25 लाख के लिए प्रेमी से पति का कराया मर्डर

जब प्रेमी के चक्कर में फंसी पत्नी पति की दुश्मन बन जाए तो उसे कौन बचा सकता है? प्रतिभा ने प्रेमी ऋषि के साथ मिल कर पति के साथ यही किया, लेकिन…   

कृष्णा आगरा के थाना सदर के अंतर्गत आने वाले मधुनगर इलाके में अपने मांबाप और भाई अवनीत के साथ रहता था. इटौरा में उस की स्टील रेलिंग की दुकान थी जो काफी अच्छी चल रही थी. कृष्णा की अभी शादी नहीं हुई थी. उस की शादी के लिए जिला मैनपुरी के कस्बा बेवर की युवती प्रतिभा से बात चल रही थी. कृष्णा ने अपने परिवार के साथ जा कर लड़की देखी तो सब को लड़की पसंद गई. देखभाल के बाद शादी की तारीख भी नियत कर दी गई. फिर हंसीखुशी से शादी हो गई. नई दुलहन को सब ने हाथोंहाथ लिया, लेकिन कृष्णा की मां ने महसूस किया कि दुलहन के चेहरे पर जो खुशी होनी चाहिए थी, वह नहीं है. जबकि कृष्णा बहुत खुश था. मां ने सोचा कि प्रतिभा जब घर में सब से घुलमिल जाएगी तो ठीक हो जाएगी.

हफ्ते भर बाद जब सारे रिश्तेदार अपनेअपने घर चले गए तो प्रतिभा का भाई उसे लेने के लिए गया. किसी ने भी इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया कि प्रतिभा आम लड़कियों की तरह खुश क्यों नहीं है. वह भाई के साथ पगफेरे के लिए चली गई और 4-6 दिन बाद कृष्णा उसे फिर ले आया. इस के बाद कृष्णा की पुरानी दिनचर्या शुरू हो गई. इसी बीच आगरा की आवासविकास कालोनी का रहने वाला ऋषि कठेरिया उस की दुकान पर आनेजाने लगा. ऋषि ठेके पर मकान बना कर देता था. धीरेधीरे कृष्णा का ऋषि के साथ व्यापारिक संबंध जुड़ने लगा. ऋषि कृष्णा को स्टील रेलिंग के ठेके दिलवाने लगा

दूसरी ओर प्रतिभा का व्यवहार परिवार वालों की समझ में नहीं रहा था. वह जबतब मायके जाने की जिद करने लगती तो सास उसे समझाती कि शादी के बाद बारबार मायके जाना ठीक नहीं है, ससुराल की जिम्मेदारियां भी संभालनी होती हैं. एक दिन प्रतिभा ने कृष्णा से कहा कि उसे अपने मांबाप की याद रही है, वह अपने मायके जाना चाहती है. इस पर कृष्णा ने कहा कि जब उसे फुरसत मिलेगी, वह उसे छोड़ आएगाठीक उसी समय प्रतिभा के मोबाइल पर किसी का फोन आया तो प्रतिभा ने फोन यह कह कर काट दिया कि वह फिर बात करेगी. लेकिन मायके जाने की बात पर वह अड़ी रही. आखिर कृष्णा ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम तैयारी कर लो, मैं तुम्हें कल तुम्हारे मायके छोड़ आऊंगा.’’

अगले दिन घर वालों की इच्छा के खिलाफ कृष्णा उसे ससुराल ले गया. बस में बैठते ही प्रतिभा का मूड एकदम बदल गया. अब वह काफी खुश थी. शादी के 4 महीने बाद भी कृष्णा अपनी पत्नी के मूड को समझ नहीं पाया था. पर कृष्णा की मां की समझ में यह बात अच्छी तरह आ गई थी कि बहू कुछ तो उन से छिपा रही है. प्रतिभा ने मायके जाने से पहले फोन द्वारा किसी को खबर तक नहीं दी थी. अत: जब वह मायके पहुंची तो उसे देख कर उस की मां हैरान हो कर बोली, ‘‘अरे दामादजी, आप अचानक ही… फोन कर के खबर तो कर दी होती.’’ इस से पहले कि कृष्णा कुछ कहता प्रतिभा बोली, ‘‘मम्मी, हमारा फोन खराब था, इसलिए खबर नहीं कर पाई.’’

कृष्णा पत्नी की इस बात पर हैरान था कि प्रतिभा मां से झूठ क्यों बोली. उस ने महसूस किया कि उस की सास लक्ष्मी के माथे पर बल पड़े हुए थे. पत्नी को मायके छोड़ने के बाद कृष्णा जैसे ही आगरा वापस जाने के लिए घर से निकला तो उसे ऋषि दिख गया. उस ने पूछा, ‘‘अरे ऋषि, तुम यहां कैसे?’’ ‘‘मैं गुप्ताजी से मिलने आया हूं.’’ उस ने एक घर की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘वह रहा गुप्ताजी का घर.’’

‘‘अरे वो तो प्रतिभा के चाचा का घर है.’’ कृष्णा बोला.

‘‘हां, वही गुप्ताजी. मेरे पुराने जानकार हैं.’’ ऋषि ने कहा. कृष्णा हैरान था. तभी उस ने पूछा, ‘‘तब तो तुम यह भी जानते होगे कि गुप्ताजी के बड़े भाई मेरे ससुर हैं?’’

‘‘हांहां जानता हूं, प्रतिभा उन की ही तो बेटी है.’’ ऋषि ने लापरवाही से कहा.

‘‘लेकिन तुम ने यह बात मुझे पहले कभी नहीं बताई.’’ ऋषि ने पूछा.

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी.’’ ऋषि ने  कहा तो कृष्णा ने मुड़ कर प्रतिभा को देखा. शक का एक कीड़ा उस के दिमाग में घुस चुका था. उस ने सामने से जाते हुए ईरिक्शा को रोका और बसअड्डे पहुंच गया. रास्ते भर वह यही सोचता रहा कि यदि ऋषि का प्रतिभा के चाचा के घर आनाजाना था तो यह बात उस ने या प्रतिभा ने उसे क्यों नहीं बताई. उस के जेहन में यह बात भी खटकने लगी कि मां ने उसे एकदो बार बताया था कि ऋषि उस की गैरमौजूदगी में भी कई बार उस के घर आया था. यह बातें सोच कर वह काफी तनाव में आ गया. 

अभी तक तो वह यह समझ रहा था कि नईनई शादी होने की वजह से प्रतिभा को मायके वालों की याद आती होगी, इसलिए उस का मन नहीं लग रहा होगा, लेकिन अब उसे लगने लगा कि उस का जल्दीजल्दी मायके आने का कोई और ही मकसद है. इसी तनाव में वह घर पहुंचा तो मां ने छूटते ही कहा, ‘‘बेटा, तेरी बीवी के रंगढंग हमें समझ नहीं रहे. उस का रोजरोज मायके जाना ठीक नहीं है.’’ उस समय कृष्णा ने कुछ नहीं कहा, क्योंकि अभी उसे केवल शक ही था, जब तक वह मामले की तह तक नहीं पहुंचता तब तक घर में बता कर बेकार का फसाद फैलाना ठीक नहीं था.

हफ्ते भर बाद वह पत्नी को मायके से लिवा लाया. कुछ दिन बाद पता चला कि प्रतिभा गर्भवती है. पिता बनने की चाह में कृष्णा के मन की कड़वाहट पिघलने लगी. लेकिन उस ने अब ऋषि से घुलमिल कर बातें करनी बंद कर दीं. इधर ऋषि भी समझ गया था कि कृष्णा के तेवर कुछ बदले हुए से हैं, इसलिए वह भी सतर्क हो गया. शक का कीड़ा जो कृष्णा के दिमाग में रेंग रहा था, वह उसे चैन से नहीं रहने दे रहा था. वह अपनी परेशानी किसी को बता भी नहीं सकता था. एक दिन कृष्णा के बहनबहनोई घर आए तो बहनोई ने बातों ही बातों में कृष्णा से पूछा, ‘‘आजकल लगता है दुकान पर तुम्हारा मन नहीं लगता. क्या कोई परेशानी है?’’

‘‘नहीं जीजाजी, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल तबीयत कुछ ठीक नहीं है.’’ कृष्णा ने जवाब दिया.

‘‘लगता है, प्रतिभा तुम्हारा ठीक से खयाल नहीं रखती.’’ बहनोई ने पूछा तो कृष्णा की मां ने कह दिया, ‘‘अरे दामादजी, खयाल तो वो तब रखे जब उसे मायके आनेजाने से फुरसत मिले.’’ सास की बात प्रतिभा को अच्छी नहीं लगी. उस ने छूटते ही कहा, ‘‘इस घर में किसी को मेरी खुशी भी नहीं सुहाती.’’ कह कर वह दनदनाती हुई अपने कमरे में चली गई. इस से कृष्णा के बहनबइनोई समझ गए कि पतिपत्नी के संबंध सामान्य नहीं हैं. कृष्णा को पत्नी का यह व्यवहार बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा. बहनबहनोई तो चले गए, लेकिन कमरे में आने के बाद उस ने प्रतिभा को दो  तमाचे जड़ते हुए कहा, ‘‘अपना व्यवहार सुधारो वरना अच्छा नहीं होगा.’’

‘‘अब इस से ज्यादा बुरा क्या होगा कि तुम्हारे जैसे आदमी के साथ मेरी शादी हो गई.’’ कह कर प्रतिभा बैड पर जा कर बैठ गई. उस दिन के बाद उन दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. दूसरी ओर प्रतिभा रात में देरदेर तक ऋषि के साथ मोबाइल पर बातें करती. एक दिन कृष्णा की नींद खुल गई तो उस ने देखा कि प्रतिभा किसी से बातें कर रही थी. वह समझ गया कि ऋषि से ही बातें कर रही होगी. कृष्णा समझ गया कि प्रतिभा अब आपे से बाहर होती जा रही है. पर करे तो क्या करे, यह उस की समझ में नहीं आ रहा था. इसी बीच प्रतिभा ने एक बेटी को जन्म दिया. पूरे घर में जैसे खुशी छा गई. बच्ची का नाम राधिका रखा गया. कृष्णा को उम्मीद थी कि मां बन जाने के बाद शायद प्रतिभा के व्यवहार में कोई फर्क आ जाए, पर ऐसा हुआ नहीं. कृष्णा को इस बात की पुष्टि हो गई थी कि ऋषि के साथ प्रतिभा के नाजायज संबंध शादी से पहले से थे. चूंकि ऋषि शादीशुदा था, इसलिए उस के साथ शादी करना प्रतिभा की मजबूरी थी.

प्रतिभा के मांबाप को सब कुछ मालूम था, इसीलिए उन्होंने बेटी को कृष्णा के गले बांध दिया और सोचा कि शादी के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन प्रतिभा का रवैया नहीं बदला. कृष्णा अपनी बेटी को बहुत प्यार करता था. वह प्रतिभा को भी खुश रखने का भरसक प्रयास करता था लेकिन अपनी परेशानी घर में किसी को बता नहीं पा रहा था. जबकि प्रतिभा के व्यवहार से कोई भी खुश नहीं था. धीरेधीरे समय गुजर रहा था. मौका मिलते ही प्रतिभा चोरीछिपे ऋषि से यहांवहां मिल लेती पर वह जानती थी कि कृष्णा जैसे व्यक्ति के साथ वह पूरा जीवन नहीं गुजार सकती. दूसरी ओर ऋषि भी शादीशुदा था, उसे लगता था कि उस का जीवन कटी पतंग की तरह है. प्रेमी ने कभी उसे इस बात के लिए आश्वस्त नहीं किया कि वह उसे अपने साथ रख सकता है.

संभवत: इसी कशमकश में प्रतिभा भी समझ नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे. कृष्णा से छुटकारा पाने के बारे में वह सोचने लगी पर वह जानती थी कि मायके वाले भी ऋषि के कारण उस के खिलाफ थेइसी बीच कृष्णा ने 25 लाख रुपए में अपनी एक जमीन बेच दी. वह रकम उस ने घर में ही रख दी थी. यह बात प्रतिभा को पता चल गई थी और अचानक उसे लगा कि पति के इस पैसे से वह प्रेमी को बाध्य कर देगी कि वह उस के साथ अपनी दुनिया बसा ले. प्रेमी को पाने की धुन में वह गुनहगार बनने को भी तैयार हो गई. एक दिन उस ने ऋषि को फोन कर के कहा कि वह उसे बड़ा फायदा करा सकती है.

ऋषि हंसने लगा, ‘‘अरे तुम तो हमेशा ही मुझे खुशियां देती हो.’’ ‘‘लेकिन तुम तो मुझे केवल सपने ही दिखाते हो जो आंखें खुलते ही टूट जाते हैं.’’ प्रतिभा ने तल्ख स्वर में कहा. ‘‘प्रतिभा, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो कि मेरी मजबूरियां क्या हैं. मेरी पत्नी है, बच्चे हैं. मैं उन्हें किस के सहारे छोड़ सकता हूं.’’ ऋषि ने कहा. प्रतिभा गुस्से में भर उठी, ‘‘तो मुझ से प्यार क्यों किया? क्यों मुझे झूठे सपने दिखाए? तुम ने तो सिर्फ अपना मतलब पूरा किया है. तुम्हें तो कभी मुझ से प्यार था ही नहीं.’’ प्रतिभा ने उस दिन ऋषि को साफसाफ कह दिया, ‘‘या तो तुम मुझे अपने साथ रखो अन्यथा मैं तुम्हारी जिंदगी से दूर चली जाऊंगी. समझ लो मैं आत्महत्या भी कर सकती हूं, जिस का दोष तुम्हारे ऊपर आएगा.’’

ऋषि ऐसे किसी पचड़े में नहीं पड़ना चाहता था. अत: उस ने उस दिन प्रतिभा को किसी तरह समझाबुझा दिया कि वह कुछ सोचेगा. तभी प्रतिभा ने धीरे से कहा, ‘‘कृष्णा ने अपनी जमीन बेची है. 25 लाख की बिकी है.’’ ऋषि के कान खड़े हो गए. प्रतिभा ने आगे कहा, ‘‘इन 25 लाख के सहारे हम कहीं दूर जा कर अपनी दुनिया बसा सकते हैं.’’ ‘‘तुम पागल हो गई हो क्या, चोरी के इलजाम में जेल भिजवाओगी हमें.’’ ऋषि ने कहा. लेकिन वह जानता था कि प्रतिभा उस के प्यार में अंधी है और थोड़ाबहुत लाभ उसे हो सकता है. ऋषि ने उसे 2 दिन बाद किसी होटल में मिलने को कहा.

इस के बाद ऋषि को भी लालच गया. उस ने प्रतिभा से फोन पर बात की. प्रतिभा ने उस से साफ कह दिया, ‘‘मैं तो सिर्फ तुम्हारे साथ रहना चाहती हूं. लेकिन कृष्णा हमारी खुशियों की राह में रोड़ा बना हुआ है.’’ फिर एक दिन बेटी को डाक्टर को दिखाने का बहाना कर प्रतिभा घर से निकली और एक कौफीहाउस में ऋषि से मिली. दोनों ने मिल कर एक षडयंत्र रचा, जिस में कृष्णा को रास्ते से हटाने की बात तय कर ली गई. नादान प्रतिभा प्रेमी की आशिकी में अंधी हो चुकी थी. उसे भलाबुरा नहीं सूझ रहा था. उस ने यह भी नहीं सोचा कि उस की 9 माह की बेटी का क्या होगा. इधर प्रतिभा के बदले हुए तेवर देख कर एक दिन सास ने कहा, ‘‘बहू, क्या बात है आजकल तू हर वक्त घर से निकलने के बहाने ढूंढती रहती है?’’

‘‘नहीं तो मम्मी, ऐसी कोई बात नहीं है. राधिका की तबीयत ठीक नहीं रहती, इसलिए परेशान रहती हूं.’’ प्रतिभा ने बहाना बनाया.

‘‘देख बहू, हमारे परिवार का समाज में सम्मान है. हमारे परिवार में बहुएं सिर्फ घर के बच्चों और पति के लिए ही जीतीमरती हैं.’’ कह कर सास अपने कमरे में चली गई. कृष्णा को रास्ते से हटाने की योजना बन चुकी थी और 25 लाख रुपए में से 5 लाख रुपए देने का वादा कर ऋषि ने इस साजिश में अपने दोस्त पवन निवासी रायमा, जिला मथुरा को भी शामिल कर लिया था. 13 फरवरी, 2018 को कृष्णा के पास ऋषि का फोन आया. उस ने बताया कि उसे एक बहुत बड़ा ठेका मिला है. उस बिल्डिंग में स्टील ग्रिल भी लगनी है. अगर तुम यह काम करना चाहते हो तो बात करने के लिए रायमा जाओ. कृष्णा ने पहले तो सोचा कि वह उस से कोई संबंध नहीं रखना चाहता, क्योंकि वह विश्वास के काबिल नहीं है. पर फिर उसे लगा कि पारिवारिक बातों को व्यापार से अलग ही रखना चाहिए. अत: उस ने कह दिया कि वह शाम तक रायमा पहुंच जाएगा.

कृष्णा ने घर से निकलते वक्त अपनी मां को बता दिया कि एक सौदा करने के लिए वह रायमा जा रहा है. पति के घर से निकलने के बाद प्रतिभा ने अपने प्रेमी ऋषि को फोन कर के बता दिया कि कृष्णा घर से चल दिया है. घर में किसी को भी नहीं मालूम था कि कौन सा कहर टूटने वाला था. कृष्णा रायमा पहुंचा तो वहां ऋषि, पवन और रायमा निवासी टिल्लू बातों में उलझा कर कृष्णा को खेतों की ओर ले गए. लेकिन तभी वहां कुछ लोग गए और वे अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सके. जब रात में कृष्णा घर पहुंचा तो उसे देख कर प्रतिभा हैरान रह गई. देर रात को प्रतिभा ने ऋषि को फोन किया तो उस ने प्रेमिका को सारी बात बता दी. अगले दिन ऋषि ने कृष्णा के फोन पर बता दिया कि उस की पवन से बात हो गई है. वह अब अपने घर में रेलिंग लगाने का ठेका देने को तैयार हो गया है, तुम जाओ.

