अतीक के परिवार के लेडी गैंग

अतीक के परिवार के लेडी गैंग – भाग 3

देवरानी जेठानी में बढ़ गईं दूरियां

अशरफ की शादी कौशांबी की रहने वाली जैनब फातिमा के साथ 2013 में हुई थी. शादी के कुछ महीने पहले ही अशरफ जेल से छूट कर आया था. अतीक ने अशरफ की शादी खूब धूमधाम से की थी.

शादी के कुछ दिनों बाद तक देवरानी जेठानी में अच्छी बनी, पर बाद में दोनों के बीच अनबन रहने लगी. घर पर अतीक की पत्नी शाइस्ता की हुकूमत चलती थी. नौकर चाकर से ले कर रिश्तेदार तक शाइस्ता की ही बात मानते थे. अतीक की पत्नी होने के नाते कोई उस के सामने मुंह खोलने की हिम्मत नहीं करता था. यहां तक कि अशरफ भी भाभी के सामने कुछ नहीं बोलता था.

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रंगदारी यानी अवैध वसूली का जो पैसा आता था, वह सब शाइस्ता के पास ही आता था. जो गिफ्ट आते थे, उसे भी शाइस्ता रखती थी. जबकि जैनब को वही मिलता था, जो शाइस्ता देती थी. जैनब के पति के हाथ में भी कुछ नहीं था. क्योंकि घर का मालिक अतीक था. अशरफ को भी वही सब करना होता था, जो अतीक कहता था. यह बात तब खुली थी, जब किसी बिल्डर ने शाइस्ता को फार्च्यूनर गिफ्ट की थी, तब वह गाड़ी जैनब को इतनी पसंद आई कि उस ने पति से कहा था कि उसे भी यही कार चाहिए. इस के बाद अशरफ ने बिल्डर को फोन कर के एक और फार्च्यूनर मंगाई थी.

कहा जाता है कि इन्हीं बातों को ले कर शाइस्ता और जैनब के बीच विवाद रहने लगा था. क्योंकि अब यह सब जैनब से बरदाश्त नहीं हो रहा था. फिर तो शाइस्ता और जैनब के बीच दूरियां बढ़ती गईं. रोजमर्रा की चीजों को ले कर अनबन शुरू हुई तो इस की जानकारी अतीक और अशरफ को हुई.

दोनों भाइयों ने दोनों को समझाने की बहुत कोशिश की कि शाइस्ता और जैनब एकदूसरे को समझने लगें, लेकिन समझने की कौन कहे, आगे चल कर दोनों के बीच बातचीत भी बंद हो गई. यह दूरी इतनी बढ़ गई कि अशरफ और अतीक अलगअलग घरों में रहने लगे थे. कहा जाता है कि अलग होने के बाद अशरफ अपनी अलग वसूली करने लगा था.

अतीक और अशरफ की मौत के बाद दोनों की लड़ाई अब खुल कर सामने आ गई है. शाइस्ता ने जहां अपना अलग गैंग बना लिया है, वहीं जैनब भी पीछे नहीं है. उस ने भी अपना अलग गैंग बना लिया है, जिस की कमान उस के भाई यानी अशरफ के साले सद्दाम ने संभाल रखी है. क्योंकि जब अशरफ बरेली जेल में था, तब भी उस का सारा काम साला सद्दाम ही देख रहा था. इस के लिए वह वहीं बगल में घर ले कर रह रहा था.

पता चला है कि अब अतीक की बहन आयशा नूरी भी जैनब के गुट में आ गई है. जबकि शाइस्ता ने अपना अलग गुट बना लिया है. यह सब बाहुबली की प्रौपर्टी को ले कर हुआ है. इसलिए संभावना बनती है कि इन दोनों के बीच कभी भी गैंगवार हो सकती है. जैनब अब प्रौपर्टी पर कब्जा चाहती है.

अतीक की बहन आयशा नूरी

उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद की बहन आयशा नूरी, उस की दोनों बेटियों मंतशा और उंजिला को भी धूमनगंज पुलिस ने आरोपी बना कर वांछित घोषित किया है. एसआईटी द्वारा की गई जांच में पता चला है कि आयशा को शूटरों की पूरी जानकारी थी. आयशा के पति डा. अखलाक को एसटीएफ पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है.

