पति की आशिकी का अंजाम

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ – भाग 3

भोपाल और इंदौर में बैठे लोगों के मोबाइल पर पैसा निकलते ही मैसेज आने लगे तो लोग चौंक गए कि वह तो कभी दिल्ली गए ही नहीं और एटीएम उन की जेब में है. ऐसे में दिल्ली के एटीएम से किस ने उन के पैसे निकाल लिए. इस के बाद 15 दिन के भीतर 100 से ज्यादा लोगों ने साइबर फ्रौड की शिकायतें इंदौर-भोपाल में कीं.

12वीं पास आयोनियल साइबर फ्रौड करने के मामले में इतना शातिर था कि वह स्कीमर से एटीएम के क्लोन बना लेता था. एटीएम के जरिए किसी के अकाउंट से पैसे निकालने के लिए पासवर्ड जानने  के लिए उस ने फिरोज के जरिए एटीएम मशीन के कीपैड के ऊपर लगने वाले कई प्लेट्स मंगवाए. इन प्लेट्स के बीच में स्पैशल कैमरा फिट किया.

ये कैमरा एक माइक्रो एसडी कार्ड और छोटी बैटरी से कनेक्टेड था. आयोनियल ने कैमरे से लैस प्लेट्स को एटीएम मशीन के कीपैड पर कुछ इस तरह सेट किया कि सीधे इस की नजर पासवर्ड वाले नंबर्स पर ही पड़े.

इस के बाद दोनों सुबह से शाम तक उस एटीएम के बाहर ही भटकते रहते थे, जहां ये डिवाइस फिट करते थे. दोनों कैमरे की बैटरी खत्म होने से पहले ही प्लेट निकाल लेते थे. इस के बाद ट्रांजैक्शन टाइमिंग के हिसाब से हिडन कैमरे में रिकौर्डेड कोड को मैच करते थे. जिस कार्ड का पास कोड मैच होता, उस का क्लोन तैयार कर के रख लेते थे.

आरोपी ने भोपाल आ कर बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम बूथों की रेकी की. फिर सुनसान जगह पर लगे बूथ में स्कीमिंग डिवाइस के साथ हिडन कैमरे फिट किए. इस के जरिए उन्होंने डाटा चुराया. इस के बाद वह पुराने गिफ्ट कार्ड का इंतजाम करते थे, इस में चुराए गए खाताधारक का डाटा डिजिटल एमएसआर (एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार करने वाली मशीन) से उस में भर देते थे.

इस काम में आयोनियल मिउ माहिर था.उस ने रोमानिया में ही यह सब सीखा था. बाद में हिडन कैमरे की मदद से पिन नंबर हासिल कर लेते थे और फिर क्लोन कर बनाए नए एटीएम से बूथ में जा कर रुपए निकालते थे.

रोमानियन नागरिक आयोनियल मिउ मईजून महीने में भोपाल आया था. इस दौरान रातीबड़ के गांव मैंडारा में औनलाइन ऐप का उपयोग कर वह होम स्टे में रुका था. उसे रुकवाने और कार का इंतजाम फिरोज ही करवाता था. वह अपने ही दस्तावेज उस के नाम के साथ लगाया करता था.

आयोनियल मिउ का पासपोर्ट और वीजा तो पुलिस के पास 6 साल से जब्त है. मिउ पर 2017 में 2 साइबर अपराध मुंबई में दर्ज हैं, फिलहाल वह जमानत पर है, उस की जमानत भी फिरोज ने करवाई थी.

जालसाजों ने बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम को ही क्यों चुना

मास्टरमाइंड आयोनियल मिउ रोमानिया और यूरोपियन जालसाजों के गिरोह में रह कर काम कर चुका है. वह विदेश से क्लोनिंग मशीन और हिडन कैमरे ले कर आया था. उक्त क्लोनिंग कियोस्क पुरानी तकनीक की हैं, जो मैग्नेटिक एटीएम कार्ड का डाटा ही कैप्चर कर सकती हैं. बैंक औफ बड़ौदा की कुछ पुरानी एटीएम मशीनें हैं. जालसाज के पास जो मशीनें थीं, वह पुरानी डिजाइंस के एटीएम मशीनों में ही लग सकती थी, इस कारण वह बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम कियोस्क को चुनता था.

रोमानिया के आयोनियल के पास जो स्कीमर मशीन थी, वह चिप वाले एटीएम डिवाइस का क्लोन तैयार नहीं कर सकती थी. बैंक औफ बड़ौदा के कुछ खाताधारक अब भी पुराने ढर्रे के एटीएम काड्र्स उपयोग कर रहे थे. पुराने एटीएम कार्ड में चिप नहीं लगी थी, इन के पीछे ब्लैक कलर की एक मैग्नेटिक स्ट्रिप होती थी, जिसे एटीएम मशीन रीड करती थी.

इस के अलावा जिन एटीएम कियोस्क में डिवाइस फिट किए गए, वो भी अपडेटेड नहीं थी. इस कारण यहां से डाटा चुराना आसान था. यही कारण था कि आयोनियल ने बैंक औफ बड़ौदा को चुना.

रोज 50 हजार की कोकीन का सेवन करता था आयोनियल

जालसाज गिफ्ट वाउचर वाले कार्ड को एमएसआर मशीन से एटीएम के रूप में बनाता था. स्कीमिंग डिवाइसेस से एटीएम कार्ड की जानकारी लेता था. उसी समय ग्राहक द्वारा डाले गए पिन नंबर की जानकारी वह मशीन की स्क्रीन के ऊपर लगाए गए हाई रिजोल्यूशन कैमरे से निकाल लेता था. दोनों के डाटा को मैच करने के बाद वह एसएमआर मशीन से उक्त डाटा को गिफ्ट वाउचर के कार्ड में डालता था, जिस के बाद एटीएम कार्ड के रूप में इस्तेमाल कर पैसे निकालता था.

पूछताछ में पता चला है कि जालसाज आयोनियल मिउ ड्रग्स का आदी था. वह रोज 40 से 50 हजार रुपए की कोकीन या अन्य सिंथेटिक ड्रग्स का सेवन करता था. डीसीपी ने बताया कि हैवी ड्रग एडिक्ट होने के कारण भोपाल में जब रहने आया तो करीब एक महीने के उपयोग के लिए अपने साथ दिल्ली से ही बड़ी मात्रा में कोकीन ले कर आया था. बिना पासपोर्ट वीजा का एक अंतरराष्ट्रीय जालसाज भोपाल में किराए के कमरे में एक महीने रहा.

आयोनियल मिउ का पासपोर्ट जब्त होने के कारण भोपाल में फिरोज ने अपने दस्तावेज से मकान किराए पर लिया था.

19 अगस्त, 2023 को भोपाल पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बैंक औफ बड़ौदा ठगी मामले का खुलासा एक प्रैस कौन्फ्रैंस में करते हुए बताया कि रोमानिया का रहने वाला आयोनियल केवल कैश में डील करता था. उस का कोई बैंक अकाउंट नहीं है.

पुलिस को फिरोज के कुछ बैंक डिटेल्स हाथ लगे हैं. उस की छानबीन की जा रही है. वहीं दोनों ने फरजी तरीके से 16 लाख रुपए जमा किए थे, जो दोनों ने अय्याशी में उड़ा दिए. दोनों के हर दिन का खर्चा करीबन 60 हजार रुपए था.

दोनों दिल्ली के महंगे होटलों में अय्याशी करने ही पहुंचे थे, लेकिन पकड़े गए. आयोनियल मिउ कोकीन और दूसरे नशे का भी आदी है, उसे ठीक से अंगरेजी नहीं आती, इसलिए पूछताछ में पुलिस को परेशान होना पड़ा.

भोपाल, इंदौर के साथ कई शहरों में जालसाजी करने के बाद वह अपने साथी फिरोज के साथ जयपुर में ठगी करने के लिए ही जाने वाला था. दोनों राजस्थान के जयपुर में रैकी भी कर चुके थे, लेकिन उस से पहले ही दबोच लिए गए. भोपाल पुलिस ने दोनों से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ – भाग 2

भोपाल पुलिस की टीम जब कंपनी के बताए हुए एड्रेस पर पहुंची तो घर के मकान मालिक ने बताया कि यहां पर फिरोज और आयोनियल मिउ नाम के 2 लोग रहते थे. उन्होंने कुछ दिन पहले ही घर छोड़ा है. इस के बाद पुलिस उस घर की तलाशी में जुटी तो तलाशी के दौरान टीम के एक सदस्य की नजर घर के दरवाजे के पीछे रखे एक डस्टबिन पर गई.

सबूत की उम्मीद में डस्टबिन को पलटा तो उस में एक फूड डिलीवरी की परची मिली. उस परची पर एक मोबाइल नंबर लिखा हुआ था. पुलिस जांच में सामने आया कि वह मोबाइल नंबर फिरोज नाम के शख्स का ही दूसरा नंबर था, जिस की लोकेशन उस समय मुंबई की थी.

