खतरनाक मंसूबे की चपेट में नीलम

4 अप्रैल, 2019 गुरुवार का दिन था. सुबह के लगभग साढ़े 4 बजे थे. सिपाही नीलम शर्मा की सुबह 5 बजे से दोपहर एक  बजे तक मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर ड्यूटी थी. नीलम ने तैयार हो कर अपना लंच बौक्स पिट्ठू बैग में रखा और दामोदरपुरा के मुख्यद्वार पर प्याऊ के पास पहुंच गई. यहीं पर रोजाना उसे लेने के लिए पुलिस की बस आती थी. प्याऊ के पास खड़ी हो कर वह स्टाफ की बस का इंतजार करने लगी.

बस आने के लगभग 5 मिनट पहले एक कार नीलम शर्मा से लगभग 200 मीटर की दूरी पर आ कर रुकी. उस समय नीलम का ध्यान अपनी बस के आने की तरफ था. अचानक आगे बढ़ी कार नीलम के पास आई. झटके से रुकी कार से उतर कर एक युवक तेजी से नीलम की ओर बढ़ा. जबकि कार में बैठे अन्य युवकों ने कार स्टार्ट रखी.

कार से उतरे युवक ने नीलम से कुछ बात की, इस के बाद उस ने नीलम के ऊपर तेजाब फेंक दिया. नीलम ने अपना बैग उस के मुंह पर मारा तो वह फुरती से कार में जा कर बैठ गया. कार वहां से कुछ दूर जा कर खड़ी हो गई.

अचानक हुए एसिड अटैक से झुलसी 26 वर्षीय नीलम घबरा गई. वह तेजाब की जलन से तड़पने लगी. उस ने शोर मचाया. मदद के लिए वह इधरउधर भागने लगी. जो भी उसे मिला, उस ने उसी से मदद की गुहार लगाई.

इस बीच अखबार के एक हौकर ने महिला सिपाही को बचाने का प्रयास किया. तभी हमलावरों ने उन दोनों पर कार चढ़ाने की कोशिश की. लेकिन हौकर महिला सिपाही को ले कर एक तरफ हट गया, जिस से दोनों बच गए. हौकर ने उस कार पर पत्थर भी फेंके पर कार रुकी नहीं, तेज गति से चली गई.

रोते बिलखते वह सिपाही एक दुकान के आगे गिर गई और दर्द की वजह से चीखने लगी. तेजाब से नीलम के कपड़े भी जल गए थे. यह देख दुकानदार ने मौर्निंग वाक पर निकली महिलाओं को बुलाया और उन की चुन्नी से नीलम को ढंका. उसी समय किसी ने इस घटना की जानकारी फोन द्वारा पुलिस को दे दी.

नीलम ने किसी तरह अपनी सहकर्मी सिपाही नीतू को फोन कर दिया था. थोड़ी देर में पुलिस मौके पर पहुंच गई और नीलम को जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

जानकारी मिलते ही एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह, एसपी (क्राइम) अशोक कुमार मीणा, एसपी (सुरक्षा) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह भी अस्पताल पहुंच गए. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर साक्ष्य जुटाए. यह घटना विश्वप्रसिद्ध धार्मिक नगरी मथुरा में घटी थी.

नीलम पिछले एक साल से थाना सदर बाजार क्षेत्र के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां अपनी सहकर्मी नीतू के साथ रह रही थी. नीलम के मकान मालिक सुरेंद्र सिंह भी नीतू के साथ अस्पताल पहुंच गए.

महिला सिपाही नीलम पर एसिड अटैक की घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया. पूछताछ में नीलम ने पुलिस को बताया कि इस वारदात को संजय नाम के युवक ने अपने साथियों के साथ अंजाम दिया था.

वह संजय को पहले से जानती थी. नीलम ने सदर बाजार थाने में संजय सिंह उर्फ बिट्टू निवासी नेमताबाद, खुर्जा (बुलंदशहर) व सोनू सहित 4 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. भादंवि की धारा 326(ए), 332 व 506 के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस हमलावरों की तलाश में जुट गई.

नीलम की हालत थी नाजुक

जिला अस्पताल के डाक्टरों ने बताया कि नीलम तेजाब से लगभग 45 फीसदी झुलस गई है. एसिड से उस का चेहरा, एक आंख, हाथ व शरीर के अन्य हिस्से जल गए थे. नीलम की नाजुक हालत को देखते हुए उसी दिन शाम को उसे आगरा के सिकंदरा क्षेत्र स्थित सिनर्जी अस्पताल रेफर कर दिया गया. एसपी (सिटी) राजेश कुमार सिंह खुद उसे ले कर सिनर्जी अस्पताल में भरती कराने पहुंचे.

सिनर्जी अस्पताल के डाक्टर नीलम के इलाज में जुट गए. उन्होंने बताया कि नीलम की हालत स्थिर बनी हुई है. जब नीलम के घर वालों को बेटी के साथ घटी दिल दहलाने वाली घटना की जानकारी मिली तो उन के होश उड़ गए. वे भी सीधे सिनर्जी अस्पताल पहुंच गए.

आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम इस हादसे से बेहद डरी हुई थी. कहने को अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा लगाई गई थी लेकिन पीडि़ता के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से और कड़ी सुरक्षा की मांग की. उन्हें डर था कि फरार संजय उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.

इस पर एसएसपी ने पीडि़ता व उस के घर वालों को हरसंभव सुरक्षा देने का वायदा किया. घर वालों के अलावा अन्य किसी को भी अस्पताल में पीडि़ता से मिलने पर रोक लगा दी गई.

महिला सिपाही पर एसिड अटैक की यह दुस्साहसिक घटना पुलिस के लिए सिरदर्द बन गई थी. हर कोई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा था. इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में यह खबर सुर्खियां बन गई थीं. इस से पुलिस की किरकिरी हो रही थी.

अभियुक्तों के फरार होने को ले कर उस दिन सोशल मीडिया पर भी सवाल खड़े होते रहे. लोगों का कहना था कि जब पुलिस वाले ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो भला आम आदमी का क्या होगा.

उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया ओ.पी. सिंह ने मथुरा के एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज से महिला कांस्टेबल नीलम शर्मा पर हुए एसिड अटैक की पूरी जानकारी ली. उन्होंने निर्देश दिए कि हमलावरों को तत्काल गिरफ्तार किया जाए. इस एसिड अटैक के लिए जिम्मेदार कहीं भी हों, उन्हें ढूंढ निकाला जाए.

मथुरा में पुलिसकर्मी नीलम पर हुए एसिड अटैक के बाद महिला संगठनों के साथसाथ छात्राओं ने भी आक्रोश व्यक्त किया. वात्सल्य पब्लिक स्कूल, राधाकुंड, चरकुला ग्लोबल पब्लिक स्कूल और गौड़ शिक्षा निकेतन में शिक्षिकाओं एवं छात्रछात्राओं ने पीडि़ता के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

उन्होंने एसिड फेंकने वाले दोषी लोगों को फांसी देने की मांग की. वहीं आगरा के सिनर्जी अस्पताल में भरती नीलम को देखने के लिए महिला शांति सेना की सदस्याएं पहुंची. संरक्षिका कुंदनिका शर्मा ने आरोपियों को शीघ्र पकड़ने व कड़ी सजा दिलाने की मांग की.

पकड़ा गया मुख्य आरोपी

एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने आरोपियों को पकड़ने के लिए अलगअलग थानों के तेजतर्रार पुलिस अफसरों की 5 पुलिस टीमें बनाईं. ये टीमें मथुरा के अलावा खुर्जा और बुलंदशहर जा कर आरोपियों को तलाशने लगीं. इस बीच पुलिस को हमलावरों की कार नंबर डीएल 2पीए8381 घटनास्थल से कुछ दूर लावारिस हालत में खड़ी मिली. कार पुलिस ने जब्त कर ली.

पुलिस टीम ने अगले दिन 5 अप्रैल को शाम 5 बजे मुखबिर की सूचना पर एक आरोपी सोनू को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उस ने बताया कि नीलम शर्मा के ऊपर तेजाब संजय सिंह ने डाला था. सोनू की निशानदेही पर रात करीब 11 बजे घटना के मुख्य आरोपी संजय सिंह को मुठभेड़ के बाद यमुनापार इलाके के राया रोड स्थित राधे कोल्डस्टोरेज के पास से गिरफ्तार कर लिया गया.

मुठभेड़ के दौरान संजय के बाएं पैर में गोली लग गई थी. पुलिस ने इलाज के लिए उसे अस्पताल में भरती करा दिया था. संजय के कब्जे से पुलिस ने एक तमंचा और एक बाइक बरामद की. पुलिस ने संजय सिंह से जब सख्ती से पूछताछ की तो सिपाही नीलम शर्मा पर एसिड अटैक करने की जो कहानी सामने आई, वह प्यार की चाशनी में डूबी हुई निकली—

नीलम शर्मा मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला बुलंदशहर की कोतवाली शिकारपुर के गांव आंचरू कलां की रहने वाली थी. उस के पिता का नाम सुंदरलाल शर्मा था. जबकि मुख्य आरोपी संजय सिंह खुर्जा में एक कंप्यूटर सेंटर चलाता था. जब नीलम पढ़ाई कर रही थी, तब उस का संजय सिंह की दुकान पर आनाजाना लगा रहता था.

संजय और नीलम की मुलाकात कंप्यूटर सेंटर में हुई जो बाद में दोस्ती में बदल गई थी. दोस्त बन जाने के बाद दोनों फोन पर भी बातें करने लगे. दोस्ती बढ़ी तो संजय नीलम को एकतरफा प्यार करने लगा, जबकि नीलम उसे केवल अपना दोस्त ही समझती थी.

एक दिन संजय ने अपने मन की बात नीलम के सामने जाहिर कर दी तो नीलम ने उसे झिड़क दिया और उस से दूरी बना ली. इस पर संजय ने इस बारे में नीलम के घर वालों से बात की. चूंकि संजय उन की बिरादरी का नहीं था, इसलिए नीलम के पिता सुंदरलाल शर्मा ने नीलम की शादी संजय से करने को मना कर दिया.

इस के बाद नीलम की सन 2016 में उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर नौकरी लग गई. नौकरी लगने के बाद भी संजय ने उसे परेशान करना बंद नहीं किया. और कोई रास्ता न देख नीलम ने अपना फोन नंबर बदल दिया. लेकिन इस के बावजूद संजय ने उसे ढूंढ निकाला और परेशान करने लगा.

संजय लगातार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था. इस से परेशान हो कर नीलम के घर वालों ने उस की शादी कहीं दूसरी जगह तय कर दी.यह बात संजय को बुरी लगी. उसे लगने लगा कि उस की प्रेमिका अब किसी और की हो जाएगी.

सन 2017 में नीलम की पोस्टिंग मथुरा में हो गई. कुछ दिनों वह पुलिस लाइन में रही, इस के बाद सन 2018 में उस की तैनाती श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा में हो गई. इस पर नीलम मथुरा के दामोदरपुरा में प्रधान सुरेंद्र सिंह के यहां किराए पर रहने लगी. उस ने अपनी बैचमेट और सहेली नीतू को भी उस कमरे में अपने साथ रख लिया था.

पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में संजय सिंह ने बताया कि वह नीलम से प्यार करता था. उस से उस की पिछले 10 सालों से जानपहचान थी. वह उस से शादी करना चाहता था, लेकिन उस ने बात तक करनी बंद कर दी थी. जब उसे पता चला कि नीलम की शादी कहीं और तय हो गई है, तब उस ने तय कर लिया था कि वह अपनी प्रेमिका को किसी और की हरगिज नहीं होने देगा.

खतरनाक इरादे

उस की शादी रोकने के लिए उस ने नीलम के ऊपर तेजाब डालने का फैसला कर लिया. इस काम के लिए उस ने अपने दोस्तों हिमांशु ठाकुर, बौबी, किशन शर्मा और सोनू को भी तैयार कर लिया. ये सब उस की प्रेम कहानी को जानते थे.

सब से पहले इन लोगों ने नीलम के आनेजाने के मार्ग की रेकी की. इस से पता लग गया कि उस की ड्यूटी श्रीकृष्ण जन्मस्थली की सुरक्षा पर लगी है और वह सुबह पैदल ही दामोदरपुरा के प्याऊ पर पहुंचती है. वहां से वह पुलिस की बस में बैठ कर जाती है.

उन्होंने प्याऊ के पास ही योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया. यह भी तय कर लिया था कि यदि नीलम बच गई तो उसे गोली मार देंगे. और अगर उस के साथ उस की सहेली नीतू हुई तो उसे भी जिंदा नहीं छोड़ेंगे.

