UP Crime : पिता के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखी पत्नी तो गुस्साए बेटे ने कर दिया कत्ल

UP Crime : ससुर के लिए बहू बेटी जैसी होनी चाहिए. लेकिन वंशलाल की नजरों में बहू विनीता कुछ और ही थी, तभी तो उस ने उस की इज्जत लूट ली. इस का खामियाजा वंशलाल को ऐसा भुगतना पड़ा कि…

सुबह के करीब 10 बज रहे थे. फतेहपुर जिले के बिंदकी थानाप्रभारी नंदलाल सिंह थाने में मौजूद थे. वह एक शातिर बदमाश को गिरफ्तार कर के लाए थे और उस से उस के अन्य साथियों के बारे में जानकारी हासिल कर रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया. वह बेहद घबराया हुआ था. थानाप्रभारी ने उस पर एक नजर डाली फिर पूछा, ‘‘क्या बात है तुम कुछ परेशान लग रहे हो?’’

‘‘सर, मेरा नाम अनिल कुमार है. मैं कमरापुर गांव में रहता हूं और आप के थाने में तैनात होमगार्ड वंशलाल का बेटा हूं. बीती रात किसी ने मेरे पिता की हत्या कर दी. उन की लाश घर में ही पड़ी है.’’

अनिल की बात सुन कर थानाप्रभारी चौंकते हुए बोले, ‘‘क्या कहा, वंशलाल की हत्या हो गई. कल शाम को ड्यूटी पूरी कर घर गया था. फिर किस ने उस की हत्या कर दी. खैर, मैं देखता हूं.’’

चूंकि थाने में तैनात होमगार्ड की हत्या का मामला था, अत: थानाप्रभारी ने होमगार्ड इस की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल शैलेंद्र कुमार, अखिलेश मौर्या तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को साथ लिया और जीप से घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. यह 17 मार्च, 2020 की बात है. कमरापुर गांव थाने से 8 किलोमीटर दूर बिंदकी अमौली रोड पर था. पुलिस को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. घटनास्थल पर पहुंच कर थानाप्रभारी निरीक्षण में जुट गए. वंशलाल की लाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर पड़ी थी. वह कच्छा बनियान पहने था. उस की होमगार्ड की वर्दी खूंटी पर टंगी थी. उस की हत्या शायद गला दबा कर की गई थी. उस की उम्र 55 साल के आसपास थी.

निरीक्षण के दौरान थानाप्रभारी नंदलाल सिंह की नजर मृतक के कच्छे पर पड़ी जो खून से तरबतर था. लग रहा था जैसे गुप्तांग से खून निकला था. शरीर पर अन्य किसी चोट का निशान नहीं था. पुलिस ने जांच की तो उस का गुप्तांग कुचला हुआ मिला. थानाप्रभारी को शक हुआ कि कही वंशलाल की हत्या नाजायज संबंधों के चलते तो नहीं हुई, किंतु उन्होंने अपना शक जाहिर नहीं किया. थानाप्रभारी नंदलाल सिंह अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसपी प्रशांत कुमार वर्मा, एएसपी चक्रेश मिश्रा तथा सीओ अभिषेक तिवारी भी वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर सबूत जुटाए.

डौग स्क्वायड टीम ने मौके पर डौग को छोड़ा. उस ने शव को सूंघ तख्त के 2 चक्कर लगाए, फिर भौंकते हुए गली की ओर बढ़ गया. 2 मकान छोड़ कर वह तीसरे मकान पर जा कर रुक गया और जोरजोर से भौंकने लगा. पर उस मकान में ताला लटक रहा था. पुलिस अधिकारियों ने उस मकान के बारे में पूछा तो मृतक के बड़े बेटे अनिल कुमार ने बताया कि इस मकान में उस का छोटा भाई मनीष कुमार अपनी पत्नी विनीता के साथ रहता है. बीती शाम मनीष घर पर ही था, पर रात में कहां चला गया, उसे पता नहीं है. अनिल की बात सुन कर पुलिस अधिकारियों को शक हुआ कि कहीं मनीष और विनीता ने मिल कर तो वंशलाल की हत्या नहीं कर दी. उन का फरार होना भी इसी ओर इशारा कर रहा था. पुलिस ने मनीष व विनीता की तलाश शुरू कर दी.

निरीक्षण के बाद घटनास्थल की काररवाई के बाद वंशलाल का शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया गया. इस के बाद पुलिस ने बरामदे में खूंटी पर टंगी मृतक की वर्दी की जामातलाशी कराई तो पैंट की जेब से एक छोटी डायरी तथा पर्स बरामद मिला. कमीज की जेब से एक मोबाइल फोन भी मिला. मोबाइल फोन खंगाला गया तो पता चला कि रात 9:24 बजे वंशलाल की एक नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी. जांच में वह नंबर मनीष की पत्नी विनीता का निकला. जांच के हर बिंदु पर जब मनीष और विनीता शक के दायरे में आए तो एसपी प्रशांत कुमार वर्मा ने उन्हें पकड़ने के लिए सीओ अभिषेक तिवारी के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया. इस टीम में थानाप्रभारी नंदलाल सिंह, एसआई शहंशाह हुसैन, कांस्टेबल अखिलेश मौर्या, शैलेंद्र कुमार तथा महिला सिपाही अंजना वर्मा को शामिल किया गया.

तलाश बहू और बेटे की टीम ने सब से पहले मृतक वंशलाल के बड़े बेटे अनिल कुमार, तथा उस की पत्नी रमा देवी के बयान दर्ज किए. अनिल कुमार ने अपने बयान में बताया कि पिताजी रंगीनमिजाज और शराब के आदी थे. मनीष की पत्नी विनीता ने अम्मा से उन की रंगीनमिजाजी की शिकायत भी की थी. इसी आदत की वजह से मनीष और विनीता अलग रहने लगे थे. संभव है कि उन की हत्या में उन दोनों का हाथ हो. पुलिस टीम ने मृतक वंशलाल के पड़ोस में रहने वाले कुछ खास लोगों से बात की तो पता चला कि वंशलाल दबंग किस्म का व्यक्ति था. वह होमगार्ड जरूर था, पर गांव के लोग उसे छोटा दरोगा कहते थे. गांव का कोई भी मामला थाने पहुंचता तो उस का निपटारा वंशलाल द्वारा ही होता था. मनीष जब घर से अलग हुआ था, तब ऐसी चर्चा फैली थी कि वंशलाल अपनी बहू पर गलत नजर रखता था, जिस से वह अलग रहने लगी थी.

पुलिस टीम ने मनीष और विनीता की तलाश तेज कर दी और विनीता के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर भी लगा दिया गया. इस के अलावा पुलिस ने अपने खास मुखबिरों को भी उन की टोह में लगा दिया. विनीता का मायका नगरा गांव में था. उस की लोकेशन भी वहीं की मिल रही थी. अत: पुलिस टीम ने आधी रात को विनीता के पिता विजय पाल के घर छापा मारा, लेकिन मनीष और विनीता पुलिस के हाथ नहीं लगे. 20 मार्च, 2020 को पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर फरीदपुर मोड़ से मनीष और उस की पत्नी विनीता को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उन दोनों से वंशलाल पाल की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछताछ की गई तो वे दोनों टूट गए और वंशलाल की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने वंशलाल पाल उर्फ बैजनाथ पाल की हत्या का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो सीओ अभिषेक तिवारी कोतवाली बिंदकी आ गए. उन्होंने कातिल मनीष कुमार तथा उस की पत्नी विनीता से विस्तृत पूछताछ की. अभियुक्तों के गिरफ्तार होने की जानकारी मिली तो सीओ अभिषेक तिवारी भी कोतवाली बिंदकी पहुंच गए और अभियुक्तों से विस्तृत पूछताछ की. फिर आननफानन प्रैसवार्ता की. उन्होंने आरोपियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा किया. चूंकि हत्यारोपी मनीष कुमार तथा विनीता ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए थानाप्रभारी नंदलाल सिंह ने मृतक के बड़े बेटे को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत मनीष और विनीता के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और उन्हेें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस जांच में एक ऐसी बहू की कहानी सामने आई, जिस ने पति के साथ मिल कर कामी ससुर को ठिकाने लगाने की गहरी साजिश रची. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के बिंदकी थाना क्षेत्र में एक गांव है नगरा. इसी गांव में विजय पाल अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी पूनम के अलावा 2 बेटे राजन, अजय तथा 2 बेटियां अनीता व विनीता थीं. विजय पाल के पास मात्र 2 बीघा उपजाऊ भूमि थी. इस की उपज से उस के परिवार का भरणपोषण मुश्किल था. अत: वह दूध का व्यवसाय भी करने लगा. इस काम में उस के दोनों बेटे भी सहयोग करते थे. छोटी बेटी विनीता 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर की थी. हाईस्कूल पास करने के बाद वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी, लेकिन मातापिता दूरदराज कस्बे में पढ़ाने को राजी न थे, इसलिए उसे पढ़ाई छोड़नी पड़ी.

जब विनीता सयानी हो गई तो उस की शादी कमरापुर गांव के मनीष से कर दी गई. मनीष का पिता वंशलाल उर्फ बैजनाथ पाल बिंदकी थाने में होमगार्ड था. उस के परिवार में पत्नी माया देवी के अलावा 2 बेटे अनिल कुमार, मनीष कुमार तथा एक बेटी रूपाली थी. वंशलाल पाल की आर्थिक स्थिति अच्छी थी. गांव में उस के 2 मकान तथा 2 एकड़ खेती की जमीन थी. 2015 में वंशलाल ने छोटे बेटे मनीष की शादी नगरा गांव की विनीता से कर दी. कुछ ही दिनों में विनीता ने अपने काम और व्यवहार से अपने पति, सासससुर को प्रभावित किया. विनीता का पति व जेठ सबेरा होते ही खेत पर चले जाते थे, जबकि ससुर वंशलाल ड्यूटी करने थाना बिंदकी जाता था. वह शाम को 7 बजे के बाद ही लौटता था. कभी वह शराब पी कर घर आता तो कभी घर पर बैठ कर पीता था.

विनीता को शराब से नफरत थी, पर वह मना भी नहीं कर सकती थी. वैसे भी पूरे घर पर ससुर का ही राज था. उस की इजाजत के बिना कोई कुछ काम नहीं कर सकता था. कृषि उपज का हिसाबकिताब तथा अन्य खर्चों का लेखाजोखा भी वही रखता था. अगर विनीता को जेब खर्च के लिए पैसे की जरूरत होती थी, तो वह भी ससुर से ही मांगती थी. बात उन दिनों की है, जब विनीता की जेठानी रमा मायके गई हुई थी. घर की साफसफाई से ले कर खाना पकाने तक की जिम्मेदारी विनीता पर थी. इधर कुछ दिनों से विनीता घूंघट के भीतर से ही अनुभव कर रही थी कि ससुर वंशलाल जब खाना खाने बैठता है, तो उस की नजर उस के चेहरे पर ही जमी रहती है.

वह उस के खाना पकाने की तारीफ करता, साथ ही ललचाई नजरों से उसे देखता भी था. विनीता समझ नहीं पा रही थी कि आखिर ससुरजी के मन में चल क्या रहा है. उन्हीं दिनों एक शाम विनीता रसोई में खाना पका रही थी कि ससुर वंशलाल आ पहुंचा. वह नशे में था. ससुर को देख कर विनीता ने सिर पर साड़ी का पल्लू डाल लिया और पूर्ववत अपने काम में लगी रही. औपचारिकता के नाते उस ने पूछा, ‘‘बाबूजी, आप को किसी चीज की जरूरत है क्या?’’

‘‘विनीता, बहुत अच्छी खुशबू आ रही है.’’ पीछे से वंशलाल ने विनीता के कंधे पर हाथ रखा और उसे धीमेधीमे दबाते हुए बोला, ‘‘खुशबू से भूख जाग गई है.’’

ससुर के इस व्यवहार से विनीता सकपका गई. पिता समान कोई ससुर ऐसे मस्ताने अंदाज में बहू का कंधा नहीं दबाता. विनीता के मन में यह खयाल भी सिर पटकने लगा कि ससुर का इशारा किस खुशबू की तरफ है, भोजन की खुशबू या उस के बदन की खुशबू. उस को कौन सी भूख जागी है, पेट की या कामनाओं की. विनीता असहज हो चली थी वह अपने कंधे से उस का हाथ हटाना ही चाह रही थी कि वंशलाल ने खुद ही हाथ हटा लिया और एकदम से उस के सामने आ कर बोला, ‘‘बहू, जिन हाथों से तुम लजीज और खुशबूदार खाना बनाती हो, जी चाहता है उन हाथों को चूम लूं.’’

इसी के साथ वंशलाल ने उस का हाथ पकड़ लिया और उसे होंठोें से लगा कर दनादन चूमने लगा. विनीता हतप्रभ रह गई कि ससुर यह क्या कर रहा है. कहीं उस के मन में सचमुच पाप तो नहीं. विनीता के मस्तिष्क में विचारों की उथलपुथल चल ही रही थी कि वंशलाल ने खुद ही उस का हाथ छोड़ दिया. उस के बाद वह हंस कर बोला, ‘‘किसी दिन मैं फिर तुम्हारे हाथ के साथ होंठ भी चूमूंगा.’’

विनीता ने सोच लिया कि सब लोग इत्मीनान से खाना खा लेंगे तो वह सास माया को ससुर की करतूत बताएगी. लेकिन उस की यह इच्छा तब अधूरी रह गई, जब सास खाना खा कर चारपाई पर लेटी और थोड़ी ही देर में गहरी नींद के आगोश में समा गई. सास की नसीहत अगले दिन जब पति, जेठ व ससुर अपनेअपने काम पर चले गए, तब विनीता सास के पास जा बैठी, ‘‘अम्मा मुझे आप से एक जरूरी बात करनी है.’’

माया देवी हंसी, ‘‘एक नहीं चार बात करो बहू. मैं तो यही चाहती हूं कि तुम खूब बात करो. तुम्हारा मन बहल जाएगा और मेरा भी समय कट जाएगा.’’

‘‘अम्मा, मन बहलाने व समय काटने वाला मुद्दा नहीं है,’’ विनीता आहिस्ता से बोली, ‘‘मुझे जो कहना है, वह बात बहुत गंभीर है.’’

माया देवी भी संजीदा हो गई, ‘‘बोलो बहू, क्या बात है?’’

विनीता ने सिर झुका कर मर्यादित शब्दों में ससुर की करतूत कह डाली.

माया देवी ने पैनी निगाहों से बहू को देखा फिर बोली, ‘‘मनीष के बाबू ने नशे में कंधे पर हाथ धर दिया होगा और हाथ चूम लिया होगा. बस इतनी सी बात पर तुम शिकायत ले कर आ गई.’’

‘‘अम्मा…’’ विनीता के मुंह से घुटीघुटी सी चीख निकल गई, ‘‘मेरा खयाल था कि इस शिकायत से आप बाबूजी को मर्यादा का पाठ पढ़ाओगी, लेकिन आप तो उन्हें शह दे रही हो.’’

‘‘चुपऽऽ’’ माया देवी ने विनीता को डांट दिया, ‘‘एक तो जिस के पैसे का खातीपहनती है, जिस के घर में रहती है, सुबहसुबह उस की बुराई करने बैठ गई और दूसरे अम्माअम्मा किए जा रही है. उठ यहां से और अपना काम कर.’’ माया देवी ने विनीता को हड़काया. आंखों में आंसू लिए विनीता, सास के पास से उठ गई. उस की आंखें ही नहीं बरस रही थीं, दिल भी रो रहा था. सास की उदासीनता ने विनीता की घबराहट और बढ़ा दी थी. वह सोचने लगी अपनी अस्मत की हिफाजत के लिए उसे खुद ही कुछ करना होगा. लगभग एक सप्ताह तक ससुर ने कोई हरकत नहीं की तो विनीता थोड़ा निश्चिंत हो गई. सोचा कि शायद उसे कोई गलतफहमी हो गई हो. ससुर के मन में पाप नहीं है. पाप होता तो चुप हो कर नहीं बैठता.

किंतु दूसरे सप्ताह के शुरू में ही विनीता की गलतफहमी दूर हो गई. हुआ यह कि रोज की तरह विनीता शाम को खाना पका चुकी तो वह अपने कमरे में आ कर बैड पर लेट गई. वह आंखें बंद किए हुए लेटी थी, तभी उसे किसी के आने की आहट हुई. विनीता ने झट से आंखें खोल दीं, देखा सामने ससुर वंशलाल खड़ा मुसकरा रहा था. ससुर को देख कर विनीता घबरा गई और बैड से उठ कर खड़ी हो गई. उस ने सिर पर साड़ी का पल्लू डालते हुए पूछा,  ‘‘बाबूजी खाना लगा दूं क्या?’’

‘‘नहीं, मुझे पेट की नहीं शरीर की भूख सता रही है. आज मैं इस भूख को शांत करूंगा.’’ कहते हुए वंशलाल ने विनीता को अपनी बांहों में भर लिया. इज्जत पर आए संकट को देख विनीता ने जोर लगा कर खुद को छुड़ाया और बोली, ‘‘बाबूजी, आप नशे में हैं, इसलिए समझ नहीं पा रहे हैं कि आप को मुझ से ऐसी शर्मनाक बात नहीं करनी चाहिए.’’

वंशलाल के चेहरे पर कुटिल मुसकान फैल गई, ‘‘विनीता, नशे में ही आदमी सच बोलता है.’’

विनीता जानती थी कि ससुर वंशलाल अपनी बेशर्मी से बाज नहीं आने वाला, लिहाजा उस ने उस के सामने से हट जाने में ही अपनी भलाई समझी. कन्नी काट कर वह दूसरे कमरे में जा पहुंची. वहां वह सोचने लगी कि अब इस पूरे मामले को पति की जानकारी में लाना जरूरी हो गया है. वरना ससुर का हौसला इसी तरह बढ़ता रहा, तो वह उस की काया ही नहीं, आत्मा तक को मैली कर देगा. पति को बता दी पूरी कहानी  रात को कमरा बंद कर के विनीता पति के साथ बिस्तर पर लेटी तो वह उदास थी. मनीष ने उदासी का कारण पूछा तो विनीता की आंखों से गंगाजमुना बह निकली. हिचकियां लेते हुए उस ने पूरी दास्तान सुना दी फिर मनीष के कंधे पर सिर टिका कर बोली, ‘‘बाबूजी के मन में पाप समाया है. मेरी इज्जत खतरे में है. यहां रही तो मेरे तन पर अमिट दाग लग जाएगा. तुम दूसरा मकान ले लो. अब हम अलग रहेंगे.’’

मनीष ने कंधे से विनीता का सिर हटा कर उस के आंसू पोंछे, ‘‘अब मेरी समझ में आया कि नशे की झोंक में बाबूजी तुम्हारी इतनी तारीफ क्यों किया करते थे, उन का मन डोला हुआ था तुम पर.’’

‘‘इसीलिए तो मैं तुम से कह रही हूं,’’ विनीता उत्साहित हो कर बोली, ‘‘बाबूजी मेरी इज्जत पर हाथ डालें, उस से पहले ही तुम अपनी घरगृहस्थी अलग कर लो.’’ वह बोली.

मनीष कुछ देर सोचता रहा फिर बोला, ‘‘बात तो तुम सही कह रही हो, पर तुम्हें ले कर मैं अलग हुआ नहीं कि बाबूजी मुझे परिवार से अलग कर देंगे. तब हम खाएंगे क्या.’’

‘‘लालच छोड़ो और मेरी इज्जत के बारे में सोचो. हम मेहनतमजदूरी कर गुजारा कर लेंगे. भूखा भी रहना पड़ा तो रह लेंगे. पर इज्जत बचाने को घरगृहस्थी अलग कर लो.’’

पत्नी की बात मान कर मनीष ने अपनी गृहस्थी अलग करने की बात कही तो वंशलाल भड़क उठा, ‘‘बेशक तुम अलग रहो. पर मैं अपनी जमीन का एक इंच भी जोतनेबोने को नहीं दूंगा. तुम्हें खुद कमानाखाना पड़ेगा.’’

मनीष को पहले से यही उम्मीद थी. अत: उस ने पिता की धमकी की परवाह नहीं की और पिता के खाली पड़े मकान में अलग रहने लगा. उसे दहेज में जो सामान मिला था, उस से उस ने अपना घर सजा लिया और पत्नी के साथ रहने लगा. जेठानी रमा को देवरानी का अलग होना खलने लगा. क्योंकि अब उसे ही घर के कामों के अलावा सास की सेवा करनी पड़ती थी. सास मायादेवी बीमार रहने लगी थी, जिस से उन की दवा आदि का विशेष खयाल रखना पड़ता था. विनीता को भी जब समय मिलता था, तो सास की सेवा में पहुंच जाती थी . इस बहाने देवरानीजेठानी बतिया लेती थी. रामादेवी उसे चोरीछिपे घरगृहस्थी का सामान भी दे देती थी.

वंशलाल बना हैवान विनीता की मुश्किल तब बढ़ी जब मनीष जनवरी, 2019 में बीमार पड़ गया और उस का काम भी छूट गया. उस ने कुछ सप्ताह तो जैसेतैसे काटे और पति का इलाज भी कराया लेकिन जब आर्थिक परेशानी ज्यादा बढ़ी तो एक रोज उस ने ससुर वंशलाल को घर बुलाया और आर्थिक मदद की गुहार लगाई. विनीता पर वंशलाल की गिद्ध दृष्टि पहले से ही थी. अत: लालच में उस ने विनीता की आर्थिक मदद कर दी. इलाज होने पर मनीष स्वस्थ हो गया और फिर से काम करने लगा.

वंशलाल हर हाल में बहू के जिस्म को हासिल करना चाहता था. अत: मदद के बहाने वह विनीता के घर आनेजाने लगा. ससुर होने के नाते विनीता कभी चाय को पूछ लेती तो कभी खाने को. विनीता घूंघट की ओट से ही ससुर से बातें करती थी और चायपानी देती थी. इस बीच वंशलाल किसी प्रकार की अश्लील हरकत नहीं करता था, जिस से विनीता को लगने लगा था कि शायद वह सुधर गया है, पर यह उस की भूल थी. एक शाम वंशलाल डयूटी से घर आया तो उसे पता चला कि उस का बेटा अपनी ससुराल नगरा गया है. यह पता चलते ही उस के जिस्म की भूख जाग उठी. उस ने मन ही मन निश्चय किया कि आज वह अपनी भूख मिटा कर ही रहेगा.

रात 10 बजे जब गली में सन्नाटा पसर गया तो वह विनीता के घर पहुंचा और कुंडी खटखटाई. विनीता ने सोचा कि कहीं मनीष तो नहीं लौट आया. उस ने अलसाई आंखों से दरवाजा खोल दिया. सामने ससुर वंशलाल खड़ा था. इस से पहले कि विनीता कुछ पूछती, ससुर ने अंदर आ कर दरवाजा बंद किया और बहू विनीता को दबोच लिया. फिर वह उसे बिस्तर पर ले गया और मनमानी करने लगा. विनीता ने ससुर की बांहों से छूटने का भरसक प्रयास किया, गिड़गिड़ाई, इज्जत की दुहाई दी, पर वंशलाल पर तो हवस का शैतान सवार था. हाथपांव चलाने के बावजूद उस ने विनीता को नहीं छोड़ा. शारीरिक भूख मिटाने के बाद ही वह विनीता के जिस्म से अलग हुआ. इस के बाद वह वापस चला गया.

विनीता चाहती तो चीखचिल्ला कर पूरे मोहल्ले को इकट्ठा कर लेती. पर उस ने ऐसा कुछ नहीं किया. इस की वजह यह थी कि लोग उसे ही दोषी ठहराते. पुलिस में जाती तो उस की कोई नहीं सुनता. क्योंकि वह बिंदकी थाने में ही ड्यूटी करता था. बाहर भी उस की सुनवाई नहीं होती. इसलिए इज्जत लुटाने के बावजूद वह चुप रही. दूसरे रोज पति आया तो उस ने उसे भी कुछ नहीं बताया. क्योंकि बताने से बापबेटे में द्वंद होता फिर पूरे गांव में इज्जत नीलाम होती. इसलिए सारा जहर विनीता स्वयं ही पी गई. इधर जब घर में कोई शोरशराबा या शिकवाशिकायत नहीं हुई तो वंशलाल का हौसला बढ़ गया. उसे लगा कि विनीता ने दिखावे के तौर पर विरोध किया, पर अंतर्मन से उस की भी रजामंदी है.

हौसला बढ़ते ही एक शाम वंशलाल, विनीता के घर आ पहुंचा. उस ने मदद के नाम पर विनीता की हथेली पर हजार रुपए रखे, फिर उसे बिस्तर पर ले गया और हवस मिटा कर चला गया. इस के बाद तो यह सिलसिला ही बन गया. वंशलाल को जब भी मौका मिलता, बहू के साथ खेल लेता. परंतु गलत काम ज्यादा दिन छिपा नहीं रहता. वंशलाल के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस शाम वंशलाल बहू से मुंह काला कर के घर से निकल रहा था, तभी मनीष आ गया. मनीष ने बाप को घर से निकलते देखा तो उस का माथा ठनका. वह अंदर पहुंचा तो विनीता अर्धनग्न अवस्था में बिस्तर पर बैठी सुबक रही थी.

विनीता को उस अवस्था में देख कर मनीष समझ गया कि चंद मिनट पहले ही ससुरबहू ने वासना का खेल खेला है. अत: उस ने गुस्से में विनीता की पिटाई की फिर उस का गला दबाते हुए बोला, ‘‘बता यह सब कब से चल रहा है?’’

विनीता ने किसी तरह अपना बचाव किया फिर बोली, ‘‘मेरा गला क्यों दबा रहे हो. दबाना ही है तो अपने बाप का दबाओ, जो मुझे जबरदस्ती हवस का शिकार बनाता है. मैं गिड़गिड़ाती रहती, पर हवस के उस दरिंदे को जरा भी दया नहीं आती.’’

मनीष ने रची बाप की हत्या की साजिश मनीष ने पत्नी की बात पर सहज भरोसा कर लिया. फिर गुस्से से बोला, ‘‘अगर ऐसी बात है तो बाप को सबक सिखाना ही पड़ेगा. पर इस के लिए मुझे तुम्हारा साथ चाहिए.’’

‘‘मैं साथ देने को तैयार हूं,’’  विनीता ने वादा किया.

