पत्नी और प्रेमी के प्यार में पिसा करन – भाग 3

“अगला जन्म किस ने देखा है अनुराग, मैं इसी जन्म में तुम्हारी दुलहन बनूंगी. तुम मेरा पहला और आखिरी प्यार हो. मेरे प्यार की कहानी तुम से शुरू हुई थी और तुम पर ही जा कर खत्म होगी.” राधा ने कहा और आगे झुक कर उस ने भावावेश में अनुराग के होंठ चूम लिए. वह फिर पार्क में नहीं रुकी. पार्क से बाहर निकलते वक्त उस की आंखों में आंसू झिलमिला रहे थे.

दुलहन के रूप में करन की मौत बन कर आई राधा

9 मई, 2022 को राधा और करन भदौरिया की धूमधाम से शादी हो गई. राधा भदौरिया खानदान की बहू बन कर कोट पोरसा में आ गई. अब यह राधा की ससुराल थी और करन उस का सुहाग. विवशता में राधा ने यह विवाह किया था, वह अनुराग के साथ अपने प्रेम और उसी से विवाह करने की बात मांबाप के सामने जुबान पर नहीं ला पाई. उस ने करन भदौरिया से शादी का विरोध करने का साहस भी नहीं जुटाया और बुझे मन से शादी की रस्में निभाते हुए करन के साथ सात फेरे ले लिए.

सुहागसेज पर करन ने अपना हक मांगा तो अनुराग की छवि मन में बसा कर खुद को करन के हवाले कर दिया. उस का मन तड़प रहा था और आंखों में नमी थी, जिसे करन नहीं देख पाया. एक सप्ताह वह राधा के साथ मौजमस्ती करता रहा. राधा भरे मन से उस की खुशियों की भागीदार बनती रही. 8वें दिन करन अपनी नौकरी पर विजयवाड़ा चला गया तो राधा ने चैन की सांस ली. उसे ऐसा लगा जैसे लंबी कैद काट कर वह आजाद हुई है.

करन विजयवाड़ा की टोल प्लाजा कंपनी में काम करता था. शुरूशुरू में वह 15 दिन में एक बार कोट पोरसा पत्नी राधा के मोह में आता रहा, फिर यह सिलसिला रुक गया. कारण कंपनी ने उस की ज्यादा नागा का नोटिस ले लिया था, उन्होंने करन को हिदायत दी थी कि वह मन लगा कर काम करे, ज्यादा छुट्टी लेने पर कंपनी का नुकसान होगा. करन मन मार कर रह गया था.

11 फरवरी, 2023 को रघुसिंह भदौरिया बड़ी बेचैनी से घर के आगे टहल रहे थे. उन की निगाहें सामने वाली उस सडक़ पर जमी थीं, जो कोट परोसा बाजार हो कर उन के दरवाजे की ओर आती थी. रघुसिंह को अपने बेटे करन के आने का इंतजार था.

करन हुआ अचानक लापता

करन ने दोपहर में उन्हें सूचना दे दी थी कि वह सकुशल विजयवाड़ा से ग्वालियर आ गया है और 2 बजे तक घर पहुंच जाएगा. लेकिन अब शाम के 6 बज रहे थे. करन का न फोन आया था, न वह खुद घर पहुंचा था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा था. रघुसिंह भदौरिया को घबराहट होने लगी थी.

वह पागलों की तरह बेटे की राह देख रहे थे कि उन का बड़ा बेटा अर्जुन घर आ गया. रघुसिंह भदौरिया ने उसे करन के अभी तक घर न आने की बात बताई तो वह भी परेशान हो गया. उस ने अपने सभी रिश्तेदारों को फोन कर के करन के विषय में पूछा, सभी से एक ही बात सुनने को मिली कि करन उन के घर नहीं आया है. फिर तो अर्जुन भी घबरा गया.

वह रात जैसेतैसे उन्होंने आंखों में काटी, सुबह रघुसिंह बड़े बेटे अर्जुन को ले कर थाना गोहद चौराहा पहुंच गए. एसएचओ उपेंद्र छारी ने दोनों की बदहवास हालत देख कर उन्हें पानी पिलवाया और उन के थाने आने का कारण पूछा.

“साहब, मेरा छोटा बेटा करन भदौरिया विजयवाड़ा से अंडमान एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ कर कल दोपहर को ग्वालियर स्टेशन पर उतरा था. उस का फोन तब चालू था, उस ने मुझे बताया था कि वह 2 बजे तक घर आ जाएगा. लेकिन वह अभी तक घर नहीं पहुंचा है. उस का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है. मुझे बहुत घबराहट हो रही है, आप मेरे बेटे की तलाश करवाइए.”

“आप अपनी रिपोर्ट लिखवा दीजिए और अपने बेटे की फोटो दे दीजिए. मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आप के बेटे का पता चल जाए.” एसएचओ ने उन्हें आश्वासन देते हुए कहा.

रघुसिंह ने बेटे करन की गुमशुदगी दर्ज करा दी

एसएचओ उपेंद्र छारी ने करन की गुमशुदगी को बड़ी गंभीरता से लिया. उन्होंने भिंड जिले के सभी थानों में करन की फोटो फ्लैश कर के उन से करन को तलाश करने में मदद मांगी. लेकिन 2 दिन बीत जाने पर भी करन की कोई सूचना नहीं मिली. करन का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिया गया था, लेकिन वह मोबाइल स्विच्ड औफ था.

रघुसिंह से उन्होंने करन और उस की पत्नी राधा का मोबाइल नंबर लेकर सर्विलांस की मदद से उस की काल डिटेल्स निकलवाई तो वह चौंक गए. करन की पत्नी राधा के मोबाइल से एक नंबर पर इन 9 महीनों में 12,375 बार फोन किया गया था. इस नंबर की जांच की तो यह नंबर भिंड जिले में चतुर्वेदी नगर के रहने वाले अनुराग चौहान का निकला.

“यह अनुराग कौन है?” एसएचओ ने रघुसिंह को थाने बुला कर पूछा.

“मैं नहीं जानता साहब,” रघुसिंह ने सिर हिलाया.

“आप की बहू का चुतुर्वेदी नगर में कोई रहता है क्या? आप की बहू ने यहां रहने वाले अनुराग चौहान से शादी के बाद से 12,375 बार फोन किया है.”

“चतुर्वेदी नगर में तो राधा की मौसी रहती है साहब. उन का कोई बेटा नहीं है, पति भी कभी का स्वर्गवासी हो गया है.” रघुसिंह ने बताया.

“हं. मुझे अब करन की तलाश करने के लिए रास्ता मिलने लगा है. आप घर जाइए, करन के बारे में अब जल्दी पता चल जाएगा.” एसएचओ ने रहस्यभरी आवाज में कहा.

रघुसिंह के जाने के बाद एसएचअे उपेंद्र छारी ने एसआई शिवप्रताप राजावत, वैभव तोमर, कल्याण सिंह यादव और एएसआई सत्यवीर सिंह को रघुसिंह के घर के आसपड़ोस में रहने वाले लोगों से राधा के विषय में गुप्त तरीके से जानकारी जुटाने के लिए भेज दिया.

पत्नी और प्रेमी के प्यार में पिसा करन – भाग 2

उस के कंधों को पकड़ कर उस ने उसे अपनी तरफ घुमाया तो राधा का पूरा जिस्म कांप गया. किसी अंजान पुरुष का पहला स्पर्श था यह, वह रोमांच से भर गई.

“मेरी तरफ देखो राधा,” अनुराग प्यार से उस की ठोड़ी ऊपर उठाते हुए बोला, “मेरी आंखों में देखो राधा, इन में तुम्हारी छवि बस गई है. मैं तुम्हें पहले से जानता हूं, लेकिन कल शाम को तुम्हें देख कर मेरे दिल ने अंगड़ाई ली है, यह तुम्हें चाहने लगा है. क्या तुम मुझे अपने दिल में थोड़ी सी जगह दोगी राधा?”

“हां.” राधा के थरधराते होंठों से स्वयं निकल गया.

खुशी से अनुराग ने उस का चेहरा ऊपर उठाया और माथा चूमते हुए बोला, “आज मेरी उड़ानों को तुम्हारे प्याररूपी पंख लग गए हैं. राधा, मैं तुम्हें शिद्दत से प्यार करूंगा, तुम्हें अपनी रानी बनाऊंगा.”

