आधी-अधूरी प्रेम कहानी : पिंकी की प्रेम कहानी पर पिता का वार

पिंकी जिम ट्रेनर रोशन को दिलोजान से प्यार करती थी. इस के बावजूद उस के पिता शंकर लाल ने मरजी के खिलाफ उस की शादी मुकेश से कर दी. शादी के 5 दिन बाद ही पिंकी अपने प्रेमी रोशन के साथ भाग गई. इस के बाद भी ऐसा क्या हुआ कि उस की प्रेम कहानी अधूरी ही रह गई?

इसी साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी थी. उस दिन अबूझ सावा था. कोरोना के कारण पूरे देश में बहुत सी शादियां अटकी हुई थीं. इस का कारण था कि

शादियों के लिए सरकार ने लौकडाउन खुलने के बाद शादी समारोह में केवल 50 लोगों के शामिल होने की ही अनुमति दी थी. हालांकि बाद में कुछ राज्यों में 100 लोगों तक की छूट दे दी गई.

राजस्थान में कोरोना का संक्रमण कुछ कम होने पर इस साल जनवरी में राज्य सरकार ने शादी समारोह में 200 लोगों के शामिल होने की अनुमति दे दी थी. इस से करीब 10 महीने बाद शादियों में रौनक बढ़ गई थी. इस से पहले कोरोनाकाल में जो शादियां हो रही थीं, उन में केवल घरपरिवार के लोग और नजदीकी रिश्तेदार ही शामिल हो पा रहे थे.

बसंत पंचमी पर अबूझ सावा होने और छूट का दायरा बढ़ने के कारण सभी जगह शादियों की धूम मची हुई थी. राजस्थान के दौसा शहर में शंकर लाल सैनी की बेटी पिंकी की शादी थी. उस की शादी के लिए दौसा जिले के ही लालसोट इलाके से मुकेश (बदला हुआ नाम) की बारात आई थी.

दौसा शहर के रामकुंड इलाके में रहने वाले शंकर लाल ने अपनी हैसियत के मुताबिक बारात की आवभगत की. निकासी के बाद बारात जब शंकर लाल के मकान की दहलीज पर पहुंची, तो शादी के लाल जोड़े में सजी पिंकी की सहेलियां दूल्हे को देख कर पिंकी को छेड़ने लगीं.

अपने दूल्हे को देखने और सहेलियों की छेड़छाड़ के बावजूद पिंकी के चेहरे पर कोई खुशी नहीं थी. भले ही पिंकी ने शादी के लिए ब्यूटीपार्लर से मेकअप कराया था, लेकिन उस के चेहरे पर रौनक नहीं थी.

न तो वह अपने घरपरिवार वालों से हंसबोल रही थी और न ही सहेलियों की चुहल का कोई जवाब दे रही थी. लग रहा था जैसे वह दूसरे खयालों में खोई हुई हो. सहेलियों ने उस से पूछा भी, लेकिन पिंकी ने कोई जवाब नहीं दिया.

खाना खाते समय दूल्हे मुकेश ने भी पिंकी को हंसाने की कोशिश की, लेकिन पिंकी ने न तो अपने भावी पति की बातों पर ध्यान दिया और न ही देवरों की फरमाइश पूरी की. गुमसुम पिंकी को देख कर सब लोग सोच रहे थे कि मातापिता के घर का मोह नहीं छूट पा रहा है.

फेरों के दौरान भी पिंकी गुडि़या की तरह शांत बैठी रही. वह पंडित के बताए अनुसार वैवाहिक रस्में निभाती रही. दूल्हे के साथ अग्नि के समक्ष सात फेरे लेने के बाद भी पिंकी के हावभाव में कोई बदलाव नहीं आया. शादी के सभी नेगचार होने के बाद 17 फरवरी, 2021 को तड़के बारात विदा हो गई. पिंकी अपनी ससुराल चली गई.

ससुराल पहुंच कर भी पिंकी के चेहरे पर कोई रौनक या हंसीखुशी नहीं आई. पति मुकेश ने उसे कुरेदने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह केवल हां और न में ही सिर हिलाती रही. लगता था जैसे उस के होंठ सिले हुए हों. सास, ननद और भाभियों ने भी पिंकी की परेशानी जानने की कोशिश की, लेकिन उस ने किसी को कुछ नहीं बताया.

रस्मोरिवाज के मुताबिक नवविवाहिता शादी के 2-3 दिन बाद ही वापस अपने मायके आती है. तब वह 1-2 दिन मायके में रुकती है. इस के बाद दूल्हा अपने 2-4 घर वालों के साथ आ कर पत्नी को वापस अपने घर ले जाता है.

पिंकी भी 2 दिन ससुराल में रुकने के बाद अपने मायके दौसा आ गई. मायके में मां सहित घरपरिवार और मोहल्ले की

महिलाओं ने पिंकी से उस के दूल्हे और ससुरालवालों के बारे में तरहतरह के सवाल पूछे, लेकिन पिंकी ने किसी का भी जवाब ढंग से नहीं दिया.

शंकर लाल सैनी और घर के बाकी लोग समझ नहीं पा रहे थे कि पिंकी को क्या परेशानी है? उसे कोई दुखतकलीफ नहीं थी. फिर वह शादी से खुशी क्यों नहीं है? पिंकी के घर वालों ने उस की सहेलियों से भी इस बारे में पूछा, लेकिन कोई खास बात पता नहीं लगी.

इस बीच, 21 मार्च को लालसोट स्थित पिंकी के ससुराल से उस का पति मुकेश और परिवार के 2-4 लोग उसे लेने आने वाले थे. लेकिन इस से पहले ही 21 मार्च को पिंकी घर से गायब हो गई. परिवार वालों ने आसपड़ोस में पूछताछ की, तो पता चला कि वह अपने प्रेमी रोशन महावर के साथ भाग गई है.

रोशन दौसा शहर के ही झालरा का बास में रहता था. वह पार्षद का चुनाव लड़ चुका था. रोशन के पिता रामजीलाल महावर पूर्व पार्षद हैं. रोशन जिम ट्रेनर है. पिंकी जब रोशन के साथ चली गई, तो पिंकी के ताऊ ने रोशनलाल महावर सहित 3-4 लोगों के खिलाफ पिंकी का अपहरण कर ले जाने का मुकदमा दर्ज करा दिया.

दौसा से भाग कर रोशन और पिंकी जयपुर चले गए. जयपुर में उन्होंने हाईकोर्ट में लिवइन रिलेशनशिप में रहने के लिए याचिका दायर की. न्यायाधीश के समक्ष पिंकी ने अपनी इच्छा से प्रेमी रोशन के साथ रहने की बात कही. हाईकोर्ट ने उन्हें अनुमति दे दी. साथ ही पुलिस को निर्देश दिए कि पिंकी और रोशन को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.

पिंकी को ले कर रोशन एक मार्च को जयपुर से दौसा में झालरा का बास स्थित अपने घर पहुंचा. पिंकी के दौसा वापस आने की जानकारी उस के मातापिता को भी मिल गई. उसी दिन कुछ घंटे बाद पिंकी के परिवार के कुछ लोग झालरा का बास पहुंचे और रोशन से मारपीट कर पिंकी को जबरन अपने साथ ले गए. इस पर रोशन ने दौसा के महिला थाने में पिंकी के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

शंकर लाल खुद पहुंचा थाने

मार्च महीने की 3 तारीख को रात के तकरीबन ढाई बजे एक अधेड़ आदमी दौसा शहर के महिला थाने पहुंचा. उस ने पेंटशर्ट पहन रखी थी. पैरों में चप्पलें थीं. उस के बाल बिखरे हुए थे और दाढ़ी बढ़ी हुई थी. वह आदमी थका और बुझा हुआ सा लग रहा था.

महिला थाने के गेट पर संतरी रायफल लिए खड़ा था. थाने में उस समय ज्यादा स्टाफ नहीं था. रात में वैसे भी वहां ज्यादा पुलिस वाले नहीं रहते.

क्योंकि महिला थाने में रात में कभीकभार ही फरियादी आते हैं. यहां न तो कोई चोरीडकैती के मामले आते हैं और न ही रात की गश्त की जिम्मेदारी होती है. इसलिए ज्यादातर पुलिस वाले अपने घर या थाने में बने क्वार्टरों में चले जाते हैं. थाने में ड्यूटी औफिसर और 2-4 पुलिस वाले ही रहते हैं. उस रात एएसआई पुखराज मीणा थाने में ड्यूटी औफिसर थे.

गेट पर खड़े संतरी ने बिजली की रोशनी में उस आदमी के चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा, ‘‘क्या काम है, इतनी रात को क्यों आए हो?’’

उस आदमी ने लरजती जुबान से कहा, ‘‘बड़े साहब से मिलना है.’’

‘‘क्यों, क्या बात है, जो रात में साहब से मिलने के लिए आए हो.’’ संतरी ने पूछा.

‘‘साहब, मेरी बेटी का कत्ल हो गया है.’’ उस आदमी ने निराशाभरी आवाज में कहा.

कत्ल की बात सुन कर संतरी चौंका. उस ने अपनी रायफल संभाली और उस आदमी को थाने के अंदर ड्यूटी औफिसर पुखराज मीणा के पास ले गया.

खून की बात सुन कर ड्यूटी औफिसर ने उस आदमी को गौर से देखा. फिर पास में रखी कुरसी पर बैठने का इशारा करते हुए उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है और कहां रहते हो?’’

‘‘साहब, मेरा नाम शंकर लाल सैनी है. मैं रामकुंड इलाके में रहता हूं.’’ उस आदमी ने कहा.

शंकर लाल सैनी का नाम सुन कर पुखराज मीणा को याद आया कि 2-3 दिन पहले ही एक युवती पिंकी का अपहरण हुआ था. वह शंकर लाल की बेटी थी. पिंकी के अपहरण का आरोप रोशन के परिवार के लोगों पर था और उन के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज था.

पिंकी और शंकर के नाम याद आने पर ड्यूटी औफिसर ने पूछा, ‘‘क्या तुम वही शंकर हो, जिस की बेटी का अपहरण हुआ था.’’

‘‘हां साहब, पिंकी मेरी ही बेटी थी.’’ शंकर ने सुबकते हुए कहा.

‘‘तुम्हारी बेटी का खून कैसे हो गया?’’ ड्यूटी औफिसर ने शंकर से सवाल किया.

‘‘साहब, मैं ने ही अपनी बेटी पिंकी को मार डाला. उस की लाश घर में ही पड़ी है.’’ शंकर ने रोते हुए बताया.

मामला गंभीर था. इसलिए ड्यूटी औफिसर पुखराज मीणा ने अपने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी.

सूचना मिलने पर पुलिस के अधिकारी शंकर लाल के मकान पर पहुंचे. शंकर को भी पुलिस अपनी हिरासत में उस के घर ले गई. घर में पिंकी की लाश पड़ी थी. उस ने एफएसएल टीम को भी मौके पर बुला लिया. इस काररवाई में सुबह हो गई.

मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने पिंकी की लाश पोस्टमार्टम के लिए दौसा के सरकारी अस्पताल भेज दी.

महिला थाने के एएसआई पुखराज मीणा ने कोतवाली थाने में पिंकी की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. पोस्टमार्टम होने के बाद घरवालों ने शव का दाह संस्कार कर दिया. पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में शंकर को गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ के बाद अपहरण के आरोप में 4 मार्च को ही पिंकी की मां चमेली देवी के अलावा परिवार के 6 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

आरोपियों से की गई पूछताछ के बाद औनर किलिंग की जो कहानी सामने आई, वह पिंकी की अधूरी प्रेमकथा है.

शादी के पांचवें दिन ही बेटी प्रेमी के साथ भाग गई, तो शंकर और उस के परिवार को लगा कि उन की इज्जत मिट्टी में मिल गई है. बदनामी के डर और अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए उस ने बेटी के खून से ही अपने हाथ रंग लिए.

रामकुंड इलाके में रहने वाला 47 साल का शंकर लाल सैनी फलसब्जी का ठेला लगाता है. उस के परिवार में पत्नी चमेली देवी के अलावा 4 बेटियां और सब से छोटा 10 साल का बेटा है. 19 साल की पिंकी 12वीं तक पढ़ी थी. करीब 2 साल से उस का प्रेम प्रसंग जिम ट्रेनर रोशन से चल रहा था. वह रोशन से दिल से प्यार करती थी और उसी के साथ घर बसाना चाहती थी.

पिंकी का कर लिया अपहरण

पिंकी के घरवालों को जब उस के प्रेम प्रसंग का पता चला, तो उन्होंने उसे समझाने की कोशिश की. उसे बताया कि वह लड़का उन की जातिबिरादरी का नहीं है. पिंकी नहीं मानी तो घरवालों ने उस पर बंदिशें लगा दीं. घर वालों की रोकटोक और बंदिशों के बावजूद पिंकी के मन में रोशन के प्रति प्यार कम नहीं हुआ, बल्कि बढ़ता ही गया.

बेटी के प्रेम प्यार के चक्कर को खत्म करने के लिए शंकर ने अपनी पत्नी से बात कर जल्द से जल्द उस के हाथ पीले करने का फैसला किया.

बेटी की शादी के लिए उस ने रिश्तेदारों और मिलनेजुलने वालों से कहा. आखिर लालसोट के रहने वाले मुकेश से पिंकी का रिश्ता तय हो गया.

पिंकी इस रिश्ते के खिलाफ थी, लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रही थी. घर वालों के कड़े पहरे के कारण वह घर से बाहर भी नहीं निकल पा रही थी.

कोरोना का संक्रमण कम होने पर लौकडाउन खुला तो शंकर ने पिंकी की शादी का मुहूर्त निकलवाया. 16 फरवरी, 2021 को मुकेश के साथ पिंकी की धूमधाम से शादी हो गई. पिंकी इस शादी के खिलाफ थी, लेकिन घर वालों के दबाव के कारण उसे अपने दिल पर पत्थर रख कर मुकेश के साथ फेरे लेने पड़े. वह पिता के घर से विदा हो कर बुझे मन से ससुराल चली गई, लेकिन वह अपने प्रेमी रोशन को नहीं भूली.

ससुराल से पहली बार मायके आने पर उसे अपने सपने पूरे होते नजर आए. 21 फरवरी को जब पति और ससुराल वाले उसे लेने को आने वाले थे, उस से कुछ देर पहले ही वह बहाना बना कर घर से निकल गई और रोशन के पास पहुंच गई. पिंकी को देख कर रोशन का प्यार भी हिलोरे मारने लगा. फिर दोनों दौसा से जयपुर चले गए.

हाईकोर्ट ने उन्हें साथ रहने की इजाजत दे दी तो पहली मार्च को वे दौसा आ गए. उसी दिन रोशन के घर से पिंकी का अपहरण हो गया. पुलिस 3 दिन तक पिंकी को ढूंढ नहीं सकी. 3 मार्च की रात पिंकी को उस के पिता ने ही मार डाला.

पिंकी की हत्या के मामले में पुलिस की दोहरी लापरवाही की बात सामने आई है. हाईकोर्ट ने जब पुलिस को इस प्रेमी जोड़े को सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए थे तो उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं दी गई? अगर उन्हें सुरक्षा दी जाती, तो पिंकी का अपहरण नहीं होता और शायद आज वह जीवित होती.

पिंकी के अपहरण के बाद भी पुलिस ने लापरवाही बरती. केस दर्ज होने के बाद भी पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया और 3 दिन तक उसे ढूंढ नहीं सकी. रोशन का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस को पिंकी के अपहरण की बात बताई, तो पुलिस ने उस से यही कहा कि उसे उस के परिवार के लोग ही तो ले गए हैं.

पुलिस की लापरवाही का मामला उठने पर दौसा के एसपी अनिल बेनीवाल ने सफाई दी कि हाईकोर्ट के आदेश की सूचना उन्हें नहीं थी. हाईकोर्ट ने कपल की सुरक्षा के लिए जयपुर की अशोक नगर थाना पुलिस को कहा था. अशोक नगर थाना पुलिस प्रेमी जोड़े की इच्छा पर उन्हें जयपुर के त्रिवेणी नगर छोड़ आई थी.

पिंकी को 3 दिन तक नहीं ढूंढ पाने के सवाल पर एसपी का कहना था कि अपहरण की शिकायत पर नाकेबंदी की गई और उस की तलाश की जा रही थी. बाद में जांच में पता चला कि पिंकी का अपहरण कर उसे करौली जिले में एक गोदाम में रखा गया था. उसे 3 मार्च की रात को हत्या से कुछ समय पहले ही दौसा में पिता के घर लाया गया था.

मानवाधिकार आयोग आया हरकत में

पुलिस की लापरवाही की बातें सामने आने पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने 5 मार्च, 2021 को इस मामले में प्रसंज्ञान लिया. आयोग के सदस्य न्यायाधिपति महेश चंद शर्मा ने डीजीपी, आईजी (जयपुर रेंज) और दौसा एसपी को निष्पक्ष जांच करने और प्रगति रिपोर्ट संबंधित दंडनायक के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए. दौसा कलेक्टर को भी उचित कदम उठाने के आदेश दिए गए. उन्होंने 30 मार्च को सभी अधिकारियों को तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग में पेश करने को कहा. न्यायाधिपति ने अपने आदेश में लिखा कि पिंकी की हत्या की खबरें पढ़ कर उन का हृदय द्रवित हो गया है.

एक पिता बेटी को पालपोस कर बड़ा करता है. उसे दुनिया की हर खुशी देना चाहता है. फिर वह कैसे उस का गला दबा कर निर्मम हत्या कर सकता है? यह अत्यंत हृदयविदारक घटना है, जो मानवता को शर्मसार करने वाली है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए.

जयपुर रेंज आईजी हवासिंह घुमारिया ने जांच कराई, तो इस मामले में पुलिस की लापरवाही की बातों की पुष्टि हुई. इस के बाद 5 मार्च, 2021 को दौसा के महिला थानाप्रभारी लोकेंद्र सिंह और दौसा कोतवाली थानाप्रभारी सुगन सिंह को हटा कर लाइन हाजिर कर दिया गया. 2 दिन बाद 7 मार्च को इन दोनों पुलिस इंसपेक्टरों को निलंबित कर दिया गया.

बहरहाल, दिखावे की शान और इज्जत के लिए शंकर लाल ने अपनी शादीशुदा बेटी को मौत की नींद सुला दिया. पहली गलती पिंकी के मातापिता की यह रही कि उन्होंने उस की मरजी के खिलाफ उस की शादी की. दूसरी लापरवाही पुलिस की रही.

अगर पुलिस सुरक्षा दे देती तो शायद पिंकी का अपहरण नहीं होता. पिंकी का अपहरण होने के बाद भी पुलिस सक्रिय हो जाती, तो शायद रोशन और पिंकी की प्रेम कहानी अधूरी नहीं रहती.

माया के लिए बड़ा गुनाह : अपनी ही पत्नी की हत्या

लालच की भी एक हद होती है, लेकिन पैसे के लिए अनुज ने सारी हदें पार कर दी थीं. उस ने शालिनी की हत्या की ही योजना नहीं बनाई बल्कि एक तीर से 2 निशाने लगाने की सोची. लेकिन…

8  जनवरी, 2021 की बात है. सुबह के करीब 5 बजे थे. गुजरात के सूरत जिले के पुणा पुलिस थाने को एक अहम सूचना मिली. सूचना देने वाले व्यक्ति ने इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया को फोन पर बताया कि कुमारियां गांव के सर्विस रोड स्थित रघुवीर सिलियम मार्केट के सामने बुरी तरह जख्मी एक महिला पड़ी है. उस के सिर पर गहरी चोट है. मामला सड़क दुर्घटना का लगता है. आप शीघ्र काररवाई करें.

इस जानकारी को इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया ने गंभीरता से लिया. अपने सहायकों को साथ ले कर वह तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

घटनास्थल पुणा पुलिस थाने से लगभग एक किलोमीटर दूर था. पुलिस वहां मुश्किल से 10 मिनट में पहुंच गई. इस बीच घटना की जानकारी पूरे इलाके में फैल चुकी थी और वहां अच्छाखासा मजमा लग गया था.