टीम ने कुछ दिन दिल्ली में रुक कर दोनों की और जानकारी खंगालनी शुरू कर दी. मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो 2-3 दिन बाद फिरोज का लोकेशन अलर्ट मिला. वह मुंबई से दिल्ली आ चुका था. वह दिल्ली के पहाडग़ंज के किसी होटल में ठहरा हुआ था.

भोपाल पुलिस की टीम सक्रिय हुई और सीधे उस होटल में दबिश दी. पुलिस टीम को होटल में 2 लोग मिले, जब उन से पूछताछ की तो एक ने अपना नाम फिरोज दूसरे ने अपना नाम आयोनियल मिउ बताया. आयोनियल रोमानिया का रहने वाला था.

पता चला कि फिरोज दिल्ली में किसी लडक़ी से मिलने आया था और आयोनियल भी उस के साथ ठहरा हुआ था. ठगी के दोनों आरोपियों को पुलिस 18 अगस्त, 2023 को दिल्ली से भोपाल ले कर आई और उन से सख्ती से पूछताछ की तो बैंक खातों से ठगी के एक नए तरीके की कहानी सामने आई.

जालसाजों ने भोपाल में इस तरह से बैंक औफ बड़ौदा के 75 खाताधारकों के एटीएम की स्कीमिंग कर दिल्ली के 9 एटीएम बूथों से करीब 16-17 लाख रुपए निकाले. जालसाज लगातार रोमानिया के कई लोगों से संपर्क में था. उस ने एटीएम कार्ड बनाने की विधि औनलाइन सीखी. वह पहले रोमानिया और यूरोपीय देशों में सक्रिय साइबर फ्रौड करने वाले गिरोह के साथ काम करता था.

रोमानिया से भारत आया था जालसाज

पुलिस पूछताछ में 50 साल के आयोनियल ने कुबूल किया कि वह 2015 में टूरिस्ट वीजा पर भारत घूमने आया था. उसे भारत में उपयोग हो रहे एटीएम और उस की पुरानी तकनीक की पूरी जानकारी थी. उस ने बाकायदा इस पर एक स्टडी की हुई थी. वह रोमानिया से सब से पहले मुंबई पहुंचा था. आयोनियल मिउ की मुलाकात जब फिरोज से हुई थी, उस ने टूटीफूटी हिंदी में फिरोज से कहा, ‘‘मुझे रहने के लिए रूम चाहिए.’’

‘‘मैं आप के लिए अपने घर का रूम रेंट पर देने को तैयार हूं.’’ फिरोज ने उसे समझाते हुए कहा.

फिरोज ने यह सोच कर रूम किराए पर दे दिया कि विदेशी नागरिक से अच्छाखासा किराया वसूल कर लेगा. उस ने फिरोज का घर किराए पर लिया था. फिरोज को तब आयोनियल के मंसूबों के बारे में कुछ भी पता नहीं था.

आयोनियल को हिंदी और अंगरेजी ठीक से नहीं आती थी. उसे अपने फ्रौड के काम के लिए भारत में किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो उस के लिए सारी व्यवस्थाएं आसानी से कर दे. उस ने इस के लिए फिरोज को राजी किया. फिरोज के पास उस समय कोई काम नहीं था, तब आयोनियल मिउ ने उसे समझाया, ‘‘मेरे काम में सहयोग करो तो तुम्हें मैं रातोंरात अमीर बना दूंगा.’’

फिरोज के राजी हो जाने के बाद उस ने फिरोज को अपना पूरा प्लान टूटीफूटी भाषा में समझाया. जल्दी अमीर बनने के चक्कर में फिरोज उस का हर तरह से साथ देने को तैयार हो गया था. सब से पहले दोनों ने मुंबई में फ्रौड की शुरुआत की, लेकिन कुछ महीनों के बाद आयोनियल को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर उस का पासपोर्ट जब्त कर लिया.

बिना पासपोर्ट के वह रोमानिया नहीं जा सका. उसे पैसों की जरूरत थी. वह दूसरा कोई काम भी नहीं जानता था, इस के बाद उस ने फिरोज के साथ मिल कर फुलप्रूफ प्लान बनाया. फिरोज उस के लिए गाड़ी, होटल से ले कर और तमाम व्यवस्थाएं जुटाता था.

फिरोज का काम एटीएम बूथों में डिवाइस लगाने, उन्हें निकालने, पैसे निकालने, मकान बुक करने, कार व आटो बुक करने, बाजार से सामान लाने का था. आयोनियल मिउ किसी से फोन पर ज्यादा बात नहीं करता था, वह सिर्फ फिरोज से ही बात करता है, बाकी किसी से संपर्क नहीं रखता, ताकि वह कौन है और क्या करता है, किसी को पता न चल सके.

आयोनियल मिउ रैकी कर टारगेट तय करता था. क्लोनिंग से प्राप्त डाटा को मशीन और लैपटाप के जरिए मिलान करना और मशीन के जरिए नया एटीएम कार्ड बनाने का काम करता था. कई बार वह एटीएम बूथ में जा कर पैसे निकालने का काम भी खुद करता था.

साल 2015 में रोमानिया से भारत आ कर वह दिल्ली में रुका. 2015 में ठाणे के पैठ बाजार थाना क्षेत्र में उस ने इसी तरह की धोखाधड़ी की और गिरफ्तार हो गया. इस के बाद उस ने 2017 में मुंबई में धोखाधड़ी की और फिर पकड़ा गया. गिरफ्तारी के बाद उस का पासपोर्ट जब्त हो जाने के कारण वह अब अवैध रूप से भारत में रह रहा था.

फिलहाल वह दोनों मामलों में जमानत पर है. 2018 में उस का परिवार भारत मिलने आया था. वह नाइजीरिया के कई लोगों से लगातार फोन से संपर्क में रहता था.

बैंक औफ बड़ौदा के एटीएम में फिट किए स्कीमर डिवाइस

मई 2023 में फिरोज और आयोनियल दोनों भोपाल आए, मुंबई निवासी फिरोज अहमद ने अपने पहचान पत्र से भोपाल के डोरा क्षेत्र में औनलाइन एक मकान किराए पर लिया, जिस में दोनों जालसाज करीब एक महीने तक ठहरे थे.

दोनों ने भोपाल में रेकी कर बैंक औफ बड़ौदा के पुराने तकनीक वाले 3 एटीएम बूथों को पहचान कर उन में एटीएम क्लोनिंग मशीन लगाई और मशीन के ऊपर हाई रिजोल्यूशन  कैमरे लगाए. वह एटीएम में सुबह आटो से जाते और क्लोनिंग मशीन और कैमरे लगा कर चले आते थे. शाम को जा कर उपकरण निकाल लाते थे. इस की मदद से लोगों के एटीएम की डिटेल्स और पासवर्ड पता किए.

इस के बाद दोनों 25 जून को इंदौर पहुंचे और यही काम यहां के 2 एटीएम के साथ किया. 3 और 4 जुलाई के दौरान दोनों दिल्ली पहुंचे और वहां कुछ एटीएम कार्ड के क्लोन तैयार किए. इस के बाद 10 जुलाई के बाद दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित एटीएम से पैसे निकाल लिए.

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 3

कमलेश की इस कहानी में कितनी सच्चाई है, मंजू यादव ने यह पता लगाने के लिए तुरंत सबइंसपेक्टर भीम सिंह रघुवंशी को कृष्णाबाग कालोनी स्थित कमलेश के घर भेजा. पूछताछ में कमलेश के पिता मनोहर पांचाल ने बताया कि कमलेश कह तो रहा था कि एक मोटरसाइकिल पर सवार 2 लड़के मुंह पर कपड़ा बांध कर घर की रेकी कर रहे थे. तब उन्होंने मोहल्ले वालों से इस बारे में पता किया था. लेकिन मोहल्ले वालों का कहना था कि इस तरह की न तो कोई मोटरसाइकिल दिखाई दी थी, न लड़के. इस से उन्हें लगा कि कमलेश को भ्रम हुआ होगा.

कमलेश की यह कहानी झूठी निकली तो पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर के सुबूतों के आधार पर आगे की पूछताछ के लिए उसे 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर ले लिया.

दूसरी ओर कमलेश के ससुर नंदकिशोर पांचाल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिख कर निष्पक्ष जांच की गुहार की थी. उन का कहना था कि कमलेश के पिता मनोहर पांचाल हाईकोर्ट के जज की गाड़ी चलाते हैं, इसलिए कहीं मामले की जांच प्रभावित न करा दें. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में पिंकी की हत्या का आरोप सीधे कमलेश पर लगाया था. उन का कहना था कि बाकी तो सब ठीक था, लेकिन कमलेश के संबंध अन्य लड़कियों से थे. इसी वजह से वह पिंकी को नजरअंदाज करता था. पिंकी इस बात का विरोध कर रही थी, इसलिए कमलेश ने उस की हत्या कर दी है.