राधा का जिस्म प्यार के इस पहले अहसास के रोमांच से भर गया था, वह अनुराग के साथ सटी कांप रही थी. अनुराग उस से प्यार भरे वादे करता रहा और फिर उसे छोड़ कर कब चला गया, पता ही नहीं चला. उसे होश आया तो वह अपनी दशा पर लजा गई. पलंग पर औंधी लेट कर वह अनुराग के खयालों में खोती चली गई.

छूट गया राधा का प्यार

राधा के दिल में अनुराग रचबस गया था. राधा की मौसी मध्य प्रदेश के भिंड जिले के चतुर्वेदी नगर में रहती थी और राधा इटावा शहर में. अनुराग से प्यार हुआ तो राधा बारबार मौसी के घर भिंड आने लगी. अनुराग मौसी के पड़ोस में ही रहता था, इसलिए उस से बात करने में राधा को परेशानी नहीं होती थी. उन्हें बाहर जाना होता था तो आंखों ही आंखों में इशारा कर के वे शहर की रमणीक जगहों पर पहुंच जाते. घटों वहां बैठ कर प्यार की बातें करते, भविष्य के तानेबाने बुनते.

अनुराग ने राधा से वादा किया था कि प्रतियोगिता परीक्षा में पास होने के बाद वह नौकरी करेगा, फिर उस से शादी कर लेगा. राधा को अनुराग पर पूरा विश्वास था, वह पति के रूप में अनुराग को ही पाना चाहती थी. दोनों प्यार के सफर में मन से ही नहीं, तन से भी एक हो गए थे. राधा की मौसी जब किसी काम से बाहर जाती थी तो अनुराग और राधा अपने तन की प्यास बुझा लेते थे. अनुराग को अपना तन सौंप देने के बाद राधा ने उस से वादा ले लिया था कि वह उसे ही अपनी दुलहन बनाएगा.

अनुराग भी दिल से राधा को प्यार करता था, उसे इंतजार था अच्छी सी नौकरी का. नौकरी लग जाने के बाद वह अपने प्यार का जिक्र घर में मां, पिताजी से कर के राधा को बहू के रूप में स्वीकार कर लेने की जिद कर सकता था. अभी वह पिता सबल सिंह की कमाई पर जी रहा था. नौकरी पा लेने के बाद घर वाले उस की बात को नहीं टाल सकते थे.

इंतजार में कब 4 साल गुजर गए, दोनों को पता ही नहीं चला. प्रेम प्रसंग की कहानी ऐसे ही चलती रही. दोनों का प्यार परवान चढ़ चुका था. अभी तक उन के लव अफेयर्स की भनक किसी को नहीं लगी थी. राधा की मौसी की अनुराग की मां से गहरी छनती थी. दोनों एकदूसरे के दुखसुख में साथ खड़ी रहती थीं. यही वजह थी कि अनुराग बेधडक़ राधा की मौसी के घर में आताजाता था. राधा ग्रैजुएशन कर रही थी. अनुराग उस को किसी सब्जेक्ट में उलझ जाने पर समझाता था. दोनों साथसाथ बैठ कर पढ़ते थे. इसी बहाने उन्हें प्यार करने का मौका मिल जाता था, किसी को अभी तक यह समझ नहीं आया था कि उन दोनों के बीच क्या चल रहा है.

कहते हैं कि इश्क और मुश्क लाख परदे में छिप कर किया जाए, उजागर हो ही जाता है, उन के प्यार की महक भी आसपास फैलने लगी. धीरेधीरे यह राधा की मौसी को भी मालूम हो गया कि राधा और अनुराग के बीच प्यार की खिचड़ी पक रही है.

जवान लडक़ी का मामला था. ऊंचनीच हो जाएगी तो वह अपनी बहन जीजा को क्या जवाब देगी. मौसी ने राधा को सख्त हिदायत दे दी और उस की मां को कह दिया कि वह अब उस के घर कभी नहीं आएगी. मां को राधा का अनुराग से प्यार होने की बात बता कर उसे भी चेता दिया कि वह आईंदा राधा को चतुर्वेदी नगर न भेजे.

राधा की हरकतें जान लेने के बाद राधा की मां ने पति के कान में बात डाल कर दबाव बनाया कि वह राधा के लिए कोई अच्छा सा लडक़ा देख कर उस की शादी कर दें. राधा के पिता ने राधा के लिए लडक़ा देखने के लिए भागदौड़ शुरू कर दी. शीघ्र ही भिंड जिले के कोटपोरसा निवासी रघुवीर सिंह भदौरिया के बेटे करन भदौरिया को उन्होंने राधा के लिए पसंद कर लिया और 9 मई, 2022 का दिन शादी के लिए पक्का कर दिया.

राधा को पता चला तो वह तड़प कर रह गई. वह मौसी के घर अब नहीं जा सकती थी, इसलिए फोन करके उस ने अनुराग को इटावा बुला लिया. राधा इटावा में थी और अनुराग भिंड के चतुर्वेदी नगर में, इसलिए राधा के घरवालों ने राधा पर कोई पाबंदी नहीं लगा रखी थी.

प्रेमी को बताया दिल का हाल

राधा ने बाजार से अपने लिए कुछ जरूरी सामान लाने का बहाना बनाया और शहर में स्थित सुभाष पार्क में पहुंच गई. अनुराग को उस ने वहीं बुलाया था. अनुराग पार्क में आ गया था. वे दोनों पार्क के कोने में बैठ गए. “राधा, ऐसी क्या बात हो गई जो तुम ने मुझे इटावा बुला लिया. सब ठीक तो है न?” राधा का हाथ अपने हाथों में ले कर अनुराग ने हैरान होते हुए पूछा.

“कुछ ठीक नहीं है अनुराग. मेरे पिता ने…” राधा रुआंसे स्वर में बोली, “कोट पोरसा में मेरा रिश्ता पक्का कर दिया है, 3 दिन बाद मेरी शादी है. मैं यह शादी हरगिज नहीं करूंगी. तुम मुझे यहां से भगा कर ले चलो.”

“नहीं राधा, यह संभव नहीं है. चतुर्वेदी नगर में हमारे प्यार के चर्चे घरघर में हो रहे हैं, मेरे पिता इस मामले में मेरी क्लास ले चुके हैं. उन्होंने चेतावनी दे दी है कि यदि मैं ने तुम से शादी की तो वह मुझे अपनी जमीनजायदाद से बेदखल कर देंगे. राधा, मैं अपने पिता के खिलाफ नहीं जा सकता.”

“यानी तुम्हें अपनी जमीनजायदाद से प्यार है, मुझ से नहीं?” राधा ने अनुराग को घूरा.

“ऐसी बात नहीं है राधा, मैं तुम्हें दिल की गहराई से प्यार करता हूं. यदि मैं ने पिता की मरजी के खिलाफ शादी की तो मैं सडक़ पर आ जाऊंगा. अभी मैं बेरोजगार हूं, मैं खुद भूखा रह सकता हूं राधा, तुम्हें भूखा नहीं देख पाऊंगा.”

“क्या मुझे दूसरे की दुलहन बनते देख कर तुम जी पाओगे अनुराग?” भर्राए कंठ से राधा बोली.

“इसे मेरी बदकिस्मती समझो राधा, इस जन्म में हम बेशक नहीं मिल पाएंगे, लेकिन अगले जन्म में मैं तुम्हें दुलहन जरूर बनाऊंगा.”

प्रेमिका बनी ब्लैकमेलर – भाग 1

3 मई, 2023 को रात के कोई साढ़े 9 बजे का वक्त रहा होगा. उसी दौरान पुलिस हैडक्र्वाटर से पुलिस को सूचना मिली कि मुलताई कस्बे के गांधी वार्ड के नागपुर चौक पर एक युवती की गला रेत कर हत्या कर दी गई है. युवती की लाश सडक़ पर पड़ी हुई है. मुलताई कस्बा मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के अंतर्गत आता है.

हत्या की सूचना मिलते ही मुलताई थाने की टीआई प्रज्ञा शर्मा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गई. घटनास्थल पर पहुंचते ही टीआई प्रज्ञा शर्मा ने सब से पहले घटनास्थल का मुआयना किया. युवती की गला रेत कर बड़ी ही बेरहमी से हत्या की गई थी. घटनास्थल पर सडक़ के बीचोंबीच युवती का शव पेट के बल पड़ा हुआ था. उस के पास ही एक स्कूटी और उस का अन्य सामान भी बिखरा पड़ा था.

घटनास्थल का मुआयना करने के बाद प्रज्ञा शर्मा ने इस सब की जानकारी एसडीओपी नम्रता सोंधिया तथा बैतूल एसपी प्रतीक चौधरी को भी दे दी थी. सरेआम भीड़भाड़ वाले इलाके में बीच सडक़ पर युवती की हत्या कर दिए जाने का मामला बेहद ही गंभीर था. यही कारण था कि युवती की हत्या की सूचना पाते ही सारे पुलिस उच्चाधिकारी मौके पर पहुंच गए थे.

उस वक्त तक मार्केट की ज्यादातर दुकानें बंद हो चुकी थीं. बाकी दुकानदार पुलिस को देख कर अपने शटर गिरा कर चलते बने थे. पुलिस ने आसपास खुल रही दुकान वालों से उस युवती की हत्या के बाबत जानकारी लेनी चाही तो किसी ने अपना मुंह तक नहीं खोला, लेकिन उस की शिनाख्त जल्दी ही हो गई. युवती मुलताई के नेहरू नगर के इलाके में रहने वाली अफजल शेख की बेटी सिमरन शेख थी. जानकारी मिलते ही पुलिस ने उस की हत्या की जानकारी उस के घर वालों को देते हुए तुरंत घटनास्थल पर पहुंचने को कहा.

कैमरे में रिकौर्ड नहीं हो पाई वारदात

युवती की हत्या किस ने और क्यों की? यह बात न तो उस के घर वालों को पता था और न ही पुलिस को पता लग पा रहा था. उस वक्त तक मार्केट पूरी तरह से बंद हो चुकी थी. तब पुलिस ने अपनी अपनी काररवाई पूरी कर उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

इस के बाद पुलिस इस केस की जांच में जुट गई. पुलिस ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे चैक किए. लेकिन पुलिस को इस से भी कोई सफलता नहीं मिली, क्योंकि सीसीटीवी कैमरे के सामने एक बड़ी गाड़ी खड़ी थी. जिस के कारण वह वारदात कैमरे में रिकौर्ड नहीं हो पाई थी. उस के बाद पुलिस ने देखा कि घटनास्थल के ठीक सामने हनीफ मियां की अंडों की दुकान थी, जो हर रोज देर रात 10 बजे तक खुली रहती थी.

पुलिस को लगा कि घटना के वक्त हनीफ मियां की दुकान जरूर खुल रही होगी. शायद उन्हीं से इस मामले में कुछ जानकारी हासिल हो सके. यह सोचते ही पुलिस ने दुकान पर लिखे मोबाइल नंबर को डायल किया तो किसी ने फोन नहीं उठाया. पुलिस ने 1-2 बार नहीं कई बार उसी नंबर को रिडायल किया. लेकिन वह फोन नहीं उठा.

फोन न उठने के कारण पुलिस को उसी दुकानदार पर कुछ शक हुआ. पुलिस हनीफ मियां का पता पूछतेपूछते उस के घर पर पहुंच गई. वह घर पर ही मिल गए. पुलिस ने हनीफ मियां से उस घटना को ले कर जानकारी जुटानी चाही तो उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया कि उन की दुकान बहुत पहले ही बंद हो गई थी. उस के बाद वहां पर कब, क्या हुआ, उन्हें कोई जानकारी नहीं.

शक के घेरे में आया शनीफ

उसी पुलिस पूछताछ के दौरान पुलिस को गुप्तरूप से जानकारी मिली कि शाम के वक्त ज्यादातर उन का बेटा शनीफ दुकान पर बैठता था. पुलिस ने हनीफ मियां से शनीफ के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि वह दुकान से आने के बाद अकसर अपने दोस्तों के पास चला जाता है. हो सकता है कि वह अपने दोस्तों के पास ही होगा. पुलिस ने हनीफ मियां से उस का मोबाइल नंबर ले कर डायल किया तो वह बंद मिला.

शनीफ का मोबाइल बंद पा कर पुलिस को पूरा शक हो गया कि इस हत्या के बारे में उसे जरूर जानकारी रही होगी. तभी उस ने अपना मोबाइल बंद कर लिया है. उसी शक के आधार पर पुलिस उस की तलाश में जुट गई, लेकिन उस का कहीं भी पता नहीं चला. उस के बाद पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए मुखबिर लगा दिए. मुखबिर की सूचना पर शनीफ जल्दी ही पकड़ में आ गया. पुलिस पकड़ में आते ही वह बुरी तरह से घबरा गया था. पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने ले आई.

चूंकि शनीफ ने सरेआम घटना को अंजाम दिया था, जिस को वहां मौजूद काफी लोग देख रहे थे. वह जानता था कि पुलिस के आगे उस की एक नहीं चलने वाली. यही सोच कर उस ने जल्दी ही सब कुछ साफसाफ उगल दिया. शनीफ ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि सिमरन शेख उसे ब्लैकमेल कर उसे बरबाद करने पर तुली थी. जिस के कारण ही उसे यह कदम उठाना पड़ा.

हत्या का अपराध स्वीकारते ही पुलिस ने उस की निशानदेही से हत्या में प्रयुक्त मीट काटने वाला छुरा भी बरामद कर लिया. साथ ही उस के द्वारा घटना के वक्त पहने कपड़े भी पुलिस ने बरामद कर लिए.

कौन थी सिमरन शेख? और उस की जानपहचान शनीफ से कैसे हुई? जानने के लिए हमें इस दिलचस्प कहानी के अतीत में जाना होगा.

सोशल मीडिया की दीवानी हुई सिमरन शेख

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में पड़ता है एक कस्बा मुलताई. सिमरन इसी कस्बे के नेहरू नगर में रहने वाले अफजल शेख की बेटी थी. सिमरन शेख बचपन से ही चंचल थी. उस के नैननक्श उस की सुंदरता का स्वयं ही बखान करते थे. यही कारण था कि वह अपनी सुंदरता और चंचलता के कारण सभी की चहेती बन गई थी.

अफजल शेख की एक बहन थी फातिमा. फातिमा के कोई बच्चा नहीं था. सिमरन से वह बहुत ही प्रभावित थी. जब से सिमरन ने जन्म लिया था, उस की निगाहें उसी पर गड़ी रहती थीं. एक दिन मौका मिलने पर उस ने अपने भाई अफजल से उस प्यारी सी गुडिय़ा को लेने की चाहत जाहिर की. अफजल अपनी बहन की इस मांग को मना नहीं कर सके और उन्होंने सिमरन को उस के हवाले कर दिया. सिमरन की बुआ उसे ले कर अपने घर चली आई और प्यार से उस का पालनपोषण करने लगी.

पत्नी और प्रेमी के प्यार में पिसा करन – भाग 1

आज सुबह से दोपहर तक खूब धूप खिली थी. दोपहर को अचानक आसमान में काले बादल उमड़ आए, तेज हवा चलने लगी और अंधेरा छा गया तो राधा दौड़ कर छत पर गई और सूखने को डाले गए कपड़ों को समेट कर नीचे आ गई. मौसी रसोई में थी. राधा ने कपड़ों की तह करते हुए कहा, “मौसम अचानक से खराब हो गया है मौसी. बारिश पड़ेगी.”

“अरी, छत पर जा कर कपड़े समेट ला, भीग जाएंगे.” रसोई में से ही मौसी ने राधा को चेताया.

“कपड़े तो समेट लाई हूं मौसी,” राधा मुसकरा कर बोली, “अब तो बारिश में भीगने को दिल चाह रहा है.”

“तो भीग ले. मैं मौसम का मिजाज भांप गई थी, तभी बेसन घोल कर पकौड़े बनाने बैठ गई हूं.” मौसी ने बताया तो राधा दोनों पैरों पर उछल पड़ी. खुशी से वह चहकी, “बारिश में गरमागरम पकौड़े, वाह मौसी! मजा आ जाएगा.”

राधा सीढिय़ों की तरफ लपकी, “आप पकौड़े बनाइए मौसी, मैं थोड़ा सा भीग लेती हूं.”

“ठीक है,” मौसी रसोई घर में हंस पड़ी और खुद से ही बोलने लगी, “यह जवानी के दिन भी बड़े हसीन और रोमांचकारी होते हैं, मैं भी तो राधा की उम्र में ऐसी ही बारिश में छत पर खूब नहाती थी.” मौसी गरदन झटक कर पकौड़े तलने में व्यस्त हो गई.