पुलिस टीम जब वहां पहुंची तो खून ही खून फैला हुआ था. खून के अलावा वहां कुछ नहीं था. पुलिस टीम ने जब वहां मौजूद लोगों से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि उन के आने के पहले एक एंबुलैंस आई और उसे उठा कर इलाज के लिए पास ही के स्मीमेर अस्पताल ले गई.

इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया को मामला गंभीर लगा. उन्होंने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. इस के बाद उन्होंने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया.

निरीक्षण करने के बाद वह सीधे स्मीमेर अस्पताल पहुंचे. वहां पता चला कि उस महिला की उपचार के दौरान ही मौत हो गई थी. महिला को उस की ससुराल के लोग अस्पताल लाए थे. वह भी अस्पताल में ही मौजूद थे. थानाप्रभारी ने उन से पूछताछ की तो मालूम हुआ कि मृतक महिला का नाम शालिनी था. उस की मौत अस्पताल लाने के 20 मिनट बाद हुई थी.

शालिनी के पति अनुज कुमार यादव उर्फ मोनू ने बताया कि वह अपनी पत्नी शालिनी के साथ सुबह 5 बजे अकसर उस रोड पर मौर्निंग वाक के लिए जाता था. एक घंटे की वाक के बाद वे अपने घर आ जाते थे.

घटना के समय टहलते हुए जब वह अपनी पत्नी से कुछ दूर आगे चल रहा था, तभी अचानक रेत से भरा एक ट्रक तेजी से आया और शालिनी को रौंदता हुआ वड़ोदरा की तरफ निकल गया. घबराहट में जब तक वह कुछ समझ पाता, तब तक ट्रक उस की आंखों से ओझल हो गया था.

सुनसान सड़क होने के कारण उसे जल्दी कोई मदद भी नहीं मिली. वह अपना फोन घर भूल आया था. जिस की वजह से मजबूरन उसे शालिनी को घायलावस्था में वहीं छोड़ कर एंबुलैंस लाने के लिए जाना पड़ा.

अस्पताल के डाक्टरों के बयानों के बाद पुलिस ने शालिनी के शव का बारीकी से मुआयना किया और उसे पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया.

थानाप्रभारी थाने लौट आए. शुरुआती जांचपड़ताल में जहां एक तरफ मामला हिट ऐंड रन का बन रहा था, वहीं दूसरी तरफ शालिनी की हत्या की साजिश से भी इनकार नहीं किया जा सकता था. बहरहाल, शालिनी के पति अनुज यादव की शिकायत पर पुलिस ने ड्राइवर और ट्रक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया.

दूसरी ओर जब इस हादसे की खबर शालिनी के मायके वालों को मिली तो उन के पैरों तले से जमीन सरक गई. उन की बेटी शालिनी किसी हादसे का शिकार हो गई, यह बात उन के गले नहीं उतर रही थी. उन के पूरे परिवार में बेटी को ले कर कोहराम मच गया. उस की मां, बहनों और भाइयों का रोरो कर बुरा हाल था. शालिनी के पिता धनीराम यादव ने फोन पर इंसपेक्टर वी.यू. गड़रिया से बात की और दूसरे दिन शाम होतेहोते वह आगरा जिले में स्थित अपने गांव से सूरत आ गए.

साजिश का संदेह

शालिनी के पिता धनीराम यादव ने शालिनी की मौत को एक सोचीसमझी साजिश बता कर उस की ससुराल वालों को संदेह के राडार पर खड़ा कर दिया. मायके वाले शालिनी के शव पर अपना दावा करते हुए उस का दाह संस्कार अपने गांव ले जा कर करना चाहते थे. साथ ही वे शालिनी की 2 वर्षीय बेटी को भी अपने संरक्षण में लेना चाहते थे. लेकिन इस के लिए शालिनी के ससुराल वाले तैयार नहीं थे. ससुराल वाले उस का शव हासिल करने की कोशिश में लगे थे.

जिस प्रकार शालिनी के पिता धनीराम यादव ने उस के पति और ससुराल वालों को शालिनी की मौत का जिम्मेदार ठहरा कर उन पर आरोप लगाया था, उस से मामला उलझ गया था. दोनों तरफ बातों में कितनी सच्चाई है, पुलिस अधिकारी इस का अध्ययन कर अपनी जांच की रूपरेखा तैयार कर ही रहे थे कि सूरत की सीबीसीआईडी के हाथों में चला गया.

पोस्टमार्टम के बाद शालिनी का शव उस के पिता धनीराम यादव को सौंप दिया गया. जो उसे अपने गांव ले गए. अपनी बेटी का दाह संस्कार करने के बाद धनीराम यादव ने सूरत के नए पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर से मुलाकात कर बेटी की मौत के मामले की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की.

पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर इस मामले पर पहले से ही नजर बनाए हुए थे. उन्होंने शालिनी के केस को गंभीरता से लेते हुए उन्हें इंसाफ दिलाने का भरोसा दिया.

इस के पहले कि पुलिस अधिकारी केस की जांच को ले कर कोई काररवाई करते, शालिनी की मौत को ले कर पूरे शहर में सनसनी फैल गई.

हुआ यह कि शालिनी की मौत को ले कर कई दैनिक अखबारों ने दिलचस्पी लेते हुए उसे हाईलाइट कर दिया. जिस से लोगों में पुलिस के प्रति गुस्सा भर गया.

पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह लोगों को समझाया.

सीबीसीआईडी के प्रमुख आर.आर. सरवैया मामले की जांच करने में जुट गए. सरवैया काफी सुलझे हुए तेजतर्रार अधिकारी थे. उन की अपनी अलग पहचान थी.

मामले की जिम्मेदारी लेते ही उन्होंने अपने स्टाफ के इंसपेक्टर प्रदीप सिंह बाला को साथ ले कर केस की जांच शुरू कर दी. उन्होंने अपने स्तर पर अस्पताल और घटनास्थल का दोबारा निरीक्षण किया. उन्होंने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने के साथसाथ वहां के निवासियों के बयान लिए.

उन के बयानों का क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने जब बारीकी से अध्ययन किया तो उन्हें दाल में कुछ काला नजर आया. जब उन्होंने मामले की जांच की तो पूरी दाल ही काली निकली. सुबहसुबह जिस रोड पर वह वाक करने जाते थे, उस समय वह रोड एकदम सुनसान रहती थी.

फिर इतनी सुबह उन के वहां मौर्निंग वाक पर जाने का क्या मतलब था. इस का मतलब शालिनी के पति अनुज कुमार यादव का बयान संदिग्ध था. जो आरोप शालिनी के पिता ने उस पर लगाया था, वह अपराध की श्रेणी में आता था. इस के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी रहस्यमय थी.

क्राइम ब्रांच अधिकारियों ने जब इस की तह में जाना शुरू किया तो शालिनी के ससुराल वाले कुछ इस प्रकार उलझे कि उन के हौसले पस्त हो गए और शालिनी हत्याकांड का सच बाहर आ गया. साजिश कितनी गहरी थी, यह जान कर जांच अधिकारी भी सन्न रह गए. पैसों की भूख ने शालिनी के ससुराल वालों को अपराध की दलदल में धकेल दिया था.

25 वर्षीय अनुज कुमार यादव उर्फ मोनू मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला इटावा के रहने वाले सोहन सिंह यादव का एकलौता बेटा था. सोहन सिंह यादव कई साल पहले काम की तलाश में गुजरात के शहर सूरत आए थे और सूरत की एक सिक्योरिटी कंपनी में नौकरी करने लगे. जब वह सारे नियमकायदे जान गए तो उन्होंने खुद की सेवा सिक्योरिटी एजेंसी खोल ली.

थोड़े ही दिनों में उन की सिक्योरिटी एजेंसी अच्छी चल निकली और उन के पास 100-150 गार्ड हो गए. सूरत शहर में उन की कई शाखाएं खुल गईं. अच्छा पैसा आया तो उन्होंने अपने रहने के लिए कुमारियां

गांव स्थित सारथी रेजीडेंसी में अच्छा सा फ्लैट ले लिया.

सूरत में उन की और सिक्योरिटी एजेंसी की प्रतिष्ठा थी. वह सूरत के सम्मानित नागरिक बन गए थे. परिवार में उन की पत्नी और बेटे के अलावा एक बेटी पूजा उर्फ नीरू थी, जिस की शादी बुलंदशहर के सरपंच के बेटे रघुवेश यादव से हो गई थी. शादी के बाद भी पूजा अपनी ससुराल में कम और मायके में ज्यादा रहती थी.

अनुज उर्फ मोनू महत्त्वाकांक्षी था, वह पैसों का लोभी था. पढ़ाई खत्म करने के बाद उस का मन पिता की सिक्योरिटी एजेंसी में नहीं लगा. उस ने अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी खोल ली. उसे यह लुभावना सपना उस के नौकर मोहम्मद नईम उर्फ पप्पू ने दिखाया था, जो 5 साल पहले उस केपिता की सिक्योरिटी एजेंसी में गार्ड की सर्विस करता था. सिक्योरिटी की नौकरी छोड़ कर वह ट्रांसपोर्ट की लाइन में चला गया था.

लालच की हद

अनुज उर्फ मोनू का ट्रांसपोर्ट का कारोबार जब ठीकठाक चलने लगा तो पिता सोहन सिंह यादव ने दिसंबर, 2017 में उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के गांव जाफरापुर निवासी धनीराम यादव की बेटी शालिनी के साथ उस की शादी कर दी. धनीराम यादव गांव के जानेमाने काश्तकार थे. उन्होंने बेटी की शादी में अपनी हैसियत के अनुसार दानदहेज दिया.

शालिनी जिन सपनों को ले कर ससुराल आई थी, उस के उन सपनों की हकीकत जल्दी ही सामने आ गई. शादी के 4 महीने बाद ही ससुराल वाले उस के मायके वालों से 5 लाख रुपयों की मांग करने लगे. कुछ दिनों बाद वह शालिनी को प्रताडि़त भी करने लगे थे.

यह बात शालिनी के मायके वालों को पता लगी तो उन्हें बहुत दुख हुआ. उन्होंने अनुज को बुला कर 2 लाख रुपए दे दिए और बाकी 3 लाख रुपए आलू की फसल बेच कर देने का वादा कर लिया.

इतना करने के बाद भी शालिनी के प्रति जब ससुराल वालों का व्यवहार नहीं बदला तो वह जा कर शालिनी को मायके ले आए. लेकिन एक महीने बाद ही उस की ससुराल वाले उसे वापस अपने घर ले गए.

इस बीच शालिनी मां बनी और एक बच्ची को जन्म दिया. अनुज के परिवार वालों को बेटी पैदा होने की जरा भी खुशी नहीं हुई. शालिनी को बेटी होने की भी प्रताड़ना भी सहनी पड़ती थी. यहां तक कि शालिनी को अपने पास फोन तक रखने की इजाजत नहीं थी.

अनुज तो दहेज को ले कर शालिनी को तरहतरह से प्रताडि़त करता था. उस की बहन पूजा उर्फ नीरू, पिता सोहन सिंह यादव और उस के 2 चचेरे भाई गोपाल और गंगाराम यादव भी इस में पीछे नहीं रहते थे.

पैसों का भूखा अनुज अपने परिवार के साथ शालिनी पर अत्याचार तो करता ही था, उन की योजना बीमा कंपनियों को भी चूना लगाने की थी. ट्रांसपोर्ट के कारोबार में होने के कारण बीमे का फंडा उसे अच्छी तरह मालूम था. इसीलिए उस ने अपने पूरे परिवार के लिए नकली दस्तावेज दे कर जीवन बीमा पौलिसी करा ली थीं. पिता, बहन और पत्नी की पौलिसियों का वह स्वयं नौमिनी था और अपनी पौलिसी का नौमिनी उस ने अपने पिता को बनाया था.

परफेक्ट प्लानिंग

जीवन बीमा की 3-4 किस्तें के बाद अनुज अपने पिता और बहन का फरजी डेथ सर्टिफिकेट लेने के लिए अपनी बहन के सरपंच ससुर के पास बुलंदशहर गया. मगर वहां पूजा के पति रघुवेश की वजह से वह अपनी योजना में सफल नहीं हुआ. इस पर भाईबहन ने मिल कर रघुवेश यादव को दहेज के आरोप में गिरफ्तार करवा दिया.

समय अपनी गति से चल रहा था. धीरेधीरे  शालिनी की शादी को 2 साल से अधिक समय हो गया. बेटी एक साल की हो गई थी. फिर भी शालिनी के प्रति उस की ससुराल वालों का व्यवहार नहीं बदला. इस से नाराज शालिनी के घर वालों ने सन 2019 में शालिनी के ससुराल वालों पर धावा बोल दिया और उन की अच्छी तरह पिटाई कर दी.

इस के बाद शालिनी का व्यवहार भी बदल गया. उस ने अपनी ससुराल वालों से डरना छोड़ दिया. ससुराल वालों का जबजब सुर बदलता, तबतब शालिनी उन्हें अपने मायके वालों की धमकी दे देती थी. इस का प्रतिकूल असर उस के पति अनुज पर पड़ता था, जिसे अनुज अपना अपमान समझता था.

इस अपमान की आग अनुज के दिल में ऐसी लगी कि उस ने शालिनी का अस्तित्व ही मिटा डालने का फैसला कर लिया. उस ने शालिनी और उस के मायके वालों से एक खौफनाक अंदाज में अपने अपमान का बदला लेने की ठान ली.

इस के लिए उस ने शालिनी के प्रति एक खतरनाक साजिश रच डाली. इस साजिश में उस ने अपने पुराने कर्मचारी सिक्योरिटी गार्ड और ट्रक ड्राइवर मोहम्मद नईम उर्फ पप्पू को भी शामिल कर लिया.

उस ने शालिनी की 30 लाख की जीवन बीमा पौलिसी तो पहले से ही करवा रखी थी. इस के बाद उस ने अपने कारोबार के लिए नवंबर में शालिनी के नाम पर 33 लाख का एक डंपर खरीद लिया. उस डंपर का भी उस ने बीमा करा लिया था.

बीमा की पौलिसी के अनुसार अगर डंपर मालिक की किसी दुर्घटना में मौत हो जाती तो डंपर का पूरा पैसा माफ हो जाता. इस तरह योजना को अंजाम देने पर अनुज को 63 लाख रुपए का फायदा होता.

साजिश को दिया अंजाम

इस साजिश को सफल बनाने के लिए अनुज ने पहले शालिनी और उस के ससुराल के लोगों के प्रति अपना व्यवहार ठीक किया. फिर घटना के 15 दिन पहले से अनुज शालिनी को साथ ले कर मौर्निंग वाक के लिए कुमारियां गांव के सर्विस रोड पर जाने लगा.

अपनी तरफ धीरेधीरे बढ़ती हुई मौत से अनभिज्ञ शालिनी अपने पति अनुज का साथ देने लगी. इस साजिश में शामिल मोहम्मद नईम को अनुज ने ढाई लाख रुपए देने का वादा किया था. मोहम्मद नईम की अपनी मजबूरी थी. उसे अपनी बेटी की शादी करनी थी. इसलिए वह राजी हो गया था.

साजिश के तहत घटना के दिन मोहम्मद नईम ने घटना से 5 घंटे पहले बालू भरी अपनी ट्रक ला कर घटनास्थल से कुछ दूरी पर खड़ी कर दी.

अपने तय समय के अनुसार सुबह साढ़े 4 बजे जब अनुज अपनी पत्नी शालिनी के साथ उस सर्विस रोड पर आया तो मोहम्मद नईम सावधान हो गया . अनुज और शालिनी आपस में बातें करते हुए जब रघुवीर सैलियम मार्केट के पास आए, उसी समय अनुज ने सुनसान माहौल देख कर शालिनी का कस कर गला दबा दिया.

शालिनी उस का विरोध भी न कर पाई और बेहोश हो गई. उस ने शालिनी को गिरने नहीं दिया, वह उसे पकड़े रहा. शालिनी के बेहोश होते ही अनुज का इशारा पा कर मोहम्मद नईम तेजी से अपनी ट्रक उन के पास से ले कर गुजरा तो अनुज ने शालिनी को ट्रक की तरफ धक्का दिया.

इस के पहले कि शालिनी के चिथड़े उड़ जाते, मोहम्मद नईम का मन बदल गया. वह अपने ट्रक को कट मार कर निकाल ले गया. लेकिन फिर भी ट्रक की टक्कर से शालिनी लहूलुहान हो गई.

अनुज कुछ दूर जा कर खड़ा हो गया. कुछ देर बाद रोड पर जब हलचल बढ़ी तो वह हरकत में आ गया. उस दिन वह जानबूझ कर अपना फोन घर छोड़ आया था. किसी का फोन मांग कर उस ने फोन कर के एंबुलैंस बुलाई और शालिनी को अस्पताल ले गया. लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. इलाज के दौरान उस की मौत हो गई.

पूछताछ में पुलिस को गुमराह करने के लिए अनुज ने शालिनी की मौत की एक मनगढ़ंत कहानी सुना दी थी.

अनुज कुमार यादव उर्फ मोनू से पूछताछ के बाद पुलिस ने शालिनी की हत्या में शामिल ससुर सोहन सिंह यादव, ननद पूजा उर्फ नीरू यादव, गोपाल और गंगाराम यादव को गिरफ्तार कर लिया.

उन की निशानदेही पर फरार ट्रक ड्राइवर मोहम्मद नईम को भी क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने छापा मार कर सूरत के फाल आरटीओ के पास से गिरफ्त में ले लिया और आगे की जांच के लिए सूरत के पुणा थानाप्रभारी को सौंप दिया.

कथा लिखे जाने तक शालिनी के मायके वाले उस की 2 वर्षीय बेटी को अपने संरक्षण में लेने के लिए कानूनी सलाह ले रहे थे. वह अनुज के रिश्तेदारों के पास रह रही थी.

मधु के मन का जहर : पत्नी के अवैध संबंध का खतरनाक अंजाम

उस दिन अप्रैल 2021 की 3 तारीख थी. पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहांपुर के कस्बा थाना तिलहर अंतर्गत गांव राजनपुर के मोड़ पर सड़क किनारे सैंट्रो कार के नीचे एक अज्ञात युवक की लाश दबी पड़ी थी. रात 10 बजे के करीब किसी ने तिलहर थाना पुलिस को घटना की सूचना दे दी.

सूचना पा कर इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. प्रथमदृष्टया मामला ऐक्सीडेंट का लगा. लाश दाईं ओर दोनों पहियों के बीच में पड़ी थी. सिर में काफी चोट थी. कार की तलाशी ली गई तो कार से गिलास, खानेपीने का सामान, 3 मोबाइल फोन और गाड़ी के कागजात बरामद हुए.

इसी बीच रजाकपुर गांव के कुछ लोग वहां पहुंच गए. परमजीत नाम के युवक ने लाश की शिनाख्त अपने बड़े भाई 38 वर्षीय धनपाल गंगवार के रूप में की. पूछताछ में परमजीत ने बताया कि धनपाल पत्नी मधु और 2 बेटों के साथ गुड़गांव में रहता था, होली पर 3 साल बाद अपने घर आया था.

वह शाम को पत्नी व बच्चों को तिलहर के बाजार में खरीदारी कराने के लिए ले कर आया था. साढ़े 5 बजे धनपाल ने पत्नी मधु और बच्चों को भाई प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया था और खुद तिलहर में रुक गया था. जब काफी रात हो गई, धनपाल नहीं लौटा तो उस की तलाश शुरू की.

इसी बीच कार से मिले मोबाइल पर किसी की काल आ गई. इंसपेक्टर बालियान ने काल रिसीव की. काल कनेक्ट होते ही दूसरी ओर से कहा गया, ‘‘कहां है तू, तेरा पता ही नहीं रहता.’’

काल करने वाली कोई महिला थी. इंसपेक्टर बालियान ने उन्हें पूरी बात बताई. उस महिला ने कहा कि सैंट्रो कार उस के पति की है, जिसे उस का भाई मुकेश यादव वृंदावन जाने की बात कह कर ले गया था.

इस का मतलब यह था कि कार में मुकेश यादव था, जोकि घटना को अंजाम देने के बाद फरार हो गया था. मामला साधारण सड़क दुर्घटना का न हो कर हत्या का लग रहा था, जिसे साजिश के तहत सड़क दुर्घटना दिखाने की कोशिश की गई थी. फिलहाल इंसपेक्टर बालियान ने जरूरी काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी और कार को थाने में खड़ा करा दी.

