहीं जाने की हिदायत दे दी गई. पुलिस टीम घटनास्थल पर मौजूद फार्महाउस के कुछ कर्मचारियों और वहां डीजे बजा रहे 2 जौकी को पूछताछ के लिए अपने साथ फतेहपुर बेरी थाने ले आई.

दूसरी ओर इंसपेक्टर सी.एल. मीणा फोर्टिस अस्पताल से अर्चना के पति विकास गुप्ता को अपने साथ थाने ले आए, जहां विस्तारपूर्वक उन का बयान लिया गया.

विकास गुप्ता का साफ कहना था कि उन की पत्नी को पूर्व विधायक राजू सिंह द्वारा पिस्टल से की गई फायरिंग में गोली लगी है. लिहाजा पुलिस ने पहली जनवरी, 2019 की सुबह हत्या की कोशिश व शस्त्र अधिनियम के तहत राजू सिंह के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कर ली.

इस दौरान पुलिस ने कई काम एक साथ किए. सब से पहले पुलिस ने कब्जे में ली गई सीसीटीवी फुटेज देखी, जिस से साफ पता चल रहा था कि उस फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई है. घटना के वक्त 3-4 लोगों ने फायरिंग की थी. लेकिन जिस वक्त राजू सिंह ने पिस्टल लहरा कर गोली चलाई, उस दौरान कुछ मिनट की वीडियो को डिलीट कर दिया गया था.

इसका मतलब था कि घटना के साक्ष्य मिटाने की कोशिश की गई थी. साथ ही सीसीटीवी से यह भी खुलासा हुआ कि राजू सिंह शाम के 7 बजे से ही शराब पी रहा था. रात करीब 12 बज कर 4 मिनट पर जब घटना घटी, उस वक्त वह बुरी तरह नशे में झूम रहा था और उस का खुद पर नियंत्रण नहीं था. रात साढ़े 11 बजे के बाद उस ने कई बार अपनी जेब में खोंसा पिस्टल निकाल कर हवा में लहराया था.

सीसीटीवी फुटेज में की गई छेड़छाड़

सीसीटीवी देखने के बाद तसवीर काफी हद तक साफ हो गई थी. लेकिन जब पुलिस ने फार्महाउस में काम करने वाले कर्मचारियों और जौकी से पूछताछ शुरू की, तो सारा सच सामने आने लगा.

पता चला कि रात को 12 बजते ही सब से पहले राजू सिंह के एक बेहद करीबी राम इंद्र सिंह और राजू सिंह के ड्राइवर हरी सिंह ने रायफल से हवा में 3-4 राउंड गोलियां चलाई थीं. उस वक्त तक अर्चना गुप्ता एकदम ठीक थीं. लेकिन बाद में जब राजू सिंह ने हवा में हाथ लहराते हुए अपने पिस्टल से एक के बाद एक 3 फायर किए तो एक गोली अर्चना के सिर में जा लगी थी.

थानाप्रभारी दिलीप कुमार व एसीपी राजेंद्र सिंह पठानिया को कुछ साल पहले महरौली इलाके में हुए एक बहुचर्चित हादसे के बारे में पता था, जिस में कुछ अमीरजादों ने शराब नहीं देने पर नशे में एक मौडल जेसिका लाल की गोली मार कर हत्या कर दी थी. दिल्ली के बेहद चर्चित इस मामले में भी सबूत मिटाने की कोशिश की गई थी.

बाद में कई कारणों से पुलिस की आलोचना भी हुई थी. लिहाजा एसीपी पठानिया इस तरह की कोई लापरवाही नहीं बरतना चाहते थे. उन्होंने उसी दिन पूर्व विधायक राजू सिंह के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा दिया. डीसीपी रोमिल बानिया ने राजू सिंह की गिरफ्तारी के लिए जिले के स्पैशल स्टाफ, एंटी आटो थेफ्ट सेल और फतेहपुर बेरी थाना पुलिस की 4 टीमों को हर उस जगह के लिए रवाना कर दिया, जहां राजू सिंह के मिलने की संभावना थी.

1 जनवरी की शाम होतेहोते अर्चना सिंह ने फोर्टिस अस्पताल में दम तोड़ दिया. पुलिस ने उन के शव का पंचनामा भर कर एम्स के चिकित्सकों की विशेष टीम से पोस्टमार्टम कराने के लिए भिजवा दिया. इधर अर्चना की मौत के बाद जांच अधिकारी सी. एल. मीणा ने इस मामले में हत्या की धारा 302 व 201 भी जोड दी. अगली सुबह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ हो गया कि मृतक अर्चना के सिर में राजू सिंह की लाइसेंसी पिस्टल की गोली लगी थी.