नंदकिशोर के भाई यानी पिंकी के एक चाचा इंदौर में ही एरोड्रम रोड पर स्थित राजनगर में रहते थे. उन का नाम भी कमलेश था. वह प्रेस फोटोग्राफर थे. उन का घर पिंकी के घर से मात्र एक किलोमीटर दूर था. पिंकी ने उन से भी कमलेश से अन्य लड़कियों से दोस्ती की बात बताई थी. इसलिए उन्होंने भी पुलिस को बताया था कि उन की भतीजी की हत्या उन के दामाद कमलेश ने अन्य लड़कियों की वजह से उस से छुटकारा पाने के लिए की है.

तमाम सुबूत होने के बावजूद कमलेश अपनी बात पर अड़ा था. उस का कहना था कि पिंकी की हत्या उन्हीं दोनों लड़कों ने की है, जो उस के घर लूटपाट करने आए थे. जब पुलिस ने कहा कि सारे गहने तो घर में ही मिल गए हैं तो इस पर कमलेश ने कहा, ‘‘हो सकता है, उन्हें ले जाने का मौका न मिला हो?’’

थानाप्रभारी मंजू यादव ने देखा कि कमलेश सीधे रास्ते पर नहीं आ रहा है तो उन्होंने अपने दोनों सबइंसपेक्टरों राजेंद्र सिंह दंडोत्या और भीम सिंह रघुवंशी से कहा, ‘‘यह सीधे सच्चाई बताने वाला नहीं है. इस के ससुर ने दहेज मांगने की जो रिपोर्ट दर्ज कराई है, उस के तहत इस के घर जा कर इस के पिता मनोहर, मां किरण और बहन को पकड़ लाओ. कल सभी को अदालत में पेश कर के जेल भिजवा दो.’’

थानाप्रभारी की इस धमकी पर कमलेश कांप उठा. उस ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘प्लीज, मेरे मातापिता और बहन को मत परेशान कीजिए. मेरे ससुर ने झूठा आरोप लगाया है. हम लोगों ने कभी दहेज मांगा ही नहीं है.’’

‘‘तो सच क्या है?’’ थानाप्रभारी मंजू यादव ने पूछा, ‘‘पिंकी की हत्या किस ने और क्यों की है?’’

‘‘उस की हत्या मैं ने की है. इस में मेरे घर वालों का कोई हाथ नहीं है.’’ कमलेश ने कहा.

इस तरह थानाप्रभारी मंजू यादव ने कमलेश से पिंकी की हत्या का अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने पिंकी की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.

कमलेश कालेज में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता था. वह स्टेज पर भी बढि़या अभिनय करता था. देखने में ठीकठाक था ही, इसलिए लड़कियां उस की ओर आकर्षित होने लगीं. कई लड़कियों से उस की दोस्ती भी हो गई. पढ़ाई पूरी करने के बाद उस ने काल सेंटर में नौकरी की. वहां भी उस के साथ तमाम लड़कियां नौकरी करती थीं. उन में से भी कई लड़कियों से उस की दोस्ती हो गई, जिन से वह घर आ कर भी फोन पर बातें करता रहता था.

कमलेश ने काल सेंटर की नौकरी छोड़ी तो उसे एक ऐसे एनजीओ में नौकरी मिल गई, जो रोजगार के लिए प्रेरित और दिलाने का काम करती थी. वहां स्वरोजगार का प्रशिक्षण भी दिया जाता था. इसलिए वहां भी तमाम लड़कियां रोजगार के लिए आती रहती थीं.

लड़कियां जो फार्म भरती थीं, उन में उन के फोटो के साथ जरूरी जानकारी तो होती ही थी, मोबाइल नंबर भी होता था. ऐसे में जो लड़की उसे पसंद आ जाती, नौकरी दिलाने के बहाने वह उस से बातचीत करने लगता था. कई लड़कियों को उस ने नौकरी भी दिलाई थी, जिस की वजह से उसे मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री की ओर से अवार्ड भी मिला था.

उसी बीच प्रियंका उर्फ पिंकी से उस की शादी हो गई. लेकिन शादी के बाद उस की आदत में कोई बदलाव नहीं आया. वह पहले की ही तरह लड़कियों से दोस्ती और फोन पर बातें करता रहा. पिंकी ने कई बार टोका भी लेकिन वह नहीं माना. इस के बाद पिंकी ने सासससुर से ही नहीं, मांबाप से भी उस की शिकायत की. सब ने कमलेश को समझाया, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आया.

उसी बीच कमलेश की मुलाकात बाणगंगा की रहने वाली एक लड़की से हुई. वह लड़की स्वरोजगार प्रशिक्षण लेने आई थी. लड़की काफी खूबसूरत थी, इसलिए वह उसे दिल दे बैठा. संयोग से लड़की उस की मीठी मीठी बातों में फंस भी गई. कमलेश उस से शादी के बारे में सोचने लगा. उस ने लड़की से बताया था कि अभी वह पढ़ रहा है, इसलिए लड़की  ने भी शादी के लिए हामी भर दी थी.

लड़की के हामी भरने के बाद कमलेश पिंकी से छुटकारा पाने के उपाय सोचने लगा. पिंकी सासससुर की लाडली बहू थी. इसलिए वह उसे छोड़ नहीं सकता था. ऐसे में पिंकी से छुटकारा पाने का उस के पास एक ही उपाय था कि वह उस की हत्या कर दे. इस के बाद उस ने पिंकी की हत्या की जो योजना बनाई, उस के अनुसार वह सब से कहने लगा कि सुबहशाम मुंह पर कपड़ा बांध कर 2 लड़के पलसर मोटरसाइकिल से उस के घर के आसपास चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन मोहल्ले के किसी आदमी ने ऐसे लोगों को देखा नहीं.

वह पिंकी की हत्या के लिए मौके की तलाश में था. वह इस काम को तभी अंजाम दे सकता था, जब पिंकी घर में अकेली हो. उसे तब मौका मिल गया, जब उस के नाना के मरने पर मां अपने मायके चली गईं. 17 फरवरी, 2014 सोमवार को पिता के ड्यूटी पर चले जाने के बाद घर में पिंकी और कमलेश ही घर में रह गए. पिंकी घर के काम निपटाने में लगी थी.

तभी कमलेश ने योजना के तहत पिंकी की हत्या करने में चाकू वगैरह पर अंगुलियों के निशान न आएं, इस के लिए रबर के दास्ताने पहन लिए. वह दास्ताने पहन कर तैयार हुआ था कि किसी का फोन आ गया तो वह फोन पर बातें करने लगा. उसी बीच पिंकी ने कमलेश से कहा, ‘‘आप कपड़े भिगो देते तो खाली होने पर मैं धो लेती.’’

कमलेश कपड़े भिगोने के बजाय किचन में जा कर फोन पर बातें करने लगा. पिंकी ने देखा कि वह कपड़े भिगोने के बजाय फोन पर ही बातें कर रहा है तो उस ने झुंझला कर कहा, ‘‘कपड़े भिगोने के लिए कह रही हूं, वह तो करते नहीं, फालतू फोन पर बातें कर रहे हो.’’

पिंकी की इस बात पर कमलेश को गुस्सा आ गया तो उस ने पिंकी को एक तमाचा मार दिया. पति की इस हरकत से नाराज हो कर पिंकी ने भी उसे ऐसा धक्का दिया कि उस का सिर दीवार से टकरा गया, जिस की वजह से वह चकरा कर गिर पड़ा.

कमलेश तो चाहता ही था कि कुछ ऐसा हो, जिस से वह पिंकी से भिड़ सके. संयोग से मौका भी मिल गया गया. चोट लगने से वह तिलमिला कर उठा और किचन में रखा सब्जी काटने का चाकू उठा कर पिंकी पर झपटा. लेकिन पिंकी हट गई तो चाकू दीवार से जा लगा, जिस की वजह से टूट गया.

कमलेश इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था, इसलिए दूसरा चाकू उठा कर पिंकी पर टूट पड़ा. पिंकी का मुंह दबा कर लगातार वार करने लगा. पिंकी मूर्छित हो कर जमीन पर गिर पड़ी तो उस ने उस का गला रेत दिया. थोड़ी देर छटपटा कर पिंकी मर गई. कमलेश ने देखा की पिंकी मर गई है तो उस ने खून सने कपड़े उतार कर बेडरूम में छिपा दिए और फिर बाथरूम में जा कर हाथपैर साफ किए.

दूसरे कपड़े पहन कर उस ने इस हत्या को लूट में हत्या का रूप देने के लिए अलमारी खोल कर सारा सामान बिखेर दिया. कुछ गहने उस ने पलंग के नीचे डाल दिए तो कुछ खिड़की से पिछवाड़े फेंक दिए. इतना सब करने के बाद वह वहां से भाग जाना चाहता था, लेकिन तभी उस की बुआ के बेटे राहुल ने दरवाजा खटखटा दिया. अब वह बाहर तो जा नहीं सकता था, इसलिए खुद को बचाने के लिए वह मरी पड़ी पिंकी के ऊपर लेट गया. इस के बाद राहुल ने अंदर आ कर उसे अस्पताल में भरती कराया और घटना की जानकारी पुलिस को दी.

