ऐसी भी एक सीता – भाग 2

पलभर में रामानंद की मौत की खबर घर पहुंच गई थी. जैसे ही ये खबर घर पहुंची, वैसे ही घर में रोना शुरू हो गया और मातम छा गया. फौरन घर के और लोग भी भागते हुए मौके पर पहुंचे, जहां जमीन पर रामप्रीत बिलखबिलख कर रो रहे थे. इस बीच भीड़ में से ही किसी ने इस की सूचना गीडा थाने को दे दी थी. घटना की सूचना मिलते ही इंसपेक्टर मदनमोहन मिश्र एसआई शिव प्रकाश सिंह, चौकी इंचार्ज पिपरौली आलोक राय आदि को ले कर मौके पर पहुंचे, जोकि थाने से करीब 5 किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित था.

पुलिस ने लाश तालाब से बाहर निकलवा कर उस का निरीक्षण किया और जरूरी काररवाई पूरी कर वह पोस्टमार्टम के लिए बाबा राघवदास मैडिकल कालेज भिजवा दी.

पुलिस ने मौके पर मौजूद मृतक रामानंद विश्वकर्मा के घर वालों से उस की मौत के बारे में पूछा तो घर वाले कोई उत्तर नहीं दे सके कि उस की मौत कैसे हुई. बस इतना ही बता सके थे कि 6 अप्रैल को बेटा विदेश से घर लौटा था और रात में खाना खा कर सोया, उस के बाद उस की लाश तालाब में तैरती मिली.

घर वालों का जवाब सुन कर इंसपेक्टर मदन मोहन मिश्र के पैरों तले जमीन खिसक गई थी. वह सोचने लगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि घर में सोए व्यक्ति की करीब एक किलोमीटर दूर लाश मिले. उन्हें मामला गंभीर दिखा और उस में हत्या की बू आने लगी है. जबकि मौके पर मौजूद गांव वाले उस की मौत पानी में डूबने से हुई बता रहे थे.

रामानंद की मौत पूरी तरह रहस्य की काली चादर में लिपटी हुई थी. हत्या के शक के आधार पर इंसपेक्टर मदन मोहन ने मौके की जांचपड़ताल की, लेकिन वहां ऐसा कोई संघर्ष का निशान नहीं मिला, जिस से यह साबित हो सके कि मृतक ने हत्यारों का कोई विरोध किया हो. खैर, लाश देख कर पुलिस किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारण के बारे में पता लग सकता था.

कागजी काररवाई करतेकरते दोपहर के 12 बज गए थे. कागजी काररवाई पूरी करने के बाद इंसपेक्टर मदन मोहन पुलिस टीम के साथ थाने वापस लौट गए थे. मृतक रामानंद के पिता रामप्रीत विश्वकर्मा को भी थाने बुला लिया था. वहां उन्होंने उस से लिखित तहरीर ले ली थी, ताकि जांच की काररवाई आगे बढ़ाई जा सके.

पुलिस को क्यों हुआ मृतक की पत्नी पर शक

अगले दिन यानी 8 अप्रैल, 2023 को रामानंद विश्वकर्मा की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट थाने पहुंच गई. इंसपेक्टर मदन मोहन के टेबल पर पड़ी थी. रिपोर्ट पढ़ कर इंसपेक्टर मिश्र चौंके बिना नहीं रह सके थे, क्योंकि रिपोर्ट में मृतक की मौत गला दबाने से हुई बताई गई. मतलब बात शीशे की तरह साफ हो चुकी थी कि पानी में डूबने से रामानंद की मौत नहीं हुई थी, बल्कि रिपोर्ट में उस की गला दबा कर हत्या की गई थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ जाने के बाद इंसपेक्टर मदन मोहन मिश्र पूरी तरह एक्टिव हो गए और उसी दिन दोपहर में अपनी टीम को ले कर वह उसी जगह पहुंच गए, जहां लाश पाई गई थी. वहां भी जांच में मौके से संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले.

मतलब आईने की तरह साफ था कि हत्या कहीं और कर के लाश को तालाब में फेंक दिया गया था. पुलिस मौके की जांच कर के मृतक रामानंद के घर पहुंची और उस कमरे की तलाशी में जुट गई थी, जहां घटना वाली रात वह सोया था.

पुलिस ने कमरे की गहनतापूर्वक जांच की. जांच के दौरान बेड के नीचे से टूटी हुई प्रेग्नेंसी किट, एक डायरी, एक फोटो और एक टूटा हुआ मोबाइल फोन बरामद हुआ. पुलिस ने इन सामानों को बतौर साक्ष्य अपने कब्जे में ले लिया था, पता चला कि वह मोबाइल मृतक का था.

घर वालों से पूछताछ करने पर पता चला कि टूटा हुआ मोबाइल मृतक रामानंद का है. इस से एक बात तो स्पष्ट हो गई थी कि जो कुछ भी हुआ था, इसी कमरे में घटा था.

पुलिस के शक के घेरे में मृतक की पत्नी सीतांजलि आ गई थी, क्योंकि उस का बयान बारबार बदलता जा रहा था, लेकिन पुलिस ने फिलहाल जानबूझ कर उस की ओर से अपना ध्यान हटा लिया था, ताकि वह कोई ऐसी वैसी हरकत करे और पुलिस की शिकंजे में फंस जाए.

कमरे की तलाशी लेने के बाद पुलिस रामप्रीत से उन की बहू सीतांजलि और खुद रामप्रीत का सेलफोन नंबर ले कर वापस थाने लौट गई. फिर सीतांजलि के मोबाइल फोन नंबर की एक महीने की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स देख कर इंसपेक्टर मदन मोहन उछल पड़े.

मृतक रामानंद की पत्नी सीतांजलि के फोन पर अकसर एक ही नंबर से काल आता था और उसी नंबर पर इस की ओर से भी काल की जाती थी. दोनों के बीच में घंटोंघंटों तक बातें होती थीं. यही नहीं, जिस रोज रामानंद घर में सोया था और रहस्यमय तरीके से उस की लाश तालाब के किनारे मिली थी, उस रात भी उसी नंबर पर सीतांजलि ने करीब 8 बार बात की थी. इस बात ने पुलिस के शक को और पुख्ता कर दिया था कि पति की मौत में पत्नी का हाथ अवश्य है.

यही नहीं, जिस नंबर से अकसर सीतांजलि के फोन पर काल आती थी और काल जाती थी, पुलिस ने उस नंबर को भी खंगाल डाला. वह नंबर किसी बृजमोहन विश्वकर्मा के नाम पर आवंटित था, जो गोरखपुर जिले के ही खजनी थाना क्षेत्र के रामपुर पांडेय का रहने वाला था.

गुप्तरूप से पुलिस ने उस के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला वह शख्स मृतक के सगे बहनोई का छोटा भाई निकला. वह मुंबई में रह कर कमाता था. रिश्ते में सीतांजलि, बृजमोहन की सलहज लगती थी.

पुलिस छानबीन के दौरान मृतक के कमरे से डायरी और फोटोग्राफ बरामद हुआ था. उस डायरी में लिखी मजमून और फोटो ने रामानंद की हत्या होना और हत्या में पत्नी का शामिल होना दोनों साबित कर दिया था.

पुलिस के पास सीतांजलि और बृजमोहन विश्वकर्मा को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य इकट्ठा हो गए थे. फिर देर किस बात की थी.

9 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने सीतांजलि को हिरासत में ले उस से कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने पलभर में ही अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि पति की हत्या उस ने अपने प्रेमी बृजमोहन विश्वकर्मा और उस के दोस्त अभिषेक चौहान के साथ मिल कर की है. हत्या करने के बाद बृजमोहन लखनऊ तो अभिषेक मध्य प्रदेश फरार हो गया.

फरेबी के प्यार में फंसी बदनसीब कांता

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 3

नाजायज रिश्तों का भांडा फूटा

नाजायज रिश्तों को कोई लाख छिपाने की कोशिश क्यों न करे, लेकिन वह छिप नहीं पाते. किसी तरह पड़ोसियों को रागिनी और रिंकू के अवैध संबंधों की भनक लग गई. शोभाराम के दोस्तों ने कई बार उसे उस की पत्नी और रिंकू के संबंधों की बात बताई, लेकिन उस ने उन की बातों पर ध्यान ही नहीं दिया. क्योंकि उसे पत्नी पर पूरा भरोसा था.

जबकि सच्चाई यह थी कि वह उस के साथ लगातार विश्वासघात कर रही थी. रागिनी कुंवारे रिंकू यादव की इतनी दीवानी हो गई थी कि वह पति को कुछ समझती ही नहीं थी.

नाजायज रिश्तों का भांडा तब फूटा जब एक रोज शोभाराम ने अपनी पत्नी रागिनी और रिंकू को अपने ही घर में आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. रिंकू ने जब शोभाराम को देखा तो वह फुरती से भाग गया. उस ने भी उस से कुछ नहीं कहा. लेकिन उस ने रागिनी को खूब खरीखोटी सुनाई और दोबारा ऐसी हरकत न करने की हिदायत दे कर छोड़ दिया.