इधर साइबर टीम की मदद से पुलिस को लगातार राजू सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह की लोकेशन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में मिल रही थी. डीसीपी रोमिल बानिया ने 2 विशेष टीमों को तत्काल कुशीनगर के लिए रवाना कर दिया. ये टीमें लगातार सर्विलांस के काम में लगी टीम से संपर्क बनाते हुए 2 जनवरी को कुशीनगर पहुंच गईं.

अरेस्ट हो गए पूर्व विधायक

पुलिस ने स्थानीय पुलिस का सहयोग ले कर राजू कुमार सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह को कुशीनगर के फाजिल नगर बाजार से 2 जनवरी, 2019 की शाम को गिरफ्तार कर लिया.

वे दोनों एक सफेद रंग की इनोवा कार में सवार थे और बिहार जाने की तैयारी कर रहे थे. पुलिस ने उन के कब्जे से घटना में इस्तेमाल पिस्टल भी जब्त कर ली. पूछताछ में राजू सिंह ने बताया कि इस पिस्टल का लाइसैंस उन्होंने बिहार से बनवाया है और देश भर के लिए मान्य है.

राजू सिंह के पकड़े जाने पर उन के खास और गाड़ी के ड्राइवर हरी सिंह ने यह कह कर पूरी वारदात को अपने सिर लेने की कोशिश की कि गोली उस ने चलाई थी.

पुलिस दोनों को दिल्ली ले आई और उन्हें पार्टी में शामिल लोगों के बयान से अवगत कराया तो राजू सिंह ने अपना अपराध कबूल कर लिया. पूछताछ के बाद यह साफ हो गया कि उस रात पार्टी में फायरिंग राजू सिंह व 2 अन्य लोगों ने भी की थी. अर्चना की मौत राजू सिंह की ही गोली से हुई थी.

पुलिस ने राजू सिंह व उन के ड्राइवर हरी सिंह को साकेत कोर्ट में पेश किया, जहां से उन दोनों को 7 दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया. शुरुआती पूछताछ में राजू ने कहा कि उस ने शराब पी रखी थी और नशे में गोली चला दी थी.

आरोपी के परिवार के बिजनैस पार्टनर थे विकास गुप्ता

राजू सिंह ने पुलिस से यह भी कहा कि उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है. राजू सिंह ने बताया कि घटना के बाद वह अपने रिश्तेदार के यहां छिपा था और बिहार के रास्ते नेपाल भागने की फिराक में था ताकि सियासी प्रभाव का फायदा उठा सके. राजू सिंह ने पुलिस के सामने यह भी कबूल किया कि उस ने वारदात के बाद कारतूस छिपाए थे और कपड़े भी बदले थे.

राजू सिंह व हरी सिंह से पूछताछ के बाद चश्मदीदों के बयान और सीसीटीवी की फुटेज से यह बात साफ हो गई कि डांस फ्लोर पर बहे अर्चना गुप्ता के खून को साफ करने व सबूत मिटाने में राजू सिंह की पत्नी और बिहार की पूर्व एमएलसी रेनू सिंह, उन के भाई राजेश सिंह और राजू सिंह के एक करीबी राम इंद्र सिंह शामिल थे. लिहाजा पुलिस ने राजू सिंह व हरी सिंह को हत्या और उन तीनों को सबूत मिटाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

जशन की एक गोली ने ली जान – भाग 1

नए साल के स्वागत के लिए हर कोई अपने तरीके से जश्न मनाता है. जिस की जैसी औकात वैसा जश्न. दिल्ली  और मुंबई जैसे महानगर चूंकि रईसों के शहर माने जाते हैं, इसलिए यहां नए साल के जश्न भी निराले होते हैं. दिल्ली की बात करें तो देश की इस राजधानी में रईसों से ले कर नौकरशाही और सियासत से जुड़े लोग 5 सितारा होटलों और फार्महाउसों में शराब और शबाब की महफिलें सजाते हैं.

दक्षिणी दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाना क्षेत्र के मांडी गांव के पास एक फार्महाउस रोज फार्म नाम से है. रोज फार्म में नए साल 2019 का स्वागत करने व जश्न मनाने के लिए एक पार्टी का आयोजन किया गया था.

