दूसरे धर्म में शादी मौत को बुलावा

पेरुमल ने तिरुपुर पुलिस स्टेशन से घर पहुंचने के तुरंत बाद बेटी ऐश्वर्या को फांसी पर लटका दिया था. पेरुमल ने अपनी पत्नी से रस्सी और कुरसी लाने को कहा था. इस के बाद उस ने बेटी से खुद गले में फंदा डाल कर माफी मांगने के लिए कहा. उस ने उसे भरोसा दिया कि उस के माफी मांगने पर वह उस के फंदे पर झूलने से पहले रस्सी को काट देगा.

ऐश्वर्या ने ऐसा ही किया, किंतु जब पेरुमल ने रस्सी को काटा तो ऐश्वर्या को जिंदा पाया. इस के बाद पेरुमल ने उस का गला घोंट दिया, ताकि वह जीवित न बचे.

दक्षिण भारत बहुत ही खास अंदाज, मिजाज और रुतबे का प्रदेश है तमिलनाडु. यहां के लोग खेती किसानी से ले कर कल कारखाने तक में काम करने वाले पारंपरिक रीतिरिवाजों को भी काफी अहमियत देते हैं. हर परिवार और समाज के संस्कार में आन, बान और शान शीर्ष पर होता है. किंतु दूसरे प्रदेशों की तरह वहां के लोग भी जाति, धर्म, ऊंचनीच और अमीरी गरीबी के जाल में उलझे रहते हैं.

वहीं तंजावुर जिले में पट्टूकोट्टई के नेवविदुथी गांव का रहने वाला कल्लार समुदाय का पेरुमल और उस के परिवार के लोग बीते साल 2023 के आखिरी दिन से ही परेशान थे. इस की वजह यह थी कि उस की बेटी ऐश्वर्या बिना कहे घर से लापता थी. वह मात्र 19 साल की थी.

परिवार के लोग उस की तलाश अपने लोगों के बीच गुपचुप तरीके से कर रहे थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि ऐश्वर्या कहां गई होगी. रिश्तेदारी में पता किया, लेकिन उस के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाई थी.

ऐश्वर्या 10वीं तक पढ़ाई पूरी करने के बाद तिरुपुर में एक पावरलूम में नौकरी पर लग गई थी. जब उस का कोई पता नहीं चला, तब उस के मम्मी पापा ने पल्लदम थाने में पहली जनवरी, 2024 को उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवा दी.

हालांकि ऐश्वर्या के पापा पेरुमल और मम्मी रोजा को उस के सालों से चल रहे प्रेम संबंध के बारे में पता था. उन्हें पक्का विश्वास था कि ऐश्वर्या अपने प्रेमी संग ही होगी. लेकिन कहां मिलेगी, किस हाल में होगी, नहीं मालूम था. इस बारे में उन्होंने एसएचओ को बता दिया.

इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया. वह वीडियो ऐश्वर्या की शादी का था. उस के साथ दूल्हा बने नवीन को सभी ने पहचान लिया. इस की गांव के दूसरे लोग कानाफूसी करने लगे थे. कोई सामने खुल कर कुछ नहीं बोल रहा था, लेकिन ऐश्वर्या के मम्मी पापा को दुत्कारने की नजरों से देखने लगे थे. यही बात उन्हें भीतर ही भीतर तकलीफ देने लगी थी.

मन कचोटने लगा था और वे बेटी की अपनी मरजी से की गई शादी से दुखी हो गए थे. वह सामाजिक उपेक्षा महसूस करने लगे थे. उन्हें लगने लगा था कि उस के कल्लार समाज के लोग ऐश्वर्या की हरकत से बेहद नाराज हो चुके हैं.

नए साल के मौके पर ऐश्वर्या की मम्मी रोजा गांव के मंदिर से पूजा कर लौट रही थी. अपने घर से कुछ कदम की दूरी पर ही थी कि पड़ोस की एक औरत तपाक से बोल पड़ी, ”तुम्हारी बेटी ने तो पूरे कल्लार समाज की नाक कटा दी है… उसे अपने समाज में कोई नहीं मिला जो उस दलित के साथ भाग गई!”

ताने से क्यों तिलमिलाया पेरुमल

रोजा यह सुन कर तिलमिला गई. ताने सुनती हुई तेज कदमों से अपने घर चली आई. पति के सामने रोने लगी. पति पेरुमल कल्लार ने पूछा तो उस ने पड़ोसी महिला के ताने की बात बता दी. साथ ही उस ने कहा कि चाहे जैसे भी हो ऐश्वर्या को पहले घर लाएं. पत्नी की बात सुन कर पेरुमल तुरंत थाने गया. उस ने ऐश्वर्या की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई.

पुलिस को उस ने वायरल हो रहे वीडियो की बात बताई, जो उस के गांव के लोगों के पास पहुंच चुका था. उस ने यह भी कहा कि वीडियो के फैलने से ऐश्वर्या की दलित लड़के के साथ शादी की चारों ओर चर्चा होने लगी है. लोग उसे और उस की पत्नी को नफरत की नजरों से देखने लगे हैं. ताने तक मारने लगे हैं. ऐश्वर्या को जल्द घर वापस लाना जरूरी है. लड़के के खिलाफ काररवाई करने में देरी होने पर सामाजिक तनाव बढ़ जाएगा.

इसी के साथ उस ने पुलिस को यह भी बताया कि इलाके में इस तरह के प्रेम संबंध और शादी को लोग बहुत ही गलत मानते हैं. उस ने कहा कि हम लोग पिछड़े समाज के हैं, जबकि बेटी ऐश्वर्या ने जिस के साथ शादी की है, वह दलित समाज का है.

दलितों और पिछड़े समुदाय के बीच ऐसे प्रेम विवाह पहले भी हुए हैं. उन में अधिकांश कभी गांव नहीं लौटे, लेकिन उन के घर वालों को लोगों ने गांव में जीना दूभर कर दिया था. हमारे गांव के बहुत से लोगों को ऐसी शादियों के बारे में पता तक नहीं है, हमारे मामले में वाट्सऐप वीडियो से यह बात सभी को पता चल गई है.

ऐश्वर्या के पिता ने उस लड़के के बारे में भी बता दिया. उस ने बताया कि ऐश्वर्या से शादी रचाने वाला लड़का नवीन भी 19 साल का है. वह वेल्लालर समुदाय से आता है, जो प्रदेश की एक अनुसूचित जाति है.

पुलिस को यह बात न केवल चौंकाने वाली लगी, बल्कि इसे सामाजिक तनाव बनाने का बड़ा कारण समझते हुए जल्द से जल्द सुलझाना जरूरी समझा. एसएचओ ने इस की जानकारी डीएसपी को देते हुए ऐश्वर्या की तलाशी संबंधी आवश्यक अनुमति भी मांग ली.

इस के बाद पुलिस ने ऐश्वर्या को तलाशना शुरू कर दिया. उन्हें जल्द ही नवीन के ठिकाने के बारे में मालूम हो गया. उस ने 31 दिसंबर को आवरापलयम के विनयागर मंदिर में जयमाला डाल कर अंतरजातीय शादी कर ली थी. शादी करने के बाद पहली जनवरी को जोड़े ने वीरापंडी इलाके में एक घर किराए पर लिया था. वहां से उन्होंने अपने वैवाहिक जीवन की शुरुआत की थी.

इस मामले में पुलिस से कहां हुई चूक

2 जनवरी, 2024 की दोपहर पल्लदम पुलिस उन के घर पहुंच चुकी थी. उन्होंने ऐश्वर्या को पुलिस स्टेशन आने के लिए कहा. उन से पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों की उम्र के अनुसार उन की शादी अवैध मानी जाएगी. ऐश्वर्या के पापा ने गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई है, इसलिए भलाई इसी में है कि वे दूसरी कानूनी धाराओं में दोषी बनाए जाएं, इस से बचने के लिए अपने घर वालों से विवाह की सहमति ले लें.

ऐश्वर्या पुलिस के कहे अनुसार तुरंत उन के साथ थाने आ गई. वहां पहले से ही उस के पापा कुछ लोगों के साथ मौजूद थे. पुलिस ने ऐश्वर्या की बरामदगी मात्र घंटे भर में कर ली थी. मामले को सुलझा लिया गया था. ऐश्वर्या को उस के पापा घर ले आए.

हालांकि पीछेपीछे नवीन भी थाने आया. वह थाने के बाहर ही ऐश्वर्या का इंतजार करने लगा, लेकिन दोपहर करीब 2 बजे ऐश्वर्या के पापा पेरुमल और उन के साथ आए लोग उसे थाने से घर ले कर चले गए. उस से उन्होंने कोई बात नहीं की. यहां तक कि उस के सवालों का भी कोई जवाब नहीं दिया. उन के जाने के बाद नवीन ने पुलिस स्टेशन के अंदर जा कर ऐश्वर्या के बारे में पूछा. उसे बताया गया कि ऐश्वर्या को उस के पापा अपने गांव ले गए हैं.