राधा छत पर जैसे ही पहुंची, बारिश की मोटीमोटी बूंदों ने उस का स्वागत किया. राधा छोटे बच्चे की तरह खुशी से उछलती हुई बारिश में भीगने का आनंद लेने लगी. मोटी बूंदों ने पल भर में ही उसे ऊपर से नीचे तक भिगो दिया तो कपड़े उस के बदन से चिपक गए और उस पर चढ़ी जवानी के उभार उसके शरीर से चिपक गई कुरती से स्पष्ट नुमाया होने लगे.

उसी वक्त साथ वाली छत पर अनुराग चौहान बारिश का आनंद लेने के लिए आया तो भीगी हुई राधा के जिस्म पर नजर पड़ते ही वह ठगा सा अपलक राधा को निहारता रह गया. राधा ने पहली आहट में ही पलट कर अनुराग को छत पर आते देख लिया था. अनुराग की नजरों को अपने सीने पर टिकी देख कर वह घबरा गई. उसे डपटते हुए बोली, “बड़े बेशरम हो तुम, कोई ऐसे किसी लडक़ी को देखता है क्या, नजरें घुमाओ.”

“कमाल है! तुम खुद ही तो अजंता की मूरत जैसी खड़ी हो और दोष मुझे दे रही हो.” अनुराग चिढ़ कर बोला, “नीचे चली जाओ.”

राधा झेंप गई. अपनी गलती पर दूसरों को डांटने का कोई अधिकार उसे नहीं बनता था. अपने दोनों हाथ सीने पर बांध कर वह तेजी से अपनी छत से नीचे उतर आई.

पहले प्यार का एहसास

उस की सांसें इस वक्त धौंकनी की तरह चल रही थीं. अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करती हुई वह तौलिया ले कर बाथरूम में घुस गई. बदन पोंछ कर उस ने कपड़े बदले तो वह खुद से लजाने लगी. उसे लग रहा था कि अनुराग की नजरें अभी भी उस के सीने से चिपकी हुई हैं.

अनुराग चौहान उस की मौसी के पड़ोस में ही रहता था. राधा उसे बहुत पहले से जानती थी. राधा को यह भी पता था कि अनुराग प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है. मौसी ने ही बताया था कि अनुराग बहुत हंसमुख और सीधा लडक़ा है, वह पढऩे में व्यस्त रहता है, किसी से फालतू नहीं बोलता. हां, मैं कोई काम बताती हूं तो मना नहीं करता.

“कोई सीधा नहीं होता, लडक़ी देखी नहीं कि लगे फिसलने.” राधा होंठों में बुदबुदाई फिर बालों में तौलिया लपेटती हुई रसोई में घुस गई. गरमगरम बेसन के पकौड़ों की खुशबू से रसोई महक रही थी. अनुराग का खयाल झटक कर राधा पकौड़ों का आनंद लेने लगी.

रात भर छत वाला खयाल राधा के तनमन को विचलित करता रहा, वह ठीक से सो नहीं पाई. सुबह उठी तो उस की आंखें लाल थीं. मौसी ने देखा तो चौंक पड़ी, “क्या हुआ राधा, तेरी तबियत तो ठीक है न?”

“ठीक है मौसी,” जम्हाई लेते हुए राधा मुसकराई.

“तेरी आंखें लाल हो रही हैं, इसलिए पूछ रही हूं. अगर कुछ परेशानी महसूस कर रही है तो डाक्टर से दवा ले आ.”

“मैं एकदम भलीचंगी हूं मौसी. शाम को बारिश में ज्यादा भीग गई, इसलिए आंखें लाल हो गई हैं.” राधा ने कहा और फ्रैश होने के लिए टायलेट में घुस गई. नहाधो कर राधा ने नाश्ता किया.

आज उस की हिम्मत घर से बाहर निकलने की नहीं हो रही थी. साफसफाई का काम मौसी ने ही किया. दोपहर तक काम निपटा कर मौसी ने खाना खाया, राधा को भी परोस दिया फिर बोली, “मैं बाजार जा रही हूं राधा, घर के लिए कुछ सामान लाना है. घर या दरवाजा बंद कर के पढ़ाई करना.”

“अच्छा मौसी,” राधा ने सिर हिला कर कहा.

मौसी थैला ले कर घर से निकली तो राधा ने दरवाजे की सांकल अंदर से लगा ली और कमरे में आ कर कोर्स की किताब निकाल कर पढऩे बैठ गई. उस ने अभी किताब खोली ही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई. राधा उठ कर दरवाजे पर आ गई. सांकल खोलने से पहले उस ने पूछा, “कौन है बाहर?”

“मैं हूं राधा, अनुराग, दरवाजा खोलो.” अनुराग का स्वर राधा के कानों में पड़ा तो वह घबरा गई.

“मौसी बाजार गई है अनुराग…मैं…”

अनुराग ने बात पूरी नहीं होने दी, “मुझे मालूम है राधा, तभी तो मैं आया हूं. दरवाजा खोल दो प्लीज.” अनुराग ने गिड़गिड़ाकर कहा.

‘मुझे अकेली देख कर आया है, क्या मंशा है अनुराग की.’ राधा के मन में खयाल उठा. लेकिन न जाने अनुराग की आवाज में क्या कशिश थी कि राधा ने सांकल खोल दी. अनुराग अंदर आ गया. राधा को उस के चेहरे की तरफ देखने की हिम्मत नहीं हुई, वह तेजी से पलटी और अपने कमरे में आ गई. अनुराग भी उस के पीछे कमरे में आ गया.

“…तुम जान चुके हो कि मौसी बाजार गई हैं, फिर क्यों आए हो?” राधा ने उस की ओर पीठ किए ही कांपती आवाज में पूछा.

“राधा, मैं रात भर ठीक से नहीं सो पाया हूं.” अनुराग ने बगैर कोई भूमिका बांधे दिल की बात कह डाली, “तुम्हारा बारिश में भीगा बदन देख लेने के बाद भला नींद कैसे आती. तुम बहुत सुंदर हो राधा, मेरा दिल तुम्हें चाहने लगा है… मैं तुम्हें आई लव यू कहने आया हूं.”

राधा के पूरे जिस्म में सनसनी भर गई. अनुराग उसे प्रपोज कर रहा था. राधा के दिल की धडक़नें तेज होने लगीं. चेहरा लाज से लाल होने लगा, वह कुछ कह नहीं पाई तो अनुराग करीब आ गया.

बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 3

प्रेमीप्रेमिका सहित अन्य आरोपी हुए गिरफ्तार

20 अक्तूबर, 2018 को हरदा पुलिस ने राजेश की हत्या के आरोपी प्रकाश जाट को गिरफ्तार कर लिया. प्रकाश की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त दरांती, खून से सने हुए कपड़े और जूते भी बरामद कर लिए. प्रकाश से पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो उस ने मनीषा से अवैध संबंध होने के चलते पवन, पप्पू और छोटू उर्फ ब्रजेश की मदद से राजेश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. इस आधार पर पुलिस ने मनीषा को भी हिरासत में ले ले कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

6 नवंबर को हरदा पुलिस ने हत्या के 3 अन्य आरोपियों गोलू शर्मा, पवन पुरी और छोटू उर्फ ब्रजेश को भी इंदौर के पास मूसाखेड़ी से गिरफ्तार कर लिया. पति की हत्या के मामले में जब मनीषा को जेल भेज दिया गया तो दोनों बच्चे अपने दादादादी के पास रहने लगे. लेकिन जेल में बंद मां ने बच्चों को वहां से बाल संरक्षण गृह भेजने के लिए आवेदन कर दिया. दोनों बच्चे करीब 6 महीने तक बाल संरक्षण गृह में रहे, इस के बाद बच्चों को दोबारा से दादादादी के पास भेज दिया गया.

अपने बड़े बेटे राजेश की हत्या और बहू के जेल जाने को ले कर पिता रामरज सिंह राजपूत काफी दुखी रहने लगे. उन्हें हरदम मासूम पोतेपोती के भविष्य की चिंता सताया करती थी. बुढ़ापे में अपनी ही बहू के द्वारा बेटे की हत्या करने के सदमे के चलते वह 6 महीने बाद ही दुनिया से चल बसे.