दवाइयां बनाने व बेचने का व्यवसाय करने वाले संजीव सिंह अपने दूसरे भाइयों राजेश सिंह व राजू सिंह के साथ इस पार्टी के मेजबान थे. रोज फार्महाउस की मालिक इन भाइयों की मां हैं. राजू सिंह बिहार के मुजफ्फरपुर में साहेबगंज से विधायक रह चुके हैं.

न्यू ईयर की इस पार्टी में तीनों भाइयों के परिवारों ने पारिवारिक दोस्तों को निमंत्रण दे कर बुलाया गया था. पार्टी में तीनों भाइयों के परिवारों के अलावा करीब 55-60 मेहमान शामिल हुए थे, जिन में से कुछ दोस्त मौस्को और अमेरिका से भी आए थे. शाम 7 बजे से ही महफिल में शराब के साथ लजीज व्यंजनों का दौर शुरू हो गया था. मेहमान डीजे की धुन पर डांस के साथ मस्ती कर रहे थे.

रात 12 बजे जैसे ही नए साल का आगाज हुआ, लोग और भी ज्यादा जोश में डांस करने लगे. इन में से ज्यादातर लोग डांस फ्लोर पर डांस कर रहे थे. कुछ लोग फार्महाउस के दूसरे हिस्सों में भी शराब की चुस्कियां और खाने का स्वाद लेते हुए एकदूसरे को नए साल की बधाइयां दे रहे थे.

उसी वक्त डांस स्टेज के पास कुछ लोगों ने एक के बाद एक कई हवाई फायर करके जश्न की उमंग को बढ़ा दिया. एक के बाद एक कई गोलियां चलीं तो स्टेज पर डांस कर रही अर्चना गुप्ता (42) चीख के साथ लहरा कर जमीन पर गिर पड़ीं. उन की चीख सुन सभी ने चौंक कर स्टेज की तरफ देखा.

अर्चना के पति विकास गुप्ता भी दौड़ कर स्टेज पर पहुंच गए. अर्चना के सिर से खून का फव्वारा सा फूट निकला था. वह जहां गिरीं, वहां आसपास खून का दरिया बन गया था. गोली चलने के बाद फार्महाउस में हड़बड़ी और भगदड़ सी मच गई थी. मेहमानों के चेहरों पर दहशत के भाव उभर आए. किसी को नहीं सूझ रहा था कि अचानक ये सब क्या और कैसे हो गया.

पत्नी अर्चना की चीख सुन कर आए विकास गुप्ता उन्हें खून से लथपथ देख पहले तो पलभर के लिए सदमे में आए. लेकिन अगले ही पल जैसे वे नींद से जागे और पत्नी को गोद में उठा कर अपनी गाड़ी की तरफ दौड़ पड़े. पार्टी में मौजूद कुछ मेहमान भी उन के साथ हो लिए.

किसी के हिस्से में खुशी, किसी के हिस्से में अंधेरा

अर्चना को उन्होंने अपनी गाड़ी की पिछली सीट पर डाला और कुछ ही देर में उन की कार फर्राटे भरती हुई वसंत कुंज के फोर्टिस अस्पताल पहुंच गई. डाक्टरों को जब यह पता चला कि उन के सामने मौजूद महिला को गोली लगी है, तो अस्पताल की तरफ से तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना दे दी गई. इस के बाद अर्चना को गहन चिकित्सा कक्ष में ले जा कर उन का इलाज शुरू कर दिया गया.

कुछ ही देर में पीसीआर की गाड़ी आ गई.  पुलिस के अस्पताल पहुंचने के बाद अर्चना गुप्ता के पति विकास गुप्ता ने बताया कि उन्हें गोली फार्महाउस में की गई फायरिंग से लगी है. उन से जरूरी जानकारी ले कर पीसीआर कर्मियों ने इस घटना की सूचना दक्षिण जिले के फतेहपुर बेरी थाने को दे दी. क्योंकि रोज फार्म इसी थाना क्षेत्र में आता था.

सूचना मिलते ही फतेहपुर बेरी थानाप्रभारी दिलीप कुमार थाने के इंसपेक्टर (इन्वैस्टीगेशन) सी.एल. मीणा, एसआई मंजीत सिंह और अन्य स्टाफ को साथ ले कर फोर्टिस अस्पताल पहुंच गए. वहां पहुंचने पर पता चला कि अर्चना गुप्ता की हालत बेहद गंभीर है और सिर में गोली लगने की वजह से उन के बचने की बहुत कम उम्मीद है.