पुलिस ने अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा के साथ आयशा और उस की दोनों बेटियों को भी गिरफ्तार किया था, जब 6 मार्च को प्रयागराज आ कर उस ने बेटियों और अशरफ की पत्नी जैनब के साथ प्रैस कौन्फ्रैंस की थी, तब आयशा ने अपने दोनों भाइयों अतीक और अशरफ को निर्दोष बताया था. लेकिन तब पुलिस ने पुख्ता सबूत न होने के कारण शांति भंग में चालान कर के छोड़ दिया था.

बाद में जब जांच की गई तो पता चला कि आयशा और उस की दोनों बेटियां भी उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल थीं. यही नहीं, शूटरों की मदद भी की थी. एक वीडियो वायरल हुआ था, जिस में साफ दिखाई दे रहा है कि अतीक अहमद का खास शूटर 5 लाख का ईनामी गुड्डू बमबाज मेरठ स्थित इन के घर गया था.

सीसीटीवी की इस फुटेज के अनुसार उमेश पाल की हत्या के करीब 10 दिन बाद 5 मार्च को उमेश की हत्या में शामिल शूटर गुड्डू मुसलिम आयशा के घर गया था और 17 घंटे आयशा के घर रहा था, जहां उस की जम कर खातिरदारी की गई थी. यही नहीं, चलते समय उसे लाखों रुपए भी दिए गए थे.

डा. अखलाक के घर से मिले उस सीसीटीवी फुटेज में गुड्डू मुसलिम उस के घर पहुंचा और अखलाक से गले मिला. अतीक के बहनोई डा. अखलाक उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में डाक्टर थे और मेरठ में तैनात थे. गिरफ्तारी के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है.

इस के बाद 6 मार्च को डा. अखलाक की कार कौशांबी के थाना संदीपन घाट में मिली थी. जिसे चौकी इंचार्ज (हर्रायपुर) कृष्ण कुमार यादव और एसएचओ (संदीपन घाट) राकेश राय ने थाने ला कर लावारिस घोषित कर के जमा कर दी थी.

जांच में पता चला कि दोनों पुलिस अधिकारियों ने डा. अखलाक को बचाने के लिए ऐसा किया था. इस के बाद एसपी कौशांबी बृजेश श्रीवास्तव ने एसएचओ राकेश राय और चौकी इंचार्ज कृष्ण कुमार यादव को सस्पेंड कर दिया था.

अतीक की भांजियां भी हैं पुलिस के निशाने पर

अतीक की जिन 2 भांजियों मंतशा और उंजिला को आरोपी बनाया है, उन में से मंतशा का निकाह 5 लाख के ईनामी असद के साथ तय हो गया था. पिछले साल दोनों की सगाई भी कर दी गई थी, लेकिन उमेश पाल की हत्या के बाद असद पुलिस एनकाउंटर में मारा जा चुका है.

उमेश पाल हत्याकांड की साजिश में शामिल शूटर गुड्डू मुसलिम की मदद के आरोप में फरार चल रही माफिया अतीक की बहन आयशा नूरी और उस की दोनों बेटियों ने प्रयागराज की सीजेएम की अदालत में आत्मसमर्पण के लिए अरजी लगाई थी, लेकिन अदालत ने सुनवाई के बाद उन की इस अरजी को खारिज कर दिया था. जिस से उन के आत्मसमर्पण की संभावना खत्म हो चुकी है.

अतीक अहमद के परिवार की इन तीनों फरार महिलाओं को ले कर मीडिया रोजरोज नए खुलासे करती है, पर पुलिस इन तक पहुंच नहीं पा रही है. इस की एक सब से बड़ी वजह यह है कि ये सभी बुरके में रहती हैं. इस के अलावा ये मुसलिम इलाके में छिपी होती हैं, जहां न पुलिस पहुंच पाती है और न पुलिस के मुखबिर.

ये जब अड्डे बदलती हैं तो कहा जाता है कि इन के साथ बुरके में कई महिलाएं होती हैं, जिस की वजह से कोई अंदाजा भी नहीं लगा पाता कि ये कौन हैं. अब देखना यह है कि ये कब गिरफ्तार होती हैं.

दरअसल, इन के भागने की सब से बड़ी वजह इस परिवार की प्रौपर्टी को बचाना भी है. क्योंकि अब ऐसा बाहर कोई नहीं बचा, जो प्रौपर्टी और अतीक के गैंग की देखभाल कर सके. लेदे कर शाइस्ता बची है, जिसे पूरी प्रौपर्टी के बारे में भी पता है और गैंग के बारे में भी. क्योंकि पति के जेल जाने के बाद वही गैंग भी चला रही थी और प्रौपर्टी की भी देखभाल कर रही थी.