उस दिन के बाद से कुछ दिनों तक रिंकू का रागिनी के यहां आनाजाना लगभग बंद रहा. पर यह पाबंदी ज्यादा दिनों तक कायम न रह सकी. मौका मिलने पर दोनों फिर से शोभाराम की आंखों में धूल झोंकने लगे. पर अब वह काफी सावधानी बरत रहे थे.

पत्नी को समझाने का प्रयास किया

रागिनी की बेटी अब तक 8 साल की हो चुकी थी. वह अपनी उम्र से कुछ ज्यादा समझदार थी. रिंकू के घर आने पर वह ताकझांक में लगी रहती थी. बेटी उस के नापाक रिश्तों में बाधा न बने, इसलिए रागिनी ने उसे ननिहाल रहने को भेज दिया.

बेटी के ननिहाल में रहने पर रागिनी पूरी तरह आजाद हो गई. शोभाराम राजमिस्त्री था. वह सुबह घर से निकलता तो फिर शाम को ही घर आता था. दोपहर में रागिनी चालाकी के साथ रिंकू को बुला लेती फिर दोनों रंगरलियां मनाते. पति के आने से पहले रागिनी सतीसावित्री बन जाती थी.

cShobharam (Aropi)

लेकिन चालाकी के बावजूद शोभाराम ने एक रोज फिर से पत्नी को रिंकू के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया. उस रोज शोभाराम सुबह काम पर तो गया था, लेकिन तबीयत खराब होने की वजह से वह दोपहर में ही वापस घर आ गया था. इस बार उस ने रिंकू को खूब खरीखोटी सुनाई और पत्नी की जम कर पिटाई की. इस के बाद रिंकू का घर आनाजाना बंद हो गया.

जनवरी 2023 के पहले सप्ताह में रागिनी ने एक और बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म से शोभाराम को खुशी नहीं हुई, क्योंकि उसे शक था कि यह बेटी जरूर रागिनी और रिंकू के नाजायज रिश्तों की निशानी है. लेकिन समाज के डर से उस ने जुबान बंद रखी.

बेटी के जन्म के बाद शोभाराम को लगा कि रागिनी ने रिंकू के साथ संबंध खत्म कर लिए हैं. यह उस की भूल थी. रागिनी अब भी मौका मिलने पर रिंकू से मिलने का प्रयास करती रहती थी. उसे झटका तब लगा, जब उस ने एक रोज रिंकू को शाम के धुंधलके में अपने घर से निकलते देख लिया.

शोभाराम की अब गांव में खूब बदनामी होने लगी थी. गांव के युवक उसे देख कर पत्नी के चरित्र को ले कर फब्तियां कसने लगे थे. उस ने पत्नी को बड़ी बेटी की दुहाई देते हुए समझाया, लेकिन रागिनी पर कोई असर नहीं पड़ा.

आखिर अपनी इज्जत का जनाजा उठते देख कर उस का धैर्य जवाब देने लगा. अब उस से पत्नी की बेवफाई बरदाश्त नहीं हो रही थी. इसी सब का नतीजा था कि उस ने मन ही मन एक खतरनाक मंसूबा पाल लिया. वह मंसूबा था रिंकू और बेवफा पत्नी की हत्या का.

अपने मंसूबे को अमली जामा पहनाने के लिए वह दोनों पर नजर रखने लगा था. शोभाराम कभी काम पर जाता तो कभी नहीं भी जाता. कभी जाता तो घंटे-2 घंटे बाद ही लौट आता. रागिनी अच्छी तरह जान गई थी कि उस का पति उस पर नजर गड़ाए है. इसलिए वह स्वयं सतर्क थी और उस ने प्रेमी रिंकू को भी सतर्क कर दिया था कि वह उस के घर तभी आए, जब वह उसे फोन कर बुलाए.

कैसे हुआ प्रेमीप्रेमिका का मर्डर

14 जून, 2023 की सुबह 8 बजे शोभाराम काम पर चला गया. दिन भर काम करने के बाद वह शाम 6 बजे घर आया. उस समय रागिनी छत पर थी. वह कमरे में पड़े तख्त पर लेट गया और थकान दूर करने लगा. रात 8 बजे के लगभग शोभाराम ने खाना खाया फिर तख्त पर लेट गया. कुछ देर बाद ही वह गहरी नींद में सो गया.

इधर रागिनी ने घर का काम निपटाया, फिर बेटे को पति के साथ लिटा दिया और खुद छोटी बेटी के साथ कमरे में पड़ी चारपाई पर लेट गई. लेकिन नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी. उसे रहरह कर प्रेमी की याद आ रही थी. महीना भर से अधिक का समय बीत गया था, वह रिंकू से मिलन नहीं कर पाई थी. जब उस से नहीं रहा गया तो उस ने फोन कर रिंकू यादव को घर बुला लिया. दोनों मकान की छत पर पहुंचे और मौजमस्ती में जुट गए.

इधर रात 12 बजे के बाद शोभाराम लघुशंका के लिए उठा तो उस की नजर कमरे में पड़ी चारपाई पर गई. चारपाई पर छोटी बेटी तो सो रही थी, लेकिन पत्नी गायब थी. उस ने चंद मिनट उस के वापस आने का इंतजार किया, फिर वह घर में उस की खोज करने लगा. उस ने घर का कोनाकोना छान मारा, लेकिन रागिनी उसे कहीं नहीं दिखी. तभी उस के मन में विचार आया कि रागिनी कहीं छत पर तो नहीं.

यह विचार आते ही शोभाराम दबे पांव सीढ़ियां चढ़ता हुआ छत पर पहुंचा. छत का दृश्य देख कर शोभाराम का खून खौल उठा. उस की भुजाएं फड़कने लगीं और कुछ कर गुजरने को तत्पर हो उठीं. दरअसल, छत पर रागिनी और रिंकू यादव अर्धनग्न अवस्था में एकदूसरे से गुथे पड़े थे. पत्नी की सीत्कार उस के कानों में गरम सीसा घोल रही थी.

शोभाराम ने पास पड़ी ईंट उठाई और रागिनी पर छाए रिंकू के सिर पर भरपूर प्रहार किया. प्रहार से रिंकू का सिर फट गया और खून की धार बहने लगी. पति के रूप में रागिनी ने साक्षात मौत को देखा तो वह प्रेमी के ऊपर लेट गई और गिड़गिड़ाने लगी, ”मेरे राजा को मत मारो, उस के बिना मैं कैसे जीवित रहूंगी?’‘

यह सुनते ही शोभाराम का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने दूसरा वार पत्नी रागिनी के सिर पर किया तो उस का भी सिर फट गया और खून का फव्वारा छूट पड़ा. इस के बाद शोभाराम ने अनगिनत प्रहार रागिनी और रिंकू के सिर और चेहरे पर किए तथा दोनों को मौत के घाट उतार दिया.

इस के बाद वह छत पर ही बैठा बीड़ी पीता रहा. कुछ देर बाद उस ने मोबाइल फोन से डायल 112 पर पुलिस कंट्रोल रूम को डबल मर्डर की सूचना दी. सूचना पाते ही थाना पुलिस व अन्य अधिकारी घटनास्थल आ गए. पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो इन हत्याओं के पीछे अवैध संबंधों की बात सामने आई.

16 जून, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी शोभाराम दोहरे को औरैया की जिला अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मृतका रागिनी के तीनों बच्चे अपने नानानानी के घर पल रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

एक अधूरी प्रेम कहानी – भाग 3

दोस्त क्यों बना दरिंदा

नीलम और गणेश की उम्र में भले ही 10 साल का अंतर था, नीलम को गणेश और उस की बातें सुहाती थीं. वह उसके प्रति आकर्षित हो गई थी. कहने को गणेश प्यार मोहब्बत की बातें करता था, लेकिन नीलम गणेश को अपना दोस्त मानती थी.

सिकंदरा क्षेत्र के जंगल में दरिंदगी की शिकार नीलम की हालत में सुधार होने के बाद 13 मार्च, 2023 को नीलम के कोर्ट में बयान दर्ज हुए.

नीलम के गांव वालों का कहना था कि अब तक के इतिहास में गांव में यह पहली घटना है. अब तक गांव की किसी बेटी के साथ इस तरह की दरिंदगी नहीं हुई. इस घटना से गांव वाले आक्रोशित थे. उन का कहना था कि नीलम की हालत के जिम्मेदार को वह खुद अपने हाथों से सजा देंगे.

नीलम से शांति सेना ने भेंट की

14 मार्च, 2023 को महिला शांति सेना की कुंदनिका शर्मा, शीला बहल, वत्सला प्रभाकर, व रीता कपूर पीड़िता नीलम से मिलीं और अपने स्तर से उस की हरसंभव सहायता करने का भरोसा दिया.

पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि घटनास्थल से किशोरी की चप्पलें, दुपट्टा, सिर पर जिस ईंट से प्रहार किया वो ईंट, अंदरूनी कपड़े, बाल, शराब की एक खाली बोतल, 2 खाली गिलास, नमकीन के खाली पाउच, पौलीथिन, प्लास्टिक बौक्स में एक पर्स, आधार कार्ड आदि सबूत जमा कर लिए.