सीधासादा कृष्णा बिना कुछ सोचेसमझे 14 फरवरी, 2018 को अपनी मां से रायमा जाने की बात कह कर घर से निकल गया, जहां स्टेशन पर ही उसे ऋषि मिल गया. ऋषि उसे बातों में लगा कर इधरउधर घुमाता रहा. तब तक शाम हो गई. तभी पवन का फोन गया. उस के कहे मुताबिक, ऋषि कृष्णा को खेतों की तरफ ले गया. तब तक अंधेरा होने लगा था. तभी वहां उसे पवन दिखाई दिया, जिस ने इशारा कर के उन्हें सड़क पार कर खेत में आने को कहा. कृष्णा को जब तक कुछ समझ में आता तब तक काफी देर हो चुकी थी. वहीं टिल्लू भी आ गया तो कृष्णा ने कहा, ‘‘अगर तुम्हें सौदा मंजूर है तो अब जल्दी से कुछ एडवांस दे दो. रात भी हो रही है, मुझे घर पहुंचना है. प्रतिभा इंतजार कर रही होगी.’’

यह सुनते ही पवन हंसने लगा, ‘‘ओह क्या सचमुच तेरी बीवी तेरा इंतजार करती है. हमें तो यह पता है कि वह ऋषि का इंतजार करती है.’’ कृष्णा की समझ में अब कुछकुछ आने लगा था. उस ने कहा, ‘‘यह क्या बदतमीजी है, जल्दी करो मुझे जाना है.’’ यह कहते हुए वह अपनी बाइक की तरफ बढ़ा लेकिन तीनों झपट कर उसे खेत के अंदर ले गए और डंडों से उस की पिटाई शुरू कर दी. डंडों से पीटपीट कर उन्होंने उस की हत्या कर लाश वहीं छोड़ दी और चले गए.

इधर कृष्णा घर नहीं पहुंचा था. घर से जाने के बाद उस ने कोई फोन भी नहीं किया था. उस का फोन भी स्विच्ड औफ रहा था. सभी रिश्तेदारों को फोन कर पूछ लिया गया, पर वह कहीं नहीं था. अंतत: आगरा के थाना सदर में उस की गुमशुदगी लिखवा दी गई. प्रतिभा के मायके वालों को फोन किया गया तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि ऋषि से पूछताछ करें. थानाप्रभारी नरेंद्र सिंह ने सभी थानों को वायरलैस द्वारा कृष्णा की गुमशुदगी की सूचना दे दी

16 फरवरी को पुलिस को रायमा के खेत में एक लाश मिलने की सूचना मिली, जिसे कृष्णा के भाई अवनीश ने पहचान कर शिनाख्त कर दी. घर वालों से पूछताछ की गई तो कृष्णा की मां ने कहा कि कृष्णा ने उसे बताया था कि रेलिंग का ठेका लेने के लिए वह रायमा जा रहा है. पर वह कहां जा रहा था, उसे पता नहीं था. 13 और 14 फरवरी को भी वह रायमा गया था. 13 को वह देर रात घर लौटा था. वह नहीं बता पाई कि कृष्णा रायमा में किस के पास गया था. पुलिस टीम हत्यारे की खोजबीन में लग गई. पुलिस की एक टीम बेवर भेजी गई तो प्रतिभा के भाई ने कहा कि उन्हें इस बारे में कुछ भी नहीं पता, लेकिन यदि कृष्णा के दोस्त ऋषि से पूछताछ की जाए तो कुछ पता चल सकता है. जांच अधिकारी ने महसूस किया कि प्रतिभा के मायके वाले कुछ छिपा रहे हैं.

इस के बाद थानाप्रभारी ने कृष्णा के घर जा कर प्रतिभा से पूछताछ की तो महसूस किया कि उसे पति की मौत का जैसे कोई दुख नहीं था. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने बताया कि ऋषि की दोस्ती रायमा निवासी पवन के साथ है. अगर उसे हिरासत में लिया जाए तो केस खुल सकता है. पुलिस ने रायमा में पवन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. उस से पूछताछ की गई तो पता चला कि मृतक की पत्नी प्रतिभा के साथ ऋषि के नाजायज संबंध थे. मृतक की पत्नी प्रतिभा ने ऋषि को बता दिया था कि कृष्णा ने जो 25 लाख रुपए की जमीन बेची है, उन पैसों से वे एक अच्छी जिंदगी की बुनियाद रख सकते हैं. इस के बाद पवन ने कृष्णा की हत्या की सारी कहानी बता दी.

पुलिस ने 18 फरवरी को प्रतिभा को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस बीच पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि ऋषि ने बाह थाने में अपने अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिस में उस ने बताया था कि वह किसी तरह अपहर्त्ताओं के चंगुल से छूट कर भागा है. मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने ऋषि और टिल्लू को भी गिरफ्तार कर लिया. प्रतिभा ने योजना बना कर अपने हाथों अपना सुहाग तो उजाड़ दिया, लेकिन उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिन 25 लाख रुपयों के लालच में उस ने यह सब किया, वह रकम कृष्णा ने अपने कमरे में न रख कर अपनी मां के पास रख दी थी.

पुलिस ने ऋषि, प्रतिभा, पवन और टिल्लू से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. 9 माह की राधिका अनाथ हो चुकी है. मां जेल में है और पिता की हत्या कर दी गई है. बूढ़ी दादी अब कैसे उसे पाल पाएगी, यह बड़ा सवाल है.

इस फोटो का इस घटना से कोई संबंध नहीं है, यह एक काल्पनिक फोटो है

प्रैगनेंट बुआ का कत्ल क्यों किया भतीजे ने

प्यार के नाम पर कमलजीत और अमिता ने रिश्तों को तारतार कर के जो संबंध बनाए थे, उन्हें घातक साबित होना ही था. इस मामले में अमिता तो जान से गई ही, कमलजीत को भी जेल जाना पड़ा. निर्णय क्या होगा, यह वक्त बताएगा.   

त्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के थाना रेहड़ के अंतर्गत एक गांव है लालबाग. गुरदास इसी गांव में अपने परिवार के साथ रहते थे. पतिपत्नी और 2 बच्चे, यही उन का छोटा सा घरसंसार था. खेतीबाड़ी काफी थी, जिस से उन के परिवार की गाड़ी बड़े आराम से चल रही थी. उन के यहां ऐशोआराम की हर चीज मौजूद थी. परिवार को खुश रखने के लिए वह कड़ी मेहनत करते थे. गुरदास के दोनों बच्चों में अमिता सब से बड़ी थी. वह पिता की आंखों का तारा थी तो बेटा बुढ़ापे की लाठी. अपने बच्चों पर वह बहुत गर्व करते थेबेटी के प्रति अटूट ममता को देख कर कभीकभी पत्नी सुखविंदर कौर पति से दिल्लगी कर बैठती थी कि बेटी तो पराई अमानत होती है. बेटी जब अपनी ससुराल चली जाएगी, तब उस के बिना कैसे रहोगे?

इस पर गुरदास पत्नी को टका सा जवाब दे देते, ‘‘तब की तब देखी जाएगी. नहीं होगा तो दामाद को घरजंवाई बना कर अपने पास रख लेंगे. तब तो मेरी बेटी मेरी आंखों के सामने रहेगी. आखिरकार दामाद भी तो बेटे जैसा होता है. जैसे मेरा एक बेटा वैसे दामाद दूसरा बेटा.’  पति का टका सा जवाब सुन कर सुखविंदर कौर खामोश हो जाती. 21 दिसंबर, 2017 की बात है. गुरदास किसी काम से सुबहसुबह ही निकल गए थे. सुबह के 9-10 बजे के करीब अमिता मां से कुछ देर में वापस लौट कर आने की बात कह कर कहीं चली गई. घर से निकलते वक्त उस ने मां को ये नहीं बताया कि वह कहां और किस काम से जा रही है. बस इतना ही कहा कि थोड़ी देर में वापस लौट आऊंगी. 

थोड़ी देर में लौट आने की बात कह कर घर से निकली अमिता को करीब 3 घंटे बीत गए थे. इतनी देर बाद भी वह घर नहीं लौटी थी. मां सुखविंदर कौर को चिंता सताने लगी कि थोड़ी देर में लौट कर आने को कह कर गई अमिता 3 घंटे बाद भी लौटी क्यों नहीं. सुखविंदर ने अमिता का मोबाइल नंबर मिलाया पर वह स्विच्ड औफ मिला. सुखविंदर ने कई बार फोन लगाने की कोशिश की लेकिन फोन हर बार बंद ही मिला. उस का फोन बारबार स्विच्ड औफ बता रहा था. इस से सुखविंदर अमिता को ले कर जहां चिंतित हो रही थी, वहीं दूसरी ओर उसे उस पर गुस्सा भी रहा था कि कम से कम घर पर फोन तो कर सकती थी. उस दिन अमिता स्कूल भी नहीं गई थी. स्कूल का बैग उस के कमरे की मेज पर वैसे ही पड़ा था, जैसे उसे रख कर गई थी.

अमिता का कुछ पता नहीं चला तो परेशान हो कर सुखविंदर ने पति को फोन कर के बेटी के वापस लौटने की सूचना दे दी. अमिता 17 साल की थी. उस के गायब होने से घर वालों की चिंता बढ़नी स्वाभाविक थी. पत्नी के मुंह से बेटी के गायब होने की खबर सुन कर गुरदास के हाथपांव फूल गए. वह बुरी तरह घबरा गए और कुछ ही देर में घर लौट आए. इधर सुखविंदर ने अपने बड़े बेटे गुलजार के बेटे यानी पोते कमलजीत को अमिता का पता लगाने के लिए गांव में भेजा. करीब एक घंटे में वह सारा गांव छान कर लौट आया लेकिन अमिता का कहीं पता नहीं लगा

धीरेधीरे दिन ढल रहा था. शाम हो गई लेकिन अमिता अब तक घर नहीं लौटी थी. बेटी के रहस्यमय तरीके से गायब होने से घर ही नहीं, गांव में भी कोहराम मच गया था. गुरदास और सुखविंदर का रोरो कर बुरा हाल था. वे समझ नहीं पा रहे थे कि क्या करें. काफी सोचविचार करने के बाद गुरदास बेटी की गुमशुदगी दर्ज कराने के लिए अपने पोते कमलजीत और गांव वालों के साथ रात 8 बजे थाना रेहड़ पहुंच गए. थानाप्रभारी सुभाष सिंह थाने में मौजूद थे. गुरदास ने थानाप्रभारी को अपनी 17 वर्षीय बेटी अमिता के गायब होने की बात बताई. उन्होंने अमिता की गुमशुदगी दर्ज करने के बाद उन्हें घर भेज दिया.

अगले दिन यानी 22 दिसंबर, 2017 की सुबह थानाप्रभारी को मुखबिर ने सूचना दी कि जिम कार्बेट नैशनल पार्क बौर्डर के पास एक युवती की लाश पड़ी है. लाश पाए जाने की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ जिम कार्बेट नैशनल पार्क की तरफ रवाना हो गए. वहां पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो ऐसा लगा जैसे युवती ने कोई जहरीला पदार्थ खा कर अपनी जान दी हो क्योंकि उस का पूरा शरीर नीला पड़ा हुआ था. ऐसा तभी होता है जब कोई जहरीले पदार्थ का सेवन करता है. इस के अलावा सरसरी तौर पर उस के शरीर पर चोट का भी कोई निशान नजर नहीं आ रहा था. देखने से युवती किसी भले घर की लग रही थी. तभी थानाप्रभारी को याद आया कि बीती रात लालबाग के रहने वाले गुरदास अपनी बेटी की गुमशुदगी लिखाने आए थे. उन्होंने अपनी बेटी का जो हुलिया बताया था, वह मृतका से काफी मेल खा रहा था.

लाश की शिनाख्त के लिए उन्होंने एक सिपाही को भेज कर गुरदास को साथ लाने को कहा. सिपाही के साथ गुरदास घर और गांव के कुछ लोगों के साथ मौके पर पहुंच गए. युवती की लाश देखते ही वे फफकफफक कर रोने लगे. उन्हें रोता देख पुलिस को यह समझते देर नहीं लगी कि मृतका उन की ही बेटी है. थोड़ी देर बाद जब गुरदास शांत हुए तो पुलिस ने उन से अमिता द्वारा खुदकुशी किए जाने के बारे में सवाल पूछे कि आखिर अमिता के साथ ऐसा क्या हुआ था कि उस ने इतना बड़ा कदम उठाया. यह सुन कर गुरदास सकते में गए. वह खुद ही नहीं समझ पा रहे थे कि अमिता ने आत्महत्या क्यों की? इसलिए वह थानाप्रभारी के सवाल पर सुबकने लगे.

पुलिस ने उस समय गुरदास से ज्यादा पूछताछ कर के मौके की काररवाई निपटाई और लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. अब पुलिस की निगाह पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर कर टिक गई थी कि रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि अमिता की मृत्यु कैसे हुई? 2 दिनों बाद अमिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी गई. रिपोर्ट पढ़ कर थानाप्रभारी सुभाष सिंह चौंक गए. क्योंकि पोस्टमार्टम में बताया गया था कि अमिता 4 माह की गर्भवती थी और जहर खाने के साथसाथ किसी चौड़े दुपट्टे या शौल से उस का गला घोंटा गया था.  पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने पूरी कहानी ही उलटपलट कर रख दी थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद घटना शीशे की तरह साफ हो गई थी. पूरा मामला प्रेमप्रसंग का नजर आने लगा. अब पुलिस को इस में 2 ही वजह दिखाई देने लगीं. पहली तो यह कि या तो उस के प्रेमी ने छुटकारा पाने के लिए उस की हत्या कर दी थी या फिर उस के घर वालों ने सामाजिक लोकलाज के चलते हत्या कर के लाश ठिकाने लगा दी थी

यह मामला काफी पेचीदा हो गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद थानाप्रभारी ने गुरदास को थाने बुलवाया और उन से अमिता के प्रैगनेंट होने की बात बताई तो यह बात सुनते ही उन के पैरों तले से जमीन ही खिसक गई. गुरदास को अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि थानाप्रभारी ने जो उन से कहा है, वह सच है? वह तो यह सोचसोच कर हैरानपरेशान हो रहे थे कि जब लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे. फिर समाज में वह अपना मुंह कैसे दिखाएंगे? पुलिस ने उन से यह बात भी पूछी कि क्या अमिता का किसी से चक्कर चल रहा था? पर वह कुछ भी बताने में असमर्थ रहे. अमिता हत्याकांड की गुत्थी उलझ कर रह गई थी. धीरेधीरे 4 दिन बीत गए. कोई ऐसी कड़ी पुलिस के हाथ नहीं लग रही थी जिस से वह हत्यारों तक पहुंच पाती. पुलिस ने अमिता के फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस में भी कोई ऐसा संदिग्ध नंबर नहीं मिला, जिसे संदेह के घेरे में लिया जा सके.

गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने मुखबिर लगा दिए. इधर घर वाले भी इस बात से काफी परेशान रहने लगे कि आखिर अमिता के पेट में किस का बच्चा पल रहा था. उस का प्रेमी कौन था? पुलिस विवेचना कर रही थी तो उधर घर वाले भी अमिता के प्रेमी की जानकारी के लिए जुट गए. पता नहीं क्यों गुरदास का पोता कमलजीत कुछ परेशान सा रहने लगा था. उस के बातव्यवहार में भी अचानक से परिवर्तत गया था. बेटे की परेशानी देख उस के पिता गुलजार ने कमलजीत से बात की और पूछा कि आखिर वह इतना परेशान क्यों है? इस से पहले तो उसे इतना परेशान कभी नहीं देखा था. आखिर क्या बात हो सकती है, जो वह इतना परेशान है

उधर मुखबिर ने पुलिस को कमलजीत के संदिग्ध चरित्र के बारे में बता दिया था. मुखबिर ने पुलिस को यह भी बताया था कि घटना वाले दिन सुबह के समय कमलजीत को अमिता के साथ जिम कार्बेट नैशनल पार्क की तरफ जाते देखा गया था. मुखबिर की दी गई खबर पक्की थी. पुलिस ने इस की पड़ताल की तो बात सच निकली. सचमुच कमलजीत अमिता के साथ जिम कार्बेट नैशनल पार्क की तरफ जाते देखा गया था. इस के बाद पुलिस बिना समय गंवाए लालबाग पहुंच गई. कमलजीत घर पर ही मिल गया. वह घर छोड़ कर कहीं भागने की फिराक में था. पुलिस को देखते ही उस के मंसूबे पर पानी फिर गया. पुलिस ने कमलजीत को हिरासत में ले लिया और थाने लौट आई. थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सारी बातें बता दीं. उस ने कहा, ‘हां सर, मैं ने ही अपनी बुआ को मारा है. मैं करता भी क्या? मेरे पास अपने बचाव का कोई दूसरा रास्ता भी नहीं बचा था. वह मुझ पर शादी करने के लिए दबाव बना रही थी. उस से छुटकारा पाने के लिए मजबूरन मुझे ये कदम उठाना पड़ा.’’ 

कमलजीत से पूछताछ के बाद अमिता की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह रिश्तों को तारतार करने वाली निकली. अमिता और कमलजीत एकदूसरे से रिश्तों के जिन पवित्र धागों से बंधे थे, वहां कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था कि बुआ और भतीजा यानी मांबेटे जैसे पवित्र रिश्ते की आड़ में समाज की मानमर्यादा को ताख पर रख कर इश्क के दरिया में डूबा जा सकता है. 22 वर्षीय कमलजीत गुरदास का एकलौता पौत्र था. गुरदास उसे बहुत प्यार करते थे. एक तरह से कमलजीत उन के दिल का टुकड़ा था. उन का संयुक्त परिवार था. एक ही छत के नीचे सारा परिवार हंसीखुशी से रहता था. उन की एकता की मिशाल की सारे गांव में चर्चा थी.

कमलजीत था तो दुबलापतला, लेकिन था बेहद फुरतीला और स्मार्ट. यही नहीं वह मजाकिया किस्म का भी था. बच्चों से ले कर बड़ेबूढ़ों के बीच बैठ अकसर वह गप्पें लड़ाया करता था. उस की गप्पें सुन कर सभी हंसतेहंसते लोटपोट हो जाया करते थे. अमिता, कमलजीत की सगी बुआ थी. उन के बीच 4-5 साल का अंतर था. अमिता 17 साल की थी तो वहीं कमलजीत 22 साल का था. अमिता बेहद खूबसूरत थी. कमलजीत मन ही मन अमिता को चाहने लगा. एक दिन की बात है. अमिता, आंगन में बैठी अधखुले तन से नहा रही थी. उस ने बरामदे के दरवाजे को ऐसे ही भिड़ा दिया था. अकसर वो ऐसे ही बेपरवाह हो कर नहाया करती थी. यह सोच कर उस पर सिटकनी नहीं चढ़ाई थी कि झट से नहा कर उठ जाएगी. वैसे भी उस वक्त घर के सारे पुरुष बाहर दरवाजे पर बैठे थे.

