हद तो तब हो गई, जब सीरत का कस्टडी रिमांड हासिल करने के लिए उसे सुबह अदालत में पेश किया गया. वहां माननीय जज से उस ने सीधे कहा कि एकम ने अपने लाइसैंसी रिवौल्वर से आत्महत्या की थी. डर जाने की वजह से वह उस की लाश को ठिकाने लगाने की भूल कर बैठी. अब पुलिस उसे एकम के कत्ल के झूठे केस में फंसा रही है.
माननीय जज ने सीरत को 2 दिनों के कस्टडी रिमांड में रखने का आदेश देते हुए पुलिस से कहा था कि मामला हाईप्रोफाइल है, जांच में कहीं कोई कमी नहीं होनी चाहिए. उसी दिन मोहाली के फेज-6 स्थित सिविल अस्पताल के 3 डाक्टरों मनहर सिंह, हिम्मत मोहन सिंह और कुलदीप सिंह ने एकम के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी और स्टिल फोटोग्राफी भी कराई गई.
अपनी रिपोर्ट में डाक्टरों ने लिखा कि गोली एकम के सिर में कान के पास से होते हुए दिमाग को चीर कर दूसरी तरफ निकल गई थी. लेकिन रिपोर्ट में एकम के जिस्म पर किसी चोट का कोई उल्लेख नहीं था. मृतक का विसरा ले कर रासायनिक परीक्षण के लिए खरड़ स्थित फोरैंसिक लैब में भिजवा दिया गया था. एकम के भाई और पिता को पहले से ही मोहाली पुलिस पर भरोसा नहीं था. उन का आरोप था कि एसपी पंधेर आरोपियों को बचा रहे हैं. इस बात की शिकायत करने के लिए वे 20 मार्च को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिले.
मुख्यमंत्री के आदेश पर एसपी पंधेर को इस केस से अलग कर मोहाली के युवा एसएसपी कुलदीप सिंह चाहल की अगुवाई में स्पैशल इनवैस्टीगेटिव टीम (एसआईटी) का गठन कर दिया गया, साथ ही यह आदेश भी पारित किया गया कि इस केस की छानबीन के संबंध में एसएसपी अपनी रिपोर्ट तैयार कर रोजाना मुख्यमंत्री को भेजा करेंगे. ऐसा ही किया भी जाने लगा था, लेकिन पूछताछ में समस्या यह आ रही थी कि जब सीरत से पूछताछ की जाने लगी तो वह कभी अपने कपड़े फाड़ने लगती तो कभी चीखचीख कर थाना सिर पर उठा लेती. वह अपने बच्चों से मिलवाने की जिद भी कर रही थी.
उस की हरकतों से परेशान हो कर पुलिस वाले थाने से बाहर निकल कर अधिकारियों को फोन करने लगते थे. सीरत के इसी नाटक में 2 दिन का कस्टडी रिमांड खत्म हो गया. अब उस का लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने की कवायद शुरू की गई. उस की रिमांड अवधि भी 6 दिनों की करवा ली गई. लेकिन सीरत ने लाई डिटेक्टर टेस्ट करवाने से मना कर दिया. इस बीच सीसीटीवी कैमरे की एक ऐसी फुटेज पुलिस के हाथ लग गई, जिस में सीरत अकेली सीढि़यों से सूटकेस घसीटते हुए नीचे ला रही थी और बारबार खून के धब्बे साफ कर रही थी.
इस से लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि वाकई उस ने अकेले ही इस हत्याकांड को अंजाम दिया हो और अब जानबूझ कर अन्य लोगों को फंसाने का प्रयास कर रही हो. जबकि उस की अपने भाई से पिछले लंबे अरसे से बोलचाल नहीं थी.