फील्ड यूनिट ने भी अलग से नमूनेे लिए. वहीं आरोपियों का डीएनए नमूना भी लिया गया. मुकदमा में सामूहिक दुष्कर्म सहित कई धाराएं बढ़ाई गईं. दोनों आरोपियों गणेश व संतोष के खिलाफ नाबालिग को बहलाफुसला कर अगवा करने की धारा 363, 366 व 376 डी ए, हत्या का प्रयास धारा 307, गला घोंट कर जंगल में फेंक कर साक्ष्य नष्ट करना धारा 201, आरोपियों का एक राय होना धारा 34 व बच्चों के प्रति लैंगिक अपराध की धारा 5/6 पोक्सो एक्ट के तहत अभियोग दर्ज किया गया है. सनसनीखेज वारदात में दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

अनजाने प्यार के खौफनाक अंजाम सामने आते रहते हैं. इस के बावजूद युवा पीढ़ी सबक लेने को तैयार नहीं है. बढ़ते महिला अपराधों के बीच जहां लड़कियों को लगातार सतर्क किया जा रहा है, वहीं कुछ किशोरियां ऐसी हैं, जो घर वालों से ऊपर हो कर अपनी मनमरजी से प्रेम करना और कहीं घूमना अपना अधिकार समझती हैं. समस्या तब होती है, जब ऐसी किशोरियोंं के साथ कोई अनहोनी हो जाती है.

3 जुलाई, 2023 को इस मामले में अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपनेअपने तर्क, गवाह न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए थे. अभियोजन पक्ष की ओर से कुल 9 गवाह पेश किए गए. इन में पीड़िता नीलम भी शामिल थी.

कौनकौन से सबूत बने सजा के आधार

घटना के 3-4 दिन बाद जब नीलम को पूरी तरह होश आया तब उस ने बताया कि उसे होली खेलने के बहाने से गांव के बाहर बुलाया गया. आरोपी उसे रुनकता ले गए. उसे मिठाई खिलाई. फिर गाड़ी को जंगल की ओर मोड़ दिया. दोनों ने उस के साथ रेप किया.

जब उस ने घर जा कर सारी बात बताने की बात कही तो दोनों ने मारने की कोशिश की. घटनास्थल व आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने बाइक, औनलाइन भुगतान इलैक्ट्रोनिक साक्ष्य, वहीं मोबाइल की काल डिटेल, फोन की लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज भी साक्ष्य के रूप में कोर्ट में पेश किए गए.

अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए 9 गवाहों में चिकित्सक डा. वंदना तुलसी, डा. के.सी. भगत, डा. मोहित गोपाल वार्ष्णेय  के अलावा पुलिसजनों हैडकांस्टेबल सत्यवीर सिंह, विवेचक एसआई कुंवरपाल सिंह, वादी मुकदमा, प्रधानाचार्य तेज प्रकाश सिंह के साथ  मुख्य गवाह सुरक्षागार्ड जयप्रकाश, जिस ने सब से पहले नीलम को जंगल में देखा था, की गवाही कराई गई. पीड़िता नीलम ने न्यायालय में कहा कि वह चाहती है कि दोनों दरिंदों को फंासी होनी चाहिए.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो एक्ट) विजय किशन लवानिया और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि के साथ ही वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष दीक्षित ने न्यायालय में प्रभावी पैरवी की.

रिपोर्ट में देरी व अज्ञात में दर्ज कराने पर आरोपियों के अधिवक्ताओं दिनेश नांबर व अरविंद शर्मा के तर्कों को काटते हुए उन्होंने कहा कि मी लार्ड, कोई स्त्री या लड़की जब गायब हो जाती है तो सर्वप्रथम उसे खोजने का ही प्रयास किया जाता है. प्रयास विफल होने पर ही पुलिस को सूचना दी जाती है.

लड़की के मामले में संबंधित परिवार के साथ सामाजिक निंदा व अपमान का प्रश्न भी खड़ा हो जाता है. ऐसी स्थिति में रिपोर्ट में देरी होना स्वाभाविक है. इस मामले में भी इस बात की कल्पना नहीं की जा सकती कि पीड़िता व उस का परिवार प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखाने को अविलंब तत्पर हो जाएं.

संबंधित मामले में वादी ने अपनी तहरीर में ही कथन किया है कि पीड़िता की तलाश करते रहे और 10 मार्च, 2023 को सुबह 8 बजे उसे सूचना मिली कि उस की बेटी के साथ दुष्कर्म कर घायल अवस्था में जंगल में फेंक दिया है. 8 बजे सूचना मिलने के बाद उसी दिन 10:34 बजे थाने पर तहरीर दे कर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करा दी थी.

न्यायालय ने माना कि प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने में कोई भी असामान्य विलंब नहीं है. दोनों अभियुक्तों गणेश व संतोष ने दोस्ती के नाम पर नीलम को धोखा दे कर उस के साथ बलात्कार किया और शिकायत करने की बात पर उसे मरणासन्न कर जंगल में फेंक कर भाग गए. स्कूल के प्रधानाचार्य ने अभिलेखों के अनुसार बताया कि घटना के समय नीलम की उम्र 14 साल थी.

अभियोजन पक्ष ने दोनों को अधिक से अधिक दंड देने की न्यायालय से अपील की. वहीं अभियुक्तों के अधिवक्ताओं ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि यह अभियुक्तगणों का प्रथम अपराध है तथा अभियुक्तगण इस अपराध में लगातार जेल में निरुद्ध चले आ रहे हैं. उन का आपराधिक इतिहास नहीं है, दोनों नवयुवक हैं, इसलिए अभियुक्तों को न्यूनतम दंड दिया जाए.

दोष सिद्ध होने के बाद इस मामले की पत्रावली दंडादेश हेतु 4 जुलाई, 2023 को न्यायाधीश के समक्ष पेश की गई. अभियुक्तों गणेश व संतोष को कारागार से न्यायिक अभिरक्षा में न्यायालय में लाया गया. दोनों कोर्टरूम के कटघरे में सिर झुकाए खड़े रहे.

पोक्सो कोर्ट के जज प्रमेंद्र कुमार ने दोषसिद्ध दोनों अभियुक्तों संतोष व गणेश को नीलम व गवाहों के बयान के आधार पर सभी धाराओं में दोषी करार देते हुए यौन अपराध शिशु संरक्षण अधिनियम (पोक्सो एक्ट) 2012 की धारा 5जी/6 के अंतर्गत  कठोर आजीवन कारावास व एक लाख रुपए जुरमाना की सजा सुनाई गई. वहीं धारा 363 भादंसं में 3 वर्ष के कारावास व 5 हजार रुपए जुरमाना, धारा 366 भादंसं में 7 वर्ष के कारावास व 15 हजार के जुरमाना, धारा 307 सपठित 34 भादंसं में आजीवन कारावास व 70 हजाररुपए का जुरमाना, धारा 201 भादंसं में 5 वर्ष के कारावास व 10 हजार रुपए का जुरमाना लगाया.

लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के नियम-7(2) एवं धारा 357-क की उपधारा (2) के अंतर्गत पीड़िता यथोचित प्रतिकर प्राप्त करेगी, जिसे दिए जाने हेतु इस निर्णय की एक प्रति जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आगरा को प्रेषित करने व अभियुक्तगण गणेश व संतोष का सजायावी वारंट बना कर उन्हें सजा भुगतने के लिए जिला कारागार, आगरा भेजने का आदेश दिया गया.

इस केस में न्यायालय ने भी सुनवाई में तत्परता दिखाई और मात्र 116 दिनों में ही फैसला सुना दिया. सिकंदरा पुलिस ने घटना में 7 दिन में कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी. रुनकता पुलिस चौकी प्रभारी कुंवरपाल सिंह ने मुकदमे की विवेचना की. पीड़िता को इंसाफ दिलाने में पुलिस और अभियोजन ने अहम भूमिका निभाई.द्य

—कथा पुलिस सूत्रों व कोर्ट के निर्णय पर आधारित. पीड़िता का नीलम काल्पनिक नाम है.

ऐसी भी एक सीता – भाग 1

रामानंद विश्वकर्मा 6 अप्रैल, 2023 को जब दुबई से गोरखपुर के गांव मल्हीपुर में स्थित अपने घर आया तो घर वालों की खुशियों का ठिकाना ही नहीं था. वह पूरे 2 साल 2 महीने के बाद लौटा था, इसलिए सब के चेहरे खुशी के मारे खिले हुए थे. कोई दौड़ कर उसे बिसकुट पानी ला रहा था तो कोई उस के हाथ से अटैची ले कर उस के कमरे में रख रहा था. घर वाले जानते थे कि वह सब के लिए कुछ न कुछ कीमती गिफ्ट जरूर लाया होगा.

लेकिन झील सी गहरी एक जोड़ी आंखें परदे की ओट से छिप कर रामानंद को देख रही थीं. उसे ऐसा लगा था, जैसे उसे कोई परदे के पास खड़ा एकटक देखे जा रहा हो. पलट कर उस ने जब परदे की ओर देखा तो वहां कोई नहीं था. फिर उस ने सोचा कि ये उस का कोई भ्रम रहा होगा. वहां कोई खड़ा हो कर भला उसे क्यों देखेगा. उस से मिलने भी तो आ सकता है.