उसी समय कमलजीत अचानक किसी काम से आया और बरामदे का दरवाजा खोल कर धड़धड़ाता हुआ आंगन में दाखिल हो गया. अमिता उसे देख कर हड़बड़ा गई और गीले कपड़ों से जल्दीजल्दी अपने तन को ढकने की कोशिश करने लगी. तब तक कमलजीत की नजरें अमिता के बदन से टकरा चुकी थीं. उसे उस हालत में देख कर कमलजीत का मन बेचैन और बेकाबू हो गया. उस समय उस ने खुद पर जैसेतैसे काबू पाया, लेकिन इस के बाद से वह अमिता बुआ के जिस्म को पाने के लिए मचल उठा. अमिता को पाने के लिए उस ने धीरेधीरे उस के चारों तरफ इश्क का जाल बिछा कर प्यार का दाना डालना शुरू कर दिया. कमलजीत का प्यार तो एक छलावा था. उस का एकमात्र उद्देश्य जिस्म की भूख थी. इस के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था. अमिता अपने भतीजे कमलजीत के नापाक और घिनौने इरादों से एकदम अंजान थीं.

योजना के मुताबिक, अमिता के दिल में जगह बनाने के लिए कमलजीत उस के पास ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगा. उस की छोटी से छोटी बातों का खयाल रखने लगाये देख कर अमित कमलजीत से काफी प्रभावित रहने लगी. कमलजीत जिस आशिकाना नजरों से उसे देखता था, अमिता को समझते देर नहीं लगी कि वह दीवानों वाला प्यार करने लगा है. अमिता उम्र के जिस दौर से गुजर रही थी, उस उम्र में अकसर लड़केलड़कियों के पांव फिसल जाया करते हैं. अमिता के भी पांव भतीजे के इश्क में फिसल गए. वह भी उसे उसी आशिकाना अंदाज से देखने लगी थी, जैसा कमलजीत उसे अपलक निहारता रहता था. धीरेधीरे दोनों में प्यार हो गया और मौका देख कर उन्होंने अपने प्यार का इजहार भी कर दिया.

चूंकि, अमिता और कमलजीत एक ही छत के नीचे रहते थे इसलिए घर के किसी भी सदस्य को उन के नापाक रिश्तों की भनक नहीं लगी और ही उन पर किसी ने कोई शक किया. उन्हें जो भी बातें करनी होती थीं घर वालों से नजरें बचा कर कर लेते थे. कमलजीत अमिता का पहलापहला प्यार था. वह उसे समुद्र की गहराइयों से भी ज्यादा चाहने लगी थी. प्यार में बंधे दोनों यह तक भूल गए कि उन के बीच रिश्ता क्या है? जब उन के प्यार का राजफाश होगा तो समाज के लोग उन के बारे में क्या सोचेंगे? उन की कितनी जगहंसाई होगी. इस का दोनों को तनिक भी खयाल नहीं हुआ. यह बात सन 2016 की है.

कमलजीत के प्यार का जादू अमिता के सिर चढ़ कर बोल रहा था. उसे कमलजीत के सिवाय कुछ नजर नहीं रहा था. कमलजीत भी इसी दिन के इंतजार में कब से बेताब बैठा था. अमिता भतीजे के बिछाए इश्क के जाल में अच्छी तरह से फंस चुकी थी. बेहद भोलीभाली और सीधीसादी अमिता लोमड़ी से भी अधिक चालाक और शातिर भतीजे कमलजीत के रचे चक्रव्यूह को समझ नहीं पाई और अपनी आबरू लुटा बैठी. प्यार के अंधे कुआं में डूबी अमिता कमलजीत के बांहों में गिरी. उन के बीच के सारे फासले, सारे रिश्ते पल भर में सिमट कर रह गए. दोनों एक जिस्मानी रिश्ते में समा गए. एक बार जो मिलन का खेल शुरू हुआ तो सिलसिला बन गया.

जिस का परिणाम यह हुआ कि अमिता के पांव भारी हो गए. जब उस के गर्भ में कमलजीत का 4 माह का पाप पांव पसारने लगा तो अमिता को अहसास हुआ कि वह कितनी बड़ी गलती कर बैठी थी. जब मांबाप इस हालात के लिए उस से पूछेंगे तो वह क्या जवाब देगी. ये सोचसोच कर उस की रातों की नींद और दिन का चैन लुट चुका था. हर घड़ी वह परेशानी की मौत मरती रही. उस की समझ में यह नहीं आ रहा था कि क्या करे? किसे अपने मन का हाल सुना कर जी हलका करे. जब कुछ समझ में नहीं आया तो उस ने कमलजीत से बात की कि वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है. जल्द से जल्द कोई उपाय करे नहीं तो समाज में जीना मुश्किल हो जाएगा.

अमिता के मुंह से ये सुनते ही कमलजीत के होश उड़ गए. घबराहट के मारे पसीना छूटने लगा. उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो. उस के सिर से अमिता के इश्क का सारा भूत उतर गया. उस ने अमिता को समझाया कि उसे सोचने के लिए थोड़ा मौका दे. जल्द से जल्द कोई कोई उपाय निकाल लेगा. उधर अमिता उस पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी. शादी का नाम सुन कर कमलजीत बुरी तरह घबरा गया. वह सोचने लगा कि लोग उस के बारे में क्या सोचेंगे की बुआभतीजे के रिश्ते को तारतार कर दिया. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा. कमलजीत ने शादी के लिए इनकार करते हुए कहा कि ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि रिश्ते में हम बुआभतीजे लगते हैं. दुनिया क्या कहेगी? समाज हम पर थूकेगा.

इस पर अमिता ने कहा, ‘‘तुम ने उस समय यह बात क्यों नहीं सोची थी. अब मामला बिगड़ गया तो दुनियादारी याद आ रही है. मैं कुछ नहीं जानती. तुम्हें मुझ से शादी करनी ही होगी.’  काफी सोचनेविचारने के बाद कमलजीत ने कहा, ‘‘मेरे दिमाग में एक आइडिया आया है. इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए हम दोनों खुदकुशी कर लेते हैं. तब तो हम पर कोई अंगुली नहीं उठाएगा.’’ कमलजीत का यह आइडिया अमिता को पसंद आ गया. इस के बाद दोनों ने सुसाइड करने का प्लान बना लिया. प्लान के मुताबिक कमलजीत 20 दिसंबर, 2017 को बाजार से एक घातक कीटनाशक दवा खरीद लाया. 

अगले दिन वह बहलाफुसला कर अमिता को घर से बाहर जिम कार्बेट नैशनल पार्क ले गया. दोनों को पार्क की ओर जाते हुए मोहल्ले के कई लोगों ने देखा था. पार्क पहुंच कर सामने मौत देख कर कमलजीत की रूह कांप उठी. उस ने मरने का अपना फैसला बदल दिया. बडे़ शातिराना अंदाज में उस ने अमिता से कहा, ‘‘तुम पहले जहर खा लो, फिर मैं खा लूंगा.’’ भतीजे की बातों पर यकीन कर के अमिता ने पहले जहर खा लिया. उस के बाद उस ने अपने प्रेमी कमलजीत से भी जहर खाने को कहा तो उस ने फिल्मी खलनायकों के अंदाज में हंसते हुए अमिता की तरफ घूर कर देखा और कहा, ‘‘मेरी प्यारी बुआ, तुम अभी भी मेरी फितरत को नहीं समझ पाई. तुम्हें पता नहीं कि तुम से पीछा छुड़ाने के लिए मैं ने यह कदम उठाया था. तुम तो मर जाओगी, लेकिन मैं… मैं अभी मरना नहीं चाहता.’’

जहर ने अमिता पर अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. अमिता का शरीर ढीला पड़ने लगा. तभी कमलजीत ने उस के गले में लिपटे दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया. अमिता कटे वृक्ष की तरह जमीन पर धड़ाम से जा गिरी. कमलजीत ने उसे हिलाडुला कर देखा. वह मर चुकी थी. उस के बाद कमलजीत लाश को वहीं ठिकाने लगा कर इत्मीनान से घर लौट आया. जिस चालाकी और सफाई से कमलजीत ने अपना काम किया था. उसे ऐसा लगा था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी. लेकिन अपराध कभी छिपता नहीं है. आखिरकार अपराधी को उन्हें जेल की सलाखों के पीछे पहुंचना ही होता है. कमलजीत के साथ भी यही हुआ. उस से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

 — कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

इस फोटो का इस घटना से कोई संबंध नहीं है, यह एक काल्पनिक फोटो है

L01, 501 कोड में छिपी मर्डर मिस्ट्री

मुंबई में ट्रेन से कट कर सुसाइड करने वाले 24 वर्षीय वैभव बुरेंगलु की जेब से मिली परची पर एक कोड लिखा था. उस कोड की जांच की गई तो उस के पीछे छिपी एक 19 वर्षीय युवती वैष्णवी की ऐसी मर्डर मिस्ट्री सामने आई कि…

शाम का वक्त था. मुंबई के जुई नगर रेलवे स्टेशन पर काफी चहलपहल थी. ट्रेनें आतीं, रुकतीं और सवारियां उतरतींचढ़तीं फिर ट्रेन आगे बढ़ जाती. उसी क्रमानुसार जैसे ही रेलवे ट्रैक पर एक लोकल ट्रेन आती दिखाई दी, यात्रियों में हलचल बढ़ गई थी. उस वक्त अधिकांश यात्रियों की निगाहें आती टे्रन पर ही जमी हुई थीं. 

जैसे ही टे्रन प्लेटफार्म पर आ कर रुकी, यात्री उस में चढऩेउतरने के लिए आपाधापी करने लगे थे. तभी उसी भीड़ में से निकल कर एक युवक रेलवे ट्रैक की तरफ बढ़ गया था. जैसे ही ट्रेन प्लेटफार्म से आगे बढ़ी, उस युवक ने चलती टे्रन के आगे छलांग लगा दी. उस के बाद टे्रन आगे बढ़ गई. 

कुछ देर पहले तक जो युवक जिंदा था, अब रेलवे ट्रैक पर उस का शव ही पड़ा था. उस के बाद रेल के पायलट ने इस दुर्घटना की सूचना रेलवे स्टेशन अधिकारी गजेंद्र सिंह को दी.

थोड़ी देर बाद ही घटनास्थल पर रेलवे पुलिस पहुंची और अपनी काररवाई कर इस की सूचना जुई नगर थाने को दी. उस के तुरंत बाद ही वहां पर काफी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई थी. लेकिन लोगों की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि युवक ने इस तरह रेल के आगे कूद कर आत्महत्या क्यों की थी. 

पुलिस ने उस युवक की तलाशी ली तो उस की जेब से कुछ पेपरों के साथ कुछ रुपए और एक मोबाइल फोन मिला. उन पेपरों से उस युवक की शिनाख्त भी हो गई थी. मृतक युवक का नाम वैभव बुरुंगले था और वह कलंबोली का रहने वाला था. 

रेलवे स्टेशन अधिकारी गजेंद्र सिंह ने तुरंत ही एक एंबुलेंस को बुलाया, फिर पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश को हौस्पिटल पहुंचाया. चूंकि युवक ने चलती टे्रन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी, इसी कारण जीआरपी पुलिस ने वैभव बुरुंगले की मौत के मामले में आत्महत्या का केस दर्ज कर लिया था. यह बात 12 दिसंबर, 2023 की है.

 

पुलिस भी उलझ गई L01, 501 कोड में

मुंबई पुलिस ने उस युवक की जांचपड़ताल की तो उस की जेब से एक परची मिली, जिस पर डेथ डेट और डेथ कोड L01, 501 लिखा हुआ था. उस परची को देख कर पुलिस को लगा कि यह उस का कोई पर्सनल पेपर रहा होगा. उस के बावजूद भी पुलिस ने उस पेपर को संभाल कर रख लिया था. पुलिस ने उस के मोबाइल को औन करने की कोशिश की तो वह खुल गया. युवक ने अपने मोबाइल को आम लोगों की तरह लौक कर के नहीं रखा था. 

पुलिस ने उस मोबाइल से कुछ जानकारी जुटाने के लिए उस की फाइलों को खोल कर देखा तो उस में 2 पेज का एक सुसाइड नोट भी मिला. उस ने पहली 2 लाइनों में अंगरेजी में लिखा था, ÒVaibhav 1998, Vaishnavi 2005. Death reason, Finally we got married in 2023 and we both died accidentally together at the year of 2023. Saddest death ever in history I kill my love and then I finished myself.इस से यह तो साबित हो ही गया था कि यह किसी युवती को प्रेम करता था. युवक ने अपनी प्रेमिका की हत्या करने के बाद ही टे्रन के आगे कूद कर आत्महत्या की थी. लेकिन वह युवती कौन थी और उस ने उस की हत्या कहां पर की थी, यह पुलिस के लिए एक बहुत ही बड़ा सिरदर्द बन कर रह गया था. 

पुलिस समझ नहीं पा रही थी कि इस मर्डर मिस्ट्री को किस तरह से हल किया जाए. पुलिस इस L01, 501 कोड वर्ड को ले कर कशमकश में उलझ गई.

उसी दौरान पुलिस को जानकारी मिली कि 12 दिसंबर, 2023 की शाम को ही खारघर थाने में अरुणा नाम की एक महिला ने अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. अरुणा ने पुलिस को तहरीर देते हुए बताया था कि उस की बेटी वैष्णवी एसआईईएस कालेज की डेटा साइंस की छात्रा थी. वह 12 दिसंबर की सुबह 10 बजे सायन से निकली थी, लेकिन घर वापस नहीं लौटी. 

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने खारघर पहुंच कर उस की मां अरुणा से उस के बारे में अधिक जानकारी जुटाई. अरुणा से पूछताछ के दौरान जो जानकारी मिली थी, उस से यह तो पता चल गया था कि मृतक वैभव और गायब युवती वैष्णवी दोनों ही एक साथ पढ़ते थे. 

वैभव ने अपने सुसाइड नोट में उसी वैष्णवी का जिक्र किया था. उस के सुसाइड नोट से यह तो साफ हो गया था कि उस ने पहले वैष्णवी की हत्या की, फिर उस ने रेल के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. लेकिन युवक ने अपनी प्रेमिका वैष्णवी की हत्या कहां पर की थी, उस सुसाइड नोट में कुछ भी नहीं लिखा था.

इस जानकारी के मिलते ही पुलिस ने खारघर, कलबोली और वाशी रूट तक हर जगह वैष्णवी को खंगाला. लेकिन कहीं भी वह न मिली. उस के बाद पुलिस ने स्टेशन पर लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाला, लेकिन पुलिस को इस मामले में कोई भी सफलता नहीं मिली. पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए हरसंभव स्थान पर लोगों से पूछताछ की, पर कहीं से भी कोई जानकारी नहीं मिली. 

वैभव ने आत्महत्या करने से पहले पुलिस के लिए एक कोड वर्ड छोड़ा था, जिस से यह तो तय था कि वैष्णवी के गायब होने में वही कारगर साबित हो सकता है. लेकिन काफी माथापच्ची करने के बाद भी पुलिस कुछ समझ नहीं पा रही थी कि आखिर उस कोड वर्ड का मतलब क्या है. 

उसी दौरान पुलिस के सामने बौलीवुड फिल्म धमालका एक दृश्य दौडऩे लगा था. जिस में प्रेम चोपड़ा मरने से पहले गोवा में एक शब्द डब्लूके निशान के नीचे एक करोड़ रुपए के खजाने के दबे होने का जिक्र करता है.

 

 

प्रेम चोपड़ा ने उस फिल्म में एक डायलौग भी बोला था कि मरने वाला व्यक्ति कभी झूठ नहीं बोलता. लेकिन उस फिल्म और इस केस में अंतर था. इस में वैभव ने जो कोड वर्ड दिया था, उस के नीचे वैष्णवी की लाश दबी हुई थी. वैभव के इस कोड को ले कर मुंबई पुलिस कई दिनों तक यूं ही इधरउधर भटकती रही. लेकिन इस कोड वर्ड की कहीं से भी जानकरी नहीं मिल सकी. 

पुलिस को पहले तो लगा कि कहीं युवक ने पुलिस को यूं ही घुमाने के लिए तो कोड वर्ड नहीं लिखा था. आशंका यह भी लग रही थी कि कहीं वैष्णवी जिंदा तो नहीं. मगर दूसरी ओर यह भी शंका थी कि वैष्णवी अगर जिंदा होती तो अब तक उसे अपने घर वापस आ जाना चाहिए था. 

जब मुंबई पुलिस इस मामले में हर तरफ से हार चुकी तो उस के सामने बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ कि अखिरकार इतने घने पहाड़ों और जंगलों में वैष्णवी को कैसे खोजा जाए. उस के बाद भी पुलिस ने इस मामले में दमकल कर्मियों से ले कर डौग स्क्वायड, बीएमसी की सर्च टीम, प्राइवेट रेस्क्यू टीम, सिडको (सिटी ऐंड इंडस्ट्रियल डेलवपमेंट कारपोरेशन औफ महाराष्ट्र लिमिटेड) की टीम व पुलिस की सर्च टीम को वैष्णवी की खोज में लगाया, लेकिन कहीं से भी उस का अतापता नहीं चल सका. 

तब पुलिस ने खारघर की पहाड़ी और जंगलों में सर्च औपरेशन भी चलाया. वहां भी कोई सफलता नहीं मिली. मुंबई पुलिस ने इस मामले को ले कर कई बार अधिकारियों की मीटिंग भी की, लेकिन इस कोड का तोड़ किसी के पास नहीं निकला. 

पुलिस के लिए पहेली बन गया कोड वर्ड

उस के बाद नवी मुंबई पुलिस की एंटी ह्यूमन टै्रफिकिंग यूनिट के सीनियर इंसपेक्टर अतुर अहेर के नेतृत्व में एक टीम ने इलाके के चप्पेचप्पे को छान मारा. शव की तलाश में हर जगह ड्रोन भी उड़ाए गए, लेकिन कहीं भी वैष्णवी के शव का पता नहीं लग सका. 

12 दिसंबर से वैष्णवी को ढूंढतेढूंढते पूरा एक महीना होने वाला था. इस मामले में पुलिस ने हर तरीका अपनाया, लेकिन हर तरफ से पुलिस का हाथ खाली निकला. यह मुंबई का पहला केस था, जिस के आगे पुलिस पूरी तरह से निराश हो रही थी. लेकिन नवी मुंबई पुलिस कमिश्नर मिलिंद भारंबे ऐसे अधिकारी थे, जो इस केस से किसी भी तरह से हार मानने को तैयार नहीं थे. वह इस से पहले मुंबई में ही क्राइम ब्रांच में चीफ के तौर भी काम कर चुके थे. 