6 दिनों का कस्टडी रिमांड भी निकल गया. लेकिन पुलिस सीरत से जरूरी पूछताछ नहीं कर सकी. 27 मार्च को उसे अदालत में पेश कर के रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग की गई तो सक्षम जज ने मना करते हुए सीरत को न्यायिक हिरासत में नाभा की हाई सिक्योरिटी जेल भेज दिया. अब पुलिस बिना अदालत की अनुमति के उस से एक भी सवाल नहीं पूछ सकती थी. जबकि एकम परिवार के सदस्य न्याय की खातिर बारबार पुलिस के बड़े अधिकारियों से गुहार लगा रहे थे.
3 अप्रैल, 2017 को सीरत के भाई विनय प्रताप सिंह बराड़ उर्फ विन्नी ने एसएसपी के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की गई, जिस में वह बेकसूर पाया गया. उसे रिहा करने के अलावा पुलिस के पास कोई उपाय नहीं था. इसी तरह 10 अप्रैल को सीरत की मां जसविंदर कौर ने भी अपने वकील के साथ एसएसपी कुलदीप सिंह चाहल के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. उस से भी पुलिस ने पूछताछ की. वह भी पूछताछ में बेकसूर पाई गई तो उसे भी छोड़ दिया गया.
यह एक निहायत उलझा हुआ हाईप्रोफाइल केस था. सीरत के पिता का तभी देहांत हो गया था, जब वह काफी छोटी थी. उस का लालनपालन उस के मामा अजीत सिंह मोफर ने किया था, जो बाद में पंजाब की सरदूलगढ़ सीट से कांग्रेसी विधायक चुने गए थे. सीरत की मरजी के अनुसार एकम से शादी करवाने में भी उस के इस मामा ने अपना पूरा सहयोग दिया था. सीरत की अपने भाई से नहीं बनती थी. वह उस की शादी में भी शामिल नहीं हुआ था.
कहते हैं कि सीरत आधुनिक विचारों की खुले हाथों खर्च करने वाली औरत थी. सन 2011 में जिन दिनों एकम पंजाब एग्रो विभाग में मैनेजर के पद पर कार्यरत था, वहां करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ था. इस बारे में आपराधिक केस भी दर्ज हुआ था, जिस में कुछ अन्य लोगों के अलावा एकम और सीरत भी आरोपी थे.
यह केस अभी भी मोहाली की एक अदालत में चल रहा है. एकम हत्याकांड में तभी कुछ सामने आ सकेगा, जब कड़ी से कड़ी जोड़ कर व्यापक छानबीन की जाएगी. पुलिस भी खुल कर सामने नहीं आ रही है. केस को ले कर उस के पास शायद कुछ ऐसे पत्ते हैं, जिन्हें वह अभी खोलना नहीं चाहती. वक्त आने पर ही शायद खोल कर केस को मजबूत करे.
अभी तक तो मर्डर का न मोटिव सामने आया है, न मर्डर वेपन ही विश्वसनीय लग रहा है और न ही इस कांड का कोई चश्मदीद गवाह है. फिलहाल औटोचालक का रोल भी परदे के पीछे कर दिया गया है.
एकम के उस रात शराब न पीने की पुष्टि हो चुकी है. कहा जाता है कि वह एक महीने पहले ही शराब पीना छोड़ चुका था. उस का लाइसैंसी रिवौल्वर भी तब से थाने में जमा था, जब पंजाब में विधानसभा के चुनाव हुए थे. ऐसे में वह पिस्तौल किस की थी, जिस से गोली चलने की बात मान कर मौके से कब्जे में लिया गया.
फिलहाल, केस की ताजा स्थिति यह है कि न्यायिक हिरासत की अवधि समाप्त होने पर सीरत जब मोहाली की अदालत में पेश हुई तो उस की हिरासत अवधि बढ़ाते हुए माननीय जज ने आदेश दिया कि आगे उस की पेशी वीडियो कौन्फ्रैंसिंग से हुआ करेगी. मतलब सीरत को निजी रूप से अदालत में पेश नहीं होना पड़ेगा. सीरत ने अपने बच्चों की कस्टडी हासिल करने की बात भी जज से कही थी, जिस के लिए उसे संबंधित अदालत में अर्जी लगाने को कहा गया.
