नीट आखिर कैसे आ गई नकल माफियाओं के शिकंजे में

बात अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह की है. पटना के कछुआरा मोड़ प्रतिभा कालोनी के रहने वाले 32 वर्षीय नीतीश कुमार की मुलाकात सिकंदर प्रसाद यादवेंदु से हुई थी. समस्तीपुर निवासी सिकंदर पटना नगर परिषद के दानापुर स्थित कार्यालय में जूनियर इंजीनियर था.

नीतीश अपने निजी काम के सिलसिले में उस के पास गया था. बातोंबातों में नीतीश ने उसे बताया कि वह किसी भी प्रतियोगी परीक्षा का पेपर लीक करवा कर कैंडिडेट को पास करवा देता है. उस की ऊपर तक अच्छी सेटिंग है.

यह सुन कर सिकंदर की आंखों में चमक आ गई. वह झट पूछ बैठा, ”मेरे पास 4-5 लड़के हैं, उन का नीट परीक्षा पास करवा सकते हो?’’

”हांहां, क्यों नहीं!’’ नीतीश बोला.

”कितना लगेगा?’’ सिकंदर ने पूछा.

”एक का 30-32 लाख.’’ नीतीश ने बताया.

”गारंटी है?’’ सिकंदर ने पूछा.

”हां, हम लोग यही करते हैं, पूरी गारंटी के साथ!’’ नीतीश के साथ आया दोस्त अमित आनंद बोला.

”ठीक है, लेकिन यह सब कैसे होगा?’’ सिकंदर ने सवाल किया.

”सब मुझ पर छोड़ दीजिए. बस, परीक्षा के एक दिन पहले कैंडिडेट को सेंटर के आसपास ठहरना होगा.’’ नीतीश ने कहा.

”ठीक है,’’ सिकंदर बोला.

4 जून, 2024 को एक तरफ देश भर के लोग लोकसभा चुनाव के नतीजे देखने में टीवी और इंटरनेट मीडिया से चिपके थे, जबकि दूसरी तरफ मैडिकल कालेज में एडमिशन के तमाम स्टूडेंट्स के घरों पर भी खुशियों का माहौल बना हुआ था. क्योंकि वह नीट की परीक्षा में पास हो चुके थे. अपनीअपनी रैंकिंग देख कर वे मनपसंद कालेज मिलने को ले कर आश्वस्त हो रहे थे. वहीं इस परीक्षा में जबकि 67 छात्रों को 100 फीसदी 720 अंक हासिल होने पर आश्चर्य की बात बन गई थी.

किंतु इसी के साथ कुछ छात्र परीक्षा केंद्र पर कम समय मिलने और प्रश्न के गलत होने को ले कर परेशान थे. इस बारे में जब उन्होंने एनटीए (नैशनल टेस्टिंग एजेंसी) से गुहार लगाई थी तो एनटीए ने उन की समस्या का समाधान ग्रेस अंक दे कर निकाला.

नीट परीक्षा के रिजल्ट में कुछ उम्मीदवारों को ग्रेस माक्र्स मिलने पर अंगुली उठ गई थी. पेपर में एक सवाल गलत होने के बदले में यह माक्र्स उन्हें मिले थे, जिन्होंने इसे सही बता कर उत्तर दिए थे. ग्रेस माक्र्स पाने वाले 1,563 से अधिक छात्र थे. ये माक्र्स पाने वाले  67 छात्रछात्राओं ने टौप किया था, उन्हें 720 में 720 अंक आए थे.

इन में से 44 छात्रों को तो फिजिक्स के एक सवाल के 2 सही विकल्प होने के चलते ग्रेस माक्र्स के तौर पर पूरे अंक दिए गए. इस बीच जिन 6 केंद्रों के छात्रों को ग्रेस माक्र्स दिए गए थे, उन में छत्तीसगढ़ के 2 केंद्र बालोद व दंतेवाड़ा, हरियाणा का बहादुरगढ़, चंडीगढ़, मेघालय और गुजरात के सूरत का एकएक केंद्र शामिल थे.

इन केंद्रों पर गलत प्रश्नपत्र वितरित होने से छात्रों को बाद में दूसरा प्रश्नपत्र दिया गया था. इस के चलते उन्हें परीक्षा में कम समय मिल पाया था. इस बारे में नैशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के डीजी का कहना था कि छात्रों ने परीक्षा खत्म होने के बाद इस की शिकायत की थी.