पुलिस कमिश्नर मिलिंद भारंबे ने इस केस को ले कर सभी पुलिस अधिकारियों को बुला कर एक मीटिंग की. उसी मीटिंग के दौरान कमिश्नर ने कुछ तेजतर्रार अधिकारियों को ले कर एक टास्क फोर्स बनाई, जिस का काम केवल इसी केस को देखना था. इस टास्क फोर्स की जिम्मेदारी क्राइम बांच के डीसीपी अमित काले को दी गई.

केस को सुलझाने के लिए टास्क फोर्स बनते ही सभी अधिकरियों को अलगअलग काम सौंप दिया था. उस के बाद टास्क फोर्स के सभी अधिकारियों ने संबंधित विभागों से मिलना शुरू किया, लेकिन किसी भी विभाग के पास इस कोड को ले कर कोई जानकारी नहीं थी. 

उस के बाद पुलिस कमिश्नर ने फिर से आदेश दिया कि यह मामला जंगल से जुड़ा है. इस क्षेत्र में दूरदूर तक जंगल और पहाड़ी ही हैं. वन विभाग वाले जंगल में हर जगह गश्त पर घूमते रहते हैं. शायद इस बारे में उन से कोई जानकारी मिल सके. 

इस आदेश के बाद टास्क फोर्स वन विभाग के अधिकारियों से मिली. टास्क फोर्स के सदस्यों ने उन से मिलते ही सारी जानकारी देने के बाद वह पेपर पर लिखा कोड दिखाया तो वहीं से इस केस का पुख्ता क्लू मिल गया. 

वन विभाग अधिकारियों ने कोड को देखते ही बताया कि यह तो जंगल में खड़े पेड़ों की गिनती का कोड नंबर है. यह सुनते ही टास्क फोर्स को लगा कि वह इस केस के बिलकुल ही नजदीक खड़े हैं. उस के बाद वन विभाग के अधिकारियों ने अपने रजिस्टर निकाल कर उस नंबर की दिशा के हिसाब से जानकारी दी. साथ ही पुलिस टास्क फोर्स का साथ देते हुए वन विभाग अधिकारियों ने उस पेड़ की तलाश शुरू की.

पुलिस कोड वर्ड से पहुंची कंकाल तक

फारेस्ट डिपार्टमेंट के रिकौर्ड के अनुसार यह कोड खारघर से लगभग 6 किलोमीटर दूर कलंबोली इलाके में दिया गया था. उस के बाद टास्क फोर्स वन विभाग अधिकारियों के साथ उस पेड़ के पास पहुंची तो वहीं ग्राउंड की झाडिय़ों में वैष्णवी की लाश के नाम पर अस्थिपंजर ही पड़े मिले. उस के पूरे शरीर को जंगली जानवर खा चुके थे. 

उस के बाद वैष्णवी के घर वालों ने घटनास्थल पर पहुंच कर उस के कपड़ों, कलाई घड़ी और उस के आईडी कार्ड से ही उस की पहचान की थी. तभी पुलिस को दोनों की प्रेम कहानी का पता चला.

लापता वैष्णवी की लाश मिलते ही पुलिस ने राहत की सांस ली. लेकिन हकीकत यह थी कि इस केस ने पूरे पुलिस डिपार्टमेंट को हिला कर रख दिया था. इस सब से बड़े रहस्य की बात यह थी कि वैभव ने वैष्णवी को मारने के बाद भी आत्महत्या जैसा कदम क्यों उठाया. उस के बाद फिर क्यों उस की लाश की मिस्ट्री के लिए वह कोड सुसाइड नोट में लिखा. 

वैभव वैष्णवी को बेइंतहा प्यार करता था. उस का प्रूफ पुलिस के हाथ उस के मोबाइल फोन से मिला था. उस ने उस की हत्या करने का काफी पहले ही आसान तरीका ढूंढा था. इस के लिए उस ने कई बार गूगल पर सर्च कर के तरीका भी खोजा.

वैभव के मोबाइल से पुलिस को एक जिप टैग मिला. गूगल में उस की तसवीर भी मिली. उसी के आधार पर उस ने एक जिप टैग खरीदा और उसी से गला दबा कर हत्या की थी. 

अपने सुसाइड नोट में वैभव ने लिखा कि वैष्णवी को ज्यादा तकलीफ न हो, इस के लिए उस का गला घोंटने से पहले उस ने जिप टैग को अपने गले पर आजमाया था. उस की हत्या करने के बाद उस ने लिखा था कि अगले जन्म में हम दोनों साथसाथ रहेंगे. दोनों की यह एक दर्दभरी प्रेम कहानी है.

नवी मुंबई के रायगढ़ (कोलाबा) जिले के अंतर्गत आता है कलंबोली. यह एक परिवहन केंद्र है, जो सायन पनवेल राजमार्ग पर स्थित है. इसी कलंबोली इलाके में रहते थे वैभव बुरेंगलु और वैष्णवी के परिवार. दोनों के परिवार पड़ोस में ही रहते थे. इसी कारण दोनों की पढ़ाई भी शुरू से एक साथ ही हुई थी. 

शुरू से ही दोनों एक साथ खेलेकूदे थे. वैभव बुरेंगलु को किसी वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही रोक देनी पड़ी. जबकि वैष्णवी उस वक्त 12वीं की छात्रा थी. पढ़ाई छोड़ देने के बावजूद वैभव उसे पहले की तरह ही प्यार करता था. यही हाल वैष्णवी का भी था. वह भी उस के बिना एक पल अकेली नहीं रहना चाहती थी. 

बढ़ती उम्र के साथ वैभव और वैष्णवी की दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया था. उस के साथ ही दोनों एकदूसरे के साथ शादी करने का फैसला भी कर चुके थे. लेकिन जैसे ही इस बात की जानकारी वैष्णवी के घर वालों को हुई तो उन्होंने वैष्णवी से वैभव के मिलनेजुलने पर पाबंदी लगा दी थी. क्योंकि उस के घर वाले इस रिश्ते से खुश नहीं थे. 

इस के बावजूद दोनों की मोहब्बत में कोई कमी नहीं आई थी. उस के बाद भी दोनों का प्यार ऐसा परवान चढ़ा कि वे एकदूसरे के करीब आ गए और घर वालों से चोरीछिपे उन्होंने 2023 में शादी भी कर ली थी. उस के बाद 24 वर्षीय वैभव और 19 वर्षीय वैष्णवी रिलेशनशिप में रहने लगे थे.  

अब से कुछ समय पहले ही वैष्णवी को पता चला कि उस के घर वाले उस के लिए अलग ही रिश्ता ढूंढ रहे हैं. यह जानकारी मिलते ही उसे अपने घर वालों की सोच पर बहुत ही दुख हुआ. तब वैष्णवी ने अपनी मां अरुणा से साफसाफ कह दिया कि वह शादी करेगी तो वैभव के साथ ही करेगी. वह किसी दूसरे लड़के के साथ हरगिज नहीं करेगी. 

वैष्णवी की जिद के आगे अरुणा ने उसे समझाने की कोशिश की, ”बेटी, वे लोग हमारी जातिबिरादरी के नही हैं. जिस के कारण हमारे रिश्तेदार उस के साथ शादी करने के बाद हमारा जीना ही हराम कर देंगे. इसी कारण किसी भी कीमत पर तेरी शादी वैभव के साथ होनी संभव नहीं है.’’

वैभव को वैष्णवी पर क्यों हुआ शक

वैभव की शादी को ले कर उस के घर वालों की भी कुछ ऐसी ही सोच थी. वे भी वैष्णवी के दूसरी बिरादरी का होने के नाते उसे अपने घर की बहू बनाने के लिए राजी नहीं थे. वैभव ने उन्हें समझाने की काफी कोशिश की थी. जबकि उस के घर वालों को दोनों के संबंधों के बारे में काफी पहले से जानकारी थी. फिर भी वह उस की शादी अपनी जाति में ही करना चाहते थे. 

इस बात से वैभव बुरेंगलु काफी परेशान रहता था. लेकिन उस के बाद से वैष्णवी का व्यवहार उस के प्रति कुछ बदल सा गया था. वह उस से पहले की तरह प्यार के साथ बात नहीं कर रही थी. वैभव ने कई बार वैष्णवी से घर से भागने की बात कही. लेकिन वह उस की बातों को यूं ही हलके में ले कर हमेशा ही टाल देती थी. वैष्वणी का कहना था कि जब हमारी शादी तो हो ही चुकी है, फिर ऐसे में घर से भागने में क्या फायदा. एक न एक दिन जब दोनों के घर वालों को हमारी शादी की बात पता चलेगी तो वे मान ही जाएंगे. 

घर वालों के शादी के खिलाफ होने के बावजूद भी वैष्णवी के चेहरे पर चिंता के कोई भाव नहीं थे, जिस से वैभव को उस पर शक होने लगा था कि कहीं उस का किसी अन्य युवक के साथ तो चक्कर नहीं चल रहा. उस ने कई बार उसे किसी के साथ फोन पर बात करते भी देखा था. 

इस शक के पैदा होते ही वैभव ने इस बात की खोजबीन शुरू की तो पता चला कि वैष्णवी उस के अलावा भी एक अन्य लड़के से फोन पर बात करती है. उस लड़के का अकसर उस के साथ मिलनाजुलना भी होता था. 

उस की इस बेवफाई से वैभव अपनी जिंदगी से पूरी तरह से टूट चुका था. उसे वैष्णवी पर भी विश्वास नहीं हो रहा था. उस के बाद से ही उस ने अपने मोबाइल में एक सुसाइड नोट लिखना शुरू कर दिया था. 

वैभव ने एक नोट में लिखा कि अब हमारे मरने के बाद किसी को भी तकलीफ नहीं होगी. इस के लिए कोई जिम्मेदार नहीं. उस ने लिखा था कि वह वैष्णवी को बहुत प्यार करता था, वह उस से शादी कर अपनी दुनिया बसाना चाहता था. काफी समय से दोनों के बीच शारीरिक रिश्ते भी थे, लेकिन वैष्णवी ने ही मेरे साथ दगा की है. 

वैभव ने वैष्णवी के साथ बिताए अंतरंग पलों के वीडियो भी बना रखे थे. वैभव ने लिखा था कि वह चाहता था कि वैष्णवी की लाश किसी को न मिले. उस के लिए ही उस ने डेथ पौइंट को डेथ कोड के रूप में एक परची पर लिख कर अपनी जेब में डाल ली थी

उसे विश्वास था कि दोनों की मौत के बाद पुलिस एक न एक दिन तो उस की लाश को खोज ही लेगी. लेकिन वैष्णवी को उस के किए की सजा ऐसी मिलेगी कि कोई भी उस की लाश को पहचान भी नहीं पाएगा. 

सच में वैष्णवी की लाश की मिस्ट्री सुलझाने के लिए दिनरात एक करते हुए मुंबई पुलिस को पूरा एक महीना लग गया था. तब तक उस की लाश कंकाल में बदल चुकी थी. इस योजना को बनाने के बाद वह उसे मिलने के बहाने जंगल में ले गया और उस की वहां पर हत्या करने के बाद खुद भी ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली थी. 

कीवर्ड (लव क्राइम)

नवी मुंबई, महाराष्ट्र, कोड L01, 501, लव क्राइम, वैष्णवी मर्डर केस, आरोपी वैभव, ट्रेन से कट कर सुसाइड, आत्महत्या, प्रेमिका का मर्डर

एक्ट्रैस श्वेता तिवारी की बहन बिल्डिंग से कूदी या किसी ने फेंका

फिल्मनगरी मुंबई में कितने ही लड़केलड़कियां मन में रुपहले परदे पर आने का ख्वाब सजा कर आते हैं. ऐसे में फिल्मी लाइन से जुड़े किसी कलाकार का भाई या बहन कोशिश करे तो उसे थोड़ीबहुत सफलता मिल ही जाती है. श्वेता तिवारी की बहन अर्पिता के साथ भी यही हुआ, लेकिन…  

 

मायानगरी मुंबई के मलाड में 24 वर्षीय मशहूर टीवी एंकर, गायिका और अभिनेत्री अर्पिता तिवारी मीरा रोड स्थित एक फ्लैट में अकेली रहती थी. वह काफी बिंदास और जिंदादिल युवती थी और अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती थी. अपने काम में किसी का हस्तक्षेप करना या उस पर बंदिश लगाना उसे पसंद नहीं था. वह खुले आसमान में आजाद पक्षियों की तरह उड़ना चाहती थी.

त्रिवेणीनाथ तिवारी की 3 बेटियों में से वह सब से छोटी थी. बिगबौस सीजन-4 की विजेता, टीवी एंकर और भोजपुरी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री श्वेता तिवारी उन की सब से बड़ी बेटी है. श्वेता तिवारी अपने पति अभिनव कोहली और 2 बेटियों के साथ रहती हैं. वहीं त्रिवेणीनाथ तिवारी पत्नी निर्मला और मंझली बेटी विनीता के साथ मुंबई के घोड़ाबांधा के सरस्वती अपार्टमेंट में रहते थे.

हाईसोसायटी और हाइफाइ लाइफस्टाइल में जीने वाली अर्पिता तिवारी ने 9 दिसंबर, 2017 की सुबह तकरीबन 11 बजे पिता त्रिवेणीनाथ तिवारी को फोन कर के बताया कि वह एक इवेंट के लिए एस्सेल टावर जा  रही है. वहां कुछ जरूरी काम है, काम निपटा कर वह शाम तक लौट आएगी. वैसे भी अर्पिता जब भी घर से कहीं बाहर जाती थी तो पिता को जरूर सूचित करती थी. उस दिन भी घर से निकलते समय उस ने उन्हें बता दिया था.

देर रात 11 बजे तक जब अर्पिता का फोन नहीं आया तो त्रिवेणीनाथ थोड़े चिंतित हुए. उन का मन नहीं माना तो बेटी को फोन किया. अर्पिता घर लौट आई थी, उस ने पिता का फोन रिसीव कर के बताया कि वह घर आ चुकी है और डिनर भी कर लिया है, अब सोने जा रही है. बेटी का हालचाल मिल जाने के बाद त्रिवेणीनाथ को तसल्ली हो गई तो वह भी पत्नी के साथ सोने के लिए चले गए.

अगले दिन यानी 10 दिसंबर, 2017 की सुबह करीब 9 बजे त्रिवेणीनाथ तिवारी की मंझली बेटी विनीता के फोन पर एक काल आई. उस समय विनीता अपने औफिस में थी. फोन की स्क्रीन पर डिसप्ले हो रहे नंबर को देखा तो वह पहचान गई कि वह वह काल छोटी बहन अर्पिता के बौयफ्रैंड पंकज जाधव की है. विनीता ने काल रिसीव की तो पंकज ने उस से पूछा, ‘‘अर्पिता घर पर है?’’

यह सुन कर विनीता चौंक गई. उसे बड़ा अटपटा लगा कि वह यह बात क्यों पूछ रहा है. उस ने कहा, ‘‘वह घर पर है या नहीं, मुझे नहीं पता. लेकिन मैं पापा से पूछ कर अभी बताती हूं.’’

आधे घंटे बाद फिर पंकज का फोन आया. विनीता काल रिसीव करते हुए बोली, ‘‘सौरी पंकज, काम में बिजी थी. पापा से बात नहीं कर पाई. तुम कुछ टाइम दो, मैं अभी पापा से बात करती हूं.’’

‘‘रहने दो, अब इस की जरूरत नहीं है.’’ पंकज जाधव बोला.

‘‘क्या मतलब, तुम्हें अर्पिता की खबर मिल गई?’’ विनीता ने पूछा.

‘‘हां, मुझे खबर मिल गई है.’’ पंकज जाधव मायूस से स्वर में बोला.

‘‘क्या बात है पंकज, आज तुम्हारी जुबान कैसे लड़खड़ा रही है?’’

‘‘बात ही कुछ ऐसी है विनीता, तुम भी सुनोगी तो चक्कर खा जाओगी.’’

‘‘पहेलियां मत बुझाओ पंकज, सीधेसीधे बताओ कि तुम कहना क्या चाहते हो?’’

‘‘विनीता, एक बुरी खबर है.’’

‘‘बुरी खबर है…’’ विनीता घबरा गई, ‘‘कैसी बुरी खबर? जल्दी बताओ, ये मजाक का समय नहीं है.’’

  ‘‘अर्पिता अब इस दुनिया में नहीं रही. उस ने 15वीं मंजिल से कूद कर आत्महत्या कर ली है.’’

‘‘क्या बकवास कर रहे हो तुम, होश में भी हो, इस तरह की बात कर रहे हो. कहीं तुम ने सुबहसुबह चढ़ा तो नहीं ली?’’ विनीता घबराते हुए बोली.

‘‘मैं नशे में नहीं, पूरे होश में हूं.’’ पंकज जाधव ने सफाई देते हुए कहा, ‘‘विनीता, मैं सच बोल रहा हूं, अर्पिता ने बिल्डिंग से कूद कर जान दे दी है.’’

‘‘ये सब कब और कैसे हुआ?’’ विनीता ने खुद को संभालते हुए सवाल किया.

‘‘मलाड की मानवस्थल बिल्डिंग से…’’

इस के बाद पंकज जाधव पूरी कहानी बताता चला गया.

 

अर्पिता की मौत ने तिवारी परिवार को हिला दिया

 

बहन की मौत की सूचना पा कर विनीता का माथा घूम गया. उस के दिमाग ने काम करना बंद कर दिया. वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे. थोड़ी देर बाद जब उस ने खुद को संभाला तो पिता के पास फोन करने के बजाए बड़ी बहन श्वेता तिवारी को फोन किया. उस ने उसे पूरी बात बता दी. विनीता ने पिता को अर्पिता की मौत की खबर इसलिए नहीं दी क्योंकि वह कुछ दिनों पहले ही पथरी का औपरेशन करवा कर अस्पताल से लौटे थे. श्वेता ने जब बहन की मौत की खबर सुनी तो वह भी सन्न रह गई.

विनीता श्वेता से मौके पर पहुंचने की बात कहते हुए औफिस से मलाड स्थित मानवस्थल के लिए रवाना हो गई. तब तक अर्पिता की मौत की सूचना मालवणी थाने को मिल चुकी थी. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी दीपक देशराज टीम के साथ मौके पर पहुंच चुके थे. डीसीपी जोन-11 विक्रम देशमाने भी वहां पहुंच गए. अर्पिता की लाश बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर एसी डक्ट पर अर्द्धनग्न अवस्था में पड़ी मिली.