नवीन को यह बात अटपटी लगी, क्योंकि ऐश्वर्या उस की ब्याहता थी. उस की अनुमति और मरजी के बगैर कोई कैसे कहीं ले कर जा सकता है. वह पुलिस पर नाराजगी दिखाने लगा. किंतु उल्टा उसे पुलिस ने ही चेतावनी दी. कहा कि अगर उस ने ऐश्वर्या से दोबारा मिलने की कोशिश की तो उस के घर वाले उसे पीटेंगे. इसलिए उस की भलाई इसी में है कि वह ऐश्वर्या को हमेशा के लिए भूल जाए.

नवीन को पुलिस की चेतावनी धमकी की तरह लगी. उस वक्त तो वह अपने गुस्से को काबू में रखता हुआ घर चला आया. वह पट्टूकोट्टाई के इलाके में पुवलूर गांव का रहने वाला था. ऐश्वर्या को स्कूल के समय से जानता था. दोनों अलगअलग स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन स्कूल आतेजाते उन की मुलाकातें हो जाती थीं.

इसी सिलसिले में उन के बीच प्रेम संबंध बन गए. यह जानते हुए कि उन की जातियां अलग हैं और समुदाय में भी अंतर है. दोनों समुदायों के बीच शादीविवाह कभी भी स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन के परिवार और समाज उन के रिश्ते को सिरे से खारिज कर देंगे और उन्हें जबरन जुदा कर दिया जाएगा.

नवीन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था और तिरुपुर में एक कपड़ा फैक्ट्री में नौकरी कर ली थी. वहां वह कंपनी द्वारा दिए गए आवास में रहता था. ऐश्वर्या भी अपने पैरों पर खड़ी थी. वह तिरुपुर में एक पावरलूम में नौकरी करती थी.

इस की शुरुआत हो चुकी थी. ऐश्वर्या को नवीन के सामने से ही उस के घर वाले ले कर चले गए थे. फिर भी उस ने हिम्मत नहीं हारी, लेकिन वह दुविधा में था.

अगले रोज 3 जनवरी को वह भागा भागा ऐश्वर्या के घर गया. दरअसल, उसे सूचना मिली कि ऐश्वर्या की आकस्मिक मृत्यु हो गई है और उस के शव का तुरंत अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है.

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ऐश्वर्या की मौत के बारे में वट्टाथिकोट्टई पुलिस से जानकारी मिली कि वह 3 जनवरी को अपने कमरे में मृत पाई गई थी. इस से आहत नवीन ने 7 जनवरी को ऐश्वर्या के घर वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी. शिकायत में उस ने आरोप लगाया कि उस की पत्नी ऐश्वर्या की उस के घर वालों ने हत्या कर दी है.

भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 201 के तहत मामला दर्ज किया गया. उल्लेखनीय है कि धारा 201 उस व्यक्ति के लिए सजा निर्धारित करती है, जो जानता है कि कोई अपराध किया गया है, उस अपराध के सबूतों को नष्ट कर देता है या अपराधी को कानूनी सजा से बचाने के लिए गलत जानकारी देता है.

ऐश्वर्या की अचानक मौत हो जाने से लोगों के जेहन में साल 2014 की एक घटना ताजा हो गई, जो उसिलामपट्टी की सी. विमला देवी की मौत थी. वह भी ऐश्वर्या की तरह कल्लार जाति की थी और एक दलित व्यक्ति से शादी की थी. उसे अपनी जान बचाने के लिए केरल के एक पुलिस स्टेशन में शरण लेनी पड़ी थी.

बाद में विमला के पिता द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर जांच पूरी करने के लिए जोड़े को तमिलनाडु लाया गया. उस के मातापिता पुलिस को यह आश्वासन दे कर घर ले गए कि मामले को ठीक कर लिया जाएगा. लेकिन अगले ही दिन वह मृत पाई गई थी और पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही उस के अवशेष जल कर राख हो गए थे.

नवीन द्वारा दर्ज की गई शिकायत में कहा गया कि उस के और ऐश्वर्या के बीच पिछले 5 साल से प्रेम चल रहा था.अपनी शिकायत में नवीन ने यह भी कहा किया वह 2 जनवरी को 2 बजे ऐश्वर्या के पिता अन्य रिश्तेदारों के साथ पुलिस स्टेशन गया. आधे घंटे बाद ही पल्लदम पुलिस स्टेशन से ऐश्वर्या को उस के पिता और रिश्तेदारों ने अपने साथ ले कर पुलिस स्टेशन के बाहर खड़ी कार में बैठ कर चले गए.

नवीन ने बताया कि उसे सूचना मिली थी कि 3 जनवरी की सुबह ऐश्वर्या की हत्या कर दी गई थी और स्थानीय लोगों से छिपा कर शव को तत्काल श्मशान में जला दिया गया था.

इस संबंध में पुलिस ने अपनी जांच में कहा कि ऐश्वर्या को उस के मम्मी पापा ने नेवाविदुति गांव के इमली के पेड़ से लटका कर मार डाला गया था. हालांकि इस बारे में ऐश्वर्या के गांव वाले कुछ भी खुल कर बात करने को तैयार नहीं थे. फिर भी कुछ लोगों ने दबी जुबान से दिल दहला देने वाली इस घटना के बारे में कई संदिग्ध बातें बताईं. उन्हीं में से एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उस ने ऐश्वर्या को उस के पापा द्वारा जबरदस्ती ले जाते हुए देखा था.

इसी तरह एक अन्य ग्रामीण ने बताया कि उस के घर के बाहर बहुत शोर हो रहा था, जिसे सुन कर हम बाहर निकले. ऐश्वर्या के घर वाले उसे घसीटते हुए इमली के पेड़ तक ले कर जा रहे थे. इस आधार पर पुलिस का कहना था कि ऐश्वर्या के पापा ने ही इमली के पेड़ के नीचे उस की हत्या कर दी.

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इस जांच की अगुवाई करने वाले एसआई नवीन प्रसाद ने ऐश्वर्या की क्रूर तरीके से हत्या होने की पुष्टि की. इस आधार पर ही औनर किलिंग के आरोपी पेरुमल और उस की पत्नी रोजा को गिरफ्तार कर लिया गया. पूछताछ के दौरान पेरुमल ने बताया कि उस ने इमली के पेड़ के नीचे अपनी बेटी की हत्या की थी.

पुलिस ने पेरुमल और उस की पत्नी रोजा से पूछताछ करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया.

हसरतों की उड़ान : स्टूडेंट के प्यार में उजाड़ी गृहस्थी – भाग 2

कालोनी में रहने वाले एयरफोर्स कर्मचारियों की पत्नियों ने अपना एक एसोसिएशन बना रखा था. उस एसोसिएशन में सुधा गुप्ता भी थी. चौकीप्रभारी सार्जेंट की मौत के बारे में पता करने के लिए जब एसोसिएशन की महिलाओं के पास पहुंचे तो उन्होंने सार्जेंट की मौत पर अपना संदेह जाहिर करते हुए उन से सुधा गुप्ता के आचरण के बारे में पूछा तो संयोग से वहां मौजूद सुधा गुप्ता बोल पड़ी, ‘‘सर, मेरे ही पति की मौत हुई है और आप मेरे ही ऊपर इस तरह का आरोप लगा कर मुझे बदनाम कर रहे हैं. यह अच्छी बात नहीं है.’’

‘‘मैडम, हमारी आप से कोई दुश्मनी नहीं है कि हम आप को बदनाम करेंगे. जिस तरह की बातें हमें सुनने को मिल रही हैं, हम उसी के आधार पर यह बात कर रहे हैं. बहरहाल पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मिल जाए, उस के बाद हम आप से बात करेंगे.’’ चौकीप्रभारी ने कहा.

चौकीप्रभारी ने कालोनी में रहने वाले कुछ एयरफोर्स के अधिकारियों से सुधा गुप्ता और अमित पर नजर रखने को कहा था. उन्हें डर था कि कहीं दोनों भाग न जाएं.

4 मई, 2014 को सार्जेंट रमेशचंद्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिली. रिपोर्ट पढ़ कर पुलिस हैरान रह गई. सुधा गुप्ता ने बताया था कि उस के पति की मौत हार्टअटैक से हुई थी, जबकि पोस्टमार्टम के अनुसार उस की मौत गला दबाने से हुई थी. इस रिपोर्ट से पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि यह सब सुधा और अमित ने ही साजिश रच कर किया होगा.

आगे की काररवाई करने से पहले चौकीप्रभारी ने सफदरजंग अस्पताल के उन डाक्टरों से बात की, जिन्होंने सार्जेंट रमेशचंद्र की लाश का पोस्टमार्टम किया था. डाक्टरों ने बताया था कि उस की मौत सांस की नली दबाने यानी गला घोंटने से हुई थी, उन्होंने यह भी बताया था कि उस की गले की हड्डी में फै्रक्चर भी था. ऐसा गला दबाने पर ही हुआ होगा.