इस पूरे मामले में हत्या का एक कारण मकान का पतिपत्नी के नाम पर होना भी था. मनीषा और प्रकाश के बीच 2 साल से अफेयर चल रहा था. इस की जानकारी राजेश को भी थी, वह किसी भी तरह परिवार को बिखरने नहीं देना चाहता था. उस ने तो यह भी सोच रखा था कि मकान को बेच कर पत्नी और दोनों बच्चों को ले कर कहीं और जा कर बस जाएगा. मगर मनीषा इस बात के लिए राजी नहीं थी. वह तो मकान में से आधा हिस्सा ले कर अपने प्रेमी के साथ रहना चाहती थी. इस बात ने दोनों के बीच विवाद को बहुत गहरा कर दिया था.

मार्च 2022 में मनीषा जमानत पर बाहर आई थी. तब 30 अगस्त, 2022 को हरतालिका तीज के दिन उस ने अचानक घर आ कर परिवार के लोगों को धमकी दे कर कहा, “यह मेरा घर है, इसे तत्काल खाली कर दो, क्योंकि इस पर मेरा हक है. यह मेरे और राजेश के नाम पर है. यदि ऐसा नहीं किया तो एकएक को देख लूंगी.”

कोर्ट के फैसले पर घर वालों को राहत

फिलहाल राजेश के दोनों बच्चे दादी और चाचाचाची के साथ रहते हैं. बेटी 9वीं और बेटा 5वीं क्लास में पढ़ता है. अब वे समझदार हो गए हैं. जब उन्हें पता चला कि मां ने ही उन के सिर से पिता का साया छीना है, तब से वे मां से नफरत करने लगे हैं. दोनों बच्चे अपनी मां से बातचीत तो दूर, उस का चेहरा भी नहीं देखना चाहते हैं.

दोनों छोटे भाइयों ने 5 सालों तक भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष किया है. इस दौरान आरोपियों द्वारा तरहतरह की धमकियां दे कर समझौते के लिए दबाव बनाया गया. कोर्ट के फैसले से राजेश के परिवार को न्याय मिला है. उन का कहना है कि जिन 3 आरोपियों को बरी कर दिया गया है, उन्हें सजा दिलाने के लिए वे फिर से अपील करने का प्रयास कर रहे हैं.

तत्कालीन हरदा थानाप्रभारी सुभाष दरश्यामकर और एसआई ओ.पी. यादव ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. लगभग 4 साल तक न्यायालय में चले इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष से 21 गवाहों को पेश किया गया. 19 मई, 2023 को विशेष सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट अनूप कुमार त्रिपाठी ने 42 पेज के फैसले में राजेश की पत्नी मनीषा और उस के प्रेमी प्रकाश जाट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सजा के बाद प्रकाश को जबलपुर जेल भेज दिया गया, जबकि मनीषा जिला जेल हरदा में है.

न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी ने अपने जजमेंट में लिखा कि त्रुटिपूर्ण जांच के आधार पर अभियोजन अपना प्रकरण शंका से परे मामला सिद्ध नहीं कर पाया, इसलिए अन्य व्यक्तियों को दोष मुक्त किया गया है. बचाव पक्ष की ओर से एडवोकेट राजेश पाराशर, एस.एन. अग्रवाल ( खंडवा), हरिमोहन शर्मा, रमेश चंद शर्मा, अचल पाराशर ने जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से जिला लोक अभियोजक आशाराम रोहित, सहायक लोक अभिायोजक विनोद अहिरवार और एडवोकेट अखिलेश भाटी ने पैरवी की.

कथा कोर्ट के फैसले और जिला लोक अभियोजक आशाराम रोहित से बातचीत पर आधारित. प्रियांशी परिवर्तित नाम है.

बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 2

प्रकाश से हो गया प्यार

इसी दौरान एक दिन मनीषा की पहचान छोटी हरदा में रहने वाले 26 साल के प्रकाश जाट से हुई तो वह रोज उस की दुकान पर आने लगा. 28 साल की गठीले बदन व तीखे नाकनक्श वाली मनीषा 2 बच्चों की मां होने के बाद भी कम उम्र की दिखती थी. तभी तो प्रकाश उसे चाहने लगा था.

एक दिन मौका देख कर प्रकाश ने अपने मन की बात मनीषा से कह दी, “भाभी, तुम कौन सी चक्की का आटा खाती हो, तुम्हारी खूबसूरती देख कर मन में लालच आ ही जाता है.”

“किस बात का लालच तुम्हारे मन में आ रहा है प्रकाश?” अपने हुस्न की तारीफ सुन कर इठलाते हुए मनीषा बोली.

“यही भाभी कि तुम्हारे जैसी लडक़ी मेरे सपनों की रानी होती और मैं उस के साथ…” प्रकाश दिल खोल कर बोला.

“उस के साथ क्या करते…” मनीषा भी शरमाते हुए बोली.

“भाभी, दिल करता है तुम्हें बाहों में भर कर चूम लूं.” बिना लागलपेट के प्रकाश ने मनीषा से कहा.

“कभी तुम्हारी ये हसरत भी पूरी कर दूंगी.” मनीषा ने अपनी तरफ से इजहार करते हुए कहा.

उस के बाद दुकान पर कोई ग्राहक आ गया तो प्रकाश वहां से चला गया, लेकिन इस के बाद तो प्रकाश रातदिन मनीषा के सपनों में ही खोया रहता. बातचीत से शुरू हुआ प्यार का सिलसिला धीरेधीरे अंतरंग मुलाकात में बदल गया. राजेश के घर पर नहीं रहने पर प्रकाश का मनीषा के घर पर भी आनाजाना शुरू हो गया और उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

पत्नी के किसी गैरमर्द से चल रहे प्रेम प्रसंग की जानकारी राजेश राजपूत को भी हो गई. इस बात को ले कर दोनों के बीच विवाद होने लगा. प्रकाश के प्यार में अंधी हो कर मनीषा अपने पति राजेश और दोनों बच्चों तक को छोडऩे के लिए तैयार हो गई. राजेश अपने बच्चों के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा. उस ने परिवार को टूटने से बचाने के लिए प्रकाश और मनीषा को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे समझने को तैयार ही नहीं थे.

मनीषा राजेश से तलाक मांगने लगी, लेकिन राजेश बच्चों की खातिर उसे तलाक नहीं देना चाहता था. तलाक नहीं देने से नाराज प्रकाश और मनीषा ने राजेश की हत्या करने का प्लान बनाया. इस के लिए उन्होंने अपने 3 दोस्तों को इस में शामिल किया और 50 हजार रुपए में राजेश की हत्या की सुपारी दे दी.

अक्तूबर, 2018 में उन दिनों शारदीय नवरात्रि पर्व की धूम हरदा में मची हुई थी. 12 अक्तूबर, 2018 को हरदा में गरबा का कार्यक्रम था. उसी दिन शाम को मनीषा ने अपनी देवरानी आरती को फोन कर के कहा, “आरती, आज बच्चों को ले कर गरबा देखने चलना है, तुम यहीं आ जाना, हम लोगों को राजेश कार से छोड़ देंगे.”

“हां दीदी, मैं 7 बजे तक आप के घर बच्चों को ले कर पहुंच जाऊंगी.” आरती बोली.

उसी दिन शाम 7 बजे राजेश का भाई सुरेंद्र अपनी पत्नी और बच्चों को बाइक से राजेश के घर छोड़ कर खुद गरबा कार्यक्रम में चला गया. कुछ समय बाद राजेश मनीषा, आरती और बच्चों को गरबा कार्यक्रम में छोड़ कर घर लौट आया.

रात के लगभग 9 बजे मनीषा ने सुरेंद्र को बताया, “सुरेंद्र भैया मुझे घर छोड़ दीजिए, भैया का फोन आया है उन्हें घर पर अच्छा नहीं लग रहा.”

सुरेंद्र ने उसी समय अपने दोस्त सुरेंद्र चौहान के साथ भाभी मनीषा को उस के घर भेज दिया.

प्रेमी के साथ बनाई योजना

घर जा कर मनीषा प्रकाश को फोन कर के राजेश का काम तमाम करने की योजना में लग गई. इसी बीच रात के 11 बजे राजेश की बेटी प्रियांशी भी अपने चाचा के साथ गरबा कार्यक्रम से वापस घर आ गई तो मनीषा उसे ऊपर के कमरे में ले गई.