पुलिस का कहना है कि इस केस में अभी भी जांच जारी है. फिलहाल इस में किसी को क्लीनचिट नहीं दी गई है. जिन्हें छोड़ा गया है, उन्हें पूछताछ के लिए कभी भी फिर से बुलाया जा सकता है.
लेकिन लंबे अरसे बाद 8 मार्च की रात एकम सिंह अचानक पिता के पास जा पहुंचा. उस समय वह काफी दुखी और परेशान था. रोते हुए उस ने पिता को बताया था कि वह अपनी जिंदगी से काफी परेशान है. उस की पत्नी और सास उसे परेशान कर रही हैं. उस ने यह भी बताया था कि कल उस के साथ बड़ा धोखा हो सकता है. इस के अलावा भी उस ने कई और चौंकाने वाली बातें बताई थीं.
जसपाल सिंह ने उसे आश्वस्त किया था कि वह जल्दी ही उस के घर आ कर इस मामले में उस की पत्नी और सास से बात कर के उस की समस्या का हल निकालने की कोशिश करेंगे. इस के बाद उन्होंने एकम से खाना खा कर जाने को कहा, लेकिन वह भूख न होने की बात कह कर चला गया था.
अगले दिन सवेरे ही दर्शन सिंह ढिल्लो को उस के किसी दोस्त ने फोन कर के एकम के साथ कोई हादसा होने की बात बताई थी. फोन सुनते ही वह उस के घर की ओर चल पड़ा था. एकम पहले चंडीगढ़ के सैक्टर-35 में किराए के मकान में रहता था, जहां वह 80 हजार रुपए महीना किराया देता था. करीब 20 दिनों पहले ही वह मोहाली में एक कनाल की इस कोठी की पहली मंजिल किराए पर ले कर बीवीबच्चों के साथ रहने आया था.
भाई के घर आने पर दर्शन सिंह को भाई के कत्ल के बारे में पता चला था तो उस ने फोन कर के पिता को भी बुला लिया था.
पुलिस ने लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए मोहाली के सिविल अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम का काम निपटाया गया. पुलिस ने दर्शन सिंह ढिल्लो की तहरीर पर भादंवि की धाराओं 302, 201 व 34 के तहत थाना मटौर में मुकदमा दर्ज कर के आगे की काररवाई शुरू कर दी.
चूंकि मृतक के सिर में गोली लगने का घाव साफ दिखाई दे रहा था, इसलिए पहली ही नजर में यह मामला गोली मार कर हत्या करने का लग रहा था. इसलिए मुकदमे में शस्त्र अधिनियम की धाराओं 25/54 एवं 59 का भी समावेश किया गया था.
दर्शन सिंह ने अपनी तहरीर में जिन लोगों को नामजद किया था, उस में सीरत कौर ढिल्लो, विनय सिंह बराड़ और जसविंदर कौर बराड़ थीं. इन में विनय एकम सिंह का साला था तो जसविंदर कौर सास. इन तीनों को मुख्यरूप से आरोपी बनाने के अलावा शिकायत में यह भी आशंका व्यक्त की गई थी कि वारदात के समय इन के साथ कुछ और लोग भी रहे होंगे.
इस की वजह मजबूत कदकाठी के लंबेतगड़े आदमी के साथ मारपीट करने और गोली मार कर हत्या करने के बाद उस की लाश को सूटकेस में ठूंस कर भरने का काम 2 महिलाएं और एक आदमी के वश की बात नहीं थी. फिर महिलाओं में भी एक औरत दुबलीपतली और बूढ़ी थी. मौके पर ही दर्शन सिंह ढिल्लो एक बात चीखचीख कर कह रहा था कि सीरत कौर पंजाब के एक बड़े कांग्रेसी नेता की सगी भांजी है, इसलिए पुलिस इस मामले को कतई गंभीरता से नहीं लेगी.
नामजद अभियुक्त फरार हो चुके थे. उन की तलाश में पुलिस ने भागदौड़ शुरू की. पुलिस को इस मामले में कोई सफलता मिलती, उस के पहले ही उसी दिन शाम को एक आदमी बड़ी सी गाड़ी में आया और नामजद मुख्य अभियुक्ता सीरत कौर को थाना मटौर में छोड़ गया. सीरत ने थानाप्रभारी के सामने जा कर आत्मसमर्पण कर दिया. पुलिस ने उसे हिरासत में ले कर औपचारिक पूछताछ शुरू की.
इस पूछताछ में पता चला कि सीरत की दोस्ती अपने भाई विनय प्रताप सिंह बराड़ के एक दोस्त से थी. इसी दोस्ती की वजह से उस ने भाई और उस के उस दोस्त के साथ मिल कर अपने पति को मौत के घाट उतार दिया था. इस बात की जानकारी उस की मां जसविंदर कौर को भी थी. सीरत के दोस्त ने एकम सिंह पर 2 गोलियां चलाई थीं. उन में से एक उस की खोपड़ी में लगी थी और दूसरी पिस्टल में ही फंस कर रह गई थी.
एकम को खत्म करने की योजना बना कर सभी शनिवार की रात घर आ गए थे. देर रात एकम घर आया तो पहले उस से मारपीट की गई. उस के बाद उसे जबरदस्ती बाथरूम में ले जाया गया और गोली मार दी गई. जब वह मर गया तो वहां पड़े खून के धब्बों को साफ कर के एकम की लाश को ठिकाने लगाने के लिए सूटकेस में ठूंस दिया गया.
सुबह सीरत अकेली सूटकेस को खींचती हुई नीचे ले आई. सूटकेस उतारते समय सीढि़यों में जहांतहां भी खून टपका, उस ने उसे साफ कर दिया. इस से पहले वह नीचे जा कर गाड़ी का गेट खोल कर इस बात का अंदाजा लगा आई थी कि सूटकेस को कहां रखना चाहिए.
इसी चक्कर में गाड़ी की चाबी डिक्की में गिर गई थी और इस बात से बेखबर सीरत ने डिक्की बंद कर दी थी. कार के दरवाजे खुले ही थे. सूटकेस नीचे ला कर जब वह सूटकेस गाड़ी में नहीं रख पाई तो वहां सवारी छोड़ने आए औटोचालक को रोक कर उस से मदद मांगी. सूटकेस रखवा कर वह चला तो गया, लेकिन सीरत को उस की बातों से लगा कि उसे उस पर शक हो गया है.
थोड़ी ही देर में सीरत कौर को पुलिस वैन आती दिखाई दी तो वह वहां से भाग गई. उस के बताए अनुसार, उस के साथ कोई अन्य औरत नहीं थी. औटोचालक ने पता नहीं क्यों झूठ बोला था. पुलिस की तो जैसे लौटरी निकल आई थी. जरा सी देर में बिना खास प्रयास के एक हाईप्रोफाइल मर्डर केस का खुलासा हो गया था. सीरत ने आत्मसमर्पण कर दिया था. अब अन्य अभियुक्तों को भी आसानी से पकड़ा जा सकता था.
परंतु रात में ही पुलिस की आशा निराशा में बदल गई. सीरत की गिरफ्तारी की सूचना पा कर रात में जब पुलिस के बड़े अधिकारी उस से पूछताछ करने थाने पहुंचे तो वह पिछले बयानों से मुकर गई. अब वह कहने लगी थी कि पति के अत्याचारों से तंग आ कर उस ने अकेले ही उस की हत्या की थी. एकम उस के चरित्र पर शक करते हुए उस से मारपीट करता था. पिछली रात भी वह शराब पी कर आया और उस से मारपीट करते हुए उस ने उस पर अपना रिवौल्वर तान दिया. मौका पा कर रिवौल्वर छीन कर उस ने उसी पर गोली चला दी.
रिवौल्वर के बारे में उस ने बताया कि वह घर की अलमारी में पड़ी है. लेकिन इस कांड में उस के साथ कोई और नहीं था. उस ने अकेले अपनी सुरक्षा को ध्यान में रख कर यह कत्ल किया है और वह अपना अपराध स्वीकार कर रही है.
19 मार्च, 2017 की सुबह एक औटोचालक गुरुद्वारा के सामने खड़ी पीसीआर वैन के पास पहुंचा तो काफी बदहवास था. औटोचालक औटो चलाता हुआ आया था, जिस से उस के चेहरे पर हवा भी लगी होगी, पर उस हाल में भी उस के माथे पर पसीने की बूंदें चुहचुहा रही थीं. औटो से लगभग कूदता हुआ वह पीसीआर वैन के पास पहुंचा और वैन में बैठे सिपाहियों से बोला, ‘‘साहब, उधर एक कोठी में 2 औरतें एक बीएमडब्ल्यू कार में बड़े साइज का सूटकेस रख रही थीं. सूटकेस भारी था, इसलिए उन्होंने मेरा औटो रुकवा कर मुझ से मदद मांगी.’’
‘‘तो क्या हुआ?’’ वैन में बैठे एक सिपाही ने पूछा.
‘‘मैं सूटकेस गाड़ी में रखवाने लगा तो देखा उस में से खून रिस रहा था. जब मैं ने उन से खून के बारे में पूछा तो एक औरत ने अपना खून सना हाथ दिखाते हुए कहा कि सूटकेस नीचे उतारते वक्त उस के हाथ में चोट लग गई थी, यह उसी का खून है.’’
‘‘वहां हुआ क्या है, तुम यह क्यों नहीं बताते?’’ सिपाही ने उत्सुकता से पूछा.
‘‘मुझे लग रहा है कि किसी की हत्या कर के वे औरतें लाश को उस सूटकेस में रख कर कहीं फेंकने ले जा रही हैं. आप लोग वहां जल्दी पहुंचें वरना वे लाश ले कर निकल जाएंगी.’’ औटोचालक ने कहा.
जैसे ही औटोचालक ने लाश की बात कही, पीसीआर में बैठे सिपाहियों ने औटोचालक को गाड़ी में बिठाया और उसे ले कर मोहाली के फेज-3 बी-1 की कोठी नंबर 116 के सामने पहुंच गए. कोठी के सामने सिल्वर कलर की बीएमडब्ल्यू कार खड़ी थी, जिस का नंबर था सीएच04एफ 0027 था. उस समय वहां कार के अलावा कोई नहीं था. कोई औरत भी वहां नजर नहीं आई.
औटोचालक के कहने पर पीसीआर वैन से आए सिपाहियों ने बीएमडब्ल्यू का पिछला दरवाजा खोला तो उस में गहरे रंग का एक बड़ा सूटकेस रखा था, जिस से खून रिस कर बाहर आ रहा था. पीसीआर वैन के इंचार्ज ने तुरंत इस बात की सूचना संबंधित थाना मटौर को दे दी. थोड़ी ही देर में थाना मटौर के थानाप्रभारी इंसपेक्टर बलजिंदर सिंह पन्नू पुलिस टीम के साथ वहां आ पहुंचे.
पुलिस को देख भीड़ जुटने लगी. उस भीड़ में से एक आदमी ने आगे आ कर अपना नाम दर्शन सिंह ढिल्लो बताते हुए कहा, ‘‘सर, अभीअभी मुझे किसी ने बताया है कि मेरे बड़े भाई एकम सिंह किसी हादसे का शिकार हो गए हैं. प्लीज, बताइए न मेरे भाई को क्या हुआ है?’’
बलजिंदर सिंह पन्नू अभी कुछ देर पहले ही वहां आए थे. वहां की स्थिति देख कर उन्होंने कोई काररवाई करने से पहले अपने अधिकारियों को सूचित करना उचित समझा. अधिकारियों को सूचना दे कर वह उन के आने का इंतजार कर रहे थे. इसलिए दर्शन को वह कुछ नहीं बता सके.
थोड़ी देर में डीएसपी (सिटी-1) आलम विजय सिंह के अलावा कुछ अन्य पुलिस अधिकारी भी वहां आ पहुंचे. इंसपेक्टर अतुल सोनी के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की विशेष टीम भी आ गई थी. डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीमों को भी बुला लिया गया था.
पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति में मौके का नक्शा बना कर बीएमडब्ल्यू कार से सूटकेस निकलवा कर खोला गया तो उस में एक लंबेतगड़े आदमी की लाश निकली, जिसे इस तरह तोड़मोड़ कर ठूंसा गया था कि उस के घुटने उस की ठुड्डी को छू रहे थे. उसे देखते ही दर्शन सिंह ढिल्लो ने कहा कि यह लाश उस के बड़े भाई एकम सिंह ढिल्लो की है. उस ने बताया कि उस के भाई का कद सवा 6 फुट से ज्यादा लंबा और उन का वजन 90-95 किलोग्राम था. चौंकाने वाली बात यह थी कि जिस सूटकेस में लाश ठूंसी गई थी, उस का आकार 2 बाई ढाई फुट था.
पुलिस लाश का निरीक्षण कर रही थी कि मृतक एकम सिंह के पिता जसपाल सिंह भी आ गए. शायद उन्हें दर्शन ने फोन कर के बुला लिया था. लाश का पंचनामा तैयार कर उसे कब्जे में लेने के बाद पुलिस ने वहां मौजूद कुछ लोगों के बयान लेने के साथ दर्शन सिंह ढिल्लो और उस के पिता जसपाल सिंह से भी काफी विस्तार से पूछताछ की. ये बापबेटे मोहाली के फेज-6 में रहते थे. दोनों से हुई बातचीत में मृतक के बारे में जो पता चला, वह इस तरह से था…
सरदार जसपाल सिंह अपना कारोबार तो करते ही थे, साथसाथ पंजाब के जानेमाने मानवाधिकार कार्यकर्ता भी थे. दरअसल, खालिस्तान मूवमेंट के फाउंडर संत जरनैल सिंह भिंडरावाला से उन की अच्छी जानपहचान थी. उन के प्रति वह काफी हमदर्दी भी रखते थे. औपरेशन ब्लूस्टार के बाद जसपाल सिंह पूरी तरह ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट बन गए थे. 1990 में कुछ हार्डलाइनर्स सिखों से संबंध रखने के आरोप में वह पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार भी किए गए थे. समाज में उन का अच्छाखासा रुतबा था.
जसपाल सिंह ने 3 शादियां की थीं. इन दिनों वह अपनी तीसरी पत्नी और छोटे बेटे दर्शन सिंह के साथ रह रहे थे. दर्शन सिंह ढिल्लो की शादी कुछ दिनों पहले ही हुई थी, लेकिन जल्दी ही उस का पत्नी से तलाक हो गया था. बडे़ बेटे एकम सिंह ने सन 2005 में सीरत कौर से प्रेम विवाह किया था, जिस से उसे 2 बच्चे बेटा गुरनवाज सिंह और बेटी हुमायरा कौर हुई थी.
शादी के 6 महीने बाद ही 40 वर्षीय एकम सिंह पत्नी को ले कर अपने परिवार से अलग हो गया था. कुछ समय तक उस ने असम में नौकरी की. उस के बाद वहां से लौट कर वह चंडीगढ़ के एक बड़े होटल में काम करने लगा था. कुछ दिनों बाद उस ने यह नौकरी भी छोड़ दी थी. इस समय वह स्टोन क्रैशर व कंस्ट्रक्शन का कारोबार कर रहा था. मोहाली के कस्बा नयागांव में उस का अच्छा काम चल रहा था.
इस समय उस का बेटा 11 साल का था तो बेटी 6 साल की. दोनों चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित स्कूलों में पढ़ रहे थे. एकम की अपने छोटे भाई और पिता से बोलचाल नहीं थी. फिर भी उन्हें कहीं न कहीं से एकम के बारे में जानकारी मिलती रहती थी. बेटा बातचीत नहीं करना चाहता था तो वे क्या कर सकते थे. फिर भी जसपाल सिंह को यह जान कर खुशी थी कि एकम तरक्की कर रहा है. उन का सोचना था कि एकम अपने परिवार के साथ बहुत खुश है.