उसे यह भी पता है कि कितना पैसा कहां लगा है. इसीलिए वह बाहर रह कर सब कुछ इकट्ठा कर रही है, क्योंकि अगर वह जेल चली गई तो सब बिखर जाएगा. वैसे भी प्रौपर्टी पर कब्जे को ले कर देवरानी जेठानी में जंग शुरू हो चुकी है. दोनों के वफादारों में आपस में गोलियां भी चल चुकी हैं.

लेकिन अतीक के वफादार ज्यादा हैं. क्योंकि अतीक जिन लोगों के बुरे समय में काम आया था, वे आज भी शाइस्ता के ही साथ हैं. जबकि अतीक की प्रौपर्टी पर हक तो पूरा परिवार जता रहा है, जिस में अतीक की पत्नी, 4 बेटे, अशरफ की पत्नी जैनब, बहन आयशा और बहनोई डा. अखलाक शामिल हैं. इन सब का क्या होगा, यह भविष्य ही बताएगा.

इधर सोशल मीडिया पर बकरा ईद मनाते हुए आयशा की फोटो वायरल हुई थी. अब पुलिस उस की लोकेशन पता कर रही है. आयशा ने सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील से भाइयों की हत्या की न्यायिक जांच कराने की मांग की है.

अतीक के परिवार के लेडी गैंग – भाग 2

पुलिस रिकौर्ड के अनुसार शाइस्ता परवीन पर 5 मुकदमे दर्ज हैं. इन में से धोखाधड़ी और फरजी दस्तावेज तैयार करने की 3 एफआईआर थाना कर्नलगंज में दर्ज हैं. जबकि उमेश पाल और उस के 2 सुरक्षाकर्मियों की हत्या का मुकदमा थाना धूमनगंज में दर्ज है. इस के बाद उस पर गैंगस्टर ऐक्ट भी लगा दिया गया है.

इसी उमेश पाल और उस के 2 सुरक्षाकर्मियों की हत्या वाले मामले में पुलिस उस की और उस के साथी गुड्डू मुसलिम और 5 लाख के ईनामी शूटर साबिर की तलाश कर रही है. पुलिस और एसटीएफ की टीमें लगातार उस की तलाश में छापे मार रही हैं, पर इन में से किसी का पता नहीं चल पा रहा है.

इन सभी पर ईनाम तो घोषित किया ही गया है, शाइस्ता के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया जा चुका है, जिस से वह देश के बाहर न जा सके.

दरअसल, पति अतीक अहमद के जेल जाने के बाद शाइस्ता ही बेटों और पति के गुर्गों की मदद से पति का आपराधिक साम्राज्य चला रही थी. माना जा रहा है कि 5 लाख का ईनामी साबिर उस के साथ है. संभावना यह भी जताई जा रही है कि लुक आउट नोटिस जारी होने के पहले ही वह विदेश भाग गई है और वहीं से पति के गैंग की कमान संभाल रही है.

शाइस्ता को ले कर रोजरोज नईनई अटकलें लगाई जाती हैं. जब अतीक के बेटे असद का एनकाउंटर हुआ तो हर कोई यही सोच रहा था कि अपने बेटे को आखिरी बार देखने शाइस्ता जरूर आएगी, लेकिन वह बेटे को भी देखने नहीं आई.

इस के बाद 15 अप्रैल, 2023 को अतीक और उस के भाई अशरफ की हत्या हुई और 16 अप्रैल को जनाजा निकला तो सभी को पूरा विश्वास था कि पति के जनाजे में शामिल होने शाइस्ता जरूर आएगी. पर उस ने सरेंडर करने के बजाय आजादी को चुना और सालों तक पति के साथ रहने वाली शाइस्ता पति के अंतिम दर्शन तक के लिए नहीं आई.

इसलाम में किसी की मौत के बाद चालीसवां दिन बहुत खास माना जाता है. मुसलिम मानते हैं कि इस दिन मरे हुए इंसान की आत्मा अपने परिवार से मिलने आती है. चालीसवें दिन चेहल्लुम का फातिहा दिया जाता है, गरीबों को खाना खिलाया जाता है. इस दिन मरने वाले की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है. परिवार वाले ये सारी रस्में पूरा करते हैं.