इस के बाद मनीष और विनीता ने वंशलाल की हत्या की योजना बनाई और समय का इंतजार करने लगे. 16 मार्च, 2020 की शाम 7 बजे होमगार्ड वंशलाल थाना बिंदकी से ड्यूटी पूरी कर घर लौटा. फिर शराब पीने बैठ गया. रात 9 बजे उस ने खाना खाया और घर के बाहर बरामदे में आ कर वर्दी उतार कर खूंटी पर टांग दी और तख्त पर लेट गया. उसे लेटे हुए अभी चंद मिनट ही बीते थे कि उस के मोबाइल पर काल आई. उस ने मोबाइल नंबर देखा तो विनीता का था. वंशलाल ने काल रिसीव की तो विनीता बोली, ‘‘बाबूजी, मनीष घर पर नहीं है. मैं घर पर अकेली हूं. डर लग रहा है. आप आ जाइए.’’

वंशलाल बहू की चाल को समझ नहीं पाया और बोला, ‘‘तुम डरो मत, मै तुरंत आ रहा हूं.’’

इस के बाद वह कच्छाबनियान पहने ही विनीता के घर पहुंच गया. घर पर मनीष घात लगाए बैठा ही था. वंशलाल के पहुंचते ही उस ने उसे दबोच लिया. पहले दोनों ने वंशलाल कोे लातघूंसों से पीटा, फिर अंगौछे से गला कस कर मार डाला. इस बीच नफरत से भरी विनीता ने फुंकनी से ससुर के गुप्तांग पर चोट पहुंचाई और बुरी तरह कुचल डाला, जिस से खून बहने लगा. हत्या करने के बाद दोनों मिल कर शव को तख्त पर डाल गए फिर घर में ताला लगा कर फरार हो गए. सुबह अनिल जब दिशामैदान को घर से निकला तो उस ने पिता का शव तख्त पर पड़ा देखा. अनिल ने शोर मचाया तो पड़ोसी आ गए. फिर अनिल थाना बिंदकी पहुंचा और बाप की हत्या की सूचना दी.

मनीष और उस की पत्नी विनीता से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 21 मार्च, 2020 को दोनों को फतेहपुर कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रेट बी.के. सहगल की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधा

Social Crime : लेस्बियन पत्नी की अनोखी जिद

Social Crime : एक बेटी की मां स्वाति को अपनी सहेली ज्योति से ऐसा प्यार हुआ कि वह अपने पति राजकुमार की भी उपेक्षा करने लगी. फिर एक दिन यह लेस्बियन रिश्ता उस के परिवार पर इतना भारी पड़ा कि…

समलैंगिकता की इस कहानी को पढऩे से पहले हमें समलैंगिक संबंधों को जानना जरूरी है. समान लिंग के लोगों के बीच रोमांटिक या यौन संबंध को समलैंगिक संबंध कहते हैं. यह एक समान लिंग के प्रति यौन आकर्षण या रूमानी पे्रम को दर्शाता है. समलैंगिकता की कहानी आज की कोई नई बात नहीं. बल्कि यह सदियों से चली आ रही है. समलैंगिक शादियां करना दूसरी और तीसरी सदी में आम बात थी. लेकिन पहले भी समाज में इस तरह की शादी वर्जित थी, जिस का आज भी समाज में चारों तरफ विरोध होता है.

एक ऐसी ही लेस्बियन प्रेम कहानी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के थाना शीशगढ़ के गांव बंजरिया में सामने आई. 2 सहेलियों ने एकदूसरे से प्यार करते हुए एक मंदिर में शादी भी रचा ली. लेकिन उन का यह रिश्ता समाज और परिवार ने स्वीकार नहीं किया. बरेली के थाना क्षेत्र बंजरिया गांव निवासी राजकुमार की शादी अब से लगभग 9 साल पहले स्वाति के साथ हुई थी. राजकुमार एक किसान का बेटा था. वह गांव में रह कर ही खेतीबाड़ी करता था. हालांकि राजकुमार पढ़ालिखा था, उसी कारण शादी से पहले उस की उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई थी.

स्वाति देखनेभालने में जितनी सुंदर और सौम्य थी, उस से कहीं ज्यादा फैशनेबल थी. उस में महत्त्वाकांक्षा कूटकूट कर भरी थी. स्वाति को शुरू से ही सिलाईकढ़ाई का शौक था. उसी शौक के चलते उस ने सिलाई और कढ़ाई को अपना करिअर चुना था. राजकुमार से शादी करने के बाद भी उस ने अपना वही काम चुना और अपने घर पर ही सिलाई की एक दुकान खोल ली थी. कुछ दिन बाद उस का सिलाई का काम ठीकठाक चल भी निकला था. स्वाति के एक ही बेटी थी, जिसे स्कूल भेजने के बाद वह अपने सिलाई के काम में लग जाती थी. उस का पति राजकुमार बाहर रह कर नौकरी करता था.

उसी दौरान उस की मुलाकात गांव की एक युवती ज्योति से हुई. ज्योति उस के पास अपना सूट सिलवाने के लिए आई थी. ज्योति को भी सिलाई के काम में रुचि थी. उस के सामने मजबूरी थी कि उस के परिवार वाले उसे सिलाई का काम सिखाने के लिए शहर नहीं भेजना चाहते थे. ज्योति ने स्वाति से मिल कर सिलाई सीखने की इच्छा जाहिर की. उस की इच्छानुसार स्वाति उसे सिलाई का काम सिखाने के लिए राजी हो गई. यह बात लगभग डेढ़ साल पहले की है. ज्योति तब से ही स्वाति के पास सिलाई का काम सीखने आ रही थी.

स्वाति और ज्योति कैसे बनीं लेस्बियन

स्वाति और ज्योति जैसे ही संपर्क में आईं तो पता चला कि दोनों की आदतें, विचार और शौक बिलकुल एक जैसे हैं. जिस के कारण जल्दी ही दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. दोनों पूरे दिन मेहनत से काम करतीं, जिस के चलते उन्हें दिन गुजरने का आभास तक भी नहीं होता था. स्वाति का पति राजकुमार बाहर रह कर ही नौकरी करता था. यानी उस के परिवार वाले उस से अलग रहते थे. वह अपनी बच्ची के साथ घर में अकेली ही रहती थी. ज्योति के आ जाने से स्वाति की बोरियत भी खत्म हो गई थी. ज्योति के साथ स्वाति की घनिष्ठता हो जाने के बाद उस की दोस्ती धीरेधीरे प्यार में बदल गई.

उसी दौरान एक दिन ज्योति की नजर स्वाति के शरीर पर पड़ी. उस दिन स्वाति नहाने के लिए बाथरूम में गई तो वह तौलिया ले जाना भूल गई थी. जब वह स्नान कर चुकी तो उसे तौलिया का ध्यान आया. तब उस ने ज्योति से तौलिया पकड़ाने के लिए कहा. उस दौरान जैसे ही ज्योति की नजर उस के नग्न शरीर पर पड़ी तो उसे देखते ही उस के शरीर में अजीब सी सिहरन पैदा हो गई. स्वाति का खिंचा तना तन देख कर ज्योति देखती ही रह गई.

”भाभी, तुम्हारा शरीर इतनी उम्र में भी इतना खिंचातना है. क्या बात है?’’ ज्योति ने स्वाति की तारीफ की.

”अब तू अपना काम भी कर. क्या मेरे शरीर को नजर लगाएगी.’’ स्वाति ने हंसते हुऐ कहा.

उस दिन के बाद ज्योति स्वाति के शरीर की दीवानी हो चुकी थी. उस के बाद जब कभी भी वह उस के बारे में सोचती तो वह सपनों की दुनिया में खो जाती थी. ज्योति को प्राकृतिक सौंदर्य से बहुत लगाव था. वही प्राकृतिक सौंदर्य उस ने स्वाति के शरीर में देखा तो वह उस के पीछे पागल हो गई.

कभीकभी स्वाति के पास काम ज्यादा होता तो वह ज्योति को रात में ही अपनी घर पर रोक लेती थी. उस के सहयोग से वह अपना काम निपटा लेती थी. रात में काम खत्म करने के दौरान स्वाति उसे अपने साथ ही बैड पर सुला लेती थी. उसी सोने के दौरान कई बार स्वाति करवटें बदल कर ज्योति की ओर मुंह करके उस के शरीर की कोली भर लेती, जिस से ज्योति को बहुत अच्छा लगता था. ज्योति पहले ही इन पलों का इंतजार कर रही थी. उस के बाद ज्योति जानबूझ कर स्वाति के गहरी नींद में सोते ही उस के शरीर पर अपने हाथों का स्पर्श शुरू कर देती थी. जिस के कारण स्वाति के शरीर में भी अजीब सी सिहरन पैदा होने लगी थी.

ज्योति ने स्वाति के शरीर के साथ छेड़छाड़ शुरू की तो उस के अंदर एक काम वासना जागृत हो उठी थी. ज्योति पहले से ही उस की देह की दीवानी हो चुकी थी. रात की खामोश फिजाओं में 2 बदन टकराने लगे तो जल्दी ही दोनों के बीच समलैंगिक संबंध स्थापित हो गए. दोनों के बीच समलैंगिक संबंध स्थापित होते ही दोनों एकदूसरे की दीवानी हो चुकी थीं. ज्योति और स्वाति आए दिन एकदूसरे के शरीर के साथ खेलतेखेलते कामवासना की चरम सीमा को पार करने लगी थीं.

कुछ ही दिनों के बाद ज्योति और स्वाति रिलेशनशिप में रहने लगीं. उस दौरान स्वाति के घर में ज्योति और उस की बेटी ही उस के साथ रहती थी. उस की बेटी छोटी थी. उसे दुनियादारी की समझ भी नहीं थी. स्वाति उसे रात में जल्दी खाना खिलापिला कर सुला देती थी. उस के बाद ज्योति और स्वाति दोनों टीवी पर अश्लील फिल्में देखतीं और जब उन की कामवासना उग्र रूप ले लेती तो दोनों ही निर्वस्त्र हो कर एकदूसरे के शरीर के साथ अश्लीलता का खेल खेलते हुए काम पिपासा शांत करने लगी थीं. यह सिलसिला दोनों के बीच गुप्तरूप से बिना रोकटोक के काफी समय तक चलता रहा.

ज्योति के संपर्क में आने के बाद स्वाति अपने पति राजकुमार को भी पहले जैसा प्यार नहीं दे पाती थी. उस के बाद जब कभी भी राजकुमार छुट्टी पर घर आता तो वह स्वाति के बदले व्यवहार को देख कर परेशान रहने लगा था. उस को ले कर कई बार शंकित भी हो उठता. कहीं स्वाति किसी गैरमर्द के जाल में तो नहीं फंस गई. यही सोच कर उस ने कई बार चोरीछिपे उस का मोबाइल भी चैक किया. लेकिन उस के मोबाइल में किसी भी युवक का कोई नंबर उसे नजर नहीं आया, जिस से वह उस के पीछे उस से बात करती हो. उस के मोबाइल पर ज्योति का ही एक ऐसा नंबर था, जिस पर वह दिन में कईकई बार बात करती थी. जिस पर राजकुमार का शक करने का कोई औचित्य ही नहीं था. लेकिन फिर भी उस के प्रति उस का प्यार कम होता जा रहा था.

पत्नी की किस बात पर राजकुमार हुआ सीरियस

 

स्वाति और ज्योति अपना काम खत्म करने के बाद काफी समय फेसबुक देखने में बिताने लगी थीं. फेसबुक पर रील देखने के दौरान उन्होंने कई ऐसी युवतियों को देखा, जो रील बनातेबनाते कुछ समय में अमीर बन गई थीं. मन में यह विचार आते ही एक दिन स्वाति ने ज्योति के साथ सेल्फी ले कर फेसबुक पर पोस्ट कर दी. पोस्ट पर लिख दिया, ‘तेरी मेरी यारी किस पर पड़ेगी भारी.’ ज्योति और स्वाति दोनों ही देखनेभालने में सुंदर और हसीन थीं. उन की इस पोस्ट पर लोगों ने तरहतरह के कमेंट्स डाले. जिन को देख कर ज्योति और स्वाति को विश्वास हो गया कि अगर वह भी अपनी रील बना कर फेसबुक पर पोस्ट करें तो वे जल्दी ही अपने मुकाम को हासिल कर लेंगी. उस के बाद दोनों ने फेसबुक पर पोस्ट डालनी शुरू कर दी थी.

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पैर जमाते ही ज्योति और स्वाति ने सिलाई का काम भी कम कर दिया था. उस के बाद दोनों घर से सजसंवर कर निकलतीं और अलगअलग जगहों पर जा कर वीडियो बनाने लगी थीं. जिस के बाद दोनों साथ में काम करते हुए हर वक्त ही एकदूसरे के साथ रहती थीं, जिस से स्वाति का अपनी प्रेमिका ज्योति के प्रति लगाव इतना बढ़ गया था कि उस ने घर और परिवार की सारी जिम्मेदारियों से किनारा कर लिया था.

शुरूशुरू में राजकुमार को भी लगा कि दोनों सहेलियां जो भी मिल कर एक साथ काम कर रही हैं, सही है. राजकुमार भी फेसबुक की आए दिन पढऩे वाली रीलों को देखने का आदी था. इस के माध्यम से उस ने अनेक इंसानों की जिंदगी बदलते देखी थी. लेकिन ज्योति के साथ स्वाति की नजदीकियां बढ़ते देख राजकुमार भी परेशान रहने लगा था. लेकिन उन दोनों के बीच क्या चल रहा है, वह उस से पूरी तरह से अंजान था. एक दिन जैसे ही स्वाति घर वापस आई तो राजकुमार ने कहा, ”स्वाति, इस तरह से घर कैसे चलेगा? तुम सारे दिन ज्योति के साथ घर के बाहर व्यस्त रहती हो. घरपरिवार की चिंता तुम ने बिलकुल ही छोड़ दी है.’’

”घर चलाने का मैं ने ही ठेका नहीं ले रखा. जैसे तुम्हें चलाना है, चलाओ. अगर तुम से नहीं चल रहा तो अपनी दूसरी शादी कर लो. मुझे ज्योति के साथ ही रहना है. वही मेरी सब कुछ है.’’ स्वाति ने राजकुमार पर एक ही बार में सारा गुस्सा उतार दिया. जब राजकुमार को लगने लगा कि ज्योति की वजह से उस की बसीबसाई गृहस्थी उजडऩे जा रही है तो उस ने ज्योति को अपने घर पर आने से साफ मना कर दिया. इस बात पर स्वाति आपे से बाहर हो गई, ”कान खोल कर सुन लो, आज के बाद ज्योति को कुछ कहने की जरूरत नहीं. उस के और मेरे बीच पतिपत्नी का रिश्ता है. हम दोनों ने मंदिर में शादी भी कर ली है. अगर तुम चाहो तो अपनी दूसरी शादी कर लो.

मेरी तरफ से तुम्हें पूरी छूट है. लेकिन मैं अपनी गर्लफ्रेंड के बिना नहीं रह सकती. मैं रहूंगी भी इसी घर में, लेकिन तुम्हारी इस बेटी की जिम्मेदारी नहीं संभालूंगी.’’ स्वाति ने एक ही सांस में बोल दिया. स्वाति के बदले तेवर देख कर राजकुमार को दिन में तारे नजर आ गए थे. उस दिन राजकुमार को पहली बार अहसास हुआ कि उस के घर में जो भी आग लग रही है, उस की जिम्मेदार उस की सहेली ज्योति ही है. यह सब जानने के बाद भी उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे.

उस दिन के बाद यह बात पूरे गांव में चर्चा का विषय बन गई. यह बात ज्योति के फेमिली वालों के सामने भी जा पहुंची थी, लेकिन वह उन की बातों पर बिलकुल भी विश्वास करने को तैयार नहीं थे. स्वाति की हरकतों को देख राजकुमार को लगने लगा था कि वह किसी मानसिक बीमारी की शिकार होती जा रही है. इस बात की जानकारी उस ने स्वाति के फेमिली वालों के सामने भी रखी.

अपनी बेटी के कारनामों को सुन उस के पापा जानकीदास ने उसे समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह उन की भी एक बात मानने को तैयार न थी. उस के बाद वह उसे अपने साथ अपने गांव भी ले गए. लेकिन स्वाति ने वहां से भी भागने की कोशिश की. तब उस के पापा ने घर में अंदर से ताला बंद कर दिया, ताकि वह किसी भी कीमत पर घर से बाहर न निकले. फिर भी उस ने घर की छत से कूद कर भागने की कोशिश की. जिस के कारण वह बुरी तरह से घायल भी हो गई थी. बाद में उस के मायके वालों ने उस का उपचार कराया और फिर से उसे उस की ससुराल छोड़ दिया था. स्वाति के ससुराल आते ही फिर से उस की दिनचर्या पहले की तरह शुरू हो गई.

पारिवारिक रिश्तों पर समलैंगिक संबंध कैसे पड़े भारी

स्वाति के इस रवैए से राजकुमार बुरी तरह से तंग आ चुका था. उस के बाद वह अपनी नौकरी पर चला गया. लेकिन इस वक्त दोनों सहेलियों को ले कर समाज व परिवार में उन के प्रति विरोध बढ़ता ही जा रहा था. जिस के कारण स्वाति तनाव में रहने लगी थी. हालांकि स्वाति की बेटी केवल 8 साल की थी, फिर भी उस ने अपनी मम्मी को काफी समझाने की कोशिश की. लेकिन बाद में स्वाति उस के साथ भी मारपीट करने लगी थी. किंतु वह किसी भी कीमत पर ज्योति को छोडऩे को तैयार न थी.

राजकुमार जब कभी भी उसे फोन करता तो वह अकसर ही बाहर होने की बात करती थी. जिस के कारण वह स्वयं भी अपनी बेटी को ले कर चिंतित रहने लगा था. स्वाति के बदले व्यवहार से तंग आ कर राजकुमार 6 मार्च, 2025 बृहस्पतिवार को अपनी नौकरी से छुट्टी ले कर अपने घर आ गया. घर आने के बाद राजकुमार ने उसे काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन वह किसी भी कीमत पर ज्योति से जुदा होने के लिए तैयार नहीं थी. कई बार ज्योति को ले कर राजकुमार और उस के बीच इतना विवाद बढ़ जाता कि स्वाति उस के सामने ही आत्महत्या की धमकी देने लगी थी.

6 मार्च को राजकुमार जब छुट्टी पर आया तो बातों ही बातों में दोनों के बीच विवाद काफी बढ़ गया था. उस के बाद राजकुमार खेतों पर घूमने चला गया. जब वह खेतों से घर वापस आया तो उस की बेटी बाहर वाले कमरें में स्कूल का होमवर्क कर रही थी. राजकुमार बेटी को देख कर सीधा अंदर वाले कमरे में पहुंचा. उस ने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला तो अंदर का सीन देख कर उस के होश उड़ गए. स्वाति एक दुपट्टे के सहारे पंखे से लटकी हुई थी. स्वाति को पंखे से लटका देख राजकुमार घबरा गया और उस ने तुरंत यह बात अपनी फेमिली को बताई. फिर उस ने तुरंत ही इस की सूचना मोबाइल द्वारा स्थानीय पुलिस चौकी बंजरिया को दी.

सूचना पाते ही थाना शीशगढ़ से इसंपेक्टर राधेश्याम व सीओ अरुण कुमार राजकुमार के घर पर पहुंचे. पुलिस ने मृतका का शव पंखे से नीचे उतरवाया. उस के बाद पुलिस ने राजकुमार और उस के फेमिली से विस्तृत जानकारी ली. पुलिस ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद शव को सील कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस मामले में राजकुमार की ओर से ज्योति, उस की मां शकुंतला देवी, खूशबू और सुमन के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज कराया था.

कथा लिखने तक पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 306 लगा कर इनवैस्टीगेशन शुरू कर दी थी.

 

 

Extramarital Affair : दोस्‍त की बीवी को फंसाया और दोस्‍त को मौत के घाट उतारा

Extramarital Affair : राजवीर ने अपने फुफेरे भाई बबलू को गांव से अपने पास बहादुरगढ़ इसलिए बुला लिया था कि यहां वह उसे किसी फैक्ट्री में नौकरी पर लगवा देगा. बहादुरगढ़ आने के बाद राजवीर ने बबलू की नौकरी लगवा भी दी, लेकिन बबलू ने इस का यह सिला दिया कि उस ने राजवीर की पत्नी अंजलि से अवैध संबंध बना लिए. इस के बाद जो हुआ…

‘‘सा हब, मैं सहतेपुर गांव से अजय पाल बोल रहा हूं. मेरी भाभी अंजलि ने मेरे भाई राजवीर का बड़ी बेरहमी से कत्ल कर दिया है. अंजलि भाभी को मैं ने पकड़ रखा है. आप जल्दी से हमारे गांव सहतेपुर आ जाइए.’’ अजय ने निगोही थाने में फोन करते हुए कहा. यह थाना उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के अंतर्गत आता है. निगोही थाने के इंचार्ज इंद्रजीत भदौरिया का ट्रांसफर अल्हागंज थाने में हो गया था. उस समय थाने का प्रभार एसएसआई मानबहादुर सिंह के पास था. एसएसआई के लिए यह हैरानी की बात थी कि एक औरत ने अपने पति को निर्दयता से मार डाला था.

एसएसआई ने घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी, फिर आवश्यक पुलिस बल के साथ सहतेपुर गांव के लिए रवाना हो गए. कुछ ही देर में वह घटनास्थल पर पहुंच गए. मकान के एक कमरे में राजवीर की लाश पड़ी थी. उस की उम्र 28 साल के करीब थी. उस की गरदन व चेहरे पर चोट के निशान थे. पास में एक डंडा, एक लौकेट और टूटी चूडि़यां पड़ी थीं. डंडे से यह जाहिर हो रहा था कि शायद उसी डंडे से राजवीर की हत्या की गई है. पूछने पर पता चला कि टूटा पड़ा लौकेट मृतक राजवीर का ही है. यानी राजवीर ने अपने बचाव में हत्यारे से संघर्ष भी किया था, जिस वजह से लौकेट टूट कर जमीन पर गिर गया. टूटी चूडि़यों से यह भी पता चला कि घटना के समय कोई महिला भी वहां मौजूद थी.

लाश के पास ही एक युवती गुमसुम बैठी थी. उस के पास ही एक युवक खड़ा था. वह युवक एसएसआई से बोला, ‘‘साहब, मेरा नाम अजयपाल है. मैं ने ही आप को फोन किया था. यही मेरी भाभी अंजलि है. इस ने ही बबलू की मदद से मेरे भाई राजवीर की हत्या की है. बबलू तो भाग गया लेकिन इसे मैं ने भागने नहीं दिया. आप इसे गिरफ्तार कर लीजिए.’’

एसएसआई मान सिंह ने अंजलि को महिला कांस्टेबलों की सपुर्दगी में दे कर थाना निगोही भिजवा दिया. एसएसआई सिंह घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर सीओ (सदर) कुलदीप सिंह गुनावत भी आ गए. सीओ कुलदीप सिंह ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया, फिर मृतक के भाई से पूछताछ की. इस के बाद एसएसआई सिंह को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर सीओ चले गए. एसएसआई सिंह ने घटनास्थल पर पड़ा डंडा, लौकेट व टूटी चूडि़यां साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कीं और लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी. इस के बाद एसएसआई मान सिंह थाने वापस लौट आए. यह 31 मई, 2020 की बात है.

थाने में एसएसआई मान सिंह ने अंजलि से पूछताछ की तो वह फूटफूट कर रोने लगी. कुछ देर बाद आंसुओं का सैलाब थमा तो वह बोली, ‘‘हां साहब, मैं ने ही बबलू की मदद से अपने पति की हत्या की है. मैं अपना जुर्म कबूल करती हूं.’’

‘‘यह बबलू कौन है?’’ सिंह ने पूछा.

‘‘साहब, रिश्ते में बबलू मेरे पति का फुफेरा भाई है. वह निवाड़ी गांव का रहने वाला है.’’

चूंकि अंजलि ने अपने पति राजवीर की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था. अत: पुलिस ने अजय की तरफ से अंजलि व बबलू के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. उस के बाद सिंह ने अंजलि से विस्तृत पूछताछ की. उन्होंने अंजलि से पूछा, ‘‘तुम कैसी औरत हो कि अपना ही सिंदूर अपने हाथों से मिटा दिया. क्यों किया तुम ने ऐसा जघन्य अपराध?’’

अंजलि कुछ देर चुप रही, फिर वह बोली, ‘‘साहब, एक औरत रोज मरे, जलील हो तो वह क्या करेगी. मेरा पति मुझे रोज मारता था. मेरी आत्मा हर रात उस के बिस्तर पर मरती थी. बताइए, मैं कब तक सहती. जो मुझे जानवर समझता था, जिस ने मेरे साथ कभी इंसानों जैसा व्यवहार नहीं किया, जिस ने मेरी भावनाओं को कभी नहीं समझा. उस के हाथों हर रोज मरने के बदले मैं ने ही उसे मार डाला.’’

अंजलि के मन में बिलकुल ही पश्चाताप नहीं था. एक औरत, जिस की जिंदगी के मायने पति से शुरू हो कर उसी पर खत्म होते हैं, क्यों अपना सिंदूर मिटा देती है, यह जानने के लिए सिंह को अंजलि की पूरी कहानी जानना जरूरी था. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के निगोही थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक गांव सहतेपुर है. इसी गांव में राजेंद्र पाल सपरिवार रहते थे. परिवार में उन की पत्नी लक्ष्मी देवी और 2 बेटे राजवीर और अजयपाल और 2 बेटियां क्रमश: ज्योति व रेनू थीं. राजेंद्र और लक्ष्मी का आकस्मिक देहांत हो गया तो घर की जिम्मेदारी सब से बड़े बेटे राजवीर पर आ गई. वह मेहनतमजदूरी कर के अपने परिवार का खर्च उठाने लगा. उस ने अपनी मेहनत की कमाई से अपनी बड़ी बहन ज्योति का विवाह कर दिया.