फिजिक्सवाला के गले में क्यों अटका ग्रेस माक्र्स

जांच में उन की शिकायत सही पाई गई थी. ऐसे में छात्रों को हुए इस नुकसान की भरपाई के लिए कमेटी गठित की गई थी, जिस ने हाईकोर्ट के पूर्व के फैसले के आधार पर ग्रेस माक्र्स से इस नुकसान की भरपाई करने का सुझाव दिया था.

बाद में एक तय मानक के तहत 1,563 छात्रों को ग्रेस माक्र्स दिए थे. इस के चलते ही कुछ छात्रों के नंबर 718 और 719 भी मिले थे. हालांकि एनटीए ने ग्रेस माक्र्स देने के न्यूनतम और अधिकतम अंक की जानकारी से जुड़े सवाल पर कोई जवाब नहीं दिया. यही बात कई लोगों को खटकने लगी थी और बहुतों के गले नहीं उतर रही थी. उन्हीं में से एक थे ‘फिजिक्सवाला’ के अलख पांडे.

उन्होंने ग्रेस माक्र्स से ले कर कई लोगों के टौपर होने को ले कर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने मामले को कोर्ट में ले जाने का निर्णय लिया और एडवोकेट रोहित जैन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी.

उन्होंने मैडिकल शिक्षा से जुड़े विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट-पीजी 2024 को विवादित बताते हुए 1,500 से अधिक उम्मीदवारों को एनटीए द्वारा कथित तौर पर बेतरतीब ढंग से ग्रेस दिए जाने के खिलाफ सवाल खड़े किए.

neet-paper-leak

उन के द्वारा सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तीव्र प्रतिक्रिया हुई. मामला मीडिया में तेजी से फैल गया. इसे ले कर विपक्ष भी नई बनी एनडीए की सरकार पर हमलावर हो गया. नए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पहले तो एनटीए की तरफदारी की, लेकिन बाद में उन्होंने इस मामले को गंभीर बताया.

अलख पांडे ने वकील रोहित जैन के माध्यम से दायर अपनी याचिका में विशेषज्ञों की समिति को निर्देश देने का भी अनुरोध किया कि वह नीट परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया में सुधार लाने पर विचार करे. कहा गया कि नीट परीक्षा आयोजित करने की प्रक्रिया को किसी भी तरह की खामी से मुक्त रखने के लिए नैशनल टेस्टिंग एजेंसी और अन्य को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए जाएं.

उन की ओर से पेश वकील ने 11 जून को अदालत में कहा कि ‘हम अलख पांडे का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिन्होंने लगभग 20,000 छात्रों के हस्ताक्षर एकत्र किए हैं, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कम से कम 1,500 छात्रों को मनमाने तरीके से लगभग 70 से 80 ग्रेस दिए गए हैं. हम मनमाने ढंग से ग्रेस दिए जाने को चुनौती दे रहे हैं.’

न्यायालय ने संकेत दिया है कि हमारे मामले पर भी अन्य मामलों के साथ विचार किया जाएगा, लेकिन न्यायालय का रुख स्पष्ट है कि वह इस स्तर पर काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाएगा.

नीट की परीक्षा में शामिल हुए 23 लाख

इस साल यानी 2024 की नैशनल एलिजिबिलिटी इंट्रेस टेस्ट- अंडर ग्रैजुएट (नीट-यूजी-2024) की प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल होने के लिए कुल 24 लाख छात्र छात्राओं ने रजिस्ट्रैशन कराया था, लेकिन इन में से 23 लाख ने ही परीक्षा दी थी. इस की परीक्षा भारत के 571 शहरों और देश के बाहर के 14 शहरों के 4,750 परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की गई थी. इस परीक्षा में 13 लाख से अधिक छात्रों ने मैडिकल कालेजों में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए पात्रता हासिल की.