अर्पिता कोई छोटीमोटी हस्ती नहीं थी. ग्लैमर की दुनिया का एक बेहतरीन नगीना थी वह. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उस ने जी तोड़ मेहनत की थी. जीवन के सपनों को हकीकत में लाने के लिए उस ने दिनरात मेहनत की थी, तब कहीं जा कर वह टीवी एंकर, गायिका और हीरोइन बनी थी. उस की मौत की खबर पूरे बौलीवुड में फैल गई.

अर्पिता की मौत की सूचना मिलते ही बौलीवुड के तमाम कलाकार मौके पर पहुंच चुके थे. विनीता के अलावा श्वेता भी अपने पति अभिनव कोहली के साथ मौके पर पहुंच चुकी थीं. पुलिस अपने काम में जुटी थी. लाश की अवस्था देख कर यही अनुमान लगाया जा रहा था कि अर्पिता के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसे ऊपर से फेंक दिया गया होगा. लेकिन शव नीचे आने के बजाय दूसरी मंजिल पर एसी डक्ट पर आ गिरा. पुलिस ने अनुमान लगाया कि निश्चय ही इस घटना को अंजाम देने में एक से अधिक लोग शामिल रहे होंगे.

कागजी खानापूर्ति पूरी कर के पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. श्वेता और विनीता दोनों बहनों ने साफसाफ कहा कि अर्पिता खुदकुशी नहीं कर सकती. वह बेहद जिंदादिल इंसान थी. अपने सपनों के साथ जीती थी. सपनों को हासिल करने के लिए जीतोड़ संघर्ष करती थी. उस का मर्डर हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि अर्पिता के प्रेमी पंकज जाधव का उस की हत्या में हाथ संभव है.

अर्पिता की मौत की खबर दोनों बहनें अपने पिता से भला कब तक छिपा कर रख सकती थीं. यह बात आखिर उन्हें पता लगनी ही थी, इसलिए उन्होंने पिता को भी यह सूचना दे दी. त्रिवेणीनाथ ने जैसे ही यह खबर सुनी, वे धम्म से बिस्तर पर जा गिरे. निर्मला देवी भी बेसुध हो कर बैठ गईं.

 

त्रिवेणीनाथ की समझ में यह नहीं आ रहा था कि जब देर रात 11 बजे अर्पिता से उन की बात हुई थी तो उस समय उस ने खुद को अपने फ्लैट में मौजूद होने की बात कही थी. फिर वह कब और कैसे मानवस्थल बिल्डिंग पहुंच गई. यह बात उन्हें परेशान कर रही थी.

उन्होंने यह सच्चाई जब बेटियों को बताई तो वे चौंके बिना नहीं रह पाईं. वाकई मामला पेचीदा और रहस्यमय बन गया था. जिस मंजिल पर अर्पिता की लाश मिली थी, उसी मंजिल पर उस के प्रेमी पंकज जाधव का फ्लैट था. इन दिनों अर्पिता और पंकज के बीच प्रेम संबंधों को ले कर विवाद चल रहा था.

श्वेता तिवारी का आरोप

 

अर्पिता पंकज से शादी करना चाहती थी, जबकि पंकज इस के लिए तैयार नहीं था. पिछले 8 सालों तक दोनों के बीच चले आ रहे प्रेम संबंध टूटने के कगार पर पहुंच चुके थे.

श्वेता तिवारी ने आरोप लगाया कि पंकज और अर्पिता के बीच अकसर लड़ाई होती रहती थी और दोनों जल्द ही अलग होना चाहते थे. अर्पिता की मौत किसी घटना का परिणाम है. यह न तो सुसाइड है और न ही एक्सीडेंट. यह सुनियोजित तरीके से रेप और मर्डर का मामला है. उस ने मांग की कि इस घटना में हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए.

पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक कुछ भी कहने से बचने की कोशिश करती रही. 12 दिसंबर को अर्पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई. रिपोर्ट ने उस की मौत को और रहस्यमय बना दिया था. एक ओर जहां परिवार वाले रेप के बाद हत्या का आरोप लगा रहे थे, वहीं अर्पिता की मौत के मामले में आई प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सभी को चौंका कर रख दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक, उस के साथ किसी तरह की जोरजबरदस्ती नहीं की गई थी. लेकिन मौत की वजह मल्टीपल इंजरी बताई गई. ये इंजरी या तो कूदने की वजह से या फिर ऊपर से नीचे फेंकने की वजह से आई थीं. अर्पिता के सिर और शरीर के कई हिस्सों में चोट के गहरे निशान थे. यही नहीं, उस के खून में अल्कोहल की मात्रा भी पाई गई.

  थानाप्रभारी इंसपेक्टर दीपक देशराज ने घटना की जांच शुरू की. घटनास्थल पर पहुंच कर उन्होंने बिल्डिंग के चौकीदार से पूछताछ की. चौकीदार ने उन्हें एक चौंकाने वाली जानकारी दी. उस ने बताया कि 9 दिसंबर की रात साढ़े 11 बजे के करीब अर्पिता अपने प्रेमी पंकज जाधव के साथ उस के फ्लैट पर आई थी. दोनों बहुत खुश थे. कमरे में जाते ही दोनों झगड़ने लगे. दोनों के बीच हाथापाई भी हुई थी. उस के बाद उन्होंने भीतर से दरवाजा बंद कर लिया. फिर क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला.

 

पार्टी में क्या हुआ कि अर्पिता को मौत के मुंह में जाना पड़ा

 

पुलिसिया जांच पड़ताल में पता चला कि उसी रात पंकज जाधव के दोस्त और 3डी डिजाइनर अमित हाजरा, जोकि मानवस्थल बिल्डिंग में 15वीं मंजिल पर रहता है, ने अपने फ्लैट में एक पार्टी रखी थी. उस पार्टी में अर्पिता तिवारी, पंकज जाधव के अलावा अमित का पेइंगगेस्ट मनीष, उस का साथी श्रवण सिंह और कृष्णा मौजूद थे.

  पार्टी भोर के 4 बजे तक चली थी. पार्टी में सभी ने जम कर ड्रिंक की थी. 4 बजे के बाद सभी सोने के लिए चले गए. पंकज जाधव, अर्पिता और अमित हाजरा हाल में जा कर सो गए, बाकी के 2 मनीष और कृष्णा कमरे में सोने चले गए. सुबह 9 बजे जब आंखें खुलीं तो वहां अर्पिता नहीं थी. खोजबीन करने पर उसी बिल्डिंग के दूसरी मंजिल पर उस की लाश डक्ट पर झूलती हुई मिली.

 

पुलिस ने कमरे की तलाशी ली तो कमरे में महंगी शराब की कई खाली बोतलें मिलीं. जांचपड़ताल से पता चला कि अर्पिता की मौत वाशरूम की खिड़की से गिरने से हुई थी. पुलिस ने जब वाशरूम का दरवाजा खोला तो वह भीतर से बंद था. फिर इस से अनुमान लगाया गया कि अर्पिता ने आत्महत्या के लिए वाशरूम की खिड़की तोड़ कर छलांग लगाई होगी. पुलिस वाशरूम का दरवाजा तोड़ कर भीतर दाखिल हुई. खिड़की के कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, अब तक की परिस्थितियां आत्महत्या की ओर इशारा कर रही थीं.

जहां पुलिस अभिनेत्री अर्पिता तिवारी की मौत को एक हादसा मान कर चल रही थी, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद उस का नजरिया बदल गया. रिपोर्ट में मल्टीपल इंजरी यानी शरीर पर लगी जगहजगह चोट किसी और तरफ इशारा कर रही थी. यानी अर्पिता की मौत एक हादसा नहीं, बल्कि हत्या थी.

 

श्वेता जैसी बनना चाहती थी अर्पिता

 

त्रिवेणीनाथ तिवारी की तहरीर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर मालवणी पुलिस ने मृतका के प्रेमी पंकज जाधव सहित 5 आरोपियों अमित हाजरा, श्रवण सिंह, मनीष जायसवाल और कृष्णा के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

जैसेजैसे पुलिस की जांच आगे बढ़ती गई, वैसेवैसे अर्पिता की मौत का राज भी गहराता गया. पुलिस ने पांचों आरोपियों पंकज, अमित, श्रवण, मनीष और कृष्णा को थाने बुला कर उन से पूछताछ की.

एंकर अर्पिता तिवारी की रहस्यमयी मौत को तकरीबन एक महीना होने जा रहा था, लेकिन अभी तक मौत की वजह को ले कर पुलिस के हाथ खाली थे. इस गुत्थी को सुलझाने के लिए मुंबई पुलिस ने वारदात के दौरान अर्पिता के साथ मौजूद रहे पांचों लोगों का कलिना स्थित डाइरेक्टोरेट औफ फोरैंसिक साइंस लेबोरेटरी (डीएफएसएल) में लाई डिटेक्टर टेस्ट कराया. डीएफएसएल स्टाफ ने पौलीग्राफी टेस्ट करने से पहले जांच करने वाले पुलिस अधिकारी से भी पूछताछ की.

5 लोग जिन में एक कुक भी था, उन्हें मालवणी पुलिस स्टेशन में बुला कर रोज पूछताछ की जा रही थी, लेकिन पुलिस पांचों आरोपियों द्वारा दिए गए बयानों की कडि़यों को मिलाने में नाकाम रही.

पुलिस ने इस मामले की गहराई से जांच की तो जो जानकारी सामने निकल कर आई, वह काफी दिलचस्प निकली.

24 वर्षीया अर्पिता त्रिवेणीनाथ तिवारी की 3 बेटियों में सब से छोटी और चुलबुली थी. तिवारीजी मूलत: झारखंड के जमशेदपुर जिले के रहने वाले थे. कालांतर में वे मुंबई में आ कर बस गए थे और घोड़ाबाधा के सरस्वती अपार्टमेंट में परिवार सहित रहने लगे थे.

बड़ी बेटी श्वेता तिवारी ने फिल्मी दुनिया में कदम रखा तो उन की किस्मत के सितारे चमक उठे. एंकरिंग से कैरियर शुरू करने वाली श्वेता तिवारी ने कई धारावाहिकों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया. इस के बाद उन्होंने भोजपुरी फिल्मों में भी अभिनय कर के सफलता हासिल की.

 

बड़ी बहन की कामयाबी देख कर बचपन से ही अर्पिता के मन में भी फिल्मी दुनिया में जाने का शौक था. वह भी रुपहले परदे पर चमकते सितारों की तरह खुद दिखने के सपने देखने लगी थी. तब वह छोटी थी और जमशेदपुर के हिलटौप स्कूल में पढ़ती थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह मुंबई में पिता के पास आ कर रहने लगी, जिस के बाद उस ने इवेंट मैनेजमेंट का कोर्स किया और एक्टिंग भी सीखी.

 

इसी दौर में उसे टेलीविजन पर एंकरिंग करने का मौका मिल गया. यहीं से उस के कैरियर की शुरुआत हुई. कैरियर के पहले पायदान पर कदम रखते ही उस की किस्मत के सितारे बुलंद होते गए. धीरेधीरे अर्पिता आगे बढ़ती गई. उस ने ऐंकरिंग से मौडलिंग और मौडलिंग से फिल्मी दुनिया में पांव जमाए. सफलता उस के कदम चूमती गई. अपनी मेहनत से उस ने करोड़ों रुपए कमाए थे.

बात उन दिनों की है जब अर्पिता 16-17 साल की रही होगी. तब उस के जीवन में पंकज जाधव ने कदम रखा. अर्पिता ने उसे अपने दिल में बसा लिया. दोनों एकदूसरे से प्यार करते थे. पंकज जाधव उस के पड़ोस में ही रहता था. वह बेहद खूबसूरत और कसरती बदन का लड़का था.

श्वेता तिवारी ने बताया कि अर्पिता एक कामयाब लड़की थी. लाखों कमा रही थी. जबकि पंकज जाधव बेरोजगार था. वहअपनी कमाई से पंकज को जेबखर्च देती थी.

 

प्रेम संबंधों का खेल बना मूल कारण

 

धीरेधीरे अर्पिता के मांबाप और बहनों को उस के प्रेमसंबंधों के बारे में पता चल गया था. आधुनिक खयालातों के त्रिवेणीनाथ तिवारी ने बेटी को अपना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया था. उन्हें उस पर पूरा भरोसा था कि वह जीवन में कोई ऐसा गलत कदम नहीं उठाएगी, जिस से घर वालों को शर्मिंदगी उठानी पड़े.

बाद के दिनों में अर्पिता ने मीरा रोड पर एक फ्लैट ले लिया. पंकज जाधव ने भी मलाड कच्चा रोड स्थित मानवस्थल बिल्डिंग में एक फ्लैट ले लिया था. दोनों अपने परिवारों से अलग अपनेअपने फ्लैट में रहते थे. अर्पिता के इस फैसले से न तो त्रिवेणीनाथ तिवारी को आपत्ति हुई और न ही किसी और को. बल्कि घर वाले उस के फैसले से खुश थे.

 

धीरेधीरे अर्पिता और पंकज जाधव के रिलेशनशिप को 8 साल बीत चुके थे. पंकज जाधव जहां 8 साल पहले खड़ा था, आज भी वहीं था. उस के स्वभाव में कोई परिवर्तन नहीं आया था. वह अर्पिता की कमाई पर ऐश कर रहा था.

अर्पिता पंकज पर शादी के लिए दबाव बना रही थी, जबकि वह शादी के लिए तैयार नहीं था. इन्हीं बातों को ले कर अकसर दोनों में झगड़ा भी हो जाता था. रोजरोज के झगड़े से अर्पिता ऊब चुकी थी. उस ने पंकज से अपने संबंधों को तोड़ने का फैसला कर लिया था.

 

दोस्ती या प्यार पंकज जाधव से नहीं अमित हाजरा से था

 

इस बीच दोनों के बीच एक नई कहानी ने जन्म ले लिया. इस कहानी में अर्पिता को चाहने वाला एक और प्रेमी आ गया जो अर्पिता को पंकज जाधव से कहीं ज्यादा प्यार करता था. वह कोई और नहीं, पंकज जाधव का दोस्त अमित हाजरा था. जिस बिल्डिंग में पंकज जाधव रहता था, उसी की 15वीं मंजिल पर अमित भी रहता था. पंकज के माध्यम से ही अमित का परिचय अर्पिता से हुआ था. बाद में मिलनसार अर्पिता से जल्द ही उस की दोस्ती हो गई.

अर्पिता और पंकज जाधव के रिश्ते टूटने और अलग हो जाने के बाद अमित की अर्पिता से ज्यादा नजदीकी हो गई. उस ने अर्पिता की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. अर्पिता अमित की मंशा समझ गई थी. वह उस की ओर ध्यान देने के बजाय पंकज से संबंध सुधारने की कोशिश करने लगी. लेकिन पंकज अपनी आदतों में सुधार लाने को तैयार नहीं था.

घटना से करीब 4 दिन पहले अर्पिता और अमित हाजरा के बीच फेसबुक पर लंबी बातचीत हुई थी. अमित अर्पिता से संबंध बनाने के लिए उस पर दबाव बना रहा था. इस बात को ले कर दोनों के बीच खासा विवाद हुआ था. उस ने अर्पिता को देख लेने की धमकी तक दे डाली थी, लेकिन अर्पिता ने यह बात अपने तक ही सीमित रखी. घर में किसी को नहीं बताई.

बहरहाल, अब लौट कर क्राइम सीन पर आते हैं. एक महीने की जांचपड़ताल के बाद पार्टी में मौजूद रहे अमित के नौकर ने पुलिस के सामने चौंका देने वाला बड़ा खुलासा किया. उस ने उस रात अमित हाजरा को अर्पिता के कपड़े खोलते हुए देखा था. उस ने बताया कि 10 दिसंबर की सुबह करीब साढे़ 5 बजे उस की नींद खुली. उस ने देखा कि अमित अर्पिता के बेहद करीब सो रहा था. जबकि जब वे सोने गए थे तो तीनों अलगअलग सो रहे थे.

 

नौकर ने सब को चौंका दिया बयान दे कर

 

नौकर के मुताबिक उस ने उस दिन औरों के मुकाबले कम शराब पी थी, इसलिए उस की आंखें सुबह जल्दी खुल गईं. जब उस की आंखें खुलीं तो उस ने देखा कि अर्पिता के बगल में सोया अमित उस के कपड़े हटा रहा था. नौकर को जगा देख कर वह आंख बंद कर लेट गया. नौकर को लगा कि यह सब अर्पिता की मरजी से हो रहा है, इसलिए वह चुपचाप वहां से चला गया.

नौकर के बयान ने पुलिस को बुरी तरह उलझा दिया था. हालांकि जिस हालत में अर्पिता की लाश बरामद की गई थी, उसे देख कर यही लग रहा था कि उस के साथ दुष्कर्म किया गया होगा. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सब का भ्रम तोड़ दिया. रिपोर्ट में अर्पिता के साथ कोई जोरजबरदस्ती वाली बात नहीं बताई. उस के बाद अर्पिता की मौत की गुत्थी उलझ कर रह गई. पुलिस अब भी उलझी हुई गुत्थी को सुलझाने में जुटी हुई थी.

अर्पिता की मौत के बाद सभी दोस्तों ने बयान दिए थे कि अर्पिता ने खुदकुशी की है. मगर बाद में पुलिस ने इसे हत्या बताया था और अब चारों दोस्तों में से एक अमित हाजरा को 15 जनवरी, 2018 को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि जांच का दायरा बड़ा होने की बात कह कर पुलिस हत्या का मकसद अभी नहीं बता रही है.

 

पुलिस के मुताबिक अमित ने अलगअलग बयान बदले. पुलिस को दिए गए बयान और पौलीग्राफी टेस्ट में दिए गए बयान में अंतर पाया गया. पुलिस को शक है कि अमित हाजरा इस हत्याकांड में पुलिस को गुमराह कर रहा है. बस इसी आधार पर अमित हाजरा को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस ने पंकज जाधव को क्लीन चिट नहीं दी है. वह भी संदेह के दायरे में है. सबूत मिलने पर पंकज जाधव को भी गिरफ्तारी होगी. सूत्रों की मानें तो अमित हाजरा के बयान से पुलिस को कुछ ऐसे सबूत मिले हैं, जिस से हत्या में शामिल होने की पुष्टि होती है.

कथा लिखे जाने तक अमित हाजरा के वकील बी. हैटकर ने 8 फरवरी, 2018 को सेशन कोर्ट में उस की जमानत की अरजी दाखिल की, जो अदालत ने खारिज कर दी.