पूछताछ के बाद पुलिस कमलेश को उस के घर ले गई, जहां घर के पीछे से उस के द्वारा फेंके गए गहने बरामद कर लिए. पुलिस ने उस के फोन की काल डिटेल्स पहले ही निकलवा ली थी. उस के अनुसार उस ने साल भर में लड़कियों को 24 हजार फोन और एसएमएस किए थे. पुलिस ने सारे सुबूत जुटा कर 24 फरवरी को कमलेश को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में ही था.

कथा पुलिस सूत्रों एवं घर वालों से की गई बातचीत पर आधारित

रोमानिया का जालसाज : एटीएम क्लोनिंग से अकाउंट साफ – भाग 1

डिजिटल तकनीक के इस युग में बैंक अकाउंट में सेंध लगाने वाले जालसाज भी नईनई तरकीबें अपना रहे हैं. इन जालसाजों का नेटवर्क भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैला हुआ है. रोमानिया के एक जालसाज ने भोपाल और इंदौर के ग्राहकों के बैंक अकाउंट से दिल्ली के एटीएम बूथों से लाखों रुपए उड़ा दिए. भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम ने एक महीने तक दिल्ली शहर में रुक कर इन जालसाजों को आखिर कैसे खोज निकाला?

भोपाल के रहने वाले सैयद फारुख अली ने बैंक औफ बड़ौदा की ब्रांच में लगी पासबुक प्रिंटिंग मशीन में अपनी पासबुक डाली तो कुछ ही देर में उन की पासबुक प्रिंट हो कर बाहर निकल आई. बैंक से बाहर निकल कर उन्होंने पासबुक चैक की तो एक एंट्री देख कर वह चौंक पड़े.

इसी साल जुलाई की 9 तारीख को उन के बैंक खाता नंबर 3537010000xxxx से 75 हजार रुपए की रकम की निकासी एटीएम कार्ड के जरिए होनी दिखाई गई थी. सैयद फारुख अली को आश्चर्य इस बात पर हो रहा था कि उन्होंने यह रकम निकाली ही नहीं थी. वह हैरान थे कि यदि किसी और ने यह रकम निकाली है तो उन के मोबाइल पर ओटीपी क्यों नहीं आया. फारुख अली ने फिर से बैंक काउंटर पर जा कर इस की शिकायत की तो बैंक क्लर्क ने उन्हें डपटते हुए कहा, ‘‘आप ने एटीएम कार्ड से रुपए निकाले हैं, इस में बैंक क्या कर सकता है.’’

सैयद फारुख अली मुंह लटकाए अपने घर आ गए. वह प्रौपर्टी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की बीडीए कालोनी कोहेफिजा में रहने वाले 38 वर्षीय सैयद फारुख अली जानना चाहते थे कि उन के खाते से ये पैसे किस ने निकाले हैं. लिहाजा 10 जुलाई, 2023 को वह साइबर क्राइम ब्रांच में एक शिकायत ले कर पहुंच ही गए.

थोड़ी देर इंतजार कर वह साइबर क्राइम ब्रांच के डीसीपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी के पास पहुंचे तो अरजी ले कर उन के सामने हाजिर फरियादी को देखते ही डीसीपी बोले, ‘‘कहिए, क्या समस्या है?’’

फारुख अली ने कागज पर लिखी अरजी उन की टेबल पर रखते हुए कहा, ‘‘साहब, मेरे बैंक खाते  से 75 हजार रुपए किसी जालसाज ने निकाल लिए हैं, जबकि मैं ने ऐसा कोई ट्रांजैक्शन नहीं किया है.’’

‘‘कौन से बैंक में है आप का अकाउंट?’’

‘‘जी सर, बैंक औफ बड़ौदा में मेरा अकाउंट है.’’ फारुख अली ने बताया.

‘‘किसी को ओटीपी तो नहीं बताया, मोबाइल पर किसी लिंक पर क्लिक तो नहीं किया?’’ डीसीपी सोमवंशी ने फारुख से पूछा.

‘‘नहीं सर, न तो कोई ओटीपी आया और न ही किसी लिंक पर मेरे द्वारा क्लिक किया गया है,’’ फारुख हाथ जोड़ कर बोले.

डीसीपी सोमवंशी ने सैय्यद फारुख की अरजी को ले कर उन्हें भरोसा दिलाया कि जल्द ही साइबर पुलिस जांच कर के जालसाज तक पहुंचेगी और उन के अकाउंट से फरजी तरीके से निकाली गई रकम उन्हें वापस दिलाई जाएगी.

डीसीपी सोमवंशी के निर्देश पर फारुख अली की तरफ से अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा 419, 420 के तहत मामला दर्ज किया कर लिया गया.

अनेक लोगों के साथ हुई ऐसी ही धोखाधड़ी

इस शिकायत के अगले दिन अशोका गार्डन, भोपाल के विनोद सहदेव और सतीश बजरंगी ने भी अपने बैंक अकाउंट से रुपए निकाले जाने की शिकायत थाने में दर्ज कराई. फारुख अली की शिकायत के बाद 5 दिन के भीतर ही भोपाल के अलगअलग पुलिस थानों में  53 लोगों ने अपने साथ हुए इसी तरह के फ्रौड की शिकायतें दर्ज कराईं.

इसी तरह इंदौर के विभिन्न थानों में अनेक शिकायतें दर्ज हुईं. ताज्जुब की बात यह थी कि ये सारे फ्रौड बैंक औफ बड़ौदा के ग्राहकों के साथ ही हुए थे.

2023 के जुलाई महीने में हुए इस फ्रौड को पुलिस और बैंक अधिकारी भी नहीं समझ पा रहे थे. शिकायतकर्ताओं का कहना था कि न उन के पास कोई ओटीपी आया, न कोई काल आई, न ही कोई लिंक आया, न ही कहीं एटीएम में कार्ड यूज किया, न ही फोन पर उन्होंने कोई ऐप डाउनलोड किया, इस के बावजूद उन के अकाउंट से लाखों रुपए निकाल लिए गए.

पुलिस टीम ने दिल्ली में डेरा डाल आरोपियों को खोज निकाला

मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल के पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा के निर्देश पर एक पुलिस टीम बनाई. एसआई रमन शर्मा के नेतृत्व में टीम दिल्ली पहुंची. टीम में हैडकांस्टेबल, आदित्य साहू, कांस्टेबल तेजराम सेन, प्रताप सिंह, सुनील कुमार को शामिल किया गया था. जांच में पुलिस टीम को यह जानकारी मिली कि ज्यादातर पैसे दिल्ली में स्थित एटीएम कियोस्क से निकले हैं, इसलिए टीम दिल्ली पहुंच गई.

टीम को पता चला कि जालसाजों ने दिल्ली के अलगअलग क्षेत्रों में स्थित 9 एटीएम कियोस्कों से पैसे निकाले थे, इसलिए टीम ने सब से पहले उन 9 एटीएम कियोस्कों के सीसीटीवी कैमरे खंगाले, जहां से जालसाजों द्वारा पैसे निकाले गए थे. ये एटीएम कियोस्क ग्रेटर कैलाश, चाणक्यपुरी और नेहरू प्लेस में स्थित थे. जिन खाताधारकों के फोन पर एटीएम से पैसे निकालने के मैसेज आए थे. पुलिस को उन की टाइमिंग मैच करते हुए आसपास के 200 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे, मगर कोई भी क्लू हाथ नहीं आ रहा था.

इस की वजह यह थी कि आरोपी एटीएम से रुपए निकालते वक्त पहचान छिपाने के लिए टोपी और स्कार्फ से खुद को ढंक लेते थे. रुपए निकाल कर वे आटो से या पैदल आते और गलियों में गायब हो जाते थे.

डस्टबिन से मिला जालसाजों का सुराग

भोपाल क्राइम ब्रांच की टीम को दिल्ली में आरोपियों की पतासाजी करते हुए 20 दिन से अधिक हो गए थे. अपने घरपरिवार से दूर रहते हुए पुलिस टीम के सदस्यों को घर की याद भी सता रही थी.

एक दिन हैडकांस्टेबल आदित्य साहू अपने टीम लीडर एसआई रमन शर्मा से बोले, ‘‘सर, हम ने दिल्ली के सैकड़ों एटीएम बूथों को चैक कर लिया है, लेकिन आरोपियों का कुछ पता नहीं चल रहा है. अब तो हमें वापस लौटना चाहिए.’’

‘‘सभी लोग कुछ दिन और धैर्य रखें, हमारी मेहनत जरूर सफल होगी, कोई न कोई क्लू हमें अपराधियों तक जरूर पहुंचाएगा.’’ एसआई रमन शर्मा बोले.

इस के बाद टीम फिर नए जोश के साथ आरोपियों की पतासाजी में जुट गई. पुलिस टीम जब दिल्ली के नेहरू प्लेस के कैमरों की आखिरी फुटेज देख रही थी तो इस फुटेज के आखिरी कुछ सेकेंड्स में हर बार पैदल या आटो से रवाना हो जाने वाले ये लोग एक टैक्सी में बैठ कर जाते दिखे. इस फुटेज में टैक्सी का नंबर भी साफ दिख रहा था.

टैक्सी के इसी नंबर के सहारे पुलिस टैक्सी प्रोवाइडर कंपनी रंजीत ब्रदर्स के औफिस पहुंच गई. वहां पुलिस टीम को बताया गया कि इस टैक्सी को फिरोज नाम के किसी शख्स ने बुक किया था. कंपनी से पुलिस को टैक्सी बुक करने वाले का मोबाइल नंबर और घर का पता भी मिल गया. जब पुलिस ने उस मोबाइल पर काल करने की कोशिश की तो वह नंबर बंद था.

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 2

कमलेश शादी लायक हो गया था. वह नौकरी भी कर रहा था, इसलिए उस की शादी के लिए रिश्ते आने लगे थे. मनोहर और किरण भी बेटे की शादी करना चाहते थे, इसलिए वे बेटे के लिए लड़की देखने लगे थे. काफी खोजबीन के बाद आखिर उन्होंने नागदा के रहने वाले नंदकिशोर पांचाल की बेटी प्रियंका उर्फ पिंकी को पसंद कर लिया था.

जैसा कमलेश के मांबाप चाहते थे, पिंकी वैसी ही पढ़ीलिखी, खूबसूरत, सुशील और समझदार घरेलू लड़की थी. सारी बातचीत के बाद पूरी रस्मोरिवाज के साथ 12 मई, 2013 को कमलेश और पिंकी का धूमधाम से विवाह हो गया. पिंकी बाबुल के घर से विदा हो कर अपने सपनों के राजकुमार के घर आ गई.

अब पिंकी को उस पल का इंतजार था, जो जिंदगी में सिर्फ एक बार आता है. वह पल आ गया, लेकिन उस का पति कमलेश उस का घूंघट उठा कर प्यार करने के बजाय उतनी रात को भी न जाने किस से फोन पर बातें करने में लगा था. पिंकी को यह सब अच्छा तो नहीं लग रहा था, लेकिन संकोचवश वह कुछ कह नहीं पा रही थी. वह भले ही कुछ नहीं कह पा रही थी, लेकिन यह जरूर सोच रही थी कि ऐसा कौन सा खास आदमी है, जिस से वह उसे छोड़ कर फोन पर बातें करने में लगा है.

कमलेश ने सुहागरात तो मनाई, लेकिन उस में वह जोश नहीं था, जो होना चाहिए था. जिस की कसक पिंकी साफ महसूस कर रही थी. उस की यह कसक बढ़ती जा रही थी, क्योंकि कमलेश का लगभग रोज का वही नियम था. वह होता तो पिंकी के पास था, लेकिन बातें किसी और से करता रहता था. उस की बातें सुन जब पिंकी को लगा कि वह लड़कियों से बातें करता है तो उस की कसक और बढ़ गई.

कमलेश की काल सेंटर की नौकरी कोई बहुत अच्छी नहीं थी, इसलिए वह किसी अच्छी नौकरी की तलाश में था. उसे एक एनजीओ में काम मिल गया तो उस ने काल सेंटर वाली नौकरी छोड़ दी. यह लगभग 6 महीने पहले की बात है. उस एनजीओ की ओर से वह मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत लोगों को प्रशिक्षण देता था. उस ने अपना यह काम पूरी ईमानदारी और लगन से किया था. इसलिए उसे मुख्यमंत्री ने अवार्ड भी प्रदान किया था. एनजीओ से जुड़ने के बाद कमलेश फोन पर कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगा था. वह देर रात तक फोन पर बातें करता रहता था. पिंकी अकसर उकता कर सो जाती थी.

पिंकी इस का पुरजोर विरोध कर रही थी. लेकिन कमलेश में कोई सुधार नहीं आ रहा था. तब पिंकी ने इस बात की शिकायत अपने सासससुर से ही नहीं, मांबाप से भी की. कमलेश के मांबाप ने जब उसे टोका तो यह बात उसे बड़ी नागवार लगी. पिंकी का इस तरह जिंदगी में दखल देना उसे अच्छा नहीं लगा. इस के बाद पतिपत्नी में तनाव रहने लगा.

कमलेश पिंकी को इसलिए कुछ नहीं कह पाता था, क्योंकि उस के मांबाप बहू को बहुत प्यार करते थे. उन की बहू थी भी इस लायक. वह सासससुर का हर तरह से खयाल रखती थी. उन्हें हमेशा हाथों पर लिए रहती थी.

ऐसी बहू की हत्या हो जाने से मनोहर और किरण बहुत परेशान थे, इसलिए वे केस को खोलने और हत्यारे को पकड़वाने के लिए पुलिस पर दबाव बनाए हुए थे. चूंकि वह ज्युडिशियरी से जुड़े थे, इसलिए पुलिस पर इस मामले को जल्द से जल्द खोलने का दबाव भी था.

कमलेश अगर अपना बयान दे देता तो पुलिस को हत्यारे तक पहुंचने में आसानी होती. इसलिए पुलिस उस से पूछताछ के लिए अस्पताल के चक्कर लगा रही थी. लेकिन पुलिस जब भी अस्पताल पहुंचती, पता चलता वह बेहोश है. जबकि डाक्टरों के अनुसार वह पूरी तरह से स्वस्थ था. अब पुलिस को उसी पर शक होने लगा. लेकिन पुलिस उस पर शक के आधार पर हाथ नहीं डाल सकती थी, क्योंकि उस के पिता हाईकोर्ट के जज की गाड़ी चलाते थे. जरा भी इधरउधर हो जाता तो पुलिस को जवाब देना मुश्किल हो जाता. इसलिए पुलिस उस के खिलाफ सुबूत जुटाने लगी.

पुलिस ने सब से पहले उस के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स से ऐसे तमाम नंबर मिले, जिन पर उस की लंबीलंबी बातें हुई थीं. पुलिस ने जब उन नंबरों के बारे में पता किया तो वे सभी नंबर लड़कियों के थे. इस से यह बात साफ हो गई कि वह काफी आशिकमिजाज लड़का था.

थानाप्रभारी मंजू यादव की समझ में आ गया था कि कमलेश पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए बेहोश और कमजोरी होने का नाटक कर रहा है. वैसे भी वह नाटकों में काम कर चुका था. कालेज के समय में उसे अभिनय सम्राट कहा जाता था. उसे नाटकों के लिए कई अवार्ड भी मिले थे. इसलिए मंजू यादव ने भी उस के साथ नाटक करने की योजना बनाई.

वह सबइंसपेक्टर राजेंद्र सिंह दंडोत्या, भीम सिंह रघुवंशी और कुछ पुलिस वालों को साथ ले कर अस्पताल पहुंचीं. क्योंकि अब तक उन्हें कुछ ऐसे सुबूत मिल चुके थे, जिस से उन्हें लग रहा था कि पिंकी की हत्या कमलेश ने ही की है. इस की वजह यह थी कि कमरे में केवल उसी की अंगुली के निशान मिले थे. जांच के लिए कमलेश के खून से सने कपड़े और पलंग के नीचे से मिले जो गहने पुलिस ने बरमाद किए थे, उन पर जो खून के दाग लगे थे, वह पिंकी के खून के थे.

अपने शक को दूर करने के लिए पुलिस ने कमलेश की काल डिटेल्स से मिले एक नंबर पर उसी के फोन से फोन किया, जिस पर उस ने उसी रात काफी लंबीलंबी बातचीत की थी. फोन लगते ही दूसरी ओर से फोन रिसीव कर लिया गया था, इधर से बिना कुछ कहे ही दूसरी ओर से सीधे कहा गया, ‘‘कमलेश, तुम ने जो किया, वह ठीक नहीं किया. तुम बहुत ही गंदे आदमी हो. आखिर तुम ने अपनी पत्नी की हत्या कर ही दी. लेकिन अब इस मामले में मुझे मत फंसाना, क्योंकि इस में मेरी कोई भूमिका नहीं है. और हां, अब कभी मुझे भूल कर भी फोन मत करना.’’

इतना कह कर फोन रिसीव करने वाली लड़की ने फोन काट दिया था. पुलिस ने लड़की की यह बातचीत टेप कर ली थी. बाद में पुलिस ने उस  लड़की के बारे में पता किया तो वह बाणगंगा मोहल्ले की निकली.

थानाप्रभारी मंजू यादव अपने साथियों के साथ सीएचएल अस्पताल के उस कमरे में जैसे ही पहुंचीं, जिस में कमलेश भरती था, उन्हें देख कर कमलेश तुरंत बेहोश हो गया. कमलेश की मां किरण उस की देखभाल के लिए वहीं थीं. पुलिस उन्हें बाहर भेज कर कमलेश से बात करने की कोशिश करने लगी. कमलेश बेहोशी का नाटक तो किए ही था, अब कराहने भी लगा.

थानाप्रभारी मंजू यादव भी कम नाटकबाज नहीं थीं. उन्होंने सच्चाई का पता लगाने के लिए एक योजना बनाई. उस योजना के तहत उन्होंने एक सिपाही को परदे के पीछे छिपा कर खड़ा कर दिया और एक मोबाइल फोन का वाइस रिकौर्ड चालू कर के कमलेश के बेड पर इस तरह रख दिया कि उसे पता नहीं चला. इस के बाद उन्होंने साथियों के साथ बाहर आ कर कमलेश की मां से कहा, ‘‘कमलेश अभी बयान देने लायक नहीं है. जब वह बयान देने लायक हो जाए, आप हमें सूचना भिजवा दीजिएगा. हम सभी आ कर बयान ले लेंगे.’’

इतना कह कर थानाप्रभारी मंजू यादव ने किरण को अंदर भेज दिया. मां के अंदर आते ही कमलेश को होश आ गया. उस ने तुरंत पूछा, ‘‘पुलिस वाले चले गए?’’

मां ने हां में सिर हिलाया तो वह उन से अच्छी तरह बातें करने लगा. उसे अच्छी तरह बातें करते देख परदे के पीछे छिप कर खड़े सिपाही ने मिसकाल दे कर थानाप्रभारी मंजू यादव को अंदर आने का इशारा कर दिया. वह साथियों के साथ तुरंत अंदर आ गईं. कमरे में अचानक पुलिस को देखते ही कमलेश फिर से बेहोशी का नाटक कर के कराहने लगा.

मंजू यादव ने हंसते हुए पलंग पर छिपा कर रखे मोबाइल फोन को उठा कर रिकौर्ड हुई मांबेटे की बातचीत सुनाई तो कमलेश का कराहना बंद हो गया. उसे तुरंत अस्पताल से छुट्टी करा कर थानाप्रभारी मंजू यादव रानीसराय स्थित पुलिस मुख्यालय ले गईं. उन्होंने वहां वीडियोग्राफी की तैयारी पहले से ही करा रखी थी.

वीडियोग्राफी कराते हुए कमलेश से पूछताछ शुरू हुई. इस पूछताछ में उस ने पुलिस को भरमाने के लिए एक कहानी सुनाई, जो इस प्रकार थी.

कमलेश ने बताया कि 4-5 दिनों से काले रंग की एक पलसर मोटरसाइकिल से 2 लड़के मुंह पर कपड़ा बांध कर उस के घर के आसपास चक्कर लगा रहे थे. उस दिन वही दोनों लड़के उस के घर में घुस आए और उस के सिर पर डंडा मार कर उसे बेहोश कर दिया. इस के बाद उन्होंने लूटपाट की होगी. पिंकी ने विरोध किया होगा या उन्हें पहचान लिया होगा, जिस की वजह से उन्होंने उस की हत्या कर दी होगी.

पति की आशिकी का अंजाम – भाग 1

राहुल इंदौर के एयरोड्रम रोड पर स्थित कृष्णबाग कालोनी में रहने वाले अपने मामा मनोहर पांचाल के यहां शादी का कार्ड देने पहुंचा  तो घर में सन्नाटा छाया हुआ था. पहली मंजिल पर जा कर उस ने कमरे का दरवाजा खटखटाया तो अंदर कोई हलचल नहीं सुनाई दी. कुछ देर उस ने इंतजार किया. जब दरवाजा नहीं खुला तो उसे हैरानी हुई. क्योंकि दरवाजे के बाहर की कुंडी खुली थी. इस का मतलब घर खाली नहीं था.

राहुल ने एक बार फिर दरवाजा खटखटाया. इस बार भी दरवाजा नहीं खुला तो उस ने दरवाजे पर धक्का दिया. अंदर से सिटकनी बंद नहीं थी, इसलिए दरवाजा खुल गया. वह अंदर कमरे में पहुंचा तो कोई दिखाई नहीं दिया. उस ने बेडरूम में झांका. वहां भी कोई दिखाई नहीं दिया तो वह किचन की ओर बढ़ा. वहां उस ने जो देखा, उस की रूह कांप उठी. उस के मामा के बेटे कमलेश की पत्नी खून से लथपथ फर्श पर पड़ी थी. उसी के ऊपर कमलेश औंधा पड़ा था.

यह भयानक दृश्य देख कर वह घबरा तो गया, लेकिन धैर्य नहीं खोया. उस ने तुरंत 108 नंबर पर एंबुलेंस के लिए फोन किया. इस के बाद उस ने अपने कुछ दोस्तों को फोन किया. यह 17 फरवरी, 2014 की बात है. उस समय शाम के साढ़े 4 बज रहे थे. राहुल को पता था कि उस समय उस के मामा मनोहर पांचाल ड्युटी पर होंगे. वह हाईकोर्ट जज की गाड़ी चलाते थे. मामी किरण पांचाल के पिता की मौत हो गई थी, इसलिए वह अपने मायके गई हुई थीं. उन का मायका बड़नगर के पास लोहाना गांव में था. बाकी बच्चे स्कूल गए हुए थे.

थोड़ी ही देर में राहुल के दोस्त तो आ गए, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई. राहुल ने कमलेश और पिंकी की नब्ज टटोली. पता चला पिंकी मर चुकी है. लेकिन कमलेश की सांस अच्छी तरह चल रही थी. वह सिर्फ बेहोश था. वे कार से कमलेश को नजदीक के एक प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने जांच कर के बताया कि यह पूरी तरह से स्वस्थ है. शायद घबरा गया है, जिस से चक्कर खा कर गिर गया है.

लेकिन राहुल और उस के दोस्तों को डाक्टरों की इस बात पर भरोसा नहीं हुआ, इसलिए वे कमलेश को दूसरे बड़े सीएचएल अस्पताल ले गए, जहां उसे आईसीयू में भरती करा दिया. एक राहुल और उस के दोस्त कमलेश को इलाज के लिए अस्पताल ले कर चले गए थे, जबकि दूसरी ओर इस घटना की सूचना थाना एयरोड्रम पुलिस को दे दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए सूचना मिलते ही थानाप्रभारी मंजू यादव पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गईं.

लाश निरीक्षण और पूछताछ में उन्हें मामला रहस्यमय लगा, इसलिए थानाप्रभारी ने अधिकारियों को सूचना देने के साथ जरूरी साक्ष्य एकत्र करने के लिए एफएसएल अधिकारी डा. सुधीर शर्मा को बुला लिया था. निरीक्षण के दौरान सुधीर शर्मा ने देखा कि वहां 2 चाकू पडे़ हैं. दोनों ही चाकू अपराध को अंजाम देने वाले न हो कर किचन के उपयोग में लाए जाने वाले थे. उन में से एक चाकू टूटा हुआ था. जो चाकू टूटा था, उस पर खून नहीं लगा था.

इस से अंदाजा लगाया गया कि हमला करने में वह चाकू टूट गया होगा, तब हत्यारे ने दूसरा चाकू ले कर हत्या की होगी, क्योंकि दूसरा चाकू खून से लथपथ था. डा. सुधीर शर्मा ने घटनास्थल का निरीक्षण कर के अंगुलियों के निशान, खून के नमूने और चाकू वगैरह अपने कब्जे में ले लिए तो पुलिस ने अपना काम शुरू किया.

जांच में पुलिस ने देखा कि कमरे का सामान बिखरा हुआ था. अलमारियां खाली पड़ी थीं. पुलिस ने इधरउधर देखा तो पलंग के नीचे कुछ गहने उसे मिल गए. मृतका के शरीर पर भी सारे गहने मौजूद थे. इस से पुलिस और एफएसएल अधिकारी डा. सुधीर शर्मा ने अनुमान लगाया कि वारदात को किसी जानपहचान वाले ने ही अंजाम दिया है. शायद हत्या उस ने पहचाने जाने की वजह से की है.

पुलिस लाश और घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रही थी कि सूचना पा कर मनोहर पांचाल आ गए थे. पुलिस ने उन से कहा कि वह देख कर बताएं कि घर का क्या क्या सामान गायब है. इस पर उन्होंने कहा, ‘‘घर का सामान तो गायब नहीं लगता, रही बात गहनों की तो उस के बारे में मैं ज्यादा कुछ बता नहीं सकता. लेकिन जो गहने मिले हैं, वे पूरे नहीं हैं. हो सकता है, घर में कहीं और रखे हों या अपराध को अंजाम देने वाले अपने साथ ले गए हों.’’

लूट के बारे में मनोहर से ज्यादा कुछ जानकारी नहीं मिल सकी थी. औपचारिक पूछताछ के बाद पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई निपटा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया.

घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए कमलेश से पूछताछ करना जरूरी था. क्योंकि राहुल द्वारा मिली जानकारी के अनुसार वह लाश के पास ही बेहोश मिला था. इसलिए घटना के बारे में उसी से कुछ पता चल सकता था. उस से पूछताछ करने पुलिस अस्पताल पहुंची तो पता चला कि वह अभी भी बेहोश है. पुलिस ने डाक्टरों से पूछा तो उन्होंने बताया कि वह शारीरिक रूप से तो स्वस्थ है. लेकिन शायद घटना से घबरा गया है, इसलिए बेहोश है. पुलिस बिना पूछताछ के ही लौट आई.

घटना की जांच के लिए थानाप्रभारी मंजू यादव ने सबइंसपेक्टर राजेंद्र सिंह दंडोत्या और भीम सिंह रघुवंशी के नेतृत्व में एक टीम बना कर लगा दी. इन दोनों सबइंसपेक्टरों ने जो जानकारी जुटाई, उस के अनुसार मृतका पिंकी का पति कमलेश पांचाल इंदौर की कृष्णबाग कालोनी के मकान नंबर 126 में रहने वाले मनोहर पांचाल का बेटा था. बीकौम करने के बाद वह एक काल सेंटर में नौकरी करने लगा था.

अभिनय का शौकीन कमलेश कालेज के नाटकों में भी भाग लेता रहा था. नाटकों में भाग लेने की ही वजह से वह काफी फ्रैंक हो गया था. हर किसी से वह बेझिझक बात कर लेता था. ऐसे में उसे किसी से भी दोस्ती करने या बातचीत में जरा भी हिचक नहीं होती थी. यही वजह थी कि उस की कालेज की तमाम लड़कियों से तो दोस्ती हो ही गई थी, काल सेंटर में साथ काम करने वाली लडकियों से भी दोस्ती हो गई थी. इन लड़कियों से अकसर वह फोन पर बातें करता रहता था.

कविता ने लिखी खूनी कविता

कविता ने लिखी खूनी कविता – भाग 3

कविता अकसर दीपचंद को अपने से दूर रखती थी. इस से दीपचंद का संदेह और पुख्ता हो गया था. वह कविता पर दबाव बनाने लगा कि वह बृजेश से मेलजोल बंद कर दे और न ही उस से फोन पर बात करे. बृजेश को ले कर उस का कविता से विवाद भी होने लगा था.

इस कहासुनी में वह कभीकभी कविता की पिटाई भी कर देता था. यहां तक कि दीपचंद ने पत्नी कविता को खर्च के लिए पैसे देने भी बंद कर दिए तो कविता को समझ आ गया था कि अब पति के जिंदा रहते वह बृजेश से अपने संबंधों को जारी नहीं रख पाएगी.

बृजेश भी कविता के प्यार में इतना पागल हो चुका था कि उसे कविता से मिले बगैर चैन नहीं मिलता. कविता के मन में हरदम यही विचार आता था कि वह पति को रास्ते से हटा दे और उस के बाद बृजेश के साथ इसी तरह नाजायज संबंध बनाए रखेगी. इस से उस के ससुर की जमीनजायदाद में भी उस का हिस्सा बना रहेगा और प्रेमी की बाहों का झूला भी उसे मिलता रहेगा. यहीं से कविता ने बृजेश के साथ मिल कर पति को रास्ते से हटाने की साजिश रची.

प्रेमी के लिए मिटाया सिंदूर

जब कविता पति की हत्या के लिए तैयार हो गई तो बृजेश ने अपने साथ टेंटहाउस में साथ काम करने वाले दोस्त गणेश विश्वकर्मा को साजिश में शामिल कर लिया. उस ने गणेश को दोस्ती का वास्ता दे कर रुपए देने का लालच दिया.

योजना के मुताबिक कविता इस बीच मायके चली गई, जिस से दीपचंद के अचानक लापता होने पर संदेह न हो. हत्या के लिए 19 जुलाई, 2023 की तारीख तय की गई. उस दिन दीपचंद ने काम से छुट्टी ले रखी थी, यह बात कविता ने दीपचंद को फोन कर के तसल्ली भी कर ली थी कि वह घर पर ही है. इस के बाद उस ने बृजेश को फोन कर दीपचंद की लोकेशन बता दी.

बृजेश ने पन्ना जिले के अमानगंज निवासी बिट्टू दुबे की चार पहिया गाड़ी एमपी20 सीई 6749 किराए पर ले ली. इस के बाद वह सुनवानी से गणेश विश्वकर्मा को साथ ले कर खैरा गांव पहुंचा. वहां दीपचंद को फोन कर घर के बाहर मिलने बुलाया. फिर पार्टी के बहाने दीपचंद को साथ ले कर वर्धा होते हुए खजरूट स्थित पेट्रोल पंप के पास पहुंचे. वहां एक गुमटी से सिगरेट, पानी और नमकीन के पैकेट लिए. बृजेश ने शराब पहले ही खरीद ली थी. रास्ते में एक जगह रुक कर तीनों ने शराब पी.

बृजेश और गणेश ने दीपचंद को ज्यादा शराब पिलाई. दीपचंद जल्दी ही शराब के नशे में धुत हो गया. इस के बाद बृजेश ने गाड़ी पंडवन पुल के पास बने मंदिर की ओर मोड़ दी. कल्लू ने मंदिर के पास गाड़ी रोक कर दीपचंद को गाड़ी से उतारा. इस के बाद गणेश और बृजेश ने दीपचंद को जमीन पर पटक दिया और उस का गला दबा दिया. इस से दीपचंद बेहोश हो गया.

दीपचंद के बेहोश होने के बाद बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू ने गाड़ी में रखी लाठी उठाई और सिर पर तब तक वार किए, जब तक वह मर नहीं गया. इस के बाद उस के लोअर से मोबाइल और पर्स निकाल लिए. पर्स में करीब 700 रुपए थे, जो बृजेश ने रख लिए और पर्स और चप्पलें झाड़ी में फेंक दीं.

पुलिस ने बरामद किए अहम सबूत

इस के बाद बृजेश बर्मन और गणेश विश्वकर्मा ने दीपचंद की लाश को गाड़ी नंबर एमपी20 सीई6749 में डाल कर पंडवन की केन नदी में ले जा कर बहा दिया. दीपचंद का मोबाइल और घटना में प्रयुक्त खून से सना डंडा भी नदी में फेंक दिया. तब तक रात के साढ़े 10 बज चुके थे.

दोनों ने गाड़ी में लगे खून को साफ किया और रात में ही गाड़ी उस के मालिक बिट्टू दुबे को सौंप कर अपने अपने घर आ गए. 3 दिन बाद जब दीपचंद के लापता होने की खबर फैली तो बृजेश भी दिलासा देने उस के घर गया, जिस से किसी को उस पर शक न हो.

आरोपियों ने खजरूट की जिस दुकान से शराब व सिगरेट खरीदी थी, पुलिस ने उस दुकान मालिक वीरभान सिंह से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस दिन बृजेश बर्मन व गणेश विश्वकर्मा गाड़ी से आए थे और शराब व सिगरेट खरीदी थी. वीरभान ने यह भी बताया कि ड्राइवर वाली सीट पर बृजेश बर्मन बैठा था, बगल वाली सीट पर दीपचंद बैठा था.

बृजेश बर्मन और गणेश विश्वकर्मा पन्ना के सुनवानी के जिस टेंटहाउस में काम करते थे, उस के मालिक कमलेश विश्वकर्मा से भी पुलिस टीम ने पूछताछ की तो कमलेश ने बताया कि 21 अगस्त को जब गैसाबाद की पुलिस जांच करने सुनवानी आई थी, उस रात गणेश ने शराब के नशे में बृजेश बर्मन के साथ मिल कर दीपचंद की हत्या की बात बताई थी.

टीआई विकास सिंह चौहान ने बृजेश और गणेश की निशानदेही पर झाड़ियों में छिपाई चप्पलें और खाली पर्स जब्त कर लिया. इस के अलावा घटना में प्रयुक्त बिट्टू दुबे की गाड़ी भी जब्त कर ली. जहां दीपचंद का शव फेंका गया, वह जगह पन्ना जिले में आती है. केन नदी पन्ना जिले की सब से बड़ी नदी है और इस में बड़ी संख्या में मगरमच्छ भी रहते हैं.

इस से यह आशंका भी व्यक्त की जा रही थी कि नदी में बहाए गए शव को मगरमच्छों ने अपना ग्रास न बना लिया हो. स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ के सहयोग से केन नदी में दीपचंद की लाश की सर्चिंग करवाई, लेकिन लाश बरामद नहीं हो सकी.

25 अगस्त, 2023 को गैसाबाद पुलिस ने हत्या, साक्ष्य छिपाने और साजिश रचने का मामला दर्ज कर तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उन्हें दमोह जेल भेज दिया गया.

दीपचंद की हत्या को एक माह से अधिक समय हो गया था, मगर दीपचंद का शव बरामद नहीं हुआ था. इसे ले कर दीपचंद के परिवार और रिश्तेदारों ने पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया था. एसडीआरएफ की टीमें केन नदी में लगातार शव तलाश रही थीं, परंतु सफलता नहीं मिल रही थी. एक माह के दौरान नदी में बाढ़ भी आ चुकी थी, इस से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि शव कहीं दूर निकल गया हो. दमोह जिले के एसपी और एसडीओपी नितिन पटेल लगातार पुलिस टीमों को खोजबीन के लिए भेज रहे थे.