रात के करीब 12 बजे प्रकाश जाट अपने 3 दोस्तों के साथ राजेश के घर पहुंचा. यहां मनीषा ने प्लानिंग के अनुसार पहले से ही दरवाजा खुला रखा था. मनीषा अपने 6 साल के बेटे और 10 साल की बेटी को लेकर ऊपर के कमरे में चली गई थी. उस समय राजेश अपने डेली कलेक्शन का हिसाब बनाने में लगा हुआ था. प्रकाश जाट और उस के साथियों ने भीतर घुसते ही कमरे में बैठे राजेश पर हमला कर दिया. अपने साथ दरांती ले कर आए बदमाशों ने राजेश का गला रेत दिया. कुछ ही देर में तड़पतड़प कर राजेश ने दम तोड़ दिया.

राजेश का घर एकांत में होने और आधी रात होने से लोगों को मर्डर की भनक नहीं लग पाई. दोनों बच्चों ने मारपीट की आवाज सुन कर अपनी मां मनीषा को नीचे चलने को कहा. नीचे 10 साल की बेटी ने प्रकाश को घर से निकलते समय पहचान लिया.

रात करीब एक बजे मनीषा ने देवर नरेंद्र और सुरेंद्र को काल कर रोतेबिलखते हुए बताया, “भैया, जल्दी से घर आ जाओ. 4 नकाबपोश बदमाश राजेश की हत्या कर भाग गए हैं.”

राजेश के दोनों भाई नरेंद्र और सुरेंद्र यह खबर सुनते ही अपने परिवार सहित राजेश के घर पहुंचे. राजेश लहूलुहान औंधे मुंह पड़ा हुआ था. राजेश की हालत देख कर उस के पिता रामरज गश खा कर गिर पड़े. सुरेंद्र उन्हें ले कर अस्पताल चला गया. इस के बाद नरेंद्र ने घटना की सूचना पुलिस को दी.

हरदा पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. पुलिस ने जब मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मनीषा और प्रकाश के अवैध संबंध की वजह से राजेश की हत्या की गई है. 9 साल की नाबालिग बेटी प्रियांशी ने प्रकाश अंकल द्वारा पिता को पीटने की बात बताई थी. इस के बाद पुलिस ने मोबाइल रिकौर्डिंग और काल डिटेल्स निकाली, जिस में पूरी कहानी समझ आ गई.

पुलिस को मिला एक खास औडियो

पुलिस की जांचपड़ताल में यह बात सामने आई कि पिछले कुछ सालों से मनीषा और प्रकाश के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था. पुलिस को 8 मिनट 57 सेकंड का एक औडियो राजेश के मोबाइल फोन में मिला, जिस में राजेश ने प्रकाश को फोन कर के समझाया था. राजेश ने एक दिन प्रकाश को फोन कर के कहा, “राजेश बोल रहा हूं भाई साहब.”

“हां बोलो…” बेरुखी से जबाब देते हुए प्रकाश बोला.

“संडे के रोज आप ने मेरी मिसेज को काल किया था?”

“हां तो… मेरी मनु ( मनीषा) से बात होती है.”

“बात होती रहती है तो आखिर क्या चाहते हो आप, मेरा घर बरबाद क्यों कर रहे हो?”

“हां तो आप को सब बता दिया होगा मनु ने, मेरे पास आप के और उस लडक़ी के वीडियो हैं.” प्रकाश बोला.

“अच्छा तो मेरे वीडियो हैं तो क्या वायरल करना है उन को.”

“मैं वायरल क्यों करूंगा, करना होता तो कब का कर देता. मेरा कोई ऐसा शौक नहीं है, मैं नहीं कर सकता, मेरे पास बहुत पहले से हैं.”

“करो वायरल, मुझे भी पता चले कि मेरा सही में वीडियो है या तुम ब्लैकमल कर रहे हो.” राजेश ने कुरेदते हुए कहा.

“जिस दिन मजबूर हो जाऊंगा, उस दिन वायरल भी कर दूंगा, अभी मैं मजबूर नहीं हूं. मेरी बात मान लो और मनु मुझे दे दो.” प्रकाश ने दोटूक राजेश से कहा.

“तुम को मनु दे दूं तो मेरे बच्चों का क्या होगा, उन्हें किस के भरोसे छोड़ दूं?”

“आप ने किसी दूसरी लडक़ी से रिलेशन बनाने के पहले नहीं सोचा कि 2 बच्चे हैं, पहले सोच लेते तो ये दिन नहीं आते.”

“किस बात का सोचता, किस ने कहा मेरे किसी से रिलेशन हैं. तुम मुझे बेमतलब बदनाम करने पर तुले हुए हो.”

“तुम 5 साल से रिलेशन में हो, मनु से दूरदूर रहना. सारी रिकौर्डिंग है मेरे पास, मनु के सामने आप ने एक्सेप्ट किया था.”

“मैं ने किसी के सामने कुछ एक्सेप्ट नहीं किया, हम सब राजी और मरजी से रह रहे हैं. मेरा किसी से कोई रिलेशन नहीं है, फालतू बात मत करो, मनु को क्यों दे दूं तुम को, अपनी मिसेज को क्यों दे दूं, तुम को मेरे परिवार से क्या लेनादेना है.” गुस्से में तमतमाते हुए राजेश बोला.

“मनु कह देगी तो मान लूंगा, मेरा कोई लेनादेना नहीं है. मेरे चक्कर में तुम उसे मारते हो, मुझे नहीं पता है क्या, कबकब मारा, सब पता है मुझे. इतना लिख कर ले लेना, वो मेरे बिना जी नहीं पाएगी.” प्रकाश बोला.

“अपने परिवार में मैं क्या कर रहा हूं, तुम को आखिर लेनादेना क्या है.”

“मनु नहीं जी पाएगी, यदि उसे कुछ हो गया तो आप भी इस दुनिया में नहीं रहोगे. तू जो मेरी सुपारी दे रहा है न भाई, मुझे सब पता है, तू मुझे मरवाएगा.” प्रकाश ने इल्जाम लगाते हुए कहा.

“तू जबरन मनगढ़ंत बातें बना रहा है, मैं किसे तेरी सुपारी दे रहा हूं, जबरदस्ती की बात कर रहा है. मुझे तो आज मनीषा ने कहा प्रकाश मेरे पीछे लगा हुआ है, मेरे चक्कर काट रहा है, मैं क्या करूं.”

“अच्छा बात करवाओ उस से, करो स्पीकर चालू. मनु ऐसा बोल दे तो मैं कभी मुंह नहीं दिखाऊंगा. उस से पूछ लो, मुझ से प्यार नहीं करती है तो मैं बिलकुल अब नहीं आऊंगा.” प्रकाश ने विश्वास भरे शब्दों में कहा.

“फालतू बात मत कर, ले तू मेरी मिसेज से बात कर.” फोन मनीषा को देते हुए राजेश ने कहा.

“ये क्या बोल रहा है, मैं तेरा पीछा करता हूं? क्या करना है मुझे बता दो, आ रही है मेरे साथ?” प्रकाश ने मनीषा से पूछा.

“उस लडक़ी ने तुम को खुद ही बताया था कि नहीं, तुम्हारे पास उस के वीडियो हैं.” मनीषा फोन पर प्रकाश से बोली.

“तू अपनी बात कर, तुझे उस के साथ रहना है क्या? जमाने भर के उल्टेसीधे सवाल करने की जरूरत क्या है, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं.” राजेश ने झल्ला कर कहा.

“मुझे तो रहना है न तुम्हारे साथ, वो खुद मना कर देगी कि उसे तुम्हारे साथ नहीं रहना है. क्या करना है बोलो, चुप रहने से कुछ होने वाला नहीं है. क्या करना है, मेरे साथ रहना है कि उस के साथ रहना है?” प्रकाश ने मनीषा से कहा.

“मुझे जो कहना था, सब कह दिया. सब कुछ उन्हें बता दिया है कि मुझे प्रकाश के साथ रहना है. मैं तुम्हारे घर गई, वह बात भी मैं ने उन्हें बता दी. एक बात नहीं छिपाई. हमारे बीच शुरू से ले कर अब तक की हर बात बताई है मैं ने.” मनीषा बोली.

“हां, मेरे घर पर 4 बार आई. उसे कह दो हम दोनों खड़े हो जाते हैं वह दोनों को गोली मार दे. साथ में नहीं जीने देगा न तो दोनों को मार दे, हम अपनी इच्छा से मरने के लिए तैयार हैं.” प्रकाश गुस्से में बोला.

“अच्छा है न, ये लो खुद ही बात कर लो,” इतना कह कर मनीषा ने मोबाइल राजेश को दे दिया.

“हां, मुझे कंफर्म हो गया. मैं अब अपनी मिसेज से बात कर लूं, उस के बाद ही आगे की बात करूंगा. तूने मेरी मिसेज को क्यों फंसाया. मेरे घर पर तुझे ताकझांक करने की क्या जरूरत थी? मैं तेरे घर ताकझांक करने गया था क्या?” यह बोल कर राजेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 1

19 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के विशेष सत्र न्यायालय में गहमागहमी कुछ ज्यादा ही थी. न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी की अदालत में 2018 में हुए बहुचर्चित राजेश राजपूत हत्याकांड का फैसला आने वाला था. पूरे अदालत परिसर में पुलिस और वकीलों की भीड़ दिखाई दे रही थी. मीडिया के लोग भी पलपल का अपडेट लेते नजर आ रहे थे.

न्यायाधीश ने जैसे ही कोर्टरूम में प्रवेश किया तो लोगों ने खड़े हो कर उन्हें सम्मान दिया. न्यायाधीश ने लोगों को बैठने का इशारा करते हुए कुरसी पर बैठते ही आदेश दिया, “अदालत की काररवाई शुरू की जाए.”

न्यायाधीश का आदेश पाते ही सरकारी वकील आशाराम रोहित ने खड़े हो कर अपनी दलील देते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं अदालत में अब तक 20 गवाहों को पेश कर चुका हूं, जिन के बयानों से साफ जाहिर है कि कटघरे में जो प्रकाश जाट नाम का शख्स खड़ा है, उस ने ही राजेश राजपूत का मर्डर किया है. राजेश की पत्नी मनीषा द्वारा ही अपने साथियों गोलू, पवन, छोटू की मदद से राजेश की निर्मम तरीके से हत्या की गई है.”

“आब्जेक्शन मी लार्ड, मेरे मुवक्किल को झूठा फंसाया जा रहा है. राजेश की हत्या प्रकाश, मनीषा और उस के साथियों ने नहीं की है, बल्कि परिवार के लोगों को मनीषा को जमीनजायदाद में हिस्सा न देना पड़े, इसलिए यह झूठी कहानी गढ़ी गई है.” बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाते हुए कहा.

“मी लार्ड, मेरे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि राजेश राजपूत का मर्डर प्रकाश और उस के साथियों ने मनीषा के कहने पर किया,” सरकारी वकील आशाराम रोहित ने आत्मविश्वास के साथ कहा.

“अदालत का वक्त जाया न करें. आप के पास जो भी सबूत हैं, अदालत में पेश किए जाएं.” न्यायाधीश ने आदेश दिया.

“मी लार्ड, मैं इस केस के एक अहम गवाह को अदालत में पेश करने की अनुमति चाहता हूं.” फरियादी की ओर से पैरवी कर रहे एक और वकील अखिलेश भाटी ने दरख्वास्त करते हुए कहा.

“इजाजत है.” न्यायाधीश ने कहा.

“मी लार्ड, मैं राजेश और मनीषा की बेटी प्रियांशी को गवाही के लिए हाजिर करना चाहता हूं.”

“इजाजत है.”

कुछ ही देर में 15 साल की प्रियांशी गवाही देने अदालत में खड़ी हुई तो वकील अखिलेश भाटी ने उस से सवाल किया, “जिस दिन तुम्हारे पापा का मर्डर हुआ था,उस वक्त तुम क्या कर रही थी और तुम ने क्या देखा?”

“जी सर ,उस दिन मैं मम्मी के साथ ऊपर के कमरे में गई थी. उस समय मम्मी फोन पर किसी से बात कर रहीं थीं, तभी मैं ने नीचे उतर कर देखा तो 2 लोग मेरे पापा के कमरे से बाहर निकल रहे थे, उन में से एक प्रकाश अंकल भी थे. मैं ने पापा के कमरे में जा कर देखा तो पापा खून से लथपथ पड़े हुए थे, उन की गरदन पर किसी धारदार हथियार के निशान साफ दिख रहे थे. उसी समय मैं ने मम्मी को आवाज दे कर नीचे बुलाया था.”

“आब्जेक्शन मी लार्ड, प्रियांशी तब हमेशा 10 बजे तक सो जाया करती थी. घटना के समय 10 साल की बच्ची रात 11 बजे तक जाग रही थी, यह सरासर झूठ है.” बचाव पक्ष के वकील ने दलील पेश करते हुए कहा.

“सर, जिस दिन मेरे पापा का मर्डर हुआ,उस दिन मैं चाचा, चाची और मम्मी के साथ गरबा नृत्य देखने गई थी. मम्मी कुछ ही देर में मुझे ले कर घर आ गई थी. उस समय रात के करीब 11 बजे होंगे, मम्मी मुझे ऊपर के कमरे में ले गईं. वहां कपड़े बदल कर मैं सोने के लिए नीचे के कमरे में आई तो देखा पापा का किसी ने मर्डर कर दिया है.” प्रियांशी ने जबाव देते हुए कहा.

“क्या तुम यकीन के साथ कह रही हो कि 2 लोगों में से एक प्रकाश अंकल ही थे?” सरकारी वकील ने पूछा.

“हां, मैं ने उन्हें अच्छी तरह से देखा था, मैं उन्हें कैसे भूल सकती हूं, वो अकसर हमारे घर आया करते थे.” प्रकाश जाट की तरफ अंगुली दिखाते हुए प्रियांशी बोली.

“मी लार्ड, प्रियांशी को अदालत सिखापढ़ा कर लाया गया है. यह अभी नादान है और किसी ने डराधमका कर इस तरह के बयान देने को राजी किया है.” बचाव पक्ष के वकील ने आपत्ति जताते हुए न्यायालय को बताया.

“सर, मैं जो भी कह रही हूं, वह बिना डर के कह रही हूं. मेरी मम्मी पापा का मर्डर करवा सकती है तो मेरा भी करवा देगी. लेकिन हकीकत यही है कि मम्मी के कहने पर ही प्रकाश अंकल ने मेरे पापा का मर्डर किया है.” प्रियांशी ने निर्भीक हो कर बोली.

“मी लार्ड, मैं अदालत से दरख्वास्त करता हूं कि राजेश की हत्या के मुलजिमों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.” सरकारी वकील आशाराम रोहित इतना कह कर अपने स्थान पर बैठ गए.

प्रेमीप्रेमिका को मिली सजा

दोनों पक्षों की जोरदार बहस को कोर्ट में मौजूद सभी लोग बड़े गौर देख रहे थे. दोनों ओर की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब फैसले की बारी थी. अदालत में मौजूद सभी की नजरें न्यायाधीश की ओर टिकी हुई थीं. कुछ समय बाद न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि राजेश राजपूत की हत्या प्रकाश जाट ने राजेश की पत्नी मनीषा की सहमति से की है.

“अदालत मनीषा राजपूत और प्रकाश उर्फ पीपी को भादंवि की धारा 302 में दोष सिद्ध पाते हुए सश्रम आजीवन कारावास और 2-2 हजार का जुरमाना और धारा 201 में दोषी पाते हुए दोनों आरोपियों को 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास और एकएक हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाती है. साथ ही 3 अन्य आरोपियों गोलू उर्फ रामकृष्ण शर्मा, छोटू उर्फ ब्रजेश ठाकुर, पवन उर्फ पप्पू गिरी निवासी मातगौर बागली के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत न होने की वजह से उन्हें बाइज्जत बरी करती है.”

कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुजरिम प्रकाश जाट और मनीषा राजपूत को हिरासत में ले लिया.  राजेश राजपूत कौन था और उस की हत्या किस वजह से हुई, इस की असली कहानी आज से साढ़े 4 साल पहले से शुरू होती है.

मध्य प्रदेश के जिला हरदा के प्रताप कालोनी में रहने वाले रामरज राजपूत अपने पुश्तैनी घर में अपनी पत्नी और 3 बेटों राजेश, सुरेंद्र और नरेंद्र के साथ रहते थे. अप्रैल 2008 में राजेश की अरेंज मैरिज हरदा के ही कस्बा टिमरनी के पास स्थित लछोरा गांव की रहने वाली मनीषा राजपूत से हुई थी.

राजेश पोस्ट औफिस में कलेक्शन एजेंट का काम किया करता था और पिता रामरज सिंह राजपूत अपनी जूतेचप्पल की दुकान पर बैठते थे. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. राजेश की शादी के एक साल बाद 10 अप्रैल, 2009 को मनीषा ने प्रियांशी को जन्म दिया. 3 साल बाद 8 अक्तूबर, 2012 को मनीषा ने एक बेटे को जन्म दिया. इसी बीच राजेश के दोनों भाइयों की भी शादी हो गई.