डाक्टरों ने पुलिस को यह भी बताया था कि रमेशचंद्र की जेब से एक परची मिली थी, जो उन्होंने एयरपोर्ट अथौरिटी को पहली अप्रैल को लिखी थी. उस में लिखा था, ‘मेरा कुछ दिनों से पारिवारिक क्लेश चल रहा है. मुझे नहीं पता कि मैं कितने दिन और रहूंगा. अगर मेरे साथ कुछ हो जाता है तो मेरी संपत्ति का आधा हिस्सा गरीबों में बांट दिया जाए, बाकी मेरी बेटी के लालनपालन पर खर्च किया जाए.’

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और डाक्टरों की बातचीत से साफ हो गया था कि रमेशचंद्र की मौत हार्टअटैक से नहीं, गला दबाने से हुई थी. यानी उस की हत्या की गई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट और उस परची के बारे में पुलिस उपायुक्त को भी अवगत कराया गया. उन के निर्देश पर 6 मई, 2014 को थाना दिल्ली कैंट में सार्जेंट रमेशचंद्र गुप्ता की हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया.

इस के बाद इस मामले को सुलझाने के लिए डीसीपी सुमन गोयल ने एक पुलिस टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी सुरेश कुमार वर्मा, सुब्रतो पार्क चौकी के प्रभारी के.बी. झा, एसआई रामप्रताप, जी.आर. मीणा, एएसआई देवेंद्र, हेडकांस्टेबल अनिल, सचिन, महिला कांस्टेबल सुनीता, निर्मला आदि को शामिल किया गया.

चौकीप्रभारी के.बी. झा ने जब अस्पताल में सुधा गुप्ता से बात की थी, तभी उन्हें रमेशचंद्र की मौत पर शक हो गया था. लेकिन उस समय लाश कपड़े में बंधी हुई थी, इसलिए वह उसे देख नहीं पाए  थे. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परची ने उन का संदेह सच में बदल दिया था.

उन्हें कालोनी वालों से सुधा गुप्ता और 17 वर्षीय अमित के संबंधों के बारे में पता चल गया था. अब उन्हें लग रहा था कि इन्हीं संबंधों की वजह से सुधा गुप्ता और अमित ने रमेशचंद्र को ठिकाने लगाया था. चूंकि सुधा गुप्ता तेजतर्रार और उच्चशिक्षित महिला थी इसलिए पुलिस पूरे सुबूतों के साथ ही अब उस से पूछताछ करना चाहती थी.

पुलिस को सुधा गुप्ता और अमित के मोबाइल नंबर मिल गए थे. पुलिस ने दोनों नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. पता चला कि दोनों ने पिछले एक महीने में एकदूसरे को करीब डेढ़ हजार फोन किए थे. दोनों ने इतनी काल्स किसी अन्य नंबर पर नहीं की थीं. इस काल डिटेल्स ने पुलिस के शक को और मजबूत कर दिया था.

पुलिस को पर्याप्त सुबूत मिल गए तो सुधा को पूछताछ के लिए थाने बुलाने की तैयारी होने लगी. सुधा एयरफोर्स कालोनी के कवार्टर नंबर जी-28 में रहती थी. अमित भी वहीं पास में रहता था. पूछताछ के लिए बुलाने की खातिर पुलिस जब दोनों के क्वार्टरों पर पहुंची तो दोनों ही अपने क्वार्टरों से गायब मिले. इस से यही अंदाजा लगाया गया कि पुलिस की जांच सही दिशा में जा रही थी.

दोनों कहीं दूर न चले जाएं, इसलिए पुलिस टीम सरगर्मी से उन की तलाश करने लगी. इधरउधर भागादौड़ी करने के बाद पता चला कि सुधा गुप्ता और अमित वसंत विहार के वसंत गांव में रह रहे हैं. आखिर पुलिस उन के ठिकाने पर पहुंच ही गई. सुधा को जरा भी उम्मीद नहीं थी कि पुलिस वहां पहुंच जाएगी, इसलिए पुलिस को देख कर वह हैरान रह गई.

सुधा ने वह फ्लैट किराए पर ले रखा था. पुलिस को देख कर मकान मालिक भी आ गया था. पूछताछ में मकान मालिक ने बताया कि फ्लैट किराए पर लेते समय सुधा ने अमित को अपना पति बताया था. इस तरह पुलिस को सुधा के खिलाफ एक और सुबूत मिल गया था. पुलिस सुधा और अमित को ले कर थाने आ गई.

वैलेंटाइन डे पर मिली अनोखी सौगात – भाग 3

किरण और रामबाबू के बीच एक बार जिस्मानी संबंध बनने के बाद उन का सिलसिला चलता रहा. लेकिन ज्यादा दिनों तक सिलसिला कायम न रह सका. करतार सिंह को पत्नी के हावभाव से उस पर शक होने लगा. उसे रामबाबू का उस के यहां ज्यादा आना अच्छा नहीं लगता था. इस बात का ऐतराज उस ने पत्नी से भी जताया और कहा कि वह रामबाबू को यहां आने से मना कर दे. लेकिन किरण ने ऐसा नहीं किया.

इसी बात को ले कर पत्नी से करतार की नोकझोंक होती रहती थी. उसी दौरान किरण की छोटी बहन सलीना भी उस के पास रहने के लिए आ गई. 22 साल की सलीना खूबसूरत थी. जवान साली को देख कर करतार की भी नीयत डोल गई. वह उस पर डोरे डालने लगा लेकिन घर में अकसर पत्नी के रहने की वजह से उस की दाल नहीं गल पाई.

उधर किरण और रामबाबू के अवैध संबंध का खेल कायम रहा और 7 फरवरी को वह रामबाबू के साथ भाग गई. बदनामी की वजह से करतार ने इस की रिपोर्ट थाने में भी नहीं लिखवाई. करीब एक हफ्ते तक दोनों इधरउधर घूम कर मौजमस्ती कर के घर लौट आए. करतार ने किरण को आडे़ हाथों लिया तो किरण ने पति के पैरों में गिर कर माफी मांग ली. पत्नी के घडि़याली आंसू देख कर करतार का दिल पसीज गया और उस ने पत्नी को माफ कर दिया.

13 फरवरी की शाम को रामबाबू करतार के यहां आया. करतार को पता था कि उस की पत्नी को रामबाबू ही भगा कर ले गया था इसलिए उस के घर आने पर वह मन ही मन कुढ़ रहा था. फिर भी उस ने उस से कुछ कहना जरूरी नहीं समझा.

उस ने उस की खातिरदारी की और उस के साथ शराब भी पी. शराब पीने के दौरान ही बातोंबातों में उन का झगड़ा हो गया. झगड़ा बढ़ने पर रामबाबू वहां से चला गया. किरण ने इसे अपने प्रेमी रामबाबू की बेइज्जती समझा और उलटे वह भी पति से झगड़ने लगी.

अगले दिन 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे था. प्यार का इजहार करने के इस दिन का तमाम लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. 40 साल का करतार भी अपनी 22 साल की साली सलीना को मन ही मन चाहता था. उस दिन सलीना किरण के साथ महिपालपुर में रामबाबू के घर चली गई थी. इस बात की जानकारी करतार सिंह को थी.

करतार सिंह ने भी वैलेंटाइन डे के दिन ही सलीना को अपने प्यार का इजहार करने का फैसला कर लिया. वह दुकान पर अपने बेटे को बिठा कर रामबाबू के कमरे पर पहुंच गया. उस समय वहां रामबाबू नहीं था. वह किरण और सलीना को कमरे पर छोड़ कर किसी काम से घर से बाहर चला गया था और उस की पत्नी प्रभा मायके गई हुई थी.

करतार सलीना के लिए बेचैन हुआ जा रहा था. जिस समय किरण किचन में कोई काम कर रही थी, सलीना कमरे में थी, तभी मौका देख कर करतार ने सलीना का हाथ पकड़ लिया.

सलीना घबरा गई. जब उस ने हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो करतार ने उस के सामने प्यार का इजहार करते हुए उसे किस कर दी और वह उस के साथ अश्लील हरकतें करने लगा. सलीना चीखी तो किचन से किरण आ गई. पति की हरकतों को देख कर उसे भी गुस्सा आ गया. तब सलीना ने किसी तरह खुद को उस के चंगुल से छुड़ा लिया और किचन की ओर भाग गई.

उधर किरण पति को डांट ही रही थी तभी सलीना किचन से चाकू ले आई. इस से पहले कि वह कुछ समझ पाता, सलीना ने करतार के पेट में चाकू घोंप दिया.

चाकू लगते ही करतार के पेट से खून का फव्वारा फूट पड़ा. सलीना ने उसी चाकू से एक वार उस के पेट की दूसरी साइड में कर दिया. इस के बाद करतार सिंह फर्श पर गिर गया और बेहोश हो गया.

बहन के इस कदम पर किरण भी हैरान रह गई. जो हो चुका था, उस में अब वह कुछ नहीं कर सकती थी. उस ने छोटी बहन से कुछ नहीं कहा. बल्कि वह यह सोच कर खुश हुई कि करतार के मरने के बाद वह रामबाबू के साथ बिना किसी डर के रहेगी. करतार कहीं जिंदा न रह जाए, इसलिए किरण ने उसी चाकू से उस का गला काट दिया. इस के बाद किरण ने फोन कर के रामबाबू को करतार की हत्या करने की खबर दे दी. उस ने उसे बुला लिया.