थोड़ी देर मांबाप के पास बैठने और पानी पीने के बाद रामानंद उठ क र अपने कमरे में चला गया, जहां उस की पत्नी सीतांजलि, जिसे वह प्यार से सीता कहता था. वह उस के इंतजार में कब से पलकें बिछाए बैठी थी. परदे की ओट से छिप कर वही पति को निहार रही थी.

पति को देखते ही सीता का चेहरा खुशियों से खिल उठा था. वह इतनी खुश थी कि उस के मुंह से कोई बोल नहीं फूट रहे थे. रामानंद भी कम खुश नहीं था पत्नी को देख कर. सालों बाद दोनों का मिलन हुआ था.

दरअसल, शादी के 6 महीने बाद ही रामानंद पत्नी सीता को मांबाप की सेवा के लिए घर पर छोड़ कर दुबई कमाने चला गया था. उस ने पत्नी से वायदा किया था कि जब वह दुबई से लौट कर आएगा तो उसे भी विदेश अपने साथ ले जाएगा. बाकी जीवन के सुखी पल दोनों वहीं साथ बिताएंगे.

घर में उस शाम रामानंद की पसंद का खाना बनाया था. लंबा सफर तय कर रामानंद भी घर पहुंचा था, इसलिए वह भी थक कर चूर हो गया था. इसलिए बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे भरने लगा.

इधर सीता रसोई के काम में लगी रही. चौकाबरतन से निबट कर वह भी बिस्तर की ओर हो ली. एक नजर बिस्तर पर सो रहे पति पर डाली और प्यार से उस के गाल को स्पर्श किया. वह हौले से मुसकराई फिर वह भी सो गई.

अगली सुबह यानी 7 अप्रैल की सुबह जब सीता की आंखें खुलीं तो देखा पति उस के पास बिस्तर पर नहीं था तो उठ कर बैठ गई. कमरे का दरवाजा भिड़ा हुआ था और सिटकनी खुली थी. बिस्तर पर बैठी सीता कुछ देर तक कुछ सोचती रही, फिर बिस्तर से उतर कर नित्यक्रिया में जुट गई.

विदेश से लौटा रामानंद कैसे हुआ लापता

सुबह के 8 बज चुके थे. रामानंद अभी तक कहीं नहीं दिखा तो पत्नी सीता को चिंता हुई और उस ने ससुर रामप्रीत से पति के बारे में पूछा, ”पापाजी, आप ने उन्हें देखा है? क्या आप से कुछ बोल कर कहीं गए हैं? आखिर इतना समय हो गया, वह कहीं नजर नहीं आ रहे हैं?’‘

”नहीं बहू?’‘ राममप्रीत ने आगे कहा, ”सुबह से मैं ने रामानंद को घर से बाहर कहीं जाते हुए नहीं देखा, आखिर कहां चला गया?’‘ रामप्रीत के चेहरे पर परेशानी की लकीरें उभर आई थीं.

”पापाजी, पता करिए कहां गए वो? घबराहट के मारे दिल बैठा जा रहा है.’‘

”घबराओ मत बहू,’‘ ससुर ने आगे कहा, ”बरसों बाद लौटा है, कहीं बैठा यार दोस्तों के साथ गप्पें लड़ा रहा होगा, थोड़ी देर में आ ही जाएगा.’‘

”ठीक है, पापाजी.’‘ कह कर सीता रसोई की ओर बढ़ गई और सभी के लिए नाश्ता बनाने लगी.

इधर रामप्रीत भी यह सोच कर हैरान हुए जा रहे थे कि सचमुच बेटा सुबह से कहीं नहीं दिख रहा है. न तो उसे कहीं घर से बाहर जाते हुए देखा और न आते हुए ही. आखिर वह कहां गया. वाकई ये तो चिंता वाली बात है. इतना सोच कर रामप्रीत का मन घर पर नहीं लगा और वह पत्नी से बता कर बेटे को ढूंढ़ने गांव में निकल गए.

बेटे के जो भी दोस्त उन्हें रास्ते में मिले, सब से वह बेटे रामानंद के बारे में पूछते. लेकिन किसी ने भी उन से यह नहीं कहा कि वह उस से मिला है, बल्कि उन्हें तो यह भी पता नहीं था कि रामानंद दुबई से कब घर वापस आया है. बेटे के दोस्तों का जवाब सुन कर रामप्रीत हैरान रह गए कि बेटा न घर में है, न ही दोस्तों से ही मिला तो वह गया कहां? यह सोच कर रामप्रीत का माथा चकरा गया था.

रामप्रीत यही सोच रहे थे कि अब वो कहां जाएं और किस से बेटे के बारे में पूछें. तभी गांव का किशोर नाम का एक लड़का दौड़ता हुआ सीधा रामप्रीत के पास आ कर रुका. उस के चेहरे के हावभाव से ऐसा लग रहा था, जैसे वह कोई जरूरी बात बताना चाहता है.

किशोर ने उन से कहा, ”चाचा… चाचा…’‘ जोरजोर से हांफते हुए दुबलेपतले किशोर ने सामने दाईं ओर हाथ दिखाते हुए कुछ कहना चाहा, ”उधर तालाब…’‘

”हांहां बेटा, क्या कहना चाहते हो. थोड़ा सांस तो ले लो, फिर बताओ जो कहना चाहते हो.’‘ रामप्रीत ने किशोर का ढांढस बंधाते हुए कहा.

थोड़ी देर में जब वह सामान्य स्थिति में हो गया तो किशोर ने कहा, ”चाचा, गांव के बाहर वाले तालाब के किनारे एक लाश पड़ी है. वह लाश आप के बेटे रामानंद की है.’‘

”क्या?’‘ चौंक कर रामप्रीत बोले, ”मेरे बेटे रामानंद की लाश है! मुझे तेरे कहे पर विश्वास नहीं हो रहा है बेटा, ले चलो मुझे वहां, जहां लाश पड़ी है.’‘

”भला मैं आप से मजाक क्यों करने लगा चाचा, जो मैं ने देखा, वही मैं ने कहा. मेरी बातों पर आप को यकीन नहीं है तो खुद चल कर देख लीजिए, तब तो आप को मेरी बातों पर यकीन हो जाएगा, मैं झूठ नहीं बोल रहा.’‘ किशोर ने रामप्रीत को सफाई देते हुए कहा और उन्हें अपने साथ ले कर गांव के बाहर स्थित तालाब के पास गया.

तालाब के किनारे लोगों का मजमा लगा हुआ था और तमाशबीन बन कर लोग पानी में तैर रही लाश देख रहे थे.

भीड़ देख कर रामप्रीत का कलेजा जोरजोर से धड़कने लगा था. वह भीड़ को चीरते हुए सीधे तालाब के किनारे पहुंचे, जहां लाश पड़ी हुई थी. लाश देख कर उन का शरीर थरथर कांपने लगा और वह धम्म से जमीन पर जा गिरे. मौके पर जमा भीड़ ने उन्हें संभाला और टांग कर तालाब के पास से थोड़ी दूर ला कर बैठा दिया.

कैसे हुई रामानंद की मौत

रामप्रीत सिर पर दोनों हाथ रख बिलखबिलख कर रोने लगे. लाश उन के बेटे रामानंद विश्वकर्मा की ही थी. मौके पर जमा लोग उस की तालाब में डूब कर मरने की बात कर रहे थे. यह सुन कर रामप्रीत हैरान थे कि बेटा जब घर में सो रहा था तो वह कब तालाब के पास आया कि उस की पानी में डूबने से मौत हो गई. तमाशबीन लोग भी यही सोचसोच कर हैरान थे कि अभी तो कल ही विदेश से लौट कर आया था और कैसे? क्या हुआ कि इस की मौत हो गई.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 2

रागिनी क्यों नहीं जाना चाहती थी ससुराल

रागिनी ने अच्छी तरह शोभाराम को देखा सुहागरात को. वह सांवले रंग और इकहरे शरीर का था. उस ने कपड़े उतारे तो हीरो जैसी बौडी की आरजू करने वाली रागिनी के सारे अरमानों पर पानी फिर गया.

उस रात शोभाराम रागिनी का तन तो जीतने में सफल रहा, किंतु मन नहीं जीत सका. शोभाराम उस की कल्पना से एकदम उलट था. इसलिए सफल यौनाचार भी उसे आनंद से नहीं भर सका.

मायके लौटने पर रागिनी का गुस्सा मां पर फूटा. वह मायके गई तो अपनी मम्मी पर बरस पड़ी, ”मम्मी, तुम लोगों ने अपनी बड़ी बेटियों के लिए सुंदर, सजीले वर खोजे और मुझे कालेकलूटे, मरियल और नीरस आदमी के पल्ले बांध दिया. तुम ने क्या देख कर उसे मेरे लिए पसंद किया था.’‘

मम्मी ने उसे समझाया, ”बेटी, लड़के की शक्लसूरत नहीं, उस के गुण देखे जाते हैं. शोभाराम में शराब, जुआ, सट्टा जैसा कोई ऐब नहीं है. वह मेहनती और कमाऊ है. कुछ दिन साथ रहोगी तो वही सांवला, मरियल और सीधा सा पति संसार का सब से सुंदर लगने लगेगा.’‘

”मम्मी, शोभाराम मुझे पसंद नहीं, अब मैं ससुराल नहीं जाऊंगी.’‘ रागिनी गुस्से से बोली.

”बेटा, ससुराल तो तुझे जाना होगा,’‘ मां ने निर्णय सुनाने के साथ नसीहत दी, ”शोभाराम जैसा है, उसी रूप में उसे मन से स्वीकार करो. मैं कह रही हूं न, जल्द ही वह तुझे अच्छा लगने लगेगा.’‘

रागिनी की एक न चली. मम्मीपापा की जिद के चलते रागिनी की एक न चली और उसे ससुराल जाना पड़ा. शोभाराम के साथ वह पति धर्म भी निभाती रही, परंतु उसे दिल से स्वीकार नहीं कर सकी. इस बीच वह एक बेटी व एक बेटे की मां बन गई.

इन्हीं दिनों शोभाराम के पिता जगदीश दोहरे की बीमारी के चलते मौत हो गई. पिता की मौत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी शोभाराम के कंधे पर आ गई.

वक्त गुजरता रहा. गुजरते वक्त के साथ रागिनी के मन की कसक बढ़ती गई. अकेली होती तो उठतेबैठते अपने भाग्य को कोसती रहती, ‘मेरी तो किस्मत फूटी थी, जो हड्डी के ढांचे जैसा पति मुझे मिला. मेरे अरमान मिट्टी में मिल गए. क्या पूरी उम्र मुझे यंू ही घुटघुट कर जीना होगा?

उस वक्त रागिनी की कल्पना भी नहीं थी कि जल्द ही घुटन से उसे मुक्ति मिलने वाली है और उस का साइड इफेक्ट बेहद खतरनाक होगा.

रागिनी के घुटन भरे जीवन में रिंकू यादव नाम के युवक की एंट्री हुई. हुआ यह कि एक दिन घर का सीलिंग फैन खराब हो गया. रागिनी ने यह बात शोभाराम को बताई, ”बिना पंखे के बच्चों को नींद कैसे आएगी? मुझे भी परेशानी होगी? इसे जल्दी ठीक करा दो.’‘

”परेशान मत हो,’‘ शोभाराम मुसकराया, ”होमगार्ड लायक सिंह का बेटा रिंकू यादव बिजली मिस्त्री है. उसे बुला लाता हूं, जो खराबी होगी, सुधार देगा.’‘

प्यार में सीलिंग फैन कैसे बना मददगार

20 वर्षीय रिंकू यादव गांव के पश्चिमी छोर पर रहता था. उस के पिता लायक सिंह यादव थाना सहार में होमगार्ड थे. रिंकू का बड़ा भाई कुलदीप यादव आगरा में चमड़े का बैग बनाने वाली किसी फैक्ट्री में काम करता था. उस की 2 बहनें थीं, जिन की शादी हो चुकी थी. रिंकू सहायल कस्बे में एक बिजली की दुकान पर काम करता था.

कुछ देर बाद शोभाराम रिंकू के घर पहुंचा. रिंकू उस समय घर पर ही था. शोभाराम ने उसे घर का पंखा खराब होने के बाबत बताया और रिंकू को घर ले आया.

रिंकू यादव शोभाराम के घर पहुंचा तो उस की नजर रागिनी पर पड़ी. दोनों ने एकदूसरे को गौर से देखा. उन की नजरें मिलीं तो पल भर में ही दोनों के दिल में कुछकुछ होने लगा. रिंकू सोचने लगा कि लंगूर के पहलू में हूर कैसे आ गई? यह अप्सरा तो मेरे नसीब में होनी चाहिए थी.

अपनी उम्र से कई साल छोटे, लंबेतगड़े और साफ रंगत वाले रिंकू यादव को देख कर रागिनी भी बहुत प्रभावित हुई.

बिजली का पंखा ठीक करने के दौरान रिंकू रागिनी पर आंखों से तीर चलाता रहा. उस का हर तीर रागिनी के जिगर में हलचल करता रहा. आंखों की मूक भाषा में रागिनी भी बहुत कुछ उस से कहती रही. रिंकू अपना काम कर के चला गया. जबकि रागिनी उस के खयालों में गुम हो गई.

उस दिन के बाद रिंकू यादव अकसर शोभाराम के घर आने लगा. वह ऐसे समय आता, जब शोभाराम घर पर नहीं होता. वह किसी न किसी बहाने घर आता और रागिनी को लाइन मारता. रागिनी भी तिरछी नजरों से रिंकू को देख कर मुसकराती रहती.

मन में जो आकर्षण था, उसे चमकीला बनाने के लिए रिंकू व रागिनी ने देवरभाभी का रिश्ता जोड़ लिया. रिश्ता बना तो बातचीत शुरू हो गई. जल्द ही बातचीत हंसीमजाक तक पहुंच गई. इस के बाद उस में अश्लीलता भी घुलने लगी.

cRinku yadav (Mratak)

अपने से 8 साल छोटे रिंकू की बातों का रागिनी भी हंस कर जवाब दे दिया करती थी. रिंकू रागिनी को रिझाने के लिए उस की तारीफ किया करता था. एक रोज उस ने कहा, ”भाभी, तुम्हें देख कर कोई नहीं कह सकता कि तुम 2 बच्चों की मां हो, तुम तो अभी भी जवान दिखती हो.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी गदगद हो गई थी. इस के बाद एक दिन उस ने कहा, ”भाभी, तुम में गजब का आकर्षण है. कहां तुम और कहां शोभाराम भाई. दोनों की कदकाठी, रंगरूप और उम्र में जमीनआसमान का अंतर है. तुम्हारे सामने तो वह कुछ भी नहीं है.’‘

अपनी तारीफ सुन कर रागिनी अंदर ही अंदर जहां एक ओर फूली नहीं समाई, वहीं दिखावे के लिए उस ने मंदमंद मुसकराते हुए कहा,”झूठे कहीं के, तुम जरूरत से ज्यादा तारीफ कर रहे हो? मुझे तुम्हारी इस तारीफ में दाल में कुछ काला नजर आ रहा है. तुम्हारे भैया को आने दो, बताती हूं, उन से.’‘

इतना कह कर वह जोरजोर से हंसने लगी. हकीकत यह थी कि रागिनी रिंकू को मन ही मन चाहती थी. उस ने केवल दिखावे के लिए यह बात कही थी. रिंकू हर हाल में उसे पाना चाहता था. रागिनी के हावभाव से वह समझ चुका था कि रागिनी भी उसे पसंद करती है. लेकिन वह इजहार नहीं कर पा रही है.

एक दिन दोपहर को रागिनी के दोनों बच्चे सो रहे थे. शोभाराम बाजार गया था. गरमियों के दिन थे. गली में सन्नाटा पसरा था. रिंकू ऐसे ही मौके की तलाश में था. वह रागिनी के घर पहुंच गया. इधरउधर की बातों और हंसीमजाक के बीच रिंकू ने रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया.

रागिनी ने इस का विरोध नहीं किया. चेहरे मोहरे से गोरेचिट्टे गबरू जवान रिंकू यादव के हाथों का स्पर्श कुछ अलग ही था. रागिनी का हाथ अपने हाथ में ले कर रिंकू एकटक उस के चेहरे पर निगाहें टिकाए रहा.

अचानक रिंकू की तंद्रा भंग करते हुए रागिनी ने कहा, ”अरे ओ देवरजी, किस दुनिया में खो गए. छोड़ो मेरा हाथ. अगर किसी ने देख लिया तो जानते हो कितनी बड़ी बदनामी होगी.’‘

रागिनी की बात सुन कर रिंकू बोला, ”यहां कोई देख लेगा तो अंदर कमरे में चलें?’‘

”नहीं… नहीं… आज नहीं. वो बाजार गए हैं, किसी भी समय आ सकते हैं. फिर कभी अंदर चलेंगे.’‘ रागिनी ने कहा तो रिंकू ने उस का हाथ छोड़ दिया.

लेकिन वह मन ही मन बेहद खुश था, क्योंकि उसे रागिनी की तरफ से हरी झंडी मिल गई थी. फिर एक दिन मौका मिलते ही रागिनी और रिंकू ने मर्यादा की दीवार तोड़ अपनी हसरतें पूरी कीं. इस के बाद शोभाराम की आंखों में धूल झोंक कर रागिनी, रिंकू के साथ अकसर मौजमस्ती करने लगी. अवैध रिश्तों का यह सिलसिला करीब एक साल तक ऐसे ही चलता रहा.

एक अधूरी प्रेम कहानी – भाग 2

काल डिटेल्स की जांच में पता चला कि नीलम की मां के मोबाइल से एक नंबर पर अधिकतर बातें होती थीं. मां इस बारे में अनजान थी. तब इस नंबर को खंगाला गया. यह नंबर थाना किरावली के गांव डावली निवासी गणेश का निकला.

पुलिस ने बिना देर किए शाम को गणेश को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. नीलम के परिजनों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि नीलम किसी युवक से मोबाइल पर बातचीत करती है.

सिकंदरा पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद गणेश झूठ बोलता रहा. गणेश का कहना था कि नीलम उस से मिलने आई थी. वह उसे छोड़ने गांव आ रहा था. उस का कहना था कि वह रुनकता गांव गया ही नहीं था. नीलम ने उस से कहा कि गांव के बाहर ही छोड़ दो, कोई देख लेगा तो घर वालों को मालूम पड़ जाएगा. वह यहां से पैदल घर चली जाएगी. तब उस ने उसे गांव के बाहर ही छोड़ दिया था.