एनटीए द्वारा आयोजित करवाई जाने वाली यह परीक्षा बेहद कड़ाई से ली गई थी. सभी परीक्षा केंद्रों को सीसीटीवी कैमरों से लैस किया था. यहां तक कि परीक्षार्थियों को इस में शामिल होने के लिए ड्रेस कोड दिए गए थे. केंद्रों पर सख्ती से चैकिंग की गई थी. इस सिलसिले में महिला उम्मीदवारों की चैकिंग में कोई छूट नहीं दी गई थी. उन की ज्वैलरी और चप्पल से ले कर धातु लगे अंडरगारमेंट्स तक पर आपत्ति जताई गई थी.

नीट परीक्षा का रिजल्ट 4 जून को ही लोकसभा चुनाव के नतीजों के दिन ही आया था. सभी की नजरें भले ही लोकसभा चुनाव नतीजों पर टिकी हुई थीं, लेकिन नीट में पास होने वाले टौपर भी चर्चा में आ गए थे.

पेपर लीक के प्रमाण का खुलासा नीट के बुकलेट नंबर 6136488 से हो गया, लेकिन इसे ले कर जांच टीम के सामने सब से बड़ा सवाल यह था कि आखिर यह लीक हुआ कैसे? इसी से जुड़ा सवाल यह भी था कि यह गिरोह तक पहुंचा किस तरह? इसी बुकलेट के प्रश्नों के सारे उत्तर परीक्षार्थियों को परीक्षा से एक रात पहले रटवा दिए गए थे.

शुरुआती जांच के सिलसिले में यह बुकलेट पटना में रामकृष्ण नगर थाने के सहायक निरीक्षक दिनेश कुमार सिंह ने शास्त्रीनगर थाना परिसर में वहां के सबइंसपेक्टर प्रवीण कुमार और होमगार्ड सुभाष कुमार की उपस्थिति में एसएचओ अमर कुमार को दी थी, जो अधजली अवस्था में मिली थी.

इसे भिगोने के बाद पंखे की हवा से सुखाया गया था. इसे ले कर पुलिस ने एक जब्ती सूची बनाई थी, जिस में 15 बोतल पानी मिलने का भी जिक्र किया गया था.

प्रश्न संख्या के सामने घेरे में अंक लिखे गए थे. हालांकि, इस प्रश्नपत्र की बुकलेट को रामकृष्ण नगर थाने के पुलिस अधिकारी ने कहां से बरामद किया था, इस का उल्लेख नहीं किया गया था. फिर भी अनुमान लगाया गया कि यह पटना के खेमनीचक स्थित लर्न प्ले स्कूल एवं लर्न बौयज हौस्टल के भवन से बरामद हुई थी. वहीं अभ्यर्थियों को परीक्षा से एक रात पहले रख कर उत्तर रटवाए गए थे.

पानी की बोतलें उन्हीं के लिए लाई गई थीं. इस से इतना तो स्पष्ट हो गया था कि परीक्षा से पहले ‘बुकलेट संख्या 6136488’ गिरोह के पास पहुंचा दी गई थी, जिस पर ्र-ह्रठ्ठद्ग कोड अंकित था.

कहांकहां फैला नीट पेपर लीक का नेटवर्क 

रिजर्व बैंक औफ इंडिया द्वारा नोटों की छपाई करने के समय जिस तरह से उस पर सीरियल नंबर अंकित करता है, ठीक वैसे ही देशभर में एक साथ होने वाली नीट यूजी के प्रश्नपत्र (बुकलेट) पर छपाई के दौरान ही क्रमांक दर्ज कर लिए जाते हैं.

यानी कि बुकलेट के नंबर के आधार पर एनटीए द्वारा इस बारे में यह जानकारी ली जा सकती थी कि उसे किस राज्य के किस परीक्षा केंद्र पर भेजा गया था. इस तरह से इस का पता लगाना कोई मुश्किल काम नहीं था कि प्रश्नपत्र किस राज्य के किस जिले से परीक्षा से पहले गायब किए गए थे.

इसे ले कर जांच टीम के सामने तरहतरह की अटकलें बन गई थीं और उस आधार पर जांच का सिलसिला आगे बढ़ाया गया.

उन सवालों पर गौर किया गया, जिस में एक बड़ा सवाल यह था कि बरामद नंबर की बुकलेट यदि परीक्षा केंद्र तक पहुंची नहीं थी तो ऐसी स्थिति में इसे सुरक्षा देने वाले ने एनटीए समेत अन्य जिम्मेदार लोगों को सूचित क्यों नहीं किया? या फिर इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं कराई गई? जांच एजेंसी इन सवालों के जवाब तलाशने में जुट गई थी.