इसलिए सभी को उम्मीद थी कि पति से जुड़ी अंतिम रस्म के लिए शाइस्ता सरेंडर कर सकती है. पर न तो शाइस्ता आई और न ही अतीक के भाई अशरफ की पत्नी जैनब ही. देवरानी जेठानी दोनों फरार हैं. तब चालीसवें की रस्म अतीक के बहनोई ने पूरी की थी. क्योंकि अतीक की बहन आयशा नूरी भी फरार है.

पुलिस की कोशिशें हुईं नाकाम

अब सवाल यह उठता है कि आखिर शाइस्ता कहां है? पुलिस उस की तलाश में रातदिन एक किए हुए है. आखिर कौन लोग हैं, जो शाइस्ता को बचा रहे हैं, उसे खर्च दे रहे हैं, उस के खानेपीने और रहने की व्यवस्था कर रहे हैं? पुलिस ने शाइस्ता को दिल्ली के अलावा कौशांबी की कछार में ढूंढा, सैयद सरावां, उजहिनी और मेहगांवा गांव में ही नहीं, मदरसे में भी छापा मारा. कौशांबी के गांवगांव में तलाशा गया, पर पुलिस शाइस्ता का पता नहीं लगा सकी.

दरअसल, शाइस्ता तक पुलिस के न पहुंच पाने की 2 वजहें हैं. पहली वजह है उस की पहचान. एक तो वह बुरके में रहती है. फिर अतीक के समय भी वह बहुत कम मौकों पर सार्वजनिक तौर पर बाहर आई थी. उस के फोटो भी पुलिस के पास कम ही हैं. आखिरी बार वह बसपा जौइन करते समय मीडिया के सामने आई थी. पर उस समय वह बुरके में थी. उस के जो भी फोटो बिना बुरके के हैं, वे काफी पुराने हैं.

शाइस्ता का कोई नया फोटो पुलिस के पास नहीं है, इसलिए पुलिस को उस तक पहुंचने में परेशानी हो रही है. यह भी कहा जा रहा है कि अतीक के कुछ पुराने वफादार हैं, जो शाइस्ता की मदद कर रहे हैं. पुलिस ने तो अब उसे माफिया नाम भी दे दिया है.

पुलिस का कहना है कि शाइस्ता लगातार ठिकाने और फोन नंबर बदल रही है. लेकिन है वह प्रयागराज में ही. उस ने प्रयागराज में किसी मुसलिम बाहुल्य इलाके को अपना ठिकाना बना रखा है, जहां पुलिस का पहुंचना मुश्किल है.

अशरफ की पत्नी जैनब फातिमा

उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस ने जांच के बाद शाइस्ता परवीन की देवरानी यानी अतीक अहमद के भाई अशरफ अहमद की पत्नी जैनब फातिमा को भी आरोपी बनाया है. पुलिस उस से भी पूछताछ करना चाहती है, क्योंकि पुलिस का मानना है कि अतीक और अशरफ के कई राज वह उगल सकती है.

शुरुआती जांच में पुलिस को उस के खिलाफ कई सबूत मिले हैं. पुलिस ने इसे पहले पकड़ा भी था और पूछताछ भी की थी. तब पुलिस को जैनब के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले थे, इसलिए शांति भंग के आरोप में चालान कर के उसे छोड़ दिया गया था.

तब इस ने प्रैस कौन्फ्रैंस कर के पुलिस पर परेशान करने समेत कई अन्य आरोप लगाए थे. जैनब के साथ ही पुलिस ने अतीक की बहन आयशा नूरी और 2 भांजियों को भी पकड़ा था. पूछताछ के बाद पुलिस ने इन्हें भी शांति भंग में चालान कर के छोड़ दिया था.

जैनब का नाम बहुत कम लोगों ने सुना होगा, लेकिन अगर आज प्रयागराज के लोगों से पूछिए तो उस की पूरी क्राइम कुंडली बता देंगे. अपनी जेठानी शाइस्ता परवीन की तरह पुलिस द्वारा पकड़े जाने के डर से जैनब भी शौहर की मौत पर कब्रिस्तान नहीं पहुंची. उस ने भी जेठानी की तरह फरार होना उचित समझा.