भाइयों की शादी के कुछ समय बाद भाभी मनीषा का व्यवहार बदलने लगा. वह अपने पति राजेश पर शक करती थी कि उस का किसी महिला से अफेयर चल रहा है. इस बात को ले कर घर में कलह होने लगी और इस कलह का शिकार पूरा परिवार हो रहा था. मनीषा गुस्से में आ कर अपने देवरों से तो विवाद करती ही थी, किसी न किसी बात पर सासससुर को भी भलाबुरा बोलने लगी.

जब विवाद बढऩे लगा तो राजेश के पिता ने 2016 में अपना पुश्तैनी घर बेच दिया और इस के बाद तीनों भाई अलगअलग रहने लगे. राजेश ने गायत्री मंदिर के पास अपना खुद का घर बना लिया, मातापिता भी उस के पास ही रहने लगे. राजेश ने पिता की बैठक व्यवस्था के लिए घर पर ही किराने की दुकान खोल दी. वक्त गुजरने के साथ धीरेधीरे मनीषा सासससुर को भी परेशान करने लगी. इस से परेशान हो कर रामरज पत्नी के साथ अपने छोटे बेटे नरेंद्र के पास जा कर रहने लगे और मनीषा खुद किराने की दुकान पर बैठने लगी.

बैंक मैनेजर ने ही कर दिए अकाउंट साफ

फोन नंबर अपडेट न कराने पर खाते से 24 लाख गायब

बैंक मैनेजर ने ही कर दिए अकाउंट साफ – भाग 3

एकटक से बैंककर्मी की गतिविधि को देखने लगा. वह कभी चैक को उलटपलट रहा था तो कभी कंप्यूटर पर आंखें गड़ा देता था. प्रकाश समझ नहीं पा रहा था कि बैंककर्मी आखिर कर क्या रहा है? कुछ समय बीतने के बाद प्रकाश पेमेंट के बारे में पूछने ही वाला था कि बैंककर्मी बोला, “प्रकाश राजपूत, पिता गंगा बिशन राजपूत, तुम हो?”

“जी सर, मेरा ही चैक है…कोई बात सर?” प्रकाश बोला.

“बात तो है. यहां तुम्हारे अकाउंट में तो बैलेंस ही नहीं है.” बैंककर्मी बोला.

“बैलेंस नहीं है, क्या मतलब हुआ?” प्रकाश ने आश्चर्य से पूछा.

“मतलब साफ है कि तुम तो पहले ही कई बार पैसा निकाल चुके हो. अब तुम्हारे खाते में उतना पैसा नहीं, जितने का तुम ने चैक दिया है.” बैंककर्मी बोला.

“पैसा नहीं है? मैं ने पैसा कब निकाला? मैं ने तो कभी इस खाते से पैसा निकाला ही नहीं है. ठीक से चैक कीजिए. कोई गलती तो नहीं हो रही है?” प्रकाश ने आग्रह किया.

“तो मैं गलत बता रहा हूं. यहां कंप्यूटर में जो तुम्हारा खाता दिखा रहा है, वही बता रहा हूं. तुम्हारे खाते से 15 से अधिक बार मोटी राशि निकाली गई है. इन की डिटेल्स जाननी है तो स्टेटमेंट निकलवा लो.” बैंककर्मी बोला और उस का चैक वापस कर दिया.

प्रकाश परेशान हो गया. सीधा मैनेजर के केबिन में चला गया. मैनेजर कुछ बोलता, इस से पहले प्रकाश ने तेज आवाज में बोलना शुरू कर दिया. मैनेजर अचानक प्रकाश के बोलने पर हक्काबक्का हो गया. संभलते हुए चपरासी को आवाज लगाई. चपरासी भागाभागा आया. आते ही प्रकाश पर बरस पड़ा, “मैं जरा सा उधर साहब को पानी क्या देने गया, तुम मौका देख कर यहां घुस आए.”

मैनेजर ने चपरासी से बोला कि वह इस की समस्या को निपटाने के लिए रिसैप्शन पर ले कर जाए. रिसैप्शन जहां ग्राहक सेवा केंद्र बना हुआ था. चपरासी प्रकाश को ग्राहक सेवा केंद्र के काउंटर पर ले कर गया. वहीं बैठे एक बुजुर्ग से व्यक्ति को बताया, वह प्रकाश की समस्या का समाधान करें.

तीनों अकाउंट से हुए 40 लाख साफ

प्रकाश ग्राहक सेवा केंद्र पर बैठे बुजुर्ग को अपना चैक देते हुए पूरी कहानी बताने लगा. बुजुर्ग बीच में ही बोला, “मुझे तुम्हारी इतनी लंबी रामकहानी से मतलब नहीं है, मैं तुम्हारा स्टेटमेंट निकाल दूंगा. अगर पासबुक लाए हो तो उसे अपडेट कर दूंगा, तुम्हारी पासबुक तो पहले से भरी हुई है और यहां अभी नई पासबुक नहीं है. इसलिए तुम्हें एक साल का स्टेटमेंट मिलेगा, उस का पैसा खाते से कट जाएगा. मंजूर है तो बोलो.”

“जी, स्टेटमेंट निकाल दीजिए.” प्रकाश बोला.

“कल आना, अभी प्रिंटर खराब है.” बुजुर्ग बोला.

“मेरे भाई और मां का भी खाता यहीं है उस का भी स्टेटमेंट निकलवाना है?”

“हां, लेकिन उन की लिखी एप्लीकेशन लानी होगी.”

“जी अच्छा.”

…और निराश मन से प्रकाश घर आ गया. उसे उदास देख कर अम्मा बोलीं, “क्या बात है, पैसा आज भी नहीं मिला क्या?”

“हां अम्मा, आज तो और भी गड़बड़ हो गई. मुझे समझ में नहीं आ रहा क्या हुआ? बैंक वाला कह रहा है कि मेरे खाते में पैसा ही नहीं है,” प्रकाश बोला.

“ये कैसे हो सकता है. खाते से पैसा कहां चला जाएगा? कल चलना मेरे साथ बैंक, मैं देखती हूं कैसे नहीं मिलेगा… मेरा ही पैसा है.”

किसी तरह से प्रकाश, कमलेश और राजकुंवर ने रात गुजारी और अगले रोज बैंक जा पहुंचे. उन्होंने अपने तीनों बैंक खातों के स्टेटमेंट निकलवाए. उस से जब पता चला कि उन के खातों से 40 लाख 46 हजार 230 रुपए की निकासी कई बार हुई थी. खाते से पैसे गायब होने की खबर पाते ही राजकुंवर एकदम से बेहोशी की हालत में आ कर वहीं जमीन पर धम्म से बैठ गईं.

मैनेजर और बैंककर्मियों के खिलाफ हुई एफआईआर

प्रकाश और कमलेश तैश में आ गए और बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगा दिया. अम्मा जब स्थिर हुईं, तब एक गिलास पानी मांगा. कमलेश उन्हें साथ लाए बोतल से पानी पिलाया. कुछ घूंट पानी पी कर वह कमलेश के हाथ का सहारा ले कर उठी. प्रकाश से बोली, “थाने चलो.”

उसी वक्त तीनों शिवपुर थाने पहुंचे. राजकुंवर, प्रकाश और कमलेश ने एसएचओ संजीव पवार को सहकारी बैंक के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दे दी. जिला सहकारी बैंक मर्यादित के खिलाफ शिकायत पा कर एसएचओ ने जांच शुरू करवा दी. सहकारी बैंक के खिलाफ शिकायतें पहले आती रही हैं. जब प्रकाश के मामले की जांच की गई, तब पता चला कि बैंक के मैनेजर ने अपने 4 कर्मचारियों के साथ जालसाजी कर उन के खाते से पैसे निकाल लिए थे.

पुलिस ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित के शाखा प्रबंधक सुरेंद्र रघुवंशी, लिपिक उमाशंकर रघुवंशी, पर्यवेक्षक प्रेमनारायण तिवारी, लिपिक बदामी लाल मालवीय और कंप्यूटर औपरेटर के खिलाफ आईपीसी की धारा 407, 409, 420, 467, 468, 471 के तहत मामला दर्ज कर लिया.

घटना के बाद से ही सभी आरोपी फरार हो गए थे. कथा लिखे जाने तक जालसाज बैंककर्मियों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी.