डीसीपी प्रशांत गौतम ने दोनों पीडि़तों की बात गौर से सुनी और उन की तहरीर ले कर उन्होंने एसीपी जयप्रकाश के नेतृत्व में एक टीम गठित कर कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिए. इस टीम में एसआई सोनम जोशी, करमवीर, हरजीत, एएसआई नीरज पांडेय, सुरेंद्र राठी, हैडकांस्टेबल धर्मेंद्र, मोहित, राजेश, प्रदीप और कांस्टेबल राकेश दर्शन तथा दीपक को शामिल किया गया.
लोन ऐप के खिलाफ हुईं 2000 से ज्यादा शिकायतें
इस टीम ने राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर इस कंपनी की खोज की तो मालूम हुआ इस कंपनी के खिलाफ दिल्ली में 102 और देश भर में 1,977 लोगों ने ठगे जाने की शिकायत दर्ज करवाई है. यह संख्या कम नहीं थी. अनुमान लगाया गया कि अब तक इस कंपनी ने करोड़ों रुपए लोगों की लोगों की जेबों से झटक लिए हैं.
इस के बाद आईएफएसओ की पूरी टीम इन ठगों के गरेबान तक हाथ डालने के इरादे से पूरी मेहनत से जुट गई. उन्होंने उन बैंक खातों की जांच की, जहां लोन चुकाने वाले किस्तें जमा करवाते थे, उन के स्वामित्व के विवरण एकत्र किए गए. पता चला ये खाते दिल्ली, सूरत केरल और कोलकाता के हैं.
पुलिस टीम गहता से जांच में जुटी थी. बाद में टीम आरोपियों तक पहुंचने में सफल हो गई और टीम ने 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.
यह 6 लोग थे मुस्तजाब गुलाम मोहम्मद नवीवाला (सूरत), अनीश भाई अशरफ विंची (सूरत), गोकुल विश्वास (नादिया पश्चिम बंगाल), अशोक (सुलतानपुरी, दिल्ली), बलवंत (सुलतानपुरी, दिल्ली) और नितिन कुमार (महिपालपुर, दिल्ली).
इन से की गई पूछताछ में पता चला कि इन का सरगना दिल्ली का नितिन कुमार था. 24 वर्षीय नितिन के परिवार में मम्मीपापा और 2 बहनें हैं. नितिन ने बीएससी पास की, अब वह एमबीए की पढ़ाई कर रहा है. इस ने 12वीं क्लास के बाद एसबीआई क्रेडिट कार्ड सेल्स में काम किया था.
साल 2018 से 2020 तक अलगअलग बैंकों में सेल्स, पर्सनल लोन डिपार्टमेंट में नौकरी की. 2020 के बाद इस ने स्काइलेन इनोवेशन टैक्नोलौजी प्रा. लिमिटेड कंपनी जौइन की. यह एक चाइनीज लोन ऐप कंपनी थी. इस के मालिक अल्बर्ट और डेन नाम के चाइनीज थे. यहां से इसे लोन ऐप का काम समझ में आया.
इस ने 2021 में नोएडा में पे-मी इंडिया नाम की ऐप कंपनी में जौब की और फिर यह जौब छोड़ कर दिसंबर 2021 में इस ने ऐप के माध्यम से लोन देने का खुद का काम शुरू कर दिया. इस ने बहुत शातिर ढंग से लोन लेने वाले लोगों का मोबाइल डाटा चुरा कर, उस में मौजूद कौन्टैक्ट नंबर और गैलरी में मौजूद फोटो द्वारा ब्लैकमेलिंग कर के 2 लाख की जगह 4 लाख रुपए वसूल किए.
गैंग का सरगना निकला दिल्ली का नितिन
अभी तक मिली जानकारी के आधार पर नितिन कुमार ने देश भर में लोगों से लोन एवं ठगी से 350 करोड़ रुपए वसूल किए थे. पकड़े गए मुस्तजाब गुलाम मोहम्मद नवीवाला 32 साल का है. इस के परिवार में अम्मीअब्बू के अलावा पत्नी और बेटी है. यह 9वीं क्लास तक पढ़ा है. इस ने डिलीवरी का काम शुरू किया. अब टेक्सटाइल फील्ड में काम करता है.
2021 में जब कोविड के कारण लौकडाउन लगा तो काम मंदा पड़ गया. पैसे की तंगी आने पर एक व्यक्ति महमूद भगद और उस के भाई रेहान भगद के कहने पर आरआर इंटरप्राइज नाम की प्रोपराइटरशिप रजिस्टर करवाई और उस का एडीएफसी बैंक में अकाउंट खुलवाया और उसे महमूद को इस्तेमाल करने को दे दिया. बदले में महमूद ने उसे एक लाख रुपया दिया जो इस ने बहन की शादी में लगा दिया.
बाद में जरूरत पडऩे पर महमूद 10-15 हजार रुपए इसे देता रहता था. अकाउंट के सभी कागजात, पासबुक, डेबिट कार्ड रेहान और महमूद को दे दिए थे, जिन का इस्तेमाल वही कर रहे थे.
36 वर्षीय अशोक के परिवार में मां, भाई, भाभी उन के 3 बच्चे, खुद की पत्नी और 2 बच्चे हैं. यह 8वीं क्लास तक पढ़ा है. इस ने ड्राइविंग सीखी और टैंपो चलाने लगा. फिर भाई बलवंत के साथ मिल कर प्रीवकामर वाक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोली, उस का आईसीआईसीआई बैंक में खाता खुलवाया, जिसे बाद में गुरुचरण सिंह को इस्तेमाल करने को दे दिया. इस के बदले में उस ने इसे एक लाख रुपए दिए जो इस ने घर खर्च में इस्तेमाल कर लिए. गुरुचरण नितिन की ही गैंग है, जो फरार है.
अनीश भाई अशरफ विंची की उम्र 51 साल है. इस के परिवार में बीवी और 2 बच्चे हैं. यह प्राइवेट गाड़ी चलाता है. 2021 में कोविड के कारण काम बंद हो गया, पैसे की तंगी के कारण यह परेशान हो गया. तब महमूद भाई और रेहान ने एचडीएफ सी बैंक में उस का एकाउंट उसी के नाम पर खुलवाया, जिसे महमूद भाई इस्तेमाल करता था. महमूद भाई ने इस के बेटे की बीमारी का पूरा खर्चा दिया था.
ऐसा ही नदिया के रहने वाले गोकुल विश्वास की कहानी है. उस का एकाउंट खुलवा कर महमूद भाई इस्तेमाल कर रहा था. यह महमूद और रेहान नितिन के ही लिए काम करते थे.
इन पकड़े गए आरोपियों के अकाउंट खुलवाने का मकसद लोन ऐप से लोगों को जो रुपया दिया जाता था, उस की वापसी इन्हीं अकाउंट में करवाई जाती थी. आईएफएसओ की टीम ने इन पकड़े गए अभियुक्तों के बैंक खातों में जमा 60 लाख रुपए फ्रीज करवा दिए. इन के पास से 7 मोबाइल फोन, एक लैपटाप, 15 डेबिट कार्ड बरामद किए गए.
क्राइम ब्रांच ने इन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक गुरुचरण, महमूद भाई और रेहान फरार थे, उन की तलाश की जा रही थी.
मरकरी ट्यूबलाइट्स की दुधिया रोशनी से केबिन जगमगा उठा.
“जय, मैं तुम्हें सच्चा प्यार करती हूं. मैं तुम्हारी नजरों में कुलटा, निर्लज्ज, बेहया नहीं बनना चाहती, इसलिए शादी से पहले मैं अपना यह पाक जिस्म तुम्हारे सामने बेपरदा कर रही हूं.” कहते हुए उर्वशी ने अपने ब्लाउज के हुक खोल कर ब्लाउज को तन से जुदा कर दिया. फिर उसने अपनी गुलाबी रंग की ब्रा की बाईं स्ट्रिप बाएं कंधे से नीचे उतार कर अपना बायां वक्ष स्पष्ट नुमाया कर दिया.
“अच्छी तरह देख लो जय, मेरे इस वक्ष पर हरे रंग का छोटा सा मस्सा है. यह मैं तुम्हें इसलिए दिखाने केबिन में लाई हूं कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.”
जय ठगा सा उर्वशी का उघड़ा हुआ जिस्म देख रहा था. उर्वशी ने जब ब्रा यथास्थान कर ब्लाउज पहन लिया तो जय की तंद्रा टूटी.
“तुम ने यह मस्सा किस मकसद से मुझे दिखाया है उर्वशी?” उस ने हैरानी से पूछा.
उर्वशी उसे केबिन से वापस काउंटर के पास ले आई. उस ने एक फोटो उठा कर जय की तरफ बढ़ाते हुए कहा, “इस में जो लडक़ी की नग्न देह है, वह मेरी नहीं है सिर्फ मेरी गरदन से ऊपर का हिस्सा मेरा है. लडक़ी की नग्न धड़ के बाएं वक्ष पर वह मस्सा नहीं है, जो मेरे वक्ष पर है. गौर से देख लो, यह ट्रिक फोटो की कारीगरी है. कंप्यूटर द्वारा इसे तैयार किया गया है.”
जय ने ध्यान से देखा तो उर्वशी की बात में सच्चाई नजर आई. उस ने सिर झुका कर रुआंसे स्वर में कहा, “ओह! उर्वशी, मैं क्या कोई भी इन फोटो को देख कर धोखा खा जाएगा. मैं क्षमा चाहता हूं, मैं ने तुम्हें कितना गलत बोला. तुम पर निर्लज्जता का आरोप मढ़ा.”
“कोई बात नहीं,” उर्वशी ने राहत की सांस ले कर कहा.
जय ने सभी फोटो लिफाफे में डाले फिर उन्हें अलमारी में रख कर बोला, “मेरी समझ में नहीं आ रहा कि ये फोटो किस ने और किस मकसद से यहां भेजे हैं. वह यह सब दिखा कर के मुझ से क्या हासिल करना चाहता है?”
“वह शाम तक मालूम हो जाएगा, जिस ने ये फोटो भेजे हैं, वह तुम्हें शाम तक फोन जरूर करेगा.” उर्वशी ने कहा और अपने कांउटर पर आ गई.
जय घोष ने करा दी एफआईआर
दोपहर में ही जय घोष के मोबाइल पर एक फोन आ गया. जय ने रिसीव किया तो मालूम हुआ फोन कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी से किसी व्यक्ति ने किया था.
“हैलो मिस्टर जय घोष. तुम ने अपनी मंगेतर उर्फ प्रेमिका उर्वशी की फोटोज तो अब तक देख लिए होंगे.”
“ओह यू!” जय गुस्से से चीखा, “तो यह तुम लोगों की बदमाशी है. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ऐसी अश्लील फोटो भेजने की?”
“हमारा काम यही है जय भाई,” दूसरी तरफ वाला व्यक्ति बेहयाई से हंसा.
“अब ध्यान से सुनो, हमारी कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी से तुम ने 30 लाख रुपए का जो लोन लिया है, मुझे बदले में 70 लाख रुपए चाहिए.”
“मुझे क्या पागल समझते हो तुम, मैं ने 30 लाख लिया है, वह मैं तुम्हें जायज ब्याज सहित लौटा दूंगा.”
“तुम 70 लाख ही दोगे जय घोष बाबू, नहीं दोगे तो तुम्हारी मंगेतर को मैं सोशल मीडिया पर बदनाम कर दूंगा. जो फोटो तुम्हें भेजी गई हैं, वह तुम्हारे मांबाप और दूसरे रिश्तेदारों को भी भेज दूंगा. तुम्हारा उर्वशी से शादी करने का ख्वाब बिखर जाएगा.”
“भेज दो.” जय चिढ़ कर बोला, “यह सब कंप्यूटर से किए हैं. मैं इस से नहीं डरता.”
“ओह! तो तुम्हें मालूम हो गया यह कंप्यूटर से तैयार किए गए फोटो हैं.” दूसरी ओर वाला व्यक्ति चौंक कर बोला.
कुछ क्षणों तक दूसरी ओर खामोशी रही फिर गंभीर स्वर उभरा, “जय, तुम किसकिस को बताओगे कि यह कंप्यूटर का खेल है. तुम्हारी प्रेमिका बदनाम हो कर आत्महत्या कर लेगी, फिर क्या करोगे.”
जय घोष ने गहरी सांस ली, “ठीक है भाई, मैं तुम्हें 70 लाख ही दूंगा, लेकिन वादा करो कि यह फोटोग्राफ तुम दूसरी जगह शो नहीं करोगे.”
“मुझे रुपयों से मोह है जय बाबू. तुम मान गए हो इसलिए फोटो मैं जला दूंगा. तुम मुकरोगे तो मुझे सोचना पड़ेगा.” कहने के बाद दूसरी तरफ से काल डिसकनेक्ट कर दी. जय घोष सिर पकड़ कर कुरसी में फंस गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह 70 लाख रुपए कैसे लौटाएगा.
मोबाइल ऐप पर चलाई जा रही कैश एडवांस लोन कंपनी ने दिल्ली और पश्चिम बंगाल में ही लोगों को ठगा हो, ऐसा नहीं था. इस कंपनी ने अपना जाल पूरे देश में फैला रखा था. कंपनी ने कोलकाता, सूरत, केरल, में भी अपने शिकार फांसे थे.
ठगे गए पश्चिम बंगाल में जलपाईगुड़ी के जय घोष ने अपनी प्रेमिका उर्वशी के कहने पर हिम्मत बटोर कर जलपाईगुड़ी पुलिस थाना सैंट्रल कालोनी, गेट बाजार पहुंच कर एसएचओ को पूरी घटना से अवगत कराया और खुद को प्रेमिका उर्वशी की न्यूड फोटो भेज कर 30 लाख के लोन के बदले 70 लाख मांगने के लिए ब्लैकमेलिंग करने वाली कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवा दी.
कोलकाता के एक व्यक्ति ने भी खुद को लोन एवं कंपनी द्वारा ठगे जाने की कंप्लेट लिखवाई. दिल्ली के मौडल टाउन में रहने वाला दिनेश अपने दोस्त जयगोपाल के साथ अपनी फरियाद ले कर थाना मौडल टाउन पहुंच गया. ड्यूटी पर उस वक्त एसएचओ ललित कुमार मौजूद थे. उन के पास एसआई गिरीश भी बैठे हुए किसी लूट के मामले की चर्चा कर रहे थे.
दिनेश की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने शुरू की जांच
दिनेश और जयगोपाल को सामने बैठा कर एसएचओ ललित कुमार ने गंभीरता से पूछा, “आप दोनों बेहद परेशान लग रहे हैं, क्या बात है, मुझे बताइए.”
“साहब, मेरा नाम दिनेश है. मैं मौडल टाउन में ही रहता हूं. मैं ने अपने मकान की मरम्मत के लिए कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी से 2 लाख का लोन लिया था. यह कंपनी बहुत सस्ते ब्याज पर तुरंत लोन उपलब्ध करवा देती है. रुपया लेने के कुछ ही दिनों बाद मेरे दोस्त राकेश आहूजा, जो कैंप में रहता है, के पास इस कंपनी ने मेरे किसी अंजान लडक़ी के साथ न्यूड फोटो वाट्सऐप पर भेजे. अब वह कंपनी इन फोटो के बदले 4 लाख रुपए जमा करने को कह रही है.
“ओह!” एसएचओ ललित कुमार ने गहरी सांस ली, “यह तो सरासर ब्लैकमेलिंग हुई.”
“मेरे साथ भी ऐसा ही घटा है साहब.” पास बैठा जयगोपाल बोला, “मुझे भी अश्लील फोटो दिखा कर ब्लैकमेल किया जा रहा है. मुझ से 5 लाख की जगह 10 लाख रुपए मांग रहे हैं.”
“यानी यह कंपनी जरूरतमंदों को लोन देने के बाद ब्लैकमेल कर के दोगुना तिगुना वसूल रही है सर.” एसआई गिरीश कुमार बोले, “यह कंपनी ऐसा इन के साथ ही नहीं, अन्य लोगों के साथ दिल्ली और आसपास के राज्यों में भी कर रही होगी.”
“ठीक कह रहे हैं आप, इस की तह में जाने के लिए इस की जांच क्राइम ब्रांच से करवानी अनिवार्य है,” एसएचओ ने कहा,
“आप इन दोनों की लिखित रिपोर्ट लिख लें, मैं डीसीपी प्रशांत पी. गौतमजी से बात करता हूं.”
एसएचओ ललित कुमार ने इंटैलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक औपरेशन (आईएफएसओ) के डीसीपी प्रशांत पी. गौतम को कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी द्वारा जरूरतमंदों को लोन मुहैया करवा कर उन्हें ब्लैकमेल करने की बात बताई और दिनेश व जयगोपाल को द्वारका में स्थित उन के औफिस भेज दिया.
कैसे ये शातिर अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़े? पढ़ेंगे कहानी के अगले अंक में…
जय घोष एक लडक़ी से प्यार करता था. उस का नाम उर्वशी था. वह एक कला एंपोरियम में काम करती थी. सांवली रंगत वाली उर्वशी के नाकनक्श सांचे में ढले थे. वह बेहद खूबसूरत थी. उर्वशी के पिता नहीं थे. अपना और मां का खर्च चलाने के लिए उर्वशी काम करती थी. वह गरीब थी, लेकिन दिल की अमीर थी. जय घोष एक नटराज की मूर्ति लेने के लिए कला म्यूजियम में गया था, तब उस की मुलाकात उर्वशी से हुई थी. उर्वशी ने ही उसे अटैंड किया था.
उस की मीठीमीठी बातों ने और मोहक मुस्कान ने जय घोष को इतना प्रभावित किया था कि वह उर्वशी को अपने दिल में बसा कर वापस घर लौटा था. इस के बाद वह अकसर उर्वशी की एक झलक पाने के लिए उस की दुकान में जाने लगा था. उर्वशी भांप गई थी कि जय घोष उसे प्यार करने लगा है. उसे भी जय अच्छा लगने लगा था. वह भी अपना दिल हार गई थी. अब दोनों की मुलाकातें उस दुकान से बाहर भी होने लगी थीं. वे दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे थे.
उर्वशी ने ही जय को सुझाव दिया था कि वह कलाकृतियों का म्यूजियम खोले. जय ऐसा ही चाहता था, इस के लिए उस ने अपने पिता से रुपए मांगे थे. पिता ने उसे रुपया देने से स्पष्ट इंकार कर दिया था. जय घोष परेशान था. उस ने उर्वशी को अपनी समस्या बताई थी, तब उर्वशी ने सुझाव दिया था कि वह किसी बैंक या निजी कंपनी से लोन ले कर अपना काम शुरू कर सकता है.
जय घोष ने झटपट लोन देने वाली कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी से 30 लाख रुपए लोन ले लिया था और अपना ब्रास की मूर्तियों का शानदार एंपोरियम खोल लिया था. उर्वशी अब उसी की दुकान पर काम करने लगी थी. एक दिन पार्क में मुलाकात के दौरान जय घोष ने उर्वशी का हाथ पकड़ कर यह वादा किया कि वह बहुत जल्द उस से शादी कर लेगा. तब वह इस दुकान की नौकरीपेशा वर्कर नहीं, मालकिन बनेगी.
लेकिन ऐसा कुछ होने से पहले ही एक ऐसी घटना घटी, जिस ने जय घोष को नीचे से ऊपर तक हिला कर रख दिया.
मंगेतर के न्यूड फोटो देख कर चौंक गया जय घोष
उस दिन जय घोष सुबह जब एंपोरियम पहुंचा और उस ने ताला खोल कर शटर उठाया तो उसे फर्श पर एक बड़ा लिफाफा दिखाई दिया. शायद वह शटर के नीचे से सरकाया गया था. जय घोष ने सोचा कोई डाकिया उस की डाक को एंपोरियम बंद होने के बाद नीचे से अंदर डाल गया होगा.
जय घोष ने उस लिफाफे को उठा कर उलटपलट कर देखा. जय को हैरानी हुई. उस लिफाफे पर न भेजने वाले का नाम था न पाने वाले का. लिफाफे का मुंह खुला हुआ था. जय घोष ने लिफाफे में हाथ डाला तो उस में ए-4 साइज के फोटोग्राफ नजर आए, जिन्हें बाहर खींचते ही जय घोष यूं उछला जैसे उसे बिच्छू ने डंक मार दिया हो.
वह उर्वशी के किसी अंतरंग क्षणों के न्यूड फोटो थे. उर्वशी के जिस्म पर वस्त्र की एक चिंदी भी नहीं थी. पुरुष भी नग्न था. उर्वशी जो उस के दिल की मल्लिका थी, जिसे वह दिल की गहराई से प्यार करता था, उस की इन अश्लील फोटोग्राफ्स ने जय घोष की खोपड़ी घुमा दी.
उर्वशी इतनी बेहया, निर्लज्ज भी हो सकती है, यह वह कल्पना भी नहीं कर सकता था. लेकिन सच्चाई मुंह से बोल रही थी. इसे वह क्या कोई भी झुठला नहीं सकता था. जय घोष का दिल टूट गया. वह पसीने से तरबतर हो गया. उस के ख्वाब बिखर गए थे. उर्वशी के साथ विवाह करने का सपना चूरचूर हो गया था.
जय को गश आ जाता. उस ने जल्दी से शोकेस का सहारा लिया और कुरसी पर बैठ गया. उस ने आंखें बंद कर लीं. काफी देर तक वह उसी तरह बैठा रहा. अब उस ने अपने आप को संभाला, तब साढ़े 10 बज रहे थे. उसे हैरानी हुई, उर्वशी अभी तक शौप पर नहीं आई थी. वह और दिन 10बजे तक आ जाया करती थी.
जय घोष ने जल्दीजल्दी वह फोटोग्राफ्स लिफाफे में डाले और लिफाफा अपनी सीट के पास वाली अलमारी में रख दिया. उर्वशी का एक घिनौना रूप उस के सामने आ चुका था. वह अब उर्वशी को एक पल के लिए भी बरदाश्त नहीं करना चाहता था. वह उर्वशी के आने का रास्ता देखने लगा.
उर्वशी उस रोज 11 बजे आई. उस के शरीर पर गहरे लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज था. उस ने बालों का जूड़ा बनाया हुआ था. उस में गुलाब का फूल खोंसा हुआ था. उस दिन वह और दिनों की अपेक्षा बहुत हसीन लग रही थी. उसे देख कर जय घोष खुश नहीं हुआ. वह सिर झुका कर अपने मोबाइल को देखता रहा.
“गुड मार्निंग जय!” उर्वशी ने मुसकरा कर कहा तो जय ने कोई उत्तर नहीं दिया.
उर्वशी समझी जय उस के लेट आने से नाराज है. उस ने पास जा कर बड़ी संजीदगी से कहा, “सौरी जय, मां की तबीयत खराब हो गई थी, मैं उन्हें दवा दिलवा कर आई हूं, इसी से लेट हो गई.”
“भाड़ में जाओ तुम और भाड़ में जाए तुम्हारी मां, तुम इसी वक्त यहां से दफा हो जाओ.” वह गुस्से से दहाड़ा.
उर्वशी कांप गई. जय ने आज इतने क्रोध से उसे डांटा था, क्यों वह समझ नहीं पाई. वह हैरानी से जय को देखने लगी.
“सुना नहीं तुम ने…मैं कह रहा हूं तुम अभी इसी वक्त मेरी आंखों के सामने से चली जाओ.” जय फिर दहाड़ा.
“क्या हो गया जय. आज तुम मुझ से यह कैसा बर्ताव कर रहे हो?”
“यह फूल तुम्हारे उसी यार ने तुम्हारे जूड़े में खोंसा है न, जिस के साथ तुम बंद कमरे में लिपटतीचिपकती हो.” जय ने जहर उगला.
“जयऽऽ” उर्वशी चीख पड़ी, “तुम मेरी जान ले लो, लेकिन मुझ पर ऐसे गंदे आरोप मत लगाओ. मैं सिर्फ तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूं.”
“यह सती सावित्री होने का ढोंग मेरे सामने मत करो उर्वशी, तुम्हारी असलियत मेरे सामने आ गई है. तुम बेहया, निर्लज्ज और कुलटा हो. अच्छा यही है, तुम मेरी आंखों के आगे से दफा हो जाओ.” जय जहरीले स्वर में बोला.
उर्वशी की आंखें भर आईं. वह जय के पास आ कर उस के हाथ पकड़ कर अपनी गरदन पर रखते हुए रो पड़ी, “लो घोंट दो अपनी उर्वशी का गला, लेकिन उसे इतनी गंदी गाली मत दो जय.”
जय ने उसे धक्का दे कर दूर धकेला और उठ कर अलमारी से वह लिफाफा निकाल लिया जो उसे सुबह फर्श पर मिला था. जय ने सारे फोटो निकाल कर शोकेस पर रखते हुए विष बुझे स्वर में कहा, “यह देखो, तुम्हारी बेहयाई का सबूत…”
फोटो देख कर अचंभे से फैल गईं उर्वशी की आंखें
फोटोज पर नजर पड़ते ही उर्वशी की आंखें अचंभे से फैल गईं. वह हैरानी से उन फोटो को देखने लगी. फोटो में एक पराए पुरुष के साथ वह निर्वस्त्र मौजूद थी. थोड़ी देर वह ठगी सी खड़ी रही फिर बोली, “यह सब झूठे फोटो हैं जय, मैं ऐसा करने से पहले मर जाना पसंद करूंगी.”
“इसे झुठला रही हो तुम, यह तो तुम्हारी निर्लज्जता का प्रमाण है उर्वशी. तुम्हें इस पुरुष के साथ मुंह काला करना था तो मेरे साथ प्यार का खेल क्यों खेला? मुझे किसलिए अपने प्रेमजाल में फांसा?”
उर्वशी की नजरें अभी भी उन फोटो पर थीं. एकाएक वह चौंकी. उस ने एक फोटो को उठा कर बहुत ध्यान से देखा. उस की आंखों में तीखी चमक उभर आई.
“ओह तो यह ट्रिकबाजी है,” उर्वशी बड़बड़ाई फिर उस ने जय की कलाई पकड़ ली और उसे केबिन की तरफ घसीटते हुए बोली, “मेरे साथ चलो जय, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहती हूं.”
न चाहते हुए भी जय उस के साथ उस एंपोरियम के कोने में आराम करने के मकसद से बने केबिन में आ गया. उर्वशी ने केबिन बंद कर लिया और लाइट जला दी.
क्या उर्वशी की फोटोज का सच सामने आ सकेगा? जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग…
फोन की घंटी बजी तो खाना खा रहे दिनेश ने टेबल पर रखे मोबाइल की स्क्रीन पर चमक रहे नाम को देखा. स्क्रीन पर राकेश आहूजा का नाम देख कर दिनेश ने हाथ में पकड़ा रोटी का टुकड़ा वापस प्लेट में रख दिया और फोन उठा कर काल रिसीव कर ली, “हां बोल आहूजा, इस वक्त कैसे फोन किया?”
“तू अभी इसी वक्त मेरे घर आ जा दिनेश,” दूसरी ओर से आहूजा का बहुत उतावला स्वर उभरा.
“खैरियत तो है… देख रहा है इस वक्त रात के 9 बज रहे हैं. मैं खाना खा रहा हूं और तेरी भाभी आशा मेरे सामने बैठी हुई है.”
“तू दोनों को कुछ देर के लिए छोड़ दे भाई. तेरा मेरे पास आना इस वक्त बहुत जरूरी है.”
“ऐसी क्या आफत आ गई तुझ पर, जो मुझे बुला रहा है.” दिनेश ने हैरान स्वर में पूछा.
“अरे, अगर आहूजा बुला रहा है तो चले जाओ, कोई काम होगा उसे.” दिनेश की पत्नी ने उन की बातचीत के बीच में टोका.
“ठीक है आहूजा, मैं आ रहा हूं.” दिनेश ने कहा और काल डिसकनेक्ट कर मोबाइल जेब में डालते हुए उठ कर खड़ा हो गया.
खूंटी पर टंगी पैंट पहन कर वह पत्नी से बोला, “तुम खाना खा लेना. मैं जल्दी लौट कर आता हूं.”
“ठीक है.” आशा ने गरदन हिला कर कहा और पति के खाने की थाली उस ने अपने सामने सरका ली.
दिल्ली के मौडल टाउन में रहने वाला दिनेश मुसकराता हुआ बाहर निकल गया. उस ने बाइक स्टार्ट की और पास के ही कैंप इलाके में रहने वाले राकेश आहूजा के घर की तरफ रवाना हो गया.
थोड़ी देर में वह आहूजा के घर में उस के सामने खड़ा था, “तुम्हें इस वक्त मुझे बुलाने की क्या जरूरत आ पड़ी आहूजा?”
“ बैठ जा…” आहूजा ने उस के कंधे पर हाथ रख कर कहा. दिनेश कुरसी पर बैठ गया. आहूजा ने अपना मोबाइल उठा कर उस का वाट्सऐप खोल कर एक फोटो दिनेश को दिखाते हुए कहा, “इस लडक़ी के साथ तेरा कब से चक्कर चल रहा है?”
दिनेश फोटो देख कर चौंक गया. फोटो में एक खूबसूरत लडक़ी उस के साथ खड़ी नजर आ रही थी. दिनेश उस लडक़ी को पहचानता तक नहीं था. वह हैरान हो कर बोला, “यह कौन है राकेश?”
“लडक़ी तेरे साथ खड़ी है, पूछ मुझ से रहा है. बता कौन है यह और इस से तेरा कब से चक्कर चल रहा है? क्या भाभी इस के बारे में जानती हैं?” दिनेश ने एक साथ 2-3 प्रश्न पूछ लिए.
“कसम ले ले भाई, मैं तो इस लडक़ी से कभी मिला ही नहीं, मैं इसे जानता तक नहीं.” दिनेश हैरानपरेशान स्वर में बोला.
“कमाल है दिनेश, लडक़ी के साथ तू खड़ा ही है और इंकार में सिर हिला रहा है.”
“ठहर,” दिनेश हाथ उठा कर बोला, “मेरे फोन पर किसी की काल आ रही है.”
दिनेश ने मोबाइल जेब से निकाला. बाहर निकालने पर उस की घंटी साफ सुनाई देने लगी. उस की स्क्रीन पर एक अंजाना नंबर था. दिनेश ने काल रिसीव की और बोला, “हैलो! आप को किस से बात करनी है?”
“तुम दिनेश बोल रहे हो न?” दूसरी ओर से पूछा गया.
“हां, मैं दिनेश ही हूं. आप?”
“मिस्टर दिनेश,” दूसरी ओर से खरखराता स्वर उभरा, “मैं अनुमान लगा रहा हूं कि तुम इस वक्त अपने दोस्त राकेश आहूजा के पास खड़े हो.”
“हां, वहां ही हूं.. लेकिन आप हैं कौन?” दिनेश ने हैरानी से पूछा.
“तुम ने राकेश आहूजा के फोन में लडक़ी के साथ अपनी फोटो भी देख ली होगी. अब सुनो, हम तुम्हारी बीवी आशा रस्तोगी के मोबाइल पर इसी लडक़ी के साथ तुम्हारी न्यूड फोटो भी भेज सकते हैं.”
दिनेश के माथे पर पसीना छलक आया. वह बुरी तरह से परेशान हो गया था. फोन करने वाले के खतरनाक मंसूबे ने उसे ऊपर से नीचे तक हिला दिया था. आहूजा ही नहीं वह उस की पत्नी तक को जानता था. दिनेश थूक गटकते हुए बोला,
“आखिर तुम मुझ से क्या चाहते हो..? और तुम हो कौन?”
“तुम ने मेरी कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी से 2 लाख रुपए का लोन लिया था, यह याद है न तुम्हें?”
“ओह!” दिनेश ने गहरी सांस भरी, “तुम कैश एडवांस लोन ऐप से बोल रहे हो. भाईसाहब, मैं लोन की किस्तें समय पर अदा कर रहा हूं. फिर मुझे तुम किसलिए इस तरह की फोटो भेज रहे हो?”
“तुम ने 2 लाख का लोन लिया है, मुझे उस की वापसी 4 लाख की चाहिए.”
“यह… यह तो गलत है भाई, मैं 2 लाख के ब्याज सहित ढाई लाख तो दे सकता हूं, 4 लाख क्यों दूंगा.”
“मत देना, मैं तुम्हारी पत्नी आशा रस्तोगी को तुम्हारी उस लडक़ी के साथ न्यूड फोटो भेज देता हूं, जिसे तुम ने अपने दोस्त राकेश आहूजा के फोन में देखा है.”
“नहीं…तुम ऐसा मत करना, मैं तुम्हें 4 लाख रुपए किस्तों में दे दूंगा.” दिनेश जल्दी से बोला. वह बुरी तरह डर गया था.
“ये हुई न समझदारी की बात.” दूसरी तरफ से हंस कर कहा गया, “ध्यान रखना, चालाकी दिखाओगे तो तुम्हारी गृहस्थी उजडऩे में समय नहीं लगेगा.”
“मैं कोई चालाकी नहीं करूंगा,” दिनेश ने कहा.
दूसरी तरफ से काल डिसकनेक्ट कर दी तो दिनेश यूं धम्म से कुरसी पर गिर पड़ा, जैसे उस में कोई जान शेष न बची हो. वह पसीने से तरबतर हो गया था.
डबल रकम देने को मजबूर हो गया दिनेश
राकेश आहूजा उस की हताशा और मजबूरी पर स्तब्ध खड़ा था. दिनेश को कैश एडवांस लोन ऐप वालों ने इस ढंग से फांसा था कि वह 2 के 4 लाख देने को विवश था. उसे अपने दोस्त पर तरस आ रहा था, जिस ने अपनी गृहस्थी उजडऩे के डर से कैश एडवांस लोन ऐप कंपनी की बात मान ली थी.
कैश एडवांस ऐप लोन कंपनी की ओर से केवल दिनेश रस्तोगी को ही 2 की जगह 4 लाख में हलाल किया गया हो, ऐसा नहीं था. यह तुरंत कैश लोन उपलब्ध करवाने वाली कंपनी दिल्ली ही नहीं अन्य शहरों में भी उन से लोन लेने वाले लोगों को विभिन्न तरीकों से ब्लैकमेलिंग कर के लाखों की वसूली कर रही थी.
इस कंपनी द्वारा एक परिवार पश्चिम बंगाल में भी ठगा गया. उत्तम घोष प्रतिष्ठित और संपन्न व्यक्ति थे. पश्चिम बंगाल के जिले जलपाईगुड़ी के पौश इलाके में रहते थे. परिवार में पत्नी के अलावा एक ही बेटा था जय घोष. महत्त्वाकांक्षी और कुछ कर गुजरने की ललक रखने वाला 24 साल का बांका नौजवान.
पिता का मछली का बिजनैस था. वह चाहते थे कि जय घोष भी उन के बिजनैस में हाथ बंटाए, लेकिन जय घोष को पिता के इस मछली वाले बिजनैस में कोई दिलचस्पी नहीं थी. उस का झुकाव शुरू से कला और डेकोरेशन की ओर रहा था. वह इसी क्षेत्र में उतरना चाहता था.
उस ने इस के लिए अपने पिता से रुपए मांगे तो उन्होंने प्यार से समझाते हुए कहा, “जय, तुम बेकार के काम में उलझ कर रुपयों की बरबादी करना चाहते हो. मैं ने बहुत मेहनत से रुपया इकट्ठा किया है. मैं चाहता हूं तुम मेरा मछली वाला बिजनैस ही संभालो.”
“नहीं पापा, मैं मछली का बिजनैस नहीं करूंगा. मुझे मछलियों से बास आती है, मैं कलाकृतियों का म्यूजियम खोलना चाहता हूं.”
“मुझे उस में दिलचस्पी नहीं है, मैं उस के लिए तुम्हें रुपया नहीं दूंगा.”
उत्तम घोष ने स्पष्ट मना किया तो जय पांव पटकता हुआ गुस्से में उन के कमरे से बाहर आ गया.
कैसे फंसा उत्तम लोन ऐप के जाल में? पढ़ें कहानी के अगले भाग में…