सभी ने बौबी की कार से घटना को अंजाम देने की बात तय कर ली. योजना बनाने के बाद संजय ने खुर्जा में पाहसू रोड स्थित दुकानदार पुनीत शर्मा के यहां से तेजाब खरीद लिया. फिर 4 अप्रैल, 2019 की सुबह उन्होंने वारदात को अंजाम दे दिया.

संजय की निशानदेही पर पुलिस ने तेजाब विक्रेता पुनीत शर्मा को भी गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद पुलिस ने संजय सिंह, सोनू और पुनीत शर्मा को कोर्ट में पेश कर संजय का रिमांड मांगा.

गोली लगने की वजह से संजय अस्पताल में भरती था. अदालत ने पुलिस की मांग मंजूर कर सोनू और पुनीत शर्मा को जेल भेज दिया और गोली से घायल संजय को पुलिस कस्टडी में सौंप दिया.

पुलिस को अभी कई आरोपी गिरफ्तार करने थे. संजय की निशानदेही पर 6 अप्रैल को पुलिस ने बौबी और किशन शर्मा को गोकुल बैराज मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. शाम 6 बजे के करीब वे दोनों मथुरा आए हुए थे. पुलिस के अनुसार, उन का अपराध इसलिए भी गंभीर हो गया क्योंकि उन्होंने संजय को रोकने के बजाए उकसाया था.

पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ कर रविवार को जेल भेज दिया. एसिड अटैक के अब तक 5 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके थे. अभी एक आरोपी हिमांशु ठाकुर पुलिस की गिरफ्त से दूर था.

पुलिस को 9 अप्रैल, 2019 को पता चला कि फरार आरोपी हिमांशु मथुरा आ रहा है. इस के बाद स्वाट टीम प्रभारी राजीव कुमार, थाना सदर बाजार प्रभारी लोकेश भाटी और छाता कोतवाली प्रभारी हरवेंद्र मिश्रा ने घेराबंदी कर के गोकुल बैराज पर उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फायर कर के बाइक से भागने लगा. उसे पकड़ने के लिए पुलिस ने भी गोली चलाई.

गोली उस की दाहिनी टांग में लगी थी. घायल आरोपी वहीं गिर गया. इस के बाद पुलिस ने उसे हिरासत में लेने के बाद जिला अस्पताल में भरती करा दिया.

अपराध में हिमांशु भी था बराबर का हिस्सेदार

हिमांशु की सीधे हाथ की अंगुलियां तेजाब से जल गई थीं. पुलिस ने उस के पास से बाइक व तमंचा भी बरामद कर लिया. पूछताछ में उस से काम की कई बातें पता चलीं. हिमांशु को भी अदालत में पेश किया गया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

उधर मुख्य आरोपी संजय सिंह जिस की बाईं टांग में गोली लगी थी, उस का औपरेशन किया गया. उसे 2 यूनिट खून भी चढ़ाया गया.

प्रैस कौन्फ्रैंस में एसएसपी ने बताया कि आरोपी संजय ने जबरन शादी के लिए इस घटना को अंजाम दिया था. महिला पुलिसकर्मी पर एसिड अटैक की दिल दहला देने वाली घटना में शामिल सभी 6 आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए.

इन में से 4 को जेल भेज दिया गया, जबकि 2 घायल आरोपी अस्पताल में भरती हैं, जहां उन का उपचार चल रहा है. सभी पर एनएसए भी लगाया जाएगा. एसिड अटैक से घायल महिला पुलिसकर्मी नीलम की हरसंभव सहायता की जाएगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 3

तहेरा भाई योगेश ही था संदिग्ध

शाम को शहर में एक दुकान पर वैसा ही लाइटर मिला. इस के पीछे एसएसपी का मकसद था कि जिस दुकान पर लाइटर मिला है, वहां आसपास के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जाएं. शायद कोई सुराग मिल जाए.

संजलि के तहेरे भाई योगेश पर पुलिस को पहले से ही शक था. उस के खुदकुशी कर लिए जाने से पुलिस का काम कुछ आसान हो गया. पुलिस को उस पर शक इसलिए हुआ था क्योंकि पहले दिन आगरा अस्पताल में जहां संजलि भरती थी, उस ने आईसीयू में घुसने का प्रयास किया था. उस की मौत के बाद फोरैंसिक टीम को योगेश के मकान की छत के ऊपर बने कमरे से कीटनाशक मिला.

पुलिस ने जब उस के परिजनों से खुदकुशी की वजह पूछी तो वह कुछ नहीं बता पाए. पुलिस द्वारा योगेश के जब्त किए गए मोबाइल की जांच के दौरान फोन में कुछ नहीं मिला. तब पुलिस ने मोबाइल को डेटा रिकवरी के लिए लेबोरेटरी भेज दिया. इस के साथ ही योगेश के घर की गहन तलाशी भी ली गई.

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योगेश

गांव में यह भी चर्चा थी कि योगेश संजलि के परिवार के ज्यादा करीब था. योगेश ने संजलि को मौडल बनाने का सपना दिखाया था. इस के लिए उस ने संजलि के कई वीडियो भी शूट कराए, फोटो भी खिंचवाए.

कुछ दोस्तों को बुलाया, बताया कि नोएडा से आए हैं जो संजलि का वीडियो बनाएंगे. घर पर ही वीडियो शूट कराया गया, लेकिन वह संजलि को मौडल नहीं बनवा सका. इस के बाद दोनों के बीच बातचीत कम ही होती थी.

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लैबोरेटरी में जांच के दौरान योगेश के मोबाइल का सारा डेटा रिकवर हो गया. वाट्सऐप चैट में चैटिंग देख कर पुलिस अधिकारी चौंके. संजलि द्वारा एक मैसेज योगेश को भेजा गया था. मैसेज में 23 नवंबर को पिता पर हुए हमले के संबंध में संजलि ने कहा था, ‘‘क्या तुम ने ही पापा पर हमला किया था?’’

इस से पुलिस को जांच की दिशा मिल गई. योगेश के कमरे की तलाशी ली गई. तलाशी के दौरान पुलिस को उस के कमरे से एक कौपी मिली, जिस के कुछ पन्ने फाड़े गए थे. इन पन्नों का प्रयोग पत्र लिखने के लिए किया गया था, वह पत्र भी मिल गए. इस के साथ ही एक साइकिल की रसीद और संजलि के नाम का एक प्रमाणपत्र भी मिला.

पुलिस ने कर दिया खुलासा

दिल दहला देने वाले संजलि हत्याकांड का पुलिस ने कड़ी मेहनत के बाद 8वें दिन 25 दिसंबर को परदाफाश कर दिया. यह खुलासा चौंकाने वाला था.

संजलि की मौत के कुछ घंटे बाद ही खुदकुशी कर लेने वाला उस का तहेरा भाई ही मास्टरमाइंड योगेश था. इस जघन्य वारदात की वजह यह रही थी कि संजलि ने उसे वाट्सऐप चैट में ‘लूजर’ कह दिया था. इसी से आहत हो कर योगेश ने यह साजिश रची थी.

उस के मन में प्रतिशोध की भावना घर कर गई थी. इस साजिश के लिए उस ने 15-15 हजार रुपए का लालच दे कर अपने 2 रिश्तेदार युवकों को शामिल कर लिया. 25 दिसंबर को पुलिस ने इन दोनों युवकों को गिरफ्तार कर लिया. इन में विजय निवासी कलवारी, जगदीशपुरा, आगरा जो योगेश के मामा का बेटा है तथा आकाश निवासी मनिया, मलपुरा हाल निवासी लखनपुर, शास्त्रीपुरम, आगरा जो विजय की बहन का देवर है, शामिल थे.

संजलि को अपने जाल में फंसाने के लिए ही योगेश ने उसे साइकिल खरीद कर दी थी. उस ने घर पर बताया था कि संजलि ने यह साइकिल प्रतियोगिता में जीती है. इस प्रतियोगिता का सर्टीफिकेट भी योगेश ने अपने कंप्यूटर से तैयार किया था. भाई योगेश की हरकतों और गलत इरादों का पता चलने पर संजलि ने उस से दूरी बनाने के साथ ही अपने घर आने से भी मना कर दिया था. योगेश ने उसे मौडल बनाने का सपना भी दिखाया.

कुछ दिनों तक संजलि भाई के गलत इरादे नहीं भांप सकी. जब योगेश की नीयत का अहसास हुआ तो वह विरोध करने लगी. योगेश को यह नागवार गुजरा, इसीलिए उसे सबक सिखाने का निर्णय लिया.

23 नवंबर को योगेश ने ही संजलि के पिता पर हमला कराया था. उस के बाद उस ने संजलि को जलाने की योजना बनाई. अपनी इस योजना में उस ने अपने दोनों रिश्तेदारों को पैसों का लालच दे कर शामिल कर लिया.

18 दिसंबर को उस ने ममेरे भाई विजय को रेकी के लिए लगाया. छुट्टी के बाद संजलि जब स्कूल से निकली, वह उस के पीछे लग गया. पैशन प्रो बाइक पर विजय हैलमेट लगाए अलग चल रहा था. जबकि सफेद रंग की अपाचे बाइक जिसे आकाश चला रहा था, के पीछे योगेश बैठा था. दोनों हेलमेट पहने हुए थे. रास्ते में संजलि पर योगेश ने ही पैट्रोल डाला और लाइटर से आग लगा दी.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने घटना में प्रयुक्त दोनों बाइक, वारदात के दौरान प्रयोग किए हैलमेट, मौकाएवारदात पर संजलि का फोटो, योगेश का बैग, जिस में वह कपड़े ले कर गया था, साइकिल की रसीद जो संजलि के पास थी, योगेश के घर पर मिला सर्टिफिकेट जैसा एक सर्टिफिकेट संजलि के घर पर भी मिला. संजलि को लिखे लवलेटर जो वह संजलि को नहीं दे सका था, आदि पुलिस ने बरामद कर लिए.

एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि योगेश संजलि से एकतरफा प्यार कर उसे हासिल करना चाहता था. इस के लिए उस ने मौडल बनवाने का सपना दिखा कर उसे अपने जाल में फंसाने का प्रयास किया. यहां तक कि अपनी ओर से उसे एक साइकिल भी खरीद कर दी. प्रतियोगिता का फरजी प्रमाणपत्र उस ने अपने कंप्यूटर पर तैयार किया था.

योगेश ने टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर संजलि की हत्या की ऐसी साजिश रची थी कि कई बार पुलिस भी गच्चा खा गई. वह एकतरफा मोहब्बत में संजलि को हासिल करना चाहता था. लेकिन जब वह सफल नहीं हुआ तो उस ने घटना को अंजाम दे कर भाईबहन के पवित्र रिश्ते को कलंकित कर दिया.

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संजलि की बड़ी बहन अंजलि को भी उस ने नौकरी लगाने का झांसा दिया था. बाद में मना कर दिया कि तुम्हारी नौकरी नहीं लग सकती. इस पर अंजलि नाराज हुई तो नौकरी के लिए दिए गए उस के सभी शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की फोटोकौपी उस ने जला दीं.

यूट्यूब पर मोटिवेशनल चैनल चलाने वाले योगेश की युवाओं में मोटिवेशन गुरू के रूप में पहचान थी. सभी उस की गंभीरता की मिसाल देते थे. मगर उस गंभीर चेहरे के पीछे शातिर क्राइम मास्टर दिमाग छिपा था.

योगेश चलाता था यूट्यूब चैनल

आरोपी आकाश ने बताया कि योगेश पैट्रोल पंप से बोतल में पैट्रोल नहीं लाया था, बल्कि उस ने बाइक में ही अलग से 60 रुपए का पैट्रोल भरवाया था. इस से पहले उस ने 150 रुपए का तेल भरवाया था. योगेश अपने घर से ही प्लास्टिक की बोतल लाया था. पैट्रोल पंप से कुछ दूर जा कर उस ने बोतल में पैट्रोल निकाल लिया.

आग जलाते समय कहीं हाथ न जल जाएं, इसलिए वह खास तरह के दस्ताने ले कर गया था. संजलि के आग में जलने के दौरान योगेश के कपड़ों में भी आग लग गई थी, तब उस ने दस्ताने पहने हाथ से आग बुझाई.

इसी दौरान उस के हाथ से लाइटर मौके पर ही गिर गया, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया. आरोपी विजय ने बताया कि योगेश घटना के बाद सारे सबूत जलाता चला गया.

योगेश ने जो कपड़े वारदात के समय पहने थे, जला दिए, उस के साथ ही विजय और आकाश के पहने कपड़े भी जलवा दिए. बाइक वह अपने एक दोस्त से मांग कर लाया था, वह उस ने लौटा दी. यह सब उस ने पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए किया था.