अमित अभी भी जेल में बंद है. बाकी के आरोपियों की जांच चल रही थी. पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही थी कि अर्पिता हत्याकांड में इन की भूमिका क्या है. फिलहाल कथा लिखे जाने तक पुलिस मौत की उलझी गुत्थी सुलझाने में जुटी हुई थी.

 

वकील ने खून से लिखा केस

एडवोकेट मनमोहन कुमार की पंचकूला अदालत में अच्छी प्रैक्टिस चलती थी. परिवार में उस की पत्नी रजनी के अलावा 2 बेटे,  9 वर्षीय निखिल और 7 वर्षीय तन्मय थे. मनमोहन कुमार पंचकूला के सेक्टर-19 में रहता था, उस के मातापिता भी साथ ही रहते थे.

सब कुछ ठीक चल रहा था. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. उस की किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं थी. लेकिन उस दिन एक अलग सी चिंता वाली बात हो गई.

16 जनवरी, 2018 की सुबह मनमोहन रोजाना की तरह तैयार हो कर घर से अदालत के लिए निकला. रजनी घर पर ही थी, उस ने अपने दोनों बच्चों को तैयार कर के स्कूल भेज दिया. बड़े बेटे ने कहा था कि आज वह पनीर की सब्जी खाएगा तो रजनी ने भी पलट कर कह दिया था कि वह उस की मनपसंद सब्जी बना कर रखेगी.

लेकिन दोपहर बाद पौने 3 बजे जब बच्चे स्कूल से घर लौटे तो उन की मां घर पर नहीं थी. बच्चों के दादा ने उन से कहा कि रजनी बाजार गई होगी, थोड़ी देर में लौट आएगी. इसी बीच बड़े बेटे निखिल ने पिता को फोन कर के इस बारे में बताया. मनमोहन ने भी सहज भाव से कह दिया कि किसी काम से गई होगी, लौट आएगी.

एक घंटे बाद मनमोहन ने घर पर फोन कर के पत्नी के बारे में पूछा. पता चला कि रजनी अभी तक वापस नहीं लौटी थी. यह जानने के बाद वह अपना काम छोड़ कर लौट आया. उस ने इस बारे में पहले पिता से बात की, फिर कई जगह फोन करने के अलावा यहांवहां पत्नी की तलाश की. लेकिन रजनी के बारे में कहीं कोई जानकारी नहीं मिली.

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अंतत: मनमोहन ने रात में थाना सेक्टर-20 जा कर अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. वह बहुत ज्यादा परेशान नजर आ रहा था. बातबात पर उस की आंखें भर आती थीं.

शिकायत एक वकील की ओर से की गई थी. पुलिस ने तुरंत मामला दर्ज कर गुमशुदा की फोटो फ्लैश कर के काररवाई शुरू कर दी. रजनी की तलाश में तमाम संभावित जगहों पर पुलिस पार्टियां भेज दी गई थीं.

पुलिस ने भागदौड़ में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. लेकिन पुलिस भी रजनी का कोई सुराग हासिल करने में कामयाब नहीं हुई.

देखतेदेखते रजनी को गायब हुए 4 दिन गुजर गए. पुलिस को उसे ढूंढने में कोई कामयाबी नहीं मिली. मनमोहन भी पत्नी को तलाशता रहा, लेकिन उस की भागदौड़ किसी काम नहीं आ रही थी. इस से वह हताशा का शिकार होने लगा था. बात करते हुए लगता था, जैसे अभी रो देगा.

20 जनवरी को पुलिस को आंशिक सफलता तब मिली, जब पंचकूला के सेक्टर-25 स्थित डंपिंग ग्राउंड के पास से रजनी की एक जूती बरामद हुई. मनमोहन को बुलवा कर जूती की शिनाख्त करवाई गई तो यह संदेह पुख्ता होने लगा कि संभवत: रजनी की हत्या कर के उस के शव को डंपिंग ग्राउंड में दफना दिया गया है.

आननफानन में पंचकूला पुलिस की एक टीम और फोरैंसिक टीम ने वहां संभावित जगह की खुदाई करवानी शुरू कर दी. यह खुदाई शिकायतकर्ता मनमोहन के सामने ही शुरू की गई. अपने कुछ कनिष्ठ अधिकारियों के साथ पंचकूला के डीसीपी मनवीर सिंह भी मौके पर मौजूद रहे.

खुदाई के लिए जेसीबी मशीन लाई गई थी. 3 फुट गहरी खुदाई होने पर कपड़े में लपेट कर दबाया गया एक शव दिखाई दिया. सब को लगा कि वह शव वकील मनमोहन की गुमशुदा बीवी रजनी का होगा. इस से अजीब किस्म की सनसनी सी फैलने लगी. मनमोहन ने शव देखने से पहले ही फफकफफक कर रोना शुरू कर दिया.

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मृतका रजनी

लेकिन कुछ देर बाद इस रहस्य पर से परदा उठ गया. रहस्य यह था कि वह शव किसी महिला का न हो कर एक कुत्ते का था. इस बात से वहां सनसनी में और इजाफा हो गया. इस की वजह यह थी कि कुत्ते के शव को जिस कपड़े में लपेट कर दफनाया गया था, वह रजनी का दुपट्टा था.

मनमोहन परेशान तो पहले से ही था, यह सब सामने आने पर वह बदहवास सा हो गया. पहले तो वह फूटफूट कर रोया. फिर चीखचीख कर कहने लगा कि किसी ने षडयंत्र रच कर उस की रजनी को गायब कर दिया है.

पुलिस ने अपनी कारवाई के लिए कुत्ते का शव कब्जे में ले कर खोदी गई जगह पर मिट्टी भरवा दी. दूसरी ओर पुलिस रजनी के मोबाइल नंबर से जुड़ी काल डिटेल्स खंगालने का प्रयास कर रही थी. इस प्रयास में पुलिस के सामने यह बात आई कि उस के नंबर पर जिस नंबर से ज्यादा काल्स आई थीं, वह मोनिका के नाम से सेव था. मनमोहन ने इस बारे में बताया कि मोनिका उस की पत्नी रजनी की सहेली है और अलीगढ़ की रहने वाली है. दोनों अकसर एकदूसरे से फोन पर बातें करती रहती थीं.

पुलिस ने इस नंबर पर फोन कर के मोनिका से बात की. उस ने बताया कि वह मूलरूप से अलीगढ़ की रहने वाली है लेकिन इन दिनों चंडीगढ़ के कस्बे मनीमाजरा में रह कर अपना ब्यूटीपार्लर चला रही है. उस ने बेझिझक पुलिस को अपना पता भी दे दिया. पुलिस ने उस के ब्यूटीपार्लर पर पहुंच कर उस से मनोवैज्ञानिक ढंग से पूछताछ की.

पूछताछ में मोनिका जरा भी नहीं घबराई. उस ने पूरे आत्मविश्वास से पुलिस को बताया, ‘‘मेरी बहन की अपने पति संदीप के साथ बिलकुल नहीं बनती थी, जबकि संदीप निहायत भला आदमी है. आखिर मेरी बहन और जीजा के बीच तलाक लेने की नौबत आ गई. मेरे जीजा ने अपना केस लड़ने के लिए वकील मनमोहन कुमार को नियुक्त किया था.

‘‘मनमोहनजी बहुत भले और मिलनसार व्यक्ति ही नहीं निकले, बल्कि उन की पत्नी इस सब में उन से भी बढ़ कर थीं. अपने जीजा के साथ मैं भी उन के यहां चली जाती थी. इस वजह से मेरी उन से पहचान हुई और फिर रजनी दीदी से पक्की दोस्ती हो गई.

‘‘हम दोनों एकदूसरे से फोन पर बातें करती रहती थीं. अब दीदी के गायब होने का पता चला है. मैं तो खुद नहीं समझ पा रही हूं कि इस तरह अचानक वह कहां चली गईं. इन लोगों की तो किसी से कोई दुश्मनी भी नहीं है. दोनों खूब हंसमुख हैं. पतिपत्नी के बीच कभी कोई मनमुटाव हुआ हो, ऐसी भी कोई बात सामने नहीं आई. दोनों का अपने बच्चों से भी बहुत लगाव है.’’ मोनिका ने पुलिस को बताया.

यह बताने के बावजूद मोनिका खुद पुलिस के संदेह के दायरे में आ गई. वजह यह कि उस से इतना कुछ पूछा नहीं गया था, जितना वह बता गई थी.

लेकिन एक बात उस के हक में जा रही थी. रजनी के गायब होने से पहले उस के मोबाइल नंबर पर जो अंतिम काल आई थी, वह मोनिका की नहीं थी. यह काल किसी अज्ञात नंबर से आई थी. रजनी ने यह नंबर सेव नहीं कर रखा था. पुलिस ने उस नंबर का पता लगा लिया.

वह नंबर एक रिक्शाचालक का था. पूछताछ करने पर उस ने पुलिस को बताया कि 16 जनवरी को दिन के 10 से साढ़े 10 बजे वह अपना रिक्शा ले कर कहीं जा रहा था. तभी उसे रास्ते में रोक कर एक युवती ने उस से पूछा था कि क्या उस के पास मोबाइल है. उस के हां कहने पर युवती ने कहा कि वह अपना मोबाइल घर भूल आई है.

फिर उस ने पैसों का लालच दे कर उस के फोन से एक काल कर लेने को कहा. उस ने अपना मोबाइल युवती को दे दिया. वह नहीं जानता कि उस युवती ने उस के फोन पर किस से क्या बात की थी.

रिक्शाचालक को ले जा कर जब मोनिका के सामने खड़ा किया गया तो उस ने उसे पहचानते हुए बोल दिया, ‘‘जी हां, यही मेमसाहब थीं, जिन्होंने मेरे फोन से बात की थी.’’

इस पर पुलिस मोनिका को संदिग्ध मानते हुए थाने ले आई. वहीं उस के मोबाइल पर उस के जीजा संदीप का फोन आ गया. उस वक्त वह सेक्टर-20 पुलिस स्टेशन के प्रभारी विकास कुमार के औफिस में बैठी थी. उस से मनोवैज्ञानिक पूछताछ का सिलसिला शुरू होने ही जा रहा था कि उस के जीजा का फोन आ गया तो मोनिका के जरिए संदीप की लोकेशन मालूम कर ली गई.

उस वक्त वह पंचकूला में ही था. एक पुलिस पार्टी जा कर उसे भी राउंडअप कर लाई. थाने में दोनों से पूछताछ शुरू ही हुई थी कि दोनों ने रजनी का कत्ल करने की बात मानते हुए सीधेसीधे कह दिया कि भले ही रजनी को मौत के घाट उन दोनों ने उतारा था, लेकिन उस की लाश को अंतिम रूप से ठिकाने लगाने का काम खुद रजनी के पति एडवोकेट मनमोहन कुमार ने ही किया था. यहां तक कि इस खूनी साजिश को रचा भी मनमोहन ने ही था.

27 जनवरी, 2016 की बात है. मोनिका और संदीप की थाने में विधिवत गिरफ्तारी दिखाने के बाद उसी दिन पंचकूला के सूरज थिएटर के पास से वकील मनमोहन को भी पकड़ लिया गया. तीनों को एक सप्ताह के कस्टडी रिमांड में ले कर गहन पूछताछ की गई.

इस पूछताछ में इन लोगों ने पुलिस को जो कुछ बताया, उस से रजनी के गायब होने से ले कर उस के कत्ल तक की सिलसिलेवार गाथा कुछ इस तरह सामने आई—

मोनिका का जीजा पेशे से ट्रक ड्राइवर था. पत्नी की अपेक्षा वह अपनी साली को ज्यादा पसंद करता था. इसी वजह से पतिपत्नी के रिश्तों में खटास आ गई थी और मामला तलाक तक जा पहुंचा था. इसी सिलसिले में संदीप की मुलाकात पंचकूला के वकील मनमोहन कुमार से हुई थी.

चूंकि संदीप पंचकूला में रहता था और मोनिका मनीमाजरा में, इसलिए दोनों की अकसर मुलाकात होती रहती थी. वैसे भी पंचकूला और चंडीगढ़ का कस्बा मनीमाजरा एकदूसरे से सटे हुए हैं. संदीप मोनिका को बहुत सुलझी हुई और समझदार मानता था. इसी वजह से वह वकील मनमोहन के पास जाते वक्त अकसर उसे भी साथ ले जाया करता था. मोनिका भी उन की बातों में दिलचस्पी लेते हुए कभीकभार अपनी राय दे देती थी, जिस से वकील मनमोहन अकसर सहमत हो जाता था.

एक रोज मोनिका और मनमोहन की कुछ इस अंदाज में आंखें चार हुईं कि दोनों एकदूसरे को अपना दिल दे बैठे. मेल मुलाकातें होने लगीं. आखिर एक ऐसी स्टेज आ गई जब यह तय हो गया कि मनमोहन अपनी पत्नी को तलाक दे कर मोनिका से शादी कर लेगा. मोनिका पहले ही कुंवारी थी.

रजनी किसी पतिव्रता नारी से कम नहीं थी. उसे कितना भी परेशान कर लिया जाता, वह तलाक के लिए कभी राजी न होती. इस सिलसिले में मनमोहन ने हर तरह के हथकंडे अपना लिए थे, मगर बात बनती नजर नहीं आई.

आखिर रजनी को रास्ते से हटाने के लिए उसे मौत के घाट उतारने की योजना बनाई गई. मोनिका और मनमोहन तो इस योजना का हिस्सा थे ही, संदीप को भी डेढ़ लाख रुपयों का लालच दे कर योजना में शामिल कर लिया गया.

योजना के तहत मोनिका किसी न किसी काम के बहाने मनमोहन के घर जाने लगी, जहां उस की मुलाकात रजनी से हो गई. उस ने रजनी से घनिष्ठता बढ़ाने में देर नहीं लगाई. जल्दी ही दोनों पक्की सहेलियां बन गईं. दोनों फोन पर भी आपस में खूब बतियाने लगी थीं.

कई बार एक साथ शौपिंग करने भी चली जाती थीं. मोनिका रजनी की खूब खातिरदारी भी करती थी. वह उसे अच्छेअच्छे रेस्टोरेंट्स में ले जा कर ऐसीऐसी चीजें खिलाया करती थी, जिन से रजनी की तबीयत खुश हो जाए. फलस्वरूप उसे मोनिका बहुत अच्छी और अपनी हितैषी लगने लगी थी.

एक बार रजनी ने बताया कि उस के पास एक साड़ी है, जिस से मैच करता पेटीकोट ब्लाउज नहीं मिल पा रहा है. उस की बात सुन मोनिका ने छूटते ही कहा, ‘‘इतनी सी बात के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. मैं तुम्हें ऐसी दुकान पर ले जाऊंगी, जहां सब कुछ आसानी से मिल जाएगा. जब भी उस तरफ जाना हुआ, मैं तुम्हें साथ ले चलूंगी.’’

योजना के तहत जिस मौके का मोनिका को इंतजार था, वह उस के सामने था. उस ने इस बारे में संदीप और मनमोहन से बात की. मनमोहन शुरू से ही उन्हें कहता आया था कि उस की बनाई योजना के चलते रजनी को मौत के घाट उतार देने पर भी वे कभी नहीं फंसेंगे.

और अगर बुरी किस्मत के चलते फंस भी गए तो भूल कर भी पुलिस के सामने मेरा नाम नहीं लेना. आखिर तुम लोगों को बचाना तो मुझे ही है. वैसे तुम लोगों को यह भी बता दूं कि अगर तुम अपने काम में सफल हो गए तो मैं रजनी की लाश को वहां पहुंचा दूंगा, जहां उसे कभी कोई ढूंढ ही नहीं पाएगा.

                                                           अभियुक्त संदीप

संदीप और मोनिका तो पहले ही से वकील मनमोहन से प्रभावित थे. उन की नजर में उस जैसा चतुर दूसरा कोई नहीं हो सकता था. योजना को अंतिम रूप देते हुए 16 जनवरी को दिन के साढ़े 10 बजे मोनिका ने एक रिक्शाचालक से उस का फोन ले कर रजनी को काल कर के सेक्टर-21६ में एक जगह बुलवाया.

बनाई गई योजना के तहत मोनिका अपना मोबाइल फोन पहले ही चंडीगढ़ में किसी के पास छोड़ आई थी. ऐसा उस ने इसलिए किया था ताकि अगर पुलिस उस पर शक करने भी लगे तो घटना के वक्त के उस की फोन लोकेशन चंडीगढ़ की आए.

खैर, करीब घंटे डेढ़ घंटे बाद रजनी उस जगह पहुंच गई, जहां पहुंचने के लिए मोनिका ने कहा था.

मोनिका उस वक्त अपनी कार में थी, जिसे संदीप चला रहा था. रजनी के आने पर मोनिका ने उसे कार की पिछली सीट पर बिठाया और खुद भी अगली सीट से उठ कर पीछे उस की बगल में बैठ गई.

बैठते ही रजनी ने साथ लाए लिफाफे में से साड़ी निकाल कर मोनिका को दिखानी शुरू कर दी, जिस ने उसे उलटपलट कर देखते ही कहा, ‘‘इस साड़ी से मैच करता पेटीकोट ब्लाउज तो उस दुकान से बड़े आराम से मिल जाएगा.’’

इस के बाद दोनों इधरउधर की बातों में मशगूल हो गईं, जबकि संदीप कार को एक वीराने में ले गया. वहां पहुंच कर मोनिका ने रजनी की नजर बचाते हुए पहले तो उस का सेलफोन उठा कर स्विच औफ कर दिया. फिर कार के शीशे से बाहर की ओर देखते हुए चिल्ला कर कहा, ‘‘वो देखो कितना खूबसूरत बंदरों का जोड़ा.’’

उस वक्त रजनी का चेहरा सामने की तरफ था. मोनिका की बात सुन कर उत्सुकतावश वह भी अपना चेहरा घुमा कर खिड़की से बाहर देखने लगी. तभी मोनिका ने बड़ी तेजी से अपने साथ लाई नायलौन की रस्सी रजनी के गले में लपेटते हुए कस दी.

रजनी छटपटाने लगी तो संदीप ने कार रोक कर वहीं से पीछे घूम कर उस के घुटने दबा दिए.

कुछ देर छटपटाने के बाद रजनी शांत हो गई, उस के प्राणपखेरू उड़ चुके थे. वहीं पास में डंपिंग ग्राउंड था, जहां उन्होंने शव को गिरा कर उस पर कचरा डाल दिया.