दोनों बहनों द्वारा करतार की हत्या करने पर वह भी हैरान रह गया. अब उन तीनों ने उस की लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. सब से पहले उन्होंने उस की बौडी के खून को साफ किया फिर लाश को प्लास्टिक के कट्टे में रख लिया.

अंधेरा होने के बाद रामबाबू ने उस की लाश अपने आटोरिक्शा में रख ली. किरण और सलीना भी आटो में बैठ गईं. रामबाबू आटो को वसंत कुंज इलाके की तरफ ले गया. वसंत वाटिका पार्क के पास उन्हें बिना ढक्कन का एक मेनहोल दिखा तो उसी मेनहोल में उन्होंने लाश गिराने का फैसला ले लिया.

आटो से कट्टा उतार कर उस मेनहोल के पास ले गए और कट्टे का मुंह खोल कर लाश उस मेनहोल में गिरा दी और कट्टा वहीं फेंक कर वे उसी कमरे पर चले गए जहां करतार की हत्या की गई थी.

तीनों ने फर्श धो कर खून के धब्बे साफ किए फिर किरण और सलीना वहां से करतार के कमरे पर आ गईं. उन्हें देख कर घर का कोई भी सदस्य यह अनुमान तक नहीं लगा पाया कि वे कोई जघन्य अपराध कर के आई हैं.

जब देर रात तक करतार घर नहीं पहुंचा तो उस के घर वालों ने किरण से उस के बारे में पूछा. तब किरण ने यही जवाब दिया कि उसे करतार के बारे में कुछ नहीं पता. घर वालों के साथ वह भी करतार को इधरउधर ढूंढती रही.

10-12 दिनों तक घर वाले परेशान होते रहे, लेकिन करतार का कहीं पता नहीं चला. करतार के घर वाले जब उस के गुम होने की रिपोर्ट दर्ज कराने की बात करते तो किरण उन्हें यह कह कर मना करती कि वह कहीं गए होंगे. अपने आप लौट आएंगे. घर वालों के दबाव देने पर किरण ने 25 फरवरी को थाना वसंत कुंज (नार्थ) जा कर पति की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखा दी.

उधर करतार सिंह के मातापिता का कहना है कि सलीना ने उन के बेटे पर छेड़खानी का जो आरोप लगाया है वह सरासर गलत है. हकीकत यह है कि सलीना करतार के साथ पहले से ही उस के कमरे में सोती थी. जब किरण रामबाबू के साथ भाग गई थी तब सलीना करतार के साथ ही सोती थी.

हफ्ता भर तक जब जीजासाली बंद कमरे में सोए थे तो उन्होंने भजनकीर्तन तो किया नहीं होगा. जाहिर है उन्होंने सीमाएं भी लांघी होंगी. ऐसे में उस के द्वारा छेड़छाड़ का आरोप लगाने वाली बात एकदम गलत है.

उन्होंने आरोप लगाया कि करतार की हत्या रामबाबू, किरण और सलीना ने साजिश के तहत की है. तीनों के खिलाफ सख्त काररवाई की जानी चाहिए.

बहरहाल अब यह बात अदालत ही तय करेगी कि करतार सिंह का हत्यारा कौन है. किरण और सलीना से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने एक बार फिर रामबाबू के यहां दबिश दी, लेकिन वह नहीं मिला.

पुलिस को पता चला कि करतार की लाश ठिकाने लगाने में रामबाबू ने अपने जिस आटोरिक्शा का प्रयोग किया था, वह किसी के यहां खड़ा है. पुलिस उस जगह पर पहुंच गई जहां उस का आटोरिक्शा खड़ा था. उस आटोरिक्शा को ले कर पुलिस थाने लौट आई.

पुलिस ने किरण और सलीना को भादंवि की धारा 302 (हत्या करना), 201 (हत्या कर के लाश छिपाने की कोशिश) और 120बी (अपराध की साजिश रचने) के तहत गिरफ्तार कर के उन्हें न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

कथा संकलन तक दोनों अभियुक्त जेल में बंद थीं जबकि रामबाबू की तलाश में पुलिस अनेक स्थानों पर दबिश डाल चुकी थी.

—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित

हसरतों की उड़ान : स्टूडेंट के प्यार में उजाड़ी गृहस्थी – भाग 1

दोपहर 3 बजे के करीब दिल्ली पुलिस के कंट्रोल रूम को सुब्रतो पार्क स्थित एयरफोर्स मैडिकल सेंटर से सूचना दी गई कि एक सैनिक की मौत हो गई है, इसलिए थाना पुलिस भेजी जाए. यह मैडिकल सेंटर दक्षिणपश्चिमी दिल्ली के थाना कैंट के अंतर्गत आता है, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम ने तत्काल यह जानकारी थाना कैंट को वायरलेस द्वारा दे दी. यह 10 अप्रैल, 2014 की बात है.

चूंकि उस दिन दिल्ली में लोकसभा चुनाव का मतदान चल रहा था. इसलिए दिल्ली पुलिस के ज्यादातर पुलिसकर्मी चुनाव ड्यूटी पर थे. पुलिस चौकी सुब्रतो पार्क के चौकीप्रभारी के.बी. झा की भी ड्यूटी क्षेत्र के पोलिंग बूथ पर लगी थी.

पुलिस कंट्रोल रूम द्वारा वायरलेस से जो संदेश प्रसारित किया गया था, उसे उन्होंने सुन लिया था. इस के अलावा थानाप्रभारी ने भी उन्हें वहां जाने का निर्देश दिया था. इसलिए चौकीप्रभारी के.बी. झा एयरफोर्स मैडिकल सेंटर की ओर रवाना हो गए. दूसरी ओर सूचना मिलने पर थाना कैंट से भी एएसआई देवेंद्र कांस्टेबल सचिन के साथ एयरफोर्स अस्पताल के लिए चल पड़े थे.

पुलिस के अस्पताल पहुंचने तक डाक्टरों ने लाश को सफेद कपड़े में बंधवा दिया था. चौकीप्रभारी ने जब वहां के डाक्टरों से मृतक और उस की लाश के बारे में पूछा तो उन्होंने सफेद कपड़ों में बंधी उस लाश को दिखाते हुए बताया कि यही एयरफोर्स के सार्जेंट रमेशचंद्र की लाश है.

चौकीप्रभारी के.बी. झा ने पूछा कि रमेशचंद्र की मौत कैसे हुई तो डाक्टर ने बताया कि करीब एक घंटे पहले इन्हें इन की पत्नी सुधा एंबुलेंस से ले कर आई थीं. अस्पताल आने पर सुधा ने बताया था कि इन्हें हार्टअटैक आया था, लेकिन जब इन की जांच की गई तो पता चला कि इन की मौत हो चुकी है.

मृतक रमेशचंद्र की पत्नी सुधा गुप्ता वहीं थी. चौकीप्रभारी के.बी. झा ने पूछा कि यह सब कैसे हुआ तो उस ने कहा, ‘‘सर, यह शराब के आदी थे. कल रात यानी 9 अप्रैल की रात 10 बजे के करीब जब यह घर आए तो काफी नशे में थे. यह इन की रोजाना की  आदत थी, इसलिए मैं कुछ नहीं बोली. खाना खाने के बाद जब यह सोने के लिए लेटे तो कहा कि सीने में दर्द हो रहा है. मैं ने सोचा कि दर्द गैस की वजह से हो रहा होगा, क्योंकि इन्हें गैस की शिकायत थी.

‘‘मैं ने इन्हें पानी पिलाया और वहीं पास में बैठ गई. काफी देर तक इन्हें हलकाहलका दर्द होता रहा. उस के बाद यह सो गए तो मैं ने सोचा कि शायद इन्हें आराम हो गया है. फिर मैं भी इन्हीं के बगल में सो गई.

‘‘सुबह 9 बजे जब यह सो कर उठे तो मैं ने इन से तबीयत के बारे में पूछा. इन्होंने बताया कि अब ठीक है. नहाधो कर इन्होंने नाश्ता किया और वोट डालने की तैयारी करने लगे. यह तैयार हो कर घर से निकलने लगे तो इन्हें चक्कर आ गया. उस समय मैं किचन में थी. दौड़ कर मैं ने इन्हें संभाला और इन्हें ले जा कर बैड पर लिटा दिया.

‘‘एक बजे के करीब इन के सीने में फिर से दर्द उठा और वह दर्द भी वैसा ही था, जैसा रात में हो रहा था. मैं ने इन्हें पानी पिलाया. लेकिन इस बार दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था. उस समय क्वार्टर में मैं अकेली थी. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं? मैं कुछ करती, दर्द अचानक काफी तेज हो गया, फिर यह बेहोश हो गए.

‘‘मैं ने इन्हें हिलायाडुलाया, लेकिन इन का शरीर एकदम ढीला पड़ चुका था. इन के चेहरे पर पानी के छींटे मार कर होश में लाने की कोशिश की, लेकिन इन्हें होश नहीं आया. मैं घबरा गई, भाग कर पड़ोस में रहने वाले एयरफोर्स औफिसर एम.पी. यादव के यहां पहुंची. उन्हें पूरी बात बता कर मैं ने इन्हें अस्पताल ले चलने के लिए कहा. उन्होंने फोन कर के एयरफोर्स की एंबुलैंस बुलवाई और इन्हें यहां लाया गया. यहां आने पर डाक्टरों ने बताया कि इन की मौत हो चुकी है.’’