अगले दिन सुबह मृतक धनपाल के छोटे भाई परमजीत गंगवार ने तिलहर थाने पहुंच कर इंसपेक्टर बालियान को तहरीर दी, जिस में उस ने मुकेश यादव पर अपने भाई की हत्या का आरोप लगाया था. उस की तहरीर के आधार पर इंसपेक्टर बालियान ने मुकेश यादव के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

परमजीत ने इंसपेक्टर बालियान से अपनी भाभी मधु पर भी भाई की हत्या में हाथ होने का शक जताया था, लेकिन तहरीर में उस का जिक्र नहीं किया था. पति की मृत्यु के बाद भी मधु के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, जबकि जिस का पति मार दिया जाए, वह महिला रोरो कर आसमान सिर पर उठा लेती है.

इंसपेक्टर बालियान ने परमजीत से मधु का नंबर मांगा तो परमजीत ने अपनी भाभी मधु से उस का नंबर मांगा तो मधु ने साफ कह दिया कि उस के पास कोई नंबर नहीं है. जो मोबाइल उस के पास है, वह उस ने केवल गाना सुनने के लिए ले रखा है. परमजीत को मधु पर विश्वास नहीं हुआ. किसी तरह उस के करीबियों से बात कर के उस का नंबर निकलवाया.

मधु पर हुआ शक

इंसपेक्टर बालियान ने मधु के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. डिटेल्स से मधु और मुकेश के नंबरों पर हर रोज काफी बार बात करने की पुष्टि हुई. घटना की रात भी दोनों के बीच बात हुई थी.

6 अप्रैल को इंसपेक्टर बालियान ने मधु को उस की ससुराल से गिरफ्तार कर लिया. मधु से पूछताछ के बाद उन्होंने मुकेश यादव को मधु के मायके शाहजहांपुर के कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव से गिरफ्तार कर लिया.

उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहांपुर के तिलहर थाना क्षेत्र के गांव रजाकपुर में रहता था धनपाल गंगवार. धनपाल के पिता का नाम खलासीराम और माता का नाम शांति देवी था. खलासीराम सेना में कार्यरत थे.

रिटायर होने के बाद 1989 में उन की मृत्यु हो गई. उस समय धनपाल बहुत छोटा था. धनपाल कुल 6 भाई थे. 2 बड़े भाई हरपाल और जसपाल व 3 छोटे भाई धर्मपाल, प्रेमपाल और परमजीत थे. हरपाल विवाह के बाद पंजाब चला गया. जसपाल विवाह के बाद गांव में ही रह कर खेती करने लगा.

11 साल पहले धनपाल का रिश्ता शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव निवासी मधु से हुआ था. मधु के पिता रामपाल पेशे से किसान थे. मधु की एक बड़ी बहन और 3 भाई थे.

काम के लिए वह गुड़गांव चला गया. वहां उस ने ओरियंट कंपनी में नौकरी कर ली, साथ ही हरीनगर में अनाज मंडी के पास में 4500 रुपए में किराए पर कमरा ले लिया. फिर एक दिन वापस आ कर अपने साथ पत्नी मधु को भी गुड़गांव ले गया.

समय बीतता गया. समय के साथ मधु ने 2 बच्चों कृष्णा (9 वर्ष) और क्रश (4 वर्ष) को जन्म दिया.

 पत्नी से होने लगी खटपट

धनपाल सुबह साढ़े 7 बजे घर से कंपनी जाता था और शाम 8 बजे घर में घुसता था. लगभग 12 घंटे की ड्यूटी करने के बाद वह थकाहारा घर आता था. धनपाल था तो मजबूत कदकाठी का, लेकिन रोज की यह ड्यूटी उस के बदन को तोड़ कर रख देती थी. ऐसे में जो धनपाल अभी तक शराब को हाथ तक नहीं लगाता था, वह शराब पीने भी लगा.

शराब पी कर घर जाता तो मधु से उस का झगड़ा होता. झगड़े में वह मधु को पीट भी देता था. वैसे भी मधु धनपाल पर हावी रहने की कोशिश करती थी, लेकिन धनपाल को यह मंजूर नहीं था.

शराब पीने के बाद तो इंसान वैसे भी निडर हो जाता है. किसी तरह से दोनों के  झगड़ों के बीच उन की जिंदगी कटती रही. मधु को अब धनपाल भाता नहीं था. उस के साथ रहना मधु की मजबूरी थी. वह चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी.

एक साल पहले धनपाल ने गुड़गांव में ही घर के पास रहने वाले मुकेश यादव को घर पर डीटीएच कनेक्शन के लिए बुलवाया. धनपाल मुकेश को आतेजाते दुकान पर बैठे देखता था. मुकेश डीटीएच का काम करने के साथ ही दूध, दही, मट्ठा और लस्सी का भी काम करता था.

मुकेश गुड़गांव के थाना फरूखनगर में खेंटावास में रहता था. वह विवाहित था. उस के एक बेटा भी था. मुकेश काफी स्मार्ट था. अपने व्यवहार से वह किसी को अपना मुरीद बना लेता था.

मुकेश डीटीएच का कनेक्शन करने आया तो घर पर केवल मधु थी. उस ने मधु से बात करनी शुरू की तो मधु को ऐसा लगा जैसे वह उस से पहली बार न मिल कर कई बार मिल चुकी हो. मधु को उस की बातों में रस आया तो वह भी उस से बतियाने लगी.

मुकेश से जुड़ा कनेक्शन

उस दिन कहने को पहली मुलाकात थी दोनों की, लेकिन उन के बीच काफी बातें हुईं जोकि पहली मुलाकात में नहीं हुआ करतीं. मुकेश डीटीएच का कनेक्शन कर के चला गया, लेकिन मधु की आंखों के सामने अब भी मुकेश का चेहरा घूम रहा था. मुकेश आया तो था डीटीएच का कनेक्शन लगाने, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से वह मधु के दिल से अपने दिल का कनेक्शन कर गया था.

इस के बाद तो मुकेश जबतब मधु से मिलने आने लगा. घर पर कोई रोकनेटोकने वाला नहीं था. मुकेश जब भी आता तो साथ में दूध, दही, लस्सी में से कुछ न कुछ ले आता और मधु को दे देता. मधु उस के तरीके को भलीभांति समझ रही थी कि वह कैसे उस के दिल तक पहुंचना चाहता है. मधु इस बात से नाराज नहीं हुई, बल्कि खुश होने लगी. उसे नए ठौर की जरूरत थी, वह खुद चल कर उस के पास आ गया था.

मुकेश की अपनी पत्नी से नहीं बनती थी. उस की पत्नी अकसर मायके में ही रहती थी. यही वजह थी कि मुकेश मधु की तरफ आकर्षित हो गया था. उस के साथ अपनी जिंदगी बिताने का सपना देख रहा था. मधु और मुकेश दोनों ही अपने जीवनसाथी से खुश नहीं थे, इसलिए एकदूसरे के करीब आने में उन्हें देर नहीं लगी.

एक दिन मुलाकात के दौरान मुकेश ने मधु से कहा, ‘‘भाभी, लगता है आप अपना ध्यान नहीं रखतीं?’’

‘‘क्यों…अच्छीखासी तो हूं.’’ मधु ने कहा.

‘‘नहीं, तुम्हारा चेहरा मुरझाया सा रहता है, चेहरे पर जो चमक होनी चाहिए, वह गायब रहती है. शरीर भी पहले से काफी कमजोर हो गया है. आप को क्या चिंता है जो अपना यह हाल कर लिया है?’’

इस पर मधु कुछ देर शांत रही, फिर अपना दर्द बयां करते हुए बोली, ‘‘अब तुम ने पूछा है तो बता देती हूं. इस परदेश में दूसरा कोई है नहीं, जिस को अपना दर्द बता सकूं.’’

‘‘क्यों, धनपाल तो है.’’ मुकेश ने पूछा.

‘‘दर्द देने वाला दर्द ही देगा, दवा नहीं. इसलिए…’’

‘‘ओह.. तो यह बात है. वैसे आप से अलग मेरा मामला भी नहीं है. मैं भी अपनी पत्नी से परेशान हूं.’’ दुखी लहजे में मुकेश ने कहा.

दोनों ने किया प्यार का इजहार

फिर कुछ देर शांत रहने के बाद मुकेश बोला, ‘‘तो क्यों न भाभी, हम एकदूसरे के दर्द की दवा बन जाएं.’’ उपाय सुझाते हुए मुकेश ने अपने दिल की बात मधु तक पहुंचाने की कोशिश की.

‘‘क्या मतलब..?’’ जान के भी अंजान बनती हुई मधु पूछ बैठी.

‘‘यही कि हम दोनों एकदूसरे का हाथ थाम लें और हमेशा के लिए एक हो जाएं. मैं तो तुम्हें बेइंतहा चाहता हूं, बस तुम एक बार हां कह दो तो मैं सारी खुशियां तुम्हारे कदमों में डाल दूंगा.’’

‘‘तुम ने तो अपने दिल के साथसाथ मेरे दिल की भी बात कह दी. मैं भी तुम्हें चाहती हूं और तुम्हारे साथ जिंदगी बिताना चाहती हूं. अगर तुम तैयार हो तो…’’

‘‘मैं तो कब से इस पल के इंतजार में था. मैं हर पल तैयार हूं. आई लव यू मधु.’’ उस ने कह दिया.

यह पहला मौका था, जब मुकेश ने उसे भाभी नहीं मधु कह कर पुकारा था. मधु के दिल के तार झनझना उठे. एक नए एहसास से उस का दिल पुलकित हो उठा. वह भी बेसाख्ता बोल उठी, ‘‘आई लव यू टू मुकेश.’’

मधु के इजहार करते ही मुकेश ने उसे बांहों के घेरे में ले लिया. उस के बाद उन के बीच कोई शारीरिक दूरी न रही. वे एकदूसरे में इस कदर समाए कि अपनी इच्छापूर्ति के बाद ही अलग हुए. इस के बाद तो उन के बीच का यह रिश्ता दिनोंदिन परवान चढ़ने लगा.

मगर गलत काम कभी छिपा है जो उन का छिप जाता. धनपाल को दोनों के संबंधों की बात पता चल गई. धनपाल ने मुकेश के घर आने पर रोक लगा दी. लेकिन मुकेश और मधु का चोरीछिपे मिलना जारी रहा. इसे ले कर धनपाल और मधु में रोज झगड़े होने लगे.

मुकेश और मधु ने अपने संबंधों के बीच धनपाल को दीवार बनते देखा तो धनपाल नाम की इस दीवार को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का फैसला कर लिया. दोनों ने इस के लिए साथ बैठ कर योजना भी बना ली.

धनपाल विवाह के बाद साल-डेढ़ साल में शाहजहांपुर स्थित अपने घर के चक्कर लगा लेता था. लेकिन जब से बेटा स्कूल जाने लगा था, तब से वह 2-3 साल में ही घर का चक्कर लगा पाता था. 3 साल बाद इस बार धनपाल ने होली पर घर आने का फैसला लिया. इस में मधु ने खुद सहमति दी थी. इस से पहले वह ससुराल के नाम से ही बिदक जाती थी.

रच ली पूरी साजिश

गुड़गांव में पूरी योजना पर कार्य करने के बाद 14 मार्च, 2021 को मधु शाहजहांपुर के मीरनपुर कटरा थाना क्षेत्र के कसरक गांव स्थित अपने मायके आ गई. 27 मार्च को धनपाल रजाकपुर स्थित अपने घर आ गया. 2 अप्रैल को मधु मायके से अपनी ससुराल आ गई. 3 अप्रैल को धनपाल मधु और बच्चों के साथ तिलहर में ईरिक्शा से बाजार गया. ईरिक्शा धनपाल के छोटे भाई प्रेमपाल का था और उसे वही चला कर ले गया.

बाजार घूमने के बाद धनपाल ने मधु और बच्चों को प्रेमपाल के साथ वापस घर भेज दिया, वह खुद तिलहर में रुक गया. दरअसल मुकेश ने धनपाल को फोन किया था कि वह उस से मिलने आ रहा है, मिल कर दारू पार्टी करने की बात कही थी. धनपाल ने एक बार भी नहीं सोचा और उसे आने की सहमति दे दी.

मुकेश अपने बहनोई की सैंट्रो कार से तिलहर पहुंचा. मुकेश को कार में बैठाने के बाद वह एक सुनसान स्थान पर ले गया. कार में पहले से ही मुकेश ने खानेपीने की चीजें और शराब खरीद कर रख ली थी.

मुकेश ने धनपाल को खूब शराब पिलाई. धनपाल की आंख बचा कर उस की शराब में नींद की गोलियां भी मुकेश ने मिला दीं. जब धनपाल बेहोश हो गया, तब मुकेश उसे कार से राजनपुर गांव के मोड़ पर ले गया. उस समय रात के 9 बज रहे थे.

मुकेश ने धनपाल को कार से नीचे उतारा और साथ लाए हथौड़े से उस के सिर पर कई वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. मामले को ऐक्सीडेंट का रूप देने के लिए धनपाल की लाश को कार से कुचलने की कोशिश की. इस कोशिश में उस की कार कच्ची मिट्टी में फंस गई. मुकेश घबरा गया. कोई वहां आ न जाए उसे इस बात का डर भी सता रहा था.

जब कार किसी तरह से नहीं निकल सकी तो कार को वहीं छोड़ कर वह फरार हो गया. मुकेश ने मधु को फोन कर के धनपाल का काम तमाम कर देने की सूचना भी दे दी. जिस के बाद मधु ने अपना दूसरा मोबाइल गुप्त स्थान पर छिपा दिया.

देर रात तक धनपाल नहीं लौटा तो घर वालों को चिंता हुई. परमजीत ने सोचा कि शराब पी कर धनपाल कहीं बेसुध तो नहीं पड़ा. उस ने तिलहर थाने के एक परिचित सिपाही को फोन कर के पूछा कि कहीं कोई बंदा शराब पीए हुए तो नहीं मिला. इस पर सिपाही ने उसे राजनपुर मोड़ पर हादसा होने की जानकारी दी. जो हुलिया बताया, वह धनपाल से मिलता था. इस के बाद परमजीत, उस की मां वहां पहुंच गए. मधु भी वहां पहुंच गई.

मुकेश और मधु का गुनाह छिप न सका और दोनों पुलिस की गिरफ्त में आ गए. मधु को मुकदमे में आईपीसी की धारा 120बी का अभियुक्त बनाया गया. इंसपेक्टर हरपाल सिंह बालियान ने अभियुक्त मुकेश की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथौड़ा भी बरामद कर लिया.

बाकी कार और मोबाइल तो पहले ही बरामद हो गए थे. मधु का मोबाइल नहीं बरामद हो सका. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों व परमजीत से पूछताछ पर आधारित

बाप बना निशाना : जब बेटा ही बन गया पिता का हत्यारा

ससुर पिता के समान होता है, लेकिन शैल कुमार पटेल इतनी घटिया सोच वाला था कि वह अपनी बहू रति के साथ जबरदस्ती करने पर आमादा था. एक दिन शैल के बेटे प्रमोद ने पिता की हरकतें खुद देख लीं. इस के बाद जो हुआ, वह इतना भयावह था कि…

28 मार्च, 2021 को होली का त्यौहार था. जगहजगह होलिका दहन की तैयारियां चल रही थीं. जबलपुर जिले के बरगी पुलिस थाने के टीआई शिवराज सिंह क्षेत्र में होने वाले होलिका दहन के सुरक्षा इंतजाम में लगे थे. दोपहर का वक्त था, तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी.

काल रिसीव करते ही दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘सर, मैं वन विभाग से सीनियर बीट गार्ड अमित त्रिपाठी बोल रहा हूं. वन विभाग की टीम ने गढ़ गोरखपुर के पास बरगी-घंसौर रोड के किनारे एक अधजली लाश पड़ी देखी है.’’

टीआई शिवराज सिंह ने बीट गार्ड अमित त्रिपाठी को निर्देश दिया, ‘‘आप वहीं रुकिए, मैं थोड़ी देर में पहुंचता हूं.’’

टीआई ने इस घटना की जानकारी एसपी और एएसपी को दी और अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. बरगी थाना से घटनास्थल की दूरी करीब 30 किलोमीटर थी. पुलिस टीम को वहां पहुंचने में करीब घंटे भर का समय लग गया.

इस बीच यह खबर सोशल मीडिया पर फैल चुकी थी. युवक की अधजली लाश मिलने की खबर पा कर एफएसएल टीम के साथ एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा व एएसपी शिवेश सिंह बघेल भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

टीआई ने लाश का निरीक्षण किया. लाश अधेड़ उम्र के किसी व्यक्ति की थी और लाश झुलसी हुई थी. लग रहा था कि हत्यारे ने उस की पहचान मिटाने के लिए उस के शरीर पर सागौन के पत्ते और लकडि़यां डाल कर जलाया था.

पूरा शरीर जलने से काला पड़ गया था. मृतक के पेट की अंतडि़यां बाहर निकल आई थीं. वह नीले रंग का अंडरवियर पहने था, वह भी आधा जल चुका था. उस के एक पैर के अंगूठे में लोहे का छल्ला, बाएं हाथ की 2 अंगुलियों में लोहे और तांबे का छल्ला और गले में मोतियों की माला थी.

जिस कच्चे रास्ते के किनारे शव पड़ा था, वह गढ़ गोरखपुर को जाता था. यह इलाका सिवनी जिले के घंसौर से करीब 10 किलोमीटर दूर था, परंतु जबलपुर जिले की सीमा में आता था. टीआई शिवराज सिंह, सीएसपी (बरगी) रवि सिंह चौहान व बरगी नगर चौकी के एसआई कुलदीप पटेल ने वहां मौजूद लोगों से मृतक के संबंध में पूछताछ की, मगर लाश की शिनाख्त नहीं हो पाई. तब पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

चूंकि लाश की शिनाख्त नहीं हो पाई थी, इसलिए पोस्टमार्टम के बाद उसे कब्र खोद कर दबा दिया गया. एसपी के निर्देश पर जबलपुर जिले के आसपास के सिवनी, मंडला जिलों को भी मृतक की अधजली लाश और बरामद सामान की फोटो भेजी गई.

साथ ही अपनेअपने जिलों के गुमशुदा मामलों की तस्दीक करने को कहा गया. इतना ही नहीं, एसपी ने मामले के खुलासे पर 10 हजार का ईनाम भी घोषित कर दिया. पुलिस मामले की जांच में जुट गई.

वापस नहीं लौटा शैल

मध्य प्रदेश के सिवनी और जबलपुर जिले की सीमाओं पर सघन वनों से आच्छादित घंसौर तहसील का एक छोटा सा गांव है बरोदा माल. 52 साल के शैल कुमार पटेल उर्फ शिल्लू का परिवार बरोदा माल में ही रहता था. अपनी जमीन पर खेतीबाड़ी करने वाला शैल आसपास के इलाके में दूध बेचने का काम भी करता था. उस के परिवार में पत्नी रमाबाई, एक अविवाहित बेटी और 26 साल का बेटा प्रमोद, उस की पत्नी और उस की 2 महीने की बेटी थे. प्रमोद ने घर पर ही एक छोटी सी किराना दुकान खोल रखी थी.

इस के 3 दिन बाद यानी 31 मार्च, 2021 को बरोदा माल गांव की रहने वाली रमाबाई अपने चचेरे भाई जोध सिंह के साथ सिवनी जिले के घंसौर थाने में अपने पति शैल कुमार पटेल उर्फ शिल्लू की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंची. उस ने पुलिस को बताया कि 26 मार्च को उस का पति खेत पर जाने की बोल कर गया था. इस के बाद घर नहीं लौटा.

घंसौर पुलिस ने रमाबाई और जोधसिंह को 28 मार्च को जबलपुर के बरगी थाना क्षेत्र में मिले शव के बारे में बताया और उस लाश के फोटो भी दिखाए. मृतक के गले की माला और पैर में पहने लोहे के कड़े को देख कर रमाबाई की आंखें फटी रह गईं. ये सभी चीजें उस के पति शैल की ही थीं.