योगेश की साजिश में यह बात शामिल थी कि संजलि को जलाए जाते वक्त सब खामोश रहेंगे. ऐसा ही किया गया, इस के पीछे योजना थी कि यदि संजलि बच जाए तो उसे पता न चले कि किस ने जलाया है. विजय को अकेला बाइक पर रेकी के लिए लगाया गया था.

विजय को घटना के बाद कुछ देर रुक कर पूरे हालात की जानकारी ले कर योगेश को देनी थी. बाद में जब वे लोग मिले, तो विजय ने घटना के बारे में बताया कि संजलि मरी नहीं है.

आकाश और विजय ने बताया कि वारदात के बाद उन्हें 15-15 हजार रुपए मिलने थे, वह भी उस ने नहीं दिए थे. दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया.

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फेसबुक का प्यार कौन है हकदार – भाग 3

प्रेमिका से अरमान को मिला आईफोन बना जान का दुश्मन

अरमान की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस की प्रेमिका जैनब ने उस के जन्मदिन पर एक मोबाइल फोन गिफ्ट दिया था. वह फोन ले कर अपने दोस्त फैसल और उस्मान के पास आया. ये दोनों ही गली नंबर 13 भागीरथी विहार में रहते थे.

अरमान ने उन्हें फोन दिखाया तो दोनों अरमान की पीठ थपथपा कर बोले, ”आखिर तुम ने जैनब को पटा ही लिया.’’

”क्यों नहीं पटती यारो, तुम्हारा यार दिखने में कोई फटीचर थोड़ी है, हीरो हूं मैं भागीरथी विहार का.’’ अरमान छाती फुला कर बोला.

”वो तो तुम हो ही. यह बताओ, इस में सिम डाल ली अपनी?’’ फैसल ने पूछा.

”हां, सिम डाल ली है. सुनोगे, अपनी भाभी की आवाज?’’

”हां यार, हमारी बात करवाओ भाभी जैनब से.’’ उस्मान ने उतावलेपन से कहा.

इधर माहिर को किसी तरह पता चल गया कि उस की प्रेमिका उर्वशी ने उस का आईफोन अपनी सहेली को नहीं बल्कि बौयफ्रैंड अरमान को दिया है. यह बात उसे बहुत बुरी लगी थी. उसे अरमान का फोन नंबर भी मिल गया था.

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एक साथ 2 युवकों से चल रहा था इश्क

अरमान अभी जैनब का नंबर मिलाने ही जा रहा था कि उस के फोन पर किसी की काल आ गई. नंबर नया था. अरमान ने काल उठा ली, ”हैलो, आप को किस से बात करनी है?’’ उस ने पूछा.

”तुम्हारा नाम अरमान है क्या?’’ दूसरी ओर से पूछा गया.

”हां, मेरा नाम अरमान है, तुम कौन हो?’’ हैरानी से अरमान ने पूछा.

”मेरा नाम माहिर है.’’ दूसरी ओर से कड़वा स्वर उभरा, ”सुन अरमान, तुझे जो मोबाइल उर्वशी ने गिफ्ट किया है, वह मेरा है. उसे तुम वापिस कर दो. दूसरी बात उर्वशी मेरी है, उस की जिंदगी में दखल देने की कोशिश मत करना.’’

अरमान चौंका, ”मैं उर्वशी को नहीं जानता. मुझे तो फोन जैनब ने दिया है.’’

”जैनब और उर्वशी एक ही लड़की है. मैं उर्वशी उर्फ जैनब से मोहब्बत करता हूं. तुम्हारे पास जो आईफोन है, उर्वशी को मैं ने खरीद कर दिया है. मुझे मोबाइल वापिस दे दो.’’

”यदि न दूं तो?’’ अरमान गुर्रा कर बोला, ”तुम मेरा क्या बिगाड़ लोगे?’’

”मैं भागीरथी विहार आऊंगा, फिर बताऊंगा तेरा क्या बिगाड़ सकता हूं मैं. बता तुम्हारा एड्रैस क्या है?’’

”मुझ से मिलना है तो बृजपुरी की पुलिया पर आ जा. मैं देखता हूं तू कितना बड़ा दादा है.’’ अरमान दांत पीसते हुए बोला.

”आ रहा हूं मैं एक घंटे में तुम्हारी बृजपुरी की पुलिया पर.’’ दूसरी ओर से माहिर ने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

”कौन था, जो तुझे धमकी दे रहा था?’’ फैसल ने हैरानी से पूछा.

”कोई माहिर नाम का लड़का है, कहता है जैनब को वह प्यार करता है. उस के रास्ते से हट जा और यह मोबाइल भी वह अपना बता रहा है, इसे वापस मांग रहा है वह. एक घंटे में वह बृजपुरी पुलिया पर आने वाला है.’’

”आने दो. हरामी यहां से जिंदा नहीं जाएगा.’’ फैसल दांत भींच कर बोला.

”अभी देखते हैं, यह कितनी बड़ी तोप है. चलो बृजपुरी पुलिया पर, वो वहीं आएगा.’’

तीनों बृजपुरी पुलिया पर आ गए. एक घंटे बाद माहिर अपने एक दोस्त दिलशाद के साथ मोटरसाइकिल पर वहां आ गया. अरमान, फैसल और उस्मान मोबाइल काल आने पर उन्हें पहचान कर उन के पास आ गए. माहिर ने तीनों को देख कर पूछा, ”अरमान कौन है?’’

”मैं हूं..’’ अरमान सामने आ गया.

”मुझे मोबाइल दे दो अरमान. वह मेरा है.’’ माहिर आराम से बोला.

”नहीं दूंगा.’’ अरमान गुर्रा कर बोला.

इसी बात पर उन की गरमागरमी होने लगी. अरमान, फैसल और उस्मान के तेवर खतरनाक होते देख कर दिलशाद ने बीचबचाव करते हुए कहा, ”देखो, एक लड़की के चक्कर में लडऩा अच्छी बात नहीं है. अरमान, तुम सब आराम से बात कर लो. माहिर को फोन वापस दे दो.’’

”लेकिन मैं ने इस से मोबाइल नहीं लिया है. मोबाइल मैं जैनब को दे दूंगा. उस से ले लेना.’’

”ठीक है, तुम जैनब को मोबाइल दे देना. चलो माहिर, हम जैनब उर्फ उर्वशी से बात कर लेंगे. वह मोबाइल अरमान से ले कर तुम्हें दे देगी.’’ दिलशाद ने माहिर को समझाया और मोटरसाइकिल वापस मोड़ ली.

उस दिन वे वापस लौट गए. लेकिन जैनब से दूर होने तथा अपना मोबाइल वापस करने के पीछे माहिर और अरमान में तूतूमैंमैं और गालीगलौज होती रही.

अरमान ने क्यों की माहिर की हत्या

आखिर अरमान ने फैसल और उस्मान के साथ मिल कर माहिर को रास्ते से हटाने का प्लान बना लिया. अरमान ने घटना को अंजाम देने के लिए पुरानी भागीरथी विहार से 2 चाकू खरीद लिए. पूरी तैयारी करने के बाद अरमान ने माहिर को मोबाइल वापस करने के बहाने से भागीरथी विहार आने को कहा तो माहिर भागीरथी विहार आ गया.

उस समय रात के 8 बजे थे. अरमान, फैसल और उस्मान तीनों को अपने साथ भागीरथी विहार की एक संकरी गली में ले आए. यह 11 नंबर गली थी और इस में एक मकान का काम चल रहा था. गली में सन्नाटा रहता था. वहां कुछ लड़के आग जला कर बैठे थे.

अरमान ने माहिर के दोस्तों को वहां बिठा लिया. उस्मान द्वारा एक दुकान से एनर्जी ड्रिंक और सिगरेट मंगा कर पिलाई, फिर अरमान माहिर को मोबाइल देने के बहाने अंधेरे में लाया.

माहिर कुछ समझ पाता, उस से पहले ही अरमान और फैसल ने ताबड़तोड़ उस पर चाकुओं से हमला कर दिया. माहिर भागने लगा तो नाबालिग उस्मान ने ईंट से उस के सिर पर वार किए. वह बेदम हुआ तो उसे चौड़ी गली में उन्होंने चाकुओं से गोद डाला.

चीखपुकार सुन कर वहां आसपास के लोग घरों से बाहर आ गए थे. फैसल ने चाकू हवा में लहरा कर हिलाते हुए चेतावनी दी कि कोई बीच में आएगा तो उसे जान से मार देंगे.

कोई डर की वजह से सामने नहीं आया तो वे माहिर को बुरी तरह घायल कर के भाग गए. अरमान ने अपना चाकू नाले के पास फेंक दिया. जबकि फैसल का चाकू माहिर की गरदन में फंस कर मुड़ गया था. फैसल ने वह चाकू नहीं निकाला.

यह 28 दिसंबर, 2023 की घटना थी. एक दिन तक तीनों इधरउधर रहे. 29 तारीख को तीनों अशोक नगर पहुंचे. एक पहचान वाला वहां रहता था. उस ने उन की बदहवास हालत देखी तो वह डर गया. उस ने उन्हें पनाह नहीं दी. तीनों दिल्ली से बाहर भागने की फिराक में खड़े थे कि गली के मोड़ से पुलिस द्वारा पकड़ लिए गए.

उन तीनों ने माहिर की हत्या की बात कुबूल ली. तब उन पर भादंवि की धारा 302/201/120बी/34 के तहत केस दर्ज कर के उन्हें 30 दिसंबर, 23 को अदालत में पेश कर के 2 दिन की रिमांड पर ले लिया गया. जबकि नाबालिग उस्मान को बाल न्यायालय में पेश कर बाल सुधार गृह भेज दिया.

रिमांड अवधि में अरमान ने मोबाइल जो जैनब ने उसे गिफ्ट दिया था, उस का डिब्बा और बिल घर से ले कर पुलिस को दे दिया. उस ने नाले के पास कीचड़ में दबा अपना चाकू भी बरामद करवा दिया.

पुलिस को एक सिलवर कलर का मुड़ा हुआ चाकू माहिर की गरदन में धंसा मिल गया था. वह ईंट जिस से उस्मान ने माहिर पर वार किए थे और वह खून में सनी हुई थी तथा खून आलूदा घटनास्थल की मिट्टी सीलमोहर कर ली. दोनों को रिमांड अवधि समाप्त होने पर कोर्ट द्वारा जेल भेज दिया गया.

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            आरोपी फैजल                                                      आरोपी समीर

भागीरथी विहार में गली नंबर 11 तथा बृजपुरी पुलिया पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में माहिर अपने दोस्त दिलशाद के साथ अरमान और फैसल के साथ सड़क पर जाता दिखाई दे रहा था. वह फुटेज हासिल कर ली. जिस दुकान से एनर्जी ड्रिंक और सिगरेट खरीदी गई, उस दुकान का पता तथा जहां से चाकू खरीदे गए थे, उस दुकानदार का बयान भी साक्ष्य के तौर पर एकत्र किए गए. यह साक्ष्य 25 जनवरी, 2024 को एकत्र हुए.

इस घटना की सूचना सब से पहले इब्राहिम ने दी थी. वह तौफीक का बेटा था. उस की उम्र 40 साल थी. वह वी-83 गली नंबर 23, मौजपुर में रहता था, उस का बयान भी पुलिस ने सबूत के तौर पर ले लिया.

माहिर का दोस्त दिलशाद, उम्र-26 साल, मकान नंबर ए-445/जी-10 श्रीराम कालोनी, खजूरी में रहता था. उस के भी बयान लिए गए. जैनब उर्फ उर्वशी जो अरमान और माहिर से फेसबुक द्वारा दोस्त बनी थी. वह फोन नंबर 78********द्वारा माहिर और अरमान से बातें करती थी. वह फोन उस की मां रजनी प्रयोग करती थी. उस के भी बयान करवाए लिए गए.

जैनब उर्फ उर्वशी को जब बताया गया कि अरमान ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर माहिर की निर्मम हत्या कर दी है. वह हैरान रह गई. फेसबुक का यह प्रेम त्रिकोण खूनी खेल खिलाएगा, अगर जैनब समझ जाती तो ऐसा बचकाना प्रेम नहीं करती और आज माहिर की जान भी नहीं जाती.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में जैनब, उर्वशी और उस्मान नाम परिवर्तित हैं.

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रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 2

लोगों ने श्रद्धांजलि के साथ साथ मांगें भी बढ़ा दीं

गांव में एकत्र लोगों ने मांगों को ले कर हंगामा कर दाह संस्कार रोक दिया. परिवार व संगठनों की मांग थी कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी व एक करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए. पुलिस भीड़ के सामने खुद को असहाय महसूस कर रही थी.