सुधा गुप्ता से बातचीत करते हुए चौकीप्रभारी के.बी. झा ने देखा कि इस स्थिति में जहां महिलाओं का रोरो कर बुरा हाल होता है और वे किसी से बात करने की स्थिति में नहीं होती हैं, वहीं इस के चेहरे पर लेशमात्र का भी दुख नजर नहीं आ रहा. वह बातचीत भी इस तरह से कर रही है, जैसे सब कुछ सामान्य हो. चूंकि उस समय उस के पति की लाश अस्पताल में रखी थी, इसलिए उन्होंने उस से ज्यादा पूछताछ करना ठीक नहीं समझा.

रमेशचंद्र की लाश सफेद कपड़े में लिपटी थी, इसलिए चौकीप्रभारी लाश को भी नहीं देख सके थे. उन्हें यह मामला संदिग्ध लग रहा था, इसलिए उन्होंने सारी जानकारी थानाप्रभारी सुरेश कुमार को दी तो वह भी अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने भी सुधा गुप्ता और अस्पताल  के डाक्टरों से बात की. इस के बाद उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए सफदरजंग अस्पताल भिजवा दिया.

सूचना पा कर सार्जेंट रमेशचंद्र के घर वाले भी इलाहाबाद से सफदरजंग अस्पताल पहुंच गए थे. पुलिस ने उन से भी पूछताछ की थी. लेकिन उन से कोई खास जानकारी नहीं मिली. पोस्टमामर्टम के बाद पुलिस ने लाश मृतक के भाई सुरेश शाहू को सौंप दी.

सुधा से बातचीत के बाद थानाप्रभारी को भी शक हो गया था, इसलिए उन्होंने चौकीप्रभारी के.बी. झा को एयरफोर्स कालोनी में जा कर गुप्त रूप से मामले की छानबीन करने को कहा था.

चौकीप्रभारी के.बी झा ने एयरफोर्स कालोनी जा कर अपने ढंग से सार्जेंट रमेशचंद्र की मौत के बारे में पता करना शुरू किया. इसी पता करने में उन्हें एयरफोर्स के एक अधिकारी ने बताया कि पूरी कालोनी में इस बात की चरचा है कि मृतक रमेशचंद्र की पत्नी सुधा गुप्ता का पड़ोस में ही रहने वाले 17 वर्षीय अमित से प्रेमसंबंध है. यह बात कहां तक सच है, वह कुछ कह नहीं सकते.

राजेश गौतम हत्याकांड : 30 करोड़ के मालिक की पत्नी के इशारे पर हत्या

वैलेंटाइन डे पर मिली अनोखी सौगात – भाग 2

करतार रंगपुरी पहाड़ी पर रहता था. महिपालपुर से लौटने के बाद पुलिस ने रंगपुरी पहाड़ी पर पहुंच कर वहां के लोगों से करतार के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी. इस से पुलिस को कई महत्त्वपूर्ण जानकारियां मिलीं, जिस के बाद किरण और उस की छोटी बहन सलीना भी शक के दायरे में आ गईं.

दोनों बहनों को पुलिस ने उसी दिन पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया. किरण और सलीना को जब अलगअलग कर के पूछताछ की तो करतार के मर्डर की कहानी खुल गई. दोनों बहनों ने स्वीकार कर लिया कि उस की हत्या उन दोनों ने ही की थी और लाश रामबाबू के आटो में रख कर वसंत वाटिका पार्क में लाए और उसे वहां के गटर में डाल कर अपनेअपने घर चले गए थे. पति की हत्या की जो कहानी किरण ने बताई, वह प्रेम से सराबोर निकली.

पिल्लूराम मूलरूप से हरियाणा के गुड़गांव जिले के मेवात क्षेत्र स्थित नूनेरा गांव के रहने वाले थे. अब से तकरीबन 40 साल पहले अपनी पत्नी रतनी और 2 बेटों के साथ वे दिल्ली आए थे और दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में स्थित रंगपुरी पहाड़ी पर रहने लगे. उन से पहले अनेक लोगों ने इसी पहाड़ी पर तमाम झुग्गियां डाल रखी थीं.

दिल्ली की चकाचौंध ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि वह यहीं पर बस गए. छोटेमोटे काम कर के वह परिवार को पालने लगे. दिल्ली आने के बाद रतनी 4 और बेटों की मां बनी. अब उन के पास 6 बेटे हो गए थे जिन में करतार सिंह तीसरे नंबर का था.

पिल्लूराम की हैसियत उस समय ऐसी नहीं थी कि वे बच्चों को पढ़ा सकें. फिर भी उन्होंने सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराया लेकिन सभी ने पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. कोई भी बच्चा उच्चशिक्षा हासिल नहीं कर सका, तब पिल्लूराम ने उन्हें अलगअलग कामों में लगा दिया.

सभी बच्चे कमाने लगे तो घर के हालात सुधरने लगे. पैसा जमा करने के बाद करतार सिंह ने रंगपुरी पहाड़ी पर ही किराना स्टोर और चाय की दुकान खोल ली. कुछ ही दिनों में करतार सिंह का काम चल निकला तो उसे अच्छी आमदनी होने लगी. तब पिल्लूराम ने उस की शादी सीमा नाम की एक लड़की से कर दी.

शादी के बाद हर किसी के जीवन की एक नई शुरुआत होती है. यहीं से एक नए परिवार की जिम्मेदारी उठाने की कोशिश शुरू हो जाती है. सीमा से शादी करने के बाद करतार ने भी गृहस्थ जीवन की शुरुआत की. वह सीमा से बहुत खुश था. सीमा सपनों के जिस राजकुमार से शादी करना चाहती थी, करतार वैसा ही था. इसलिए उस ने बहुत जल्द ही करतार के दिल को काबू में कर लिया था.

इस दौरान सीमा एक बेटी और एक बेटे की मां बनी. उस का परिवार हंसीखुशी से चल रहा था. इसी बीच परिवार में ऐसा भूचाल आया जिस का दुख उसे सालता रहा.

करीब 4-5 साल पहले सीमा की कैंसर से मौत हो गई. करतार ने उस का काफी इलाज कराया था. लाख कोशिश करने के बाद भी वह ठीक नहीं हो सकी और परिवार को हमेशा हमेशा के लिए छोड़ कर चली गई.

सीमा की मौत पर वैसे तो पूरे परिवार को दुख हुआ था लेकिन सब से ज्यादा दुख करतार ही महसूस कर रहा था. होता भी क्यों न, वह उस की अर्द्धांगिनी जो थी. जीवन के जितने दिन उस ने पत्नी के साथ गुजारे थे, उन्हीं दिनों को याद करकर के उस की आंखों में आंसू भर आते थे.

36 साल का करतार दुकान पर बैठेबैठे खाली समय में अपने वैवाहिक जीवन की यादों में खोया रहता था. उस के मांबाप भी उसे काफी समझाते रहते थे. खैर, जैसेजैसे समय गुजरता गया, करतार सिंह भी सामान्य हो गया.

उसी दौरान उस की मुलाकात किरण नाम की एक युवती से हुई जो झारखंड के केरल गांव की थी. वह भी रंगपुरी पहाड़ी पर रहती थी. किरण वसंत कुंज इलाके में कोठियों में बरतन साफ करने का काम करती थी. करतार एकाकी जीवन गुजार रहा था. किरण को देख कर उस का झुकाव उस की ओर हो गया. किरण भी अकसर उस के पास आने लगी. उसे भी करतार से बातचीत करने में दिलचस्पी होने लगी. दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए थे.

फिर तो करतार जब भी फुरसत में होता, किरण को फोन मिला देता. दोनों में बातचीत का सिलसिला शुरू हो जाता और काफी देर तक बातें होती रहतीं. बातों ही बातों में वे एकदूसरे से खुलते गए. यह नजदीकी उन्हें प्यार के मुकाम तक ले गई.

चूंकि किरण भी अकेली ही थी और करतार उस की नजरों में सही था. उस की किराने की दुकान अच्छी चल रही थी इसलिए उस ने काफी सोचनेसमझने के बाद ही उस की तरफ प्यार का हाथ बढ़ाया था. करतार ने उस के सामने पूरी जिंदगी साथ रहने की पेशकश की तो किरण ने सहमति जता दी. इस के बाद किरण करतार के साथ पत्नी की तरह रहने लगी. यह करीब 4 साल पहले की बात है.

करतार की जिंदगी फिर से हरीभरी हो गई थी. किरण के प्यार ने उस के बीते दुखों को भुला दिया था. दोनों की उम्र में करीब 8 साल का अंतर था इस के बाद भी किरण उस से खुश थी.