30 अगस्त, 2023 को गैसाबाद पुलिस को सूचना मिली कि अमानगंज थाने के जिज गांव के नाले के पास एक क्षतविक्षत शव के अवशेष पड़े हुए हैं. सूचना पर पहुंची पुलिस टीम को केन नदी और एक नाले के बीच बने टापू पर देर रात शव के अवशेष बरामद हुए.

शिनाख्त के लिए एसडीओपी (हटा) नीतेश पटेल के निर्देश पर गैसाबाद थाना पुलिस टीम मौके पर दीपचंद के पिता हाकम को ले कर पहुंची. हाकम ने हाथ में बंधे रक्षासूत्र और उस के पहने हुए कपड़ों से उस की शिनाख्त अपने बेटे दीपचंद पटेल के रूप में की.

पुलिस ने शव को बरामद कर पंचनामा और पोस्टमार्टम की काररवाई कर शव के अवशेष डीएनए टेस्ट के लिए सुरक्षित करने के बाद वह परिजनों के सुपुर्द कर दिया.

एसपी सुनील तिवारी ने शव की खोजबीन में लगे पुलिसकर्मियों और एसडीआरएफ टीम के प्रयासों की सराहना की. कविता पटेल ने एक गलती से अपनी मांग का सिंदूर पोंछ कर अपनी बसी बसाई घरगृहस्थी उजाड़ ली और जेल की हवा खानी पड़ी.

कविता ने लिखी खूनी कविता – भाग 2

शादी के पहले के प्रेमी से जोड़े संबंध

शादी के बाद दीपचंद जैसा पति और हाकम जैसा नेकदिल ससुर पा कर कविता भी काफी खुश थी, उस ने ससुराल को ही अपना घर मान लिया था. कविता के मम्मीपापा राजस्थान के जोधपुर में एक सीमेंट फैक्टी में काम करते थे.

दीपचंद का मन खेतीबाड़ी में नहीं लगता था. इस वजह से वह उन दिनों काम की तलाश कर रहा था. जब कविता के पिता ने उसे जोधपुर में काम दिलाने की बात की तो वह शादी के कुछ महीनों बाद ही राजस्थान पहुंच गया. दीपचंद तब राजस्थान की एक सीमेंट फैक्ट्री में नौकरी पर चला गया.

घर में अकेली कविता को तन्हाई ने डस लिया. उस के मन के एक कोने में अब भी अपने बचपन के प्यार बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू की यादें थीं. जब अकेलापन भारी पड़ने लगा तो उस ने बृजेश से फिर तार जोड़ लिए. कविता का मायका सुनवानी पन्ना में था, वह पहले शराब कंपनी में काम करता था. तब कविता के पापा के घर में ही किराए पर रहता था.

कविता ने बीएससी तक की पढ़ाई की थी और वह शुरू से ही सपनों की दुनिया में सैर करने वाली लड़की थी. बृजेश तब शराब कंपनी में काम कर के अच्छे पैसे कमा रहा था. उसे कविता पहली ही नजर में पसंद आ गई थी. वह आतेजाते कविता से बात करने के बहाने ढूंढता. उस समय कविता की उम्र महज 19 साल थी.

एक दिन बृजेश शाम को जल्दी अपने रूम पर आ गया. उस समय कविता की मां मंदिर गई थीं और पिता किसी काम से बाहर गए हुए थे. बृजेश ने मौका देखते ही अपने प्यार का इजहार करते हुए कहा, “कविता, तुम बहुत खूबसूरत हो. आई लव यू कविता.’’

कविता भी मन ही मन बृजेश को चाहने लगी थी, मगर डर के मारे यह बात दिल में दबाए बैठी थी. जब बृजेश ने प्यार का इजहार किया तो उस ने भी कह दिया, “आई लव यू टू बृजेश.’’

कविता की स्वीकृति मिलते ही बृजेश ने उस का हाथ पकड़ा और गालों पर चुंबन लेते हुए कहा, “कविता, मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता.’’

कविता का चेहरा मारे शर्म के लाल हो गया, उस ने जल्दी से अपना हाथ छुड़ाया और अपने कमरे की तरफ भाग गई. धीरेधीरे दोनों में गहरी दोस्ती और फिर प्यार परवान चढ़ने लगा. बृजेश अकसर कविता के लिए महंगे गिफ्ट भी ला कर देने लगा.

कविता पटेल और बृजेश बर्मन अलगअलग जाति के थे. दोनों शादी के लिए राजी थे, मगर सामाजिक रीतिरिवाजों में इस की इजाजत नहीं थी. बृजेश उसे घर से भगा कर शादी करना चाहता था, लेकिन कविता घर से भाग कर शादी करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई. आखिर में मई, 2021 में कविता की शादी उस के घर वालों ने दमोह जिले के खैरा गांव निवासी दीपचंद से कर दी.

किराएदार से हुआ था प्यार

23 साल की कविता की शादी दीपचंद पटेल से हुई थी. उस समय कविता हायर सेकेंडरी तक पढ़ी थी. जब उस ने अपने ससुर से आगे पढ़ने की इच्छा जताई तो उन्होंने उस का एडमिशन पन्ना के अमानगंज कालेज में करवा दिया. शादी से पहले कविता का उस के मकान में रहने वाले किराएदार बृजेश बर्मन उर्फ कल्लू से अफेयर जरूर था, मगर दोनों की जाति अलग होने की वजह से उन की शादी नहीं हो पाई.

शादी के बाद सब ठीकठाक चल रहा था. कविता के ससुर उसे बेटी की तरह प्रेम करते थे. शादी के बाद कविता अपने प्रेमी बृजेश को भी भुला चुकी थी. कविता के पति की नौकरी राजस्थान की सीमेंट फैक्ट्री में थी. शादी के कुछ दिन बाद दीपचंद वापस नौकरी पर लौट गया तो कविता को खाली घर काटने लगा.

एक दिन वह मोबाइल के कौंटैक्ट नंबर देख रही थी, तभी उसे बृजेश का नंबर दिखा. उसे पुराने दिन याद आने लगे. वह बृजेश से बात करने की कोशिश तो करती, लेकिन कुछ सोच कर रुक जाती थी. आखिरकार एक दिन उस ने बृजेश से बात करने की गरज से फोन किया तो बृजेश ने काल रिसीव करते हुए कहा, “हैलो कौन?’’

“बृजेश, पहचाना नहीं मुझे. तुम तो बहुत बदल गए, अब तो मेरी आवाज भी भूल गए.’’ कविता ने शिकायत की.

“जानेमन तुम्हें कैसे भूल सकता हूं. इस अननोन नंबर से काल आई तो पहचान नहीं सका.’’ बृजेश सफाई देते हुए बोला.

“तुम ने तो मेरी शादी के बाद कभी काल भी नहीं की,’’ कविता बोली.

“कविता, मैं तुम्हें दिल से चाहता था, इसलिए मैं तुम्हारा बसा हुआ घर नहीं उजाड़ना चाहता था. मैं ने अपने दिल पर पत्थर रख कर तुम्हारी खुशियों की खातिर समझौता कर लिया था,’’ बृजेश बोला.

“सच में इतना प्यार करते हो तो मुझ से मिलने दमोह आ जाओ, तुम्हारी जुदाई बरदाश्त नहीं हो रही.’’ कविता ने फिर से उस के प्रति चाहत दिखाते हुए कहा.

कई महीने बाद बृजेश और कविता ने अपने दिल की बातें कीं तो उन का पुराना प्यार जाग गया. उस के बाद दोनों की मेल मुलाकात का सिलसिला चल निकला. बृजेश से जब कविता का दोबारा संपर्क हुआ तो उस समय वह टेंट हाउस में काम करने लगा था. कविता से उस की मुलाकात अकसर कालेज जाते समय होती थी. जब बृजेश कविता की ससुराल भी आने लगा तो कविता ने अपने ससुर और पति से उस का परिचय मुंहबोले भाई के तौर पर कराया.

बृजेश ने दीपचंद से भी दोस्ती कर ली थी. दीपचंद खाने पीने का शौकीन था, इसलिए अकसर ही दीपचंद की बैठक बृजेश के साथ होने लगी. दीपचंद और उस के पिता हाकम को यह शक तक नहीं हुआ कि वह यहां कविता के लिए आता है.

दीपचंद को उस की गैरमौजूदगी में जब बृजेश के कुछ अधिक ही घर आने की खबर मिलने लगी तो उसे संदेह हुआ. फिर दीपचंद राजस्थान से नौकरी छोड़ कर लौट आया. वह पन्ना की सीमेंट फैक्ट्री में काम पर लग गया. वह अपने गांव खैरा के घर से ही ड्यूटी आनेजाने लगा. दीपचंद के लौटने के बाद दोनों का मिलना मुश्किल हो गया था.

धीरेधीरे दीपचंद को पत्नी कविता और बृजेश के संबंधों की भनक लग चुकी थी. हालांकि दोनों ने अपने संबंधों को दीपचंद के सामने स्वीकार नहीं किया. कविता हमेशा बृजेश को मुंहबोला भाई ही बताती रही. शादी के 2 साल बाद भी उन के संतान नहीं हुई थी.