यह देख एसएसपी ने वहां भारी संख्या में पुलिस फोर्स भेज दी. भीड़ ने हंगामा किया तो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हलका बल प्रयोग करना पड़ा. पुलिस अधिकारियों के काफी समझाने के बाद रात साढ़े 9 बजे संजलि का अंतिम संस्कार हो सका.

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संजलि की मौत के बाद स्कूलों कालेजों के साथ विभिन्न राजनीतिक व सामाजिक संगठनों ने हत्यारों को गिरफ्तार कर संजलि को इंसाफ दिलाने की मांग को ले कर कैंडिल मार्च निकाले. संजलि के शोक में लालऊ का बाजार भी बंद रहा.

इस घटना में नया मोड़ तब आया, जब संजलि की मौत से दुखी हो कर उस के ताऊ के 24 साल के बेटे योगेश ने एक दिन बाद ही 20 दिसंबर की सुबह जहर खा लिया. उसे परिवार वाले अस्पताल ले गए, जहां उपचार के दौरान उस की मौत हो गई.

योगेश द्वारा अचानक आत्महत्या कर लिए जाने से सभी दुखी व स्तब्ध थे. पुलिस की संदिग्धों की सूची में योगेश पहले से ही शक के घेरे में था. पुलिस उस का मोबाइल जब्त कर के छानबीन करने लगी.

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संजलि के परिवार के नजदीकी लोगों का कहना था कि संजलि डेली डायरी लिखती थी. उसे जो भी अच्छा लगे, बुरा लगे, उसे डायरी में लिखती थी. 15 दिन पहले उस के साथ छेड़छाड़ की जो घटना हुई थी, उस के बारे में उस ने अपने घर वालों को नहीं बताया था.

लेकिन उस ने अपनी डायरी में जरूर लिखा होगा. पुलिस ने उस के घर पर डायरी खोजी लेकिन डायरी घर में नहीं मिली. उस की सहेलियों ने बताया कि वह डायरी को अपने बस्ते में रखती थी, जो घटना में जल कर राख हो चुका था.

मौत से पहले संजलि ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डबडबाई आंखों और थरथराते होंठों से मां से कहा था, ‘‘मां, यदि मैं ठीक हो गई तो हमलावरों को छोड़ूंगी नहीं, उन्हें सबक जरूर सिखाऊंगी. और अगर मैं मर गई तो हमलावरों को छोड़ना मत, उन्हें सजा जरूर दिलाना. मेरे साथ बहुत बुरा हुआ है, ऐसा किसी के साथ न हो.’’

नेताओं ने लगाए संजलि के घर के चक्कर

संजलि को पैट्रोल डाल कर जिंदा जलाने की घटना की गूंज प्रदेश की विधानसभा तक पहुंच गई. 21 दिसंबर को लालऊ में हरेंद्र सिंह के घर दिन भर नेताओं के आने का तांता लगा रहा.

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा ने पीडि़त परिजनों से मुलाकात कर उन्हें जहां सांत्वना दी, वहीं न्याय का भी पूरा भरोसा दिलाया. संजलि के पिता हरेंद्र सिंह की मांग थी कि बड़ी बेटी अंजलि को सरकारी नौकरी और परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए.

उपमुख्यमंत्री ने 5 लाख रुपए की आर्थिक सहायता सरकार की ओर से देने की घोषणा की. घटना के 3 दिन बाद भी संजलि के हत्यारों के न पकड़े जाने से गांव में गमगीन माहौल था. ग्रामीणों व विभिन्न संगठनों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था. प्रदेश ही नहीं, देश में सनसनी फैला चुके इस जघन्य हत्याकांड के गुनहगार पुलिस की गिरफ्त से दूर थे.

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संजलि की जघन्य हत्या पर केवल आगरा में ही नहीं, बल्कि मैनपुरी, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, मथुरा, एटा, बुलंदशहर, लखनऊ, देश की राजधानी दिल्ली में भी आक्रोश था.

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राहुल गांधी के निर्देश पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर संजलि के घर वालों से मिलने गांव पहुंचे. उन्होंने सरकार से इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए पीडि़त परिवार को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दिए जाने की बात कही.

संजलि को जिंदा जला कर मार देने की खबर इलैक्ट्रौनिक और प्रिंट मीडिया में प्रमुखता से छाने लगी, जिस से पुलिस पर दबाव बढ़ता जा रहा था. लेकिन पुलिस अपने काम में जुटी रही. पुलिस की जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही थी.

पुलिस को मिली जांच की दिशा

संजलि को जिन 2 बाइक सवारों ने जलाया था, पुलिस उन में योगेश को पुलिस मुख्य संदिग्ध मान रही थी, पर उस ने आत्महत्या कर ली थी. उस का दूसरा साथी कौन था, यह जानकारी पुलिस को नहीं मिल पा रही थी. गुत्थी उलझने से पुलिस असमंजस में थी.

पुलिस के आला अधिकारी इस हत्याकांड को सुलझाने में जुटे थे. इस के लिए एक दरजन से अधिक टीमें बनाई गईं. इन टीमों को अलगअलग काम सौंपे गए. हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस ने शहरी क्षेत्रों में सूत्र तलाशने के साथ ही संजलि के स्कूल के आसपास के पैट्रोल पंपों व रास्ते के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी.

संजलि के गांव में भी सादा कपड़ों में महिला पुलिस लगा दी गई. इस के साथ ही योगेश के दोस्तों की सूची बना कर उन पर निगाह रखी जाने लगी.

पुलिस ने इस जघन्य वारदात को अंजाम देने के मामले में लालऊ व आसपास के गांवों से 20 युवकों को हिरासत में ले कर उन से पूछताछ की. लेकिन घटना के कई दिन बाद भी आरोपियों के संबंध में कोई ठोस सुराग नहीं मिल सका. पुलिस गोपनीय तरीके से जांच में जुटी रही.

इस बीच 22 दिसंबर को एसएसपी अमित पाठक ने विधिविज्ञान प्रयोगशाला, आगरा की टीम को घटनास्थल पर बुलाया. फोरैंसिक वैज्ञानिक अरविंद कुमार के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक टीम ने शनिवार को क्राइम सीन रीक्रिएट किया. साथ ही खाई से सड़क तक की दूरी नापी.

यह जानने के लिए पैट्रोल पंप पर लगे सीसीटीवी फुटेज भी खंगाले गए कि वहां से किस ने बोतल में पैट्रोल लिया. लेकिन पुलिस को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला, जिस से इस केस के आरोपी पकड़े जा सकें.

फोरैंसिक विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि संजलि को अचानक रोक कर उस पर पैट्रोल नहीं डाला गया बल्कि कुछ दूरी से उस पर पैट्रोल फेंका गया था. पैट्रोल में मोबिल औयल मिला हुआ था, यह सड़क पर जहां जहां गिरा, वहां निशान अभी तक बने हुए थे.

घटना के पांचवें दिन आगरा निवासी एक युवक जो आरओ का काम करता है, ने एसएसपी अमित पाठक को बताया कि 18 दिसंबर को वह अपनी बाइक से जगनेर जा रहा था. नामील के पास उस के मोबाइल की घंटी बजी. जब वह फोन पर बात कर रहा था, तभी बाइक सवार 2 युवकों ने एक लड़की के ऊपर पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी.

दोनों युवक पैशन प्रो बाइक पर थे. इसी बीच छात्रा चीखी और उस के शरीर से आग की लपटें उठने लगीं. उन में से एक युवक काले रंग की जैकेट पहने था. डर की वजह से वह भी घटनास्थल से चुपचाप आगे बढ़ गया. पुलिस ने संजलि के स्कूल के पास एक शोरूम के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज भी देखी.

फुटेज में संजलि साइकिल से जाती हुई दिखाई दे रही थी. एक बाइक पर 2 युवक व दूसरी बाइक पर एक युवक हैलमेट लगाए उस का पीछा करते दिखाई दिए. पुलिस को अब तक की गई जांच में यह पता चल गया था कि इस हत्याकांड को पूरी प्लानिंग से अंजाम दिया गया था.

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घटनास्थल से जो लाइटर मिला, वह गन शेप में था. एसएसपी अमित पाठक ने उस लाइटर को विभिन्न वाट्सऐप ग्रुप में शेयर किया और यह भी पूछा कि लालऊ आगरा शहर में किन किन दुकानों पर ऐसा लाइटर मिलता है. पुलिस भी इस जांच में जुट गई.

पुलिस सदर, नामनेर, चर्चरोड, किनारी बाजार आदि जगहों की उन दुकानों पर पहुंची, जहां गैस चूल्हे और लाइटर मिलते हैं. सभी जगह से लाइटर के फोटोग्राफ लिए गए.

फेसबुक का प्यार कौन है हकदार – भाग 2

एसआई की थोड़ी सी सख्ती ने ही उन्हें गिड़गिड़ाने पर विवश कर दिया. अरमान डरते हुए बोला, ”छोड़ दीजिए साहब, मैं कुबूल करता हूं कि मैं ने इन दोनों दोस्तों के साथ मिल कर माहिर की जान ली थी.’’

एएसआई विपिन त्यागी ने उसी समय एसएचओ प्रवीण कुमार को बुला लिया. उन्होंने बहुत गंभीर स्वर में पूछा, ”तो तुम कुबूल करते हो कि माहिर की तुम्हीं तीनों ने हत्या की है?’’

”हां साहब,’’ अरमान हाथ जोड़ते हुए कराहते हुए बोला.

”तुम तीनों ने माहिर की हत्या क्यों की, तुम्हारी उस से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि तीनों ने इतनी बेरहमी से माहिर की जान ले ली?’’

”माहिर मेरे प्यार में कांटा बन गया था साहब. मैं जिस लड़की से प्यार करता हूं, उसे माहिर हासिल कर लेना चाहता था, मजबूरन मुझे उसे रास्ते से हटाना पड़ा.’’

”मुझे विस्तार से बताओ.’’ एसएचओ इस ट्रिपल लव स्टोरी की हकीकत जानने के लिए उत्सुक हुए तो अरमान ने ऐसी प्रेम कहानी का खुलासा किया, जो आधुनिक प्रेम में युवकयुवती के भटकाव को दर्शाती थी. यह कहानी इस प्रकार थी—

इंस्टाग्राम पर हुई थी जैनब से दोस्ती

अरमान उम्र का 20वां साल पार कर चुका था. इस उम्र में युवा मन में किसी सुंदर लड़की की चाहत अंगड़ाई लेने लगती है. अरमान दिखने में सुंदर था. उस पर कुरता पायजामा ही नहीं, जींस और शर्ट भी खूब जंचती थी. हीरो की तरह रहने वाला अरमान अपने लिए हीरोइन की तलाश कर रहा था.

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अरमान को मोबाइल चलाने का शौक था. उसे मालूम था कि फेसबुक पर जवान जवान लड़कियां दोस्ती के लिए रिक्वेस्ट डालती हैं, उन से दोस्ती की जा सकती है.

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        आरोपी अरमान

अरमान ने फेसबुक खोल कर देखना शुरू किया तो उसे एक पोस्ट पर जैनब नाम की एक लड़की की फ्रेंड रिक्वेस्ट दिखी. जैनब ने अपनी हौबी और अपनी उम्र भी लिखी हुई थी. वह 19 साल की थी. उस की हौबी हमउम्र लड़कों से दोस्ती करना, संगीत सुनना थी. उस ने फेसबुक पर अपनी खूबसूरत फोटो भी लगा रखी थी. अरमान को वह बहुत पसंद आई.

उस ने जैनब की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. जैनब ने उस की दोस्ती को तुरंत स्वीकार कर लिया. उस ने अरमान से शुरू में मैसेज से बातचीत की, फिर उस से फोन मिला कर बातें करने लगी. उस की सुरीली आवाज और खनकती हंसी का अरमान दीवाना हो गया.

दूसरे दिन उस ने जैनब को फोन मिला दिया, ”हैलो जैनब, कहां पर हो?’’

”घर पर ही हूं अरमान. कहो कैसे फोन किया?’’ जैनब ने पूछा.

”तुम्हें अपने सामने देखने का मन हो रहा है जैनब, क्या तुम मुझे बाहर कहीं मिल सकती हो?’’

”मिल लूंगी अरमान, बताओ कहां आऊं मैं?’’

”तुम खुद डिसाइड कर लो जैनब, तुम जहां कहोगी मैं पहुंच जाऊंगा.’’

”मैं कनाट प्लेस आ जाती हूं, तुम पालिका बाजार के गेट नंबर एक पर मेरा इंतजार करना. मैं एक घंटे में पहुंच जाऊंगी.’’ जैनब ने कह कर काल डिसकनेक्ट कर दी.