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अभियुक्त वकील मनमोहन कुमार

इस के बाद इन्होंने इस बारे में मनमोहन को बताया, जिस ने 2 लाख में सौदा कर के मध्य प्रदेश से 2 बदमाश बुलाए जो रजनी का शव निकाल कर अपने साथ ले गए. उस की जगह उन्होंने एक कुत्ता मार कर रजनी के दुपट्टे में लपेटा और वहां थोड़ी ज्यादा गहराई में दफना दिया. वहीं पास ही में रजनी की एक जूती गिरा दी गई.

एक जबरदस्त योजना के तहत इस अपराध को पूरी सफाई से अंजाम दिया गया था. तीनों को अपने पकड़े जाने का अंदेशा नहीं था. मगर तीनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए और पूछताछ के वक्त की गई सख्ती के आगे सच्चाई को छिपा नहीं पाए.

कथा तैयार करने तक तीनों अभियुक्त न्यायिक हिरासत में अंबाला की सेंट्रल जेल में बंद थे. रजनी का शव बरामद करना तो दूर, पुलिस शव को पंचकूला के डंपिंग ग्राउंड से निकाल कर ले जाने वाले बदमाशों तक का पता लगाने में असफल रही.

पंचकूला पुलिस के इतिहास का यह पहला केस माना जा रहा है, जिस में कत्ल हुआ, कातिल भी पकड़े गए और पुलिस के सामने उन्होंने अपराध भी स्वीकार कर लिया. लेकिन मकतूल की लाश बरामद नहीं की जा सकी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रेमिका क्यों बनी कातिल

मुकेश ने खेत में देखा तो हैरान रह गया. वहां भारी मात्रा में खून फैला हुआ था. यह देखते ही वह वहां से तुरंत उल्टे पैर भागा और सीधे  गांव के मास्टर हरिराम के घर पहुंचा.

मास्टर हरिराम ने जब यह बात सुनी तो वह भी हैरान रह गए. उन्होंने फोन कर के गांव के पूर्व सरपंच लाखन सिंह ठाकुर को भी बुला लिया. तीनों उसी जगह पर पहुंचे तो जहां खून पड़ा था, वहां घसीटने के भी निशान थे. उसी घसीटती हुई फसल का पीछा करते करते वह 100-200 मीटर भी नहीं पहुंचे थे कि तीनों के कदम ठहर गए. क्योंकि उन के सामने औंधे मुंह एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी.

वह जिस व्यक्ति की लाश थी, उसे पूर्व सरपंच लाखन सिंह ठाकुर जानते थे. लाश गांव की ही मौजूदा सरपंच फूलबाई कुशवाह के बेटे विशाल कुशवाहा की थी. पूर्व सरपंच ने देरी न करते हुए बैरसिया थाने के एसएचओ नरेंद्र कुलस्ते को फोन कर के सूचना दे दी.

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के देहात क्षेत्र में स्थित बैरसिया थाना है. इस में गांव दामखेड़ा पड़ता है. यह गांव थाने से करीब 15-16 किलोमीटर दूर है. इसी गांव में मास्टर हरिनारायण सक्सेना भी रहते हैं. उन्हें पूरा गांव मास्साब के नाम से ही जानता है. उन के ही खेत में एक टपरा है, जिस में उन का बेलदार मुकेश रहता था.

वह 10 मार्च की सुबह जल्दी उठा. क्योंकि उस दिन अमावस्या थी, इसलिए उसे गांव में स्थित हनुमान मंदिर में जल चढ़ाने जाना था. वह उठा और मंदिर में सुबह लगभग 7 बजे चला गया. मंदिर में जल चढ़ा कर वह आ रहा था, तब उसे दूर से मास्साब के खेत में लगी फसल का कुछ हिस्सा बिखरा नजर आया.

मुकेश को लगा कि कोई फसल काट ले गया है. इसलिए वह तुरंत तेज कदमों से वहां पहुंचा था.

एएसपी डा. नीरज चौरसिया

लाश मिलने की सूचना पाते ही एसएचओ तुरंत घटनास्थल के लिए निकल पड़े. रास्ते में ही एसएचओ ने एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा, एएसपी डा. नीरज चौरसिया और प्रभारी एसडीओपी मंजू चौहान को यह जानकारी साझा कर दी.

एसडीओपी मंजू चौहान

एसएचओ नरेंद्र कुलस्ते मौके पर जा रहे थे, तभी उन के पास बैरसिया के एसडीओपी आनंद कलादगी की भी काल आ गई. वह भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी हैं और इस वक्त बैरसिया (देहात) में एसडीओपी का चार्ज देख रहे थे. हालांकि जब यह घटना हुई तो वह अवकाश पर पुश्तैनी गांव कर्नाटक गए हुए थे. एसएचओ ने उन्हें सारी जानकारी दे दी. शव पड़े होने की जानकारी देते हुए एसएचओ ने बताया कि वह मौके पर पहुंच रहे हैं.

इस के बाद घटनास्थल पर फिंगरप्रिंट के अधिकारियों और डौग स्क्वायड को भी बुला लिया था. इस के अलावा उन्होंने लललिया चौकी के प्रभारी एसआई शंभू सिंह सेंगर और थाने में तैनात एसआई रिंकू जाटव को भी मौके पर बुला लिया.

ये 2 बातें मौके पर हो चुकी थीं तय

थानाप्रभारी नरेंद्र कुलस्ते हरिनारायण सक्सेना के खेत पर पहुंचते, उस से पहले ही उन्हें गोलू साहू के खेत पर भारी भीड़ नजर आई. उन्होंने वहां मौजूद भीड़ को नगर रक्षा समिति के सदस्य इजरायल की मदद से हटाया.

उस के बाद शव और जहां खून फैला था, उस जगह को सुरक्षित कराया. वहां धीरेधीरे कर के सारे अफसर आना शुरू हो गए. खबर मीडिया तक पहुंच गई थी तो पत्रकारों का भी वहां जुटना शुरू हो गया.

उसी समय वहां सरपंच फूलबाई कुशवाहा के पति रमेश कुशवाहा भी कुछ लोगों के साथ पहुंच गए. अपने 25 वर्षीय बेटे विशाल कुशवाहा की लाश देख कर वह फूटफूट कर रोने लगे. उस की कुछ महीने पहले ही शादी भी हुई थी. वह नौजवान और हैंडसम युवक था. इस के अलावा सरपंच का बेटा होने के कारण उस का गांव में जलवा था.

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मृतक विशाल कुशवाहा

वह गांव में उगने वाली फसल को अपने लोडिंग वाहन में लोड कर के विदिशा जिले में लगने वाली मंडी में बेचने जाया करता था. जिस ग्रामीण को फसल उसे देनी होती थी, वह उसे पहले बता दिया करता था. इस कारण गांव के कई घरों में विशाल कुशवाहा का सीधा संपर्क था.

सबूत जुटाने में जुटे एसएचओ समेत तीनों अफसर नरेंद्र कुलस्ते, रिंकू जाटव और शंभू सिंह सेंगर मौके पर ही रणनीतियां बना रहे थे. इस दौरान हर स्तर का अफसर मौके पर आ कर एक नया टास्क टीम को दे कर जा रहा था.

एसएचओ मृतक विशाल कुशवाहा के शरीर में आए घावों को देख चुके थे. उस के बाएं कान के ऊपर भारी वस्तु से किए गए प्रहार के कारण सिर के भीतर दबा हिस्सा दिख रहा था. इस के अलावा सिर के पीछे और माथे पर धारदार हथियार के वार थे.

यह सभी अलगअलग तरह के थे. इसलिए यह तो साफ हो गया था कि उस की कई लोगों ने मिल कर हत्या की है. गरदन रेती गई थी, वह भी पेशेवर तरीके से. यानी यह भी साफ हो गया था कि वारदात करने वाला पेशेवर अपराधी है. गले को जिस जगह धारदार हथियार से रेता गया था, उस नाजुक जगह की जानकारी हर कोई नहीं रखता.

गांव से भागी महिला और उस के पति पर गया शक

घटनास्थल की बारबार तफ्तीश करने और विशाल कुशवाहा के कपड़ों की तलाशी लेने के बाद एसएचओ को सरकारी अस्पताल के 4 कंडोम मिले, इसलिए यह भी यकीन हो गया कि मामला अवैध संबंध से जुड़ा हो सकता है.

तभी एसएचओ का दिमाग ठनका और उन्होंने वहां मौजूद विशाल कुशवाहा के छोटे भाई मिथुन कुशवाहा से बातचीत शुरू की. क्योंकि वह उस वक्त होश में था.

उस ने बताया कि वह 2 भाई और 3 बहनें हैं, जिस में एक बहन की शादी हो गई है. मिथुन कुशवाहा से बातचीत में पता चला कि उन के गांव में चाची चली गई थी. वह गांव के दबंग अर्जुन कुशवाहा के साथ गई थी. उस से जरूर कुछ महीनों पहले विवाद की स्थिति बनी थी. लेकिन चाची और अर्जुन कुशवाहा घर छोड़ कर दूसरे गांव में रहने चले गए थे.

पुलिस ने उस की लोकेशन खंगाली तो वह संदेह के दायरे से बाहर हो गया. फिर आखिरी वक्त में कौन उस के साथ था, वह पता लगाया गया. तब मालूम हुआ कि गांव में रहने वाला बबलू कुशवाहा मृतक के पास आखिरी वक्त में था.

वह विशाल कुशवाहा की फसल और अपनी गाजर बेचने विदिशा गया हुआ था. उसे पुलिस ने काल करने की बजाय ग्रामीणों से काल लगा कर मौके पर बुलाया. उस को सीधे थाने ले जाया गया, जहां उस से पूछताछ अलग से की गई.

पड़ताल में मालूम हुआ कि बबलू कुशवाहा और विशाल कुशवाहा साथ में थे. जिस दिन लाश मिली, उस से एक दिन पहले रात 11 बजे लोडिंग वाहन उस के हवाले कर के वह चला गया था. लोडिंग वाहन में ही बबलू कुशवाहा को नींद की झपकी लग गई. बबलू कुशवाहा की नींद रात लगभग एक बजे खुली तो उस ने कई बार विशाल को फोन किया.

जब विशाल ने फोन नहीं उठाया तो बबलू ने उस के पापा रमेश कुशवाहा को फोन लगा कर बताया. उस ने बताया कि विशाल कुशवाहा ने सब्जी लोडिंग आटो में लोड कर ली थी. वह सुबह तक मंडी नहीं पहुंचाई तो खराब हो जाएगी. इस कारण रमेश कुशवाहा ने बबलू कुशवाहा के साथ दूसरे को भेज दिया.

यह बात पता चलने के बाद पुलिस ने बबलू कुशवाहा के अलावा विशाल कुशवाहा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकालने का काम शुरू कर दिया.

प्रेमिका के कांफिडेंस को देख कर थानाप्रभारी का हौसला हुआ पस्त

एसएचओ ने मिथुन कुशवाहा से पूछा, ”तुम्हारे भाई के किसी महिला से संबंध थे?’’

यह सुन कर वह बोला, ”हां, कुछ साल पहले तक उस के नीतू शाक्य के साथ रिश्ते थे. दोनों शादी भी करना चाहते थे. लेकिन पिता दूसरी जाति होने के कारण इस रिश्ते को अपनाने के लिए तैयार नहीं थे.’’

यह पता चलने के बाद उन्होंने विशाल कुशवाहा का रिश्ता विदिशा जिले के गंजबासौदा में स्थित गांव सलोई में रहने वाली हरीबाई से तय कर दिया गया. यह पता चलने के बाद नीतू शाक्य ने विशाल को फोन भी किया था. उस ने कहा था कि वह शादी करेगा तो अच्छा नहीं होगा.

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आरोपी नीतू शाक्य

इस धमकी को घर वालों ने नजरअंदाज कर के शादी कर दी थीं. यह सुनने के बाद एसएचओ ने देर नहीं की और वह महिला कांस्टेबल शीला दांगी के साथ नीतू शाक्य के घर पहुंच गए और पूछताछ के लिए उसे थाने ले आए.

सरपंच के बेटे का दोस्त थाने पहुंच कर क्यों गिड़गिड़ाया

अब एसएचओ के सामने इस अंधे कत्ल को सुलझाने के लिए कई रास्ते थे. वह किन रास्तों पर जाएं, तय नहीं कर पा रहे थे. क्योंकि उन के सामने दामखेड़ा गांव के दबंग अर्जुन कुशवाहा की कहानी थी तो वहीं बबलू कुशवाहा भी था, जो घटना से कुछ देर पहले तक मृतक के साथ था. तीसरी नीतू शाक्य जो कुछ महीने पहले तक मृतक विशाल कुशवाहा की प्रेमिका थी.

इन सभी बातों के बीच एसएचओ ने मौके पर मिले कंडोमों के आधार पर तय किया कि वह नीतू शाक्य को फोकस करेंगे. इसी बीच उन्हें विशाल कुशवाहा के मोबाइल की काल डिटेल्स भी मिल गई. जांच में पता चला कि मृतक की आखिरी बातचीत अजय नामदेव के साथ हुई थी. वह विदिशा जिले का रहने वाला था.

पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. उस ने बताया कि यह सिम उस ने खरीद कर विशाल कुशवाहा को दी जरूर थी, लेकिन इस का इस्तेमाल वह नहीं करता था.

इस के बाद पुलिस ने अजय नामदेव के ही मोबाइल में हो रहे एक अन्य नंबर से बातचीत वाले को तलब किया. क्योंकि उस ने अजय नामदेव को उसी दिन कई बार फोन लगाया था.

उस का नाम आमीन मंसूरी था, जो दामखेड़ा गांव के नजदीक दूसरे गांव बबचिया का रहने वाला था. उस से पूछताछ का जिम्मा ललरिया चौकी में बैठे एसआई शंभु सिंह सेंगर को दिया गया. इधर, नीतू शाक्य पुलिस को कोई सहयोग नहीं कर रही थी. कई बार पुलिस पूछताछ की नाव गोते खा कर पलट रही थी.

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थाने में एकमात्र महिला कांस्टेबल नीतू शाक्य से पूछताछ करने में कमजोर साबित हो रही थी. उधर, आमीन मंसूरी ने भी कम परेशान नहीं किया. उस के रिश्तेदार भी हत्याकांड में उसे घेरे जाने का पता चलने पर एकएक कर के थाने के बाहर जमा होने लगे. इस के बावजूद एसआई शंभु सिंह सेंगर की टीम ने सख्ती बरती तो वह टूट गया.

उस ने हत्याकांड को करना कुबूल लिया, जिस में नीतू शाक्य की सीधी भूमिका थी. उस ने यह भी बताया कि वह हत्या करने के लिए राजी नहीं था. लेकिन नीतू शाक्य ने उस को प्यार का हवाला दे कर हत्या करने के लिए मजबूर कर दिया था.

शारीरिक संबंध बनाने से पहले नीतू ने रखी थी कौन सी शर्त

आमीन मंसूरी (18 वर्ष) द्वारा गुनाह कुबूल कर लेने के बाद नीतू ने भी रट्टू तोते की तरह सारी कहानी बयां कर दी. उस ने बताया कि वह विशाल कुशवाहा की बेवफाई से काफी आहत हो गई थी. इसलिए उस ने तय कर लिया था कि वह उस की हत्या करेगी.

आरोपी आमीन मंसूरी

इस के लिए उस ने गांव के ही कई युवकों के साथ दोस्ती भी की थी. उन के साथ रिश्ते बनाने से पहले यह शर्त थी कि उन्हें विशाल कुशवाहा को निपटाना होगा.

नीतू से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने एकएक कर के सभी युवकों को थाने बुलाया. पता चला कि आमीन मंसूरी मटनचिकन की दुकान में काम भी करता था. उस के साथ 3 महीने पहले ही नीतू शाक्य ने दोस्ती की थी. एसएचओ इस बात को ले कर परेशान थे कि उस के पास विशाल कुशवाहा के दोस्त अजय नामदेव की मोबाइल सिम कैसे मिली. तब उस ने बताया कि वह मोबाइल और सिम उस को विशाल कुशवाहा ने ही खरीद कर बातचीत करने के लिए दी थी. शादी से पहले उसी मोबाइल के जरिए बातचीत होती थी.

हत्याकांड को अंजाम देने के लिए नीतू शाक्य ने विशाल कुशवाहा को फोन लगा कर हनुमान मंदिर के पास बुलाया था. लेकिन उस दिन घर में उस की मौसी आ गई थी. इस कारण वह रात 11 बजे उस के पास पहुंची थी. हालांकि इस से पहले 9 बजे मुलाकात होनी थी.

मर्डर करने के बाद लाश क्यों जलाना चाहती थी नीतू

उधर, आमीन मंसूरी ने बताया कि हत्याकांड में उस का दोस्त मनोज वंशकार भी शामिल था. 20 वर्षीय मनोज बबचिया गांव का रहने वाला था. लेकिन भोपाल के कोलार रोड स्थित ललिता नगर में रहने वाले भाई बलराम वंशकार और भाभी सुनीता वंशकार के साथ वह रहता था.

आरोपी मनोज वंशकार

आमीन मंसूरी ने बताया कि उस ने हत्या तो नहीं की थी, लेकिन उस की बाइक से वह मौके पर पहुंचा था. वह यह जानता था कि मैं अपनी प्रेमिका नीतू शाक्य के दुश्मन को मारने वाला हूं.

आमीन मंसूरी की कहानी और नीतू शाक्य की पटकथा मेल खाने लगी. यह देख कर पुलिस ने नीतू शाक्य को संदेही मान कर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. इधर, बैरसिया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए विशाल कुशवाहा के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आ चुकी थी.

रिपोर्ट में आईं इन चोटों को ले कर नीतू शाक्य ने राज उजागर किया. उस ने बताया कि उसे पता था कि मृतक के साथ बबलू कुशवाहा है, इसलिए उसे अकेले नीतू ने बुलाया था.

विशाल को लगा कि आज वह एक बार फिर पुरानी यादों को नीतू के साथ शारीरिक संबंध बना कर ताजा करेगा. इस कारण वह अपने साथ 4 कंडोम ले कर पहुंचा था. वह नीतू को देख कर अपने अरमानों को रोक नहीं पा रहा था. विशाल यह नहीं जानता था कि नीतू आज प्रेमिका नहीं, बल्कि बदला लेने वाली दुश्मन है.

वह योजना के तहत पीछे की तरफ जा रही थी. जबकि विशाल उसे आलिंगन करने के लिए बढ़ रहा था. तभी नीतू ने विरोध करते हुए बोला कि वह उस का फोन क्यों नहीं उठाता. विशाल बोला कि अब वह शादीशुदा है. पत्नी को पता चलता है तो घर में बवाल होता है.