जब्त बुकलेट के प्रश्न, हूबहू परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों से मिल रहे थे. ऐसे में बरामद अधजली बुकलेट के कागज की गुणवत्ता की भी जांच एफएसएल (विधि-विज्ञान प्रयोगशाला) से करवाने की जरूरत महसूस की गई.

गिरोह द्वारा अलगअलग शहरों में कई स्थानों पर अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र और उत्तर रटवाए गए थे. इसे ध्यान में रखते हुए जांच टीम ने माना कि हर जगह प्रश्न की मूल बुकलेट देने के बजाय बुकलेट की फोटोकौपी ही उन अड्डों तक पहुंची होगी.

पेपर लीक से संबंधित फरजीवाड़े के तार गुजरात के गोधरा से ले कर हरियाणा के पानीपत और बिहार की राजधानी पटना समेत समस्तीपुर, वैशाली आदि से भी जुड़े हुए थे. एक तरफ सुप्रीम कोर्ट द्वारा एनटीए एवं सरकार के खिलाफ सख्ती के बाद ग्रेस अंक पाने वाले 1,563 छात्रों की फिर से परीक्षा होनी थी, दूसरी तरफ इस से जुड़े गिरोह के दरजनभर लोगों की धड़ाधड़ गिरफ्तारियां हो गई थीं. साथ ही उन परीक्षार्थियों के नाम और मोबाइल नंबर भी उजागर हो गए थे, जिन से उत्तर समेत प्रश्न रटवाए गए थे.

पटना की शास्त्रीनगर थाना पुलिस द्वारा नीतीश कुमार और सिकंदर प्रसाद यादवेंदु के खिलाफ 6 जून, 2024 को भादंवि की धाराओं 407, 408, 409 और 120(बी) के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई थी.

नीट पेपर लीक को ले कर देश भर में हंगामा मच जाने और लगातार हो रही गिरफ्तारियों के बाद आखिरकार इस की जांच सीबीआई को सौंप दी गई. 5 राज्यों बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र में फैले इस के नेटवर्क के जबरदस्त जाल का खुलासा हुआ. देश के कई राज्यों में कई सालों से लगातार परीक्षाओं में पेपर लीक की घटनाएं हो रही थीं, मगर नीट पेपर लीक ने केंद्र सरकार को कड़ी काररवाई के लिए विवश कर दिया.

नीट की परीक्षा में शामिल हो चुके अभ्यर्थी, अभिभावक और कई कोचिंग टीचर्स इस मामले की सीबीआई से जांच की मांग कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट में भी सीबीआई जांच की मांग समेत कई याचिकाएं दायर की जा चुकी थीं, जिन पर 8 जुलाई, 2024 को सुनवाई होनी है. इस से पहले ही बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को 21 जून तक की रिपोर्ट सौंपी.

बिहार और झारखंड में लगातार हुई गिरफ्तारियों से देश भर में नकल माफिया के संगठित रूप के जाल का पता चला है. जांच को एक दिशा मिलती नजर आ रही है. सीबीआई ने फिलहाल अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानत में खयानत और आपराधिक साजिश की धाराओं में केस दर्ज किया है. राज्यों की पुलिस ने जो आरोपी पकड़े हैं, उन्हें सीबीआई अपनी कस्टडी में लेगी और राज्यों की एफआईआर को भी टेकओवर करेगी.

और हो गई गिरफ्तारी की शुरुआत

पटना पुलिस ने 19 लोगों को गिरफ्तार किया है. उन्हीं से पूछताछ में कई खास सुराग सामने आए हैं. इन में 4 अभ्यर्थी हैं. इस में अभिषेक कुमार (21 वर्ष), शिवनंदन कुमार (19 वर्ष), आयुष राज (19 वर्ष) और अनुराग यादव (22 वर्ष) हैं. बाकी 9 में परीक्षा माफिया और अभ्यर्थियों के अभिभावक हैं. हालांकि इस बाबत पटना पुलिस को 5 मई को नीट परीक्षा में गड़बड़ी की जानकारी मिली थी, जो पुलिस को झारखंड नंबर की डस्टर कार में सवार लोगों के बारे में थी. वे लोग परीक्षा केंद्र के आसपास मंडरा रहे थे.

पुलिस ने डस्टर कार को बेली रोड पर रोका और कार से 3 लोग सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश कुमार और बिट्टू कुमार पकड़े गए. गाड़ी को रोहतास का बिट्टू चला रहा था और गाड़ी के पीछे अखिलेश कुमार बैठा था. जांच में पुलिस को नीट परीक्षा के 4 अभ्यर्थियों के एडमिट कार्ड, मोबाइल फोन और अन्य कागजात भी मिले.

solver gang

इन चारों से सिकंदर ने ही सेटिंग की थी. सिकंदर ने संजीव सिंह रौकी, नीतीश और अमित आनंद का नाम लिया था. ये लोग इसी गैंग के सदस्य थे. नीतीश पहले भी पेपर लीक में गिरफ्तार हो चुका था. हालांकि नीतीश को मार्च में 4 दिन की जमानत मिल गई थी. सिकंदर ने अमित को अभ्यर्थी दिए थे, वहीं अमित ने नीतीश को अभ्यर्थी दिए थे. इस मामले में नीतीश ने चारों नीट अभ्यर्थियों को नीट के पेपर उपलब्ध कराए थे. सिकंदर यादवेंदु, अखिलेश और बिट्टू से पूछताछ होने पर इस मामले की कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गईं.

इस पूरे पेपर लीक मामले में गया (बिहार) का रहने वाला नीतीश कुमार और मुंगेर का अमित आनंद छोटे लेवल के परीक्षा माफिया हैं. इन की सभी बड़े परीक्षा माफियाओं से सांठगांठ थी. ये दोनों इन बड़े परीक्षा माफियाओं के लिए काम करते थे. बड़े परीक्षा माफियाओं से अभ्यर्थियों की ये डीलिंग करते थे और बीच का मोटा कमीशन लेते थे. ये अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले लीक हुए प्रश्नपत्र और उस का उत्तर उपलब्ध करवाते थे.

इस के लिए वह ऐसी जगह ढूंढते थे, जहां पर अभ्यर्थियों को बैठा कर प्रश्नपत्र और उत्तर रटवाए जाएं. इस प्रकरण में भी इन तीनों की यही भूमिका थी. दोनों मिल कर काम करते थे.

40-40 लाख में हुई थी सेटिंग

पटना का रहने वाला आशुतोष कुमार और और नालंदा का रहने वाला रोशन कुमार अमित और नीतीश के लिए काम करते थे. दोनों लाइनर की भूमिका निभाते थे. ये दोनों कैंडिडेट ढूंढते और उन्हें अमित और नीतीश तक पहुंचाते थे. इस के बाद प्रश्नपत्र की तैयारी के बाद विशेष जगह से अभ्यर्थियों को उन के सेंटर तक पहुंचाने का इन का काम होता था.

गिरफ्तार आरोपी सिकंदर यादवेंदु इस पेपर लीक में मुख्य परीक्षा माफिया से निचले लेवल का जालसाज है. सिकंदर ने 40-40 लाख रुपए में अभ्यर्थियों और उन के परिजनों से परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र उपलब्ध कराने की सेटिंग की थी. सिकंदर ने नीतीश और अमित को 4 कैंडिडेट दिए थे.

इस प्रकरण में सिकंदर परीक्षा से पूर्व अभ्यर्थियों और नीतीश कुमार के बीच संयोजक की भूमिका में था. सिकंदर पर पूर्व में रोहतास में जूनियर इंजीनियर रहते हुए 2.92 करोड़ रुपए के हुए एलईडी घोटाले का आरोप है और वह इस केस में मुख्य आरोपी भी है.

गिरफ्तार आरोपी अखिलेश कुमार सिकंदर के साथ मिल कर काम करता था. वह अपने बेटे को नीट परीक्षा पास करने के लिए सेटिंग में था. सेटिंग होने पर वह परीक्षा के दौरान लर्न प्ले स्कूल से बच्चों को सुरक्षित परीक्षा केंद्र तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संभाले हुए था. सौल्वर गैंग से प्रश्नपत्र को सुरक्षित गैंग के दूसरे सरगना तक प्रश्नपत्र के उत्तर को पहुंचाने की जिम्मेदारी उसी की थी.

इस काम की डील अखिलेश की बहुत कम पैसे में ही पूरी हो गई थी. सिकंदर ने जो डील कराई थी, उस में अखिलेश के लिए तो तय हुआ था कि इस पूरे प्रकरण में अखिलेश ऐक्टिव रहेगा तो उसे अपने बेटे के लिए कम पैसे देने होंगे. बाकी सब से 40 लाख में डील हुई थी तो अखिलेश को 20 लाख रुपए ही देने थे.

रोहतास निवासी बिट्टू कुमार ही अभ्यर्थियों को ले कर नीतीश के पास गया था. उसी ने अभ्यर्थियों को लर्न प्ले स्कूल से परीक्षा केंद्र तक ले जाने का काम किया था. बिट्टू इस से पहले कई प्रश्नपत्र लीक मामले में शामिल रह चुका है. दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे नीट पीजी प्रश्नपत्र लीक मामले में पहले भी गिरफ्तार किया था. बिट्टू कुमार संजीव मुखिया का करीबी भी बताया जा रहा है.

इन सब के अलावा अवधेश कुमार नाम का व्यक्ति भी गिरफ्तार है, जो रांची का रहने वाला है. इस ने अपने बेटे अभिषेक कुमार के लिए इन परीक्षा माफियाओं से डीलिंग की थी. गिरफ्तार 19 लोगों में एक रीना कुमारी भी है, जो अभ्यर्थी अनुराग यादव की मां है. रीना कुमारी रिश्ते में सिकंदर यादवेंदु की सलहज है.

सूत्रों से पता चला कि नीट-यूजी का पेपर हजारीबाग के ओएसिस स्कूल से लीक हुआ था. बिहार ईओयू टीम को बुकलेट बौक्स से भी छेड़छाड़ के सबूत मिले थे. ईओयू की टीम ने केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को नीट पेपर लीक से जुड़ी रिपोर्ट सौंप दी है. इस मामले में पेपर लीक के सरगना संजीव मुखिया गैंग के कई साथियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.

sanjeev Mukhiya

                                                संजीव मुखिया

इस मामले में फंसा एक व्यक्ति संजीव मुखिया भी है,जिस के बारे में बताया जाता है कि संजीव का बेटा भी बीपीएससी द्वारा लिए गए शिक्षक भरती परीक्षा के तीसरे चरण की परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक मामले का मास्टरमाइंड था. इस मामले में संजीव के बेटे की भी गिरफ्तारी हो चुकी है. संजीव मुखिया के नेपाल भागने की आशंका जताई गई है.

बिहार और झारखंड के बाद इस मामले का महाराष्ट्र कनेक्शन भी सामने आया. नांदेड़ एटीएस ने महाराष्ट्र के लातूर से 22 जून, 2024 को संजय तुकाराम जाधव और जमीन उमरखान पठान नामक 2 शिक्षकों को हिरासत में ले लिया. दोनों की गिरफ्तारी नीट पेपर लीक मामले में शामिल होने के संदेह के आधार पर की गई.

दोनों शिक्षक लातूर में निजी कोचिंग क्लास भी चलाते हैं. आरोपी शिक्षकों में से एक लातूर और दूसरा सोलापुर में कार्यरत बताया जा रहा है. दोनों जिला परिषद स्कूलों में शिक्षक हैं.

प्रिंसिपल भी हुआ गैंग में शामिल

14 जून, 2024 को गुजरात के पंचमहल जिले के गोधरा कस्बे में एक स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक सहित 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन पर 27 अभ्यर्थियों से 10-10 लाख रुपए की रिश्वत ले कर नीट-यूजी पास कराने में कथित तौर पर मदद करने का आरोप है. एसपी के अनुसार गिरफ्तार लोगों में तुषार भट्ट, स्कूल के प्रधानाचार्य पुरुषोत्तम शर्मा, वड़ोदरा के शिक्षा सलाहकार परशुराम राय, उन के सहयोगी विभोर आनंद और बिचौलिया आरिफ वोहरा शामिल हैं.

9 मई को दर्ज रिपोर्ट के अनुसार इस मामले का परदाफाश गोधरा के एक स्कूल में हुआ, जिसे नीट-यूजी के लिए परीक्षा केंद्र बनाया गया था.

रिपोर्ट के अनुसार जिलाधिकारी को गुप्त सूचना मिली थी कि कुछ लोग मैडिकल कालेज में प्रवेश के लिए गलत काम कर रहे हैं, जिस के बाद 5 मई को मैडिकल कालेज में प्रवेश के लिए आयोजित परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया था.

जिला शिक्षा अधिकारी की शिकायत पर गोधरा तालुका पुलिस थाने में दर्ज रिपोर्ट के अनुसार भट्ट से 7 लाख रुपए नकद बरामद किए गए. तुषार भट्ट जय जलाराम स्कूल में शिक्षक था और उसे शहर में नीट के लिए उप केंद्र अधीक्षक नियुक्त किया गया था.

अत्री ने यूपी में भी फैलाया गैंग

परशुराम राय ने 27 छात्रों को यह भरोसा दिलाया था कि वह 10 लाख रुपए ले कर उन्हें परीक्षा पास कराने में मदद करेगा. छापेमारी के दौरान उस के कार्यालय से 2.30 करोड़ रुपए के चैक भी मिले.

नीट पेपर लीक मामले में रवि अत्री को उत्तर प्रदेश स्पैशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया. वह ग्रेटर नोएडा के नीमका गांव का रहने वाला है. उसे विभिन्न राज्यों में परीक्षाओं के पेपर लीक में कथित संलिप्तता के लिए जाना जाता है. उस की कार्यप्रणाली में कथित तौर पर सौल्वर गैंग नामक नेटवर्क के माध्यम से सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हल किए गए प्रश्नपत्र अपलोड करना शामिल है.

अत्री 2012 में मैडिकल प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक करने में कथित भूमिका के लिए दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार किया गया था.

तब बिहार पुलिस राज्य के बाहर भी अपनी जांच का विस्तार करते हुए एक छात्र और सहयोगियों सहित पेपर लीक मामले से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी. पूछताछ के दौरान अत्री के साथ इन के संबंध सामने आए थे, जिस के बाद यूपी एसटीएफ ने अत्री को पकड़ लिया.

2007 में अत्री के परिवार ने उसे मैडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा भेजा था. साल 2012 में उस ने परीक्षा पास कर ली और पीजीआई रोहतक में दाखिला ले लिया. हालांकि चौथे साल में अत्री परीक्षा में शामिल नहीं हुआ. बताते हैं कि तब तक वह नकल माफिया के संपर्क में आ चुका था और अन्य उम्मीदवारों के स्थान पर परीक्षा में फरजी उम्मीदवार बन कर बैठता था. उस ने लीक पेपरों को छात्रों के बीच प्रसारित करने में भी अहम भूमिका निभानी शुरू कर दी थी.

बताते हैं कि अत्री गिरोह के सदस्यों ने बिहार में सिकंदर और संजीव को प्रश्नपत्र उपलब्ध कराए थे. अत्री गिरोह के रवि अत्री का नाम पहले भी कई परीक्षाओं के पेपर लीक को ले कर सामने आ चुका है. वह फिलहाल ऐसे ही एक मामले में मेरठ की जेल में सजा काट रहा है.

उस पर आरोप है कि उस ने उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले हुए कांस्टेबल भरती परीक्षा का भी पेपर लीक करवाया था. पुलिस को संदेह है कि अत्री गिरोह ने ही इस बार भी पेपर लीक किया है और परीक्षा से ठीक एक दिन पहले इन प्रश्नपत्रों को सौल्वर गैंग तक पहुंचाया है. पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपियों ने झारखंड के रास्ते बिहार तक ये प्रश्नपत्र पहुंचाए थे.

नीट फरजीवाड़े पर उठे कुछ सवाल

पेपर लीक मामले को ले कर जांचकर्ताओं से ले कर आम लोगों के जेहन में कई सवाल बने हुए हैं. उन में एक सवाल गोधरा के जय जलाराम स्कूल में 16 छात्रों द्वारा 10-10 लाख में सेंटर का चुना जाना है. जबकि वे छात्र ओडिशा, कर्नाटक, झारखंड के थे. उन्हें यह मनचाहा सेंटर कैसे मिला, जबकि उन के राज्यों में सेंटर थे? नियम के अनुसार कि छात्र 100-150 किलोमीटर दूर तक केंद्र चुन सकते हैं, जबकि यहां दूरी 1,000 किलोमीटर से अधिक थी.

वहां गिरफ्तार लोगों के पास 2.30 करोड़ के 16 चैक बरामद हुए. मुख्य आरोपी तुषार भट्ट ने कुबूल भी किया कि दूसरे राज्यों के छात्रों से नीट परीक्षा पास कराने के लिए 10-10 लाख रुपए लिए गए थे.

दूसरा सवाल बिहार के संबंध में सामने आया कि प्रश्न का बुकलेट 4 घंटे पहले माफिया तक कैसे पहुंच गया? इस बारे में भी पटना में जेल भेजे गए 4 अभ्यर्थियों ने कुबूल कर लिया कि उन्हें नीट परीक्षा से 4 घंटे पहले प्रश्नपत्र और उत्तर मिल गया था. इस का प्रिंट आउट लिया गया था. पुलिस ने यहीं से जले प्रश्नपत्र और एक ही बुकलेट नंबर 6136488 की 3 कौपी बरामद की थीं.

पुलिस पेपर लीक का केस दर्ज कर चुकी है. परचा आउट नहीं हुआ तो माफिया तक कैसे पहुंचा? माफिया ने पुलिस की रेड से पहले प्रश्नपत्रों को क्यों जला दिया?

इसी तरह से एक अहम सवाल छात्रों को ग्रेस माक्र्स के आधार को ले कर भी उठा. हरियाणा के झज्जर में हरदयाल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अंशु यादव ने इस बारे में कहा कि उन के यहां 504 छात्रों ने परीक्षा दी. किसी का एक मिनट बरबाद नहीं हुआ. ऐसे में सवाल उठा कि इन छात्रों को किस आधार पर समय बरबाद होने के ग्रेस अंक दिए गए?

ग्रेस को ले कर ही एक सवाल एनटीए से पूछा जाना है कि इस के लिए गवर्निंग बौडी से इजाजत ली गई या नहीं. एनटीए ने समय खराब होने के चलते 1563 छात्रों को अलगअलग ग्रेस अंक दिए. किस अधिकारी के फैसले पर क्लैट में समय खराब होने के बदले ग्रेस अंक के फारमूले को नीट में अपनाया गया? जबकि क्लैट औनलाइन तो नीट औफलाइन हुई थी.

एक सवाल रजिस्ट्रेशन विंडो को ले कर भी उठा है. जो बंद होने के बाद 9 अप्रैल को एक दिन के लिए खोली गई थी. एनटीए ने नीट की आवेदन तारीख एक हफ्ते के विस्तार के बाद 16 मार्च को बंद कर दी थी. फिर अचानक 9 अप्रैल को एक दिन के लिए रजिस्ट्रैशन विंडो क्यों खोली गई? इस 24 घंटे में जिन छात्रों ने रजिस्ट्रैशन कराया, उन में से कितने छात्र क्वालिफाई हुए? क्या इन में से कुछ टौप रैंकर भी बने?

इन के अतिरिक्त अहम सवाल यह भी उठ रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले नीट काउंसिलिंग शुरू क्यों की जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को अपना जवाब देने के लिए अगली सुनवाई की तारीख 8 जुलाई दी है और नीट की काउंसिलिंग 6 जुलाई से शुरू होगी.

अगर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा के खिलाफ फैसला दिया या इस पर रोक लगाने का मुद्दा उठा तो काउंसिलिंग का क्या होगा?

कथा लिखे जाने तक 23 जून, 2024 को होने वाली नीट-पीजी परीक्षा भी स्थगित कर दी थी, लेकिन ग्रेस मार्स पाने वाले 1563 अभ्यर्थियों में 813 छात्रों ने ही दोबारा परीक्षा दी. उन के एडमिट कार्ड 20 जून को सरकार ने री-एग्जाम के लिए जारी किए गए थे. उन की परीक्षा 7 केंद्रों पर आयोजित की गई थी.

बहरहाल, चिंता की बात यह है कि अब नकल माफियाओं की विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराने वाली एजेंसियों में घुसपैठ मजबूत हो चुकी है, जिस की वजह से युवाओं का सरकार और इन एजेंसियों से विश्वास उठता जा रहा है. सरकार को सख्त कानून बना कर इन माफियाओं पर नकेल कसे जाने की जरूरत है.