इन 4 सालों में किरण मां नहीं बन सकी थी. करतार सिंह की पहली पत्नी से 2 बच्चे थे. इसलिए किरण के बच्चा पैदा न होने पर करतार को कोई मलाल नहीं था. लेकिन किरण इस चिंता में घुलती जा रही थी. वह चाहती थी कि उस के भी बच्चा हो. उस की गोद भी भर जाए.

किरण के कहने पर करतार ने उस का इलाज भी कराया. इस के बावजूद भी उस की इच्छा पूरी नहीं हुई तो करतार ने अपने एक संबंधी की एक साल की बेटी गोद ले ली जिस से किरण का मन लगा रहे. किरण उस गोद ली हुई बेटी की परवरिश में लग गई.

किरण के गांव की ही प्रभा नाम की एक लड़की की शादी महिपालपुर में रहने वाले रामबाबू के साथ हुई थी. रामबाबू आटोरिक्शा चलाता था. एक ही गांव की होने की वजह से किरण प्रभा से फोन पर बात भी करती रहती थी. कभी प्रभा उस के यहां तो कभी वह प्रभा के घर जाती रहती थी. एकदूसरे के यहां आनेजाने से करतार और रामबाबू के बीच भी दोस्ती हो गई थी. दोनों साथसाथ खातेपीते थे.

इसी बीच किरण का झुकाव रामबाबू की ओर हो गया. वह उस से हंसीमजाक करती रहती थी. किरण की ओर से मिले खुले औफर को भला रामबाबू कैसे ठुकरा सकता था. शादीशुदा होने के बावजूद भी उस ने अपने कदम किरण की ओर बढ़ा दिए. दोनों ही अनुभवी थे इसलिए उन्हें एकदूसरे के नजदीक आने में झिझक महसूस नहीं हुई.

वैलेंटाइन डे पर मिली अनोखी सौगात – भाग 1

दक्षिणी दिल्ली के वसंत कुंज इलाके में एमसीडी के कर्मचारी गटर की सफाई कर रहे थे. सफाई करते हुए वे सी-2 ब्लौक में वसंत  वाटिका पार्क पहुंचे तो गटर के एक मेनहोल के पास तीक्ष्ण गंध महसूस हुई. वह गंध सीवर की गंध से कुछ अलग थी. जिस मेनहोल से बदबू आ रही थी, उस पर ढक्कन नहीं था. सफाई कर्मचारी उस मेनहोल के पास पहुंचे तो बदबू और ज्यादा आने लगी. अपनी नाक पर कपड़ा रख कर उन्होंने जब मेनहोल में झांक कर देखा तो उन की आंखें फटी की फटी रह गईं. उस में एक आदमी की लाश पड़ी थी.

लाश मिलने की खबर उन्होंने अपने सुपरवाइजर को दी. उधर से गुजरने वालों को जब गटर में लाश पड़ी होने की जानकारी मिली तो वे भी उस लाश को देखने लगे. थोड़ी ही देर में खबर आसपास के तमाम लोगों को मिली तो वे भी वसंत वाटिका पार्क में पहुंचने लगे. थोड़ी ही देर में वहां लोगों का हुजूम लग गया. इसी बीच किसी ने खबर पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी. यह 25 फरवरी, 2014 दोपहर 1 बजे की बात है.

यह इलाका दक्षिणी दिल्ली के थाना वसंत कुंज (नार्थ) के अंतर्गत आता है, इसलिए गटर में लाश मिलने की खबर मिलते ही थानाप्रभारी मनमोहन सिंह, एसआई नीरज कुमार यादव, कांस्टेबल संदीप, बलबीर को ले कर वसंत वाटिका पार्क पहुंच गए. थानाप्रभारी ने जब गटर के मेनहोल से झांक कर देखा तो वास्तव में उस में एक आदमी की लाश पड़ी थी. वह सड़ गई थी जिस से वहां तेज बदबू फैली हुई थी.

पुलिस ने लाश बाहर निकाल कर जब उस का निरीक्षण किया तो उस का गला कटा हुआ था और पेट पर दोनों साइडों में गहरे घाव थे. लाश की हालत देख कर लग रहा था कि उस की हत्या कई दिनों पहले की गई होगी. जहां लाश मिली थी, उस से कुछ दूर ही रंगपुरी पहाड़ी थी, जहां झुग्गी बस्ती है.

लाश मिलने की खबर जब इस झुग्गी बस्ती के लोगों को मिली तो वहां से तमाम लोग लाश देखने के लिए वसंत वाटिका पार्क पहुंच गए. उन्हीं में प्रताप सिंह भी था.

प्रताप सिंह का छोटा भाई करतार सिंह भी 14 फरवरी, 2014 से लापता था. जैसे ही उस ने वह लाश देखी, उस की चीख निकल गई. क्योंकि वह लाश उस के भाई करतार सिंह की लग रही थी. अपनी संतुष्टि के लिए उस ने उस लाश का दायां हाथ देखा. उस पर हिंदी में करतार-सीमा गुदा हुआ था. यह देख कर उसे पक्का यकीन हो गया कि लाश उस के भाई की ही है. सीमा करतार की पहली बीवी थी.

करतार सिंह के घर के अन्य लोगों को भी पता चला कि उस की लाश गटर में मिली है तो वे घर से वसंत वाटिका पार्क पहुंच गए. वे भी करतार की लाश देख कर रोने लगे.

कुछ देर बाद पुलिस ने मृतक करतार के पिता पिल्लूराम से पूछा तो उन्होंने बताया, ‘‘यह 14 फरवरी से लापता था. इस की पत्नी किरण ने आज ही इस की गुमशुदगी थाने में लिखवाई थी. इस का यह हाल न जाने किस ने कर दिया?’’

‘‘जब यह 14 फरवरी से गायब था तो गुमशुदगी 12 दिन बाद क्यों कराई?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘पता नहीं साहब, हम ने तो इसे सब जगह ढूंढा था. इस का मोबाइल फोन भी बंद था.’’ पिल्लूराम ने रोते हुए बताया.

‘‘तुम चिंता मत करो, हम इस बात का जल्दी पता लगा लेंगे कि इस की हत्या किस ने की है.’’

‘‘साहब, हमारा तो बेटा चला गया. हम बरबाद हो गए.’’

थानाप्रभारी ने किसी तरह पिल्लूराम को समझाया और उन्हें भरोसा दिया कि वह हत्यारे के खिलाफ कठोर काररवाई करेंगे.

कोई भी लाश मिलने पर पुलिस का पहला काम उस की शिनाख्त कराना होता है. शिनाख्त के बाद ही पुलिस हत्यारों का पता लगा कर उन तक पहुंचने की काररवाई करती है. गटर में मिली इस लाश की शिनाख्त उस के घर वाले कर चुके थे. इसलिए पुलिस ने लाश का पंचनामा कर के उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

मामला मर्डर का था इसलिए दक्षिणी दिल्ली के डीसीपी भोलाशंकर जायसवाल ने थानाप्रभारी मनमोहन सिंह के निर्देशन में एक पुलिस टीम बनाई जिस में सबइंसपेक्टर नीरज कुमार यादव, संदीप शर्मा, कांस्टेबल बलबीर सिंह, संदीप, विनय आदि को शामिल किया गया.

मृतक करतार सिंह की पत्नी किरण ने 25 फरवरी, 2014 को उस की गुमशुदगी की सूचना थाने में लिखाई थी. जिस में उस ने कहा था कि उस का पति 14 फरवरी से लापता है. पुलिस ने उस से मालूम भी किया था कि सूचना इतनी देर से देने की वजह क्या है.

तब किरण ने बताया था कि पति के गायब होने के बाद से ही वह उसे हर संभावित जगह पर तलाशती रही. उस के जानकारों से भी पूछताछ की थी, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. उस ने सुबह के समय गुमशुदगी लिखाई थी और दोपहर में लाश मिल गई. इसलिए पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या कर लाश छिपाने का मामला दर्ज कर लिया.

पुलिस टीम ने सब से पहले मृतक के घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि करतार अपनी किराने की दुकान पर बैठता था. उस की किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी इसलिए कहा नहीं जा सकता कि उस की हत्या किस ने की है. पिता पिल्लूराम ने बताया कि करतार के गायब होने के 2 दिन पहले उस का झगड़ा रामबाबू से हुआ था.

‘‘यह रामबाबू कौन है?’’ थानाप्रभारी मनमोहन सिंह ने पिल्लूराम से पूछा.

‘‘साहब, रामबाबू की बीवी और किरण एक ही गांव की हैं. उसी की वजह से रामबाबू करतार के पास आता था. करतार के गायब होने के 2 दिन पहले ही उस की रामबाबू से किसी बात पर कहासुनी हो गई थी.’’ पिल्लूराम ने बताया.

‘‘…और रामबाबू रहता कहां है?’’

‘‘साहब, ये तो मुझे पता नहीं. लेकिन किरण को जरूर पता होगा. क्योंकि वह उस के यहां जाती थी.’’

थानाप्रभारी ने किरण को थाने बुलवाया. पति की लाश मिलने के बाद उस का रोरो कर बुरा हाल था. थानाप्रभारी ने उस से पूछा, ‘‘तुम रामबाबू को जानती हो? वह कहां रहता है और करतार से उस का जो झगड़ा हुआ था, उस की वजह क्या थी?’’