अरमान हवा में उडऩे लगा. उसे लगा कि जैसे आज मनमांगी मुराद मिल गई है. वह जल्दी जल्दी तैयार हुआ और आटोरिक्शा द्वारा कनाट प्लेस पहुंच गया. पालिका बाजार के गेट नंबर एक पर पहुंच कर उस ने मोबाइल में समय देखा तो अभी एक घंटा पूरा होने को 10 मिनट शेष दिखाई दिए. वह अपने उतावलेपन पर मुसकरा पड़ा. यहां आने में उस ने जैनब से बाजी मार ली थी.

जैनब 15 मिनट देर से आई. चूंकि फेसबुक पर उन की चैटिंग होती रहती थी, इसलिए दोनों एकदूसरे को तुरंत पहचान गए. अरमान ने लपक कर जैनब का हाथ पकड़ लिया और उस की बड़ी बड़ी आंखों में देखने लगा.

”क्या ढूंढ रहे हो तुम मेरी इन आंखों में?’’ जैनब ने इठला कर पूछा.

”देख रहा हूं मेरे लिए इन आंखों में कितना प्यार है.’’

”यह तो तुम्हें इन आंखों की गहराई में उतरने के बाद ही मालूम होगा.’’ जैनब मुसकरा कर बोली.

”तुम्हारी इजाजत चाहिए जैनब. इन आंखों में तो क्या मैं तुम्हारे दिल की गहराई में भी उतर जाऊंगा.’’ अरमान गहरी सांस भर कर बोला.

”मेरे दिल की गहराई में तुम्हें मेरा प्यार ही प्यार मिलेगा. मेरी हर धड़कन तुम्हारा ही नाम ले रही होगी अरमान.’’ जैनब सर्द आह भर कर बोली.

”बहुत दिलचस्प हो तुम जैनब, तुम्हारे साथ खूब निभेगी.’’ अरमान हंस कर बोला, ”आओ, पहले कौफी हाउस चल कर कौफी पीते हैं. फिर पालिका पार्क में बैठ कर बातें करेंगे.’’

अरमान जैनब को ले कर कौफी हाउस में आ गया. वहां कौफी पी लेने के बाद वे पालिका पार्क में आ बैठे.

”कहां रहते हो अरमान?’’ जैनब ने पूछा.

”मैं गोकलपुरी के भागीरथी विहार में रहता हूं जैनब, तुम कहां रहती हो?’’

”मैं घड़ौली, मयूर विहार फेज-3 में रहती हूं.’’ जैनब में बताया.

”जैनब मेरी जिंदगी में आने वाली तुम पहली लड़की हो.’’ अरमान जैनब की कोमल हथेली अपने हाथ में ले कर बोला, ”मैं तुम्हें अपनी जान से ज्यादा प्यार करूंगा, तुम्हें अपने दिल में बसा कर रखूंगा. तुम्हें अपनी दुलहन बनाऊंगा.’’

जैनब मुसकराई, ”अगर तुम्हारे ऐसे सपने हैं तो इन सपनों को साकार करने के लिए ढेर सारी दौलत कमानी होगी अरमान, तुम पढ़लिख कर किसी अच्छी सर्विस पर लग जाओ, फिर हम शादी कर लेंगे.’’

”मैं अपना बिजनैस करूंगा जैनब. देखना तुम, मैं पैसों का अंबार लगा दूंगा.’’

”तुम्हारी मनोकामना पूरी हो अरमान, तुम राजा बन जाओगे तो मैं तुम्हारी रानी बन जाऊंगी.’’ जैनब ने दिल से कहा.

”मैं बहुत जल्दी अपना सपना पूरा करूंगा जैनब. आओ, तुम्हें भूख लगी होगी, किसी रेस्तरां में बैठ कर कुछ खा लेते हैं.’’ अरमान उठते हुए बोला.

जैनब ने भी जगह छोड़ दी. अरमान ने उसे एक रेस्तरां में लंच करवाया. अरमान से फिर मिलने का वादा कर के जैनब अपने घर के लिए निकल गई. अरमान भी वापस आ गया. अरमान और जैनब का प्यार दिन पर दिन गहरा होता जा रहा था. अरमान समय समय पर जैनब को कुछ न कुछ तोहफे देता रहता था.

कुछ दिनों बाद अरमान का जन्मदिन था. यह बात उस ने फोन द्वारा जैनब को बता दी थी. जैनब अरमान को उस के जन्मदिन पर कोई कीमती गिफ्ट देना चाहती थी. क्या दे, वह इसी सोच में थी कि उसे माहिर का खयाल आया.

माहिर विजय विहार, लोनी (गाजियाबाद) में रहता था. वह भी जैनब का हमउम्र था. 20 साल का उभरता युवा. जैनब उस से भी प्रेम करती थी. माहिर से भी उस की जान पहचान फेसबुक के द्वारा ही हुई थी. वह माहिर के साथ भी शादी का ख्वाब पाले हुए थी. जैनब एक साथ 2-2 युवकों को फांसे हुए थी. वह जानती थी माहिर उसे बहुत प्यार करता है, इसलिए उस ने अरमान को जन्मदिन गिफ्ट देने के लिए माहिर की मदद लेने का मन बना लिया.

उस ने माहिर को फोन किया. दूसरी ओर से तुरंत उस की फोन अटेंड की गई. माहिर का उतावला स्वर उभरा, ”कहां पर हो उर्वशी, मैं तुम्हारे लिए 2 दिनों से परेशान हूं. तुम्हारा फोन नौट रीचेबल आ रहा था.’’ जैनब ने माहिर को अपना नाम उर्वशी बताया हुआ था.

”क्यों? मैं तो यहीं थी. हो सकता है नेटवर्क की प्राब्लम हो.’’ जैनब उर्फ उर्वशी ने बात घुमाई, ”मुझे तुम से शाम को मिलना है.’’

”हां मिलो न, मैं तुम्हारी खातिर बहुत बेचैन हूं. मिलोगी तब चैन आएगा. बोलो, कहां आना है?’’ माहिर की ओर से बेसब्री से पूछा गया.

”वही पुरानी जगह, इंडिया गेट आ जाना, शाम को 4 बजे.’’

”ठीक है.’’

फोन डिसकनेक्ट कर जैनब ने घड़ी देखी. दोपहर का एक बज रहा था. वह माहिर से मिलने जाने के लिए तैयार होने लगी.

शाम को माहिर और उर्वशी इंडिया गेट के पार्क में एक पेड़ के नीचे बैठे थे. माहिर के बालों में अंगुलियां चलाते हुए उर्वशी उसे एकटक देख रही थी. माहिर ने आंखें मूंद ली थीं. अपने बालों में उर्वशी की अंगुलियां घूम रही थीं तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था.

”माहिर.’’ उर्वशी ने उसे कंधे से पकड़ कर हिलाया, ”मुझे एक अच्छा सा फोन दिलवाओ न.’’

”फोन है तो तुम्हारे पास.’’ माहिर आंखें खोल कर बोला.

”मुझे अपनी एक सहेली को उस के जन्म दिन पर गिफ्ट देना है, मुझे नया फोन चाहिए.’’

माहिर ने कुछ देर सोचा फिर बोला, ”मैं कल तुम्हें मोबाइल फोन ला कर दे दूंगा. एक नया फोन है मेरे पास. आईफोन-14. उस का लुक अच्छा है, तुम्हारी सहेली को पसंद आ जाएगा.’’

”ठीक है. मैं कल मिलती हूं तुम से.’’ कहते हुए उर्वशी खड़ी हुई तो माहिर चौंक पड़ा, ”इतनी जल्दी जा रही हो.’’

”एक काम है माहिर, घर में मेरा इंतजार हो रहा होगा. कल मिलती हूं न, फिर इत्मीनान से बैठेंगे.’’ उर्वशी बात बना कर बोली, ”कल मैं इसी समय तुम्हें यहीं मिलूंगी. फोन ले कर आना.’’

”ले कर आऊंगा.’’ माहिर ने कहा तो उर्वशी उस से विदा हो कर चली गई. माहिर को उर्वशी के इस रवैए पर हैरानी हुई, लेकिन वह चुप रह गया. उर्वशी के जाने के बाद वह पैदल ही एक ओर बढ़ गया.

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रिश्तों की आग में जली संजलि – भाग 1

18 दिसंबर, 2018 को मंगलवार था. स्कूल की छुट्टी के बाद संजलि अपनी सहेलियों के साथ साइकिल से घर जाने के लिए निकली. सहेलियों से बातचीत करती हुई वह चौराहे पर पहुंची. वहां से वह अपने गांव की सड़क की तरफ मुड़ गई. उस की सहेलियां दूसरी सड़क पर चली गईं.

संजलि ने सहेलियों से अगले दिन मिलने का वादा किया था, लेकिन उस के साथ रास्ते में एक ऐसी घटना घट गई, जो दिल को दहलाने वाली थी. रास्ते में 2 बाइक सवार युवकों ने पैट्रोल डाल कर उसे जिंदा जला दिया.

यह घटना उत्तर प्रदेश के विश्वप्रसिद्ध आगरा शहर में घटी. यहां के थाना मलपुरा का एक गांव है लालऊ. हरेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ लालऊ गांव में ही रहते थे. संजलि उन्हीं की मंझली बेटी थी. हरेंद्र सिंह सिकंदरा स्थित एक जूता फैक्टरी में जूता कारीगर थे. उन की 15 वर्षीय बेटी संजलि घर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर नौमील गांव स्थित अशरफी देवी छिद्दा सिंह इंटर कालेज में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी.

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हर रोज की तरह उस दिन भी स्कूल की छुट्टी दोपहर डेढ़ बजे हुई. छुट्टी के बाद संजलि को चले अभी 10-15 मिनट ही हुए थे. जब वह घर से 500 मीटर पहले जगनेर रोड पर लालऊ नाले के पास पहुंची, तभी 2 बाइक सवार युवक पीछे से संजलि की साइकिल के बराबर में आए.

यह देख कर वह डर गई और साइकिल की गति तेज कर दी. क्योंकि कुछ दिन पहले भी 2 युवकों ने उस के साथ छेड़छाड़ की थी. वह बात उस ने अपने घर वालों को नहीं बताई थी. साइकिल की गति तेज होते ही युवकों की बाइक की गति तेज हो गई. पीछा करने वाले कौन हैं और क्या चाहते हैं, यह सोच कर संजलि परेशान थी. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाती, बाइक पर पीछे बैठे युवक ने हाथ में पकड़ी प्लास्टिक की बोतल से संजलि के ऊपर पैट्रोल डाला और फुरती से लाइटर से आग लगा दी.

इतना ही नहीं, हमलावरों ने जलती हुई संजलि को सड़क किनारे खाई में धक्का दे दिया, इस से वह खाई में जा गिरी. दोनों युवक वारदात को अंजाम दे कर वहां से फरार हो गए.

संजलि आग की लपटों से घिर गई थी, उस के खाई में गिरने से वहां की झाडि़यों ने भी आग पकड़ ली. आग में घिरी संजलि हिम्मत कर के जैसे तैसे सड़क पर पहुंची, उस की मर्मांतक चीख सुन कर कई राहगीर रुक गए. जलती हुई लड़की को देख कर उन के होश उड़ गए.

संजलि ने जमीन पर लेट कर आग बुझाने की कोशिश की. तब तक आग से उस की पीठ पर लटका स्कूली बैग पूरी तरह जल चुका था. उसी समय वहां से एक बस गुजर रही थी. दिल दहलाने वाला मंजर देख कर बस चालक मुकेश ने बस वहीं रोक ली और बस में रखा अग्निशमन यंत्र ले कर दौड़ा लेकिन दुर्भाग्य से वह चल नहीं पाया. इस पर वह बस में रखा दूसरा यंत्र ले कर आया और आग बुझाई. इस बीच बस की सवारियां व अन्य राहगीर भी वहां एकत्र हो गए, आग बुझाने के प्रयास में बस चालक मुकेश के हाथ भी झुलस गए थे.

वहां से अजय नाम का एक युवक भी गुजर रहा था. उस ने जलन से तड़पती संजलि को पहचान लिया और फोन से संजलि के घर खबर कर दी. घटना की जानकारी मिलते ही उस के मातापिता के होश उड़ गए. वे गांव के लोगों के साथ बदहवास से घटनास्थल पर पहुंचे. आग से झुलसी संजलि ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने घर वालों को दे दी.

इसी बीच किसी ने 100 नंबर पर फोन कर के इस घटना की सूचना पुलिस को दे दी थी. सूचना मिलते ही पुलिस कंट्रोल रूम की टीम वहां पहुंच गई. पुलिस ने संजलि को आगरा के एस.एन. मैडिकल कालेज के आईसीयू में भरती कराया. डाक्टरों ने बताया कि वह 75 फीसदी जल चुकी है.

उस समय प्रदेश के डीजीपी ओ.पी. सिंह आगरा में ताजमहल के पास स्थित अमर विलास होटल में आगरा रेंज के अधिकारियों के साथ मीटिंग में थे. वहां मौजूद अधिकारियों को सरेराह एक छात्रा को जिंदा जलाने की घटना की सूचना मिली तो पुलिस अधिकारियों के होश उड़ गए.

एडीजी अजय आनंद, डीआईजी लव कुमार और एसएसपी अमित पाठक अस्पताल पहुंच गए. उधर घटनास्थल पर भी थाना पुलिस पहुंच गई थी. पुलिस टीम ने घटनास्थल से प्लास्टिक की एक खाली बोतल व लाइटर जब्त किया.

पुलिस अधिकारियों ने संजलि से बात कर पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. झुलसी अवस्था में वह रुकरुक कर बात कर पा रही थी. उस ने बताया कि 15 दिन पहले 2 युवकों ने उस का पीछा किया था. वह उन्हें नहीं जानती.

पुलिस को संजलि के घर वालों से पता जला कि 23 नवंबर को संजलि के पिता हरेंद्र पर मलपुरा नहर के पास 2 अज्ञात लोगों ने हमला किया था, जिस में हरेंद्र को मामूली चोटें आई थीं. लेकिन उन्होंने इस की थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई थी. मारपीट करने वाले कौन थे, हरेंद्र पहचान नहीं पाए थे.

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कुछ नहीं समझ पा रही थी पुलिस

पुलिस की एक टीम मौके पर जांचपड़ताल करने लगी, जबकि दूसरी टीम हमलावर बाइक सवारों की तलाश में निकल गई. पुलिस पिता पर हमले की कडि़यों को बेटी के साथ हुई घटना से जोड़ कर देखने का प्रयास कर रही थी. साथ ही यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही थी कि कुछ दिन पूर्व संजलि के साथ छेड़छाड़ करने वाले 2 युवक कौन थे.

15 साल की किशोरी की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है, जिस की वजह से उसे जिंदा जलाने की कोशिश की गई. पुलिस ने संजलि की सहेलियों व स्कूल स्टाफ से इस संबंध में पूछताछ की. पुलिस अनुमान लगा रही थी कि आरोपी संजलि के परिचित हो सकते हैं. ऐसा इसलिए माना जा रहा था कि दोनों ने हैलमेट लगाया था, ऐसा उन्होंने पहचान छिपाने के लिए किया होगा.

जिस स्थान पर वारदात हुई, वह घर से करीब आधा किलोमीटर पहले और स्कूल से एक किलोमीटर दूरी पर था. माना यह भी जा रहा था कि हमलावर स्कूल से ही अंजलि के पीछे लगे होंगे. संजलि और उस के परिवार वालों से पूछताछ के बाद भी पुलिस को ऐसा कोई क्लू नहीं मिला, जिस से घटना का खुलासा हो सके.

गांव के लोग भी कुछ नहीं बता रहे थे, न पुलिस को ऐसा कोई व्यक्ति मिल रहा था जिस ने हमलावरों को भागते हुए देखा हो. पुलिस ने अज्ञात हमलावरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

गंभीर रूप से जली किशोरी की गंभीर हालत को देखते हुए उसी दिन शाम 6 बजे उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया. सफदरजंग अस्पताल के डाक्टर संजलि के इलाज में जुट गए. उन का कहना था कि 48 घंटे गुजर जाने के बाद ही उस की हालत के बारे में कुछ कहा जा सकता है.

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आखिर 36 घंटे बाद 19 नवंबर की रात डेढ़ बजे संजलि जिंदगी की जंग हार गई. उसी दिन पोस्टमार्टम के बाद उस का शव शाम साढ़े 5 बजे उस के गांव लालऊ पहुंचा. संजलि जब दिल्ली के अस्पताल में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी, उस समय कई सामाजिक संगठनों व ग्रामीणों ने हमलावरों की गिरफ्तारी व पीडि़ता को आर्थिक सहायता दिए जाने की मांग को ले कर जुलूस भी निकाले थे. इसलिए संजलि के शव के साथ ही बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स उस के गांव पहुंच गई थी.

विक्रांत वर्मा डेथ केस : अपनी मौत की खूनी स्क्रिप्ट

रमेश वर्मा जब सुबह अपने खेत पर स्थित बकरी फार्म पर गए तो देखा कि अलाव के पास कोयला जैसी जली एक लाश  पड़ी हुई है. उन के बेटे विक्रांत वर्मा (Vikrant Verma) की बाइक भी वहीं खड़ी थी. उस का जला हुआ मोबाइल फोन भी वहीं लाश के पास ही पड़ा था. इस आशंका से कि लाश उन के बेटे विक्रांत की तो नहीं है, उन के होश उड़ गए. रमेश वर्मा ने तुरंत घर फोन किया.

परिवार के अन्य लोग भी वहां आ गए. बड़े बेटे को भी सूचना दी गई. बाइक, मोबाइल और कपड़ों के जले हुए अंश से लाश की पहचान घर वालों ने 25 वर्षीय विक्रांत वर्मा के रूप में कर ली. देखते ही देखते खबर पूरे गांव में फैल गई. पुलिस को सूचना दी गई. सुलतानपुर के कोतवाली देहात की पुलिस मौके पर पहुंची और हालात का जायजा लिया.

उत्तर प्रदेश के जिला सुलतानपुर के गांव दुबेपुर में 25 वर्षीय विक्रांत वर्मा पत्नी और 2 जुड़वां बेटियों के साथ रहता था. वैसे उस के पास खेती की जो जमीन थी, उस से गुजारे भर पैदावार हो जाती थी, लेकिन विक्रांत और उस की पत्नी को उस से तसल्ली नहीं थी. वह ऐसी आमदनी चाहते थे, जिस से उन के पास भी भरपूर पैसा और आधुनिक सुखसुविधाओं के सारे साधन हों. दोनों इस पर विचारविमर्श भी करते रहते थे.

विक्रांत ने आमदनी बढ़ाने का जतन शुरू किया. उस ने बैंक से लोन ले कर पहले मुरगी पालन का काम किया. काफी मेहनत और लगन के बाद भी विक्रांत को मुरगी पालन में सफलता नहीं मिली. मुरगियों में बीमारियां लग गईं.

काफी इलाज के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका. उधर पोल्ट्री फार्म में काम करने वाले मजदूरों ने भी सही तरीके से उन की देखभाल नहीं की, जिस से काफी संख्या में मुरगियां मर गईं. उस का यह कारोबार फेल हो गया. जिस से विक्रांत को इस में काफी बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ.

विक्रांत ने सोचा कि मुरगी पालन बहुत जोखिम का कारोबार है. वह किसी भी तरीके से मुरगी पालन करने में सफल नहीं हो सकता है. इसलिए उस ने फिर बकरी पालन का काम किया, लेकिन वह उस में भी सफल नहीं हुआ. दोनों ही धंधों में असफलता उस के हाथ लगी. जिस से उस की पूंजी डूब गई और वह लाखों रुपए का कर्जदार हो गया था.

इस के बाद विक्रांत हर समय मोबाइल में लगा रहता था. मोबाइल पर लगे रहना पत्नी को अच्छा नहीं लगता था. उस की इस आदत से पत्नी बहुत दुखी थी. उस के मन में यही खयाल आते रहते थे कि कहीं उस के पति का किसी और से चक्कर तो नहीं है. घर की आर्थिक हालत सही नहीं थी. ऊपर से पति का कमाने की तरफ ध्यान नहीं था, इसलिए पत्नी ने विक्रांत को तिकतिकाना शुरू किया.

एक दिन विक्रांत ने पत्नी से कहा कि वह दिल्ली काम की तलाश में जा रहा है. किसी दोस्त ने बताया है कि किसी फैक्ट्री में उसकी नौकरी लग जाएगी.

अचानक दिल्ली जाने की बात सुन कर पत्नी को शक व आश्चर्य तो हुआ, फिर भी उस ने सहज ही हंसीखुशी उसे दिल्ली जाने के लिए घर से विदा किया.

सभी कामों से निराश हो जाने पर विक्रांत दिल्ली में नौकरी करने गया. दिल्ली में कुछ महीने नौकरी करने के बाद  वह घर आया. यह बात 15 जनवरी, 2024 की है. उस समय रात के लगभग 10 बजे थे. कुछ समय रात में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ समय बिताने  के बाद सभी लोग सो गए.

विक्रांत को किस ने जलाया

16 जनवरी, 2024 की सुबह अपनी दैनिक क्रियाएं करने के बाद विक्रांत नाश्ते के लिए बैठ गया. पत्नी परांठे और चाय ले कर आ गई. इस बीच एक बच्ची रोने लगी पत्नी उसे बिस्तर से गोदी में उठा लाई. संभालने चुप कराने के लिए गोदी में ले कर वह पति के पास ही बैठ गई.

इस समय विक्रांत बहुत उदास था और गुमसुम सा बैठा नाश्ता कर रहा था. पत्नी को जब उस के चेहरे से परेशानी झलकती दिखाई दी तो उस ने सवाल कर ही दिया. क्या बात है? कैसे परेशान दिख रहे हो? दिल्ली में सही काम नहीं मिला तो कोई बात नहीं. आप यहीं खेती में ही फिर नए सिरे से मेहनत करो. धीरेधीरे सारी परेशानियां दूर हो जाएंगी.

विक्रांत ने भी चुप्पी तोड़ी और कहा कि मुझ पर अब तक 9 लाख का कर्ज हो चुका है. उस का तगादा हो रहा है. मुझे इसी बात की चिंता हो रही है कि यह कर्ज कैसे उतरेगा. काफी देर दोनों में विचार विमर्श हुआ फिर विक्रांत गांव में घूमने निकल गया. दोपहर में घर आया. खाना खाया और फिर मोबाइल में रम गया.

शाम लगभग 6 बजे बाइक ले कर वह अपने बकरी फार्म पर गया. पत्नी से कह कर गया कि देखते हैं, खेती में कैसे और क्या हो सकता है.

रात 10 बजे तक विक्रांत जब वापस नहीं आया, तब उस की पत्नी ने फोन किया. फोन की घंटी बजती रही, लेकिन फोन उठा नहीं. इस से पत्नी की चिंता बढ़ गई. उस ने  अपने ससुर रमेश वर्मा से यह बात बताई. उन्होंने भी फोन मिलाया, लेकिन फोन नहीं उठा.

रमेश वर्मा ने कई जगह रिश्तेदारियों में फोन कर के पूछा, पर विक्रांत का कोई पता नहीं मिला. उस की पत्नी ने भी अपने रिश्तेदारों में बात की लेकिन पता नहीं चला कि विक्रांत कहां है.

दोनों के दिमाग में यह था कि अगर फार्महाउस पर होता तो अब तक घर आ जाता. इतनी सर्दी में देर रात तक बकरी फार्म पर रुकने का कोई मतलब ही नहीं है. हो सकता है कि कहीं दोस्तों के साथ चला गया हो. बात आईगई हो गई. रात को लोग अपनेअपने कमरों में सो गए.

अगले दिन राजेश वर्मा बेटे के बकरी फार्म पर पहुंचे तो वहां अलाव में जली हुई एक लाश पड़ी थी. पास में बेटे विक्रांत की बाइक खड़ी थी. इस की सूचना उन्होंने घर वालों के अलावा कोतवाली (देहात) पुलिस को भी दे दी.

पुलिस को मामला आत्महत्या का प्रतीत हो रहा था. पास में जला हुआ एक मोबाइल फोन भी पड़ा था. घर वाले लाश की शिनाख्त विक्रांत वर्मा के रूप में पहले ही कर चुके थे. घटनास्थल पर ठंड से बचाव के लिए अलाव भी जलाया गया था, ढेर सारी राख इस बात की गवाही दे रही थी. उन दिनों शीत लहर चल रही थी, जिस से भीषण सर्दी थी. पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

लाश का पोस्टमार्टम डाक्टरों के एक पैनल द्वारा किया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि मृतक उस वक्त बहुत ज्यादा शराब के नशे में था और आग में जल जाने से उस की मौत हुई है. मृत्यु की बहुत ज्यादा स्थिति स्पष्ट न होने के कारण इस मामले में उस का विसरा जांच के लिए भी भेजा गया.

पुलिस क्यों नहीं कर रही थी हत्या की रिपोर्ट दर्ज

रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई  कि उस ने अत्याधिक शराब का सेवन कर रखा था. ऐसे में कयास लगाया जा रहा था कि विक्रांत शराब के नशे में अलाव के पास पहुंचा और वहां आग की चपेट में आने से उस की मौत हो गई. विक्रांत के पिता इसे आत्महत्या या दुर्घटना मानने को तैयार नहीं थे. उन का मानना था कि उन का बेटा विक्रांत कितने भी डिप्रेशन में हो, लेकिन अत्यधिक शराब का सेवन नहीं कर सकता. वह आत्महत्या जैसा घातक कदम भी नहीं उठा सकता.

मौके की स्थिति भी हत्या किए जाने जैसी थी. एक जगह जलने के संकेत थे. उस ने इधरउधर भागने की कोई कोशिश नहीं की, जिस से स्पष्ट होता है कि विक्रांत को मार कर सबूत मिटाने के लिए जलाया गया है. उन्होंने अंतिम संस्कार की औपचारिकता पूरी करने के बाद दूसरे दिन थाने में हत्या की आशंका जताते हुए तहरीर दे दी.

पीडि़त पिता ने दी तहरीर में कहा कि उन्हें आशंका है कि अज्ञात व्यक्तियों ने उन के बेटे की हत्या कर के सबूत मिटाने के लिए शव जला दिया है. उन की तहरीर पर पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज नहीं की.

पुलिस की मानें तो घटना से एक दिन पहले मृतक ने अपने दोस्त रंजीत को काल की थी. फिर उस से मिल कर वह फूटफूट कर रोया कि अब मैं जिंदा नहीं रहूंगा. मुझे कोई अच्छी निगाह से नहीं देखता.

घर परिवार में भी कोई इज्जत नहीं है. समाज भी बुरा समझने लगा है. ऐसी जिंदगी से क्या फायदा. शुरुआती जांच के बाद पुलिस का स्पष्ट मत बन चुका था कि विक्रांत ने आत्महत्या की है. बताया जाता है कि पुलिस ने युवक के मोबाइल फोन समेत कई वस्तुओं को जांच के लिए कब्जे में लिया.

विक्रांत वर्मा की हत्या को 4 दिन बीत गए और अब तक केस दर्ज नहीं हुआ. घर वाले हत्या का आरोप लगाते हुए थाने के चक्कर लगाते रहे, लेकिन पुलिस आत्महत्या का केस दर्ज कराने के लिए परिजनों पर दबाव बनाती रही.

ऐसे में पिता ने अपने बड़े बेटे के साथ एसपी सोमेन वर्मा से मिल कर उन से हत्या का मुकदमा दर्ज कराए जाने की मांग की. थाना पुलिस के काररवाई न करने पर उन्होंने लंभुआ विधायक सीताराम वर्मा से भी हत्या का केस दर्ज कराने की गुहार लगाई.  विधायक विनोद सिंह से भी उन्होंने संपर्क किया. वह इस समय सदर सीट से विधायक हैं.

इन दोनों विधायकों की सिफारिश और बापबेटे की भागदौड़ आखिर रंग लाई और 22 जनवरी, 2024 को कोतवाली (देहात) थाने में अज्ञात के खिलाफ विक्रांत की हत्या का केस दर्ज हुआ. देहात कोतवाल श्याम सुंदर ने बताया कि विक्रांत के पिता ने बेटे की हत्या की केवल शंका जताई थी, जिस के चलते मामला दर्ज कर उन्होंने जांच शुरू की.

एसपी सोमन वर्मा ने विक्रांत वर्मा हत्याकांड के खुलासे के लिए 2 पुलिस टीमें गठित कीं. पहली टीम का नेतृत्व कोतवाल श्याम सुंदर को सौंपा गया. टीम में एसआई अखिलेश सिंह, विनय कुमार सिंह, हैडकांस्टेबल विजय कुमार, विजय यादव व आलोक यादव को शामिल किया गया.

दूसरी टीम एसओजी की गठित की. इस स्वाट टीम के प्रभारी उपेंद्र सिंह थे. इस में समरजीत सरोज, विकास सिंह, तेजभान सिंह और अबू हमजा को शामिल किया गया था. एसपी ने इस केस के खुलासे के लिए 25 हजार रुपए का इनाम भी घोषित कर दिया था. दोनों टीमों की निगरानी लंभुआ क्षेत्र के सीओ अब्दुल सलाम कर रहे थे.

मुखबिर की सूचना पर क्यों चौंकी पुलिस

जांच के दौरान ही एक दिन श्याम सुंदर को मुखबिर ने सूचना दी कि विक्रांत मोबाइल फोन से गांव में कभीकभार किसी से बात करता है. यह सुन कर कोतवाल का दिमाग चकराया कि विक्रांत तो मर गया तो फिर वह फोन पर कैसे बात कर सकता है.

उन्होंने अपने उच्चाधिकारियों को यह बात बताई. अधिकारी भी सकते में आ गए. उन्होंने कहा कि विक्रांत जब किसी से बात करता है तो वह जली हुई लाश क्या किसी और की थी? इस का मतलब यह है कि विक्रांत अभी जिंदा है.

अधिकारियों ने हरी झंडी देते हुए कहा कि मुखबिर की सूचना पर जांच आगे बढ़ाई जाए. विक्रांत जिस मोबाइल नंबर से बात करता था, वह मोबाइल नंबर पुलिस के हत्थे चढ़ गया. पता चला कि इस नंबर पर रात में किसी से कभीकभार बात होती है. दिन के बाकी समय में यह नंबर बंद रहता है.

कोतवाल श्याम सुंदर को पता चला कि यह मोबाइल नंबर एक महिला का है. मोबाइल नंबर की लोकेशन हरियाणा प्रदेश के पानीपत शहर की मिल रही थी.

इस हत्याकांड को खोलने के लिए कोतवाली पुलिस पर 2-2 विधायकों और उच्चाधिकारियों का प्रेशर बना हुआ था. पानीपत की लोकेशन मिलते ही पुलिस की टीमों को वहां भेजा गया. पुलिस मुखबिर को साथ में ले कर उस क्षेत्र की निगरानी कर रही थी. जहां पर टेलीफोन नंबर की लोकेशन मिल रही थी.

पुलिस ने सर्विलांस टीम की मदद ली. लोकेशन ट्रेस हुई. इस के बाद पुलिस ने हरियाणा के पानीपत स्थित गली नंबर- 28 (वार्ड नं. 16) विकास नगर में दबिश दी. यह इलाका थाना सेक्टर- 29 इंडस्ट्रियल एरिया का है.

कई दिनों की कड़ी मेहनत के बाद आखिर विक्रांत वर्मा हत्थे चढ़ गया. उसे जीवित देख कर पुलिस चौंक गई. पता चला कि उस ने यहां अपना नाम विक्की कुमार रख लिया था. अपनी पहचान बदलने की उस ने पूरी कोशिश की, लेकिन मुखबिर की शिनाख्त के कारण विक्रांत वर्मा को पुलिस ने दबोच लिया.

थोड़ी सी सख्ती करने पर विक्रांत वर्मा टूट गया. उस ने अपना को विक्रांत वर्मा होना स्वीकार किया तथा गुनाह कुबूल कर लिया. वहां से पुलिस ने विक्रांत, उस के साथी शक्तिमान कुमार व अनुज साहू निवासी कासगंज के तुमरिया को गिरफ्तार कर लिया.

विक्रांत ने पुलिस को जो कुछ बताया, घटना के 25वें दिन केस का खुलासा करते हुए उस की जानकारी लंभुआ के सीओ अब्दुल सलाम ने पत्रकारों को एक प्रैस कौन्फ्रैंस में दी. कोतवाल श्याम सुंदर भी उस समय वहां मौजूद थे.

विक्रांत ने क्यों उड़ाई थी अपनी आत्महत्या की खबर

जांच में पता चला कि रोजगार के लिए दिल्ली आने पर विक्रांत की मुलाकात शक्तिमान कुमार और अनुज साहू से हुई थी. उस समय विक्रांत डिप्रेशन में था. उस की परेशानी चेहरे से साफ झलक रही थी. उन दोनों ने उस के चेहरे को पढ़ लिया. पूछने लगे  किस बात से परेशान है.

विक्रांत ने बताया कि उस की जुड़वां बच्चियां हैं, जो लगभग डेढ़ साल की हो चुकी हैं. पत्नी बच्चों के पालन पोषण में लगी रहती है, जिस से उस का उस की तरफ कोई ध्यान नहीं है. जबकि एक और लड़की जो उस का पहला प्यार है, वह अब भी मेरा इंतजार कर रही है. मैं आज भी पहले प्यार को भुला नहीं पा रहा हूं.

पत्नी की बेवफाई ने प्रेमिका से प्यार और भी बढ़ा दिया है. उस की बेबसी और लाचारी मुझ से देखी नहीं जा रही. शरीर के बीच जो दूरियां बनी हुई हैं, उस से मैं बहुत दुखी हूं. वह भी दो जिस्म मगर एक जान होने के लिए तत्पर है. मुझ पर दबाव भी बना रही है. प्रेमिका ने बताया है कि अब घर वाले उस की शादी की तैयारी कर रहे हैं. उस की यह बात सुन कर मैं बहुत परेशान हूं. मैं उसे किसी हालत में खोना नहीं चाहता.

विक्रांत ने अपने साथियों को यह भी बताया कि उस का मुरगी पालन और बकरी पालन का व्यवसाय फेल हो गया. उस से कर्जदार हो गया है. करीब 9 लाख रुपए का बैंक का कर्ज है. अब उसे वह ऐसी तरकीब बताएं कि मर कर भी जिंदा रहे और सारी प्रौब्लम दूर हो जाए.

शक्तिमान कुमार और अनुज साहू ने काफी सोचविचार के बाद क्राइम मिस्ट्री तैयार की. उन्होंने बताया कि हम किसी और व्यक्ति की हत्या कर के उस की लाश को जला देंगे और वहां पर तेरा सामान बाइक, मोबाइल आदि छोड़ देंगे, जिस से पता चले कि विक्रांत ने आत्महत्या कर ली है. इस तरह तुम्हारा पत्नी से भी पीछा छूट जाएगा और प्रेमिका भी हासिल हो जाएगी और कर्ज के 9 लाख रुपए भी देने नहीं पड़ेंगे.

किस को बनाया बलि का बकरा

अपनी कार्य योजना को अंजाम देने के लिए 15 जनवरी, 2024 को विक्रांत दोनों दोस्तों के साथ अपने गांव आ गया. उस ने अपने दोनों साथियों को फार्महाउस पर ठहरने की व्यवस्था की.

16 जनवरी की दोपहर अनुज शक्तिमान के साथ अमहट क्षेत्र में स्थित सरकारी देसी शराब के ठेके पर पहुंचा. काफी देर की निगरानी के बाद वहां नशे में झूलता हुआ एक व्यक्ति मिला, जिसे उन दोनों में से कोई नहीं जानता था. वो कदकाठी में बिलकुल विक्रांत ही जैसा था.

उसे वे यह बोल कर बाइक पर बैठाकर लाए कि चलो तुम्हें घर पहुंचा दें. वह दोनों उसे अपने बकरी फार्म पर ले आए. विक्रांत ने शराब की दुकान से एक बोतल खरीदी और फिर वह भी बकरी फार्म आ गया.

वहां उन तीनों ने उस व्यक्ति को और शराब पिलाई. वह इतना बेहोश हो गया कि अपने आप हिलडुल भी नहीं सकता था. वह शराबी सफेद कुरतापाजामा ब्राउन कलर की जैकेट पहने हुआ था. मफलर भी  पहने हुए था.

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आरोपी अनुज साहू, शक्तिमान कुमार और विक्रांत वर्मा पुलिस हिरासत में

विक्रांत ने जो कपड़े पहन रखे थे, जिन्हें पहन कर वह दिन भर गांव में भी घूमा था, वह कपड़े उतार कर उस व्यक्ति को पहना दिए. उस से पहले उस व्यक्ति के सारे कपड़े उतार दिए थे. काम पूरा करने के बाद बकरी फार्म से भागने के लिए उन्होंने सारा सामान बैग में पहले तैयार कर लिया था. उस में से पैंट शर्ट निकाल कर विक्रांत ने पहन लिए.

कुछ लकडिय़ां और उपले उन लोगों ने पहले ही एकत्र कर लिए थे. जिस से कि यह पता चले कि ठंड से बचने के लिए यहां अलाव जलाया गया था. फिर उस व्यक्ति पर पेट्रोल डाल कर आग लगा दी. उस के कपड़े भी जला दिए.

उस समय रात के लगभग 9 बज चुके थे. चारों तरफ सन्नाटा था. सभी लोग ठंड में अपने घरों में थे. जब उन तीनों लोगों को विश्वास हो गया कि वह व्यक्ति मर चुका है और उस की लाश को पहचाना नहीं जा सकता, फिर वे सब वहां से फरार हो गए.

वहां से पहले लखनऊ फिर कासगंज और उस के बाद में पानीपत चले गए. पानीपत में ही विक्रांत की प्रेमिका भी रहती थी.

जिस को जलाया गया आखिर वो व्यक्ति था कौन?

यह सुन कर पुलिस के भी होश उड़ गए. पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट को ध्यान से नहीं देखा था. क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक की आयु लगभग 60 वर्ष जरूर बताई गई होगी. जबकि विक्रांत की उम्र मात्र 25 साल थी. पुलिस की जांच में सामने आया कि जिस व्यक्ति को शराब के नशे में धुत कर के जिंदा जलाया था, वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दुबेपुर में चालक द्वारिकानाथ शुक्ला पुत्र चंद बहादुर शुक्ला था. द्वारिकानाथ शुक्ला की बंधु आकला थाने में गुमशुदगी दर्ज थी. वह इसी क्षेत्र में रहता था.

लगभग 60 वर्षीय द्वारिकानाथ शुक्ला उत्तर प्रदेश के अयोध्या जनपद के गांव रौतवां का मूल निवासी था. यह भी पता चला कि शक्तिमान इस समय पानीपत में ही रहता है. विक्रांत वर्मा ने भी यहीं पर नौकरी कर ली थी. पुलिस ने द्वारिकानाथ शुक्ला की गुमशुदगी  को हत्या में तरमीम किया.

कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस ने शक्तिमान कुमार, अनुज साहू और विक्रांत वर्मा को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित है

फेसबुक का प्यार कौन है हकदार – भाग 1

पुलिस वैन थोड़ी ही देर में भागीरथी विहार की उस जगह पर पहुंच गई, जहां एक युवक खून से लथपथ पड़ा हुआ था. लगभग 20 साल के उस युवक ने सफेद रंग की जैकेट पहन रखी थी, जो खून से रंग गई थी. वह बुरी तरह घायल था. उस के जिस्म को पूरी तरह चाकू से गोद दिया गया था, जहां से ताजा खून उस समय भी बह रहा था. स्पष्ट था कि उस घटना को हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ था.

एसआई सीताराम ने युवक का बारीकी से निरीक्षण किया. उस में अभी सांस बाकी थी. उस की गरदन में चाकू धंसा हुआ था, गले में खून सना सफेद मफलर था और 2 काले रंग के मफलर उस के पैरों की तरफ पड़े थे. अनुमान लगाया गया कि यह मफलर शायद उन लोगों के हैं, जिन्होंने इस पर प्राणघातक हमला किया है.

एसआई सीताराम अभी उस युवक का मुआयना कर ही रहे थे कि उस युवक की जेब से मोबाइल की घंटी की आवाज सुनाई देने लगी. एसआई सीताराम ने उस युवक की पैंट की जेब में हाथ डाला, उस में मोबाइल था, जिस की रिंगटोन बज रही थी और स्क्रीन पर 9667531333 नंबर दिख रहा था. एसआई ने कुछ सोच कर काल रिसीव करने के लिए स्क्रीन पर टच कर दिया.

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दूसरी ओर से किसी का लताडऩे वाली आवाज सुनाई दी, ”मैं तुझे कितनी देर से फोन लगा रहा हूं, लेकिन तू फोन ही रिसीव नहीं कर रहा है. कहां पर है तू?’’

”देखिए, मैं एसआई सीताराम बोल रहा हूं… आप को बता दूँ. यह फोन उस लड़के की जेब से मैं ने निकाला है, जो बुरी तरह घायल यहां पड़ा हुआ है.’’

”क्या कह रहे हैं आप? मेरा भाई माहिर घायल पड़ा है… कैसे घायल हो गया वह? क्या उस का एक्सीडेंट हो गया है?’’ दूसरी ओर से फोन करने वाले का घबराया हुआ स्वर उभरा.

”दुर्घटना नहीं हुई है, आप के भाई पर किसी ने जानलेवा हमला किया है, आप तुरंत गोकलपुरी के भागीरथी विहार की गली नंबर 11 में पहुंच जाइए.’’ एसआई सीताराम ने गंभीर स्वर में कहा.

”मैं आ रहा हूं सर, आप मेरा इंतजार करिए.’’ दूसरी ओर से कहने के बाद संपर्क काट दिया गया.

एसआई सीताराम ने ओप्पो कंपनी का वह फोन जेब में रखा. उसी वक्त वहां थाना गोकलपुरी के एसएचओ प्रवीण कुमार पहुंच गए.

उन्होंने बुरी तरह घायल पड़े युवक को देखा. युवक पर किया गया हमला इतना घातक था कि उस के जिस्म का कोई हिस्सा ऐसा नहीं बचा होगा, जहां जख्म न हुआ हो.

लोगों ने हमलावरों को क्यों नहीं रोका

वहां अब तक काफी भीड़ जमा हो गई थी. हैडकांस्टेबल विजेंद्र शुक्ला और एएसआई विपिन त्यागी भीड़ को पीछे हटाने में लगे हुए थे. एसएचओ ने भीड़ के पास आ कर पूछा, ”इस पर किन लोगों ने हमला किया, तुम ने देखा है?’’

”साहब, वे 3 युवक थे, वे इसे घेर कर चाकू और ईंट से मार रहे थे. हम लोगों ने बीचबचाव करना भी चाहा, लेकिन उन में से एक युवक गुर्रा कर चीखा था, ‘कोई भी आगे आएगा, उसे हम जिंदा नहीं छोडेंग़े.’ साहब, इसे बुरी तरह घायल कर के चाकू को लहराते हुए इस ओर भाग गए.’’ एक अधेड़ से व्यक्ति ने हाथ से गली के सामने की ओर इशारा कर के बताया.

”क्या वे युवक इसी कालोनी के थे?’’

”यह हम नहीं बता सकते, साहब. हम ने उन्हें पहले कभी नहीं देखा.’’ दूसरा व्यक्ति बोला.

एसएचओ कुछ और पूछते उसी वक्त एक युवक बाइक पर वहां आ गया. वह काफी बदहवास था.

बाइक खड़ी कर के वह घायल पड़े युवक के पास आया. उसे देखते ही वह रोने लगा. रोते हुए ही उस ने बताया, ”साहब, यह मेरा छोटा भाई माहिर है. इस की यह हालत किस ने की है?’’

”हमलावर 3 युवक थे, वे कौन थे, यह अभी मालूम नहीं हुआ.’’ एसएचओ गंभीर स्वर में बोले.

फिर उन्होंने रोते हुए युवक से पूछा, ”क्या तुम यहीं आसपास रहते हो?’’

”नहीं सर, हम गली नंबर 2 विजय विहार, लोनी (गाजियाबाद) में रहते हैं.’’

अब तक आखिरी सांसें गिन रहा माहिर दम तोड़ चुका था. वैसे भी यह अनुमान पहले ही लगा लिया गया था कि बुरी तरह चाकुओं से गोद दिए गए युवक का बचना असंभव है. हमलावरों ने जिस तरह उस पर चाकुओं से वार किए थे, वह यही सोच कर किए थे कि माहिर किसी भी तरह बचना नहीं चाहिए. ऐसा ही हुआ था. वहां की कागजी काररवाई पूरी कर के एसआई ने फोरैंसिक टीम को बुलवा कर साक्ष्य एकत्र करवाए.

माहिर की पहचान उस के बड़े भाई उस्मान ने कर दी थी. सारी खानापूर्ति करने के बाद एएसआई विपिन त्यागी, एसआई सीताराम और एसएचओ प्रवीण कुमार वापस थाने लौट गए. हैडकांस्टेबल विजेंद्र कुमार शुक्ला ने माहिर की लाश एंबुलेंस बुलवा कर जीटीबी हौस्पिटल पहुंचा दी, जहां माहिर का पोस्टमार्टम होना था. यह बात 28 दिसंबर, 2023 की है.

उत्तरपूर्वी दिल्ली के थाना गोकलपुरी को रात 9 बजे के आसपास पीसीआर से सूचना मिली कि भागीरथी विहार की गली नंबर-11 में एक युवक खून से लथपथ पड़ा हुआ है.

हैडकांस्टेबल विजेंद्र कुमार शुक्ला ने यह सूचना एसएचओ प्रवीण कुमार को दे दी थी. तब एसएचओ ने उसी वक्त घटनास्थल पर जाने के लिए एसआई सीताराम और एएसआई विपिन त्यागी को रवाना कर दिया. इन के साथ हैडकांस्टेबल विजेंद्र शुक्ला भी थे.

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कैसे गिरफ्तार हुए आरोपी

माहिर हत्याकांड की जानकारी एसएचओ प्रवीण कुमार ने नार्थ ईस्ट के डीसीपी जौय टिर्की और एसीपी अभिषेक गुप्ता को दे दी. डीसीपी जौय टिर्की ने एसीपी अभिषेक गुप्ता के निर्देशन में यह केस हल करने की जिम्मेदारी एसएचओ प्रवीण कुमार को सौंप दी.

एसएचओ ने माहिर की हत्या के आरोपियों की तलाश करने के लिए खास मुखबिर लगा दिए. दूसरे दिन एक मुखबिर ने उन्हें सूचना दी, ”सर, माहिर की हत्या के आरोपी लड़के अशोक नगर के पास खड़े हैं, तुरंत आएंगे तो उन्हें दबोचा जा सकता है.’’

एसएचओ प्रवीण कुमार तुरंत अपने साथ 3-4 पुलिस वालों को ले कर थाने से निकले. एसआई सीताराम, हैडकांस्टेबल विपिन और विजेंद्र शुक्ला, रोहित डिवेश भी साथ में थे. रास्ते से मुखबिर भी उन के साथ बैठ गया.

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        हैडकांस्टेबल विपिन

अशोक नगर की एक गली के पास खड़े 3 युवकों को देख कर मुखबिर ने एसएचओ प्रवीण को इशारा कर के कहा, ”यही वे 3 लड़के हैं साहब.’’

मुखबिर ने वैन रोकने को कहा. एसएचओ प्रवीण कुमार ने तुरंत ही पुलिस वैन रुकवा दी और पुलिस वालों के साथ उस ओर झपटे, जहां वे युवक खड़े थे. पुलिस को अपनी तरफ आता देख कर तीनों गली में दौड़ पड़े, जिन्हें पुलिस ने पीछा करके दबोच लिया.

उन युवकों को पुलिस वैन में बिठा कर थाना गोकलपुरी लाया गया. यहां तीनों को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया गया. इन में 2 युवक 20-21 साल के थे और एक नाबालिग दिख रहा था. पुलिस की गिरफ्त में आते ही उन के चेहरे सफेद पड़ गए थे. वह डर से थरथर कांप रहे थे.

एसएचओ ने उन्हें घूरते हुए पूछा, ”अपने नामपता बताओ.’’

”साहब, मेरा नाम अरमान खान, मेरे पिता का नाम हाशिम खान है. मैं गली नंबर 10, मकान नंबर 270, भागीरथी विहार में रहता हूं.’’

दूसरा बोला, ”मेरा नाम मोहम्मद फैसल उर्फ फिड्डी है. मेरे वालिद का नाम शमशेर अली है. पता जी-205, गली नंबर-13, भागीरथी विहार है. साहब, मैं ने कुछ नहीं किया है.’’

”मैं ने अभी यह नहीं पूछा कि तुम ने क्या किया है या नहीं किया है.’’ एसएचओ उसे एक तरफ कर के तीसरे लड़के की तरफ पलटे, ”तेरा नाम?’’

”साहब, मेरा नाम उस्मान है और मैं जी-118, गली नंबर-13 भागीरथी विहार में रहता हूं.’’ नाबालिग बोला.

”तुम माहिर को पहचानते हो?’’

”कौन माहिर साहब? यह नाम मैं ने पहले नहीं सुना.’’ अरमान खुद को संभाल कर जल्दी से बोला.

”वही जिस का भागीरथी विहार की गली नंबर 11 में तुम तीनों ने बेरहमी से कत्ल किया है.’’

”न… नहीं साहब, हम ने किसी का कत्ल नहीं किया है.’’ इस बार फैसल बोला.

”तब हमें देख कर तुम तीनों भागे क्यों थे?’’

”हम डर गए थे साहब, पुलिस से हमें बहुत डर लगता है.’’ फैसल ने कहा, ”हम तीनों निर्दोष हैं साहब, हमें छोड़ दीजिए.’’

”छोड़ देंगे, पहले तुम लोगों की खातिरदारी तो कर लें.’’ एसएचओ मुसकराए फिर उन्होंने एएसआई विपिन त्यागी को इशारा किया, ”ये बगैर सेवा किए कुछ नहीं बताएंगे, इन्हें मुंह खोलने के लिए खुराक दो.’’

एसएचओ प्रवीण कुमार अपने कक्ष में आ कर बैठ गए. उधर रिमांड रूम में एएसआई विपिन त्यागी अरमान, फैसल और उस्मान पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हुए बता रहे थे कि अपराध करने वालों को यहां सच बोलना पड़ता है.

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