घंसौर पुलिस द्वारा बरगी पुलिस थाने को इस बात की जानकारी दी गई तो पहली अप्रैल को रमाबाई और उस के घर वाले जबलपुर के बरगी थाने गए. बरगी पुलिस ने जबलपुर के एसडीएम से अनुमति ले कर तहसीलदार की मौजूदगी में दफनाई गई लाश कब्र से बाहर निकलवाई.

लाश की शिनाख्त रमाबाई ने अपने पति शैल पटेल के रूप में कर ली. लाश का पंचनामा कर उस के घर वालों को सौंप कर पुलिस जांच में जुट गई.

शैल कुमार पटेल के अंतिम संस्कार के समय बरगी पुलिस की एक टीम गांव में मौजूद थी. उसी समय पूछताछ में शैल की पत्नी रमाबाई ने पुलिस को बताया कि 26 मार्च को उस के पति को गांव के 2 लड़के आयुष शर्मा और मनोज बैगा अपनी बाइक पर बैठा कर ले गए थे, जिस के बाद से वह घर वापस नहीं लौटा था.

आयुष शर्मा उस वक्त श्मशान घाट पर शैल के अंतिम संस्कार की रस्म में शामिल था. पुलिस टीम ने आयुष से उसी समय पूछताछ की तो पहले तो वह अंजान बना रहा, लेकिन जब पुलिस टीम ने उसे वहीं से अपनी गाड़ी में ले जा कर सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सारा राज खोल दिया.

उस ने बताया कि वह बाइक पर शैल को बिठा कर घंसौर तक ले गया था. वहां से शैल को मनोज बैगा उर्फ पंडा, राहुल नेमा और राहुल यादव कार में बिठा कर ले गए थे. उन लोगों ने ही हत्या कर शव को जलाया.

आयुष से मिली जानकारी के आधार पर घंसौर में मौजूद पुलिस टीम ने तीनों को पकड़ लिया. फिर आखिर में मृतक के बेटे प्रमोद को भी हिरासत में लिया. सभी को थाने ले कर जब पूछताछ की गई तो पता चला कि शैल कुमार की हत्या का षडयंत्र उस के बेटे प्रमोद ने अपने दोस्तों के साथ रचा था.

बेटे ने कराई हत्या

प्रमोद ने अपने पिता की हत्या के लिए अपने दोस्त राहुल नेमा और उस के ड्राइवर राहुल यादव को सुपारी दी थी. हिरासत में लिए गए पांचों आरोपियों द्वारा बताई गई कहानी को सुन कर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि बेटा ही अपने पिता का कातिल होगा.

पुलिस पूछताछ में शैल कुमार की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह मानवीय रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली थी.

शैल कुमार पटेल के बेटे प्रमोद की पहली पत्नी शादी के कुछ समय बाद ही अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी. करीब डेढ़ साल पहले प्रमोद ने दूसरी शादी रति (परिवर्तित नाम) से की थी, जिस से सवा महीने की एक बेटी है.

21 साल की नवयौवना रति की खूबसूरती को देख कर सभी उस की तारीफ करते थे. प्रमोद की दूसरी शादी के कुछ ही महिनों बाद उस का पिता रति पर बुरी नजर रखने लगा.

रति ने जब इस की शिकायत प्रमोद से की तो उसे भरोसा नहीं हुआ. उस ने पत्नी को समझाया कि बापू गांजे के नशे में खोए रहते हैं, हो सकता है गलती से उन्होंने कुछ हरकत कर दी हो. शैल गांजे का नशा करता था.

प्रमोद ने तो पत्नी को समझा दिया, लेकिन शैल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था. उसे जब भी मौका मिलता वह उस की पत्नी से छेड़छाड़ करने लगता. शैल अपनी पोती को गोद में लेने के बहाने रति के अंगों को बुरी नीयत से छूता था.

वह रति के साथ जबरदस्ती करना चाहता था. मगर रति के सख्त व्यवहार के कारण वह सफल नहीं हो पा रहा था. रति भी अपने परिवार की बदनामी के डर से इस बात का जिक्र किसी से नहीं कर पा रही थी.

होली के हफ्ते भर पहले की बात है. रति अर्द्धनग्न अवस्था में गुसलखाने से नहा कर निकली थी कि ताक में बैठे शैल ने रति को अपनी बांहों में भर लिया और उस के गालों को चूमने लगा. रति बदहवास सी ससुर के आगोश से छूटने का प्रयास कर रही थी. तभी अचानक प्रमोद आ गया. प्रमोद ने जब यह नजारा देखा तो क्रोध के मारे वह चीख उठा. उस ने पिता को भलाबुरा कहा.

बेटे ने देखी पिता की करतूत

प्रमोद की चीख सुन कर शैल रति को छोड़ कर घर से बाहर निकल गया. उस दिन प्रमोद को यकीन हो गया कि उस की पत्नी बापू के व्यवहार के बारे में जो शिकायत करती थी, वह झूठी नहीं थी.

अब बापू प्रमोद की नजर में खटकने लगा था. उस के दिल में अपने बाप के प्रति इस कदर नफरत पैदा हो गई थी कि वह उस की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करता था. रात दिन वह इसी चिंता में खोया रहता.

प्रमोद की दोस्ती गांव के राहुल नेमा से थी. राहुल नेमा के पिता जिला पंचायत के नेता थे और राहुल जबलपुर के प्रतिष्ठित दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ा था. इस कारण गांव में उस की इज्जत ज्यादा थी. राहुल दिन भर कार में सवार हो आवारागर्दी करता घूमता था. दोस्तों के बीच उस का काफी रुतबा था.

प्रमोद ने जब राहुल को अपनी परेशानी बताई तो राहुल ने प्रमोद को उस के बाप की हत्या के लिए उकसा दिया. राहुल ने प्रमोद से कहा,  ‘‘तुम पैसे खर्च करो तो तुम्हारे बापू को हमेशा के लिए ही रास्ते से हटा देंगे.’’

प्रमोद बापू के कारनामों से छुटकारा चाहता था, इसलिए उस ने राहुल का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. प्रमोद ने राहुल के सामने इस काम को अंजाम देने के लिए 50 हजार रुपयों की पेशकश की.

राहुल महंगे मोबाइल रखने और खानेपीने का शौकीन था. अपने इन्हीं शौक और फिजूलखर्ची की वजह से एक बार उस ने अपने घर का ट्रैक्टर तक बेच दिया था और पुलिस थाने में ट्रैक्टर चोरी की झूठी शिकायत दर्ज करा दी थी.

प्रमोद ने राहुल को जब 50 हजार रुपए देने का औफर दिया तो पैसों की खातिर उस ने प्रमोद के पिता की हत्या की सुपारी ले ली.

इस काम के लिए राहुल ने अपने ड्राइवर राहुल यादव को भी साथ मिला लिया. 50 हजार रुपए में से 15 हजार रुपए प्रमोद ने राहुल नेमा को एडवांस दिए, जबकि 35 हजार रुपए काम होने के बाद देने का वादा किया. ड्राइवर राहुल यादव ने गांव के आयुष शर्मा और मनोज बैगा से बात की और दोनों को साजिश में शामिल कर लिया.

चूंकि शैल गांजा पीने का शौकीन था, इसलिए गांव के दूसरे नशेडि़यों के साथ उस का उठनाबैठना था. योजना के मुताबिक, 28 मार्च, 2021 को आयुष शर्मा एवं मनोज बैगा शाम लगभग 7 बजे शैल पटेल को अपनी बाइक पर गांजा पिलाने के बहाने घंसौर तिराहा ले गए, जहां पर राहुल नेमा अपनी कार ले कर ड्राइवर राहुल यादव के साथ पहले से ही मौजूद था. तिराहे पर बैठ कर सभी ने गांजा पीया.

आयुष शर्मा एवं मनोज बैगा ने अपनी बाइक घंसौर तिराहे पर ही छोड़ दी और शैल पटेल को राहुल नेमा की कार में बैठा कर घंसौर की तरफ चले गए. चलती कार के अंदर ही सभी ने शैल पटेल के साथ मारपीट शुरू कर दी और कार में पहले से पड़ी रस्सी से उस का गला घोंट कर हत्या कर दी.

चारों आरोपी शैल का शव ले कर घंसौर से 10 किलोमीटर दूर जबलपुर के गढ़ गोरखपुर के पास पहुंच गए. रोड किनारे जंगल में कार खड़ी कर शव को जंगल में फेंक कर सूखी पत्तियों से ढंक कर आग लगा दी.

रमाबाई हो रही थी परेशान

जब देर रात तक शैल घर नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. शैल की पत्नी रमाबाई ने बेटे प्रमोद से कहा, ‘‘आज तेरे बापू अभी तक घर नहीं लौटे.’’

प्रमोद ने मां की बात पर ध्यान न देते हुए कहा, ‘‘मां, इस में चिंता की कोई बात नहीं है बापू कहीं नशे के अड्डे पर चिलम पीने बैठ गए होंगे, आ जाएंगे. तुम खाना खा कर सो जाओ.’’

रमा को लगा कि होलिका दहन देखने की वजह से शैल घर आने में लेट हो गया होगा. यही सोच कर उस रात रमा चुपचाप सो गई.

जब सुबह तक भी शैल घर नहीं पहुंचा तो उस की चिंता बढ़ गई. रमाबाई हर रोज बेटे प्रमोद से अपने बापू की खोजखबर लेने की बात करती रही, लेकिन वह मां को गोलमोल जबाब दे कर चुप करा देता. धीरेधीरे शैल को घर से गायब हुए 4 दिन बीत चुके थे.

रमाबाई प्रमोद से उस के पिता की गुमशुदगी पुलिस थाने में दर्ज कराने की बात कहती रही, परंतु प्रमोद अपने पिता को आसपास के इलाकों में खोजने का नाटक करता रहा. आखिर में रमाबाई खुद 70 साल के चचेरे भाई जोधसिंह पटेल के साथ थाने पहुंची और पति की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

आरोपियों ने यह सोच कर इस काम को अंजाम दिया था कि दूसरा जिला होने की वजह से शव की पहचान नहीं हो पाएगी और किसी को शक भी नहीं होगा.

लेकिन पुलिस की नजरों से वे ज्यादा दिन नहीं बच सके.

पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 201, 364 और 120(बी) के तहत मामला दर्ज कर मृतक के 26 वर्षीय बेटे प्रमोद पटेल, के अलावा राहुल नेमा, राहुल यादव, मनोज बैगा उर्फ पंडा और आयुष शर्मा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल की गई बाइक और कार सहित 2 मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए हैं.

अपनी बहू से नाजायज संबंध बनाने की ख्वाहिश रखने वाले ससुर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और बेटे को अपनी नामसझी की वजह से अपने बीवीबच्चों से दूर जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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हत्या से खुला ढाई करोड़ की चोरी का राज

कुछ इंसानों की फितरत ही धोखे और फरेब की होती है. वह अपने साथ अच्छा करने वालों के साथ भी बुरा करने से नहीं चूकते. ऐसे लोगों को अपनी करनी का फल तो जरूर भुगतना पड़ता है. लेकिन अपनी फितरत से वे दूसरों के लिए भी खतरा बन जाते हैं.

फिरोजाबाद का रहने वाला ब्रजमोहन भी इसी तरह का व्यक्ति था. उस ने रेलवे में 5 साल नौकरी की. जिस इंजीनियर पुनीत कुमार के घर पर वह काम करता था, जिन के कहने पर उस की नौकरी स्थाई हुई. उस ने उसी के घर चोरी करने की योजना बना ली.

ब्रजमोहन लालची स्वभाव का था. उस ने पुनीत कुमार की मदद करने की नहीं सोची, बल्कि उस की नजर उन के घर में आ रहे रुपयों पर थी. यह लालच ब्रजमोहन के लिए जानलेवा साबित हुआ. जिन लोगों को उस ने चोरी के लिए बुलाया. वे ही उस की जान के दुश्मन बन बैठे.

26 मार्च, 2021 को लखनऊ के कैंट थानाक्षेत्र के बंदरियाबाग में रहने वाले इंजीनियर पुनीत कुमार के सरकारी आवास पर सरकारी नौकर ब्रजमोहन की हत्या कर दी गई.

पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर जांच की तो पता चला कि बिजली के तार से पहले उस के गले को कसा गया, बाद में चाकू से रेत दिया गया था. उस के हाथ और पांव बंधे थे. पुनीत के घर का सामान बिखरा हुआ था. पता चला कि पुनीत कुमार के बैडरूम से 15-20 लाख रुपए कैश और कुछ जेवरात गायब थे.

पहली नजर में मामला चोरी के लिए हत्या का लग रहा था. पुनीत ने अपने नौकर की हत्या का मुकदमा कैंट थाने में लिखाया.

इंजीनियर का सरकारी आवास लखनऊ के बहुत ही सुरक्षित बंदरियाबाग इलाके में था. इसलिए इस केस को सुलझाना पुलिस के लिए ज्यादा चुनौती भरा काम था. लखनऊ पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने जौइंट पुलिस कमिश्नर (अपराध) निलब्जा चौधरी की अगुवाई में एक टीम का गठन किया.

इस टीम में डीसीपी (पूर्वी) और एडीशनल डीसीपी (पूर्वी) को भी अहम जिम्मेदारी दी गई. इस के साथ ही कैंट थाने की इंसपेक्टर नीलम राणा, एसआई जनीश वर्मा को मामले के परदाफाश की जिम्मेदारी सौंपी गई.

इंजीनियर पुनीत के घर नौकर की हत्या के समय पुनीत के फूफा चंद्रभान घर के दूसरे कमरे में टीवी देख रहे थे. उन को किसी बात का पता नहीं था. ऐसे में पुलिस को लग रहा था कि हो न हो नौकर ब्रजमोहन इस चोरी में हिस्सेदार रहा हो.

पुलिस को यह समझ नहीं आ रहा था कि अगर नौकर चोरी में शामिल था तो उस की हत्या क्यों हो गई? इस गुत्थी को सुलझाने के लिए पुलिस ने ब्रजमोहन के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की. साथ ही पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी देखे. पता चला कुछ लोग एक टैक्सी से आए थे.

पुलिस ने छानबीन शुरू की. पुनीत कुमार 2008 बैच के भारतीय रेलवे इंजीनियरिंग सर्विस (आईआरएसई) के अधिकारी हैं. उत्तर रेलवे की चारबाग स्थित निर्माण इकाई में उन का दबदबा है.

उन के पास इस समय 800 करोड़ रुपए से अधिक के रेलवे के प्रोजेक्ट्स हैं. पहले वह इसी कार्यालय में अधीक्षण अभियंता थे, बाद में प्रमोशन पा कर यहीं पर उप मुख्य निर्माण अभियंता के रूप में काम करने लगे. नौकर ब्रजमोहन उन के घर के कामकाज देखता था.

फिरोजाबाद के कोलामऊ महरौना का रहने वाला ब्रजमोहन करीब 5 साल से पुनीत के यहां काम कर रहा था. एक साल पहले पुनीत ने ही ब्रजमोहन की नौकरी स्थाई की थी. वह पुनीत के ही आवास में बने सर्वेंट क्वार्टर में रहता था.

उस का अपने गांव से बराबर संपर्क बना हुआ था. वह अपने साहब के घर रुपयोंपैसों की आवाजाही होते देखा करता था. उसे यह भी पता होता था कि वहां कितना पैसा रखा रहता है. यह पैसा देख कर उस के मन में लालच आ गया.

ब्रजमोहन की डोली नीयत

इंजीनियर पुनीत के घर नकद रुपए देख कर नौकर ब्रजमोहन की नीयत डोलने लगी. एक दिन उसने अपने भांजे बहादुर को इस बारे में जानकारी दी और कहा कि यदि उस के मालिक पुनीत के यहां चोरी की जाए तो भारी मात्रा में नकदी के अलावा अन्य कीमती सामान मिल सकता है.

बहादुर भी फिरोजाबाद के कोलमाई मटसैना का रहने वाला था. उसे अपने मामा की सलाह अच्छी लगी. लिहाजा बहादुर ने अपने साथ मैनपुरी जिले के भोजपुरा के रहने वाले अजय उर्फ रिंकू, ऊंची कोठी निवासी मंजीत और एक अन्य दोस्त अनिकेत के साथ मिल कर चोरी की योजना तैयार की.

योजना के अनुसार, ये लोग किराए की गाड़ी ले कर 25 मार्च को इंजीनियर पुनीत के घर पहुंच गए. नौकर ब्रजमोहन की मिलीभगत से इन को चोरी के लिए घर में घुसने में कोई दिक्कत नहीं हुई. मंजीत घर के बाहर सीढि़यों पर खड़ा हो कर बाहर से आने वालों की निगरानी करने लगा.

ब्रजमोहन, बहादुर और अजय घर के अंदर चले गए. इन लोगों ने जेवर और सारे पैसे एक जगह रख लिए. वहां पर नकदी और ज्वैलरी उम्मीद से ज्यादा मिली तो ब्रजमोहन ने अपने भांजे बहादुर से कहा, ‘‘देखो जितना हम ने बताया था, उस से अधिक पैसा मिल गया है. इसलिए जो ज्यादा पैसा मिला है, इस में कोई बंटवारा नहीं होगा. यह सब मेरा होगा. बाकी तुम सब बांट लेना.’’

‘‘जी मामाजी, जैसा आप कह रहे हो वैसा ही होगा. अब हम लोग जा रहे हैं. आप भी पुलिस को कुछ नहीं बताना,’’ बहादुर बोला.

‘‘हां ठीक है. पुलिस सब से पहले हम पर ही शक करेगी. इस से बचने के लिए तुम लोग मुझे कुरसी से बांध कर बेहोश कर दो. जिस से लगे कि चोरों ने नौकर को बांध कर चोरी की और बेहोश कर के भाग गए.’’ ब्रजमोहन ने सलाह दी.

बहादुर और अजय ने ब्रजमोहन को कुरसी से बांध कर बेहोश कर दिया. इस के बाद दोनों जब रुपया रख रहे थे, तभी अजय बोला, ‘‘बहादुर, तू तो जानता है कि तेरे मामा डरपोक किस्म के हैं. कहीं ऐसा न हो कि पुलिस के आगे सब बक दे.’’

‘‘बात तो सही है, पर क्या किया जाए?’’ बहादुर ने कहा.

‘‘समय की मांग है कि हम अपने को बचाने के लिए मामा को ही रास्ते से हटा दें. इस से मामा को पैसा भी नहीं देना होगा और पुलिस हम तक भी नहीं पहुंच पाएगी.’’ अजय ने सलाह दी.

दोनों ने मिल कर सब से पहले ब्रजमोहन का गला कस दिया. वह पहले से ही बेहोश था तो कोई विरोध नहीं कर पाया. न ही कोई आवाज हुई. दोनों को लगा कि कहीं वह जिंदा न बच जाए. इसलिए चाकू से उस का गला भी रेत दिया.

ब्रजमोहन को मारने के बाद तीनों वापस मैनपुरी चले गए. मैनपुरी में ये लोग बहादुर के जानने वाले उदयराज की दुकान पर पहुंचे. उदयराज की कपडे़ की दुकान थी. यहां सभी ने अपने कपडे़ बदले. वहीं पर इन लोगों से मोहन नाम का आदमी मिला, जिसे इन लोगों ने सारे रुपए दे दिए. वह रुपए ले कर अपने घर चला गया.

इस के बाद चारों मोहन के घर गए और वहां पर रुपयों का बंटवारा हुआ. मंजीत रुपए ले कर अपने घर चला गया. उस ने रुपए अपनी पत्नी निशा को दिए और उसे इस बारे में बताया. निशा ने रुपए गमले और जमीन में दबा दिए, जिस से किसी को पता न चल सके.

पुलिस गंभीरता से केस की जांच में जुटी थी. सीसीटीवी फुटेज में जो टैक्सी दिखी थी, उसी के नंबर के सहारे वह टैक्सी चालक तक पहुंच गई. उस ने पुलिस को पूरी बात बताई. टैक्सी चालक से पूछताछ कर के पुलिस सब से पहले मंजीत के घर पहुंची. पुलिस ने मंजीत के पास से 40 लाख, उस की पत्नी निशा के पास से 16 लाख, उदयराज और मोहन के पास से 7-7 लाख रुपए बरामद किए.