उस के बाद नीलम के साथ क्या हुआ, उसे नहीं मालूम. उधर, नीलम के घर वाले भी सही सोच रहे थे कि वह घर में मौजूद है तो घटना नहीं कर सकता. पीड़िता के घर वाले भी उस पर शक नहीं कर रहे थे. मगर, पुलिस ने घटना वाले दिन गणेश के मोबाइल की काल डिटेल्स और लोकेशन निकाल कर पूरी घटना का परदाफाश कर दिया.

गणेश के मोबाइल की लोकेशन नीलम के गांव और रुनकता क्षेत्र की आई. गणेश ने इस दौरान मोबाइल खरीदने और रेस्टोरेंट में नाश्ते के लिए औनलाइन भुगतान भी किए थे. इस बात ने उसे सच बोलने पर मजबूर कर दिया.

पुलिस ने उस से कहा कि अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं होगा. पुलिस के सख्ती दिखाने पर वह टूट गया. इस के बाद उस ने पुलिस के सामने सारा सच उगल दिया. गणेश ने घटना का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने घटना में शामिल अपने गांव के दोस्त संतोष का नाम भी बताया.

पुलिस ने उस के दोस्त संतोष को 11 मार्च, 2023 को गिरफ्तार कर लिया. दोनों से पूछताछ के बाद घटना की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

गणेश नीलम के गांव मांगरौल गूजर में अपनी रिश्तेदारी में आयाजाया करता था. नीलम से 6 महीने पहले उस की दोस्ती हुई थी.  एक दिन नीलम अपनी मौसी के घर जा रही थी. गणेश की नजर उस पर पड़ी. वह नीलम की खूबसूरती पर लट्टू हो गया. उस ने पहली बार में ही उसे दिल में बसा लिया.

नीलम को भी इस बात का अहसास हो गया कि युवक उसे चाहत भरी नजरों से देख रहा है. 24 वर्षीय गणेश कसी हुई कदकाठी का जवान युवक था. उसे देख कर 14 वर्षीय नीलम का दिल भी तेजी से धड़कने लगा था. दोनों ने एक दूसरे को पीछे मुड़ कर भी कई बार देखा.

गणेश जब भी नीलम के गांव जाता उस की मुलाकात नीलम से हो जाती. दोनों ही एकदूसरे को देख कर मुसकरा देते थे. जब दो युवा मिलते हैं तो जिंदगी में नया रंग घुलने लगता है. दोनों एकदूसरे से प्यार का इजहार करना चाहते थे. आखिर एक दिन गणेश को मौका मिल ही गया. गणेश बाइक से नीलम के घर के सामने से निकल रहा था. उस समय वह अपने घर के  दरवाजे पर खड़ी थी.

नीलम को देखते ही गणेश ने चुपचाप एक परची गिरा दी. नीलम ने वह परची उठा कर अपने पास रख ली. उस ने घर जा कर एकांत में परची खोली तो उस में एक मोबाइल नंबर लिखा था. नीलम समझ गई कि यह नंबर उसी युवक का है. उस ने बिना देर किए उस नंबर को मिलाया.

दूसरी ओर से ‘हैलो की आवाज आई तो नीलम ने कहा, ”मैं नीलम बोल रही हूं, आप कौन?’‘

नीलम का नाम सुनते ही गणेश खुश हो गया. वह बोला, ”मैं गणेश बोल रहा हूं. आप के गांव में मेरी रिश्तेदारी है, इसलिए वहां आताजाता रहता हूं. आप को जब से देखा है, तब से बात कर ने का मन कर रहा था. इसलिए परची पर अपना मोबाइल नंबर लिख दिया था.’‘ इस तरह गांव की रिश्तेदारी से गणेश ने नीलम को अपने जाल में फंसाया.

फिर एक दिन दोनों की मुलाकात हुई. नीलम ने कहा, ”मैं जिस कालेज में पढ़ती हूं उस कालेज में मैं ने आप को पहले भी देखा है.’‘

इस पर गणेश ने कहा, ”मैं कालेज कम ही जाता हूं.’‘

फिर दोनों को पता चल गया कि वे दोनों एक ही कालेज में पढ़ते हैं. गणेश ने इंटरमीडिएट जबकि नीलम ने हाईस्कूल की परीक्षा दी थी. दोनों की उम्र में 10 साल का अंतर था, लेकिन जब प्यार होता है तो वह उम्र या जाति नहीं देखता.

गणेश गांव में अपनी रिश्तेदारी में आताजाता था. दोनों चोरीछिपे मिल कर एकदूसरे से दिल खोल कर बातें करते थे. अब दोनों के पास एकदूसरे के मोबाइल नंबर भी थे. दोनों मौका मिलते ही मोबाइल पर खूब प्यारमोहब्बत की बातें करते. नीलम अपनी मां के मोबाइल से उन की जानकारी के बिना गणेश से बातें करती थी.

गणेश 3 भाईबहनों में सब से बड़ा है. वह जयपुर स्थित एक सैलून में बाल काटता है. उस की रिश्तेदारी नीलम के गांव में है. वह जब भी अपने गांव आता तो मांगरौल गूजर गांव में अपनी रिश्तेदारी में भी आयाजाया करता था. 12 फरवरी को इंटरमीडिएट की परीक्षा देने आया था. 3 मार्च तक वह वहीं रुका था. इस के बाद वह अपने काम पर जयपुर चला गया. होली पर वह 7 मार्च, 2023 को अपने गांव फिर आया था.

क्यों की गई नीलम की हत्या

9 मार्च को गणेश की नीलम से बाइक पर घूमने चलने की बात हुई. तब नीलम अपनी मां से मौसी के यहां होली खेलने की बात कह कर घर से निकल गई थी. गणेश अपने गांव के ही 23 वर्षीय दोस्त संतोष के साथ नीलम को बाइक से रुनकता घुमाने ले गया. जाते समय मांगरौल के जंगल में गणेश और उस के दोस्त संतोष ने शराब पार्टी की. इस के लिए वे घर से ही शराब की बोतल ले कर आए थे.

इस के बाद गणेश व संतोष उसे बाइक से रुनकता ले गए. वहां एक रेस्टोरेंट में नाश्ता किया. नीलम अपनी मां के मोबाइल से चोरीछिपे गणेश से बात करती रहती थी. बात करने में आसानी रहे, इसलिए गणेश ने नीलम को एक मोबाइल और सिम भी दे दिया.

शाम को गांव लौटते समय दोनों दोस्तों गणेश व संतोष की नीयत में खोट आ गई. वे नीलम को जंगल में खींच कर ले गए. गणेश और उस के दोस्त ने नीलम के साथ रेप किया. मनमानी करने के बाद उन्हें लग रहा था कि नीलम गांव में जा कर सब कुछ बता देगी. इस के बाद दोनों ने उस की हत्या कर शव ठिकाने लगाने का निर्णय लिया.

इस के लिए उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट  दिया. पेड़ से सिर को कई बार टकराया. इतना ही नहीं किशोरी के सिर पर ईंट से प्रहार किया. उस की नाक, मुुंह और आंखों पर घूंसों से ताबड़तोड़ प्रहार किए जिस से आंख, नाक और मुंह से खून निकलने लगा.

नीलम बेहोश हो गई. दोनों को विश्वास हो गया कि वह मर गई है. उसे मरा समझ कर गले में दुपट्टा बांध खींचते हुए जंगल में और अंदर ले गए और कांटों की झाड़ियों के बीच डाल कर फरार हो गए. इस के बाद दोनों अपने घर जा कर सो गए.

इत्तफाक से नीलम बच गई. आरोपियों को दूसरे दिन समाचारपत्रों से पता चला कि नीलम जिंदा है तो दोनों के होश उड़ गए. दोनों भागने की तैयारी में थे. मगर पुलिस ने 10 मार्च, 2023 की शाम को ही डावली निवासी गणेश को पकड़ लिया. इस के बाद उस के साथी संतोष को भी दबोच लिया.

जांच में पता चला कि आरोपी गणेश और संतोष बचपन के दोस्त हैं. संतोष अपने पिता के साथ गांव में ही सैलून की दुकान चलाता है. जबकि गणेश यही काम जयपुर में करता है.

2 दिन इलाज के बाद नीलम की हालत में कुछ सुधार हुआ. उसे जिला अस्पताल से एस.एन. मैडिकल कालेज में रेफर कर दिया गया था. डाक्टरों ने नीलम को 72 घंटे तक अपनी निगरानी में रखने को कहा. नीलम के सिर में गहरा घाव था, शरीर में जख्म और गले पर सूजन थी. परिजनों का कहना था कि बेटी बस जिंदा बच गई उसे नया जीवन मिला गया.

बेवफा पत्नी और प्रेमी की हत्या – भाग 1

शोभाराम ने नफरत से दोनों लाशों को देखा. फिर वहीं बैठ कर बीड़ी सुलगा कर पीने लगा. एक लाश उस की पत्नी रागिनी की थी और दूसरी रिंकू की थी. छत पर उस ने दोनों को रंगेहाथ रंगरलियां मनाते पकड़ा था. उस के बाद उस ने दोनो की ईंट से सिर कूंच कर हत्या कर दी थी.

बीड़ी के कश के साथ शोभाराम के मन में तरहतरह के विचार आजा रहे थे. इन्हीं विचारों के बीच शोभाराम ने जेब में पड़ा मोबाइल निकाला और पुलिस कंट्रोल रूम के 112 नंबर पर काल की. उस समय रात के 12 बज रहे थे और आसमान में बादल गरज रहे थे.

शोभाराम की काल डायल 112 के एसआई पंकज मिश्रा ने रिसीव की. उन्होंने पूछा, ”बताइए, आप को क्या परेशानी है? आप कौन और कहां से बोल रहे हैं?’‘

”साहब, मेरा नाम शोभाराम दोहरे है. मैं गांव नंदपुर से बोल रहा हूं. मैं ने डबल मर्डर किया है. आप जल्दी से आ कर मुझे गिरफ्तार कर लो.’‘

शोभाराम के मुंह से डबल मर्डर की बात सुन कर पंकज मिश्रा दंग रह गए. फिर वह सोचने लगे, ‘कहीं शोभाराम शराबी तो नहीं और नशे में गुमराह कर रहा है.Ó अत: वह कड़कदार आवाज में बोले, ”इतनी रात बीतने के बावजूद अभी तक तेरा नशा उतरा नहीं, जो डबल मर्डर की सूचना दे रहा है.’‘

”साहब, मैं शराबी नही हूं. मैं पूरे होशोहवास में हूं. मैं सच बोल रहा हूं. मैं ने रागिनी और उस के प्रेमी रिंकू यादव को मार डाला है. दोनों लाशें मेरे मकान की छत पर पड़ी हैं. यकीन हो तो आ जाइएगा.’‘

शोभाराम ने जिस आत्मविश्वास के साथ बात की, उस से एसआई पंकज मिश्रा को यकीन हो गया कि वह जो बता रहा है, वह सच है. अत: उन्होंने सूचना से पुलिस अधिकारियों को अवगत कराया फिर सहयोगियों के साथ नंदपुर गांव पहुंच गए.

cDigamber Kushwaha (ASP)

शोभाराम का घर गांव के पूर्वी छोर पर था. पुलिस जीप वहीं जा कर रुकी. शोभाराम पुलिसकर्मियों को छत पर ले गया, जहां 2 लाशें पड़ी थीं. लाशें देख कर एसआई पंकज मिश्रा सिहर उठे. उन्होंने तत्काल शोभाराम को हिरासत में ले लिया. डबल मर्डर की यह घटना उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के नंदपुर गांव में 14 जून, 2023 की रात घटी थी.

डबल मर्डर से मचा हड़कंप

डबल मर्डर की सूचना से जिले के पुलिस अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था. कुछ देर बाद ही एसएचओ आर.डी. सिंह, सीओ (सिटी) प्रदीप कुमार, एसपी चारू निगम तथा एएसपी दिगंबर कुशवाहा घटनास्थल पर आ गए.

cCharu Nigam (S.P.)

पुलिस अधिकारियों ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. हत्यारे शोभाराम ने बड़ी बेरहमी से दोनों की ईंट से कूंच कर हत्या की थी. मृतकों में रागिनी व रिंकू यादव था. रागिनी की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. रिंकू की उम्र 22 वर्ष के आसपास थी. दोनों के शव अर्धनग्नावस्था में थे. छत पर शवों के करीब ही खून से सनी ईंट पड़ी थी, जिसे पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

पौ फटते ही नंदपुर गांव में सनसनी फैल गई. जिस ने भी 2 हत्याओं की बात सुनी, उसी ने दांतों तले अंगुली दबा ली. कुछ ही देर में शोभाराम के घर के बाहर भारी भीड़ जुट गई. मीना यादव को जब पता चला कि शोभाराम ने उस के बेटे रिंकू को मार डाला है तो वह बदहवास हालत में घटनास्थल पहुंची और बेटे का शव देख कर फूटफूट कर रोने लगी.

महिलाओं ने उन्हें किसी तरह संभाला. रिंकू के पिता लायक सिंह होमगार्ड थे. वह सहार थाने में ड्यूटी पर थे. उन्हें बेटे की हत्या की खबर लगी तो वह भी गांव आ गए. बेटे का शव देख कर वह भी बिलखने लगे.

रिंकू यादव की हत्या से नंदपुर गांव की यादव जाति में गुस्से की आग भड़क उठी थी. उन में आक्रोश इस बात से था कि शोभाराम जैसे छोटी जाति के व्यक्ति ने उन की बिरादरी के युवक की हत्या कर दी थी. इस हत्या से उन की प्रतिष्ठा पर आंच आई है. नवयुवकों में गुस्सा कुछ ज्यादा था.

एसपी चारू निगम व एएसपी दिगंबर कुशवाहा को जब यादव बिरादरी में जन आक्रोश की जानकारी हुई तो उन्होंने कई थानों की पुलिस फोर्स को घटनास्थल पर बुलवा लिया और नंदपुर गांव की हर गली के मोड़ पर पुलिस पहरा लगा दिया. यही नहीं, उन्होंने हर स्थिति से निपटने के लिए पीएसी का कैंप भी लगा दिया.

कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस अधिकारियों ने मृतक रिंकू व मृतका रागिनी के शवों को सीलमोहर करा पोस्टमार्टम के लिए औरैया के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

cRote Hue Mratak Ke Parijan

शोभाराम दोहरे को पुलिस सुरक्षा में थाना सहायल लाया गया. यहां पर पुलिस अधिकारियों ने उस से घटना के संबंध में पूछताछ की. शोभाराम ने अधिकारियों के सामने दोनों हत्याओं का जुर्म कुबूल कर पूरी घटना की जानकारी दी. उस ने इस घटना में किसी अन्य के शामिल होने से साफ इंकार किया.

चूंकि शोभाराम ने जुर्म कुबूल कर लिया था और पुलिस ने आलाकत्ल खून सनी ईंट भी बरामद कर ली थी, इसलिए एसएचओ आर.डी. सिंह ने मृतक रिंकू यादव की मां मुन्नी देवी की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत शोभाराम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा शोभाराम को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस पूछताछ में उस ने इस हत्याकांड की जो वजह बताई, वह एक बेवफा पत्नी की कहानी निकली.

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात जनपद के थाना रसूलाबाद के अंतर्गत एक गांव है-झकर गढ़ा. रागिनी इसी गांव की रहने वाली थी. उस के पिता राजाराम दोहरे गांव के दबंग किसान थे. 3 बहनों में रागिनी सब से छोटी, सब से दुलारी और बेहद खूबसूरत थी. राजाराम अपनी 2 बड़ी बेटियों का विवाह कर चुके थे. अब वह रागिनी का घर बसाना चाहते थे. इस बारे में घर में बात भी होने लगी थी.

शादी की चर्चा चलते ही रागिनी का मन गुदगुदाने लगा. खुली आंखों से वह जीवनसाथी के सुहाने सपने देखने लगी थी. वह सोचती कि मेरे दोनों जीजा हैंडसम हैं तो पिता मेरे लिए भी सैकड़ों में से किसी एक को चुनेंगे क्योंकि अपनी बहनों से मैं ज्यादा हसीन जो हूं.

रागिनी की तमन्ना थी कि उस का पति फिल्मी हीरो जैसा और खूब प्यार करने वाला हो. राजाराम की तलाश जारी थी. इसी तलाश के दौरान राजाराम को शोभाराम के बारे में पता चला.

जगदीश दोहरे औरैया जिले के नंदपुर गांव के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी सरला के अलावा 2 बेटियां व एक बेटा शोभाराम था. बेटियों की वह शादी कर चुके थे. शोभाराम अभी कुंवारा था. बापबेटे दोनों मिल कर अपनी जमीन पर मौसमी सब्जियों की खेती करते थे और शहर कस्बे में बेचते थे. शोभाराम राजमिस्त्री भी था.

राजाराम ने नंदपुर गांव जा कर जगदीश दोहरे से मुलाकात की और उन के बेटे शोभाराम के साथ अपनी बेटी रागिनी की शादी करने की बात की.

जगदीश की पत्नी सरला की मौत हो चुकी थी. इसलिए जगदीश भी बेटे का विवाह करने के इच्छुक थे. इसलिए पहले लड़की देखने की इच्छा जताई. इस के बाद उन्होंने झकर गढ़ा गांव जा कर रागिनी को देखा तो वह उन्हें पसंद आ गई. फिर सन 2012 की पहली लगन में रागिनी और शोभाराम का विवाह हो गया.

विवाह मंडप में रागिनी ने पहली बार पति को देखा था. शोभाराम सूट पहने था, सिर पर सेहरा बंधा था, उस के चारों ओर घर वालों का हुजूम था, इसलिए रागिनी उसे नजर भर कर देख नहीं पाई.

एक अधूरी प्रेम कहानी – भाग 1

4 जुलाई, 2023 का दिन था. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पोक्सो एक्ट) प्रमेंद्र  कुमार की कोर्ट में काफी गहमागहमी थी. घटना होने के मात्र 116 दिनों बाद उस दिन एक ऐसे मामले में फैसला सुनाया जाना था, जिस में दोस्ती परवान चढऩे से पहले ही तारतार हो गई थी. आइए, कोर्ट का फैसला जानने से पहले इस मामले के बारे में जान लेते हैं.

आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के रुनकता के पास मांगरौल गूजर का जंगल करीब 6 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. यमुना का किनारा है और अकसर जंगली जानवर यहां घूमते रहते हैं. जंगल की सन्नाटे भरी सर्द रात में जंगली जानवरों के खतरे के बीच कांटेदार झाड़ियों के बीच पड़ी घायल 14 वर्षीय नीलम को जब हलका सा होश आया, तब चारों ओर घना अंधेरा छा चुका था.

नीलम दर्द से कराह रही थी. उस के अंगअंग में दर्द हो रहा था. वह रातभर तड़पती रही. वह अस्मत जाने के बाद भी टूटती सांसों को संजोए हुए थी. प्यास से उस का गला सूख रहा था, वहीं घावों से खून बह रहा था.

इस हालत में भी नीलम ने हिम्मत नहीं हारी. बेसुध शरीर ने हिम्मत कर हिलने की कोशिश की तो कांटे चुभ उठे. वह असहनीय दर्द को पी गई और कांटों के बिस्तर पर पड़ीपड़ी भोर होने का इंतजार कर ने लगी.

जीवन और मृत्यु से संघर्ष के बीच सुबह जब सूरज की रोशनी दिखाई दी तो इतनी हिम्मत आ गई कि वह करीब 100 मीटर घिसट कर रोड तक पहुंच गई. आखिर नीलम जंगल में कैसे पहुंची? उस की यह हालत कैसे और किस ने की?

गांव देहात में होली का पर्व कई दिनों तक मनाया जाता है. 9 मार्च, 2023 को  आगरा जिले के थाना सिकंदरा के मांगरौल गूजर निवासी 14 वर्षीय नीलम गांव में रहने वाली अपनी मौसी के यहां होली खेलने को कह कर घर से अपराह्नï लगभग ढाई बजे निकली थी.

शाम 7 बजे तक जब नीलम घर वापस नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. इस बारे में मौसी से संपर्क किया तो पता चला कि वह उन के यहां भी नहीं पहुंची थी. घबराए हुए घर वालों ने उस की सहेलियों व परिचितों के यहां तलाश किया, लेकिन नीलम का गांव में कोई सुराग नहीं मिला.

पूरी रात घर वाले गांव वालों के साथ उस की तलाश करतेे रहे, लेकिन नीलम का कोई सुराग नहीं लगा. सारी रात घर वालों को नींद भी नहीं आई.

10 मार्च की सुबह 8 बजे  पास के ही गांव का रहने वाला सिक्योरिटी गार्ड जयप्रकाश ड्यूटी समाप्त कर अपने गांव जा रहा था. उस के गांव का रास्ता मांगरौल हो कर ही जाता है. उसे सिकंदरा के जंगल के रास्ते में सड़क किनारे मांगरौल गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर एक किशोरी लहूलुहान अर्द्धबेहोशी की हालत में पड़ी मिली. गार्ड जयप्रकाश को देखते ही किशोरी ने हाथ हिलाया. गार्ड ने अपनी साइकिल खड़ी कर दी और किशोरी के पास पहुंचा.

किशोरी के खून से सने और फटे हुए कपड़े देख कर जयप्रकाश ने अपने गमछे से उस का बदन ढक दिया. जयप्रकाश के कई बार पूछने पर कि कौन हो तुम बेटी? किशोरी सही ढंग से बोल नहीं पा रही थी. उस ने किसी तरह अपना नाम बताया. पूछने पर अपने पिता व गांव का नाम भी बता दिया.

गार्ड से किशोरी ने कहा कि मेरे भाई को फोन कर दो. किशोरी ने नंबर बताया तब गार्ड जयप्रकाश ने उस के भाई को फोन कर घटना की जानकारी दी. इसी बीच वहां से आ जा रहे राहगीर एकत्र हो गए.

इस पर जयप्रकाश ने उस के घर फोन कर दिया. जानकारी मिलते ही घर वाले घटनास्थल पर पहुंच गए. घर वालों नेे पुलिस को भी नीलम के मिलने की जानकारी दे दी. कुछ ही देर में थाना सिकंदरा के एसएचओ आनंद कुमार शाही, पुलिस उपायुक्त (नगर) विकास कुमार भी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गए.

सड़क से करीब 100 मीटर अंदर झाड़ी पर नीलम की चुन्नी पड़ी थी. पास में ही चप्पलें और कुछ कपड़े थे. उस की आंखों, नाक और सिर से खून बह रहा था. उसे कई बार उल्टियां भी हुईं. गंभीर हालत को देखते हुए एंबुलेंस बुलाकर नीलम को पहले जिला अस्पताल और बाद में आगरा के एस.एन. मैडिकल कालेज ऐंड हौस्पिटल की इमरजेंसी भरती कराया गया.

घटनास्थल पर भी खून पड़ा था. फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. नीलम के चेहरे और गले पर खरोंचें थीं, उस का गला सूजा हुआ था, जिस से वह बोल नहीं पा रही थी. बेटी को इस हालत में देख कर मां के आंसू नहीं रुक रहे थे.

पुलिस का अनुमान था कि कल नीलम होली खेलने घर से निकली थी. रास्ते में ही उस का अपहरण कर जंगल में उस के साथ दरिंदगी की गई थी. इतना ही नहीं उसे बुरी तरह पीटा गया और गला घोंट कर जान से मारने की कोशिश भी की गई. किसी तरह नीलम की जान तो बच गई थी, लेकिन उस की हालत चिंताजनक थी.

आरोपी उसे मरा समझ कर झाडिय़ों में डाल कर फरार हो गए थे. रात भर नीलम जंगल में पड़ी रही. इस संबंध में गांव मझली पार्टी, थाना सिकदंरा, जिला आगरा निवासी नीलम के पिता ने थाने में अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 376(3), 307 व 3/4 पोक्सो एक्ट के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस में बेटी से सामूहिक दुष्कर्म, जान से मारने के लिए गंभीर चोटें पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

नीलम को दोपहर में होश आ गया. उस का गला सूजा हुआ था इसलिए वह बोल नहीं पा रही थी.  फिर भी किसी तरह उस ने बताया कि वह कल दोपहर को मौसी के यहां जाने के लिए अपने घर से निकली थी, तभी एक बाइक सवार उसे मिला. उस ने पूछा, ”कहां जा रही हो?’‘

”गांव में मौसी के यहां.’‘

”चलो, बाइक पर बैठ जाओ. मैं उधर ही जा रहा हूं, तुम्हें छोड़ दूंगा.’‘ बाइक सवार बोला.

तब वह उस की बाइक पर बैठ गई. वह उसे जंगल में ले गया. पीने को बोतल से पानी दिया. पानी पीने के बाद वह बेहोश हो गई. उस के बाद उसे कुछ याद नहीं.

पुलिस को नीलम की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था. क्योंकि अनजान व्यक्ति की बाइक पर वह क्यों बैठ गई? फिर जब वह गांव से बाहर ले जाने लगा तो उस ने शोर क्यों नहीं मचाया?

जंगल में कैसे पहुंची नीलम?

नाबालिग की मां का दर्द उस की आंखों से छलक रहा था. मां ने रोते हुए कहा कि उस की बेटी के साथ जिस ने भी यह कृत्य किया है उसे फांसी की सजा मिले. उस की बेटी गांव में होली खेलने निकली थी. वहीं से उस का अपहरण कर लिया गया. यह बात बेटी को पूरी तरह होश आने के बाद ही पता चलेगी कि कितने लोग थे? सुबह वह केवल इतना बता पाई थी कि उसे कोई नशीला पदार्थ पिलाया गया था. इस के बाद वह बेहोश हो गई थी.

महिला पुलिस द्वारा तब नीलम को विश्वास में ले कर उस से बातचीत की गई. तब नीलम ने हकीकत बताई. उस ने बताया कि घटना वाले दिन उस के दोस्त गणेश का फोन आया था. उस ने कहा कि गांव के बाहर आ जा होली खेलेंगे.

इस के बाद वह अपने घर मौसी के घर जाने की बात कह कर गांव से बाहर गणेश से मिलने पहुंच गई. गणेश के साथ उस का दोस्त संतोष भी था. गणेश ने उस से कहा, ”यहां बहुत भीड़ है, रुनकता चलते हैं, वहां होली खेलेंगे.’‘

इस के बाद वह गणेश और संतोष के साथ बाइक पर बैठ गई. रुनकता ले जा कर उन्होंने उसे बर्फी (मिठाई) खिलाई. फिर उस ने बाइक जंगल की ओर मोड़ दी. जंगल में ले जा कर दोनों ने उस के साथ जोर जबरदस्ती की और यह हाल गणेश व उस के दोस्त ने किया है.

नीलम से दुष्कर्म और हत्या के प्रयास की घटना बड़ी थी. पुलिस आयुक्त डा. प्रीतिंदर सिंह ने सिकंदरा पुलिस की कई टीमों को घटना के खुलासे के लिए लगाया. इस जानकारी के बाद कि गणेश से नीलम की बातचीत होती थी, पुलिस ने नीलम के घर वालों के फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई.

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