‘‘रामबाबू की बीवी और हम एक ही गांव के हैं, इसलिए वह कभीकभी हमारे यहां आता रहता था. वह महिपालपुर में रहता है. करतार और रामबाबू 12 फरवरी को साथसाथ शराब पी रहे थे, उसी समय किसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हो गया था.’’ किरण ने बताया.

चूंकि करतार का झगड़ा रामबाबू से हुआ था इसलिए पुलिस सब से पहले रामबाबू से ही पूछताछ करना चाहती थी. पुलिस किरण को ले कर महिपालपुर स्थित रामबाबू के कमरे पर पहुंची. लेकिन उस का कमरा बंद मिला. पड़ोसियों से जब उस के बारे में पूछा तो उन्होंने भी उस के बारे में अनभिज्ञता जताई. इस से पुलिस के शक की सुई रामबाबू की तरफ घूम गई.

मोहब्बत का स्याह रंग : डाक्टर ने की हैवानियत की हद पार

लिव इन पार्टनर की हत्या कर सूटकेस में डाली लाश – भाग 3

हत्या की बताई चौंकाने वाली वजह

इस शिकायती और संदेह वाली बातों पर पुलिस ने पूछा, ”तुम ने इस बारे में कभी पता लगाने की कोशिश की कि उस के पास पैसे हैं या नहीं? हो सकता है उस के पास उस वक्त पैसे नहीं हों, जब तुम मांगते होगे.’’

”नहीं सर, उस के पास पैसे होते थे, लेकिन नहीं देती थी.’’ मनोज बोला.

”चलो मान लिया, उस के पास पैसे होते थे, लेकिन उसी ने तुम्हें काम पर भी रखवाया था. वहां से पैसे मिले होंगे…उस का तुम ने क्या किया?’’ पुलिस ने पूछा.

”एक माह के ही मिले थे, सारे पैसे मैं ने अपने घर भेज दिए थे.’’ मनोज बोला.

”प्रतिमा को कुछ भी नहीं दिया?’’

”उसे क्यों देता, उसे भी तो पैसे मिले थे?’’ मनोज बोला.

”तुम्हें उस ने साथ रखा था, पति की तरह रहते थे. तुम्हारी भी तो घर चलाने की जिम्मेदारी थी.’’ पुलिस ने समझाया.

”लेकिन सर, वह अपने पैसे दूसरों पर खर्च करती थी, मुझे मालूम था वह कोई रिश्तेदार नहीं था. उस का एक प्रेमी था.’’ मनोज फिर प्रेमिका के चरित्र पर शंका के लहजे में बोला.

”इस का तुम ने कुछ पता किया या फिर यूं ही संदेह करते रहे?’’

”मैं क्या उस के बारे में पूछता. एक बार कुछ बोलने वाला ही था कि वह चीखने लगी… ताने मारने लगी… मुझे ही भलाबुरा कहने लगी थी.’’

”मुझे तो मालूम हुआ है कि प्रतिमा की कुछ माह से नौकरी छूट गई थी.’’

”हां, इस की जिम्मेदार भी वही थी. झगड़ालू स्वाभाव था. अपने मालिक से बातबात पर झगड़ पड़ती थी. उसे नौकरी से निकाल दिया था.’’ मनोज ने बताया.

”हो सकता है, दूसरे काम की तलाश में लोगों से फोन पर बात करती हो और तुम उसी को ले कर शक करने लगे हो.’’

”मैं इतना बुद्धू नहीं हूं सर, जो किसी लड़की के फोन पर हंस हंस कर बात करने का मतलब नहीं समझ पाऊं.’’ मनोज बोला.

”खैर, छोड़ो इन बातों को, सचसच बताओ 18 नवंबर, 2023 को क्या हुआ था?’’ पुलिस अब असली मुद्दे पर आ गई थी.

”असल में 18 तारीख को उस ने मुझ से कमरे का किराया देने के लिए पैसे मांगे. मेरे पास पैसे नहीं थे. इस पर उस ने मुझे दुकान से एडवांस मांगने को कहा, जो मुझ से नहीं हो सकता था. कारण, वहां से पहले ही एडवांस ले चुका था.’’

”फिर तुम ने क्या किया?’’

”मैं क्या करता, पैसे मेरे पास नहीं थे. इस बात को ले कर काफी बहस होने लगी. मैं परेशान हो गया. उस ने मुझे गालियां देनी शुरू कर दीं. दोपहर से हमें झगड़ते हुए शाम घिर आई. मैंं गुस्से से घर से बाहर निकल पड़ा. कुछ समय में ही वापस लौट आया. आते ही वह बरस पड़ी, ”आ गए, आटा लाए?’’

इस पर मैं ने जैसे ही कहा कि मेरे पास पैसे नहीं है तो वह एक बार फिर बरस पड़ी. गालियां देती हुई बोली, ”नहीं है तो भूखे रहो… मरो यहीं, मैं चली.’’

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इत्मीनान से रखी सूटकेस में लाश

मनोज ने आगे बताया, ”तब तक रात के साढ़े 9 बज चुके थे. प्रतिमा ने अपना बैग उठाया और पैर पटकती हुई घर से जाने लगी. मैं ने तुरंत उस का हाथ खींच लिया, जिस से उस का संतुलन बिगड़ गया और गिरने को हो आई. उस के बाद प्रतिमा और भी गुस्से में आ गई. आंखें लाल करती हुई गालियां देने लगी. मेरे खानदान तक को कोसने लगी.’’

मनोज ने आगे बताया, ”असल में उस का हाथ खींचने से चुन्नी उस के गले में फंस गई थी. इस कारण उस ने समझा कि मैं ने उस का गला जानबूझ कर कसने की कोशिश की है. गालियां देती हुई  मुझ पर आरोप लगा दिया कि मैं उसे गला कस कर मारना चाहता हूं.

”यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई और उस की हत्या की बात कीड़े की तरह पलक झपकते ही दिमाग में कुलबुलाने लगी. फिर क्या था, ऐसा हुआ कि मानो मैं ने अपना होश खो दिया हो…

”मेरा गुस्सा चरम पर पहुंच चुका था. मैं ने 2-3 जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. थप्पड़ खा कर वह जमीन पर गिर गई. तिलमलाती हुई वह उठने लगी, लेकिन जब तक वह उठ पाती, मैं ने दोनों हाथों से उस का गला दबा दिया. अपनी भाषा में गाली दी और हाथों की पकड़ मजबूत कर दी.

”कुछ सेकेंड बाद ही दुबलीपतली प्रतिमा बेजान हो चुकी थी. उस की चीख भी बंद हो चुकी थी. गुस्से में आ कर उस की हत्या तो हो गई, लेकिन उस के बाद मैं घबरा गया.’’

”और इस तरह तुम ने अपनी प्रेमिका की हत्या कर डाली. उस के बाद तूने क्या किया?’’ जांच अधिकारी ने पूछा.

”रात के 10 बजने को हो आए थे. मैं अपने हाथों से प्रतिमा की हत्या से घबरा गया था. थोड़ी देर तक उस के पास बैठा सोचता रहा, उस की मौत का मातम मनाता रहा, लेकिन पकड़े जाने, कड़ी सजा होने…जैसे खयाल मन में आने लगे. इसी बीच मेरी नजर घर में रखे उसी के एक बड़े सूटकेस पर गई. मैं ने झट उसे खाली किया और कपड़ों की तह के बीच जैसेतैसे कर के उस की लाश को ठूंस दिया.

”उस सूटकेस को ले कर कमरे पर से निकल गया. उस वक्त रात के करीब पौने 12 हो चुके थे. सायन से आटोरिक्शा लिया और कुर्ला लोकमान्य तिलक टर्मिनस जा पहुंचा. मैं सूटकेस को रेलवे स्टेशन के किसी इलाके में छोडऩा चाहता था, लेकिन लोगों की भीड़ देख कर ऐसा नहीं कर पाया. वापस लौट आया…’’ मनोज बोलतेबोलते रुक गया.

”आगे बताओ,’’ जांच अधिकारी ने कहा.

”उस के बाद मैं और भी घबरा गया क्योंकि आटोरिक्शा वाला बारबार मुझ से कह रहा था कि साहब जल्दी उतरो स्टेशन आ गया है. मैं पशोपेश में था कि क्या करना है और क्या नहीं! आखिरकार मैं ने आटो वहीं छोड़ दिया.

”वापस कमरे पर जाने के बारे में सोचते हुए दूसरा आटोरिक्शा लिया और सीएसटी पुल के नीचे सार्वजनिक शौचालय के सामने चेंबूर सांताक्रुज चैनल कुर्ला पश्चिम में एक जगह पर आया. वहां मेट्रो का काम चल रहा था. रात का समय था. एकदम सुनसान. वह जगह मुझे उचित लगी.’’

मनोज ने आगे बताया, ”मैं ने आटो वहीं छोड़ दिया. उस के जाने के बाद इधरउधर देखा. कहीं कोई नजर नहीं आ रहा था. वहां मेट्रो का काम चल रहा था. आम लोगों को जाने से रोकने के लिए कई बैरिकेड्स लगे थे. मैं ने तुरंत एक बैरिकेड को थोड़ा खिसका कर सूटकेस को अंदर सरका दिया. कुछ देर वहां रुकने के बाद मैं आगे बढ़ गया और आटो ले कर सायन धारावी लौट आया.’’

आगे की जानकारी देता हुआ मनोज बारला बोला, ”मैं कमरे पर जा कर फिर गहरी नींद में सो गया. अगले रोज 19 नवंबर को देर से नींद खुली. फटाफट तैयार हुआ और सुबह 11 बजे के करीब ओडिशा जाने के लिए रेलवे स्टेशन चला आया, किंतु ट्रेन पकडऩे से पहले ही क्राइम ब्रांच द्वारा पकड़ लिया गया.’’

पुलिस ने मनोज बारला के इस बयान को दर्ज कर लिया गया. आगे की काररवाई के बाद उसे गिरफ्तार कर मजिस्ट्रैट के सामने हाजिर कर दिया गया. वहां से जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

लिव इन पार्टनर की हत्या कर सूटकेस में डाली लाश – भाग 2

सूटकेस खुलते ही क्यों चौंकी पुलिस

बात बीते साल 2023 में नवंबर माह के 19 तारीख की है. मुंबई के कुर्ला इलाके में मेट्रो कंस्ट्रक्शन साइट पर गश्त करती पुलिस को एक लावारिस सूटकेस मिला. संदिग्ध सूटकेस में विस्फोटक होने की आशंका के साथ इस की सूचना निकट के थाने को दे दी गई.

सूचना पाते ही बम स्क्वायड पहुंच गया. सूटकेस के नंबर वाला लौक बड़ी मुश्किल से खुल पाया. उस की चेन भी भीतर पड़े कपड़े और महीन धागे से फंस गई थी. सूटकेस खुला तो उस के अंदर एक युवती की लाश निकली. क्राइम ब्रांच के सामने सब से पहला सवाल था कि लाश किस की है?

इस की तहकीकात के लिए क्राइम ब्रांच के डीसीपी राज तिलक रौशन ने अलगअलग टीमें बनाईं. लावारिस लाश भरा सूटकेस उस वक्त मिला था, जब पूरे देश की निगाहें क्रिकेट वल्र्ड कप के फाइनल मुकाबले पर टिकी थीं.

आरोपी तक कैसे पहुंची पुलिस

पुलिस की एक जांच टीम मौके पर लगे सीसीटीवी कैमरे और इंटेलीजेंस की मदद से तहकीकात में जुट गई, जबकि दूसरी टीम लाश की पहचान के लिए उस की शिनाख्त करने लगी.

मामला कुर्ला पुलिस स्टेशन में दर्ज कर लिया गया था. शव को राजावाड़ी अस्पताल ले जाया गया. वहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. उस के बाद महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया गया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में महिला की गला दबा कर हत्या की बात सामने आई. उस आधार पर कुर्ला पुलिस धारा 302, 201 आईपीसी के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई. इस दौरान मृत महिला के गले में क्रास और शरीर पर कपड़ों से पुलिस ने उस के ईसाई समाज के मध्यमवर्गीय परिवार से होने का अंदाजा लगाया.

पुलिस की टीम ने मौके पर लगे हुए सीसीटीवी कैमरों और इंटेलीजेंस की मदद से आरोपी के बारे में पता लगाना शुरू किया. सूचना के आधार पर पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू की.

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अपराध शाखा के संयुक्त आयुक्त लखमी गौतम, अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) शशि कुमार मीना के आदेशानुसार एवं पुलिस उपायुक्त राज तिलक रौशन के मार्गदर्शन में गठित कुल 8 टीमें लावारिस लाश की गुत्थी सुलझाने में जुट गई थीं. सभी सीसीटीवी फुटेज की जांच करने लगीं. गुप्त खबरची के माध्यम से मृतका के पहचान की भी कोशिश होने लगी. उस की तसवीरें सोशल मीडिया पर अपलोड कर दी गईं. जल्द ही इस के नतीजे भी सामने आ गए. मृतका की बहन ने लाश की पहचान कर ली. मृतका की पहचान प्रतिमा पवल किस्पट्टा के रूप में हुई. उस की उम्र 25 साल के करीब थी.

उन से मिली जानकारी के अनुसार मृतका धारावी में किराए की एक खोली (कमरा) में रह रही थी. उस के साथ पति भी रहता था. पति मूलत: ओडिशा के एक गांव का रहने वाला था. उस के बारे में आसपास के लोगों से पूछताछ के बाद सिर्फ यही मालूम हो पाया कि वह गांव गया हुआ है. उस ने पड़ोसियों को बताया था कि उस की बहन बीमार है. लोगों ने पति का नाम मनोज बताया.

पड़ोसियों से मालूम हुआ कि पहले प्रतिमा अकेली ही थी, लेकिन वह बीते एक माह से मनोज उस के साथ रह रहा था. उस के बारे में पुलिस को यह भी मालूम हुआ कि वह 18 नवंबर, 2023 के बाद नहीं देखा गया था.

इस तहकीकात के साथसाथ सीसीटीवी खंगालने वाली दूसरी टीम को मनोज के कुछ सुराग हाथ लग गए थे. 18 नवंबर की रात को वह एक आटो धारावी से ले कर आसपास के कुछ इलाके में घूमता नजर आया था. आटो किसी रेलवे स्टेशन के रास्ते पर जाने के बजाए कुर्ला में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर रुक गया था. उस के बाद उस का पता नहीं चल पाया था.

जांच की एक अन्य टीम मुंबई के रेलवे स्टेशनों पर भी जा पहुंची थी, उन में मुंबई का लोकमान्य तिलक टर्मिनस खास था. वहां पुलिस टीम को एक घबराया हुआ युवक दिख गया, जिस का हुलिया दूसरी जांच टीम से मिली जानकारी से मेल खाने वाला था. उस के पास पुलिस तुरंत जा पहुंची. पास आई पुलिस को देख कर युवक भागने लगा, जिसे पुलिस ने दौड़ कर पकड़ लिया.

पकड़ा गया युवक मनोज बारला था. उसे ठाणे पुलिस ला कर पूछताछ की गई. जब सूटकेस वाली लावारिस महिला की लाश के बारे में उस से पूछा गया, तब वह खुद को रोक नहीं पाया. रोने लगा. एक पुलिसकर्मी ने उसे पीने के लिए पानी दिया. कुछ सेकेंड बाद पानी पी कर जब वह सामान्य हुआ, तब उस से दोबारा पूछताछ की जाने लगी. फिर उस ने लाश के साथ अपने संबंध के बारे में जो कुछ बताया, वह काफी दिल दहला देने वाला था.

दरअसल, यह अभावग्रस्त जिंदगी से तंग आ चुके प्रेमियों की कहानी थी, जो बीते एक माह से बिना शादी किए रह रहे थे. इसे पुलिस रिकौर्ड में लिवइन रिलेशन दर्ज कर लिया गया. उन का प्रेम खत्म हो चुका था और प्रेमी सलाखों के पीछे जाने के काफी करीब था. उस ने जो आगे की कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली—

मनोज ने पुलिस को बताया कि मुझे दुख है कि मैं ने अपने हाथों से अपनी प्रेमिका प्रतिमा पवल किस्पट्टा का गला घोंट दिया. उसी प्रेमिका को मार डाला, जिस ने मुझ से प्रेम किया और मुझे नौकरी दिलाने के लिए ओडिशा से यहां बुलाया था.

उस ने बताया कि प्रतिमा के कहने पर ही वह मुंबई में आया था. मुंबई में स्थित वड़ापाव की एक मशहूर दुकान पर काम करना शुरू कर दिया था. वह एमजी नगर रोड, धारावी में प्रेमिका प्रतिमा के साथ ही रहने लगा था. उन्होंने शादी नहीं की थी, लेकिन प्रतिमा उसे अपना पति बना चुकी थी. इस तरह से उन के लिवइन रिलेशनशिप की शुरुआत हो गई थी.

उन्होंने साथ रहते हुए भविष्य के सुनहरे सपने देखे थे. किंतु वे आर्थिक तंगी से भी गुजर रहे थे. पैसे की कमी को ले कर उन के बीच कभीकभार बहस भी हो जाती थी.

मनोज शिकायती लहजे में बताने लगा, ”सर, प्रतिमा मेरी प्रेमिका जरूर थी, पैसा भी कमाती थी. मैं जब भी अपने खर्चे के लिए मांगता था, तब किचकिच करने लगती थी. इसी बात पर मेरी उस से लड़ाई हो जाती थी. वह बारबार कहती थी कि अपना खर्च कम करो, अपनी कमाई के पैसे लाओ, फिर मुझ से मांगना.’’

इसी के साथ मनोज ने प्रतिमा के चरित्र पर भी शंका के लहजे में बोला, ”सर, प्रतिमा का कोई यार भी था. उस से बहुत देर तक वह फोन पर बातें करती थी. मैं सब समझता हूं सर! एक समय में कभी वह मुझ से भी फोन पर देरदेर तक बातें करती थी…’’