इस के बाद राजवीर के विवाह के लिए भी रिश्ते आने लगे. तब उस ने करीब 4 साल पहले शाहजहांपुर की चौक कोतवाली के मोहल्ला अब्दुल्लागंज में रहने वाली युवती अंजलि से विवाह कर लिया. अंजलि को पा कर राजवीर काफी खुश था. समय आगे बढ़ा तो राजवीर ने काम के सिलसिले में बाहर निकलने की सोची. उस के गांव के कई युवक बहादुरगढ़ (हरियाणा) में नौकरी कर रहे थे. राजवीर ने उन से बात की तो उन्होंने उसे भी बहादुरगढ़ बुला लिया. जल्द ही वह बहादुरगढ़ की एक जूता फैक्ट्री में काम पर लग गया. काम पर लगते ही वह अंजलि को भी बहादुरगढ़ ले गया. समय बढ़ता जा रहा था लेकिन अंजलि मां नहीं बन पाई.

राजवीर फैक्ट्री से लौट कर कमरे पर आता तो वह इतना थका होता कि  चारपाई पर लेटते ही नींद के आगोश में समा जाता. अंजलि चारपाई पर करवटें ही बदलती रहती. राजवीर का एक फुफेरा भाई था बबलू. वह राजवीर के गांव से कुछ ही दूरी पर निवाड़ी गांव में रहता था. राजवीर ने बबलू को भी अपने पास बहादुरगढ़ बुला लिया और उसे भी फैक्ट्री में काम पर लगवा दिया. दोनों के काम की शिफ्टें अलगअलग थीं. बबलू राजवीर के साथ उसी के कमरे पर रहता था. बबलू की राजवीर की पत्नी अंजलि से खूब पटती थी. दोनों के बीच देवरभाभी का रिश्ता होने के कारण उन के बीच हंसीमजाक होती रहती थी. अंजलि पति की उपेक्षा का शिकार थी. पति न उस की कभी तारीफ करता था, न ही उसे देह सुख देता था, जिस से वह अभी तक मां नहीं बन पाई थी.

इस कारण वह अकसर उदास रहती थी. बबलू जब भी उस से बातें करता तो मनभावन मीठीमीठी बातें ही करता था. उस के रूप की प्रशंसा भी खूब करता था. इसी कारण अंजलि धीरेधीरे बबलू की ओर आकर्षित होने लगी. एक दिन जब राजवीर फैक्ट्री में था तो बबलू कमरे पर अंजलि के साथ कमरे पर था. अंजलि का चेहरा बुझाबुझा सा क्यों रहता है, इस का कारण बबलू  एक साथ रहने के कारण जान चुका था. अपनी अंजलि भाभी की आंखों में वह प्यास भी पढ़ चुका था. बबलू ने अंजलि का मन जानने के लिए सवाल किया, ‘‘भाभी, एक बात मुझे परेशान करती रहती है. यह बताओ कि थकेहारे राजवीर भैया ड्यूटी से लौटने के बाद खाना खाते ही सो जाते हैं. वह आप का खयाल नहीं रख पाते. आप की खुिशयों का खयाल कब करते हैं.’’

‘‘कैसी खुशियां…कैसा खयाल…’’ अंजलि के मुंह से सच निकल गया, ‘‘उन पर तो हर वक्त थकान ही हावी रहती है. घर आए और घोड़े बेच कर सो गए. उन की बला से कोई जिए या कोई मरे.’’ अंजलि ने दिल की बात कह डाली. मौके को देखते हुए बबलू ने एकदम अंजलि का हाथ थाम लिया, ‘‘भाभी, यह तो बहुत अन्याय है तुम्हारे साथ. इतनी सुंदर भाभी को कोई तड़पाए, यह मुझे मंजूर नहीं है.’’

‘‘तुम इस मामले में क्या कर सकते हो देवरजी. जिस की बीवी है, उसी को फिक्र नहीं.’’

‘‘कर तो बहुत कुछ सकता हूं भाभी,’’ कहते हुए बबलू ने अंजलि की कमर में बांहें डाल दीं, ‘‘अगर तुम कहो तो…’’

‘‘चलो, मैं ने हां कह दी,’’ अंजलि ने मुसकरा कर तिरछी चितवन का तीर चलाया, ‘‘फिर क्या करोगे तुम?’’

‘‘तुम्हारी सारी तड़प मिटा दूंगा.’’ बबलू ने उसे बांहों में भींचते हुए कहा. फिर उस ने अंजलि को चूमना शुरू किया. देवर की गर्म सांसों का अहसास हुआ तो अंजलि भी बबलू से लिपट गई. उस के बाद बबलू ने अंजलि को अपनी बांहों में वह सुख दिया, जो अंजलि ने अपने पति की बांहों में कभी नहीं पाया था. उस दिन से बबलू अंजलि के तन के साथ मन का साथी हो गया. दोनों एकदूसरे के दीवाने हो गए. जब भी उन्हें मौका मिलता, वे देह संगम कर लेते. कुछ दिन तो उन का यह संबंध निर्बाध चलता रहा, फिर एक दिन पाप का भांडा फूट गया. एक दिन राजवीर ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. यह देख कर उस का खून खौल उठा. उस ने अंजलि और बबलू की पिटाई की. दोनों ने राजवीर से अपने किए की माफी मांग ली. राजवीर ने फिर यह गलती न दोहराने की दोनों को सख्त हिदायत देते हुए माफ कर दिया.

अंजलि तन की शांति के लिए पतित हुई थी. राजवीर को चाहिए था कि वह बीवी की इच्छा पूरी करता, लेकिन राजवीर उन मर्दों में से था जो यह मानते हैं कि बिगड़ी हुई बीवी लातों की बात सुनती है. लिहाजा वह आए दिन अंजलि की पिटाई करने लगा. पति की मार खातेखाते अंजलि विद्रोही बन गई. बबलू से मिला सुख वह भुला नहीं पा रही थी. इसलिए अधिक दिनों तक वे दोनों अलग नहीं रह पाए. अंजलि और बबलू दोनों फिर देह के खेल में लग गए. एक बार फिर दोनों रंगेहाथों पकड़ लिए गए. एक बार फिर अपनी बेवफा पत्नी को राजवीर ने पीटा और बबलू को वापस उस के गांव भेज दिया. बबलू को भेज देने से राजवीर निश्चिंत हो गया. लेकिन अंजलि और बबलू की फोन पर बातें होती थीं.

इस बार दोनों के संबंधों की बात राजवीर के भाई और बहनों के साथसाथ बबलू के घर वालों को भी पता चल गई. बबलू के पिता सुरेंद्र ने उस की शादी के प्रयास करने शुरू कर दिए. इस बीच कोरोना वायरस के कारण देश में लौकडाउन हुआ तो राजवीर को बहादुरगढ़ से अंजलि के साथ अपने गांव सहतेपुर लौटना पड़ा. दूसरी ओर बबलू की शादी तय हो गई. 28 मई, 2020 को उस का तिलक था. अब चूंकि बबलू शादी कर रहा था तो राजवीर को यह लगा कि अब उस के अंजलि से संबंध यहीं खत्म हो जाएंगे.

राजवीर अंजलि, भाई अजय और दोनों बहनों ज्योति और रेनू के साथ बबलू के तिलक में शामिल होने के लिए गया. तिलक  के बाद बबलू ने राजवीर से बात कर के सारे गिलेशिकवे दूर कर दिए. 30 मई को राजवीर और अंजलि अपने घर आ गए, उन्हें छोड़ने के लिए साथ में बबलू भी आया. अजय, ज्योति व रेनू बबलू के घर पर ही रुक गए थे. शाम 5 बजे तक तीनों सहतेपुर गांव पहुंचे. बबलू राजवीर के घर पर ही रुक गया. देर रात राजवीर के सो जाने पर बबलू और अंजलि एकदूसरे के पास आ गए. दोनों साथ रंगरलियां मना ही रहे थे कि राजवीर की आंखें खुल गईं. उस ने देखा तो वह दोनों से झगड़ने लगा, उन में हाथापाई होने लगी.

इस पर अंजलि को गुस्सा आया, वह पति पर पिल पड़ी और बबलू से बोली, ‘‘आओ, आज इस का काम तमाम कर ही दो. फिर हमेशा के लिए हमारा रास्ता साफ हो जाएगा.’’

यह सुन कर बबलू भी राजवीर पर टूट पड़ा. इसी हाथापाई में राजवीर का लौकेट टूट कर जमीन पर गिर गया. अंजलि की भी चूडि़यां टूट गईं. दोनों ने राजवीर को जमीन पर गिरा लिया और उस के गले पर डंडा रख कर दबा दिया, जिस से दम घुटने से राजवीर की मौत हो गई. इस के बाद बबलू वहां से चला गया. सुबह 4 बजे अंजलि ने चीखना- चिल्लाना शुरू कर दिया. पड़ोस में रहने वाले राजवीर के चचेरे भाई संदीप ने अंजलि के चीखने की आवाजें सुनीं तो वह राजवीर के घर आ गया. उस ने देखा कि राजवीर जमीन पर बेसुध पड़ा था. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे. बबलू घर में नहीं था. गांव के लोग भी वहां इकट््ठे हो गए थे. राजवीर की मौत हो चुकी है, यह जान कर संदीप ने राजवीर के भाई अजय पाल को फोन कर के सब बता दिया.

बड़े भाई राजवीर की मौत की बात सुन कर अजय पाल दोनों बहनों के साथ बबलू के घर वापस लौट आया, जिस के बाद कोहराम मच गया. अजय ने निगोही थाने फोन कर के घटना के बारे में बताया. पुलिस पहुंची और अंजलि को हिरासत में ले कर पूछताछ की तो सारा मामला सामने आ गया. 31 मई, 2020 की रात में ही पुलिस ने बबलू को भी गिरफ्तार कर लिया गया. आवश्यक पूछताछ व जरूरी लिखापढ़ी के बाद दोनों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Family Dispute : पत्‍नी के सामने एक के बाद एक 5 सल्‍फास की गोलियां खाकर दी जान

Family Dispute : आजकल मांबाप 12-13 साल का होते ही बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा देते हैं, जिस में लगे इंटरनेट पर अच्छीबुरी  हर चीज मौजूद है. अगर यह कहा जाए कुछ किशोर सैक्स के बारे में मांबाप से ज्यादा जानते हैं तो गलत नहीं होगा. सौरभ भी ऐसा ही दिशाहीन युवक था. जिस ने…

एक साल के प्यार, 2 साल की रिलेशनशिप और 8 साल के प्रेम विवाह में रचना कभी इतना नहीं घबराई थी. इस दौरान वह हर तरह से, हर कदम पर बृजेश के साथ खड़ी रही थी. बृजेश कम ही कहां था, कोर्टमैरिज करते समय न उस के मायके वालों से घबराया, न अपने घर वालों से, जो उसे घर से निकालने की धमकी दे रहे थे. उन की धमकी से डरने के बजाय उस ने खुद ही उन की देहरी पर कदम न रखने की बात कह दी थी. कहा तो निभाया भी. बृजेश जिला मुरादाबाद के संभल का रहने वाला था और रचना अमरोहा के मोहल्ला कुरैशियान की. अमरोहा में बृजेश के बड़े भाई राजेश की ससुराल थी.

रचना रिश्ते में उस की साली लगती थी. राजेश कभीकभी भाई की ससुराल जाता था, वहीं उस की रचना से मुलाकात हुई और दोनों में प्यार हो गया. बाद में जब दिशू और परी आईं तो घर वालों का प्रेम जागा और वे लोग रचना बृजेश व दोनों बच्चियों को खुद घर ले गए. तब तक रचना के मायके वाले भी दामाद और बेटी के प्रेमिल रिश्ते को समझ गए थे. 10 साल लंबे साथ में रचना को कभी लगा ही नहीं कि बृजेश उसे प्यार नहीं करता या उसे उस पर विश्वास नहीं है. इतनी लंबी अवधि में रचना को न तो कभी ऐसी टेंशन हुई थी और न ही वह कभी इतनी घबराई थी. वजह यह कि तब हर कदम पर बृजेश उस के साथ खड़ा था, उस का हौसला बन कर.

वह इतना प्यार और विश्वास करने वाला पति था कि कभीकभी रचना को अपनी किस्मत पर नाज होने लगता था. फिर बृजेश को अचानक ऐसा क्या हो गया कि अपनी प्रेम संगिनी पर विश्वास ही नहीं रहा, उस के लिए वह दूषित हो गई, पराई सी लगने लगी.

कभीकभी वह बृजेश के पक्ष में सोचती तो उसे लगता, न बृजेश गलत है न उस की सोच. कोई और भी होता तो ऐसे ही सोचता. लेकिन वह खुद ही गलत कहां थी. गलत तो वह था जो अनायास उन दोनों के बीच घुस आया था. रचना की परेशानी यह थी कि बृजेश को उस की हकीकत बता भी नहीं सकती थी. बता देती तो कीचड़ के छींटे उस के दामन पर भी आते. एक स्नेहिल शुरुआत संभल के मोहल्ला डेरा सहाय का रहने वाला बृजेश करीब 8 महीने पहले मुरादाबाद आया था. उस ने थाना नागफनी क्षेत्र के बंगला गांव स्थित रामवती के मकान में किराए के 2 कमरे ले लिए, फिर पत्नी रचना, दोनों बेटियों दिशू और परी को मुरादाबाद ले आया.

मकसद था बड़ी हो रही बेटियों को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाना. बृजेश ने खुद पीतल के एक बड़े कारखाने में नौकरी ढूंढ ली, जहां बनी चीजें एक्सपोर्ट होती थीं. बड़े शहर में आ कर रचना भी खुश थी और दोनों बेटियां भी. उन्हें खुश देख बृजेश उन से भी ज्यादा खुश रहता था. बृजेश सुबह को काम पर जाता तो अंधेरा घिरने तक ही लौटता. रचना दिन भर बच्चियों को पढ़ाने, संभालने और घर के कामों में लगी रहती. देखतेदेखते हंसीखुशी 2-3 महीने गुजर गए. इस बीच रचना और दोनों बच्चियां रामवती से भी घुलमिल गई थीं. सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक दिन रामवती का पोता सौरभ दादी से मिलने आया. सौरभ नाबालिग था, लेकिन वाचाल. सौरभ ने रचना को देखा तो उस की खूबसूरती उस के दिल में उतर गई.

दादी ने पोते का परिचय रचना से करा दिया. वह रचना से मीठीमीठी बातें कर के नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करने लगा. रचना उसे बच्चा समझ कर उस से वैसी ही बातें करती. नजदीकी बढ़ाने के लिए सौरभ रचना की दोनों बेटियों से भी घुलमिल गया. रचना को वह भाभी कहता था. सौरभ नाबालिग था, बच्चों की तरह. उस के दिमाग में क्या है, रचना न तो जानती थी न जान सकती थी. जो भी हो, इस के बाद सौरभ हर हफ्ते दादी से मिलने आने लगा. आता तो रचना और उस की बेटियों से मिलता भी, बातें भी करता. कभी रामवती के सामने तो कभी पीछे. सौरभ मकान मालिक का पोता है, यह सोच कर रचना हंसती भी, उस से बातें भी करती.

एक दिन सौरभ ने कहा, ‘‘भाभी, आप मुझे बहुत सुंदर लगती हो. मैं आप का एक फोटो ले सकता हूं.’’

रचना ने न हां कहा न ना. तब तक सौरभ ने मोबाइल निकाल कर 3-4 फोटो खींच लिए. यह सामान्य सी बात थी. रचना ने सामान्य ढंग से ही लिया. सौरभ हफ्ते में एकदो बार आता और दादी से कम और रचना व उस की बेटियों से ज्यादा बात करता. बच्चियां उस के साथ खुश रहती थीं, इसलिए इस सब को उस ने किसी दूसरे पहलू से देखासोचा ही नहीं. एक बार सौरभ आया तो दादी के सामने ही रचना से बोला, ‘‘भाभी, आप की सेल्फी ले लूं?’’

रचना मना करती तो मकान मालकिन को बुरा लग सकता था, इसलिए उस ने न ना कहा न हां. इसी बीच सौरभ ने रचना के कंधे के पास सिर ले जा कर सेल्फी ले ली. एक और, एक और कर के उस ने 3 सेल्फी लीं, जिन में एक ऐसी भी थी, जिस में पीछे की ओर से सौरभ का चेहरा रचना के कंधे पर रखा दिख रहा था और दोनों के गाल मिले हुए थे. बाद में उस ने वह सेल्फी रचना को दिखाई तो वह उसे डिलीट करने को कहने लगी. लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया. वह अपने घर चला गया.

नाबालिग हो गया जवान सेल्फी ऐसी नहीं थी कि उसे ले कर परेशान हुआ जाए. रचना परेशान भी नहीं हुई. लेकिन घर जा कर सौरभ ने जब सेल्फी को बारबार देखा तो उसे लगा कि वह जवान हो गया है. पलभर में उस का किशोरवय वाला दिमाग जवानी के पाले में जा खड़ा हुआ. दिमाग में उसी तरह की खुराफातें भी आने लगीं. उसे लगा रचना वाली सेल्फी उस के पास ऐसा हथियार है, जिस के बूते पर वह उसे मनचाहे ढंग से झुका सकता है. वह पूरी कोशिश करेगी कि सेल्फी उस के पति के सामने न जा पाए.

सौरभ ने जो सोचा किया भी. उस ने रचना को फोन करना शुरू कर दिया. पहले सामान्य सा हंसीमजाक, फिर प्रेमप्यार की बातें और फिर उन बातों में अश्लीलता घुल गई. रचना को बुरा लगा तो उस ने सौरभ को डांट दिया. फिर से फोन न करने को कह कर फोन डिसकनेक्ट कर दिया. सौरभ एक दिन शांत रहा, लेकिन अगले दिन फिर फोन कर दिया. रचना ने उसे समझाया, ‘‘तुम अभी बच्चे हो, ऐसी बेवकूफी मत करो. नहीं तो मुझे तुम्हारी दादी से शिकायत करनी पड़ेगी.’’

‘‘भाभी, ये हम दोनों के बीच की बात है. दादी इस में क्या करेगी? बात दादी तक गई तो वह तुम लोगों को मकान से निकाल देगी, क्योंकि मैं सच थोड़े ही बोलूंगा. तुम पर उलटा इलजाम लगा दूंगा कि तुम मुझे फंसा रही थीं. मैं नहीं माना तो…’’

सौरभ की बात सुन कर रचना डर गई. सोचने लगी यह औरत होने की सजा है या विश्वास करने की. एक किशोर से स्नेहपूर्वक बात करना क्या इतना घातक है. दादी का वार खाली गया तो रचना ने पति के नाम का हथियार इस्तेमाल करते हुए उस की जुबान पर ताला डालने की कोशिश की, ‘‘ठीक है, मैं आज ही तुम्हारे भैया से कहूंगी, वही तुम्हारा दिमाग ठीक करेंगे.’’

रचना की बात सुन कर सौरभ हंस पड़ा. पलभर हंसने के बाद उस ने आखिरी तीर चलाया, ‘‘मेरी तुम्हारी एक सेल्फी है, तुम तो उसे भूल गई होगी. कोई बात नहीं, मैं भेज देता हूं. पहले देख लो फिर धमकी देना. देखो और सोचो, मैं ने यह सेल्फी बृजेश भैया को भेज दी तो क्या होगा.’’

सौरभ ने सेल्फी रचना को भेज दी. रचना सेल्फी वाले वाकए को भूल चुकी थी. लेकिन उस ने सौरभ की भेजी सेल्फी देखी तो थर्रा कर रह गई. बृजेश उसे देख लेता तो उस पर ही इलजाम लगाता. वह सोच भी नहीं सकती थी कि 17 साल का किशोर इतना शातिर भी हो सकता है. उस की परेशानी यह थी कि सौरभ मकान मालकिन का पोता था. बात बढ़ती तो वह उसी का पक्ष लेती. उन्हें मकान खाली करने को भी कह सकती थी. अनायास जो स्थिति बनी थी या सौरभ ने बना दी थी, उस से वह टेंशन में रहने लगी.

इस स्थिति में उसे सौरभ को बहलाएफुसलाए भी रखना था और उसे बृजेश को सेल्फी भेजने से रोकना भी था. रचना इन्हीं स्थितियों में जीती रही, क्योंकि उसे कोई राह नहीं सूझ रही थी. सौरभ फोन करता तो सीधे कहता, ‘‘कब बुला रही हो?’’

अब उस ने रचना को भाभी कहना भी बंद कर दिया था. यह सब चल ही रहा था कि 23 मार्च को लौकडाउन की घोषणा हो गई. बृजेश का काम पर जाना बंद हो गया. वह घर में रहने लगा. रचना हर समय डरीडरी सी रहने लगी. डर स्वाभाविक था. उसे जिस का डर था, वही हुआ. सौरभ ने फोन कर दिया. रचना को अलग जा कर फोन सुनना पड़ा. उस ने सौरभ से बृजेश के घर में होने की बात कहनी पड़ी. इस पर वह खुश होते हुए बोला, ‘‘यह तो और भी अच्छा है. उस की बगल में बैठ कर बात करो मुझ से, वह सुनेगा तो और मजा आएगा.’’

रचना उस के सामने रोईगिड़गिड़ाई, मिन्नतें कीं, लेकिन सौरभ पर कोई असर नहीं हुआ. वह कमीनों की तरह हंसते हुए बोला, ‘‘छोटी सी बात है, मान जाओ. इतना परेशान होने की क्या जरूरत है. तुम भी खुश रहो, मैं भी खुश.’’

वह बात कर के कमरे में आई तो बृजेश ने पूछा, ‘‘किस से बात कर रही थीं?’’

जल्दी में कुछ नहीं सूझा तो रचना ने कह दिया, ‘‘मायके से फोन था.’’

‘‘उन से तो मेरे सामने भी बात कर सकती थी.’’ रचना ने सौरी कह कर बात तो खत्म कर दी लेकिन बृजेश उस के उतरे चेहरे को देख कर समझ गया कि कहीं कुछ तो गड़बड़ है. उस ने मन ही मन उस गड़बड़ का पता लगाने की ठान ली. फिर एक दिन सौरभ अचानक आ गया. बृजेश घर में था. रचना की रुह कांप गई. उसे लगा कि आज सौरभ मुंह जरूर खोलेगा. गनीमत यह रही कि सौरभ ने ऐसा कुछ नहीं किया और वापस चला गया.

पता तो नहीं लगा पाया, लेकिन जब रोजरोज सौरभ के फोन आने लगे तो उसे पूरा यकीन हो गया कि रचना का किसी के साथ चक्कर जरूर है. पिछले 12 सालों में वह इतनी टेंशन में कभी नहीं रही थी. पति को वह सफाई देती, कसमें खाती, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं था. अगर वह सब कुछ सच बताती तो सेल्फी वाला फोटो उस का दुश्मन बन जाता. नतीजा यह हुआ कि बृजेश का शक बढ़ता गया. वह रोजाना शराब पीता और मन में भरा सारा गुबार रचना पर निकाल देता. वह गालियां खाती, पिटाई झेलती. बृजेश उस की सफाई सुनने को तैयार नहीं था. 17 साल के सौरभ ने रचना की बसीबसाई गृहस्थी में आग लगा दी थी. आग लगाई ही नहीं, रोज उसे हवा भी देता रहा. महीना भर से ज्यादा समय तक यही चलता रहा.

कुछ नहीं किया पुलिस ने जब रचना पूरी तरह टूट गई, बात बरदाश्त के बाहर हो गई तो एक दिन उस ने बृजेश को सच्चाई बता दी. बृजेश ने उस की बात पर यकीन किया या नहीं, यह अलग बात है. पर उस ने रचना से कहा, ‘‘तैयार हो जा, थाने चलते हैं.’’

रचना और बृजेश थाना नागफनी गए और लिखित तहरीर दे दी. तहरीर ले कर थानेदार ने कह दिया, बाद में देखेंगे. पतिपत्नी मुंह लटकाए लौट आए. बात जहां थी वहीं रह गई. वही शक वही संदेह और वही लड़ाईझगड़ा, मारपीट. रचना बृजेश को जितनी सफाई देती, समझाती, वह उसे उतना ही गलत समझता. 20 जून, 2020 को शनिवार था. उस दिन बृजेश रचना से खूब लड़ा, इतना ज्यादा कि रचना को अपनी जिंदगी बेकार लगने लगी. कोई रास्ता नहीं सूझा तो उस ने अपनी कलाई की नस काट ली. किसी पड़ोसी ने इस की सूचना बंगला गांव पुलिस चौकी को दी.

चौकी इंचार्ज रामप्रताप सिंह मौके पर आए और उन्होंने रचना को जिला अस्पताल में भरती करा दिया. इस से रचना की जान बच गई. रामप्रताप सिंह को लगा कि पतिपत्नी के झगड़े का मामला है, इसलिए उन्होंने दोनों को समझाया, उन्हें उन की बच्चियों का वास्ता दिया. साथ ही दोनों को सीधे घर जाने को भी कहा. 21 जून, 2020 को सुबह 8 बजे बृजेश दोनों बेटियों दिशू और परी को वहां से थोड़ी दूर पर रहने वाले अपने मौसेरे भाई प्रमोद के घर छोड़ आया.

वापसी में वह सल्फास की गोलियों का पैकेट लाया था. आते ही उस ने रचना से कहा, ‘‘मैं अब जीना नहीं चाहता. तूने मेरे साथ जो विश्वासघात किया है, मैं बरदाश्त नहीं कर पा रहा हूं. मेरे पीछे खूब मौजमजे करना.’’

बृजेश ने जेब से पैकेट निकाला तो रचना ने उस के हाथ से छीन लिया. वह बोली, ‘‘गुनहगार मैं हूं तो मुझे मरना चाहिए, तुम्हें नहीं. बच्चियां अभी छोटी हैं, उन्हें कौन संभालेगा.’’

बृजेश रचना से पैकेट लेने की कोशिश करता, इस से पहले ही उस ने पानी की बोतल उठा कर 4-5 गोलियां गटक लीं. पैकेट फर्श पर पड़ा देख बृजेश ने उठाया और वह भी पानी से 3-4 गोली निगल गया.

दोनों फंस गए मौत के चंगुल में इस बीच बैड पर गिरी रचना के मुंह से झाग निकलने लगे थे. बृजेश भी फर्श पर फैल गया था. बृजेश और रचना के बीच महीनों से विवाद चल रहा था. उन के लड़ने की आवाजें अड़ोसीपड़ोसी भी सुनते थे. उस दिन भी दोनों में विवाद हुआ था. जब अचानक दोनों की आवाजें आनी बंद हो गईं तो आसपड़ोस के लोगों को अनहोनी का डर लगा. उन्होंने जा कर कुंडी खड़काई. गिरतेपड़ते बृजेश ने अंदर से कुंडी खोली. अंदर का हाल देख कर लोग समझ गए कि दोनों ने जहर खाया है.

लोगों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस उन्हें अस्पताल ले गई. डाक्टरों ने अपनी ओर से पूरी कोशिश की लेकिन रात आतेआते रचना ने दम तोड़ दिया. इस दौरान संभल से बृजेश के बड़े भाई और घर वाले आ गए. लेकिन प्रेमकथा में फंसा एक पेंच कैसे पीछे रह पाता. अगले दिन दोपहर में बृजेश ने भी दम तोड़ दिया. उसी शाम पोस्टमार्टम के बाद रचना और बृजेश के शव उन के घर वालों को सौंप दिए, जिन का उन्होंने उसी शाम लालबाग श्मशान घाट में अंतिम संस्कार  कर दिया. शवों को मुखाग्नि बृजेश के भतीजे ने दी.

इस बीच पुलिस ने फोरैंसिक टीम को मौके पर बुलवा कर जांच कराई. जांच का सारा काम सीओ राजेश कुमार की देखरेख में हुआ. पुलिस ने आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ की, लेकिन अंदर की कहानी कोई नहीं जानता था. उसी रात बृजेश के बड़े भाई राजेश ने थाना नागफनी जा कर तहरीर दी, जिस में सौरभ को बृजेश और रचना को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी बताया गया था. इस शिकायत पर थाना नागफनी के प्रभारी सुनील कुमार ने सौरभ के खिलाफ भादंवि की धारा 306 के तहत केस दर्ज कर लिया. अगले दिन सौरभ को गिरफ्तार कर लिया गया. जांच के लिए उस का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गया.

रचना का मोबाइल पहले ही पुलिस के पास था, जो घटनास्थल से मिला था. पूछताछ के बाद सौरभ को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया गया. दूसरी ओर 8 साल की दिशू और 4 साल की परी मां और पिता के लिए बराबर रोए जा रही थीं. उन के ताऊ राजेश और बुआ रीमा उन्हें समझा रहे थे कि मां बीमार है, अस्पताल में है और पापा मम्मी के लिए दवाई लेने गए हैं. लेकिन ऐसी बातों से बच्चियों को कब तक बहलाया जा सकता था. उन्हें यह भी तो पता ही नहीं था कि उन के मम्मीपापा इस दुनिया में नहीं रहे.

सच तो यह है कि बच्चियां यह तक नहीं जानतीं कि इंसान मरता कैसे है और क्यों. फिलहाल बृजेश के बड़े भाई राजेश दिशू और परी को अपने साथ ले गए हैं.

Extramarital Affair : पत्नी ने पति की बीयर में नींद की गोलियां मिलाई फिर प्रेमी से कराई हत्या

Extramarital Affair : समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली को इतना प्यार करता थ कि उस ने उस की खातिर अपने मांबाप और भाइयों को घर से निकाल दिया था. पूरी तरह स्वतंत्र हो जाने पर श्यामली के कदम बहक गए. फिर एक दिन उस ने पति को उस के विश्वास का ऐसा सिला दिया कि…

रात के कोई 2 बजे का वक्त रहा होगा. उस समय तक अधिकांश लोग गहरी नींद में खर्राटे भरते नजर आते हैं. लेकिन उस समय भी अगर किसी के घर से अचानक ही गोली चलने की आवाज आए तो नींद में खलल तो पड़ ही जाती है और उन लोगों की नींद उड़ ही जाती है, गोली की आवाज सुन कर अच्छेअच्छों के हौसले पस्त हो जाते हैं. उस समय जिस घर में गोली चली थी, वह समीर बिस्वास का घर था. जिला ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर ट्रांजिट कैंप मुखर्जी नगर में 25 वर्षीय समीर बिस्वास अपनी पत्नी श्यामली और अपने 3 वर्षीय बेटे देव के साथ रहता था. जबकि उस के पिता निताई बिस्वास ट्रांजिट कैंप के नजदीक ही अरविंद नगर में अपनी बीवी अनीता बिस्वास और 2 बेटों सुकीर्ति और विष्णु के साथ रहते थे.

उस समय समीर बिस्वास अपने मकान के एक कमरे में अकेला ही सोया था. उस की बीवी अपने बेटे देव को साथ ले कर अपनी सहेली के साथ ही अपने बैडरूम में सोई थी. घर में अचानक गोली चली तो सब से पहले श्यामली ही चीखी थी. उस की चीख सुन कर लोगों को लगा कि समीर के घर में बदमाश घुस आए हैं और बदमाशों ने किसी को गोली मार दी. घर में कोहराम मचा तो समीर बिस्वास की छत पर सो रहे उस के 2 दोस्त सूरज और छोटू भी छत से नीचे जाने वाली सीढि़यों की ओर दौड़े. लेकिन उन सीढि़यों पर नीचे से कुंडी लगी होने के कारण उन के सामने मजबूरी आ खड़ी हुई. फिर दोनों पड़ोसी के घर में प्रवेश कर उस की दीवार फांद कर समीर के कमरे  में जा पहुंचे.

सूरज और छोटू ने देखा कि समीर अपने बैड पर खून से लथपथ पड़ा हुआ था. जबकि उस की पत्नी श्यामली उसी के पास खड़ी बुरी तरह से दहाड़ मार कर रो रही थी. समीर के घर में रात में चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले भी इकट्ठे हो गए थे. लेकिन कोई भी यह नहीं समझ पा रहा था कि बदमाशों ने समीर की हत्या क्यों कर दी. अभी लोग इस मामले को पूरी तरह से समझ भी नहीं पाए थे कि उसी समय श्यामली रोतीबिलखती दूसरे कमरे में बंद हो गई. उस को कमरे में इस तरह से बंद होते देख सभी लोग हैरत में पड़ गए. लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि  उसे अचानक क्या हो गया.

तभी किसी ने खिड़की से झांक कर देखा तो श्यामली अपनी चुनरी को पंखे से बांध रही थी. जिस से लोगों को समझने में देर नहीं लगी कि वह पंखे से लटक कर आत्महत्या करने की कोशिश कर रही है. श्यामली की हरकतों को देख कर मौके पर मौजूद लोगों ने जैसेतैसे कर दरवाजा तोड़ कर उसे बाहर निकाला. उस के बाद उसे समझाने की कोशिश की. मृतक समीर बिस्वास के चाचा अर्जुन बिस्वास कांग्रेस पार्टी के नेता थे. अपने भतीजे की हत्या होने की बात सुनते ही अर्जुन बिस्वास भी तुरंत समीर के घर पर पहुंचे और थाना ट्रांजिट कैंप में इस सब की जानकारी दी. हत्या की सूचना पाते ही थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए. पुलिस को यह सूचना सुबह लगभग 4 बजे मिली थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी थी सूचना पाते ही एसएसपी बरिंदरजीत सिंह, एसपी (सिटी) देवेंद्र पिंचा, एसपी (क्राइम) प्रमोद कुमार और सीओ अमित कुमार भी घटना स्थल पर पहुंच गए. पुलिस ने काररवाई करते हुए समीर के कमरे की बारीकी से जांचपड़ताल की. समीर के माथे पर गोली लगी थी. समीर के शव को देख कर साफ जाहिर हो रहा था कि हत्यारों ने समीर के गहरी नींद में सोने के दौरान ही गोली मारी थी. खून उस के चेहरे से होते हुए सारे बिस्तर पर फैल चुका था. पुलिस ने उस कमरे की पड़ताल की जिस में श्यामली ने पंखे में चुनरी बांध कर खुदकुशी करने का ढोंग ही किया था. पुलिस ने उस के परिवार वालों से समीर और उस की बीवी के बारे में जानकारी जुटाई तो इस केस ने अलग ही मौड़ ले लिया.

समीर के परिवार वालों ने पुलिस को जानकारी देते हुऐ बताया कि समीर और श्यामली ने अब से लगभग 7 वर्ष पूर्व प्रेमविवाह किया था. शादी के बाद इन दोनों के बीच कुछ समय तक तो सब कुछ सही रहा, लेकिन बाद में उन दोनों के बीच खटपट रहने लगी थी. उसी के चलते समीर की बीवी ने उसे परिवार से भी अलगथलग कर दिया था. उस के बाद वह न तो उसे किसी परिवार वाले से मिलनेजुलने देती थी और न ही किसी को अपने घर आने देती थी. परिवार वालों ने बताया कि श्यामली का चरित्र ठीक नहीं था. समीर की गैरमौजूदगी में उस के घर पर कुछ संदिग्ध लोगों का आनाजाना था. उस के किसी अन्य युवक के साथ अवैध संबंध थे. जिस का समीर विरोध करता था. जिस के कारण ही समीर की हत्या हुई.

यह सब जानकारी जुटाने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. समीर की लाश को पोस्टमार्टम भेजने के बाद ही पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए छानबीन शुरू की. उसी दौरान पुलिस ने श्यामली के साथ रात गुजारने वाली उस की सहेली प्रियंका से भी पूछताछ की. लेकिन प्रियंका ने बताया कि वह स्वयं ही अपनी सहेली के घर मिलने के लिए आई थी. जिस के बाद वह रात का खाना खा कर सो गई थी. उस के सोने के बाद समीर के साथ क्या घटना घटी उसे कुछ नहीं मालूम. इस मामले की बाबत पुलिस ने श्यामली से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस रात समीर और उस के दोस्तों सूरज और छोटू ने खाना खाया और उस के बाद सूरज और छोटू मकान की छत पर जा कर सो गए.

वह अपने बेटे देव को अपने साथ ले कर सहेली प्रियंका के साथ अलग कमरे में सो गई थी. जबकि समीर अपने कमरे में अकेला ही सोया था. रात के समय उस ने अपने घर में  गोली चलने की आवाज सुनी तो वह बुरी तरह से घबरा गई. उस के बाद वह अपनी सहेली प्रियंका के साथ कमरे से बाहर निकली तो उस ने घर से बाहर कुछ लोगों को भागते हुए देखा था. समीर को मरा देख कर वह खुद पर भी कंट्रोल नहीं कर पाई थी, जिस के बाद उस ने भी आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन वहां पर मौजूद लोगों ने उसे बचा लिया. उसी दौरान पुलिस ने श्यामली का मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिया. उस की काल डिटेल्स देखी तो आखिरी बार रात के 2 बजे के समय एक नंबर पर उस की बातचीत हुई थी, वह नंबर किसी विश्वजीत राय के नाम से फीड था.

पुलिस ने श्यामली से विश्वजीत राय से रात में बात करने का कारण पूछा तो वह कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे पाई. विश्वजीत का नाम सुनते ही उस के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. उस के बाद पुलिस श्यामली को पूछताछ के लिए थाने ले आई. थाने में पहुंचते ही श्यामली डर गई और सब कुछ बताने को राजी हो गई. श्यामली ने बताया कि उस के विश्वजीत से नाजायज संबंध थे. उन्हीं संबंधों के चलते उस ने प्रेमी के सहयोग से पति की हत्या करा दी. हत्या के इस केस की जो सच्चाई उभर कर सामने आई वह दोस्ती, प्यार, शादी और उस के बाद बेवफाई से जुड़ी एक हैरतअंगेज कहानी थी—

अब से कई साल पहले श्यामली के पिता प्रवास बिस्वास का परिवार बंगाल से आ कर रुद्रपुर और गदरपुर के बीच बसे दिनेशपुर में आ कर रहने लगा था. दिनेशपुर आने के बाद उस की बीवी अपर्णा बिस्वास 2 बच्चों, बेटी श्यामली और बेटे संजीत की मां बन गई. दिनेशपुर में बाहुल्य आबादी बंगालियों की ही है. बंगाल से आने के बाद इन लोगों ने यहां पर स्थानीय लोगों के यहां पर मेहनतमजदूरी करनी शुरू की. इन लोगों में ही कुछ लोग इतने समर्थ थे कि उन्होंने यहां पर कुछ जमीनें खरीदीं और कुछ ने सरकारी जमीनों पर कब्जा कर खेतीबाड़ी का काम शुरू किया. जिस के साथ ही इन लोगों की आर्थिक स्थिति भी सुधरती गई.

इन के आने से पहले यहां के किसान अपनी जमीन से 2 ही फसलें लेते थे. रवि और खरीफ  की. इन लोगों ने यहां पर तीसरी फसल को जन्म दिया. वह थी बेमौसमी धान की फसल. गेहूं की फसल कटते ही धान को लगाया जाता था. जिस के कारण किसानों को एक और फसल से आमदनी बढ़ गई थी. उसी धान की पौध लगाई के दौरान समीर बिस्वास की मुलाकत श्यामली से हुई थी. समीर के पिता निताई बिस्वास का परिवार भी बंगाल से आ कर रुद्रपुर में बस गया था. निताई बिस्वास के 5 बच्चो में से समीर तीसरे नंबर पर था. अब से तकरीबन 7 साल पहले ही श्यामली और समीर के बीच दोस्ती हुई थी. बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल कर शादी तक आ पहुंची. लेकिन समीर की मम्मी अनीता बिस्वास को श्यामली पसंद नहीं थी.

समीर का श्यामली के बिना एक पल भी रहना नामुमकिन था. अनीता बिस्वास ने अपने बेटे के भविष्य को देखते हुए उसे श्यामली से दूरी बनाने को कहा तो मां भी उसे दुश्मन लगने लगी थी. यही बात श्यामली के साथ भी आड़े आ रही थी. श्यामली अपने मांबाप की एकलौती बेटी थी. वह भी समीर के बजाय श्यामली की शादी ऐसे घर में करना चाहते थे ताकि उस की गृहस्थी में किसी प्रकार की अड़चन न आए. हालांकि समीर बिस्वास और श्यामली दोनों ही एक ही बिरादरी के थे, लेकिन श्यामली के घर वालों को भी समीर पसंद नहीं था. समीर जिद्दी किस्म का युवक था. यही कारण था कि उस ने अपने मांबाप की एक न मानी और श्यामली से शादी करने पर अड़ गया. हालांकि दोनों के परिवार वाले इस के लिए राजी नहीं थे, लेकिन उन की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. और सन 2013 में दोनों की शादी करा दी गई.

श्यामली निताई बिस्वास परिवार की बहू बन कर आई तो घर में खुशियां छा गईं. शादी हो जाने के बाद श्यामली ने समीर के साथसाथ अपने सासससुर और अन्य परिवार वालों का पूरी तरह से ध्यान रखा. शादी के 3 साल बाद वर्ष 2016 में श्यामली ने एक बेटे को जन्म दिया. उस का नाम उन्होंने देव रखा. दोनों के बीच सब कुछ ठीक ही चल रहा था. समीर के  परिवार वालों ने दिन रात कड़ी मेहनत कर के काफी पैसा कमाया था. जिस के बाद उन्होंने थाना ट्रांजिट कैंप अंतर्गत अरविंद नगर में शानदार मकान भी बना लिया था. उसी दौरान समीर कच्ची शराब बेचने के धंधे से जुड़ गया. समीर को शराब बेचने से मोटी आमदनी होने लगी, आमदनी में इजाफा होने पर श्यामली के भी पर लग गए.

उस के रहनसहन में भी काफी बदलाव आ गया था. समीर को दिनभर में जो भी कमाई होती थी, वह उसे श्यामली के हाथ पर ला कर रख देता था. जिस के कारण श्यामली के व्यवहार में काफी अंतर आने लगा था. वह खुले हाथ से पैसा खर्च करने लगी थी. हालांकि इस बात से समीर को कोई फर्क नहीं पड़ता था. लेकिन यह सब उस के मातापिता की बरदाश्त से बाहर की बात हो गई थी. उन्होंने कई बार इस बात की शिकायत समीर से की. लेकिन समीर हमेशा ही अपने परिवार वालों की बातों को हल्के में लेता रहा. तब उन्होंने श्यामली को समझाने की कोशिश की. श्यामली तो पति की सारी कमाई पर अपना ही अधिकार समझती थी. इसलिए सासससुर के समझाने की बात उसे बुरी लगती थी. लिहाजा उस का सासससुर से मनमुटाव रहने लगा था.

वह बातबात पर अपनी सास को खरीखोटी भी सुनाने लगी थी. उस समय समीर को केवल कमाई ही दिखाई दे रही थी. उस के काम का दायरा बढ़ा तो उस ने अपनी सहायता के लिए 2 लड़कों सूरज और छोटू को भी अपने पास रख लिया. उसी दौरान विश्वजीत राय भी समीर के संपर्क में आया. विश्वजीत इलेक्ट्रीशियन था. विश्वजीत गुलरभोज (गदरपुर) का रहने वाला था. लेकिन कुछ समय बाद उस ने भी रुद्रपुर की नारायण नगर कालोनी में अपना मकान बना लिया था. समीर के घर की लाइट की फिटिंग भी उसी ने की थी. विश्वजीत समीर के संपर्क में आया तो उस की आमदनी भी बढ़ गई थी. शराब बेचने से हुई मोटी आमदनी से विश्वजीत ने बिजली फिटिंग का काम छोड़ दिया.

उस के बाद वह हर समय समीर के साथ ही उस के शराब के धंधे में लगा रहने लगा था. काम खत्म हो जाने के बाद विश्वजीत राय, सूरज और छोटू अकसर खानापीना समीर के घर पर ही किया करते थे. श्यामली तीनों को खाना बना कर खिलाती थी. लेकिन श्यामली को पति के परिवार वाले दुश्मन नजर आने लगे थे. समीर और विश्वजीत में गहरी दोस्ती भी हो गई थी. उसी दौरान श्यामली उस को अपना दिल दे बैठी. उन दोनों के बीच फोन पर खूब बातें होती थीं. समीर की गैरमौजूदगी में श्यामली विश्वजीत को अपने घर में ही बुलाने लगी थी. यह बात उस के ससुराल वालों को नागवार गुजरी. जिस के कारण समीर के घर की शांति भंग हो गई. श्यामली ने अपनी सास की शिकायत पति से करते हुए कहा कि वह उसे चरित्रहीन कहती है. समीर अपनी बीवी के प्रति एक भी बुराई सुनने को तैयार न था. नतीजन समीर अपने मातापिता को बुराभला कहने पर उतर आया था.

विश्वजीत के कारण समीर के घर में इतना विवाद बढ़ा कि अपनी बीवी के कहने पर उस ने अपनी मम्मीपापा और 2 छोटे भाइयों विष्णु और सुकीर्ति को भी घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया. जिस के बाद 6 कमरों का मकान छोड़ कर उस के परिवार को ट्रांजिट कैंप दुर्गा मंदिर के पास किराए के मकान में रहने पर मजबूर होना पड़ा. जिस औलाद की जिद के आगे हार मान कर उन्होंने उस की शादी उस की मरजी से कराई, आज उसी कपूत ने उन्हें धक्का मार कर घर से निकाल दिया था. श्यामली की जिंदगी में विश्वजीत के आगमन के दौरान ही समीर की गृहस्थी में भी ग्रहण लगना शुरू को गया था. अपनी ससुराल वालों को घर से निकालने के बाद श्यामली समीर की गैरमौजूदगी का लाभ उठाते हुए विश्वजीत के साथ मौजमस्ती करने लगी थी.

जब कभी भी वह घर में अकेली होती तो वह फोन कर के विश्वजीत को बुला लेती और उस के साथ अय्याशी करती. विश्वजीत के संपर्क में आने के बाद श्यामली ने बीयर पीनी भी सीख ली थी. जब कभी भी समीर किसी काम से घर से बाहर जाता तो वह विश्वजीत को अपने घर बुला लेती और फिर सारी रात शराब और शबाव का दौर चलता. समीर की आंखों पर अभी भी श्यामली के प्यार की काली पट्टी बंधी हुई थी. श्यामली समीर की शराफत का लाभ उठाते हुए उस की कमाई का ज्यादातर हिस्सा विश्वजीत पर उड़ाने लगी थी. लेकिन समीर ने कभी भी पत्नी से घर के खर्च का हिसाबकिताब नहीं मांगा था. समीर अपनी बीवी के प्यार में इतना पागल था कि श्यामली ने उस से बीयर लाने की मांग की तो वह डिमांड भी उस ने पूरी की.

उस के बाद दोनों ही मियांबीवी रात में बीयर साथसाथ पीने लगे थे. बीयर पीने से समीर को तो कुछ नहीं हो पाता था, लेकिन श्यामली बीयर के नशे में टल्ली हो कर अपने दिल का पन्ना खुला ही छोड़ कर सो जाती थी. उसी खुले पन्ने के कारण एक दिन श्यामली की हकीकत भी समीर के सामने आ गई. एक रात श्यामली ने समीर के साथ ही बीयर पी और फिर उस ने समीर को सोया जान कर विश्वजीत को फोन मिला दिया. उस रात समीर को उस की हकीकत जान कर बहुत ही गहरा झटका लगा. समीर को उस रात अपनी बीवी की हकीकत पता चली तो वह खून के आंसू रोया. उस के बाद भी उसे विश्वजीत पर ही गुस्सा आया. लेकिन रात अधिक हो जाने के कारण वह कुछ भी नहीं कर सकता था.

अगले दिन सुबह होते ही वह सब कुछ काम छोड़छाड़ कर विश्वजीत से मिला. उस ने उसे समझाते हुए उस की बीवी से फोन पर बात न करने को कहा. उसी दौरान उस की विश्वजीत से कहासुनी भी हुई. उस के बाद समीर अपने घर आया और अपनी बीवी श्यामली को रात की हकीकत बता कर विश्वजीत से बात न करने की चेतावनी दी. पति के समझाने पर श्यामली तो ऐसी अंजान सी बन गई थी कि जैसे वह कुछ जानती ही नहीं. उस के बाद से समीर के आंखकान चौकन्ना हो गए थे. लेकिन समीर 24 घंटों में अपनी बीवी की कितने घंटे चौकसी कर सकता था.

समीर के समझाने के बाद भी वह प्रेमी से मोबाइल पर घंटों बात करती थी. बात करने के तुरंत बाद ही विश्वजीत की काल हिस्ट्री को डिलीट भी कर देती थी. उसी दौरान एक दिन श्यामली से वही गलती हुई जो मियांबीवी में विवाद का कारण बनी. जिस के कारण दोनों की बसीबसाई गृहस्थी में पूरी तरह से आग लग गई. श्यामली के प्रति समीर का विश्वास टूटा तो दोनों की जिंदगी में प्रलय आ गई. लिहाजा अगली सुबह समीर उसे उस के मायके छोड़ आया. श्यामली को मायके छोड़ने के कुछ समय बाद तक उस ने उसे कोई बात भी नहीं की. उस के कई महीनों बाद उस के ससुराल वालों ने उसे बुला कर ले जाने को कहा तो समीर ने उसे लाने से साफ मना कर दिया.

उस के बाद उस की ससुराल वालों ने समीर के परिवार वालों को बुला कर गांव में ही पंचायत की. श्यामली ने भरी पंचायत में अपनी गलती की माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की बात कही. उस के बाद श्यामली फिर से समीर के साथ रहने लगी थी. मायके से आने के कुछ दिनों तक तो श्यामली ठीकठाक रही. लेकिन एक बार 2 दिलों में आ चुकी दरार पूरी तरह से भर नहीं पाई. और समीर भी उसे पहला प्यार नहीं दे पा रहा था. जिस के कारण उस के मन में समीर के प्रति बसी छवि धूमिल होती चली गई. वहीं दूसरी ओर विश्वजीत उस की जिंदगी में बहार बन कर उस के सपनों का राजकुमार बन गया. यही कारण रहा है कि कुछ समय बाद ही फिर से वह चोरीछिपे विश्वजीत राय से  मिलनेजुलने लगी थी.

उसी मिलनेजुलने के दौरान श्यामली ने विश्वजीत के सामने प्यार के आंसू बहाते हुए किसी भी तरह से समीर को अपनी जिंदगी से निकालने वाली बात कही. विश्वजीत भी श्यामली को हद से ज्यादा प्रेम करने लगा था. वह किसी भी कीमत पर उसे अपनी बीवी के रूप में देखना चाहता था. लिहाजा वह समीर रूपी कांटे को हटाने के लिए तैयार हो गया. इस हत्याकांड को अंजाम देने से एक सप्ताह पूर्व ही श्यामली ने अपने प्रेमी विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुना. इस अंजाम को अमलीजामा पहनाने के लिए श्यामली ने घर में रखे 50 हजार रुपए खर्च वास्ते विश्वजीत को दिए.

विश्वजीत ने उन्हीं 50 हजार रुपए में से दिनेशपुर से 315 बोर का एक तमंचा और कारतूस खरीदे. हालांकि श्यामली ने विश्वजीत के साथ मिल कर समीर की हत्या का तानाबाना बुन तो लिया था. लेकिन अंजाम को सोच कर वह बारबार परेशान हो रही थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि इतनी बड़ी बारदात को अंजाम देने के बाद अपने में कैसे हिम्मत जुटाएगी. उसी समय 18 जून, 2020 को उस की मुलाकात उस की एक पुरानी सहेली प्रियंका से हुई. प्रियंका कई दिन से उसी के नजदीक रहने वाली राधिका नाम की सहेली के साथ रह रही थी. वह प्रियंका से मिली तो उस ने श्यामली के सामने अपनी दिल की पीड़ा सुनाते हुए उसे अपने साथ रखने वाली बात कही. श्यामली उस की परेशानी सुन कर उसे अपने घर ले आई.

प्रियंका के आ जाने से श्यामली का मनोबल भी बढ़ गया था. एक सप्ताह पहले समीर की हत्या की साजिश रचने के बाद श्यामली पूरी तरह से सतर्क हो गई थी. 19 जून 2020 की शाम को श्यामली ने समीर के मोबाइल पर फोन कर कहा कि उस की सहेली प्रियंका भी बीयर पीती है. आज रात वह हमारे ही साथ रहेगी. इसीलिए वह बीयर की 3 केन ले कर आए. श्यामली के कहने पर समीर उस शाम वियर की 3 केन ले कर आया. उस दिन समीर के साथ काम करने वाले युवक सूरज और छोटू भी घर पर ही रुक थे. उस दिन श्यामली ने शाम को जल्दी ही खाना बनाया और समीर के आते ही उस ने सूरज और छोटू को खाना खिला कर ऊपर छत पर सोने के लिए भेज दिया था. उस के बाद समीर, श्यामली और प्रियंका तीनों ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. खाना खाने के बाद तीनों ने एक जगह बैठ कर बीयर पी.

बीयर पीने के कुछ समय बाद ही समीर नींद में झूमने लगा. श्यामली ने समीर की बीयर में नींद की गोलियां मिला दी थीं. समीर के गहरी नींद में सोने के बाद ही उस ने विश्वजीत को फोन कर के उस की लोकेशन का पता किया. उस के बाद भी वह बारबार छत पर जा कर सूरज और छोटू के सोने का जायजा लेती रही. उस समय सूरज और छोटू भी शराब पी कर सोए थे. नशे में होने के कारण वह दोनों भी शीघ्र ही सो गए थे. उन दोनों के सोते ही जब श्यामली को पूरा विश्वास हो गया कि वह दोनों भी गहरी नींद में सो चुके हैं तो उस ने जीने का दरबाजा अंदर से बंद कर दिया. उस के बाद उस ने अपने प्रेमी विश्वजीत राय को फोन कर शीघ्र आने को कहा.

श्यामली का फोन आने के तुरंत बाद ही विश्वजीत अपने 2 साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ रात के कोई 2 बजे के आसपास उस के घर के पास पहुंचा. उस के घर के पास पहुंचते ही मछली बाजार के नजदीक विश्वजीत ने अपनी बाइक रोकी और फिर से श्यामली से फोन पर बात कर स्थिति का सही आंकलन किया. उस के बाद विश्वजीत अपने साथियों शिबू अधिकारी और महेश सरकार के साथ समीर के घर पहुंचा. श्यामली ने पहले से ही घर की दूसरी ओर खुलने वाला दरवाजा खुला छोड़ दिया था. उसी रास्ते से तीनों अंदर आ गए. अंदर जाते ही विश्वजीत ने गहरी नींद में सोए समीर के माथे पर तमंचा सटा कर गोली चला दी. माथे पर गोली लगते ही समीर की तुरंत ही मौत हो गई.

समीर की हत्या करने के बाद विश्वजीत अपने साथियों के साथ पीछे वाले दरवाजे से ही निकल गया. समीर की हत्या हो जाने के बाद श्यामली की हिम्मत जवाब दे गई. जब उस ने समीर को रक्तरंजित हालत में देखा तो वह बुरी तरह से घबरा गई थी. उस के बाद प्रियंका ने उसे हिम्मत बंधाई और धैर्य रखने वाली बात कही. उस समय तक घर में गोली चलने की आवाज सुन कर छत पर सो रहे सूरज और छोटू भी पड़ोसी की छत से कूद कर नीचे आ गए थे. सूरज और छोटू के पूछने पर श्यामली ने बताया कि अभी थोड़ी देर पहले ही कुछ बदमाश घर में घुस आए थे, जिन्होंने आते ही समीर को गोली मार उस की हत्या कर दी और फिर फरार हो गए.

कुछ समय बाद ही पड़ोसी और समीर के मातापिता भी घर पहुंच गए थे. जब श्यामली कोई निर्णय नहीं ले पाई तो उस ने दूसरे कमरे में जा कर पंखे से चुन्नी बांधी और आए लोगों को उलझाने के लिए उस ने अपने को भारी सदमे में दिखा कर खुदकुशी करने का ड्रामा किया. लेकिन पुलिस की जांचपड़ताल के दौरान पंखे से लटकने वाली बात केवल उस का दिखावा ही था. श्यामली द्वारा अपना जुर्म कबूलते ही पुलिस ने इस केस में तीव्रता दिखाते हुए मात्र 9 घंटे में ही उस के प्रेमी विश्वजीत राय, उस के साथी शिबू अधिकारी और महेश सरकार को गिरफ्तार कर लिया था. साथ ही पुलिस ने हत्यारोपियों की निशानदेही पर घटना में इस्तेमाल तमंचा, एक खोखा, बीयर में डाली गई नशे की बाकी बची 3 गोलियां और घटना में इस्तेमाल बाइक भी बरामद कर ली थी.

केस का खुलासा होते ही पुलिस ने इस मामले में हत्याकांड के मुख्य आरोपी श्यामली के प्रेमी विश्वजीत राय पुत्र शिबू अधिकारी, महेश सरकार, मृतक की बीवी श्यामली बिस्वास के खिलाफ आईपीएस की धारा 302/3/25 आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें 20 जून को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस मामले के खुलासे के बाद एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने इस केस की जांचपड़ताल में लगी पुलिस टीम में शामिल सीओ अमित कुमार, थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी, एसआई विजय सिंह, प्रदीप शर्मा, कौशल भाकुनी, अर्जुन गिरि, मनोज कुमार, धीरज वर्मा, नीरज शुक्ला, नरेश जोशी, नीरज भोज, दिनेश चंद्र, राकेश उप्रेती, जितेंद्र चौहान, मुकेश मेहरा, गोकुल टम्टा आदि को ढाई हजार रुपए का ईनाम दे कर सम्मानित किया. इस केस की तफ्तीश स्वयं थानाप्रभारी विद्यादत्त जोशी कर रहे थे.

 

Love Crime : गन्‍ने के खेत में प्रेमी को बुला कर आंख में मारी गोली

Love Crime : रंजीत वैशाली को अथाह प्यार करता था, लेकिन वैशाली के घर वाले उस की शादी रंजीत से करने के पक्ष में नहीं थे. इसी बीच रंजीत की शादी किसी और लड़की से तय हो गई. फिर ऐसा क्या हुआ जो वैशाली, उस की मां गुड्डी और मामा ने रंजीत की शादी से कुछ दिन पहले एक खौफनाक खूनी स्क्रिप्ट लिख डाली…

जिस लड़के या लड़की की शादी हो और वह 2-4 घंटे के लिए घर से इधरउधर हो जाए तो घर वालों को उस की इतनी चिंता होने लगती है, जितनी पहले कभी नहीं हुई. होनी भी चाहिए, क्योंकि जहन में इज्जतबेइज्जती के कई सवाल जो खड़े हो जाते हैं. लड़की के मामले में तो ऐसे सवाल सोच बन कर सिर पर हथौड़े से बजाने लगते हैं. रंजीत के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. सुबह 5 बजे दौड़ लगाने निकला रंजीत घंटों बाद भी नहीं लौटा तो घर वालों ने सोचा कि किसी दोस्त के घर चला गया होगा. लेकिन जब वह दोपहर तक नहीं आया तो परेशान हो कर उस के मोबाइल पर काल की गई, लेकिन उस का मोबाइल स्विच्ड औफ था. इस के बाद चिंतित होना स्वाभाविक था.

रंजीत मुरादाबाद शहर के निकटवर्ती गांव धर्मपुर शेरूआ का रहने वाला था. उस के पिता भोपाल सिंह गांव के पास स्थित प्लाइवुड की एक फैक्ट्री में ठेकेदार थे. उन के बेटों चमन सिंह और विमल में रंजीत बीच का था. भोपाल सिंह ने रंजीत को उसी प्लाइवुड फैक्ट्री में नौकरी दिला दी थी, जहां उन का ठेकेदारी का काम था. 30 जून, 2020 को चूंकि रंजीत की शादी थी, इसलिए भी चिंता की बात थी. चिंताजनक इसलिए क्योंकि गांव की ही वैशाली से उस के प्रेम संबंध थे और वह उस से शादी करना चाहता था. जबकि घर वाले उस की और वैशाली की शादी इसलिए नहीं करना चाहते थे क्योंकि वह दूसरी बिरादरी में शादी के पक्ष में नहीं थे.

रंजीत के पिता भोपाल सिंह, भाई चमन सिंह और विमल ने रंजीत को पूरे गांव में खोजा. सभी संभावित जगहों पर पता लगाया. जब कहीं से भी उस की कोई जानकारी नहीं मिली तो पिता और भाइयों को पुलिस की शरण में जाना ठीक लगा. उन्होंने थाना सिविल लाइंस की पुलिस चौकी अगवानपुर में रंजीत की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पुलिस ने भी अपने स्तर पर रंजीत को खोजा. जब रंजीत रात को भी नहीं लौटा तो भोपाल सिंह के परिवार को लगा कि जरूर कहीं कुछ गड़बड़ है. सोचविचार के बाद भोपाल सिंह अपने बेटों के साथ पुलिस चौकी पहुंचे. उन्होंने रंजीत और वैशाली की प्रेम कहानी के बारे में पुलिस को बता दिया. साथ ही यह भी कि रंजीत और वैशाली देरदेर तक मोबाइल पर बात किया करते थे, जिस की वजह से उस के घर वाले रंजिश रखते थे.

यह जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने वैशाली को पुलिस चौकी बुलवा लिया. वह इंटरमीडिएट तक पढ़ी थी, थोड़ी तेज भी थी. वैशाली ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि रंजीत और उस के बीच प्रेम संबंध थे. दोनों शादी भी करना चाहते थे, लेकिन एक साल पहले सब कुछ खत्म हो गया था. उस ने यह भी कहा कि वह जानती है कि 30 जून को रंजीत की शादी होनी है. ऐसे में उस से बात करने का कोई मतलब नहीं है. सीधीसरल भाषा में कहूं तो मेरी उस से कोई बात नहीं होती, न होगी. इस बातचीत के बाद पुलिस ने उसे घर जाने को कह दिया. रंजीत के घर वाले और पुलिस कई दिन तक उसे ढूंढते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. इस पर थानाप्रभारी नवल मारवाह ने रंजीत के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई.

जांच में पता चला कि 14 जून को उस के मोबाइल फोन पर आखिरी काल वैशाली की आई थी. इस पर 22 जून को पुलिस ने वैशाली, भूपेंद्र और भाई विक्की को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. तीनों को थाना सिविल लाइंस ला कर पूछताछ की गई. पुलिस ने वैशाली से पूछा, ‘‘14 जून को रंजीत के मोबाइल पर आखिरी काल तुम्हारी थी, बताओ उस से क्या बात हुई थी और रंजीत कहां है?’’

‘‘काल उस ने की थी, मैं ने नहीं. मैं पहले ही बता चुकी हूं कि अब हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं बचा था कि बात की जाए. मैं नहीं जानती कि वह कहां गया.’’

इंसपेक्टर नवल मारवाह को लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ है. उन्होंने मातहतों से कहा कि तीनों को थाने में बैठाए रखें. इन लोगों से देर रात पूछताछ की गई. भूपेंद्र और विक्की तो कुछ नहीं बता सके, लेकिन वैशाली ने बम सा फोड़ा. उस ने बताया, ‘‘यह सही है कि 14 जून को रंजीत ने मुझे फोन किया था. उस ने मिलने के लिए मुझे गांव से करीब एक किलोमीटर दूर शुगर मिल के पीछे गन्ने के एक खेत में बुलाया था. उस ने मुझ से कहा कि 30 जून को उस की शादी है. लेकिन वह यह शादी नहीं करना चाहता.’’

वैशाली ने आगे बताया, ‘‘यह सच है कि मैं उस से प्यार करती थी. लेकिन घर वालों की मरजी के बिना शादी नहीं कर सकती थी. उस की भी यही सोच थी. दोनों की बातचीत हुई तो हम ने साथसाथ मरने का फैसला किया. रंजीत तमंचा साथ लाया था. तय हुआ कि वह पहले खुद को गोली मारेगा, बाद में मुझे. यही सोच कर उस ने खुद को गोली मार ली. उस का बहता खून देख कर मैं डर गई और वहां से भाग आई.’’

वैशाली ने यह भी बताया कि रंजीत ने उसे बताया था कि आत्महत्या की बात वह डायरी में लिख कर आया है. साथ ही यह भी कि उस की लाश गन्ने के उसी खेत में पड़ी है. यह बात चौंकाने वाली थी, क्योंकि जिस रंजीत को पुलिस खोज रही थी, उस की लाश गन्ने के खेत में पड़ी थी. 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे सिविल लाइंस पुलिस ने वैशाली की निशानदेही पर गन्ने के खेत से रंजीत का शव बरामद कर लिया. 9 दिन पुराना शव कंकालनुमा बन गया था. एक एक्सीडेंट के बाद रंजीत की एक बाजू में रौड डाली गई थी. उस रौड और कपड़ों से उस के घर वालों ने बता दिया कि लाश रंजीत की ही है. फोरैंसिक टीम पुलिस के साथ आई थी. उस ने जरूरी सबूतों के साथसाथ घटनास्थल से 315 बोर का लोडेड तमंचा, एक खोखा और मृतक का मोबाइल फोन बरामद किया. प्राथमिक काररवाई के बाद पुलिस ने रंजीत के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

रंजीत के घर वाले उस की हत्या को सोचीसमझी साजिश बता रहे थे, जबकि पुलिस उसे आत्महत्या मान रही थी. इस में पेच यह था कि 14 जून को घटना से पहले वैशाली और रंजीत के बीच 54 मिनट तक बात हुई थी. ऐसी स्थिति में इसे साजिश नहीं माना जा सकता था. हालांकि इस के बाद ही रंजीत गायब हुआ था. उसी दिन शाम को 5 बजे पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई. इस रिपोर्ट ने पुलिस की सोच बदल दी. पता चला कि रंजीत के सिर में एक नहीं, 2 गोलियां मारी गई थीं, जो 3 टुकड़ों में बंट कर सिर में फंस गई थीं. इन में से एक गोली कनपटी पर तो दूसरी आंख में मारी गई थी. जाहिर है आत्महत्या करने वाला व्यक्ति खुद को 2 गोली कभी नहीं मार सकता.

निस्संदेह रंजीत को दोनों गोलियां किसी और ने मारी थीं. इस के बाद पुलिस ने हत्या वाली थ्योरी पर जांच करनी शुरू की. वैशाली की घुमावदार बातों से साफ लग रहा था कि अगर काल डिटेल्स न होती तो यह भी पता नहीं चलता कि रंजीत की लाश गन्ने के खेत में पड़ी है. हैरत की बात यह थी कि वैशाली ने इस घटना के बारे में अपने घर वालों को भी कुछ नहीं बताया था. यानी उस ने अपने प्रेमी की मौत की बात 9 दिन तक अपने सीने में दफन रखी थी. मंगलवार को पूरे दिन रंजीत की मौत को खुदकुशी बताने वाली सिविल लाइंस पुलिस ने देर रात मृतक के पिता भोपाल सिंह की तरफ से वैशाली, उस के पिता भूपेंद्र, मां गुड्डी, भाई विक्की और मुंहबोले मामा शुक्ला के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

मृतक के घर वाले पुलिस की अब तक की जांच से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे. रंजीत की मौत के मामले में घर वालों ने समानांतर जांच की थी, जिस ने पुलिस पड़ताल की पोल खोल कर रख दी थी. पुलिस शुरू से इस मामले को आत्महत्या मान कर चल रही थी, पुलिस ने गन्ने के उस खेत में 20-25 कदम दूर तक भी पड़ताल करना मुनासिब नहीं समझा था. बुधवार यानी 24 जून को रंजीत के घर वालों ने मामले से जुड़ी कुछ अहम चीजें ढूंढ निकाली थीं. पुलिस ने वैशाली की बातों पर तो विश्वास किया, लेकिन रंजीत के घर वालों की बातों पर नहीं. इसलिए 24 जून की सुबह चमन सिंह, विमल और उन के पिता घर के अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने उसी गन्ने के खेत में खोजबीन शुरू की, जहां से रंजीत का शव मिला था.

खोजबीन में घटनास्थल से 20-25 कदम की दूरी पर एक थैली रखी मिली, जिस में 4 कारतूस रखे थे. उस के पास ही रंजीत का बनियान और जूते मिले. यह जानकारी जब गांव में फैली तो मौके पर ग्रामीणों की भीड़ जुट गई. इस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. सूचना मिलने पर अगवानपुर पुलिस चौकी की पुलिस पहुंच गई. पुलिस ने कारतूस, बनियान, जूते और हड्डियों के अवशेष सील कर दिए. जबकि 23 जून को पुलिस ने गन्ने के खेत से रंजीत का शव बरामद किया था. लेकिन तब यह सामान बरामद नहीं हुआ था. जिस तरह मामले से जुड़ी अहम चीजें खोज निकाली गईं, उस से पुलिस पड़ताल पर गंभीर सवाल भी उठने लगे.

एएसपी दीपक भूकर के अनुसार रंजीत के घर वालों को 4 कारतूस मिले थे. कारतूस चमकीले हैं, जबकि 23 जून को मिला कारतूस इतना चमकीला नहीं था. शव की कुछ हड्डियां गायब थीं. पोस्टमार्टम में भी 10 फीसदी कम हड्डियां बताई गई थीं. कई दिनों तक शव जंगल में पड़ा होने से संभव है जानवरों ने शव खा लिया हो. इसी से कुछ हड्डियां इधरउधर हो गई हों. पुलिस ने मामले की जांच को गंभीरता से लेते हुए वैशाली से फिर से पूछताछ करने का फैसला किया. वैशाली किसी थ्रिलर फिल्म जैसी कहानियां बना रही थी. 9 दिन प्रेमी की मौत का राज सीने में छिपाए रखने वाली वैशाली ने 24 घंटे पुलिस को छकाने के बाद फिर अपनी कहानी की स्क्रिप्ट बदल दी थी.

पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि गन्ने के खेत में उस के पहुंचने से पहले ही रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. तब उस ने रंजीत के मोबाइल से उस के भाई को काल किया था. लेकिन उस ने काल रिसीव नहीं की. फिर उस ने अपनी मां को फोन किया. उस ने बताया कि मां से उस की करीब 9  मिनट बात हुई. वह फोन पर रो रही थी, उस की मां ने काल जारी रखी और बात करतेकरते उस के पास पहुंच गई. मां उसे ले कर घर लौट आई. पुलिस जांच में अब तक यह भी सामने आ चुका था कि रंजीत की लाश गन्ने के खेत में पड़ी होने की जानकारी वैशाली के मांबाप को भी थी. 24 जून की दोपहर पुलिस ने वैशाली की मां गुड्डी को हिरासत में ले लिया. पुलिस ने मांबेटी को आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की.

पता चला कि पिछले 7 साल से वैशाली के घर एक व्यक्ति शुक्ला रहता था, जो घटना के बाद से फरार है. उस का मोबाइल भी बंद था. वैशाली ने उसे मुंहबोला मामा बताया. शुरू में पुलिस जांच में वैशाली के बयान और रंजीत के घर मिली उस की पर्सनल डायरी आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे थे. डायरी में रंजीत ने इस बात पर खेद प्रकट किया था कि उस का विवाह उस की मरजी के खिलाफ हो रहा है. डायरी में उस ने परिवार वालों को नसीहत दी थी कि छोटे भाई की शादी उस के मनमुताबिक करें. उस ने डायरी में अपनी एफडी छोटे भाई को देने की बात भी की थी. पुलिस ने इसी आधार पर आत्महत्या की कड़ी से कड़ी जोड़ने का प्रयास किया था.

वारदात की एकलौती चश्मदीद वैशाली ने प्रेमी रंजीत की मौत को ले कर अब तक जो दावे किए थे, उन में काफी विरोधाभास था. उस के रोजरोज बदल रहे बयानों ने पुलिस को चक्कर में डाल दिया था. उस ने 105 घंटे में 6 बार अपने बयान बदले. हर बार उस का नया बयान सामने आ रहा था. पुलिस उस की इस स्वीकारोक्ति पर चौंकी, जब उस ने कहा कि गन्ने के खेत में उस ने खुद रंजीत को 2 गोलियां मारी थीं, क्योंकि वह उस पर शादी करने का दबाव बना रहा था. वैशाली के साथ उस की मां ने भी कबूलते हुए कहा कि वह खुद और वैशाली का मामा शुक्ला वैशाली के साथ गए थे. चूंकि दोनों अलगअलग बिरादरी के थे, इसलिए शादी नहीं हो सकती थी. उस ने बहाने से वैशाली को गन्ने के खेत में बुलाया. वहां वैशाली ने मां और मामा के सामने ही 2 गोलियां मार कर रंजीत की हत्या कर दी.

हालांकि पुलिस सारी कडि़यों को आपस में जोड़ रही थी. पुलिस ने फरार आरोपी शुक्ला के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई. उस की लोकेशन गोरखपुर की आ रही थी. पुलिस की एक टीम उस की तलाश में जुटी थी. यह जानकारी मिलने पर वह टीम गोरखपुर के लिए रवाना हो गई. दूसरी टीम वैशाली और उस की मां से लगातार पूछताछ कर रही थी. जबकि तीसरी टीम लड़की के पिता व भाई से पूछताछ में जुटी थी. चौथी टीम सबूत जुटाने में लगी थी. पुलिस को लग रहा था कि वैशाली के मामा शुक्ला की इस मामले में अहम भूमिका रही होगी. रंजीत का शव 23 जून को तड़के साढ़े 3 बजे बरामद हो गया था. उस के बाद से 25 जून शाम साढ़े 6 बजे तक वैशाली ने 6 बयान बदले. उस ने पुलिस को खूब छकाया. बारबार बयान बदल कर पुलिस को उलझाने की कोशिश करती रही.

उस ने पहला बयान 21 जून की दोपहर 12 बजे दिया था, जिस में उस ने कहा कि रंजीत और उस के प्रेम संबंध थे, जो एक साल पहले खत्म हो चुके थे. अब उस से उस की बात नहीं होती. उस ने दूसरा बयान 22 जून को रात 12 बजे दिया. मोबाइल की काल डिटेल्स आने के बाद पुलिस ने उसे दोबारा चौकी बुलाया. तब उस ने बताया कि रंजीत की मौत हो चुकी है. उस की लाश खेत में पड़ी है. उस ने आत्महत्या की है. तीसरा बयान 23 जून की सुबह 6 बजे दिया. जिस में उस ने कहा कि 30 जून को रंजीत की शादी थी. हम दोनों ने आत्महत्या करने का फैसला किया था. 14 जून की सुबह रंजीत ने उसे काल कर के गन्ने के खेत में बुलाया था, जहां रंजीत ने खुद को गोली मार ली थी. इस के बाद मुझे भी गोली मारनी थी, लेकिन मैं घबरा कर घर भाग आई.

उस ने चौथा बयान उस ने 24 जून की दोपहर 11 बजे दिया, जिस में कहा कि रंजीत ने मेरे खेत में पहुंचने से पहले ही आत्महत्या कर ली थी. मैं ने रंजीत के भाई को काल की थी, पर उस ने काल रिसीव नहीं की तो मैं ने अपनी मां को फोन कर के मौके पर बुला लिया और मां के साथ वहां से घर चली गई. 9 दिन अपने प्रेमी की मौत का राज सीने में दफन करने और 117 घंटे में 7 बार बयान बदलने वाली वैशाली ने आखिरकार शुक्रवार सुबह सच उगल ही दिया. थाना सिविल लाइंस के थानाप्रभारी नवल मारवाह ने वैशाली के 7वें बयान के आधार पर 11 दिन बाद रंजीत की हत्या का खुलासा कर दिया. पुलिस के अनुसार वैशाली और उस की मां ने रंजीत की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट, मौके से मिला तमंचा, कारतूस और सिर में मिले गोली के 2 टुकड़े, फोटोग्राफी और वीडियो फुटेज, फोरैंसिक लैब की रिपोर्ट और बैलिस्टिक एक्सपर्ट की राय जैसे सबूत मांबेटी के खिलाफ काफी थे. पुलिस ने पूछताछ के लिए वैशाली के भाई और उस के पिता को भी हिरासत में लिया था. दोनों से पूछताछ की गई, लेकिन उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई. फरार शुक्ला के कमरे की तलाशी के बाद पुलिस ने उस का बैंक खाता फ्रीज करा दिया. पुलिस को गुमराह करने की कला के बारे में वैशाली ने बताया कि उस ने अभिनेता अजय देवगन की फिल्म ‘दृश्यम’ एक महीने में 5 बार देखी थी. इसी से प्रेरणा ले कर रंजीत की हत्या का राज अपने सीने में दफन करने की सोची.

फिल्म की तरह ही उन्होंने भी रंजीत की हत्या करने के बाद किया. साथ ही वैशाली ने अपनी मां व मामा को भी यही बताया था कि हो सकता है पुलिस को रंजीत की लाश मिल जाए, लेकिन उन्हें अपने बयान पर अड़े रहना है. रंजीत अपने घर एक डायरी रख कर आया था, जिस में उस ने आत्महत्या के बारे में लिख दिया था. इस से हमें उस का लाभ मिल सकता है. बस उन्हें अपनी तरफ से कोई ऐसी हरकत नहीं करनी है कि पुलिस को कोई शक हो. वैशाली और उस की मां गुड्डी ने इस हत्याकांड की जो कहानी बताई, वह कुछ इस तरह थी—

रंजीत फैक्ट्री में नौकरी करने से पहले गांव में परचून की दुकान चलाता था. वैशाली अकसर उस की दुकान सामान लेने जाती थी. दोनों का दुकान पर ही संपर्क हुआ, जो धीरेधीरे प्यार में बदल गया. इस की भनक गांव वालों के साथ दोनों के घर वालों को भी लग गई. रंजीत वैशाली से शादी करना चाहता था. लेकिन वैशाली के घर वाले तैयार नहीं थे. इस बात को ले कर गांव में पंचायत भी हुई. इस के बाद रंजीत के घर वालों ने उस की शादी थाना छजलैट के गांव भीनकपुर की एक युवती से तय कर दी. शादी 30 जून, 2020 को होनी थी. लेकिन रंजीत इस शादी से खुश नहीं था. इस बीच उस की और वैशाली की मोबाइल पर बातचीत जारी रही. रंजीत अपनी प्रेमिका वैशाली को जीजान से चाहता था. उस के बिना वह जीने की कल्पना भी नहीं कर सकता था. उस ने वैशाली से कह दिया था कि वह शादी करेगा तो उसी से, नहीं तो जान दे देगा.

रंजीत वैशाली पर दबाव बना रहा था कि उस के साथ शादी कर ले या फिर दोनों साथसाथ आत्महत्या कर लें. रंजीत वैशाली को बारबार काल कर के टौर्चर करने लगा तो वह तंग आ गई. घटना वाले दिन रंजीत ने उसे आत्महत्या के लिए गन्ने के खेत में बुलाया था. योजना के मुताबिक वह खेत में पहुंच गई. कुछ ही देर में वैशाली की मां गुड्डी और उस का मुंहबोला मामा शुक्ला भी वहां आ गए. इस के बाद मामा ने पीछे से रंजीत के हाथ पकड़ कर उसे जमीन पर गिरा दिया. पहली गोली वैशाली ने रंजीत की कनपटी पर मारी. जबकि दूसरी गोली उस की मां ने रंजीत की दाहिनी आंख और नाक के बीच सटा कर मारी. मुंहबोला मामा अपने साथ तमंचा और कारतूस ले कर आया था. लेकिन दोनों गोलियां रंजीत के तमंचे से ही मारी गई थीं.

रंजीत की हत्या करते समय मांबेटी दोनों के हाथ खून से सन गए थे, जिन्हें उन्होंने खेत में ही घास से पोंछ दिया था. रंजीत की हत्या कर के तीनों घर आ गए. घर आने के बाद तीनों ने चाय पी और नाश्ता किया. वैशाली की मां उस की शादी अपनी जाति के किसी अच्छे घर में करना चाहती थी. समझाने पर वैशाली भी मान गई थी. लेकिन रंजीत वैशाली का पीछा नहीं छोड़ रहा था. तब उस ने शुक्ला के साथ मिल कर उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई. 14 जून को उन्हें मौका मिल गया. 6 जून को पुलिस ने वैशाली और उस की मां गुड्डी को कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

 

Extramarital Affair : बहन ने छोटी बहन को जीजा से हंस हंस कर बात करते देखा तो गला दबा दिया

Extramarital Affair : कोई भी औरत नहीं चाहती कि उस का पति किसी और से रिश्ता जोड़े. ऐसे में अगर पति पत्नी की बहन से रिश्ता बना ले तो पत्नी के लिए यह बात नाकाबिले बरदाश्त हो जाएगी. इसी वजह से गीता ने…

नहने सिंह मंडी से सब्जी ला कर गांव में बेचने का काम करता था. उस का बेटा रवि भी इस काम में उस की मदद करता था. लौकडाउन के चलते रोजाना की तरह नहने उस दिन भी सुबह सब्जी खरीदने के लिए टूंडला मंडी गया था. सुबह 7 बजे सब्जी ले कर वह वापस घर लौट आया. तब तक घर के सभी सदस्य जाग गए थे, लेकिन घर में उसे अपनी बेटी कंचन दिखाई नहीं दी. उस ने पत्नी से पूछा, ‘‘कंचन कहां है?’’

पत्नी ने बताया कि छत पर सो रही है, अभी तक नीचे नहीं आई है. उसे उठाने के लिए रवि ने आवाज दी, लेकिन उस ने कोई जवाब नहीं दिया. इस पर घरवाले छत पर गए. देखा चारपाई पर कंचन मुंह ढंके सो रही थी. पास जा कर उसे हिलाया. लेकिन वह नहीं उठी. गौर से देखा तो कंचन मरी पड़ी थी. यह घटना 15 मई, 2020 की है. कंचन की मौत की बात सुनते ही घर में कोहराम मच गया. चीखपुकार का शोर सुन कर आसपास के लोग आ गए. नहने की बेटी की अचानक मौत होने से गांव में सनसनी फैल गई. इसी बीच किसी ने पुलिस को सूचना दे दी. कुछ ही देर में पचोखरा थानाप्रभारी संजय सिंह पुलिस टीम के साथ वहां पहुंच गए. उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया.

कंचन के घरवालों ने पड़ोसियों पर कंचन की हत्या करने का आरोप लगाया. कारण आपसी रंजिश थानाप्रभारी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे दी थी. कुछ ही देर में एसपी (सिटी) प्रबल प्रताप सिंह और सीओ अजय सिंह चौहान फोरैंसिक टीम के साथ मौकाएवारदात पर आ गए. कंचन की लाश देख उस की मां और बहनें बिलखबिलख कर रो रही थीं. उन्हें मोहल्ले  की महिलाएं संभाल रही थीं. पुलिस अधिकारियों ने मकान की छत पर जा कर चारपाई पर पड़े कंचन के शव का बारीकी से निरीक्षण किया, फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर साक्ष्य जुटाए. जांच के दौरान फोरैंसिक टीम प्रभारी कुलदीप चौहान ने देखा, मृतका की गरदन पर चोट का निशान था. मतलब कंचन की हत्या की गई थी.

उस की हत्या किस ने और क्यों की, इस का जवाब किसी के पास नहीं था. लेकिन मृतका के पिता नहने चिल्लाचिल्ला कर अपनी बेटी की हत्या का आरोप पड़ोसियों पर लगा रहा था. पूछताछ में मृतका के भाई रवि ने बताया कि वह रात में पड़ोस में गया हुआ था. वहां एक लड़की को सांप ने काट लिया था. वहां से वह रात 12 बज कर 5 मिनट पर घर आया. सवा 12 बजे छत पर गया, वहां बहन कंचन चारपाई पर सो रही थी. उस समय वह जिंदा थी या मर चुकी थी, उसे पता नहीं. वह छत से नीचे आ कर सो गया. सुबह 7 बजे पता चला कि बहन की मौत हो गई है. पुलिस ने इस संबंध में घर वालों से पूछताछ की. पिता नहने ने बताया कि सभी लोग मकान के चबूतरे पर सो रहे थे. गरमी की वजह से रात में कंचन घर की छत पर चली गई थी. सुबह वह मृत मिली. रात में सोते समय  पड़ोसियों ने छत पर जा कर कंचन की हत्या कर दी.

पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया. फिर मौके की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भिजवा दी. दूसरे दिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि कंचन की हत्या गला घोंटने से हुई थी. पुलिस ने मृतका के पिता नहने सिंह की तहरीर पर गांव के प्रणवीर यादव, उस की पत्नी गीता, प्रबल कुमार यादव व पीपी यादव के खिलाफ हत्या की आशंका का केस दर्ज कर लिया. रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि पड़ोसी उस से व उस के परिवार से  रंजिश रखते थे. इस के चलते बेटी कंचन की सोते समय गला दबा कर हत्या कर दी गई.

नहने सिंह अपने परिवार के साथ जिला फिरोजाबाद के गांव जारखी में रहता था. उस के 5 बच्चों में बेटी गीता सब से बड़ी थी, दूसरे नंबर का बेटा रवि था. इस से छोटी कंचन और शिवानी थीं. दोनों छोटी बहनें जवान थीं. नहने ने दोनों बहनों का रिश्ता तय कर दिया था. 29 जून को कंचन व शिवानी की बारात आनी थी. घर में खुशी का माहौल था और शादी की तैयारियां चल रही थीं. सीओ अजय चौहान ने एसओजी टीम को भी इस घटना के खुलासे के लिए लगा दिया. एसओजी प्रभारी कुलदीप चौहान अपनी टीम सहित इस कार्य में जुट गए. जांच के दौरान पुलिस ने पड़ोसियों से भी पूछताछ की. पूछताछ के दौरान पता चला कि दोनों बहनों कंचन व शिवानी की जून में शादी होने वाली थी. पुलिस ने प्रेम प्रसंग को ले कर भी जांच की. लेकिन उसे पता चला कि कंचन का किसी से कोई प्रेमप्रसंग नहीं चल रहा था.

जांच के दौरान पता चला कि मृतका कंचन के मोबाइल की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर कंचन की अकसर बात होती थी. उस नंबर पर बात भी काफी देर तक होती थी. पूछताछ पर पता चला कि यह नंबर कंचन के जीजा भूरा का था. इस पर पुलिस ने मृतका के घरवालों से गहनता से पूछताछ की. पुलिस को पता चला कि नहने के 5 बच्चों में सब से बड़ी बेटी गीता शादीशुदा है. उस की शादी आगरा के थाना क्षेत्र गांव लड़ामदा में भूरा के साथ हुई थी. उस के 2 बच्चे भी हैं. वह पिछले 2 माह से अपने मायके जारखी में रह रही थी. इस के बाद पुलिस ने गीता और उस के पति भूरा के संबंधों के बारे में जानकारी जुटाई. पुलिस को पता चला कि पतिपत्नी के बीच रिश्ते मधुर नहीं थे.

छोटी बहन कंचन अपने जीजा से अकसर मोबाइल पर बात करती थी. पुलिस ने इस पहलू पर भी जानकारी जुटाई कि कहीं जीजासाली के बीच कोई खिचड़ी तो नहीं पक रही थी. कहीं कंचन पत्नी के बीच रोड़ा तो नहीं बन रही थी. मृतका के पिता ने पड़ोस के 4 लोगों पर शक जताते हुए हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस और एसओजी टीम ने जब मामले की गहनता से जांच की तो बात कुछ और निकली. बड़ी बहन गीता ने खून के रिश्तों को कलंकित होते देख अपनी छोटी बहन कंचन की गला दबा कर हत्या कर दी थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने 20 मई, 2020 को बड़ी बहन गीता को छोटी बहन कंचन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. गीता ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.  गीता ने बहन की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस तरह थी—

गीता की शादी 7-8 साल पहले हुई थी. छोटी बहन कंचन से पति भूरा के संबंध होने का गीता को शक था. शक की बुनियाद यह थी कि दोनों मोबाइल पर घंटों बात करते थे. इस के चलते उसे दोनों के बीच प्रेम संबंध होने का शक हो गया था. गीता ने पति से कई बार कंचन से बात करने को मना किया.  लेकिन उस का पति कंचन को ले कर उस के साथ आए दिन मारपीट करता था. पिछले 2 महीने से गीता अपने मायके में रह रही थी. उस ने देखा कि यहां भी उस के पति और बहन कंचन के बीच काफी देर तक बातें होती थीं. दोनों मोबाइल पर चिपके रहते थे. यह बात गीता को नागवार गुजरती थी. घटना से एक दिन पहले भी गीता का कंचन से विवाद हुआ था. गीता को यह बात बुरी लगती थी कि शादी तय हो जाने के बाद भी कंचन उस के पति से बात करती रहती है.

गीता को शक था कि जीजा से बात करने के लिए कंचन गरमी का बहाना कर छत पर चली गई है. वह रात में उस के पति से बात करेगी. उस दिन रात के समय उस का भाई रवि भी मोहल्ले में चला गया था. अच्छा मौका देख कर गीता छत पर गई. उस समय कंचन चारपाई पर गहरी नींद में सोई हुई थी. इसलिए उस ने छत पर अकेली सो रही कंचन का गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. उस ने गला इतनी जोर से दबाया कि कंचन की चीख भी नहीं निकल सकी. हत्या के बाद वह दबे पांव नीचे आ कर सो गई. सुबह कंचन की मौत की खबर पर दुख जताते हुए वह भी रोने का नाटक करती रही.

पुलिस ने गीता को बहन की हत्या के आरोप में गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. जीजा और साली का रिश्ता हंसीमजाक का होता है. जीजा से मोबाइल पर हंसहंस कर बात करना ही कंचन की मौत का कारण बन गया. गीता को अपनी बहन के चरित्र पर शक हो गया था, लेकिन शक दिनोंदिन इतना गहराता गया कि अंतत: उस ने उस की हत्या कर दी.

पुलिस ने युवती की हत्या की गुत्थी का घटना के 5 दिन बाद ही खुलासा कर दिया. गीता ने शक के चलते अपना परिवार उजाड़ लिया. नहने के घर में शादी की खुशियां मातम में बदल गईं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Murder Story : प्रेमी के साथ मिलकर किया शौहर का कत्ल

Murder Story : लतीफ से निकाह हो जाने के बाद अजमेरिन को मायके के प्रेमी तेजपाल से संबंध खत्म कर देने चाहिए थे. लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया. बल्कि वह प्रेमी तेजपाल को अपनी ससुराल में भी बुलाने लगी. इस का नतीजा इतना खतरनाक निकला कि…

9 अप्रैल की सुबह 5 बजे अजमेरिन की चीख और रोनेपीटने की आवाज सुन कर घर वाले तथा पड़ोसी आ गए. उस ने अपने ससुर साबिर अली को बताया कि उस के शौहर लतीफ को किसी ने रात में मार डाला है. बेटे की हत्या की बात सुन कर साबिर अली अवाक रह गए. इस के बाद तो बेहटा गांव में कोहराम मच गया. अजमेरिन को ले कर गांव में तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं. कुछ लोग दबी जुबान से तो कुछ खुल कर अजमेरिन को ही दोषी ठहरा रहे थे. घर वालों को भी अजमेरिन पर ही शक था. कुछ देर बाद साबिर अली थाना ठठिया पहुंचे. उस समय थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह थाने पर मौजूद थे. उन्होंने अधेड़ उम्र के व्यक्ति को बदहवास देखा, तो पूछा, ‘‘बताइए, कैसे आना हुआ और इतने घबराए हुए क्यों हो?’’

‘‘साहब, मेरा नाम साबिर अली है. मैं गांव बेहटा का रहने वाला हूं. बीती रात किसी ने मेरे बेटे लतीफ की हत्या कर दी. वह 20 दिन पहले ही हैदराबाद से गांव लौटा था.’’

हत्या की बात सुन कर थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह चौंके. उन्होंने साबिर अली से पूछा, ‘‘तुम्हारे बेटे लतीफ की हत्या किस ने और क्यों की होगी? क्या उस की गांव में किसी से कोई दुश्मनी या लेनदेन का लफड़ा था?’’

‘‘साहब, लतीफ बहुत सीधासादा था. गांव में उस की न तो किसी से दुश्मनी थी और न ही किसी से लेनदेन का लफड़ा था. पर मुझे एक आदमी पर गहरा शक है.’’

‘‘किस पर?’’ शैलेंद्र सिंह ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘लतीफ की बीवी अजमेरिन पर.’’ साबिर अली ने बताया.

‘‘वह कैसे?’’ थाना प्रभारी ने पूछा.

‘‘साहब, लतीफ की बीवी अजमेरिन का चरित्र ठीक नहीं है. वह मायके के यार तेजपाल को घर बुलाती थी. तेजपाल को ले कर मियांबीवी में झगड़ा होता था. मुझे शक है कि अजमेरिन ने ही अपने प्रेमी तेजपाल के साथ मिल कर मेरे बेटे को मार दिया है. अब वह पाकीजा बनने का नाटक कर रही है.’’

अवैध संबंधों में हुई हत्या का पता चलते ही थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने इस वारदात से वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया और फिर पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पहुंच गए. उस समय लौकडाउन की वजह से इक्कादुक्का लोग ही मौजूद थे. पुलिस को देख कर शौहर के शव के पास बैठी अजमेरिन छाती पीटपीट कर रोने लगी. अजमेरिन रो जरूर रही थी, पर उस की आंखों से आंसू नहीं निकल रहे थे. शैलेंद्र सिंह को समझते देर नहीं लगी कि अजमेरिन रोने का ड्रामा कर रही है. फिर भी सहानुभूति जताते हुए उन्होंने उसे शव से दूर किया और निरीक्षण कार्य में जुट गए. मृतक लतीफ का शव घर के बाहर बरामदे में तख्त पर पड़ा था. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे. देखने से ऐसा लग रहा था कि हत्या गला दबा कर की गई थी. उस की उम्र 35 वर्ष के आसपास थी और वह शरीर से हृष्टपुष्ट था.

थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह अभी जांच कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी अमरेंद्र प्रसाद, एएसपी विनोद कुमार तथा सीओ सुबोध कुमार जायसवाल घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर मृतक की बीवी अजमेरिन से पूछताछ की. अजमेरिन ने बताया कि बीती रात 9 बजे उस ने शौहर के साथ बैठ कर खाना खाया था. कुछ देर दोनों बतियाते रहे, उस के बाद वह घर के बाहर बरामदे में जा कर तख्त पर सो गए. इस के बाद रात में किसी ने उन की हत्या कर दी. कैसे और कब, इस बारे में उसे नहीं मालूम. सुबह जब वह सो कर उठी और साफसफाई करते हुए बरामदे में पहुंची तो उन्हें मृत पाया. पति को इस हालत में देख कर वह चीखीचिल्लाई तो ससुर व पड़ोसी आ गए. ससुर ने पुलिस को सूचना दी तो पुलिस आ गई.

पुलिस अधिकारियों ने मृतक के वालिद साबिर अली से बात की तो उस ने लतीफ की बीवी अजमेरिन पर शक जताया कि वह चरित्र की खोटी है. पुलिस अधिकारी पक्के सबूत के बिना अजमेरिन को गिरफ्तार नहीं करना चाहते थे. इसलिए घटनास्थल की सारी काररवाई पूरी कर शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल कन्नौज भिजवा दिया गया. साथ ही थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को आदेश दिया कि वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद काररवाई करें. 10 अप्रैल की शाम 5 बजे थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को लतीफ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई. रिपोर्ट के मुताबिक लतीफ की हत्या गला घोंट कर की गई थी. हत्या के पहले उस के साथ मारपीट भी हुई थी. उस के हाथों व पैरों पर गंभीर चोटों के निशान थे.

भोजन पचा पाया गया, जिस से अनुमान लगाया कि हत्या रात 12 बजे के बाद हुई थी. जहर की आशंका को देखते हुए विसरा को सुरक्षित कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद शैलेंद्र सिंह दूसरे रोज सुबह 10 बजे मृतक की बीवी अजमेरिन से पूछताछ करने उस के गांव बेहटा पहुंचे लेकिन वहां दरवाजे पर ताला लटक रहा था. उन्होंने मृतक के पिता साबिर अली से पूछा, तो उन्होंने बताया कि अजमेरिन घर में ताला डाल कर फरार हो गई है. संभव है, वह अपने मायके चली गई है. उस का मायका कानपुर देहात जनपद के रसूलाबाद थाना अंतर्गत गांव सहवाजपुर में है. उसी गांव में उस का आशिक तेजपाल भी रहता है.

अजमेरिन के फरार होने से थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को पक्का यकीन हो गया कि लतीफ की हत्या में उस का ही हाथ है. उसी ने अपने आशिक के साथ मिल कर शौहर की हत्या की है. अत: अजमेरिन और उस के आशिक को पकड़ने के लिए शैलेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ थाना रसूलाबाद पहुंच गए. वहां की पुलिस की मदद से उन्होंने गांव सहवाजपुर में अजमेरिन व तेजपाल के घर छापा मारा. लेकिन वह दोनों अपनेअपने घर में नहीं थे. तेजपाल के पिता ओमप्रकाश ने बताया कि तेजपाल 8 अप्रैल की सुबह मोटरसाइकिल ले कर घर से निकला था, तब से वह वापस नहीं आया. जबकि अजमेरिन के घर वालों ने बताया कि वह मायके आई ही नहीं है.

तेजपाल व अजमेरिन को पकड़ने के लिए थानाप्रभारी ने तमाम संभावित स्थानों पर छापे मारे, लेकिन दोनों पकड़ में नहीं आए. इस बीच उन्होंने उन के घर वालों से भी सख्ती से पूछताछ की, लेकिन उन का पता नहीं चला. इस पर थानाप्रभारी ने अपने खास मुखबिरों का जाल फैला दिया. 14 अप्रैल की सुबह 8 बजे एक मुखबिर ने थाने आ कर थानाप्रभारी को बताया कि अजमेरिन अपने आशिक तेजपाल के साथ नेरा पुल के पास मौजूद है. दोनों शायद किसी सुरक्षित ठिकाने की तलाश में है. मुखबिर की इस सूचना पर शैलेंद्र सिंह सक्रिय हुए और पुलिस बल के साथ नेरा पुल के पास पहुंच गए. पुल पर उन्हें कोई नजर ही नहीं आया.

निरीक्षण करते हुए पुलिस जब पुल के नीचे पहुंची तो वहां एक युवक और एक युवती मिले. पुलिस को देख कर दोनों ने भागने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों को पकड़ लिया. थाना ठठिया ला कर जब उन से पूछताछ  की गई तो युवक ने अपना नाम तेजपाल बताया. जबकि युवती ने अपना नाम अजमेरिन बताया. उन से जब लतीफ की हत्या के संबंध में पूछा गया तो दोनों साफ मुकर गए. लेकिन जब पुलिस ने अपना असली रंग दिखाया तो दोनों टूट गए और हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. यही नहीं उन्होंने हत्या में इस्तेमाल अंगौछा और डंडा भी बरामद करा दिया जिसे उन्होंने घर में छिपा दिया था. अजमेरिन ने बताया कि तेजपाल से उस के संबंध निकाह से पूर्व से थे. जो निकाह के बाद भी बने रहे.

उस का शौहर इन नाजायज ताल्लुकात का विरोध करता था और मारपीट और झगड़ा करता था. शौहर की शराबखोरी और मारपीट से आजिज आ कर उस ने तेजपाल के साथ मिल कर शौहर की हत्या की योजना बनाई. फिर 8 अप्रैल की रात उस के साथ मारपीट की और गला घोंट कर मार डाला. अजमेरिन की बात का तेजपाल ने भी समर्थन किया. थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने लतीफ हत्याकांड का परदाफाश करने और उस के कातिलों को पकड़ने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी तो वह थाना ठठिया आ गए. उन्होंने हत्यारोपियों से खुद पूछताछ की. फिर एसपी अमरेंद्र प्रसाद सिंह ने आननफानन प्रैसवार्ता बुलाई और हत्यारोपियों को मीडिया के सामने पेश कर घटना का खुलासा किया.

चूंकि हत्यारोपियों ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था. इसलिए शैलेंद्र सिंह ने मृतक के पिता साबिर अली को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत तेजपाल व अजमेरिन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई और दोनों को विधि सम्मत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई जिस ने देह सुख के लिए शौहर का कत्ल करा दिया. उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर (देहात) के रसूलाबाद थाना अंतर्गत ककवन रोड पर एक गांव है सहवाजपुर. हिंदूमुसलिम की मिलीजुली आबादी वाला यह गांव पूरी तरह से विकसित है. सड़क मार्ग से जुड़ा होने के कारण गांव में दिन भर चहल पहल रहती है.

यहां के ज्यादातर लोग या तो खेती करते हैं या फिर व्यवसाय. हफ्ते में हर बुधवार को यहां साप्ताहिक बाजार भी लगता है, जिस में आसपास के गांव के लोग आते हैं. नूर आलम अपने परिवार के साथ इसी सहवाजपुर गांव में रहता था. उस के परिवार में बीवी खालिदा बेगम, 2 बेटियां अनीसा, अजमेरिन और बेटा ताहिर था. नूर आलम जूताचप्पल बेचने का काम करता था. इस काम में उस का बेटा ताहिर भी मदद करता था. इसी धंधे से उस के परिवार का भरणपोषण आसानी से हो जाता था. बड़ी बेटी अनीसा का निकाह इरशाद के साथ कर दिया. इरशाद रसूलाबाद कस्बे में रहता था और फल बेचता था. अनीसा शौहर के साथ खुशहाल थी.

नूर आलम की बेटी अजमेरिन भाईबहनों में सब से छोटी थी. वह 5 जमात के आगे न पढ़ सकी. वह मां के साथ चौकाचूल्हा में हाथ बंटाने लगी थी. गोरा चेहरा, नशीली आंखें और सुर्ख होठों पर कंपन लिए अजमेरिन जब मस्तानी चाल से घर से बाहर निकलती तो जवान युवकों की धड़कनें बढ़ जाती थीं. वह उसे देख कर फब्तियां कसते थे. उन की चुभती नजरें अजमेरिन को रोमांच से भर देती थीं. अजमेरिन के वैसे तो कई दीवाने थे, लेकिन 4 घर दूर रहने वाला तेजपाल उसे कुछ ज्यादा ही चाहता था. तेजपाल के पिता ओमप्रकाश किसान थे. उन के 3 बच्चों में तेजपाल सब से छोटा था.

घर के बाहरी छोर पर उन की जनरल स्टोर की दुकान थी, जिस पर तेजपाल बैठता था. उन का बड़ा बेटा कानपुर शहर में नौकरी करता था, जबकि बेटी की शादी हो चुकी थी. पड़ोस में रहने के कारण अजमेरिन और तेजपाल का आमनासामना अकसर हो जाता था. तेजपाल जहां अजमेरिन के रूप का दीवाना था, तो अजमेरिन भी तेजपाल के कुशल व्यवहार से प्रभावित थी. दोनों हंसबोल लेते थे. अजमेरिन 20 साल की हो चुकी थी. उस के युवा तन में तरंगें उठने लगी थीं. तेजपाल भी 22 वर्ष की उम्र का बांका जवान था. उस की रातें भी बेचैनी से बीतती थीं. अजमेरिन जब भी उस की दुकान पर आती, तो तेजपाल उस के यौवन को निहारता रह जाता था.

उसे इस तरह देखते देख अजमेरिन उसे मुसकरा कर देखती और हया से सिर झुका लेती. मोहब्बत का बीज शायद दोनों के मन में पड़ चुका था. धीरेधीरे यह सिलसिला सा बन गया. जब भी अजमेरिन तेजपाल के सामने पड़ती, लाज से उस के गाल सुर्ख हो जाते. तेजपाल मंदमंद मुसकराते हुए उसे देखता तो वह और भी शरमा जाती. एक रोज एकांत पा कर अजमेरिन ने पूछ ही लिया, ‘‘मुझे देख कर यूं शरारत से क्यों मुसकराते हो?’’

‘‘इसलिए कि सीधीसादी अजमेरिन के हुस्न का खजाना मेरी आंखों में बस गया है.’’ तेजपाल ने कह दिया.

‘‘धत्त,’’ अजमेरिन ने तिरछी चितवन से उसे देखा और शरमा कर चली गई.

अब दोनों की निगाहें एकदूजे से कुछ कहने लगीं. एक रोज अजमेरिन तेजपाल की दुकान पर गई तो दुकान बंद थी. वह घर के अंदर गई तो तेजपाल खाना बना रहा था. दरअसल तेजपाल की मां बीमार थी, पिता उसे डाक्टर को दिखाने गए थे. अजमेरिन को शरारत सूझी तो वह बोली, ‘‘अपने हाथों से चपातियां ठोकते हो, शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

‘‘चलो, तुम्हें मेरी परेशानी देख कर रहम तो आया,’’ तेजपाल ने ठंडी सांस छोड़ी, ‘‘जब तुम जैसी कोई हसीना मिलेगी, ब्याह रचा लूंगा.’’

अजमेरिन के गालों पर गुलाब खिल गए. उस ने उसे तिरछी चितवन से निहारा और बिना जवाब दिए मुड़ कर जाने लगी. तेजपाल ने उस का हाथ थाम लिया, ‘‘मेरा चैन ओ करार छीन कर मुसकराती हो’’?

‘‘तुम ने भी तो मेरी रातों की नींद छीन रखी है.’’ अजमेरिन ने कहा.

दोनों की मोहब्बत परवान चढ़ी तो दोनों मिलन का अवसर ढूंढने लगे. उन्हें यह मौका जल्द ही मिल गया. उस रोज अजमेरिन के घर वाले रिश्तेदार के घर गए थे और वह घर में अकेली थी. अजमेरिन ने ही तेजपाल को घर सूना होने की बात बता कर मिलन की राह सुझाई थी. दोपहर के समय दुकान बंद कर तेजपाल, अजमेरिन के घर पहुंचा. उस समय वह उसी का इंतजार कर रही थी. तेजपाल ने धीरे से दरवाजा अंदर से बंद किया फिर अजमेरिन के पास आ कर उसे बांहों में भर लिया और शारीरिक छेड़छाड़़ करने लगा. तेजपाल के इरादे को भांप कर अजमेरिन ने दिखावे के तौर पर विरोध किया, और बोली, ‘‘हंसना, बोलना और हंसीमजाक अपनी जगह ठीक है, लेकिन जो तुम चाहते हो वह पाप है.’’

‘‘पापपुण्य मैं नहीं जानता, मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि जो चेहरा मेरे सपनों में बस गया है, वह मुझे मिल जाए.’’ तेजपाल ने बाजू छोड़ कर उस का चेहरा हथेलियों में समेट लिया. धीरेधीरे तेजपाल का चेहरा नजदीक आता गया. इतना करीब कि सांसें एकदूसरे के चेहरे से टकराने लगीं. तेजपाल की गुनगुनी सांसें अजमेरिन को कमजोर करने लगीं. इतना ज्यादा कि मर्यादा हार गई और हसरत जीत गई. दोनों ही विशुद्ध कुंवारे थे. प्रथम मिलन का असीम आनंद दोनों को मिला तो वह इस आनंद को पाने के लिए लालायित रहने लगे. अजमेरिन मौका पा कर सामान लेने के बहाने तेजपाल की दुकान पर जाती और मौका पाते ही दोनों मिलन कर लेते.

तेजपाल तो इतना दीवाना हो गया था कि वह अजमेरिन से शादी रचाने को भी राजी था. लेकिन अजमेरिन जानती थी कि वह मुसलमान है, अत: हिंदू लड़के, वह भी पड़ोसी, से कभी उस के परिवार वाले शादी को राजी नहीं होंगे. तेजपाल का समयअसमय अजमेरिन के घर आना पड़ोसियों को नागवार लगा. उन्होंने अजमेरिन के भाई ताहिर से शिकायत की तो उस का माथा ठनका. उस ने बहन पर नजर रखनी शुरू कर दी. एक रोज तेजपाल बहाने से घर आया और अजमेरिन से मिला तो ताहिर ने छिप कर दोनों पर नजर रखी. इस का नतीजा यह निकला कि उस ने दोनों को एकदूसरे को चूमते देख लिया. उस समय तो उस ने बहन से कुछ नहीं कहा. लेकिन दूसरे रोज उसे अकेले में समझाया कि तेजपाल हिंदू है और तू मुसलमान. उस से तेरा रिश्ता कभी नहीं हो सकता. इसलिए तू उस का ख्वाब छोड़ दे.

अजमेरिन ने भाई से वादा किया कि वह तेजपाल से कभी नहीं मिलेगी. तेजपाल को भी ताहिर ने समझा दिया. लेकिन यौवन की आरजू के आगे अजमेरिन भी हार गई और तेजपाल भी. कुछ माह बीतने के बाद दोनों फिर छिपछिप कर मिलने लगे. इस का नतीजा यह निकला कि दोनों के नाजायज रिश्तों के चर्चे गांव की हर गली के मोड़़ पर होने लगे. बदनामी ने पैर पसारे और बिरादरी में भी थूथू होने लगीं तो नूर आलम परेशान हो उठा. उस ने बेलगाम लड़की पर लगाम कसने के लिए, उस का जल्द ही जातिबिरादरी के लड़के के साथ निकाह करने की ठान ली. इस बाबत उस ने खोज शुरू की तो अजमेरिन के लिए उसे लतीफ पसंद आ गया.

लतीफ के पिता साबिर अली कन्नौज जनपद के ठठिया थाना अंतर्गत गांव बेहटा में रहते थे. उन की 4 औलादों में लतीफ सब से छोटा था. 2 बेटियां व एक बेटे की वह शादी कर चुके थे, जबकि लतीफ अभी कुंवारा था. लतीफ साधारण रंगरूप का था. पिता के साथ वह किसानी करता था. नूर आलम ने जब लतीफ को देखा तो उस ने उसे अपनी बेटी अजमेरिन के लिए पसंद कर लिया. साल 2010 के जुलाई माह में अजमेरिन का शादी लतीफ के साथ हो गई. अजमेरिन खूबसूरत थी. वह लतीफ की दुलहन बन कर ससुराल पहुंची तो ससुराल वालों ने उसे हाथोंहाथ लिया और उस के हुस्न की तारीफ की.

खूबसूरत बीवी पा कर लतीफ जहां खुश था, वहीं अजमेरिन साधारण रंगरूप वाले शौहर को देख कर उदास थी. उस ने तो अपने प्रेमी तेजपाल जैसे युवक की तमन्ना की थी, लेकिन उस की तमन्ना अधूरी रह गई. 2 हफ्ते ससुराल में रहने के बाद अजमेरिन मायके आई तो उस का चेहरा मुसकराने के बजाय कुम्हलाया हुआ था. अजमेरिन का सामना तेजपाल से हुआ तो वह रो पड़ी, ‘‘तेजपाल, मेरी तो किस्मत ही फूट गई. न शौहर ढंग का मिला न घरद्वार. पता नहीं उस घर में मेरा जीवन कैसे कटेगा. मुझे तो ससुराल में भी तुम्हारी याद सताती रही.’’

तेजपाल अजमेरिन के गोरे गालों पर लुढ़क आए आंसुओं को पोंछते हुए बोला, ‘‘तुम्हारे ससुराल चले जाने के बाद मुझे भी चैन कहां था. रातरात भर मैं तुम्हारे खयालों में ही खोया रहता था. आज मैं ने जब तुम्हें सामने देखा तो दिल को तसल्ली हुई. तुम किसी तरह की चिंता न करो. मैं तुम्हारा हमेशा साथ दूंगा.’’

अजमेरिन मायके आई तो स्वच्छंद हो गई. निकाह के बाद घर वालों ने भी उसे रोकनाटोकना बंद कर दिया था. अत: वह पहले की तरह तेजपाल से मिलनेजुलने लगी. शारीरिक मिलन भी होने लगा. तेजपाल, अजमेरिन की हर ख्वाहिश पूरी करने लगा. 3 महीने बाद अजमेरिन दोबारा ससुराल चली गई लेकिन इस बार वह तेजपाल का दिया मोबाइल भी लाई थी. इस मोबाइल से वह ससुराल वालों से नजर बचा कर बात कर लेती थी. इस के बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा. अजमेरिन जब मायके आती तो प्रेमी तेजपाल के साथ गुलछर्रे उड़ाती और जब ससुराल में होती तो मोबाइल फोन पर बातें कर अपनी दिल की लगी बुझाती. देर रात मोबाइल फोन पर बतियाना न तो उस के सासससुर को अच्छा लगता था और न ही शौहर को. लतीफ ने कई बार उसे टोका भी. पर वह तुनक कर कहती, ‘‘क्या मैं अपने घर वालों से भी बात न करूं?’’

अजमेरिन को संयुक्त परिवार में रहना अच्छा नहीं लगता था. क्योंकि संयुक्त परिवार में बंदिशें थीं, सासससुर की हुकूमत थी, इसलिए जब मोबाइल फोन पर बात करने को ले कर टोकाटाकी होने लगी तो वह घर में झगड़ा करने लगी. सासससुर को तीखा जवाब देने लगी. घर में कलह बढ़ी तो साबिर अली ने अजमेरिन का चूल्हाचौका अलग कर दिया. घरजमीन का भी बंटवारा हो गया. लतीफ अपने परिवार से अलग नहीं रहना चाहता था, लेकिन बीवी के आगे उसे झुकना पड़ा. अब वह अजमेरिन के साथ 2 कमरों वाले मकान में रहने लगा. अजमेरिन अलग रहने लगी तो वह पूरी तरह से स्वच्छंद हो गई. उस ने शर्मोहया त्याग दी और बेरोकटोक घर से निकलने लगी. वह सासससुर से तो दूरियां बनाए रखती थी, पर पड़ोसियों से हिलमिल कर रहती थी.

अलग होने के बाद अजमेरिन ने तेजपाल से आर्थिक मदद मांगी तो वह राजी हो गया. आर्थिक मदद के बहाने तेजपाल का अजमेरिन की ससुराल में आनाजाना शुरू हो गया. बातूनी तेजपाल ने अपनी बातों के जाल में अजमेरिन के शौहर लतीफ को भी फंसा लिया. उस ने उसे शराब का चस्का भी लगा दिया. अब जब भी तेजपाल आता तो शराब और गोस्त जरूर लाता. शाम को अजमेरिन मीट पकाती और तेजपाल और लतीफ की शराब की पार्टी शुरू हो जाती. तेजपाल जानबूझकर लतीफ को ज्यादा पिला देता, उस के बाद लतीफ तो जैसेतैसे खाना खा कर चारपाई पर पसर जाता और तेजपाल रात भर अजमेरिन के साथ रंगरलियां मनाता.

सवेरा होने के पहले ही वह मोटरसाइकिल पर सवार हो कर अपने गांव की ओर रवाना हो जाता. चूंकि तेजपाल कभीकभी ही आता था, सो लतीफ को उस पर शक नहीं हुआ. दूसरे जब वह आता था तो लतीफ की मुफ्त में दारू पार्टी होती थी. इसलिए वह स्वयं भी उस के आने का इंतजार करता था. तीसरे, जब कभी उसे बीज खाद के लिए पैसों की जरूरत होती थी तो वह बेहिचक उस से मांग लेता था. लतीफ तेजपाल को अपना हमदर्द और दोस्त मानता था, जबकि तेजपाल यह सब अपने स्वार्थ के लिए करता था. कहते हैं कि चोर कितना भी शातिर क्यों न हो, एक न एक दिन उस की चोरी पकड़ी ही जाती है.

अजमेरिन और तेजपाल के साथ भी यही हुआ. हुआ यह कि उस शाम लतीफ ने तेजपाल के साथ शराब तो जम कर पी थी, लेकिन कुछ देर बाद उसे उल्टी हो गई थी. आधी रात के बाद उस की आंखें खुलीं तो अजमेरिन कमरे में नहीं थी. वह कमरे से बाहर निकला तो उसे दूसरे कमरे में कुछ खुसरफुसर सुनाई दी. लतीफ का माथा ठनका. वह दबे पांव कमरे में पहुंचा तो उस ने शर्मनाक नजारा देखा. अजमेरिन अपने मायके के यार के साथ मौजमस्ती कर रही थी. उन दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख कर लतीफ मानो बुत बन गया. उसे बीवी व दोस्त से ऐसी उम्मीद न थी. अजमेरिन और तेजपाल ने लतीफ को अपने सिर पर खड़े देखा तो हड़बड़ाकर अलग हो गए.

उस ने गालीगलौज शुरू की तो तेजपाल भाग गया, पर अजमेरिन कहां जाती. लतीफ ने उस की जम कर पिटाई की. मौके की नजाकत भांप कर अजमेरिन ने गिरगिट की तरह रंग बदला और शौहर से माफी मांग ली. लतीफ अपनी बसीबसाई गृहस्थी नहीं उजाड़ना चाहता था. इसलिए अजमेरिन को चेतावनी देते हुए माफ कर दिया. अपने लटकोंझटकों से उस ने शौहर को भी मना लिया. हवस औरत को बहुत नीचे गिरा देती है. पति द्वारा माफ करने पर अजमेरिन को संभल जाना चाहिए था. पर मायके के यार को वह भुला नहीं पाई और पति धर्म भूल गई. कुछ समय बाद वह तेजपाल से फिर मिलने लगी.

तेजपाल को ले कर घर में शुरू हुई कलह ने पैर पसार लिए थे. लतीफ और अजमेरिन में झगड़ा बढ़ा तो बात घर से निकल कर बाहर आ गई. पड़ोसी जान गए कि झगड़ा क्यों होता है. साबिर अली भी बहू की बदचलनी से वाकिफ हो गया. लतीफ अब शराब पी कर घर आता और अजमेरिन को पीटता. पिटाई से अजमेरिन बुरी तरह चीखतीचिल्लाती. शराब पीने के कारण लतीफ की आर्थिक हालत खराब हो गई थी. उस ने अपना खेत भी गिरवी रख दिया था. आर्थिक स्थिति खराब हुई तो लतीफ कमाई करने के लिए हैदराबाद चला गया. वहां उस का एक दोस्त मजदूर सप्लाई करने वाले किसी ठेकेदार के पास काम करता था. उस ने लतीफ को भी मजदूरी के काम पर लगवा दिया था.

शौहर परदेश कमाने चला गया, तो अजमेरिन मायके आ गई. मायके आ कर उस ने तेजपाल को रोरो कर अपने उत्पीड़न की व्यथा बताई. उस ने साफ कह दिया कि अब वह शौहर के जुल्म बरदाश्त नहीं करेगी. वह उस से छुटकारा चाहती है. फिर मायके में रहने के दौरान ही अजमेरिन ने प्रेमी तेजपाल के साथ मिल कर शौहर के कत्ल की योजना बनाई और उस के वापस घर आने का इंतजार करने लगी. 10 मार्च को लतीफ हैदराबाद से वापस घर लौटा. आते ही उस ने अजमेरिन को मायके से बुलवा लिया. अजमेरिन पहले ही शौहर को हलाल करने की योजना बना चुकी थी. इसलिए वह बिना किसी हीलाहवाली के ससुराल वापस आ गई.

औरत एक बार फिसल जाए तो वह विश्वास के काबिल नहीं रहती. अजमेरिन भी विश्वास खो चुकी थी, सो लतीफ उसे शक की नजर से देखता था और अजमेरिन को पीट भी देता था. अजमेरिन तो कुछ और ही सोच कर आई थी, सो पिट कर भी जुबान बंद रखती थी. 8 अप्रैल की सुबह अजमेरिन ने मोबाइल फोन पर तेजपाल से बात की और देर शाम उसे घर बुलाया. तेजपाल समझ गया कि उसे क्यों बुलाया गया है. मोटरसाइकिल से वह रात 8 बजे बेहटा गांव पहुंच गया. उस ने अपनी मोटरसाइकिल मदरसे के सामने खड़ी की और पैदल ही अजमेरिन के घर पहुंच गया.

उस समय लतीफ घर में नहीं था. अजमेरिन ने उसे कमरे में बिठा दिया. देर रात लतीफ देशी शराब पी कर आया. अजमेरिन ने उसे खाना खिलाया फिर वह चारपाई पर जा कर लुढ़क गया. इस के बाद अजमेरिन तेजपाल के कमरे में पहुंची, जहां दोनों ने पहले हसरतें पूरी कीं. आधी रात के बाद दोनों लतीफ की चारपाई के पास पहुंचे और उसे दबोच लिया. दोनों ने मिल कर पहले लतीफ  की डंडों से पिटाई की फिर उसी के अंगौछे से गला कस कर उसे मार डाला. हत्या करने के बाद शव को घर के बाहर बरामदे में तख्त पर डाल दिया. सुबह 4 बजे तेजपाल मोटरसाइकिल से फरार हो गया.

सुबह अजमेरिन रोनेपीटने लगी, तब घर और पड़ोसियों को लतीफ की हत्या की जानकारी हुई. कुछ देर बाद मृतक के पिता साबिर अली थाना ठठिया पहुंचे और बेटे की हत्या की सूचना दी. तेजपाल और अजमेरिन से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें 15 अप्रैल को कन्नौज के जिला सत्र न्यायाधीश के आवास पर उन के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Firozabad Crime : सिपाही पति ने पत्नी को पीटा फिर सीने में दागी चार गोलियां

Firozabad Crime : हत्या बड़ा अपराध है, इस के बावजूद ऐसे अपराध होते रहते हैं, लेकिन अगर कोई कानून का रक्षक हत्या जैसा अपराध करे तो बात गंभीर हो जाती है. यतेंद्र यादव ने पिस्तौल उठाई तो पत्नी को ही ठिकाने लगा दिया, आखिर क्यों…

सिपाही यतेंद्र कुमार यादव ने 26 अप्रैल, 2020 को रात 9 बजे अपने चचेरे साले सुरजीत के मोबाइल पर फोन किया. फोन सुरजीत के छोटे भाई योगेंद्र ने उठाया. यतेंद्र ने कहा, ‘‘सुनो, जैसे ही गेट में घुसोगे, घुसते ही नेमप्लेट लगी है. उस के ऊपर ग्रिल है, चाबी वहीं रखी है और अंदर पिंकी (पत्नी) आंगन में है. आप उन लोगों (ससुरालीजनों) को बता देना. मतलब हम ने पिंकी को गोली मार दी है. साफसीधी बात है.’’

योगेंद्र ने पूछा, ‘‘कब?’’

यतेंद्र ने बताया, ‘‘आज रात में.’’

‘‘बच्चियां कहां हैं?’’

इस पर यतेंद्र ने कहा, ‘‘बच्चियां भी गायब हैं. आप उन को (ससुरालीजनों को) बता देना, बहुत सोचसमझ कर ही कोई कदम उठाएं. हमें जो करना था कर दिया. आप समझदार हो, जो भी गलती हुई माफ करना. अभी चाहो अभी काल कर लो. रात की बात है. जो भी काररवाई करवानी है करवाओ.’’

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जनपद के शिकोहाबाद थानांतर्गत हाइवे स्थित आवास विकास कालोनी 3/39 के सेक्टर-3 में 32 वर्षीय सरोज देवी उर्फ पिंकी अपनी 3 बेटियों 10 साल की आकांक्षा, 8 साल की आरती व सब से छोटी 4 साल की अन्या के साथ अपने निजी मकान में रहती थीं. सरोज का पति यतेंद्र कुमार यादव आगरा के थाना सैंया में डायल 112 पर सिपाही पद पर तैनात था. बीचबीच में यतेंद्र घर पर अपनी पत्नी व बेटियों के पास आताजाता रहता था. कहते हैं कभीकभी खून सिर चढ़ कर बोलता है. यही बात यतेंद्र के साथ भी हुई.

उस ने अपनी पत्नी की हत्या करने के बाद अपने चचेरे साले को फोन कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी और अपने ससुरालीजनों को सूचना देने व आगे की काररवाई करने को कहा. इस के साथ ही उस ने उन्हें धमकी भी दी कि वे जो भी काररवाई करें, खूब सोचसमझ कर करें. योगेंद्र ने पूरी बात रिकौर्ड कर ली थी. उसे जैसे ही बहनोई यतेंद्र से अपनी चचेरी बहन पिंकी की हत्या की जानकारी मिली उस के हाथपैर फूल गए. उस समय लौकडाउन चल रहा था. उसे इस बात की जानकारी थी कि पिंकी और यतेंद्र के बीच विवाद चल रहा है. लेकिन हालात हत्या तक पहुंच जाएगा, इस की उस ने कल्पना भी नहीं की थी.

योगेंद्र ने रात में ही पिंकी के मायके में फोन कर अपने चचेरे भाई हरिओम को घटना की जानकारी दी. हरिओम ने जैसे ही बहन पिंकी की हत्या की खबर बताई, घर में कोहराम मच गया. रोनापीटना शुरू हो गया. इस से पहले 26 अप्रैल की सुबह 9 बजे हरिओम के पास आवास विकास कालोनी में रहने वाले एक परिचित का फोन आया था. उस ने बताया कि वह उस की बहन सरोज उर्फ पिंकी के घर गया था. मकान का गेट अंदर से बंद था. कई आवाजें देने पर भी गेट नहीं खुला. इस पर हरिओम ने अपने बहनोई यतेंद्र व बहन सरोज उर्फ पिंकी के मोबाइलों पर फोन किया, लेकिन किसी ने भी फोन नहीं उठाया. हरिओम ने अनुमान लगाया कि वे लोग कहीं गए होंगे, मोबाइल घर पर भूल गए होंगे.

रात को हरिओम के पास योगेंद्र का फोन आने पर बहनोई यतेंद्र द्वारा बहन सरोज उर्फ पिंकी की हत्या किए जाने की जानकारी हुई. हरिओम ने थाना शिकोहाबाद पुलिस को घटना की जानकारी दे दी. इस पर थाना पुलिस रात में ही आवास विकास कालोनी स्थित उस मकान पर पहुंची, लेकिन मकान का दरवाजा बंद देख कर लौट गई. पुलिस ने हरिओम से थाने आने को कहा. इन सब बातों के चलते काफी रात हो गई. इस के साथ ही लौकडाउन के चलते और गांव में एक गमी होने के कारण हरिओम व उस के घरवाले शिकोहाबाद नहीं आ पाए थे.

पुलिस ले कर पहुंचे मायके वाले दूसरे दिन 27 अप्रैल को सुबह होते ही हरिओम यादव अपने पिता रामप्रकाश व अन्य रिश्तेदारों के साथ शिकोहाबाद की आवास विकास कालोनी पहुंच गए और पुलिस को सूचना दी. घर वालों के आने की सूचना पर थानाप्रभारी अनिल कुमार पुलिस टीम के साथ आवास विकास कालोनी पहुंच गए. हरिओम ने पुलिस को बताया कि बहनोई यतेंद्र ने फोन पर ताऊ के लड़के योगेंद्र को मकान की चाबी ग्रिल के ऊपर रखी होने की जानकारी दी थी. इस पर चाबी को तलाशा गया. बताई गई जगह पर चाबी मिल गई. मकान का ताला खोल कर पुलिस अंदर गई.

आंगन में सरोज की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी. तीनों बच्चियां भी गायब थीं. थानाप्रभारी अनिल कुमार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना पर सीओ इंदुप्रभा सिंह व एसपी (ग्रामीण) राजेश कुमार फोरैंसिक टीम को ले कर मौकाएवारदात पर पहुंच गए. हत्या की जानकारी होते ही कालोनी के लोग भी एकत्र हो गए. सिपाही द्वारा पत्नी की हत्या किए जाने की खबर से सनसनी फैल गई. पुलिस अधिकारियों ने लाश का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतका के शरीर पर चोटों के साथ ही गोलियों के 4 निशान भी मिले. फोरैंसिक टीम ने भी जांच कर पूरे घर से साक्ष्य जुटाए. लाश के पास की दीवारों पर खून के छींटे मिलने के साथ ही टूटी हुई चूडियां भी मिलीं. इस से अनुमान लगाया कि मृतका ने अंतिम सांस तक पति के साथ संघर्ष किया था.

हरिओम ने हत्यारोपी सिपाही यतेंद्र द्वारा किए गए फोन की रिकौर्डिंग भी पुलिस अधिकारियों को सुनवाई. मकान से पुलिस को 2 मोबाइल फोन मिले. यह मृतका के बताए जा रहे थे. पुलिस ने फोनों के लौक खुलवा कर जांच कराने की बात कही. तीनों बेटियों के स्कूल आईडी कार्ड घर के बाहर पड़े मिले. 4 साल पहले यतेंद्र ने अपने परिचित के जरिए शिकोहाबाद की आवास विकास कालोनी में प्लौट खरीदा और रजिस्ट्री पत्नी सरोज के नाम कराई थी. इस के बाद मकान बनवाया था.

आवास विकास कालोनी का इलाका आबादी से दूर होने से सिपाही यतेंद्र ने सुरक्षा की दृष्टि से 5 सीसीटीवी कैमरे लगवा रखे थे. शातिर सिपाही ने पत्नी की हत्या के बाद सारे सुबूत मिटाने की कोशिश की थी. वह घर के अंदर और बाहर लगे सभी सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग डिलीट करने के बाद तीनों बेटियों को ले कर इस तरह घर निकला कि किसी को कानोंकान भनक तक नहीं लगी. पूछताछ में मृतका के भाई हरिओम यादव व पिता रामप्रकाश ने बताया कि यतेंद्र के मथुरा की एक युवती से अवैध संबंध थे. इस के चलते पतिपत्नी में विवाद होता रहता था. यतेंद्र मकान बेचने का दबाव बनाने के साथ ही दहेज की मांग को ले कर बहन पिंकी का उत्पीड़न करता था.

सरोज की शिकायत पर घर वालों ने यतेंद्र को कई बार समझाया, लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा. यतेंद्र आए दिन पिंकी के साथ मारपीट करता था और इसी के चलते यतेंद्र ने उस की हत्या कर दी. घटना के बाद से तीनों बच्चियां भी गायब थीं. घर वालों को आशंका थी कि आरोपी ने बच्चियों के साथ कोई अनहोनी न कर दी हो. पड़ोसियों ने बताया कि रात में उन्हें गोली चलने की आवाज सुनाई नहीं दी. मृतका के भाई हरिओम यादव की तहरीर पर पुलिस ने सिपाही यतेंद्र कुमार यादव, उस के पिता रामदत्त व यतेंद्र के बहनोई हरेंद्र के खिलाफ सरोज की गोली मार कर हत्या करने का केस दर्ज कर लिया. पुलिस का अनुमान था कि कालोनी हाइवे के किनारे स्थित है, मकान दूरी पर बने हैं. रात का समय होने पर संभव है कि पड़ोसियों को गोली की आवाज सुनाई न दी हो. एक पड़ोसी ने इतना जरूर बताया कि शनिवार की शाम सरोज को घर के दरवाजे पर बैठा देखा था.

एसपी (ग्रामीण) ने बताया कि या तो कैमरे बंद किए गए थे या फिर रिकौर्डिंग डिलीट कर दी गई थी. आगरा से जानकारी करने पर पता चला कि यतेंद्र 26 अप्रैल को दोपहर 2 बजे से अनुपस्थित चल रहा था, उस के खिलाफ आगरा में रपट लिखी गई है. बेटियां लापता पुलिस का मानना था कि हो सकता है कि तीनों बेटियों को आरोपी यतेंद्र अपने साथ ले गया हो. बेटियों को ले कर वह कहां गया, इस का कोई पता नहीं चल रहा था. पुलिस व फोरैंसिक टीम ने मौके की काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय फिरोजाबाद भिजवा दिया. हत्यारोपी सिपाही की गिरफ्तारी के लिए लौकडाउन में पुलिस ने 3 टीमें गठित कीं. इन टीमों ने मैनपुरी और इटावा स्थित सिपाही के घर व रिश्तेदारियों के अलावा आगरा व मथुरा में भी दबिशें दीं.

मथुरा के थाना हाइवे क्षेत्र निवासी उस की प्रेमिका से भी पूछताछ की गई लेकिन हत्यारोपी सिपाही का कोई सुराग नहीं मिला. प्रेमिका ने पुलिस को बताया कि यतेंद्र से एक साल से बात नहीं हुई है. आरोपी का एक मामा भी कांस्टेबल था. मामा के मोबाइल की भी काल डिटेल्स खंगाली गई. जांच में पता चला कि मामा के मोबाइल पर एक भी फोन आरोपी का नहीं आया था. आरोपी की तलाश में पुलिस द्वारा लगातार दबिशें दिए जाने पर भी पुलिस के हाथ खाली थे. सरोज उर्फ पिंकी इटावा जनपद के थाना भरथना अंतर्गत गांव नगला नया कुर्रा निवासी रामप्रकाश यादव की बड़ी बेटी थी. स्वभाव से मिलनसार. पिंकी की शादी 2008 में मैनपुरी जनपद के कुर्रा थानांतर्गत गांव अंबरपुर सौंख निवासी रामदत्त यादव के बेटे यतेंद्र कुमार यादव के साथ हुई थी. यतेंद्र 2005 बैच का सिपाही है.

ससुरालीजनों ने बताया कि डेढ़ साल पहले यतेंद्र की तैनाती मथुरा जनपद के थाना हाइवे में हुई थी. ड्यूटी के दौरान यतेंद्र की मुलाकात उसी क्षेत्र की रहने वाली एक युवती से हुई. दोनों के बीच प्यार परवान चढ़ा तो वह यह भी भूल गया कि पहले से शादीशुदा है. सिपाही यतेंद्र अपनी प्रेमिका को ले कर फरार हो गया. जब ये बात प्रेमिका के घरवालों को पता चली तो उन्होंने थाना हाइवे में मुकदमा दर्ज करा दिया. इस संबंध में यतेंद्र कुमार सस्पेंड भी रहा था. 2 माह बाद युवती वापस आ गई और उस ने सिपाही यतेंद्र के पक्ष में बयान दिया था. बाद में यह मामला रफादफा हो गया था.

पति की इस करतूत से पिंकी को गहरी ठेस लगी. दोनों के बीच इस बात को ले कर तल्खी बढ़ गई. छोटीमोटी बातों को ले कर दोनों के बीच विवाद होने लगे. इस के चलते जीवन भर साथ निभाने वाली पत्नी पिंकी पति की नजरों में खटकने लगी थी. घटना के 3 दिन बाद मृतका पिंकी की तीनों बेटियां नाना के गांव नगला नया कुर्रा से 3-4 किलोमीटर दूर रौरा गांव की रोड पर मिलीं. उन्हें दिन के समय यतेंद्र छोड़ गया था. बच्चियों को देख कर गांववालों ने उन से पूछताछ की. इस पर सब से बड़ी लड़की आकांक्षा ने अपने नाना रामप्रकाश यादव के साथ ही गांव का नाम भी बता दिया.

पास का गांव होने के कारण गांव वाले उन के परिवार को जानते थे. गांव वालों ने तीनों बच्चियों को उन के गांव पहुंचा दिया. बच्चियों ने बताया कि पापा उन्हें कार से छोड़ कर चले गए थे. बच्चियों के मिलने की सूचना पुलिस को भी दे दी गई. आकांक्षा ने बताया कि उस ने पापा को मम्मी को गोली मारते देखा था. हम लोग डर गए थे. घटना के बाद आरोपी सिपाही की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने काफी प्रयास किए, लेकिन सफलता न मिलने पर एसएसपी सचिंद्र पटेल ने इसे गंभीरता से लिया और आरोपी पर 15 हजार का इनाम घोषित कर दिया. उन्होंने थानाप्रभारी अनिल कुमार को उस की गिरफतारी के भी निर्देश दिए.

पकड़ा गया आरोपी आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई. लौकडाउन में फरार चल रहे हत्यारोपी सिपाही यतेंद्र को पुलिस ने शिकोहाबाद के सुभाष तिराहे से लगभग एक माह बाद 24 मई की सुबह पौने 6 बजे तब गिरफ्तार कर लिया, जब वह कहीं जाने के लिए वाहन का इंतजार कर रहा था. सिपाही के कब्जे से 32 बोर की देशी पिस्टल भी बरामद हुई. इसी पिस्टल से उस ने अपनी पत्नी पिंकी की हत्या की थी. पुलिस ने सिपाही यतेंद्र के खिलाफ हत्या के साथ ही 25 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत भी मुकदमा दर्ज किया. थाने में एसपी ग्रामीण राजेश कुमार ने प्रैसवार्ता में हत्यारोपी यतेंद्र कुमार यादव उर्फ सिंटू की गिरफ्तारी की जानकारी दी.

घटना के बाद वह बच्चियों को नाना के गांव के पास छोड़ गया था. पुलिस ने उस के घर से गिरफ्तारी से 15 दिन पूर्व कार बरामद कर ली थी. विवेचना में यह बात सामने आई कि सिपाही के एक युवती से प्रेम संबंधों को ले कर पिछले डेढ़ साल से पतिपत्नी के बीच कलह शुरू हो गई थी. यतेंद्र पत्नी पर मकान को बेचने का दबाव डालता था. 26 अप्रैल को यतेंद्र आगरा से शिकोहाबाद स्थित अपने घर आया हुआ था. पुरानी बातों को ले कर पतिपत्नी के बीच विवाद हो गया. मामला इतना बढ़ा कि यतेंद्र ने पत्नी सरोज उर्फ पिंकी के साथ मारपीट की. इस से भी जब उस का मन नहीं भरा तो उस ने साथ लाई देशी 32 बोर की पिस्टल से 4 गोलियां उस के सीने में उतार दीं.

घटना को अंजाम देने से पहले उस ने अपनी तीनों बेटियों को मकान के बाहर खड़ी कार में बैठा दिया था. बड़ी बेटी आकांक्षा अपने पिता की करतूत को पूरी तरह समझ गई थी, लेकिन पिता द्वारा धमकी देने से वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकी थी. घटना को अंजाम देने के बाद सिपाही यतेंद्र तीनों बेटियों को ले कर फरार हो गया. गिरफ्तारी के बाद आरोपी सिपाही ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. सुंदर, सुशील पत्नी के होते हुए भी युवती से प्रेम संबंधों के चलते सिपाही यतेंद्र ने अपनी खुशहाल जिंदगी को ग्रहण लगा लिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

Kanpur Crime : एकतरफा इश्क में आशिक ने प्रेमिका के पिता की ले ली जान

Kanpur Crime : मोहम्मद फहीम अपने पड़ोस की लड़की नाजनीन को बेइंतहा चाहता था. एक रात उस ने नाजनीन के पिता मोहम्मद अशरफ की हत्या कर दी. उस के बाद की जो हकीकत सामने आई, वह…

उस दिन जून 2020 की 9 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. थाना बाबूपुरवा के कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह औफिस में आ कर बैठे ही थे कि उन्हें मोबाइल फोन पर सूचना मिली कि मुंशीपुरवा में एक अधेड़ व्यक्ति का कत्ल हो गया है. सुबहसुबह कत्ल की सूचना पा कर सुरेश सिंह का मन कसैला हो उठा. लेकिन मौकाएवारदात पर तो पहुंचना ही था. अत: उन्होंने कत्ल की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी और आवश्यक पुलिस बल साथ ले कर मुंशीपुरवा घटनास्थल पर पहुंच गए.  उस समय घटनास्थल पर मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. भीड़ में से एक 20 वर्षीय युवक निकल कर सामने आया. उस ने थानाप्रभारी सुरेश सिंह को बताया कि उस का नाम इरफान है.

उस के अब्बू मोहम्मद अशरफ  का कत्ल हुआ है. उन की लाश छत पर पड़ी है. इस के बाद इरफान उन्हें छत पर ले कर गया. छत पर पहुंच कर सुरेश सिंह ने बारीकी से निरीक्षण शुरू किया. मृतक मोहम्मद अशरफ की लाश फोल्डिंग पलंग पर खून से तरबतर पड़ी थी. पलंग के नीचे भी फर्श पर खून फैला हुआ था. मोहम्मद अशरफ का कत्ल बड़ी बेरहमी से किसी तेज धार वाले हथियार से किया गया था. उस का गला आधे से ज्यादा कटा था. संभवत: ताबड़तोड़ कई वार गरदन पर किए गए थे, जिस से सांस नली कटने तथा अधिक खून बहने से उस की मौत हो गई थी.

मोहम्मद अशरफ की उम्र 50 साल के आसपास थी. कार्यवाहक थानाप्रभारी सुरेश सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी अनंत देव तिवारी, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा डीएसपी आलोक सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया. पुलिस अधिकारियोें के पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया. परिवार की महिलाएं दहाड़ मार कर चीखनेचिल्लाने लगीं. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा मृतक के घर वालों से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की.

मृतक के बेटे इरफान ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उस के पिता खरादी बुरादे का व्यापार करते थे. वह बीती शाम 7 बजे घर आए थे और खाना खाने के बाद रात 8 बजे सोने के लिए छत पर चले गए थे. पिता के साथ वह भी छत पर सोता था, लेकिन बीती रात वह टीवी देखतेदेखते कमरे में ही सो गया था. वह सुबह 6 बजे सो कर उठा और छत पर पहुंचा तो छत पर फोल्डिंग पलंग पर पिता का खून से लथपथ शव पड़ा देखा. शव देख कर उस के मुंह से चीख निकल गई. चीख सुन कर घर के अन्य लोग आ गए. इस के बाद तो घर में कोहराम मच गया.

घटनास्थल पर मृतक का भाई मोहम्मद नासिर भी मौजूद था. उस ने बताया कि वह सऊदी अरब में नौकरी करता है. उस के परिवार में पत्नी गुलशन बानो तथा 2 साल का बेटा है. 3 महीने पहले वह सऊदी अरब से परिवार सहित कानपुर आया था और भाईजान के घर परिवार के साथ रह रहा था. सुबह इरफान की चीख सुनाई दी तो वह दौड़ कर छत पर पहुंचा. वहां भाईजान पलंग पर मृत पड़े थे. किसी ने बड़ी बेरहमी से उन का कत्ल कर दिया था. मां रईसा को जानकारी हुई तो वह गश खा कर जमीन पर गिर पड़ीं. किसी तरह उन्हें होश में लाया गया. घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम ने बड़ी ही बारीकी से जांच शुरू की. टीम ने खून का नमूना परीक्षण हेतु सुरक्षित किया फिर पलंग व आसपास से कई फिंगरप्रिंट लिए.

फोरैंसिक टीम ने जांच के बाद यह भी पाया कि हत्यारा छत पर या तो सीढ़ी लगा कर पहुंचा था या फिर छत से सटी दूसरे मकान की बाउंड्री फांद कर आया था. फिर उसी रास्ते वापस चला गया. डौग स्क्वायड की टीम खोजी कुत्ते को ले कर छत पर पहुंची. कुत्ते ने मृतक के शव को तथा छत के फर्श पर पड़े खून को सूंघा फिर वह पलंग के चारों ओर घूमता रहा. उस के बाद पड़ोसी की छत पर जाने के लिए उछलने लगा. लेकिन बाउंड्री वाल ऊंची थी, सो उछल कर दीवार फांद नहीं पा रहा था. यह देख कर टीम के सदस्यों ने लकड़ी की सीढ़ी मंगा कर छत पर लगाई. सीढ़ी के सहारे पड़ोसी की छत पर पहुंचे खोजी कुत्ते ने छत पर पड़े

खून के छींटों को सूंघना शुरू कर दिया. उस के बाद खोजी कुत्ता छत से नीचे उतरा और घटनास्थल से कुछ दूर स्थित मैदान में पहुंचा. वहां मैदान में खड़े एक युवक को सूंघ कर उस पर भौंकने लगा. तभी टीम ने उस युवक को पकड़ लिया और पुलिस अधिकारियों के सुपुर्द कर दिया. पुलिस अधिकारियों ने जब उस से पूछताछ की तो उस ने अपना नाम मोहम्मद फहीम उर्फ नदीम बताया. जिस छत पर खोजी कुत्ता फांद कर गया था और खून की छींटे सूंघे थे, वह मकान मोहम्मद फहीम का ही था.

संदेह के आधार पर पुलिस ने मोहम्मद फहीम को गिरफ्तार कर लिया. फोरैंसिक टीम व पुलिस ने मोहम्मद फहीम के घर की तलाशी ली तो वहां फहीम के ऐसे गीले कपड़े मिले, जो शायद सुबह ही धोए थे. उन कपड़ों पर बेंजामिन टेस्ट किया तो खून के धब्बे उभर आए. इस के अलावा उस के घर से एक चापड़ भी बरामद हुआ. मय चापड़ और कपड़ों सहित मोहम्मद फहीम को थाना बाबूपुरवा लाया गया तथा मृतक मोहम्मद अशरफ के शव को पोस्टमार्टम हाउस लाला लाजपत राय अस्पताल भेज दिया गया. एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता तथा सीओ आलोक सिंह ने जब थाने में मोेहम्मद फहीम से अशरफ की हत्या के संबंध में पूछताछ की तो वह साफ मुकर गया और पुलिस अधिकारियों को बरगलाने लगा.

लेकिन हत्या का सबूत मिल चुका था और उस के घर से खून सने कपड़े तथा आला कत्ल भी बरामद हो चुका था. अत: पुलिस ने उस पर सख्ती की तो वह टूट गया. इस के बाद उस ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि वह पड़ोसी मोहम्मद अशरफ की बेटी नाजनीन से मोहब्बत करता था. पर वह मुंबई चला गया और वहां नौकरी करने लगा. 3 साल बाद फरवरी 2020 में वह मुंबई से वापस कानपुर आया. अब तक नाजनीन जवान हो गई थी और खूबसूरत दिखने लगी थी. उसे देख कर उस की सोती हुई मोहब्बत फिर से जाग उठी और उसे एकतरफा प्यार करने लगा. उस ने सोच लिया था कि उस की मोहब्बत में जो भी बाधक बनेगा, उसे मिटा देगा. नाजनीन की मोहब्बत में उस का बाप मोहम्मद अशरफ बाधक बनने लगा तो बीती रात उसे चापड़ से काट कर हलाल कर दिया.

चूंकि मोहम्मद फहीम ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: बाबूपुरवा थाना प्रभारी (कार्यवाहक) सुरेश सिंह ने मृतक के बेटे इरफान को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत मोहम्मद फहीम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा उसे विधिसम्मत बंदी बना लिया. पुलिस जांच में एक ऐसे सनकी प्रेमी की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने एकतरफा प्यार में पागल हो कर प्रेमिका के बाप को मौत की नींद सुला दिया. उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में बाबूपुरवा थाना अंतर्गत एक मुसलिम बाहुल्य आबादी वाला मोहल्ला मुंशीपुरवा पड़ता है. इसी मुंशीपुरवा में मसजिद के पास मोहम्मद अशरफ अपने परिवार के साथ रहता था.

उस के परिवार में पत्नी शबनम के अलावा एक बेटी नाजनीन तथा बेटा इरफान था. मोहम्मद अशरफ खरादी बुरादे का व्यापार करता था. इस व्यापार में मेहनतमशक्कत तो थी, पर कमाई भी अच्छी थी. इसी कमाई से वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. मोहम्मद अशरफ के साथ उस की मां रईसा खान तथा भाई नासिर भी रहता था. नासिर की शादी गुलशन बानो के साथ हुई थी. शादी के बाद नासिर सऊदी अरब चला गया था. अब वह तभी आता था, जब उसे घरपरिवार की याद सताती थी. अशरफ मेहनत की रोटी खा कर परिवार के साथ खुश रहता था. परंतु उस की खुशियों में ग्रहण तब लगना शुरू हो गया जब उस की बेगम शबनम बीमार रहने लगी.

फिर बीमारी के दौरान ही सन 2010 में उस की मृत्यु हो गई. उस समय नाजनीन की उम्र 10 वर्ष तो इरफान की 9 साल थी. शबनम की मौत के बाद बच्चों के पालनपोषण की जिम्मेदारी अशरफ की मां रईसा खान पर आ गई. रईसा खान ने इस जिम्मेदारी को खूब निभाया और पालपोस कर बच्चों को बड़ा किया. रईसा खान अपने पोतेपोती को बहुत प्यार करती थी और उन की हर जायज ख्वाहिश पूरी करती थी. फहीम उर्फ नदीम नाजनीन का दीवाना था. वह उस के पड़ोस में ही रहता था. फहीम और नाजनीन हमउम्र थे. दोनों एक ही गली में खेलकूद कर बड़े हुए थे. दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे और अकसर उन का आमनासामना हो जाता था. फहीम मन ही मन नाजनीन को चाहने लगा था.

पर नाजनीन के मन में उस के प्रति कोई लगाव न था. वह तो पड़ोसी के नाते उस से भाईजान कह कर बात करती थी. फहीम के 2 अन्य भाई भी थे, जो उसी मकान में रहते थे. फहीम सिलाई कारीगर था. वह जो कमाता था, अपने ऊपर ही खर्च करता था, इसलिए बनसंवर कर खूब ठाटबाट से रहता था. फहीम अपने प्यार का इजहार नाजनीन से कर पाता, उस के पहले ही वह मुंबई कमाने चला गया. मुंबई जा कर भी वह नाजनीन को भुला न सका. उस के मनमस्तिष्क पर नाजनीन ही छाई रही. वह उसे अपने दिल की मल्लिका बनाने के सपने संजोता रहा. पर सपना तो सपना ही होता है. भला सपने से कभी किसी  के ख्वाब पूरे नहीं हुए.

देश में तालाबंदी घोषित होेने के एक माह पहले ही फहीम मुंबई से कानपुर अपने घर वापस आ गया. कमाई कर के वह जो पैसे लाया था, उसे अपने ऊपर और अपने दोस्तों पर खर्च करता. भाइयों ने उस की इस फिजूलखर्ची का विरोध किया तो वह उन पर हावी हो गया. अब वह दोस्तों के साथ मौजमस्ती तथा शराब पीने लगा. एक रोज नाजनीन किसी काम से घर से निकली तभी फहीम की नजर उस पर पड़ी. खूबसूरत नाजनीन को देख कर फहीम का मन मचल उठा. 3 साल पहले जब उस ने नाजनीन को देखा था तब वह 16 वर्ष की थी. किंतु अब वह 19 साल की उम्र पार कर चुकी थी. अब वह पहले से ज्यादा खूबसूरत दिखने लगी थी.

फहीम की आंखों में पहले से ही नाजनीन रचीबसी थी सो अब उसे देखते ही उस का मन बेकाबू होने लगा था. अब वह नाजनीन को फंसाने का तानाबाना बुनने लगा. मौका मिलने पर वह उस से बात करने का प्रयास करता था. लेकिन नाजनीन उसे झिड़क देती थी. तब फहीम खिसिया जाता. आखिर जब उस के सब्र का बांध टूट गया तो उस ने एक रोज मौका मिलने पर नाजनीन का हाथ पकड़ लिया और बोला, ‘‘नाजनीन, मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं. तुम्हारी खूबसूरती ने मेरा चैन छीन लिया है. तुम्हारे बिना मैं अधूरा हूं.’’

नाजनीन अपना हाथ छुड़ाते हुए गुस्से से बोली, ‘‘फहीम, तुम ये कैसी बहकी बातें कर रहे हो. मैं तुम्हारी जातिबिरादरी की हूं और इस नाते तुम मेरे भाईजान लगते हो. भाई को बहन से इस तरह की बातें करते शर्म आनी चाहिए.’’

‘‘प्यार अंधा होता है नाजनीन. प्यार जातिबिरादरी नहीं देखता.’’ वह बोला.

‘‘होगा, लेकिन मैं अंधी नही हूं. मैं ऐसा नहीं कर सकती. मैं तुम से नफरत करती हूं. और हां, आइंदा मेरा रास्ता रोकने या हाथ पकड़ने की कोशिश मत करना, वरना मुझ से बुरा कोई न होगा, समझे.’’ नाजनीन ने धमकाया. कुछ देर बाद नाजनीन घर वापस आई तो वह परेशान थी. वह समझ गई कि फहीम एकतरफा प्यार में पागल है. उस ने यह सोच कर फहीम की शिकायत घर वालों से नहीं की कि अब्बूजान बेमतलब परेशान होंगे. बात बढ़ेगी. बतंगड़ होगा. फिर लोग उस के चरित्र पर अंगुलियां उठाना शुरू कर देंगे.

इधर नाजनीन की फटकार से फहीम समझ गया कि नाजनीन अब ऐेसे नहीं मानेगी. उसे अपनी खूबसूरती और जवानी पर इतना घमंड है तो वह उस के घमंड को हर हाल में तोड़ कर रहेगा. वह उसे ऐसा दर्द देगा, जिसे वह ताजिंदगी नहीं भुला पाएगी. फहीम का एक दोेस्त सलीम था. दोनों ही हमउम्र थे, सो दोनों में खूब पटती थी. एक रोज दोनों शराब पी रहे थे. उसी समय फहीम बोला, ‘‘यार सलीम, मैं नाजनीन से मोहब्बत करता हूं लेकिन वह हाथ नहीं रखने दे रही.’’

‘‘देख फहीम, मैं एक बात बताता हूं कि नाजनीन ऐसीवैसी लड़की नहीं है. उस का पीछा छोड़ दे. कहीं ऐसा न हो कि उस का पंगा तुझे भारी पड़ जाए.’’ सलीम ने फहीम को समझाया.

‘‘अरे छोड़ इन बातों को, मैं भी जिद्दी हूं. नाजनीन अगर राजी से न मानी तो मुझे दूसरा रास्ता अपनाना पड़ेगा.’’ फहीम ने कहा.

इस के बाद फहीम फिर से नाजनीन को छेड़ने लगा. फहीम ने नाजनीन पर लाख डोरे डालने की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे बेइज्जती का सामना करना पड़ा. फहीम की बढ़ती छेड़छाड़ से नाजनीन को अब डर सताने लगा था. अत: एक रोज उस ने फहीम की बदतमीजी तथा डोरे डालने की शिकायत दादी रईसा खान तथा अब्बू अशरफ से कर दी. नाजनीन की बात सुन कर जहां रईसा तिलमिला उठीं, वहीं अशरफ का भी गुस्सा फूट पड़ा. पहले रईसा ने फहीम को खूब खरीखोेटी सुनाई फिर अशरफ ने भी फहीम को जम कर लताड़ा तथा बेटी से दूर रहने की नसीहत दी. अशरफ ने फहीम की शिकायत उस के भाइयों से भी की तथा उसे समझाने को कहा. उस ने साफ  कहा कि वह इज्जतदार इंसान है. बेटी से छेड़छाड़ बरदाश्त न करेगा.

अशरफ ने उलाहना दिया तो दोनों भाइयों ने फहीम को खूब समझाया तथा नाजनीन से दूर रहने की नसीहत दी. लेकिन फहीम पर तो इश्क का भूत सवार था. वह तो एकतरफा प्यार में दीवाना था, सो उसे भाइयों की नसीहत पसंद नहीं आई. एक रोज फहीम ने गली के मोड़ पर नाजनीन को रोका और उस का हाथ पकड़ लिया. गुस्साई नाजनीन ने फहीम के हाथ पर दांत गड़ा कर अपना हाथ छुड़ा लिया और बोली, ‘‘बदतमीज, अपनी हरकतों से बाज आ, वरना अंजाम अच्छा नहीं होगा.’’

नाजनीन की बात सुन कर फहीम भी गुस्से से बोला, ‘‘नाजनीन, यही बात मैं तुझे बता रहा हूं. मेरी मोहब्बत को स्वीकार कर ले और मुझे अपना बना ले. वरना कान खोल कर सुन ले, मेरी मोहब्बत में जो भी बाधा डालेगा, उसे मैं मिटा दूंगा. फिर वह तुम्हारा बाप, भाई या कोई और क्यों न हो.’’

जून, 2020 की 3 तारीख को फहीम ने पुन: नाजनीन से छेड़छाड़ की. इस की शिकायत उस ने पिता से की. शिकायत सुन कर अशरफ तिलमिला उठा. उस ने फहीम को खूब खरीखोटी सुनाई और कहा कि वह अंतिम बार उसे चेतावनी दे रहा है. इस के बाद उस ने हरकत की तो थाने जा कर रिपोर्ट दर्ज करा देगा और जेल भिजवा देगा. फहीम पहले से ही उस पर खार खाए बैठा था. अत: अशरफ ने जब उसे जेल भिजवाने की धमकी दी तो उस की खोपड़ी घूम गई. उस ने अपने प्रेम में बाधक बने प्रेमिका के पिता अशरफ को मौत की नींद सुलाने का इरादा पक्का कर लिया. फिर वह अंजाम की तैयारी में जुट गया. उस ने तेजधार वाले चापड़ का इंतजाम किया फिर उसे घर में छिपा कर रख लिया.

8 जून, 2020 की रात फहीम ने अपनी छत की बाउंड्री से झांक कर देखा तो पता चला कि अशरफ आज रात अकेला ही छत पर सोया है. उचित मौका देख कर फहीम चापड़ ले आया फिर रात 2 बजे सीढ़ी लगा कर अशरफ की छत पर पहुंच गया. फहीम ने नफरत भरी एक नजर अशरफ पर डाली फिर चापड़ से खचाखच 4 वार अशरफ की गरदन पर किए. उस की गरदन आधी से ज्यादा कट गई और खून की धार बह निकली. अशरफ कुछ क्षण तड़पा फिर ठंडा हो गया.

हत्या करने के बाद सीढ़ी के रास्ते फहीम अपनी छत पर आ गया. यहां चापड़ पर लगे खून की कुछ बूंदे छत पर टपक गईं. नीचे जा कर उस ने कपड़े बदले और चापड़ में लगे  खून को साफ  किया. फिर कपड़ों और चापड़ को धो कर घर में छिपा दिए और कमरे में जा कर सो गया. मोहम्मद फहीम से पूछताछ के बाद पुलिस ने 10 जून, 2020 को उसे कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया.

कथा संकलन तक उस की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

नाजनीन परिवर्तित नाम है.