आज उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए जितनी चुनौती शाइस्ता है, उतनी ही चुनौती जैनब भी है. अतीक के बेटे असद के एनकाउंटर तक वह प्रयागराज वाले घर पर ही थी. उस ने मीडिया के सामने बरेली तथा प्रयागराज के थानों में जा कर पति और जेठ की सुरक्षा की मांग भी की थी.

अशरफ से शादी के पहले जैनब का कोई आपराधिक रिकौर्ड नहीं रहा, लेकिन माफिया के घर शादी होते ही क्रिमिनल लिस्ट में उस का नाम आ गया. पुलिस का मानना है कि जैनब से पूछताछ में उमेश पाल हत्याकांड के अहम सबूत सामने आ सकते हैं. इसीलिए पुलिस को जैनब की तलाश है. पर वह भी जेठानी और ननद की तरह फरार है.

अतीक के परिवार के लेडी गैंग – भाग 1

आज शाइस्ता परवीन को कौन नहीं जानता. उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रही उत्तर प्रदेश पुलिस  की मोस्टवांटेड सूची में शामिल 50 हजार की ईनामी शाइस्ता परवीन के पीछे पूरे उत्तर प्रदेश की पुलिस पड़ी है. उसे इलाहाबाद के कोनेकोने में तो तलाशा ही जा रहा है, देश का ऐसा कोई राज्य नहीं है, जहां उस की तलाश न हो रही हो.

इलाहाबाद शहर ही नहीं, गांवगांव और नदी के कछार तक में पुलिस छापे मार रही है. पर डौन अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता तक पुलिस पहुंच नहीं पा रही है. पुलिस को शाइस्ता की इतनी बेसब्री से तलाश क्यों है, यह जानने से पहले आइए थोड़ा उस के जीवन के बारे में जान लेते हैं.

शाइस्ता परवीन का जन्म 1972 में उत्तर प्रदेश के जिला इलाहाबाद (जो प्रयागराज के नाम से जाना जाता है) के मोहल्ला धूमनगंज के रहने वाले मोहम्मद हारुन के घर हुआ था.

मोहम्मद हारुन उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल थे और पड़ोसी जिले प्रतापगढ़ में तैनात थे, इसलिए शाइस्ता का ज्यादातर समय वहीं बीता. उस के परिवार में मातापिता के अलावा उस की 4 बहनें और 2 भाई हैं. उस के दोनों भाई मदरसे में प्रिंसिपल हैं.

शाइस्ता की स्कूली शिक्षा किदवई, प्रयागराज के मेमोरियल गर्ल्स इंटर कालेज में हुई. इस के बाद उस ने प्रयागराज से ग्रैजुएशन किया. शाइस्ता के घर वाले और अतीक के घर वाले एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. दोनों के घर वालों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी था. इसलिए शाइस्ता के घर वाले जब शाइस्ता का रिश्ता अतीक के लिए ले कर उस के घर गए तो उन्होंने हां कर दी. इस के बाद अगस्त, 1996 में शाइस्ता का निकाह अतीक के साथ हो गया.

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तब तक अतीक जुर्म की दुनिया में कदम रख चुका था. शाइस्ता पढ़ीलिखी तो थी ही, वह पहले से ही बोलने चालने में तेजतर्रार थी. भाईबहनों में सब से बड़ी होने की वजह से उसे घर संभालना भी आता था. इसलिए अतीक के घर आते ही उस ने उस का घर संभाल लिया था.

इतना ही नहीं, अतीक के हर जुर्म में वह उस का साथ भी देने लगी थी. वह पिता के साथ थाने आती जाती थी और पुलिस के काम करने का तरीका नजदीक से देखती थी. इस के अलावा पिता भी घर में अकसर पुलिस के तौर तरीकों और किस अपराध में कैसे बचा जा सकता है, इस की चर्चा करते रहते थे.

इसलिए शाइस्ता कभी पुलिस से नहीं डरी और समय समय पर राजनेता और बाहुबली पति अतीक अहमद की मदद करती रही. अतीक जब जेल में था, तब शाइस्ता ही उस के अपराध के साम्राज्य को संभालती रही.

पुलिस बचाव के लिए ओढ़ा राजनीतिक चोला

शाइस्ता का माफिया पति अतीक पहले अपराधी बना, उस के बाद पुलिस से बचने के लिए राजनेता बन गया था. क्योंकि जब उस के एनकाउंटर का आदेश हुआ था, तब प्रयागराज के एक बड़े कांग्रेसी नेता ने तत्कालीन प्रधानमंत्री से कह उस की जान तो बचाई ही थी, साथ ही सलाह भी दी थी कि अगर उसे पुलिस से बचना है तो वह राजनीति में आ जाए.