कहानी लिखे जाने तक मुख्य आरोपी बहादुर फरार था. पुलिस के लिए चौंकाने वाली बात यह थी कि इंजीनियर पुनीत कुमार ने अपने घर में चोरी के मामले में 15 से 20 लाख नकद और जेवर चोरी होने का जिक्र किया था. जबकि पुलिस आरोपियों के पास से 70 लाख बरामद कर चुकी थी. मुख्य आरोपी के पास अलग से पैसा बरामद होना था.

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उन्हें इंजीनियर पुनीत के यहां करीब ढाई करोड़ रुपए मिले थे. पुलिस इस बारे में छानबीन कर रही है. पुलिस अजय, बहादुर और उस के लंबे बाल वाले साथी को तलाश रही है.

पूरे मामले में जिस पुलिस टीम ने सब से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, उस में इंसपेक्टर नीलम राणा. एसआई अजीत कुमार पांडेय, रजनीश वर्मा, संजीव कुमार, हैडकांस्टेबल संदीप शर्मा, रामनिवास शुक्ला, आनंदमणि सिंह, ब्रजेश बहादुर सिंह, अमित लखेड़ा, विनय कुमार, पूनम पांडेय, सोनिका देवी और चालक घनश्याम यादव प्रमुख थे.

पुलिस ने इंजीनियर पुनीत कुमार के घर ढाई करोड़ रुपयों की चोरी की सूचना रेलवे विभाग और आयकर विभाग को भी दे दी. पुलिस का कहना है कि घर में ढाई करोड़ नकद रखने के मामले की जांच होगी.

इस बात का अंदेशा है कि यह रकम रिश्वत की रही होगी. इसीलिए हत्या की रिपोर्ट लिखाते समय इंजीनियर पुनीत कुमार ने चोरी की रकम को कम कर के लिखाया था. शुरुआत में पुनीत कुमार ने कहा था कि 15 से 20 लाख की चोरी हुई है.

पुलिस ने जब चोरों से 70 लाख नकद बरामद कर लिया तो पता चला कि कुल रकम ढाई करोड़ थी.

ब्रजमोहन को भी यही पता था कि चोरी की बात पूरी तरह से पुलिस को बताई नहीं जाएगी. ऐसे में यह लोग पुलिस के घेरे में नहीं आएंगे. लेकिन ब्रजमोहन से भी ज्यादा लालची उस के साथी निकले जिन्होंने ब्रजमोहन की हत्या कर दी. हत्या की विवेचना में चोरी दब नहीं सकी और अपराध करने वाले पकडे़ गए.

मौत की अनोखी साजिश: जिसे देख पुलिस भी चकरा गई

बात 31 जनवरी, 2021 की है. वरुण अरोड़ा ने अपनी पत्नी दिव्या को फोन किया, ‘‘दिव्या, आज तुम सब्जी मत बनाना, मैं शाम को आऊंगा तो होटल से तुम सब की पसंद की मछली करी ले कर आऊंगा.’’

रियल एस्टेट कारोबारी वरुण दक्षिणी दिल्ली के ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में रहता था. उस की ससुराल पश्चिमी दिल्ली के इंद्रपुरी  इलाके में थी. उस समय उस की पत्नी दिव्या अपने मायके इंद्रपुरी में थी. इसलिए वरुण ने दिव्या को फोन कर के मछली करी ले कर आने को कहा था.

मछली करी दिव्या और उस के मायके वालों को बहुत पसंद थी, इसलिए पति से बात करने के बाद दिव्या ने अपनी मम्मी अनीता से कह दिया कि आज वरुण इधर ही आ रहे हैं. वह होटल से मछली करी ले कर आएंगे. इसलिए आज सब्जी नहीं बनानी. नौकरानी से कह देना कि वह आज केवल रोटी बना दे.

शाम को वरुण अपनी ससुराल के लिए चला तो उस ने एक होटल से सब के लिए मछली करी पैक करा ली. उस की ससुराल में पत्नी के अलावा ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा, सास अनीता शर्मा, साली प्रियंका और एक नौकरानी थी. उन सभी के हिसाब से वह काफी मछली करी ले कर आया था.

शाम को जब खाना खाने की बारी आई तब अरुण ने कहा कि उस का पेट खराब है, इसलिए वह खाना नहीं खाएगा. दिव्या ने उस से कहा भी कि वह उस के लिए खिचड़ी या और कोई चीज बनवा देगी, लेकिन वरुण ने मना कर दिया. उस ने केवल नींबू पानी पिया.

वरुण की लाई मछली करी घर के लोगों को बहुत स्वादिष्ट लगी. इसलिए सभी ने जी भर कर खाना खाया. वरुण के दोनों बच्चे उस समय तक सो गए थे. रात को वरुण ससुराल में ही सो गया और अगले दिन अपने घर चला गया.

इस के 2 दिन बाद दिव्या की मां अनीता को उल्टीदस्त की शिकायत हुई. उन्हें चक्कर भी आने लगे.

तबीयत जब ज्यादा खराब होने लगी तब अनीता शर्मा को सर गंगाराम अस्पताल ले जाया गया. वहां भी उन की तबीयत दिनप्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी. डाक्टर समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर उन्हें हुआ क्या है. हालत गंभीर होती देख उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया.

इसी बीच अनीता की छोटी बेटी प्रियंका की भी हालत बिगड़ने लगी. उस का भी पेट खराब हो गया और उल्टियां होने लगीं. साथ ही उस का सिर भी घूम रहा था. प्रियंका को राजेंद्र प्लेस के पास स्थित बी.एल. कपूर अस्पताल में एडमिट करा दिया गया.

उधर ससुराल वालों की तबीयत खराब होने से वरुण मन ही मन खुश था, क्योंकि उस ने जो प्लान बनाया था वह सफल हो रहा था. 4-5 दिन बाद उस की पत्नी दिव्या को भी वही शिकायत होने लगी, जो उस की मां और बहन को हुई थी. दिव्या को भी सर गंगाराम अस्पताल में भरती करा दिया गया.

वरुण द्वारा लाई गई मछली करी उस की ससुराल के जिन लोगों ने खाई थी, उन सब की हालत बिगड़ने लगी. ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा की भी अचानक तबीयत खराब हो गई. इस के अलावा घर की नौकरानी का भी यही हाल हुआ तो उसे भी डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती करा दिया गया. परिवार के सभी लोगों का अलगअलग अस्पतालों में इलाज चल रहा था.

इसी बीच बी.एल. कपूर अस्पताल में भरती वरुण की साली प्रियंका की 15 फरवरी, 2021 को इलाज के दौरान मौत हो गई. रिश्तेदार इसे फूड पौइजनिंग का मामला मान रहे थे. इसलिए उन्होंने इस की शिकायत पुलिस में न कर के उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

हालांकि वरुण अस्पताल में ससुराल के सभी लोगों की देखरेख कर रहा था, लेकिन अंदर ही अंदर वह खुश था क्योंकि उस का प्लान पूरी तरह सफल हो गया था.

उधर सर गंगाराम अस्पताल में लाई गई अनीता की भी 22 मार्च, 2021 को मृत्यु हो गई. डाक्टरों ने जब उन के यूरिन और ब्लड की जांच की तो उस में थैलियम नाम का एक जहरीला रसायन पाया गया.

डाक्टर समझ गए कि किसी ने उन्हें थैलियम जहर दे कर मारा है. अस्पताल द्वारा इस की सूचना पुलिस को दे दी गई. पुलिस  ने डाक्टरों से बात की तो उन्हें भी यह मामला संदिग्ध लगा. अनीता इंद्रपुरी में रहती थी, इसलिए इस की सूचना इंद्रपुरी थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र कुमार को दी गई थी. वह तुरंत अस्पताल पहुंच गए.

थानाप्रभारी ने जब डाक्टर से बात की तो पता चला कि थैलियम एक अलग तरह का जहरीला रसायन होता है, जिस का असर बहुत धीरेधीरे होता है. इस के अलावा इस रसायन की एक खास बात यह है कि इस में किसी तरह की गंध और स्वाद नहीं होता. यह रंगहीन और गंधहीन होता है.

यह जानकारी मिलने के बाद थानाप्रभारी समझ गए कि जरूर इस मामले में कोई गहरी साजिश है. उन्होंने छानबीन की तो पता चला कि 15 फरवरी को अनीता की छोटी बेटी प्रियंका की भी बी.एल. कपूर अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी.

पुलिस ने बी.एल. कपूर अस्पताल के डाक्टरों से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि प्रियंका के शरीर में भी थैलियम के लक्षण पाए गए थे. इस के अलावा इस परिवार के अन्य सदस्य यानी अनीता की बड़ी बेटी दिव्या और अनीता के पति देवेंद्र मोहन शर्मा और नौकरानी भी अस्पताल में भरती थे.

इस से पुलिस समझ गई कि किसी ने गहरी साजिश के तहत पूरे परिवार को अपना शिकार बनाने की कोशिश की थी. थानाप्रभारी ने इस की सूचना एसीपी विजय सिंह को दी.

अब यह मामला जिले के पुलिस अधिकारियों तक पहुंच चुका था. डीसीपी के निर्देश पर एसीपी विजय सिंह ने इंद्रपुरी के थानाप्रभारी सुरेंद्र सिंह और मायापुरी के इंसपेक्टर प्रमोद कुमार को इस मामले की जांच में लगा दिया.

पुलिस ने देवेंद्र मोहन शर्मा और उन की बेटी दिव्या का इलाज कर रहे डाक्टरों से  फिर से बात की. इस के अलावा उन्होंने डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भरती उन की नौकरानी का इलाज कर रहे डाक्टरों से भी मुलाकात की. पुलिस को पता चला कि उपचाराधीन इन मरीजों के अंदर भी थैलियम रसायन पाया गया है.

अनीता के शव का डा. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में पोस्टमार्टम कराया गया. पुलिस ने वहां के डाक्टरों से इस की डिटेल्ड एटौप्सी रिपोर्ट ली. उस में बताया गया कि अनीता के शरीर में थैलियम था. अब तक की जांच से पुलिस को यह पता लग चुका था कि परिवार के सभी लोगों को कोई ऐसी चीज खिलाई गई थी, जिस में थैलियम रसायन मिला हुआ था. वह चीज क्या थी और किस ने खिलाई, यह जांच का विषय था.

इस परिवार का दामाद वरुण ही अस्पताल में उन सब की देखभाल कर रहा था. वरुण के चेहरे से सास और साली की मौत का गम साफ झलक रहा था. इस के अलावा वह डाक्टरों से लगातार अपनी पत्नी दिव्या और ससुर को बचाने की गुहार भी कर रहा था.

पुलिस को अपनी जांच आगे बढ़ानी थी, इसलिए पुलिस ने वरुण से इस बारे में पूछताछ की. वरुण ने पुलिस को बताया कि वह तो अपने घर ग्रेटर कैलाश में रहता है. ससुराल के सभी लोगों को अचानक क्या हो गया, इस की उसे कोई जानकारी नहीं है.

पुलिस को केस की तह तक जाना था, इसलिए वह वरुण को ग्रेटर कैलाश पार्ट-1 में स्थित उस के घर पर ले गई.

निशाने पर वरुण

पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो एक गिलास में कुछ संदिग्ध चीज  दिखी. पुलिस ने वह गिलास अपने कब्जे में ले लिया और गिलास में क्या है, यह जानने के लिए उसे फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिया. उस गिलास के अलावा पुलिस को वरुण के घर से अन्य कोई संदिग्ध चीज नहीं मिली.

पुलिस यह तो अच्छी तरह जान चुकी थी कि जिस ने भी इस परिवार को जहरीला पदार्थ दिया है, वह विश्वस्त होगा और उस का इन के घर आनाजाना भी रहा होगा. लिहाजा पुलिस ने देवेंद्र मोहन शर्मा के घर पर जो लोग आतेजाते थे, उन से एकएक कर पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस बहुत तेजी के साथ जांच कर रही थी.

उधर फोरैंसिक जांच से पता चला कि वरुण के यहां से गिलास में जो चीज बरामद की गई थी, वह थैलियम नाम का जहरीला पदार्थ ही था. यह जानकारी मिलने के बाद वरुण पुलिस के शक के दायरे में आ गया. लिहाजा पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की.

आखिर वरुण ने सच उगल ही दिया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अपनी ससुराल के लोगों को थैलियम जहर दिया था. उन सभी का नामोनिशान मिटाने की वरुण ने जो कहानी बताई, वह हैरतअंगेज थी.

रियल एस्टेट कारोबारी वरुण ने करीब 12 साल पहले दिव्या से शादी की थी. दिव्या उस के साथ बहुत खुश थी. वरुण का कारोबार अच्छा चल रहा था, इसलिए दिव्या को कोई परेशानी नहीं थी. जीवन हंशीखुशी से चल रहा था. लेकिन बाद में उन के जीवन में एक समस्या खड़ी हो गई. समस्या यह कि शादी के कई साल बाद भी दिव्या मां नहीं बन पाई.

वरुण ने डाक्टरों से उस का इलाज भी कराया, लेकिन उस के घर में किलकारी नहीं गूंजी. जब पतिपत्नी हर तरफ से हताश हो गए, तब उन्होंने शादी के करीब 7 साल बाद आईवीएफ प्रोसेस का सहारा लिया. इस का सही परिणाम निकला और दिव्या ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया. जिस में एक बेटी थी और एक बेटा.

अब उन के घर में एक नहीं, बल्कि 2-2 बच्चों की किलकारियां गूंजने लगीं. उन की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था. जुड़वां बच्चे होने के बाद दिव्या के मायके वाले भी बहुत खुश थे. दिव्या दोनों बच्चों की सही देखभाल कर रही थी. वक्त के साथ बच्चे करीब 4 साल के हो गए.

लगभग एक साल पहले वरुण के पिता की अचानक मौत हो गई. पिता की मौत के बाद वरुण की गृहस्थी में एक ऐसी समस्या ने जन्म ले लिया, जिस ने न सिर्फ वरुण के बल्कि वरुण की ससुराल वालों के जीवन को उजाड़ दिया.

बेटे के रूप में बाप की वापसी की चाहत

हुआ यह कि पिता की मौत के बाद दिव्या फिर से प्रैगनेंट हो गई. इस से वरुण बहुत खुश था. वह सोच रहा था कि उस की पत्नी की कोख में उस के पिता ही आए हैं. वह पत्नी की अच्छी तरह से देखभाल करने लगा.

उधर जिस महिला डाक्टर के पास  दिव्या अपना चैकअप कराने जाती थी, उस ने दिव्या से कहा कि इस बार उस का प्रैग्नेंट होना उस के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. किसी तरह उस ने बच्चे को जन्म दे भी दिया तो उस का बच पाना मुश्किल होगा.

दिव्या ने यह बात वरुण को बताई तो उस ने उस की बात पर विश्वास नहीं किया. वरुण ने कहा कि डाक्टर झूठ बोल रही है. ऐसा कुछ नहीं होगा. वह उसे और होने वाले बच्चे को कुछ नहीं होने देगा. वरुण ने अबौर्शन कराने से साफ मना कर दिया. उस ने कहा कि बच्चे के रूप में उस के पिता आ रहे हैं, इसलिए वह किसी भी सूरत में उस का गर्भपात नहीं कराएगा.

दिव्या ने डाक्टर वाली बात अपने मायके में बताई तो उस की मां अनीता ने कहा कि यदि उस का गर्भपात नहीं कराएगा तो वह खुद उस के साथ जा कर उस का गर्भपात करा देगी . क्योंकि बेटी की जिंदगी का सवाल है. बेटी जीवित रहेगी तो बच्चा कभी भी हो जाएगा.

एक दिन वरुण की सास ने वरुण को अपने घर बुला कर समझाया कि जब डाक्टर बच्चा पैदा करने के लिए मना कर रही है तो ऐसे में उस का गर्भपात कराना ही बेहतर है. लेकिन वरुण अपनी जिद पर अड़ा था.

उस ने कहा कि वह किसी भी सूरत में उस का गर्भपात नहीं होने देगा. इस बात पर उन की आपस में खटपट भी हो गई. इतना ही नहीं, उस दिन ससुराल में वरुण की काफी बेइज्जती भी हुई.

वरुण की सास अनीता भी अपनी जिद पर अड़ी थी. उस ने वरुण की इच्छा के खिलाफ दिव्या का गर्भपात करा दिया. यह बात वरुण को बहुत बुरी लगी. उस ने सोचा कि उस की सास ने बच्चे का नहीं, बल्कि गर्भ में पल रहे उस के पिता को मारा है.

उसी समय वरुण ने तय कर लिया कि वह अपनी बेइज्जती करने वालों और गर्भपात कराने वाले अपने ससुरालियों को सबक सिखा कर रहेगा.

इस के बाद वरुण ससुराल वालों को सबक सिखाने के उपाय खोजने लगा. वह ऐसी तरकीब खोज रहा था, जिस से काम भी हो जाए और उस पर कोई शक भी न करे. इस बारे में वह इंटरनेट और यूट्यूब पर भी सर्च करता था.

खतरनाक रसायन थैलियम

इसी दौरान उसे थैलियम नामक जहरीले रसायन के बारे में जानकारी मिली. थैलियम एक ऐसा जहर होता है कि यह जिस व्यक्ति को दिया जाता है उसे शुरुआत में उल्टीदस्त, जी मिचलाने की शिकायत होती है और जल्दी ही उस की मृत्यु हो जाती है.

क्योंकि मृत व्यक्ति के शरीर पर जहर जैसे कोई भी लक्षण नहीं मिलते, इसलिए लोग यही समझते हैं कि उस की मौत फूड पौइजनिंग की वजह से हुई है.

यह जानकारी मिलने के बाद वरुण ने थैलियम रसायन पाने की कोशिश शुरू कर दी. आदमी कोशिश करे तो बेहतर रिजल्ट निकल ही आता है. यही वरुण के साथ भी हुआ. इस खोजबीन में उसे पंचकूला की एक लैबोरेटरी का पता चला. उस ने वहां औनलाइन संपर्क कर रिसर्च के नाम पर थैलियम मंगा लिया. अब उस का मकसद किसी तरह इसे अपने ससुराल वालों को खिलाना था.

इस के लिए उस ने सब से पहले अपने ससुराल वालों से संबंध सामान्य करने शुरू किए क्योंकि पत्नी का गर्भपात कराने के बाद उन से उस के संबंध बिगड़ गए थे.

इस साल जनवरी के अंतिम सप्ताह में वरुण की पत्नी दिव्या अपने दोनों बच्चों के साथ मायके गई हुई थी. अब तक ससुराल वालों से वरुण के संबंध नौर्मल हो चुके थे. वह फिर से ससुराल आनेजाने लगा था.

वरुण को पता था कि उस की ससुराल के लोगों को मछली करी बहुत पसंद है. योजना के अनुसार वरुण ने 31 जनवरी, 2021 को पत्नी दिव्या को फोन कर के कह दिया कि वह आज होटल से मछली करी ले कर आएगा, इसलिए घर पर सब्जी न बनवाए. दिव्या ने यह बात अपनी मम्मी अनीता को बता दी. जिस से उस दिन उन लोगों ने अपनी नौकरानी से केवल रोटियां ही बनवाई थीं.

योजना के अनुसार, वरुण ने एक होटल से मछली करी खरीदी और उस में थैलियम मिला दिया. फिर मछली करी ले कर ससुराल पहुंच गया. अपनी तबीयत खराब होने का बहाना बना कर उस ने उस दिन ससुराल में खाना नहीं खाया.

घर की नौकरानी सहित ससुराल के सभी लोगों ने मछली करी खाई, जिस से जहरीला रसायन थैलियम उन सब के शरीर में पहुंच गया और उस ने धीरेधीरे अपना असर दिखाना शुरू कर दिया.

इस के बाद उन लोगों की तबीयत खराब होने लगी तो उन सभी को अस्पताल में भरती कराया गया. वरुण के दोनों बच्चे उस के पहुंचने से पहले ही खाना खा कर सो गए थे, जिस से वे बच गए.

वरुण अस्पताल में देखभाल करने का नाटक इसलिए कर रहा था ताकि उस पर कोई शक न करे, लेकिन पुलिस जांच में उस की साजिश उजागर हो गई.

वरुण अरोड़ा से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक वरुण के ससुर देवेंद्र मोहन शर्मा और नौकरानी की हालत गंभीर बनी हुई थी. जबकि दिव्या की 8 अप्रैल को मौत हो गई.

पुलिस जांच में पता चला कि दिल्ली में थैलियम रसायन दे कर किसी को मारने का यह पहला मामला है.

धीमी मौत देने वाला रसायन है थैलियम

थैलियम एक ऐसा जहरीला रसायन है, जिस से किसी व्यक्ति की तुरंत नहीं बल्कि धीमी मौत होती है. यह एक ऐसा कैमिकल एलिमेंट है, जो प्रकृति में मुक्त रूप में नहीं मिलता. यह बेहद  जहरीला होता है. आइसोलेट करने पर यह ग्रे रंग का दिखता है, मगर हवा के संपर्क में रंगहीन हो जाता है. इस में कोई गंध और कोई स्वाद नहीं होता.

पहले यह जहर चूहे और कीड़मकोड़े मारने में प्रयोग किया जाता था, लेकिन लोगों ने इस का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया तो कई देशों में इस के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई.

थैलियम नाम का यह जहर जैसे ही किसी व्यक्ति के अंदर पहुंचता है तो धीरेधीरे अपना असर दिखाता है. शुरुआती 48 घंटों में उल्टी, डायरिया, सिर घूमना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. कुछ दिन में यह नरवस सिस्टम को डैमेज करना शुरू कर देता है. फिर धीरेधीरे मांसपेशियां बेकार हो जाती हैं और याद्दाश्त चली जाती है. आखिर में व्यक्ति कोमा में चला जाता है. इस तरह धीरेधीरे उस की मौत हो जाती है.

जर्नल औफ क्लिनिकल ऐंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में छपे शोध के अनुसार, 6 घंटे में यदि उस व्यक्ति का इलाज शुरू हो जाए तो उस की जान बच सकती है. थैलियम का एंटीडोट प्रशियन ब्लू है. इस के अलावा डायलिसिस भी इस का एक विकल्प है. कुछ ऐसी दवाएं भी दी जाती हैं, जिन से किडनी से थैलियम बाहर निकालने की क्षमता बढ़ जाए. डाक्टर ऐसी ही दवाएं पीडि़त व्यक्ति को देते हैं. जो लोग इस जहर से बच जाते हैं उन के बाल पूरी तरह से झड़ सकते हैं.

इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन की सीक्रेट पुलिस (मुखबरात) ने थैलियम का इस्तेमाल अपने दुश्मनों पर जम कर कराया. सलवा बहरानी, अब्दुल्ला अली, मजीदी जेहाद आदि कई ऐसे नाम हैं, जिन की हत्या इसी जहर से कराई गई थी.

वरुण को यह जानकारी इंटरनेट से मिली थी कि इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन ने इस जहर से अपने तमाम विरोधियों का खात्मा किया था. उस ने अपनी ससुराल वालों को सबक सिखाने के लिए थैलियम का उपयोग किया और उसे मछली करी में मिला कर सब को खिला दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

नीली साड़ी का राज : प्रेमी ही बना कातिल

राजस्थान के टोंक जिले की देवली तहसील के थाना घाड़ के अंतर्गत एक गांव बड़ोली आता है. इसी गांव के रहने वाले गोकुल के खेत पर सरसों की फसल की कटाई का काम मजदूरों द्वारा किया जा रहा था. यह बात 10 फरवरी, 2021 की है.

सरसों काटते हुए मजदूरों की निगाह एक मानव कंकाल पर पड़ी. इस कंकाल के पास महिला की शृंगार सामग्री यानी चूडि़यां, बिछिया, नीली साड़ी वगैरह पड़ी थी. कंकाल साड़ी में लिपटा था. देखने पर लग रहा था कि कंकाल किसी महिला का है.

यह बात मजदूरों ने खेत के मालिक गोकुल को बताई. गोकुल ने भी मौके पर आ कर देखा. बात सही थी. गोकुल ने फोन कर के गांव के सरपंच धनपत माली को खेत में कंकाल मिलने की बात बताई. कुछ ही देर में सरपंच भी खेत पर पहुंच गए. फिर उन्होंने फोन कर के धाड़ थाने में इस की सूचना दी.

सूचना पा कर धाड़ थानाप्रभारी इंसपेक्टर रामेश्वर प्रसाद पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचे. घटनास्थल का मुआयना किया. वहां पर नीले रंग की साड़ी में लिपटा कंकाल मिला. थानाप्रभारी रामेश्वर प्रसाद ने इस घटना की सूचना सीओ (देवली) दीपक कुमार, एएसपी राकेश कुमार और एसपी ओमप्रकाश को दे दी.

सूचना मिलने पर सीओ दीपक कुमार एवं एफएसएल टीम मौके पर पहुंच गई. एफएसएल टीम द्वारा साक्ष्य उठाए गए, साथ ही 11 फरवरी को महिला के कंकाल को पोस्टमार्टम एवं डीएनए जांच के लिए अजमेर मैडिकल कालेज भेजा गया.

मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी (टोंक) ने अपने निर्देशन में एक टीम का गठन किया. इस टीम को जल्द से जल्द अज्ञात महिला कंकाल के बारे में पता लगाने की जिम्मेदारी दी गई.

इस टीम में एएसपी (मालपुरा) राकेश कुमार, सीओ दीपक कुमार, थानाप्रभारी (धाड़) रामेश्वर प्रसाद, हैडकांस्टेबल हरफूल, भैरूलाल, कांस्टेबल भागचंद, बजरंग, मेघराज, रामराज, कन्हैयालाल, महिला कांस्टेबल ज्योति और साइबर सेल के हैडकांस्टेबल सुरेशचंद शामिल थे.

पुलिस टीम ने सब से पहले महिला कंकाल से लिपटी हुई नीली साड़ी के पल्लू से बंधी मिली एक परची पर लिखे मोबाइल नंबर  की काल डिटेल्स निकाली. यह मोबाइल नंबर हरिराम मीणा पुत्र रामलाल मीणा, निवासी गांव भरनी का था. इस नंबर से सब से आखिर में महावीर मीणा से बात हुई थी.

महावीर और हरिराम मीणा काल डिटेल्स में संदिग्ध लगे तो पुलिस टीम ने 13 फरवरी को हरिराम को उठा लिया और उस से पूछताछ की. थोड़ी देर तक तो वह आनाकानी करता रहा. मगर फिर जब पुलिसिया तेवर दिखाए तो वह तोते की तरह बोलने लगा. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पता चला कि वह लाश टोंक जिले के गांव जगनतन ढिकला निवासी कमला मोग्या की थी. वह राजू मोग्या की बेटी थी. इस के बाद दूसरे आरोपी महावीर मीणा को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया. उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया.

तब पुलिस ने महिला कंकाल के पास मिले सामान को देखने के लिए राजू मोग्या, उस की पत्नी रतनीबाई और मृतका कमला मोग्या की छोटी बहन को धाड़ थाने पर बुलाया. इन्होंने महिला कंकाल के पास मिले सामान को देख कर अपनी बेटी कमला मोग्या पत्नी कालूलाल मोग्या के रूप में शिनाख्त कर ली.

लाश की शिनाख्त हो जाने और आरोपियों के गिरफ्तार होने पर पुलिस ने चैन की सांस ली. कमला की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

मैडिकल कालेज में कंकाल की जांच हो जाने के बाद वह मृतका के पिता राजू मोग्या को सौंप दिया. उन्होंने कंकाल का अंतिम संस्कार कर दिया.

पुलिस ने मृतका के मातापिता राजू एवं रतनीबाई का डीएनए टेस्ट भी कराया ताकि सच सामने आ सके. पुलिस अधिकारियों ने कमला के खून से हाथ रंगने वाले आरोपी महावीर मीणा और हरिराम मीणा से कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई, वह कुछ इस प्रकार से है—

कमला मोग्या की शादी आज से करीब 10 साल पहले कालूलाल मोग्या से हुई थी. कमला के मातापिता ने गरीबी में जीवन गुजारा था. मगर अपनी बेटी कमला की हर ख्वाहिश पूरी की थी. कमला सांवले रंग की आकर्षक नैननक्श की नवयौवना थी. शादी के बाद उसे कालूलाल जैसा मेहनतकश इंसान पति के रूप में मिला था. वक्त के साथ कमला 3 बच्चों की मां बनी. ये तीनों बेटे हैं. इस समय इन की उम्र 7 साल, 5 और 3 साल है.

कालूलाल मेहनतमजदूरी में दिनरात खटता था. इस कारण वह थकामांदा रात को घर लौट कर खाना खा कर बिस्तर पर पड़ता और सो जाता था. कालू की पत्नी कमला की हसरतें अभी जवान थीं. वह चाहती थी कि उस का पति उसे बांहों में ले कर आनंदलोक की सैर कराए. मगर कालू की हाड़तोड़ मेहनत ने उसे थका दिया था.

अगर इंसान के तन की ज्वाला ठंडी नहीं हो तो वह बहकने लगता है. अपने सुख के लिए उस के कदम बहकने लगते हैं. कालू तो अपनी बीवी और बच्चों के भरणपोषण के लिए रातदिन मेहनतमजदूरी कर रहा था. वहीं कमला अपने देहसुख के लिए अपने जुगाड़ में लगी थी.

आज से करीब 10 महीने पहले कालू ने ढिकला निवासी दिव्यांग युवक महावीर मीणा का खेत बटाई (हिस्सेदारी) पर ले लिया. इस के बाद कालू अपनी पत्नी कमला एवं तीनों बेटों के साथ जंगलतन से ढिकला स्थित महावीर के खेत में झोपड़ी बना कर रहने लगा. खेत में रहते हुए कुछ दिन ही हुए थे कि एक रोज महावीर खेत देखने आया. उस समय कालू खेत में काम कर रहा था. कालू की बीवी कमला झोपड़ी में बैठी खाना बना रही थी.

महावीर सीधे झोपड़ी में चला गया. उस समय कमला घुटनों तक साड़ी उठा कर बैठी थी. महावीर की नजर कमला की गोरी पिंडलियों पर पड़ी. उस की कामवासना जाग उठी. महावीर ने कहा, ‘‘क्या पका रही है कालू भाई के लिए?’’

सुन कर कमला चौंकी.

उस ने आगंतुक पर नजर डाली. वह उस की गोरी पिंडलियों की तरफ ताक रहा था. कमला ने झट से साड़ी नीचे की. इसी हड़बड़ाहट में उस के उभारों पर से साड़ी हट गई. उन्नत उभार देख कर तो महावीर बावला ही हो गया.

कमला ने साड़ी को ठीक किया और बोली, ‘‘आप को पहचाना नहीं.’’

‘‘मैं महावीर हूं. यह खेत मेरा ही है.’’ सुन कर कमला बोली, ‘‘अच्छा, तो आप महावीरजी हैं. आइए, बैठिए. मैं चाय बनाती हूं.’’

महावीर खटिया पर बैठ गया. कमला चाय बनाने लगी. तभी कालू भी आ गया. महावीर और कालू बातें करने लगे. कमला चाय बना लाई. सभी ने चाय पी. इस के बाद महावीर ने कहा कि कोई चीज चाहिए तो बोल देना. परेशान मत होना. मुझे अपना ही समझना. इस के बाद महावीर खेत में फसल देख कर गांव चला गया.

महावीर की आंखों में 3 बच्चों की मां कमला का मादक बदन बस गया. वह सारी रात उसे पाने का षडयंत्र मन ही मन करता रहा. महावीर 2 दिन बाद फिर खेत जा पहुंचा. खेत तो बहाना था. उसे तो कमला को रिझाना था. इस कारण वह दुकान से बच्चों के लिए खानेपीने की चीजें भी लाया था.

कमला से महावीर हंसीठिठोली करने लगा. वह उस की सुंदरता की तारीफ भी करता था. कमला द्वारा बनी चाय का बखान भी करता था. महावीर इस के बाद अकसर 2-4 दिन बाद खेत जाने लगा. वह कमला को ललचाई नजर से देखता.

उस रोज कालू काम से कहीं गया हुआ था. महावीर आ गया खेत पर. कमला से पता चला कि कालू शाम तक घर लौटेगा. बस उस रोज महावीर ने बिसकुट, भुजिया दे कर बच्चों को झोपड़ी से बाहर खेलने भेज दिया. उस के बाद महावीर ने कमला से पूछा, ‘‘लगता है, मेरा आना तुम्हें अच्छा नहीं लगता.’’

‘‘नहींनहीं, ऐसी कोई बात नहीं. मुझे तो तुम बहुत अच्छे लगते हो.’’ कमला ने कहा.

सुन कर महावीर ने आव देखा न ताव, कमला को बांहों में भर लिया. थोड़ी सी नानुकुर के बाद कमला ने अपना तन महावीर के हवाले कर दिया.

महावीर और कमला वासना के दरिया में गोते लगाने लगे. कमला को महावीर ने ऐसा शारीरिक सुख दिया कि वह उस की दीवानी हो गई. कमला भूल गई कि वह शादीशुदा और 3 बेटों की मां है. उस के ये बहके कदम उसे कहीं का नहीं छोडें़गे.

अवैध संबंधों का परिणाम बहुत खतरनाक होता है. कमला को जो शारीरिक सुख महावीर ने कई बरसों बाद दिया था, उस सुख की खातिर वह अपने पति और बच्चों तक को ताक पर रख कर महावीर के साथ भाग जाने को तैयार हो गई थी.

कालू शरीफ था. उसे पता नहीं था कि उस की गैरमौजूदगी में उस की बीवी गैरमर्द के साथ रंगरलियां मनाती है. वह तो सोचता था कि महावीर अपनी खेती देखने आता है. जबकि महावीर तो कमला से मिलने आता था.

कालू वहीं खेत पर रहता था. इस कारण कमला और महावीर का मिलन नहीं हो पाता था. ऐसे में वासना की आग में जल रहे महावीर और कमला ने योजना बनाई कि वे दोनों चुपके से भाग जाएंगे.

महावीर ने कमला से कहा, ‘‘मैं ने देवली में कमरा किराए पर ले लिया है. तुम वहीं रहना. मैं भी आताजाता रहूंगा. बाद में जब सब कुछ ठीक हो जाएगा, तब मैं तुम से शादी कर लूंगा और बच्चों को भी अपना लूंगा.’’

सुन कर कमला बहुत खुश हुई. करीब 7 महीने पहले एक रोज कमला बिना कुछ बताए कहीं चली गई. महावीर योजनानुसार कमला को ले कर देवली कस्बे पहुंचा और किराए के कमरे में कमला को छोड़ कर वापस गांव ढिकला आ गया ताकि उस पर कोई शक न करे.

उधर पत्नी के अचानक गायब हो जाने पर कालू को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि उस की पत्नी गई तो गई कहां. कालू ने उस की बहुत खोजबीन की. रिश्तेदारी में ढूंढा. मगर कमला का कोई पता नहीं चल सका.

उसे जमीन खा गई थी या आसमान निगल गया था. थकहार कर कालू ने थाना दूनी में कमला की गुमशुदगी दर्ज करा दी. पुलिस ने उस की कोई खोजबीन नहीं की. पुलिस वालों ने कहा कि कहीं गई होगी. अपने आप आ जाएगी.

गरीब की भला कौन सुनता है. कालू बीवी की खोजबीन कर के थक गया. वह अपने तीनों बच्चों की परवरिश करने लगा. कालूलाल अब बच्चों की देखभाल करने लगा.

उस का कामधंधा छूट गया था. कालू काम पर जाए तो बच्चों की देखरेख कौन करे. इस कारण कालू अपनी बीवी के वियोग में मासूम बच्चों को जैसेतैसे पालने लगा.

उधर महावीर का जब मन होता तो वह देवली जाता और कमला के साथ रंगरलियां मनाता. वह कभी गांव तो कभी देवली में प्रेमिका कमला के साथ रातें रंगीन कर रहा था. कुछ समय बाद महावीर ने कमला को देवली से निवाई कस्बे में किराए के कमरे में शिफ्ट कर दिया.

महावीर अब निवाई में कमला के साथ मौजमस्ती करने लगा. कमरे का किराया और कमला के खानेपीने का सारा खर्च महावीर मीणा उठाता था. महावीर निवाई में 2 दिन रहता. फिर गांव ढिकलाआ जाता. गांव में 2-3 दिन रहता फिर निवाई कमला के पास चला जाता. महावीर के निवाई से वापस गांव जाने के बाद कमला अकेली रह जाती थी.

वह बमुश्किल समय अकेले काटती थी. ऐसे में कमला ने तय कर लिया कि वह अब महावीर के साथ ढिकला जा कर रहेगी. उसे अपने बच्चों की भी याद सता रही थी.

महावीर जब जनवरी के दूसरे हफ्ते में निवाई कमला से मिलने आया तब कमला ने उस से कहा कि अब वह यहां अकेली नहीं रहेगी. कमला ने दबाव बनाया कि वह अपने साथ उसे गांव ढिकला में रखे और बच्चों को भी अपनाए.

सुन कर महावीर मीणा के हाथों के तोते उड़ गए. महावीर और कमला के अवैध संबंधों की खबर उस के गांव ढिकला में भी पता चल चुकी थी. महावीर के अकसर देवली और बाद में निवाई जा कर रहने का राज गांव में उजागर हो गया था. अब कमला उस के साथ ढिकला चलने की जिद करने लगी थी. ऐसे में अब तक महावीर गांव के लोगों से कहता रहा था कि कमला के बारे में जो बातें कही जा रही हैं, वह गलत हैं. उसे तो पता तक नहीं कि कमला है कहां.

ऐसे में जब उस के साथ कमला को लोग देखेंगे तो उस की समाज और गांव में बदनामी होगी. तब महावीर ने बदनामी के डर से कमला को ही रास्ते से हटाने का निर्णय ले लिया. महावीर ने कमला को झूठा विश्वास दिलाया कि वह एकदो दिन में उसे गांव ढिकला ले जाएगा. उस की बात सुन कर कमला खुश हो गई.

महावीर ने भरनी निवासी अपने ममेरे भाई हरिराम मीणा से इस बारे में बात की और अपने पास बुलाया. इस के बाद योजनानुसार 11 जनवरी, 2021 को महावीर और हरिराम मीणा बाइक द्वारा निवाई कमला के पास पहुंचे. रात वहीं कमला के पास रुके.

अगले दिन कमरे का हिसाब वगैरह कर के कमला के साथ मोटरसाइकिल पर टोंक पहुंचे. टोंक घूमने के बाद 12 जनवरी, 2021 को चौथ का बरवाड़ा घुमाते रहे. फिर शाम हो जाने के बाद केरली कुंड आए. वहां महावीर और हरिराम ने शराब पी. इस के बाद बड़ोली के जंगल में पहुंचे और वहां एक नीम के पेड़ के नीचे बैठ गए.

वहीं पर उन्होंने मौका पा कर कमला को गला दबा कर मार डाला और उस के शव को सरसों के खेत में डाल कर ढिकला में अपने घर आधी रात को आ कर सो गए. कमला ने हरिराम के मोबाइल नंबर की परची अपनी साड़ी के पल्लू में बांध रखी थी ताकि कभी उस से बात करेगी. इसी परची ने पुलिस को हत्यारों तक पहुंचा दिया.

सरसों के खेत में कमला की लाश पड़ी रही. 12 जनवरी, 2021 की रात 11 बजे कमला की हत्या कर शव गोकुल जाट के खेत में सरसों की फसल के बीच फेंका गया था. लाश सरसों के बीच खेत में पड़ी रही. करीब एक महीने तक पड़ी यह लाश सड़गल कर कंकाल बन गई.

जब 10 फरवरी, 2021 को हत्याकांड से करीब महीने भर बाद सरसों की कटाई मजदूरों द्वारा की जा रही थी, तब उन की नजर कंकाल पर पड़ी. इस के बाद खेत मालिक गोकुल जाट ने सरपंच धनपत माली को कंकाल मिलने की खबर दी. सरपंच ने धाड़ थाने के थानाप्रभारी रामेश्वर प्रसाद को सूचना दी.

पुलिस ने पूछताछ पूरी होने पर दोनों आरोपियों महावीर मीणा और हरिराम मीणा को कोर्ट में पेश कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेटी ने दी बाप के कत्ल की सुपारी : भाग 1

अप्रैल के महीने में यूं तो इतनी गरमी नहीं पड़ती, लेकिन 2018 का अप्रैल महीना इस बार शुरू से ही कुछ ज्यादा गरमाने लगा था. इसीलिए जल्दी बंद होने वाले बाजार भी देर तक खुलने लगे थे. दिल्ली से मात्र 60 किलोमीटर दूर बसे उत्तर प्रदेश के शामली जिले में एक मोहल्ला है दयानंद नगर, जो शहर के सब से बड़े नाले के किनारे तंग गलियों वाला मोहल्ला है. इसी मोहल्ले में राकेश रूहेला अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी कृष्णा के अलावा 2 बेटियां और एक बेटा था.

राकेश दिल्ली के शाहदरा के भोलानाथ नगर स्थित बाबूराम टैक्नीकल इंस्टीट्यूट में लैब टेक्नीशियन की नौकरी करते थे. वह सुबह 7 बजे अपने घर से निकल कर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर रेलवे स्टेशन तक पैदल जाते थे. वहां से दिल्ली जाने वाली ट्रेन में सवार हो कर वह शाहदरा रेलवे स्टेशन पर उतरते और अपने इंस्टीट्यूट पहुंचते थे. शाम को भी वह इसी तरह ड्यूटी पूरी कर घर पहुंचते थे. ये उन का लगभग रोज का रूटीन था.

7 अप्रैल, 2018 की रात भी राकेश रूहेला रोजमर्रा की तरह करीब साढ़े 9 बजे दिल्ली से अपनी ड्यूटी खत्म कर के ट्रेन से शामली पहुंचे और वहां से नाला पट्टी रोड से पैदल घर की तरफ जा रहे थे.

रात करीब पौने 10 बजे वह अपने घर की गली के मोड़ के करीब पहुंचे ही थे कि उन के पास अचानक 2 युवक तेजी से आए, उन में से एक ने उन के पास जा कर गोली चला दी.

फायर की आवाज सुन कर आसपास खुली इक्कादुक्का दुकानों पर खड़े लोगों ने जब तक पलट कर देखा तब तक राकेश लहरा कर जमीन पर गिर चुके थे और उन्हें गोली मारने वाले दोनों युवक तेजी से विपरीत दिशा की तरफ भाग रहे थे.

लोगों ने देखते ही पहचान लिया कि गोली लगने के बाद जमीन पर खून से लथपथ पड़ा व्यक्ति राकेश रूहेला है. गली के नुक्कड़ पर ही किराने की दुकान चलाने वाला शैलेंद्र कुछ लोगों की मदद से जख्मी राकेश को एक टैंपो में लाद कर जिला अस्पताल ले गया. कुछ लोगों ने तब तक राकेश के घर जा कर इस बात की सूचना दे दी कि किसी ने राकेश पर गोली चलाई है.

मौत पर पत्नी और बेटी का नाटक

इस के बाद उन के घर में कोहराम मच गया. राकेश की पत्नी कृष्णा और बेटा तत्काल आसपड़ोस के लोगों को साथ ले कर सरकारी अस्पताल पहुंच गए. कृष्णा ने 3 नंबर गली में रहने वाले अपने देवर मुकेश को फोन कर के सारी बात बताई और जल्दी से सरकारी अस्पताल पहुंचने के लिए कहा. सरकारी अस्पताल पहुंचने के बाद घर वालों को डाक्टरों ने बताया कि राकेश की रास्ते में ही मौत हो चुकी थी.

पति की मौत की खबर सुनते ही कृष्णा का विलाप शुरू हो गया. मुकेश कुछ लोगों को साथ ले कर शामली कोतवाली पहुंचा, उस वक्त तक रात के करीब 11 बज चुके थे. थाने में मौजूद एसएसआई रफी परवेज को उस ने भाई की हत्या की जानकारी दी.

उस वक्त थानाप्रभारी अवनीश गौतम क्षेत्र की गश्त पर निकले हुए थे. जैसे ही थानाप्रभारी को इस घटना की खबर मिली तो उन्होंने एसएसआई को शिकायत की तहरीर ले कर मुकदमा दर्ज कराने और पुलिस दल के साथ सरकारी अस्पताल पहुंचने के निर्देश दिए.

राकेश का शव अस्पताल में ही रखा हुआ था. एसएसआई रफी परवेज ने मुकेश से ली गई तहरीर के आधार पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

इस के बाद वह एसआई सत्यनारायण दहिया, महिला एसआई नीमा गौतम, कांस्टेबल प्रताप व अन्य स्टाफ को साथ ले कर सरकारी अस्पताल पहुंच गए. तब तक थानाप्रभारी अवनीश गौतम भी वहां पहुंच गए.

घटना की सूचना उच्चाधिकारियों को भी दे दी गई थी. इसलिए सूचना मिलने के बाद सीओ (सिटी) अशोक कुमार सिंह भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस के सभी अधिकारियों ने मृतक के परिवार वालों के अलावा राकेश को अस्पताल लाने वाले शैलेंद्र से राकेश पर हमला करने वालों और घटनाक्रम के बारे में पूछताछ की. लेकिन न तो किसी ने ये बताया कि वे हमलावरों को पहचानते हैं, न ही परिजनों ने किसी पर हत्या का शक जताया.

हां, इतना जरूर पता चला कि मृतक अपने औफिस के लोगों और जानपहचान वालों के साथ मिल कर महीने की कमेटी डालने का काम करता था. अकसर उस के पास कमेटी की रकम होती थी.

परिजनों ने आशंका जताई कि कहीं राकेश को किसी ने लूटपाट के उद्देश्य से तो गोली नहीं मार दी. मगर घटनास्थल पर बतौर चश्मदीद शैलेंद्र व अन्य लोगों से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि गोली चलने के तुरंत बाद हमलावर तेजी से भाग गए थे. उन्होंने राकेश से किसी तरह की छीनाझपटी होते नहीं देखी.

पुलिस को भी चश्मदीदों की बात में सच्चाई दिखी, क्योंकि राकेश की जेब में रुपयों से भरा पर्स, अंगुली में सोने की अंगूठी, कलाई में घड़ी और हाथ में लिया बैग एकदम सहीसलामत थे. रात बहुत अधिक हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अगले दिन सीओ (सिटी) और थानाप्रभारी ने जांच अधिकारी रफी परवेज के साथ बैठ कर जब पूरे घटनाक्रम पर विचार करना शुरू किया तो उन्हें लगा कि मामला उतना सीधा नहीं है, जितना दिखाई पड़ रहा है.

क्योंकि अगर बदमाशों को लूटपाट या छीनाझपटी करने के लिए राकेश को गोली मारनी होती तो वे किसी सुनसान जगह को चुनते न कि उस के घर के पास ऐसी जगह को, जहां लोगों की काफी आवाजाही थी.

पुलिस को बेलने पड़े पापड़

पुलिस को लगा कि या तो हत्या किसी रंजिश के कारण की गई है या फिर किसी ऐसे कारण से जो फिलहाल पुलिस की नजरों से छिपा है. थानाप्रभारी एक बार फिर राकेश रूहेला के घर पहुंचे. उन्होंने राकेश की पत्नी, उन की दोनों बेटियों, बेटे और भाई मुकेश से पूछताछ की.

किसी ने भी राकेश की हत्या के लिए न तो किसी पर शक जाहिर किया और न ही किसी से रंजिश की बात बताई. सीओ (सिटी) अशोक कुमार सिंह ने क्राइम ब्रांच के इंसपेक्टर धर्मेंद्र पंवार को भी बुला कर अपराध की इस गुत्थी को सुलझाने के काम पर लगा दिया.

राकेश की हत्या के अगले दिन पुलिस का सारा वक्त घर वालों और जानपहचान वालों से पूछताछ में लग गया. दोपहर बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद राकेश का शव घर वालों को सौंप दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि राकेश की मौत सिर में गोली लगने से हुई थी और गोली करीब डेढ़ फुट की दूरी से मारी गई थी, जिस का मतलब था कि हत्यारे राकेश की हत्या करना चाहते थे.

इज्जत के कबाड़ की गोली : क्यों पड़ी कामिनी के परिवार पर भारी

11सितंबर, 2020 की बात है. प्रशांत के घर उस के ससुर विनोद गौतम, उन का छोटा भाई महावीर सिंह और

बेटा रविकांत गौतम आए हुए थे. प्रशांत और उस के घर वालों ने उन की खूब खातिरदारी की. दरअसल, प्रशांत कुमार ने हाल ही में विनोद गौतम की बेटी कामिनी के साथ शादी की थी.

रात का खाना खाने के बाद प्रशांत के पिता रामऔतार अपने इन नए रिश्तेदारों के साथ बातचीत कर रहे थे. तभी विनोद गौतम के कहने पर रामऔतार ने बेटे प्रशांत और बहू कामिनी को बुलाया. उन दोनों को देख विनोद गौतम आपे से बाहर हो गया और उस ने दोनों को गोली मार दी. कामिनी लहूलुहान हो कर फर्श पर गिर गए. गोलियां चलते ही घर में अफरातफरी का माहौल हो गया. घर के लोगों ने रोनापीटना शुरू कर दिया.

रात 10 बजे गोलियों की आवाज गूंजी तो आसपास के लोगों ने सुनी. गांव वाले रामऔतार सिंह के घर की तरफ दौड़े. कोई समझ नहीं पा रहा था कि अचानक ऐसा क्या हो गया, जो गोली चल गई.  लोग जब घर में पहुंचे तो वहां की स्थिति दिमाग को सुन्न कर देने वाली थी.

लोगों के आने से पहले ही विनोद गौतम, उस का छोटा भाई महावीर सिंह और बेटा रविकांत गौतम वहां से भाग चुके थे. घर में खून ही खून फैला था. रामऔतार के बेटे प्रशांत और बहू कामिनी फर्श पर पड़े तड़प रहे थे. उन दोनों को देख यह बात सहज ही समझ आ रही थी कि उन दोनों को गोलियां लगी हैं.

इस की सूचना थाना टांडा को दे दी गई. थानाप्रभारी माधव सिंह बिष्ट पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. सब से पहले उन्होंने घायल कामिनी और प्रशांत को अपनी गाड़ी में डाला और इलाज के लिए रामपुर के जिला अस्पताल ले गए.

इस दौरान रामऔतार ने थानाप्रभारी को बता दिया था कि दोनों को गोली कामिनी के पिता विनोद गौतम ने मारी थी. वजह यह कि कुछ दिन पहले कामिनी ने अपने घर वालों को बिना बताए उन के बेटे प्रशांत से कोर्टमैरिज की थी.

थानाप्रभारी माधव सिंह बिष्ट विनोद गौतम को अच्छी तरह जानते थे, क्योंकि वह बहुजन समाज पार्टी का ऊधमसिंह नगर जिले का जिला अध्यक्ष था. नेता होने की वजह से आए दिन अखबारों में उस का नाम आता रहता था. विनोद कुमार गौतम मामूली इंसान नहीं था. राजनीति में उस की ऊंची पहुंच थी.

थानाप्रभारी ने यह सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. सूचना मिलने के कुछ देर बाद ही रामपुर के एसपी शगुन गौतम जिला अस्पताल पहुंच गए. एसपी साहब ने दोनों घायलों का इलाज करने वाले डाक्टरों से बातचीत की. डाक्टरों ने बताया कि दोनों की हालत गंभीर है.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए एसपी गौतम ने इस की सूचना आईजी रमित शर्मा को दे दी. उन्होंने एसपी गौतम को स्पष्ट निर्देश दिए कि हमलावर चाहे कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो, उस के खिलाफ तुरंत कड़ी काररवाई की जाए.

उधर प्रशांत कुमार और कामिनी की गंभीर हालत को देखते हुए डाक्टरों ने दोनों को मुरादाबाद के कौसमौस अस्पताल रेफर कर दिया. कौसमौस अस्पताल के डा. अनुराग अग्रवाल के नेतृत्व में डाक्टरों की एक टीम ने दोनों घायलों का इलाज शुरू कर दिया. प्रशांत को 2 गोलियां लगी थीं, जो उस के शरीर में फंसी हुई थीं. डाक्टरों की टीम ने उस के शरीर से दोनों गोलियां सफलतापूर्वक निकाल दीं.

एसपी शगुन कुमार गौतम ने आईजी साहब के निर्देश पर इस मामले को सुलझाने के लिए एक पुलिस टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी माधव सिंह बिष्ट और अजीमनगर के थानाप्रभारी सुभाष मावी को शामिल किया.

पुलिस टीम ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी. सभी आरोपी काशीपुर के निकटवर्ती गांव पैगा के रहने वाले थे. पुलिस टीम ने 13 सितंबर, 2020 को उन के घर दबिश दे कर तीनों अभियुक्तों विनोद गौतम, उस के छोटे भाई महावीर सिंह और बेटे रविकांत गौतम को गिरफ्तार कर लिया.पुलिस ने विनोद गौतम की निशानदेही पर उस की लाइसैंसी पिस्टल भी बरामद कर ली, जिस से जानलेवा हमला किया था.

तीनों से व्यापक पूछताछ की गई. पुलिस पूछताछ के बाद इस मामले की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की बुनियाद पर टिकी थी.

रामपुर जिले का एक गांव है सैदनगर. रामऔतार सिंह अपने 5 बच्चों के साथ इसी गांव में रहते थे. उन के 2 बेटे और 3 बेटियां थीं. प्रशांत कुमार उन का सब से बड़ा बेटा था. उस के चाचा कुंवरपाल सिंह की ससुराल काशीपुर में थी.

प्रशांत काशीपुर में रह कर पढ़ाई कर रहा था. काशीपुर में ही एक शादी समारोह में प्रशांत की मुलाकात कामिनी से हुई. कामिनी काशीपुर के गांव पैगा के रहने वाले विनोद गौतम की बेटी थी.

विनोद गौतम के 4 बेटियां और एक बेटा था, जिस में कामिनी सब से बड़ी थी. कामिनी भी काशीपुर के एक कालेज से पढ़ाई कर रही थी. कामिनी और प्रशांत दूर के रिश्तेदार थे. शादी समारोह में दोनों एकदूसरे को देख कर बहुत प्रभावित हुए. दोनों में आपस में काफी बातें हुईं. दोनों ने एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर भी  दे दिए. यह करीब 2 साल पहले की बात है.

इस के बाद दोनों फोन पर बातचीत करने लगे. जब भी खाली होते, दोनों के बीच खूब बातें होतीं. धीरेधीरे बातों का दायरा बढ़ता चला गया और उन के दिलों में प्यार के अंकुर फूट निकले. चाहतों की उड़ान में दोनों यह भी भूल गए कि वे आपस में रिश्तेदार हैं.

प्रशांत चाहता था कि वह आईएएस  अफसर बने, इसलिए उस ने ठाकुरद्वारा कस्बे की नालंदा आईएएस अकैडमी में कोचिंग करनी शुरू कर दी. उधर कामिनी काशीपुर के एक कालेज से बीए कर रही थी.

इसी दौरान प्रशांत का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर हो गया. प्रशांत ने सोचा कि नौकरी करते हुए अपनी सिविल सर्विस की तैयारी जारी रखेगा. पुलिस में चयन हो जाने के बाद उसे ट्रेनिंग के लिए मेरठ भेज दिया गया.

प्रशांत की नौकरी लग जाने के बाद कामिनी बहुत खुश हुई. दोनों के बीच पहले की तरह ही बातचीत चलती रही. इस बातचीत में तय हुआ कि प्रशांत की पुलिस ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद दोनों शादी कर लेंगे.

कामिनी ने प्रशांत को बताया कि उस के पिता दबंग प्रवृत्ति के हैं, इसलिए यह शादी हरगिज नहीं होने देंगे. इस पर दोनों तय किया कि घर वालों को बिना बताए कोर्टमैरिज कर लेंगे.

ट्रेनिंग पूरी हो जाने के बाद प्रशांत की पहली पोस्टिंग बरेली स्थित पीएसी की 8वीं बटालियन में हो गई. 28 अगस्त, 2020 को प्रशांत छुट्टी ले कर अपने घर आया. इसी दौरान प्रशांत और कामिनी ने रामपुर की कोर्ट में शादी कर ली.

घटना से 4 दिन पहले की बात है, कामिनी अपने घर वालों को बिना बताए प्रशांत के घर यानी अपनी ससुराल पहुंच गई. घर से कामिनी के अचानक गायब हो जाने के बाद घर वाले परेशान हो गए. वे समझ नहीं पा रहे थे कि कामिनी अचानक कहां गायब हो गई. उन्होंने उसे अपने स्तर पर ढूंढना शुरू कर दिया, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

जवान बेटी के घर से गायब हो जाने पर जो उस के मातापिता पर गुजरती है, उसे भुक्तभोगी ही समझ सकता है. विनोद गौतम का भी बुरा हाल था. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि बेटी को कहां ढूंढे.

विनोद गौतम के एक रिश्तेदार सैदनगर में रहते थे. विनोद गौतम ने अपने रिश्तेदार से कामिनी के गायब होने के बारे में बात की. इस पर रिश्तेदार ने बताया कि कामिनी तो यहां प्रशांत के घर आई हुई है. साथ ही यह भी बता दिया कि शायद कामिनी और प्रशांत ने शादी कर ली है.

यह सुन कर विनोद गौतम के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. वह दबंग किस्म का व्यक्ति था. राजनीति में भी उस का काफी प्रभाव था. जब लोगों को यह बात पता चलेगी तो उस की समाज में क्या इज्जत रह जाएगी, यह सोचसोच कर वह परेशान था.

काफी सोचविचार के बाद विनोद गौतम ने 9 सितंबर को प्रशांत कुमार के पिता रामऔतार सिंह को फोन किया. उस ने रामऔतार से अपनी बेटी कामिनी के बारे में पूछा. उन्होंने बता दिया कि प्रशांत और कामिनी ने कोर्ट में शादी कर ली है. इस की खबर उन्हें भी शादी के बाद ही मिली.

यह सुन कर गौतम कुछ ज्यादा ही परेशान हो गया. उस ने गंभीर लहजे में रामऔतार से कहा कि तुम्हारे लड़के ने अच्छा नहीं किया. उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था. कम से कम रिश्तेदारी का तो लिहाज रखता. इस पर रामऔतार ने कहा कि यह जानकारी उन्हें बाद में मिली. अगर पहले पता होता तो वह उसे समझाते भी. वैसे भी दोनों बालिग हैं, इस में हम क्या कर सकते हैं. विनोद कुमार गौतम खून का घूंट पी कर रह गया.

उधर ससुराल में कामिनी खुश थी. ऐसे में विनोद गौतम की समझ में नहीं आ रहा कि क्या करे, क्योंकि बात उस की इज्जत से जुड़ी थी. काफी सोचविचार के बाद 9 सितंबर, 2020 को गौतम ने प्रशांत के पिता रामऔतार को फोन कर के कहा कि जो हो गया उसे छोड़ो.

हम चाहते हैं कि दोनों की शादी सामाजिक रीतिरिवाज से कर दी जाए. इस सिलसिले में बात करने के लिए हम सैदनगर आ रहे हैं. अपने साथ गांव के कुछ लोगों को भी लाएंगे, आप भी गांव के कुछ संभ्रांत लोगों को इकट्ठा कर लेना,  फिर इस बारे में बातचीत कर ली जाएगी.

विनोद गौतम अपने कई परिचितों और कुछ करीबियों को साथ ले कर तय समय पर सैदनगर पहुंच गया. उधर रामऔतार ने भी गांव के कुछ लोगों को इकट्ठा कर लिया था. सब लोग साथ बैठे और पंचायत शुरू हो गई.

पंचायत में विनोद गौतम ने अपनी इज्जत का वास्ता देते हुए कहा कि देखो गांव और समाज में हमारी बहुत बदनामी हो रही है. आप से अनुरोध है कि आप मेरी बेटी कामिनी को मेरे साथ घर भेज दें. इस पर रामऔतार सिंह ने साफ मना करते हुए कहा कि वह अपनी बहू को अभी नहीं भेजेंगे. फलस्वरूप विनोद गौतम मुंह लटका कर लौट गया.

10 सितंबर, 2020 को भी विनोद गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर फिर सैदनगर पहुंचा. इस बार भी उस ने कामिनी को साथ भेजने की बात कही, लेकिन कामिनी ने पिता से मना कर दिया कि वह अभी उन के साथ नहीं जाएगी.

विनोद गौतम को यह उम्मीद नहीं थी कि बेटी इतनी बदल जाएगी. वह उसे जबरदस्ती तो घर ले जा नहीं सकता था, इसलिए उस ने कामिनी को समझाने की काफी कोशिश की, पर कामिनी नहीं मानी. रामऔतार सिंह ने भी कह दिया कि जब बेटी जाने से मना कर रही है तो आप उसे फिर कभी ले जाना. इस बार भी विनोद गौतम को खाली हाथ लौटना पड़ा.

लेकिन वह हार मानने वालों में से नहीं था. वह चाहता था कि किसी भी तरह एक बार कामिनी उस के साथ घर पहुंच जाए, इस के बाद क्या करना है, वह तय करेगा. लिहाजा वह बेटी को घर लाने के उपाय सोचने लगा.

11 सितंबर, 2020 को भी विनोद गौतम अपने भाई महावीर सिंह और बेटे रविकांत के साथ फिर सैदनगर पहुंचा. चूंकि विनोद गौतम रामऔतार का नजदीकी रिश्तेदार बन चुका था, लिहाजा उन्होंने उन सब की खातिरदारी की.

रात का खाना खाने के बाद गौतम ने उन से कहा कि मेरी बात पर विश्वास करो. मैं कामिनी को घर ले जाना चाहता हूं और इस के बाद दोनों की शादी धूमधाम से करूंगा. अगर कामिनी घर चली जाएगी तो कम से कम समाज में मेरी इज्जत तो बनी रहेगी.

इस बार रामऔतार ने कहा कि हमारी तरफ से कोई रोक नहीं है. हम अपनी बहू को भेजने से मना नहीं कर रहे, पर आप सीधे उस से बात कर लें तो ज्यादा अच्छा है. अगर वह जाना चाहती है तो हमें कोई एतराज नहीं होगा. रामऔतार ने बात करने के लिए बहू कामिनी को कमरे में बुलाया.

कामिनी पति प्रशांत के साथ कमरे में आई तो वहां पहुंचते ही सब से पहले उस ने वहां बैठे अपने ससुर रामऔतार के पैर छुए. प्रशांत का चेहरा देखते ही गौतम का खून खौल उठा, लेकिन उस समय उस ने खुद पर कंट्रोल रखा.

विनोद कुमार गौतम ने कामिनी से बात की और उस से घर चलने को कहा. उस समय रात के करीब 10 बज रहे थे. पिता की बातों पर कामिनी का दिल पसीज भी गया. लेकिन उस ने कहा कि पापा अब तो रात ज्यादा हो गई है, सुबह मैं आप के साथ चलूंगी.

लेकिन गौतम अपनी जिद पर अड़ा हुआ था. वह कामिनी पर उसी समय साथ चलने के लिए दबाव डाल रहा था, पर कामिनी पिता के साथ रात में जाने को तैयार नहीं थी. वह बारबार कह रही थी कि अभी नहीं, सुबह चलेंगे.

प्रशांत और कामिनी विनोद गौतम के सामने खड़े थे. प्रशांत का चेहरा देख कर गौतम का धैर्य जवाब दे गया. उस के दिमाग में एक ही बात घूम रही थी कि यह सब प्रशांत की वजह से ही हो रहा है, इसी के कारण समाज में उस की नाक कटी है, बदनामी हो रही है.

लिहाजा गुस्से में आगबबूला हुए विनोद गौतम ने अपनी अंटी से लाइसैंसी पिस्तौल निकाली और प्रशांत पर निशाना साधते हुए कई फायर किए. इन में से 2 गोलियां प्रशांत के लगीं और एक गोली कामिनी को. गोली लगते ही प्रशांत और कामिनी फर्श पर गिर पड़े.

कुछ ही पलों में फर्श पर खून फैल गया. अचानक मची अफरातफरी में मौके का फायदा उठा कर विनोद गौतम, उस का छोटा भाई महावीर सिंह और बेटा रविकांत गौतम वहां से भाग गए. जाते वक्त वे अपनी वैगनआर कार नंबर यूके06 पी7349 वहीं छोड़ गए.

बेटा और बहू को लहूलुहान हालत में देख कर रामऔतार के घर में चीखपुकार मचनी शुरू हो गई. उधर गोलियां चलने की आवाज सुन कर मोहल्ले वाले भी रामऔतार के घर पहुंच गए. उसी दौरान रामऔतार ने इस की सूचना थाना टांडा में दे दी.

सूचना पा कर थानाप्रभारी माधोसिंह बिष्ट कुछ ही देर में घटनास्थल पर पहुंच गए और काररवाई शुरू की.

तीनों आरोपियों विनोद कुमार गौतम, महावीर सिंह और रविकांत से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

विनोद कुमार गौतम के जेल जाने के बाद बसपा हाईकमान ने उसे पार्टी से निष्कासित कर दिया. इस के अलावा जिला प्रशासन ने  उस के लाइसैंसी पिस्टल का लाइसैंस निरस्त करने की काररवाई शुरू कर दी.

कथा लिखने तक गंभीर रूप से घायल प्रशांत कुमार और उस की पत्नी कामिनी का मुरादाबाद के कौसमौस अस्पताल में इलाज चल रहा था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फास्टफूड जैसा इंस्टैंट प्यार : कैसे हुई रीनू इसका शिकार

शादीशुदा और 4 बच्चों की मां रीनू ने पहली गलती कपिल से अवैध संबंध बना कर की, दूसरी गलती उस ने इस संबंध को स्थाई बनाने के लिए अपनी छोटी बहन की शादी कपिल से करा कर की. उस की तीसरी गलती कपिल को रिश्तेदार बना कर घर में रखने की थी. और चौथी गलती पति शिवकुमार को मौत के घाट उतरवाने की. इतनी गलतियां करने के बाद…

20जून, 2020 की सुबह की बात है. मुरादाबाद शहर के सिरकोई भूड़ की रहने वाली वीरवती रोजाना की तरह सुबह की सैर के लिए निकली थीं. लेकिन उन्होंने मोहल्ले में जो कुछ देखा, उसे देख वह हक्कीबक्की रह गईं.

वीरवती जब गली नंबर एक के पास पहुंचीं तो वहां एक युवक की लाश पड़ी थी. जिज्ञासावश वह लाश के नजदीक पहुंचीं तो उन की चीख निकल गई, क्योंकि वह लाश उन के सगे भांजे  शिवकुमार की थी. शिवकुमार उसी गली में रहता था, जिस गली में उस की लाश पड़ी थी.

वीरवती रोती हुई शिवकुमार के घर पहुंचीं और यह खबर दी. शिवकुमार के पिता रामकुमार परिवार के लोगों के साथ तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए.

शिवकुमार का सिर कुचला हुआ था और पास में ही खून से सनी एक ईंट पड़ी थी. ईंट को देख कर वह समझ गए कि उसी से शिवकुमार का सिर कुचला गया है.

घर वालों की चीखपुकार सुन कर मोहल्ले के और लोग भी वहां जमा हो गए. कुछ ही देर में शिवकुमार की हत्या की खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई. फिर क्या था, थोड़ी ही देर में वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया. लोग समझ नहीं पा रहे थे कि शिवकुमार की हत्या किस ने और क्यों की.

इसी दौरान किसी ने फोन कर के इस की सूचना थाना मझोला पुलिस को दे दी. थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह उसी समय रात्रि गश्त से लौटे थे, हत्या की खबर सुन कर वह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने लाश और घटनास्थल का मुआयना किया. उन्होंने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया और यह सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को भी दे दी. फोरैंसिक टीम ने घटनास्थल से सुबूत जुटाए. पुलिस ने खून से सनी ईंट अपने कब्जे में ले ली.

सूचना मिलने के बाद एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद और तत्कालीन एएसपी दीपक भूकर भी वहां आ गए. मृतक के घर वाले वहां मौजूद थे, मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी.

हत्यारे ने जिस तरह से शिवकुमार का सिर कुचला था, उसे देख कर लग रहा था कि हत्यारे की उस से कोई गहरी रंजिश रही होगी. मृतक के घर वालों और अन्य लोगों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने शिवकुमार का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

पूछताछ में मृतक की पत्नी रीनू ने बताया कि उस के पति ने 2 लोगों से कर्ज ले रखा था. कर्ज न चुकाने की वजह से वे शिवकुमार को काफी तंग कर रहे थे. रीनू ने आरोप लगाया कि शायद उन्हीं लोगों ने उस के पति की हत्या की होगी. जबकि मृतक के छोटे भाई राजकुमार ने हत्या का शक मृतक के साढ़ू कपिल उर्फ मोनू पर जताया. इतना ही नहीं, उस ने थाने पहुंच कर कपिल उर्फ मोनू के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी.

नामजद रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस ने काररवाई शुरू कर दी. संदिग्ध आरोपी कपिल मुरादाबाद शहर के ही लाइनपार इलाके के प्रकाशनगर में रहता था. पुलिस जब उस के घर पहुंची तो वह घर पर नहीं मिला. इस से उस पर पुलिस का शक बढ़ गया. कपिल से पूछताछ जरूरी थी, लिहाजा पुलिस ने उस की खोजबीन शुरू कर दी. थानाप्रभारी ने कपिल की तलाश में मुखबिर भी लगा दिए.

इस का नतीजा यह निकला कि 23 जून, 2020 को एक मुखबिर से मिली सूचना के बाद पुलिस ने शिवकुमार के साढ़ू कपिल उर्फ मोनू को मुरादाबाद दिल्ली हाइवे पर स्थित बस स्टाप से  गिरफ्तार कर लिया. वह दिल्ली भागने की फिराक में था.

थाने ला कर कपिल से शिवकुमार की हत्या के बारे में सख्ती से पूछताछ की गई, तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि शिवकुमार की हत्या में उस की पत्नी रीनू भी शामिल थी.

कपिल उर्फ मोनू से पूछताछ के बाद शिवकुमार की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

महानगर मुरादाबाद का एक मोहल्ला है सिरकोई भूड़. रामकुमार अपने परिवार के साथ इसी मोहल्ले में रहते थे. उन के परिवार  में 4 बेटियों के अलावा 2 बेटे थे.

रामकुमार मुरादाबाद के जलकल विभाग में नलकूप औपरेटर थे. इस नौकरी से ही वह परिवार का पालनपोषण करते थे. उन्होंने सन 2007 में बड़े बेटे शिवकुमार की शादी मुरादाबाद जिले के ही  गांव मझरा निवासी नरेश कुमार की बेटी रीनू के साथ की थी.

जैसेजैसे रामकुमार का रिटायरमेंट का समय नजदीक आता जा रहा था, वैसेवैसे उन की चिंता बढ़ती जा रही थी. वजह यह थी कि उन के दोनों बेटों में से कोई भी पढ़लिख कर काबिल नहीं बन सका था. करीब 2 साल पहले रामकुमार रिटायर हो गए, लेकिन इस से पहले उन्होंने नगर आयुक्त संजय चौहान से अनुरोध कर बड़े बेटे शिवकुमार को जलकल विभाग में संविदा के तौर पर नलकूप चालक की नौकरी दिलवा दी थी.

शिवकुमार की ड्यूटी उस के घर से कुछ ही दूर पर कांशीराम नगर में थी. उस का काम नलकूप चला कर पानी का टैंक भरने का था. बेटे की नौकरी लग जाने के बाद रामकुमार ने राहत की सांस ली.

मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किए गए कांशीराम नगर के पास ही बुद्धा पार्क है. इस पार्क में सैकड़ों लोग घूमने आते हैं, जिस से सुबहशाम चहलपहल रहती है.

इसी पार्क के बाहर कपिल उर्फ मोनू फास्टफूड का काउंटर लगाता था. वह शहर के लाइनपार स्थित प्रकाश नगर में रहता था. कपिल बहुत स्वादिष्ट फास्टफूड बनाता था, उस के पास ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी.

शिवकुमार की पत्नी रीनू अकसर कपिल का फास्टफूड खाने जाती थी. कपिल बहुत बातूनी था. रीनू को भी उस से बात करना अच्छा लगता था. बातचीत के दौरान दोनों की दोस्ती हो गई.

इस के बाद कपिल रीनू के कहने पर उस के घर पर ही बर्गर, पिज्जा आदि देने के बहाने जाने लगा. दोनों जब फुरसत में होते तो फोन पर खूब बातें करते थे. बातचीत का दायरा बढ़ा तो दोनों का एकदूसरे की तरफ झुकाव हो गया, दोनों एकदूसरे को चाहने लगे.

रीनू यह भी भूल गई कि वह शादीशुदा ही नहीं, 4 बच्चों की मां भी है. वह जो कर रही है वह सही नहीं है. वह कपिल के आकर्षण में बंध चुकी थी. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों के बीच अवैध संबंध बन गए.

रीनू का पति शिवकुमार अकसर रात की ड्यूटी करता था. उस के ड्यूटी चले जाने के बाद मीनू फोन कर के कपिल को अपने घर बुला लेती थी. उस के बाद दोनों अपनी हसरतें पूरी करते थे.

ढूंढ लिया स्थाई जुगाड़

पिछले करीब 2 साल से उन का यही सिलसिला चल रहा था. रीनू किसी भी तरह कपिल से दूर नहीं होना चाहती थी. इस के लिए उस ने एक योजना बनाई.

इस योजना के तहत उस ने कपिल के सामने प्रस्ताव रखा कि यदि वह उस की छोटी बहन रिंकी से शादी कर ले तो इस रिश्ते की आड़ में उन के संबंध यूं ही बने रहेंगे और उन पर किसी को शक भी नहीं होगा. यह बात कपिल की समझ में आ गई.

रीनू और कपिल ने अपने संबंधों को बनाए रखने के लिए योजना तो बना ली थी, लेकिन यह योजना शिवकुमार के बिना साकार नहीं हो सकती थी. लिहाजा एक दिन रीनू ने पति से कहा, ‘‘हम लोग काफी दिनों से रिंकी के लिए लड़का तलाश रहे हैं, लेकिन अभी तक कहीं कोई बात नहीं बनी. हम लोग बुद्धा पार्क के पास जिस कपिल के पास फास्टफूड खाने जाते हैं, वह मुझे सही लगा. तुम उस से बात कर के देखो.’’

शिवकुमार को पत्नी की चाल का पता नहीं था. उसे कपिल अच्छा लड़का नजर आया, क्योंकि वह अच्छा कमा रहा था. उस ने सोचा कि अगर रिंकी की शादी कपिल से हो जाएगी तो वह सुख से रहेगी.

सोचविचार कर शिवकुमार ने कपिल के सामने अपनी साली रिंकी के साथ शादी का प्रस्ताव रखा. इस पर कपिल ने कहा कि पहले वह लड़की को देखेगा, उस के बाद ही कोई जवाब देगा. निर्धारित समय पर रीनू ने अपने घर पर ही लड़की दिखाने का प्रोग्राम निश्चित कर लिया.

कपिल अपने घर वालों के साथ रीनू के घर पहुंचा. उन्होंने लड़की को पसंद कर लिया. आगे की बातचीत करने के बाद रिंकी से कपिल की शादी हो गई. यह करीब डेढ़ साल पहले की बात है. शिवकुमार ने साली की शादी में दिल खोल कर पैसा खर्च किया.

रिंकी से शादी हो जाने के बाद कपिल का रीनू के घर आनाजाना बढ़ गया. अब दोनों रिश्तेदार हो गए थे, इसलिए दोनों के रिश्ते पर किसी को शक नहीं हुआ. लेकिन गलत काम ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाता. एक न एक दिन पोल खुल ही जाती है.कोरोना महामारी के बाद पूरे देश में लौकडाउन लग गया. लौकडाउन लगने के बाद कपिल का फास्टफूड का काउंटर भी बंद हो गया था. इस के बाद वह अकसर रीनू के घर पर ही पड़ा रहने लगा.

शिवकुमार को शक हुआ कि वह उस के घर पर ही क्यों पड़ा रहता है. उस ने कपिल पर निगाह रखनी शुरू कर दी. अपनी पत्नी और कपिल के व्यवहार से शिवकुमार को शक हो गया कि दोनों के बीच जरूर कोई चक्कर चल रहा है.

शिवकुमार की नजरों में चढ़ा कपिल

इस बारे में उस ने पत्नी से बात की तो रीनू ने उसे समझाया कि लौकडाउन में काम बंद पड़ा है, इसलिए कपिल यहां आ जाता है.

लेकिन शिवकुमार पत्नी की इस बात से संतुष्ट नहीं हुआ. तब उस ने पत्नी के साथ सख्ती बरती. उस ने अपने साढ़ू कपिल से भी कह दिया कि वह घर न आया करे.

पति की यह बात रीनू को बहुत बुरी लगी. वह कपिल के पक्ष में खड़ी हो गई. उस ने कहा कि जब ये हमारे रिश्तेदार हैं तो इन्हें आने से कैसे रोक सकते हैं. इस बात को ले कर शिवकुमार और कपिल के बीच कई बार झगड़ा हुआ. इस के बाद भी कपिल ने रीनू के पास आना बंद नहीं किया. शिवकुमार रात को जब अपनी ड्यूटी पर चला जाता, कपिल उस के घर पहुंच जाता था.

19-20 जून, 2020 की रात को करीब 12 बजे शिवकुमार अपनी ड्यूटी पर चला गया. पति के जाते ही मीनू ने फोन कर के कपिल को घर बुला लिया. इस के बाद दोनों अपनी हसरतें पूरी करने में जुट गए.

उधर 3-4 घंटे में पानी का टैंक भरने के बाद शिवकुमार सुबह करीब 4 बजे घर लौट आया. दरवाजा खुलवाने के लिए उस ने रीनू को आवाज दी. लेकिन वह कपिल के साथ रंगरलियां मना रही थी. शिवकुमार की आवाज सुन कर दोनों हड़बड़ा गए.

अपने कपड़े संभालती हुई रीनू दरवाजा खोलने आई. उस समय शिवकुमार शराब के नशे में था. उस ने कमरे में कपिल को देखा तो आगबबूला हो गया. उसे समझते देर न लगी कि कमरे में क्या हो रहा था.

गुस्से में आगबबूला शिवकुमार कपिल से भिड़ गया. रीनू उस का बचाव करने के लिए सामने आई, तो शिवकुमार ने पत्नी को भी गालियां दीं. शोरशराबा हुआ तो रीनू और कपिल को विश्वास हो गया कि अब उन की पोल खुल जाएगी. लिहाजा दोनों ने एकदूसरे की ओर देख कर आंखों ही आंखों में इशारा कर एक षडयंत्र रच लिया.

फंस गया शिवकुमार

इस षडयंत्र के तहत कपिल ने शिवकुमार को बिस्तर पर गिरा लिया और उस के सीने पर सवार हो गया. तभी रीनू ने तकिया उठा कर कपिल को दे दिया.

कपिल ने तकिया शिवकुमार के मुंह पर रख कर जोरों से दबाया. रीनू ने पति के पैर दबा रखे थे. सांस घुटने से कुछ ही देर में शिवकुमार की मौत हो गई.

खुद को बचाने के लिए दोनों ने  शिवकुमार की लाश गली में डाल दी. वह कहीं जीवित न रह जाए, इसलिए कपिल ने गली में पड़ी एक ईंट से शिवकुमार के सिर को बुरी तरह से कुचल दिया.

इस काम को अंजाम देने के बाद कपिल अपने घर चला गया. सुबह करीब 5 बजे जब शिवकुमार की मौसी वीरवती घर से सैर के लिए निकलीं, तब उन्होंने गली में शिवकुमार की लाश देखी. इस के बाद उन्होंने शोर मचा कर हत्या की जानकारी घर वालों को दी.

कपिल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने रीनू को भी गिरफ्तार कर लिया. रीनू ने भी पुलिस के सामने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने 23 जून,2020 को कपिल कुमार उर्फ मोनू और रीनू को शिवकुमार की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित