प्रेमिका से अरमान को मिला आईफोन बना जान का दुश्मन
अरमान की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस की प्रेमिका जैनब ने उस के जन्मदिन पर एक मोबाइल फोन गिफ्ट दिया था. वह फोन ले कर अपने दोस्त फैसल और उस्मान के पास आया. ये दोनों ही गली नंबर 13 भागीरथी विहार में रहते थे.
अरमान ने उन्हें फोन दिखाया तो दोनों अरमान की पीठ थपथपा कर बोले, ”आखिर तुम ने जैनब को पटा ही लिया.’’
”क्यों नहीं पटती यारो, तुम्हारा यार दिखने में कोई फटीचर थोड़ी है, हीरो हूं मैं भागीरथी विहार का.’’ अरमान छाती फुला कर बोला.
”वो तो तुम हो ही. यह बताओ, इस में सिम डाल ली अपनी?’’ फैसल ने पूछा.
”हां, सिम डाल ली है. सुनोगे, अपनी भाभी की आवाज?’’
”हां यार, हमारी बात करवाओ भाभी जैनब से.’’ उस्मान ने उतावलेपन से कहा.
इधर माहिर को किसी तरह पता चल गया कि उस की प्रेमिका उर्वशी ने उस का आईफोन अपनी सहेली को नहीं बल्कि बौयफ्रैंड अरमान को दिया है. यह बात उसे बहुत बुरी लगी थी. उसे अरमान का फोन नंबर भी मिल गया था.
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एक साथ 2 युवकों से चल रहा था इश्क
अरमान अभी जैनब का नंबर मिलाने ही जा रहा था कि उस के फोन पर किसी की काल आ गई. नंबर नया था. अरमान ने काल उठा ली, ”हैलो, आप को किस से बात करनी है?’’ उस ने पूछा.
”तुम्हारा नाम अरमान है क्या?’’ दूसरी ओर से पूछा गया.
”हां, मेरा नाम अरमान है, तुम कौन हो?’’ हैरानी से अरमान ने पूछा.
”मेरा नाम माहिर है.’’ दूसरी ओर से कड़वा स्वर उभरा, ”सुन अरमान, तुझे जो मोबाइल उर्वशी ने गिफ्ट किया है, वह मेरा है. उसे तुम वापिस कर दो. दूसरी बात उर्वशी मेरी है, उस की जिंदगी में दखल देने की कोशिश मत करना.’’
अरमान चौंका, ”मैं उर्वशी को नहीं जानता. मुझे तो फोन जैनब ने दिया है.’’
”जैनब और उर्वशी एक ही लड़की है. मैं उर्वशी उर्फ जैनब से मोहब्बत करता हूं. तुम्हारे पास जो आईफोन है, उर्वशी को मैं ने खरीद कर दिया है. मुझे मोबाइल वापिस दे दो.’’
”यदि न दूं तो?’’ अरमान गुर्रा कर बोला, ”तुम मेरा क्या बिगाड़ लोगे?’’
”मैं भागीरथी विहार आऊंगा, फिर बताऊंगा तेरा क्या बिगाड़ सकता हूं मैं. बता तुम्हारा एड्रैस क्या है?’’
”मुझ से मिलना है तो बृजपुरी की पुलिया पर आ जा. मैं देखता हूं तू कितना बड़ा दादा है.’’ अरमान दांत पीसते हुए बोला.
”आ रहा हूं मैं एक घंटे में तुम्हारी बृजपुरी की पुलिया पर.’’ दूसरी ओर से माहिर ने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.
”कौन था, जो तुझे धमकी दे रहा था?’’ फैसल ने हैरानी से पूछा.
”कोई माहिर नाम का लड़का है, कहता है जैनब को वह प्यार करता है. उस के रास्ते से हट जा और यह मोबाइल भी वह अपना बता रहा है, इसे वापस मांग रहा है वह. एक घंटे में वह बृजपुरी पुलिया पर आने वाला है.’’
”आने दो. हरामी यहां से जिंदा नहीं जाएगा.’’ फैसल दांत भींच कर बोला.
”अभी देखते हैं, यह कितनी बड़ी तोप है. चलो बृजपुरी पुलिया पर, वो वहीं आएगा.’’
तीनों बृजपुरी पुलिया पर आ गए. एक घंटे बाद माहिर अपने एक दोस्त दिलशाद के साथ मोटरसाइकिल पर वहां आ गया. अरमान, फैसल और उस्मान मोबाइल काल आने पर उन्हें पहचान कर उन के पास आ गए. माहिर ने तीनों को देख कर पूछा, ”अरमान कौन है?’’
”मैं हूं..’’ अरमान सामने आ गया.
”मुझे मोबाइल दे दो अरमान. वह मेरा है.’’ माहिर आराम से बोला.
”नहीं दूंगा.’’ अरमान गुर्रा कर बोला.
इसी बात पर उन की गरमागरमी होने लगी. अरमान, फैसल और उस्मान के तेवर खतरनाक होते देख कर दिलशाद ने बीचबचाव करते हुए कहा, ”देखो, एक लड़की के चक्कर में लडऩा अच्छी बात नहीं है. अरमान, तुम सब आराम से बात कर लो. माहिर को फोन वापस दे दो.’’
”लेकिन मैं ने इस से मोबाइल नहीं लिया है. मोबाइल मैं जैनब को दे दूंगा. उस से ले लेना.’’
”ठीक है, तुम जैनब को मोबाइल दे देना. चलो माहिर, हम जैनब उर्फ उर्वशी से बात कर लेंगे. वह मोबाइल अरमान से ले कर तुम्हें दे देगी.’’ दिलशाद ने माहिर को समझाया और मोटरसाइकिल वापस मोड़ ली.
उस दिन वे वापस लौट गए. लेकिन जैनब से दूर होने तथा अपना मोबाइल वापस करने के पीछे माहिर और अरमान में तूतूमैंमैं और गालीगलौज होती रही.
अरमान ने क्यों की माहिर की हत्या
आखिर अरमान ने फैसल और उस्मान के साथ मिल कर माहिर को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया. अरमान ने घटना को अंजाम देने के लिए पुरानी भागीरथी विहार से 2 चाकू खरीद लिए. पूरी तैयारी करने के बाद अरमान ने माहिर को मोबाइल वापस करने के बहाने से भागीरथी विहार आने को कहा तो माहिर भागीरथी विहार आ गया.
उस समय रात के 8 बजे थे. अरमान, फैसल और उस्मान तीनों को अपने साथ भागीरथी विहार की एक संकरी गली में ले आए. यह 11 नंबर गली थी और इस में एक मकान का काम चल रहा था. गली में सन्नाटा रहता था. वहां कुछ लड़के आग जला कर बैठे थे.
अरमान ने माहिर के दोस्तों को वहां बिठा लिया. उस्मान द्वारा एक दुकान से एनर्जी ड्रिंक और सिगरेट मंगा कर पिलाई, फिर अरमान माहिर को मोबाइल देने के बहाने अंधेरे में लाया.
माहिर कुछ समझ पाता, उस से पहले ही अरमान और फैसल ने ताबड़तोड़ उस पर चाकुओं से हमला कर दिया. माहिर भागने लगा तो नाबालिग उस्मान ने ईंट से उस के सिर पर वार किए. वह बेदम हुआ तो उसे चौड़ी गली में उन्होंने चाकुओं से गोद डाला.
चीखपुकार सुन कर वहां आसपास के लोग घरों से बाहर आ गए थे. फैसल ने चाकू हवा में लहरा कर हिलाते हुए चेतावनी दी कि कोई बीच में आएगा तो उसे जान से मार देंगे.
कोई डर की वजह से सामने नहीं आया तो वे माहिर को बुरी तरह घायल कर के भाग गए. अरमान ने अपना चाकू नाले के पास फेंक दिया. जबकि फैसल का चाकू माहिर की गरदन में फंस कर मुड़ गया था. फैसल ने वह चाकू नहीं निकाला.
यह 28 दिसंबर, 2023 की घटना थी. एक दिन तक तीनों इधरउधर रहे. 29 तारीख को तीनों अशोक नगर पहुंचे. एक पहचान वाला वहां रहता था. उस ने उन की बदहवास हालत देखी तो वह डर गया. उस ने उन्हें पनाह नहीं दी. तीनों दिल्ली से बाहर भागने की फिराक में खड़े थे कि गली के मोड़ से पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए.
उन तीनों ने माहिर की हत्या की बात कुबूल ली. तब उन पर भादंवि की धारा 302/201/120बी/34 के तहत केस दर्ज कर के उन्हें 30 दिसंबर, 23 को अदालत में पेश कर के 2 दिन की रिमांड पर ले लिया गया. जबकि नाबालिग उस्मान को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया.
रिमांड अवधि में अरमान ने मोबाइल जो जैनब ने उसे गिफ्ट दिया था, उस का डिब्बा और बिल घर से ले कर पुलिस को दे दिया. उस ने नाले के पास कीचड़ में दबा अपना चाकू भी बरामद करवा दिया.
पुलिस को एक सिलवर कलर का मुड़ा हुआ चाकू माहिर की गरदन में धंसा मिल गया था. वह ईंट जिस से उस्मान ने माहिर पर वार किए थे और वह खून में सनी हुई थी तथा खून आलूदा घटनास्थल की मिट्टी सीलमोहर कर ली. दोनों को रिमांड अवधि समाप्त होने पर कोर्ट द्वारा जेल भेज दिया गया.
आरोपी फैजल आरोपी समीर
भागीरथी विहार में गली नंबर 11 तथा बृजपुरी पुलिया पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में माहिर अपने दोस्त दिलशाद के साथ अरमान और फैसल के साथ सड़क पर जाता दिखाई दे रहा था. वह फुटेज हासिल कर ली. जिस दुकान से एनर्जी ड्रिंक और सिगरेट खरीदी गई, उस दुकान का पता तथा जहां से चाकू खरीदे गए थे, उस दुकानदार का बयान भी साक्ष्य के तौर पर एकत्र किए गए. यह साक्ष्य 25 जनवरी, 2024 को एकत्र हुए.
इस घटना की सूचना सब से पहले इब्राहिम ने दी थी. वह तौफीक का बेटा था. उस की उम्र 40 साल थी. वह वी-83 गली नंबर 23, मौजपुर में रहता था, उस का बयान भी पुलिस ने सबूत के तौर पर ले लिया.
माहिर का दोस्त दिलशाद, उम्र-26 साल, मकान नंबर ए-445/जी-10 श्रीराम कालोनी, खजूरी में रहता था. उस के भी बयान लिए गए. जैनब उर्फ उर्वशी जो अरमान और माहिर से फेसबुक द्वारा दोस्त बनी थी. वह फोन नंबर 78********द्वारा माहिर और अरमान से बातें करती थी. वह फोन उस की मां रजनी प्रयोग करती थी. उस के भी बयान करवाए लिए गए.
जैनब उर्फ उर्वशी को जब बताया गया कि अरमान ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर माहिर की निर्मम हत्या कर दी है. वह हैरान रह गई. फेसबुक का यह प्रेम त्रिकोण खूनी खेल खिलाएगा, अगर जैनब समझ जाती तो ऐसा बचकाना प्रेम नहीं करती और आज माहिर की जान भी नहीं जाती.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में जैनब, उर्वशी और उस्मान नाम परिवर्तित हैं.
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एसआई की थोड़ी सी सख्ती ने ही उन्हें गिड़गिड़ाने पर विवश कर दिया. अरमान डरते हुए बोला, ”छोड़ दीजिए साहब, मैं कुबूल करता हूं कि मैं ने इन दोनों दोस्तों के साथ मिल कर माहिर की जान ली थी.’’
एएसआई विपिन त्यागी ने उसी समय एसएचओ प्रवीण कुमार को बुला लिया. उन्होंने बहुत गंभीर स्वर में पूछा, ”तो तुम कुबूल करते हो कि माहिर की तुम्हीं तीनों ने हत्या की है?’’
”हां साहब,’’ अरमान हाथ जोड़ते हुए कराहते हुए बोला.
”तुम तीनों ने माहिर की हत्या क्यों की, तुम्हारी उस से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि तीनों ने इतनी बेरहमी से माहिर की जान ले ली?’’
”माहिर मेरे प्यार में कांटा बन गया था साहब. मैं जिस लड़की से प्यार करता हूं, उसे माहिर हासिल कर लेना चाहता था, मजबूरन मुझे उसे रास्ते से हटाना पड़ा.’’
”मुझे विस्तार से बताओ.’’ एसएचओ इस ट्रिपल लव स्टोरी की हकीकत जानने के लिए उत्सुक हुए तो अरमान ने ऐसी प्रेम कहानी का खुलासा किया, जो आधुनिक प्रेम में युवकयुवती के भटकाव को दर्शाती थी. यह कहानी इस प्रकार थी—
इंस्टाग्राम पर हुई थी जैनब से दोस्ती
अरमान उम्र का 20वां साल पार कर चुका था. इस उम्र में युवा मन में किसी सुंदर लड़की की चाहत अंगड़ाई लेने लगती है. अरमान दिखने में सुंदर था. उस पर कुरता पायजामा ही नहीं, जींस और शर्ट भी खूब जंचती थी. हीरो की तरह रहने वाला अरमान अपने लिए हीरोइन की तलाश कर रहा था.
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अरमान को मोबाइल चलाने का शौक था. उसे मालूम था कि फेसबुक पर जवान जवान लड़कियां दोस्ती के लिए रिक्वेस्ट डालती हैं, उन से दोस्ती की जा सकती है.
आरोपी अरमान
अरमान ने फेसबुक खोल कर देखना शुरू किया तो उसे एक पोस्ट पर जैनब नाम की एक लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट दिखी. जैनब ने अपनी हौबी और अपनी उम्र भी लिखी हुई थी. वह 19 साल की थी. उस की हौबी हमउम्र लड़कों से दोस्ती करना, संगीत सुनना थी. उस ने फेसबुक पर अपनी खूबसूरत फोटो भी लगा रखी थी. अरमान को वह बहुत पसंद आई.
उस ने जैनब की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. जैनब ने उस की दोस्ती को तुरंत स्वीकार कर लिया. उस ने अरमान से शुरू में मैसेज से बातचीत की, फिर उस से फोन मिला कर बातें करने लगी. उस की सुरीली आवाज और खनकती हंसी का अरमान दीवाना हो गया.
दूसरे दिन उस ने जैनब को फोन मिला दिया, ”हैलो जैनब, कहां पर हो?’’
”घर पर ही हूं अरमान. कहो कैसे फोन किया?’’ जैनब ने पूछा.
”तुम्हें अपने सामने देखने का मन हो रहा है जैनब, क्या तुम मुझे बाहर कहीं मिल सकती हो?’’
”मिल लूंगी अरमान, बताओ कहां आऊं मैं?’’
”तुम खुद डिसाइड कर लो जैनब, तुम जहां कहोगी मैं पहुंच जाऊंगा.’’
”मैं कनाट प्लेस आ जाती हूं, तुम पालिका बाजार के गेट नंबर एक पर मेरा इंतजार करना. मैं एक घंटे में पहुंच जाऊंगी.’’ जैनब ने कह कर काल डिसकनेक्ट कर दी.
अरमान हवा में उडऩे लगा. उसे लगा कि जैसे आज मनमांगी मुराद मिल गई है. वह जल्दी जल्दी तैयार हुआ और आटोरिक्शा द्वारा कनाट प्लेस पहुंच गया. पालिका बाजार के गेट नंबर एक पर पहुंच कर उस ने मोबाइल में समय देखा तो अभी एक घंटा पूरा होने को 10 मिनट शेष दिखाई दिए. वह अपने उतावलेपन पर मुसकरा पड़ा. यहां आने में उस ने जैनब से बाजी मार ली थी.
जैनब 15 मिनट देर से आई. चूंकि फेसबुक पर उन की चैटिंग होती रहती थी, इसलिए दोनों एकदूसरे को तुरंत पहचान गए. अरमान ने लपक कर जैनब का हाथ पकड़ लिया और उस की बड़ी बड़ी आंखों में देखने लगा.
”क्या ढूंढ रहे हो तुम मेरी इन आंखों में?’’ जैनब ने इठला कर पूछा.
”देख रहा हूं मेरे लिए इन आंखों में कितना प्यार है.’’
”यह तो तुम्हें इन आंखों की गहराई में उतरने के बाद ही मालूम होगा.’’ जैनब मुसकरा कर बोली.
”तुम्हारी इजाजत चाहिए जैनब. इन आंखों में तो क्या मैं तुम्हारे दिल की गहराई में भी उतर जाऊंगा.’’ अरमान गहरी सांस भर कर बोला.
”मेरे दिल की गहराई में तुम्हें मेरा प्यार ही प्यार मिलेगा. मेरी हर धड़कन तुम्हारा ही नाम ले रही होगी अरमान.’’ जैनब सर्द आह भर कर बोली.
”बहुत दिलचस्प हो तुम जैनब, तुम्हारे साथ खूब निभेगी.’’ अरमान हंस कर बोला, ”आओ, पहले कौफी हाउस चल कर कौफी पीते हैं. फिर पालिका पार्क में बैठ कर बातें करेंगे.’’
अरमान जैनब को ले कर कौफी हाउस में आ गया. वहां कौफी पी लेने के बाद वे पालिका पार्क में आ बैठे.
”कहां रहते हो अरमान?’’ जैनब ने पूछा.
”मैं गोकलपुरी के भागीरथी विहार में रहता हूं जैनब, तुम कहां रहती हो?’’
”मैं घड़ौली, मयूर विहार फेज-3 में रहती हूं.’’ जैनब में बताया.
”जैनब मेरी जिंदगी में आने वाली तुम पहली लड़की हो.’’ अरमान जैनब की कोमल हथेली अपने हाथ में ले कर बोला, ”मैं तुम्हें अपनी जान से ज्यादा प्यार करूंगा, तुम्हें अपने दिल में बसा कर रखूंगा. तुम्हें अपनी दुलहन बनाऊंगा.’’
जैनब मुसकराई, ”अगर तुम्हारे ऐसे सपने हैं तो इन सपनों को साकार करने के लिए ढेर सारी दौलत कमानी होगी अरमान, तुम पढ़लिख कर किसी अच्छी सर्विस पर लग जाओ, फिर हम शादी कर लेंगे.’’
”मैं अपना बिजनैस करूंगा जैनब. देखना तुम, मैं पैसों का अंबार लगा दूंगा.’’
”तुम्हारी मनोकामना पूरी हो अरमान, तुम राजा बन जाओगे तो मैं तुम्हारी रानी बन जाऊंगी.’’ जैनब ने दिल से कहा.
”मैं बहुत जल्दी अपना सपना पूरा करूंगा जैनब. आओ, तुम्हें भूख लगी होगी, किसी रेस्तरां में बैठ कर कुछ खा लेते हैं.’’ अरमान उठते हुए बोला.
जैनब ने भी जगह छोड़ दी. अरमान ने उसे एक रेस्तरां में लंच करवाया. अरमान से फिर मिलने का वादा कर के जैनब अपने घर के लिए निकल गई. अरमान भी वापस आ गया. अरमान और जैनब का प्यार दिन पर दिन गहरा होता जा रहा था. अरमान समय समय पर जैनब को कुछ न कुछ तोहफे देता रहता था.
कुछ दिनों बाद अरमान का जन्मदिन था. यह बात उस ने फोन द्वारा जैनब को बता दी थी. जैनब अरमान को उस के जन्मदिन पर कोई कीमती गिफ्ट देना चाहती थी. क्या दे, वह इसी सोच में थी कि उसे माहिर का खयाल आया.
माहिर विजय विहार, लोनी (गाजियाबाद) में रहता था. वह भी जैनब का हमउम्र था. 20 साल का उभरता युवा. जैनब उस से भी प्रेम करती थी. माहिर से भी उस की जान पहचान फेसबुक के द्वारा ही हुई थी. वह माहिर के साथ भी शादी का ख्वाब पाले हुए थी. जैनब एक साथ 2-2 युवकों को फांसे हुए थी. वह जानती थी माहिर उसे बहुत प्यार करता है, इसलिए उस ने अरमान को जन्मदिन गिफ्ट देने के लिए माहिर की मदद लेने का मन बना लिया.
उस ने माहिर को फोन किया. दूसरी ओर से तुरंत उस की फोन अटेंड की गई. माहिर का उतावला स्वर उभरा, ”कहां पर हो उर्वशी, मैं तुम्हारे लिए 2 दिनों से परेशान हूं. तुम्हारा फोन नौट रीचेबल आ रहा था.’’ जैनब ने माहिर को अपना नाम उर्वशी बताया हुआ था.
”क्यों? मैं तो यहीं थी. हो सकता है नेटवर्क की प्राब्लम हो.’’ जैनब उर्फ उर्वशी ने बात घुमाई, ”मुझे तुम से शाम को मिलना है.’’
”हां मिलो न, मैं तुम्हारी खातिर बहुत बेचैन हूं. मिलोगी तब चैन आएगा. बोलो, कहां आना है?’’ माहिर की ओर से बेसब्री से पूछा गया.
”वही पुरानी जगह, इंडिया गेट आ जाना, शाम को 4 बजे.’’
”ठीक है.’’
फोन डिसकनेक्ट कर जैनब ने घड़ी देखी. दोपहर का एक बज रहा था. वह माहिर से मिलने जाने के लिए तैयार होने लगी.
शाम को माहिर और उर्वशी इंडिया गेट के पार्क में एक पेड़ के नीचे बैठे थे. माहिर के बालों में अंगुलियां चलाते हुए उर्वशी उसे एकटक देख रही थी. माहिर ने आंखें मूंद ली थीं. अपने बालों में उर्वशी की अंगुलियां घूम रही थीं तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
”माहिर.’’ उर्वशी ने उसे कंधे से पकड़ कर हिलाया, ”मुझे एक अच्छा सा फोन दिलवाओ न.’’
”फोन है तो तुम्हारे पास.’’ माहिर आंखें खोल कर बोला.
”मुझे अपनी एक सहेली को उस के जन्म दिन पर गिफ्ट देना है, मुझे नया फोन चाहिए.’’
माहिर ने कुछ देर सोचा फिर बोला, ”मैं कल तुम्हें मोबाइल फोन ला कर दे दूंगा. एक नया फोन है मेरे पास. आईफोन-14. उस का लुक अच्छा है, तुम्हारी सहेली को पसंद आ जाएगा.’’
”ठीक है. मैं कल मिलती हूं तुम से.’’ कहते हुए उर्वशी खड़ी हुई तो माहिर चौंक पड़ा, ”इतनी जल्दी जा रही हो.’’
”एक काम है माहिर, घर में मेरा इंतजार हो रहा होगा. कल मिलती हूं न, फिर इत्मीनान से बैठेंगे.’’ उर्वशी बात बना कर बोली, ”कल मैं इसी समय तुम्हें यहीं मिलूंगी. फोन ले कर आना.’’
”ले कर आऊंगा.’’ माहिर ने कहा तो उर्वशी उस से विदा हो कर चली गई. माहिर को उर्वशी के इस रवैए पर हैरानी हुई, लेकिन वह चुप रह गया. उर्वशी के जाने के बाद वह पैदल ही एक ओर बढ़ गया.
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पुलिस वैन थोड़ी ही देर में भागीरथी विहार की उस जगह पर पहुंच गई, जहां एक युवक खून से लथपथ पड़ा हुआ था. लगभग 20 साल के उस युवक ने सफेद रंग की जैकेट पहन रखी थी, जो खून से रंग गई थी. वह बुरी तरह घायल था. उस के जिस्म को पूरी तरह चाकू से गोद दिया गया था, जहां से ताजा खून उस समय भी बह रहा था. स्पष्ट था कि उस घटना को हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.
एसआई सीताराम ने युवक का बारीकी से निरीक्षण किया. उस में अभी सांस बाकी थी. उस की गरदन में चाकू धंसा हुआ था, गले में खून सना सफेद मफलर था और 2 काले रंग के मफलर उस के पैरों की तरफ पड़े थे. अनुमान लगाया गया कि यह मफलर शायद उन लोगों के हैं, जिन्होंने इस पर प्राणघातक हमला किया है.
एसआई सीताराम अभी उस युवक का मुआयना कर ही रहे थे कि उस युवक की जेब से मोबाइल की घंटी की आवाज सुनाई देने लगी. एसआई सीताराम ने उस युवक की पैंट की जेब में हाथ डाला, उस में मोबाइल था, जिस की रिंगटोन बज रही थी और स्क्रीन पर 9667531333 नंबर दिख रहा था. एसआई ने कुछ सोच कर काल रिसीव करने के लिए स्क्रीन पर टच कर दिया.
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दूसरी ओर से किसी का लताडऩे वाली आवाज सुनाई दी, ”मैं तुझे कितनी देर से फोन लगा रहा हूं, लेकिन तू फोन ही रिसीव नहीं कर रहा है. कहां पर है तू?’’
”देखिए, मैं एसआई सीताराम बोल रहा हूं… आप को बता दूँ. यह फोन उस लड़के की जेब से मैं ने निकाला है, जो बुरी तरह घायल यहां पड़ा हुआ है.’’
”क्या कह रहे हैं आप? मेरा भाई माहिर घायल पड़ा है… कैसे घायल हो गया वह? क्या उस का एक्सीडेंट हो गया है?’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले का घबराया हुआ स्वर उभरा.
”दुर्घटना नहीं हुई है, आप के भाई पर किसी ने जानलेवा हमला किया है, आप तुरंत गोकलपुरी के भागीरथी विहार की गली नंबर 11 में पहुंच जाइए.’’ एसआई सीताराम ने गंभीर स्वर में कहा.
”मैं आ रहा हूं सर, आप मेरा इंतजार करिए.’’ दूसरी ओर से कहने के बाद संपर्क काट दिया गया.
एसआई सीताराम ने ओप्पो कंपनी का वह फोन जेब में रखा. उसी वक्त वहां थाना गोकलपुरी के एसएचओ प्रवीण कुमार पहुंच गए.
उन्होंने बुरी तरह घायल पड़े युवक को देखा. युवक पर किया गया हमला इतना घातक था कि उस के जिस्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा होगा, जहां जख्म न हुआ हो.
लोगों ने हमलावरों को क्यों नहीं रोका
वहां अब तक काफी भीड़ जमा हो गई थी. हैडकांस्टेबल विजेंद्र शुक्ला और एएसआई विपिन त्यागी भीड़ को पीछे हटाने में लगे हुए थे. एसएचओ ने भीड़ के पास आ कर पूछा, ”इस पर किन लोगों ने हमला किया, तुम ने देखा है?’’
”साहब, वे 3 युवक थे, वे इसे घेर कर चाकू और ईंट से मार रहे थे. हम लोगों ने बीचबचाव करना भी चाहा, लेकिन उन में से एक युवक गुर्रा कर चीखा था, ‘कोई भी आगे आएगा, उसे हम जिंदा नहीं छोडेंग़े.’ साहब, इसे बुरी तरह घायल कर के चाकू को लहराते हुए इस ओर भाग गए.’’ एक अधेड़ से व्यक्ति ने हाथ से गली के सामने की ओर इशारा कर के बताया.
”क्या वे युवक इसी कालोनी के थे?’’
”यह हम नहीं बता सकते, साहब. हम ने उन्हें पहले कभी नहीं देखा.’’ दूसरा व्यक्ति बोला.
एसएचओ कुछ और पूछते उसी वक्त एक युवक बाइक पर वहां आ गया. वह काफी बदहवास था.
बाइक खड़ी कर के वह घायल पड़े युवक के पास आया. उसे देखते ही वह रोने लगा. रोते हुए ही उस ने बताया, ”साहब, यह मेरा छोटा भाई माहिर है. इस की यह हालत किस ने की है?’’
”हमलावर 3 युवक थे, वे कौन थे, यह अभी मालूम नहीं हुआ.’’ एसएचओ गंभीर स्वर में बोले.
फिर उन्होंने रोते हुए युवक से पूछा, ”क्या तुम यहीं आसपास रहते हो?’’
”नहीं सर, हम गली नंबर 2 विजय विहार, लोनी (गाजियाबाद) में रहते हैं.’’
अब तक आखिरी सांसें गिन रहा माहिर दम तोड़ चुका था. वैसे भी यह अनुमान पहले ही लगा लिया गया था कि बुरी तरह चाकुओं से गोद दिए गए युवक का बचना असंभव है. हमलावरों ने जिस तरह उस पर चाकुओं से वार किए थे, वह यही सोच कर किए थे कि माहिर किसी भी तरह बचना नहीं चाहिए. ऐसा ही हुआ था. वहां की कागजी काररवाई पूरी कर के एसआई ने फोरैंसिक टीम को बुलवा कर साक्ष्य एकत्र करवाए.
माहिर की पहचान उस के बड़े भाई उस्मान ने कर दी थी. सारी खानापूर्ति करने के बाद एएसआई विपिन त्यागी, एसआई सीताराम और एसएचओ प्रवीण कुमार वापस थाने लौट गए. हैडकांस्टेबल विजेंद्र कुमार शुक्ला ने माहिर की लाश एंबुलेंस बुलवा कर जीटीबी हौस्पिटल पहुंचा दी, जहां माहिर का पोस्टमार्टम होना था. यह बात 28 दिसंबर, 2023 की है.
उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना गोकलपुरी को रात 9 बजे के आसपास पीसीआर से सूचना मिली कि भागीरथी विहार की गली नंबर-11 में एक युवक खून से लथपथ पड़ा हुआ है.
हैडकांस्टेबल विजेंद्र कुमार शुक्ला ने यह सूचना एसएचओ प्रवीण कुमार को दे दी थी. तब एसएचओ ने उसी वक्त घटनास्थल पर जाने के लिए एसआई सीताराम और एएसआई विपिन त्यागी को रवाना कर दिया. इन के साथ हैडकांस्टेबल विजेंद्र शुक्ला भी थे.
कैसे गिरफ्तार हुए आरोपी
माहिर हत्याकांड की जानकारी एसएचओ प्रवीण कुमार ने नार्थ ईस्ट के डीसीपी जौय टिर्की और एसीपी अभिषेक गुप्ता को दे दी. डीसीपी जौय टिर्की ने एसीपी अभिषेक गुप्ता के निर्देशन में यह केस हल करने की जिम्मेदारी एसएचओ प्रवीण कुमार को सौंप दी.
एसएचओ ने माहिर की हत्या के आरोपियों की तलाश करने के लिए खास मुखबिर लगा दिए. दूसरे दिन एक मुखबिर ने उन्हें सूचना दी, ”सर, माहिर की हत्या के आरोपी लड़के अशोक नगर के पास खड़े हैं, तुरंत आएंगे तो उन्हें दबोचा जा सकता है.’’
एसएचओ प्रवीण कुमार तुरंत अपने साथ 3-4 पुलिस वालों को ले कर थाने से निकले. एसआई सीताराम, हैडकांस्टेबल विपिन और विजेंद्र शुक्ला, रोहित डिवेश भी साथ में थे. रास्ते से मुखबिर भी उन के साथ बैठ गया.
हैडकांस्टेबल विपिन
अशोक नगर की एक गली के पास खड़े 3 युवकों को देख कर मुखबिर ने एसएचओ प्रवीण को इशारा कर के कहा, ”यही वे 3 लड़के हैं साहब.’’
मुखबिर ने वैन रोकने को कहा. एसएचओ प्रवीण कुमार ने तुरंत ही पुलिस वैन रुकवा दी और पुलिस वालों के साथ उस ओर झपटे, जहां वे युवक खड़े थे. पुलिस को अपनी तरफ आता देख कर तीनों गली में दौड़ पड़े, जिन्हें पुलिस ने पीछा करके दबोच लिया.
उन युवकों को पुलिस वैन में बिठा कर थाना गोकलपुरी लाया गया. यहां तीनों को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया गया. इन में 2 युवक 20-21 साल के थे और एक नाबालिग दिख रहा था. पुलिस की गिरफ्त में आते ही उन के चेहरे सफेद पड़ गए थे. वह डर से थरथर कांप रहे थे.
एसएचओ ने उन्हें घूरते हुए पूछा, ”अपने नामपता बताओ.’’
”साहब, मेरा नाम अरमान खान, मेरे पिता का नाम हाशिम खान है. मैं गली नंबर 10, मकान नंबर 270, भागीरथी विहार में रहता हूं.’’
दूसरा बोला, ”मेरा नाम मोहम्मद फैसल उर्फ फिड्डी है. मेरे वालिद का नाम शमशेर अली है. पता जी-205, गली नंबर-13, भागीरथी विहार है. साहब, मैं ने कुछ नहीं किया है.’’
”मैं ने अभी यह नहीं पूछा कि तुम ने क्या किया है या नहीं किया है.’’ एसएचओ उसे एक तरफ कर के तीसरे लड़के की तरफ पलटे, ”तेरा नाम?’’
”साहब, मेरा नाम उस्मान है और मैं जी-118, गली नंबर-13 भागीरथी विहार में रहता हूं.’’ नाबालिग बोला.
”तुम माहिर को पहचानते हो?’’
”कौन माहिर साहब? यह नाम मैं ने पहले नहीं सुना.’’ अरमान खुद को संभाल कर जल्दी से बोला.
”वही जिस का भागीरथी विहार की गली नंबर 11 में तुम तीनों ने बेरहमी से कत्ल किया है.’’
”न… नहीं साहब, हम ने किसी का कत्ल नहीं किया है.’’ इस बार फैसल बोला.
”तब हमें देख कर तुम तीनों भागे क्यों थे?’’
”हम डर गए थे साहब, पुलिस से हमें बहुत डर लगता है.’’ फैसल ने कहा, ”हम तीनों निर्दोष हैं साहब, हमें छोड़ दीजिए.’’
”छोड़ देंगे, पहले तुम लोगों की खातिरदारी तो कर लें.’’ एसएचओ मुसकराए फिर उन्होंने एएसआई विपिन त्यागी को इशारा किया, ”ये बगैर सेवा किए कुछ नहीं बताएंगे, इन्हें मुंह खोलने के लिए खुराक दो.’’
एसएचओ प्रवीण कुमार अपने कक्ष में आ कर बैठ गए. उधर रिमांड रूम में एएसआई विपिन त्यागी अरमान, फैसल और उस्मान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हुए बता रहे थे कि अपराध करने वालों को यहां सच बोलना पड़ता है.
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