तब अतीक ने पहले तो निर्दलीय चुनाव लड़ा. उस के बाद जीत गया तो समाजवादी पार्टी में शामिल हो गया था. समाजवादी पार्टी ने उसे सांसद भी बना दिया था. उसी तरह पति के जेल जाने के बाद पति का आपराधिक साम्राज्य चलाने वाली शाइस्ता भी राजनीतिक संरक्षण पाने के लिए सितंबर, 2021 में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम में शामिल हो गई थी.

पर उत्तर प्रदेश में जब भाजपा की सरकार आई और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की सरकार ने माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू किया तो उस में सब से ज्यादा आफत अतीक अहमद पर ही आई. उस की कई सौ करोड़ की संपत्ति पर प्रशासन ने बुलडोजर चलवा कर जब्त कर ली.

अचानक आए इस संकट से घबरा कर शाइस्ता ने इसी साल यानी 2023 में मायावती का हाथ थाम लिया था यानी उस ने बहुजन समाज पार्टी जौइन कर ली थी. बसपा उसे प्रयागराज से मेयर का टिकट भी देने को तैयार थी.

पर इसी बीच विधायक राजू पाल के भाई और राजू पाल हत्या के चश्मदीद गवाह उमेश पाल की हत्या में माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन का नाम साजिशकर्ता के रूप में आ गया तो बसपा ने उसे प्रयागराज से मेयर का टिकट देने से मना तो कर ही दिया, पार्टी से भी निकाल दिया.

उमेश पाल की जब हत्या हुई थी, उस समय अतीक अहमद गुजरात के अहमदाबाद की साबरमती जेल में बंद था. अतीक का भाई अशरफ भी बरेली जेल में बंद था. जबकि शाइस्ता प्रयागराज में ही अपने घर में रह रही थी.

कहते हैं कि उमेश पाल की हत्या की बात शाइस्ता ने ही शुरू कराई थी. उमेश पाल की हत्या से पहले वह अतीक से मिलने साबरमती जेल गई थी. तभी वहां अतीक और शाइस्ता के बीच उमेश पाल की हत्या कराने की चर्चा हुई थी.

इस के लिए अतीक ने शाइस्ता से जेल में मोबाइल फोन पहुंचाने को कहा था. जेल में फोन पहुंचाने के लिए उस ने एक पुलिस वाले का नाम भी बताया था. शाइस्ता ने उसी पुलिस वाले के जरिए अतीक तक फोन पहुंचवा दिया था. इस के बाद अतीक ने शूटर्स से बात की तो वह अशरफ से बरेली जेल में जा कर मिला और फिर उमेश पाल की हत्या की फाइनल योजना बन गई और 24 फरवरी, 2023 को उमेश पाल की हत्या हो गई.

इस तरह उमेश पाल की हत्या की योजना में शाइस्ता शामिल थी. यही नहीं, उस के घर शूटरों की मीटिंग भी हुई थी. शाइस्ता ने तय किया था कि हत्या के बाद किसे कहां जाना है. उसी ने सभी को खर्च के लिए पैसे भी दिए थे.

अंडरग्राउंड हो चुकी है गैंगस्टर शाइस्ता

इसीलिए पुलिस उमेश पाल की हत्या की साजिश में शामिल शाइस्ता को गिरफ्तार करना चाहती है, क्योंकि वह सभी शूटरों को पहचानती थी. कहा तो यह भी जाता है कि उमेश की हत्या के बाद जब शाइस्ता की अतीक से फोन पर बात हुई थी तो उस ने पति से कहा था कि इस मामले में असद को नहीं शामिल करना था. तब अतीक ने कहा था कि वह शेर का बच्चा है.

उमेश पाल की हत्या के बाद से ही उत्तर प्रदेश पुलिस उसे पूछताछ के लिए तलाश रही है. अब तो लोग उसे लेडी डौन और गौडमदर भी कहने लगे हैं. पुलिस ने उस पर 50 हजार रुपए का ईनाम भी रखा है. पुलिस हाथ धो कर उस के पीछे पड़ी है, पर उस का पता नहीं लगा पा रही है.