अर्चना के पति विकास गुप्ता अस्पताल में ही मौजूद थे. दिलीप कुमार ने उन से घटना के बारे में जानकारी ली, तो उन्होंने आरोप लगाया कि उन की पत्नी को गोली रोज फार्महाउस में लगी है. उन्होंने बताया कि डांस फ्लोर पर शराब के नशे में धुत फार्महाउस के मालिक, बिहार के पूर्व विधायक राजू कुमार सिंह ने फायरिंग की थी. इसी फायरिंग में एक गोली उन की पत्नी के सिर में भी लग गई.

पुलिस पहुंची फार्महाउस

फतेहपुर बेरी थानाप्रभारी दिलीप कुमार ने अपने सर्किल के एसीपी राजेंद्र सिंह पठानिया और दक्षिणी जिले के डीसीपी रोमिल बानिया को भी घटना के बारे में जानकारी दे दी. डीसीपी रोमिल बानिया ने थानाप्रभारी दिलीप कुमार को तत्काल घटनास्थल पर जा कर मामले की तहकीकात करने के निर्देश दिए. जिस वक्त थानाप्रभारी दिलीप कुमार रोज फार्म पर पहुंचे, वहां से अधिकांश मेहमान जा चुके थे. घटनास्थल पर भी ऐसा कोई चिह्न नहीं था, जिस से पता चल सकता कि वहां कोई घटना हुई है.

डांस फ्लोर के फर्श से ऐसा लगता था कि उसे पानी डाल कर धो दिया गया था. एसीपी राजेंद्र पठानिया भी दलबल के साथ वहां पहुंच गए. जब उन्होंने फार्महाउस के दूसरे मालिक संजीव सिंह से घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि सब लोग हंसीखुशी डांस कर रहे थे. 12 बजे कुछ लोगों ने नया साल शुरू होने की खुशी में हवाई फायरिंग शुरू कर दी, जिस में से कोई गोली उन के दोस्त विकास गुप्ता की पत्नी अर्चना गुप्ता को लग गई.

गोली किस ने मारी, फायरिंग कौन कर रहे थे, इस के बारे में संजीव सिंह या वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने कोई जानकारी नहीं दी. जब उन से पूछा गया कि उन के विधायक भाई कहां हैं, तो संजीव सिंह ने बताया कि उन्हें कोई जरूरी काम था, इसलिए वे इस हादसे के कुछ देर बाद अपने ड्राइवर हरी सिंह को ले कर शहर से बाहर चले गए हैं.

थानाप्रभारी दिलीप कुमार और एसीपी पठानिया समझ गए कि ये बड़े लोगों की पार्टी है, इतनी आसानी से सच सामने नहीं आएगा. लिहाजा जब उन्होंने देखा कि फार्महाउस में अलगअलग जगह पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तो उन्होंने दिल्ली पुलिस के आईटी विभाग के साथ क्राइम व फोरैंसिंक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

सुबह होने तक पुलिस ने फार्महाउस में लगे सीसीटीवी कैमरों की सभी फुटेज अपने कब्जे में ले ली. इस के अलावा उन्होंने घटनास्थल की फोटो के अलावा सभी स्थानों से फिंगरप्रिंट उठवाए. फार्महाउस की तलाशी कराई गई, तो पुलिस भी हैरान रह गई.

पुलिस को फार्महाउस से 2 बंदूकें और 820 कारतूस मिले. इन में 750 कारतूस राइफल के और 70 कारतूस पिस्टल के थे. इस के अलावा घटनास्थल से 3-4 खाली कारतूस भी बरामद हुए. संजीव सिंह ने बताया पूर्व विधायक राजू सिंह को गोलियां चलाने का शौक है. उन्होंने इन सभी हथियारों के लाइसेंस बिहार से बनवाए थे.

फार्महाउस के मालिक संजीव सिंह ने बताया कि बरामद बंदूकें और कारतूसों के उन के पास लाइसेंस हैं, जिन्हें वह जल्द ही पुलिस को दिखा देंगे. पुलिस ने तब तक के लिए बंदूकें व कारतूस अपने कब्जे में ले लिए. इस के बाद पुलिस ने घटनास्थल पर मौजूद सभी लोगों के अलगअलग बयान लेने शुरू किए.

कानपुर में टप्पेबाज गिरोह