यह बोलते हुए वह नीतू को दबोचने के लिए आगे बढ़ा. लेकिन नीतू पीछे हुई, तभी उस के पैर से पत्थर टकराया जो उस ने कब उठाया, यह विशाल समझ ही नहीं पाया. विशाल ने जैसे ही कमर के पीछे से दोनों हाथ डाल कर दबोचना चाहा. तभी उस ने विशाल के कान के बाएं तरफ जोरदार पत्थर का वार किया.

लाश को छिपाने में दोस्त ने क्यों नहीं की मदद

विशाल कुशवाहा को जैसे ही बाएं कान की तरफ पत्थर लगा तो वह चीख पड़ा. उसी वक्त पीछे से आ कर आमीन मंसूरी ने छुरी से विशाल के सिर पर वार किया और उसे दबोच लिया. यह देख कर वह समझ गया कि उस के साथ क्या होने वाला है. उस ने तुरंत ही मास्टर हरिनारायण सक्सेना के खेत में रहने वाले बेलदार को नाम ले कर बचाने के लिए पुकारा.

उस की आवाज सुन कर नीतू बोली, ”आमीन, इस का मुंह बंद करो नहीं तो पूरे गांव वाले जाग जाएंगे.’’

यह बोलने के साथ ही उस ने अपना दुपट्टा भी उसे दिया. दुपट्टे से आमीन मंसूरी ने उस का मुंह बंद किया और चाकू से विशाल कुशवाहा का गला रेत दिया. इस काम में आमीन मंसूरी काफी एक्सपर्ट था. क्योंकि वह मीट की दुकान में काम करता था.

गला रेतने के बाद खून का फव्वारा छूट पड़ा था. इसलिए खेत में चारों तरफ खून ही खून फैल गया. फिर तय किया गया कि उसे दूसरी जगह ले जा कर जला देते हैं, ताकि उस का शव पहचान में नहीं आ सके.

सिरहाने की तरफ से आमीन मंसूरी ने पकड़ा. वहीं पैर की तरफ से नीतू शाक्य पकड़ कर खींचने लगी, लेकिन मरने के बाद विशाल का शरीर भारी हो गया था.

बदले की आग जब शांत हुई तो नीतू खून से सने विशाल को देख कर घबरा गई. लाश खींचने के दौरान मृतक की पैंट नीतू के हाथों में खिंच आई और वह गिर गई.

यह देख कर आमीन ने अपने दोस्त मनोज वंशकार को बुलाया. आमीन ने उस से कहा कि वह लाश को घसीटने में मदद करे, ताकि उसे जला कर उस की पहचान मिटा सकें. लेकिन ऐसा करने के लिए मनोज वंशकार राजी नहीं हुआ.

नतीजतन दोनों गोलू कुशवाहा के खेत तक ही लाश को ले जा सके. उसे वहीं पटक कर तीनों मौके से भाग गए.

सारी रात कैसे मिटाए सबूत

नीतू शाक्य की योजना यह थी कि विशाल कुशवाहा की हत्या में उस का दोस्त अजय नामदेव फंसे. इसलिए उस के नाम पर खरीदे गए मोबाइल और सिम का इस्तेमाल नीतू ने किया था. लेकिन सब कुछ उलटा हो गया तो रणनीतियां बदली जाने लगीं.

हत्याकांड के बाद आरोपी आमीन मंसूरी मृतक का मोबाइल और पर्स ले कर भाग गया. ताकि लाश देखने के बाद पुलिस को यह लगे कि उस की लूट के इरादे से हत्या की गई है. आमीन मंसूरी ने बबचिया गांव के नाले में उस का मोबाइल फेंक दिया.

खून से सना दुपट्टा और कपड़े उतार कर नीतू शाक्य ने घर की छत पर एक कोने में छिपा दिए. उन्हें अगले दिन जलाने की योजना थी. लेकिन उस से पहले ही पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई थी.

पुलिस ने पहले आमीन मंसूरी और उस की प्रेमिका नीतू शाक्य को गिरफ्तार किया. उस के अगले दिन मनोज वंशकार को भी हिरासत में ले लिया.

पुलिस ने हत्याकांड में इस्तेमाल की गई मनोज वंशकार की बाइक भी जब्त कर ली. नीतू शाक्य ने मोबाइल की सिम तोड़ दी थी. लेकिन अजय नामदेव के नाम पर खरीदा गया मोबाइल उस के घर से बरामद किया गया.

पुलिस ने हत्या करने और सबूत मिटाने का मामला दर्ज करने के बाद आम्र्स एक्ट, लूट, साजिश रचने समेत कई अन्य धाराएं भी बढ़ा दीं. आरोपियों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फालोअर ने किया जौली का मर्डर

तारा सिंह ने दूसरे पड़ोसियों की मदद से दरवाजे का ताला तोड़ा. वे जैसे ही घर के भीतर घुसे, उन्होंने एक कमरे में जौली को खून से लथपथ पाया. लोगों ने तुरंत नजदीकी आमासिवनी पुलिस थाने में इत्तिला कर दी. थोड़ी देर में ही एसएचओ दीपक पासवान अपनी टीम के साथ वहां पर पहुंच गए.

वहां का दृश्य देखते ही वह समझ गए कि जौली सिंह की निर्मम हत्या की गई है. एसएचओ पासवान ने इस की जानकारी एसपी संतोष सिंह एवं एसपी (सिटी) सुरेश धु्रव को भी दे दी.

घटना चूंकि पुलिस कांस्टेबल की पत्नी के हत्या की थी, इसलिए दीपक पासवान ने तुरंत नक्सलियों के गढ़ सुकमा (बस्तर) में डौग हैंडलर के पद पर तैनान जौली सिंह के पति शिशुपाल सिंह को भी घटना की जानकारी दे दी.

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित आमासिवनी पुलिस कालोनी में रहने वाली जौली सिंह रोजाना की तरह फेसबुक पेज पर अपने हाल के रील पर आए कमेंट्स पढऩे लगी. कई कमेंट्स पर तेजी से अंगुलियां सरकाती चली गई. किंतु  एक कमेंट पर वह अटक गई. उसे 2-3 बार पढ़ डाला. कमेंट ही कुछ ऐसा था कि उसे बारबार पढऩे का मन कर रहा था.

”हैलो, आप ने जो रील बनाई है, मुझे बहुत अच्छी लगी. आप ने तो कमाल कर दिया है, मैं ने ऐसा कभी देखा नहीं था, इस की कल्पना तक नहीं की थी. सचमुच वंडरफुल आप यह कैसे कर लेती हैं कि देख कर के मैं तो मंत्रमुग्ध हो जाता हूं! सच कहता हूं जौलीजी! आप जैसा इस दुनिया में शायद कोई हो.’’

इसे पढ़ती हुई वह मन ही मन खुश हो रही थी. कमेंट लिखने वाले का नाम जय सिंह था. जौली का सरनेम भी ‘सिंह’ होने के कारण उस ने भावनात्मक जुड़ाव महसूस किया…और तुरंत कमेंट को लाइक कर लिखा, ‘वेलकम!’

महज एक शब्द ने जय और जौली के बीच परिचय और संवाद का दरवाजा खोल दिया था. जल्द ही दोनों सोशल मीडिया पर बातें शेयर करने लगे.

एक दिन जय सिंह ने लिखा, ”मैडम, अगर आप बुरा न मानें तो एक बात कहूं?’’

”जरूर! आप तो मेरे वेलविशर हैं.’’

इस पर जय सिंह ने अपने दिल की बात लिख डाली, ”आप को मेरी प्रोफाइल और पोस्ट्स से पता ही चल गया होगा कि मैं मायानगरी मुंबई में रहता हूं. यहां का वातावरण भी आप समझ सकती हैं. कितना खुलापन है. मगर, आप छत्तीसगढ़ के रायपुर में रह कर भी कुछ कम एडवांस नहीं हैं… खुले विचार हैं… आजाद खयाल रखती हैं… एडवांस हैं!’’

इस मैसेज का जवाब देने से जौली खुद को नहीं रोक पाई. उस ने लिख डाला, ”अरे! आजकल तो पूरा देश रील और इंस्टाग्राम का दीवाना बन चुका है. कल जो टिकटौक पर थे, आज रील बनाने लगे हैं. देखिए न, डेढ़ मिनट की रील क्या कमाल करती है…मैं तो चाहती हूं कि उस का टाइम और बढ़ा दिया जाए.’’

तुरंत जवाब मैसेज आ गया,”अच्छा! बहुत जानकारी रखती हैं रील के बारे में आप! क्या मुझे आप का मोबाइल नंबर मिल सकता है?’’ उस ने झिझकते हुए कहा.

”हांहां, क्यों नहीं?’’ इसी मैसेज के साथ जौली सिंह ने अपना मोबाइल नंबर भी टाइप कर दिया.

थोड़ी ही देर में जय सिंह ने मोबाइल पर काल कर दिया. जौली ने फोन रिसीव किया. दूसरी ओर से मधुर आवाज आई, ”जी, मैं जय सिंह बोल रहा हूं.’’

”जी… और मैं रायपुर से जौली सिंह बोल रही हूं.’’ जौली भी अपनी आवाज में शहद घोलते हुए बोली.

”मैडम! मैं एक बार फिर कहूंगा आप कहां छत्तीसगढ़ में हो, आप फेसबुक पर जो रील बनाती हैं उसे देख कर कम से कम मैं तो आप का प्रशंसक ही नहीं, एक जबरदस्त मुरीद बन गया हूं.’’

”क्यों? ऐसा क्या खास है मेरी रील में? मैं भी तो जरा सुनूं!’’ जौली सिंह हंसती हुए बोली.

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जौली का प्यार खींच लाया मुंबई से रायपुर

यह सुनते ही जय सिंह को एक सुखद एहसास हुआ…और अपनी भावना में तारीफ के शब्द घोल कर व्यक्त कर दिया, ”आप का हावभाव, चेहरा, प्रस्तुति सब कुछ अलग है! खास है. दुनिया में आप एकदम अलग हो, लाखों करोड़ों में भी आप जैसा कोई मुझे नजर नहीं आता.’’

अपनी इतनी प्रशंसा सुन कर जौली गदगद हो गई. उस ने कई बार कहा ”जी शुक्रिया! धन्यवाद! थैंक्स!’’

और फिर इस तरह दोनों के बीच अकसर बातें होने लगीं. कभी जौली तो कभी जय दिन में एकदो बार एकदूसरे को काल कर लिया करते थे. एक दिन जय सिंह ने जौली को काल किया. शुरुआत अनौपचारिक बातों से हुई. इसी सिलसिले में उस ने कहा, ”मैं आप से मिलना चाहता हूं. क्या मैं रायपुर आ सकता हूं आप से मिलने? मेरे लिए आप के पास समय होगा न?’’

जौली ने तत्काल जवाब दिया, ”हांहां, क्यों नहीं, मैं आप का स्वागत करूंगी, कब आ रहे हैं?’’

”आप कहो तो मैं कल सुबह ही आ जाऊं उड़ कर.’’

”भला कैसे इतनी जल्दी आ जाओगे?’’

”मैं मुंबई से रायपुर की पहली उड़ान में ही निकल आऊंगा और सुबहसुबह आप के सामने हाजिर हो जाऊंगा!’’

”अच्छा! ऐसा, इतनी जल्दी आ जाओगे, यह बहुत अच्छी बात है. आ ही जाइए.’’ जौली आश्चर्य से बोली और मिलने की अनुमति भी दे दी.

…और सचमुच दूसरे दिन दोपहर लगभग 12 बजे जय सिंह मुंबई से रायपुर फ्लाइट से पहुंच गया. उस ने एयरपोर्ट से ही जौली को फोन किया, ”मैं रायपुर आ गया हूं.’’

जौली घबराई आवाज में बोली, ”मगर मैं बड़ी चिंतित हूं, हम कहां मिलेंगे? तुम्हें मैं बताना भूल गई कि मेरे पति पुलिस में हैं…’’

”क्या कहा… पुलिस में… यह पहले क्यों नहीं बताया, मैं रायपुर आता ही नहीं!’’ जय को भी घबराहट होने लगी थी.

इस पर जौली हंस पड़ी, ”अरे! घबराने की कोई बात नहीं है, वह यहां से बहुत दूर दूसरे शहर में नौकरी करते हैं. मैं घर पर अकेली हूं. मगर सुनो, मैं चाहती हूं कि तुम्हें जब कोई देखे और कुछ पूछे तब कहना कि मैं पार्सल ले कर आया हूं कुरियर का.’’

यह सुन कर जय सिंह ने चैन की सांस ली. उस ने कहा, ”ओके! मैं पहुंचता हूं.’’

थोड़ी देर में जय टैक्सी से जौली से मिलने पुलिस कालोनी में ब्लौक नंबर ए पहुंच गया था. उस के सामने जौली खड़ी थी. जय सिंह उसे देखते ही समझ गया था कि जौली उस पर पूरी तरह कुरबान है. उस से मिलने के जुनून में उस ने जौली को अपनी बाहों में भर लिया. जौली ने भी कोई आपत्ति नहीं की.

किस ने की थी जौली सिंह की हत्या

मंगलवार के दिन 5 मार्च, 2024 की रात लगभग साढ़े 9 बजे जौली सिंह के पड़ोसी तारा सिंह ने देखा कि उस के घर के बाहर ताला लगा हुआ है. वह चकित हो गया, क्योंकि रात के समय ऐसा पहली बार था कि जौली बिना बताए कहीं गई थी.

आधे घंटे बाद तारा सिंह दोबारा बाहर आया. उस वक्त भी ताला लगा हुआ था. इसी दरमियान जौली सिंह की ननद भावना का तारा सिंह के मोबाइल पर फोन आया, ”भाभी को मैं ने कई काल लगाए हैं, लेकिन वह फोन नहीं उठा रही हैं. देखिए, कहीं उन की तबीयत तो खराब नहीं है? क्या बात है?’’

”हां, मैं ने भी गौर किया है और मैं खुद चिंतित हूं ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ था कि अभी भी बहू के घर का ताला लगा हुआ है. पता नहीं क्या बात है, वह कहीं भी जाती है तो बताती है, मगर इतनी रात में कहां गई होगी. घर में अभी भी ताला लगा हुआ है.’’ तारा सिंह ने भावना को बताया.

यह सुन कर भावना और ज्यादा चिंतित हो गई. बोली, ”मैं कई दफा काल लगा चुकी हूं, लेकिन फोन नहीं उठ रहा है. पता कीजिए, जरूर कुछ बात है. कुछ आशंका हो तो ताले को तुड़वा कर के देखिए.’’

भावना की इस तरह की आशंका जताने पर दरवाजे का ताला तोड़ा था. तब कमरे में जौली सिंह की लहूलुहान लाश मिली. सूचना मिलने पर पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंच चुके थे.

रात को लगभग 2 बजे तक पुलिस की जांच चलती रही. पुलिस को वहां मुंबई फ्लाइट का एक टिकट मिला. खून से सने हुए कपड़े मिले. पास ही एक कैंची मिली, जो धोई गई थी. पुलिस ने घटनास्थल की जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद जौली सिंह के शव को पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.

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     जौली सिंह का पति शिशुपाल सिंह

अगले रोज राजधानी रायपुर के अखबारों में जौली सिंह हत्याकांड की खबर प्रकाशित हुई. जौली सिंह की संदिग्धावस्था में लाश मिलने की सुर्खियां थीं. यह भी लिखा गया कि उस के पति शिशुपाल सिंह पुलिस आरक्षक हैं और दोनों अलगअलग रहते थे.

इस बात की चर्चा  के साथसाथ अटकलें लगाई जाने लगीं कि आखिर जौली सिंह का शव मकान के भीतर कैसे मिला? दरवाजे पर ताला किस ने लगाया था?

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  एसएचओ दीपक पासवान

एसएचओ दीपक पासवान ने जौली सिंह हत्याकांड में भादंवि की धारा 302 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी. एसपी संतोष सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया कर पुलिस टीम को जांच कर जल्द से जल्द आरोपियों को पकडऩे के निर्देश दिए.

जौली सिंह के बारे में पुलिस ने तमाम जानकारियां जुटाईं. उस की मां सुलोचना देवी बताया कि जौली सिंह और शिशुपाल सिंह का विवाह 2012 में हुआ था. शिशुपाल पुलिस की नौकरी में है. उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ समय से बेटी और दामाद के संबंधों में कड़वाहट घुली हुई थी. दोनों अलगअलग रहते थे. तलाक लेना चाहते थे, तलाक नहीं हुआ था. शिशुपाल सिंह हर महीने 10 हजार रुपए भी जौली को खर्चे का दिया करता था.

जौली की मौत पर उस के पिता सूरज सिंह भी काफी आहत हो गए थे. उन्होंने पोस्टमार्टम किए जाने वाले अस्पताल पर भी नाराजगी दिखाई. उन्होंने पुलिस की जांच टीम को गुस्से में कहा, ”हमें यहां के पोस्टमार्टम पर विश्वास नहीं है, कहीं अन्य पोस्टमार्टम होना चाहिए.’’

फ्लाइट के टिकट से हत्यारे तक कैसे पहुंची पुलिस

घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए एसपी ने एसएचओ दीपक पासवान के नेतृत्व में टीम बनाई, जिस में साइबर क्राइम के योग्य अधिकारियों को शामिल किया गया. एसपी संतोष सिंह ने सभी के साथ मीटिंग कर 7 दिनों के भीतर इस मामले का खुलासा करने के सख्त निर्देश दिए.

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    एसपी संतोष सिंह

एसपी संतोष सिंह के निर्देश के बाद मृतका के पति शिशुपाल सिंह को थाने बुलवाया गया. उस से लगभग 5 घंटे तक लंबी पूछताछ की गई.

उस ने पुलिस द्वारा पूछे गए सभी सवालों का सहजता के साथ जवाब दिया. किंतु जब यह पूछा गया कि क्या उस का मुंबई आनाजाना होता है? तब वह चौंक गया और बोला, ”नहीं सर, मेरा मुंबई से भला क्या नाता, जो वहां आनाजाना होगा!’’

”हमें घटनास्थल पर रायपुर से मुंबई के फ्लाइट की एक टिकट मिली है.’’ पुलिस ने बताया.

”तो फिर पता कीजिए टिकट किस के नाम है?’’ शिशुपाल तुरंत बोला.

”इस का मतलब जौली के हत्यारे का संबंध इस टिकट से है.’’

पुलिस ने जब इस बारे में तहकीकात की तब पता चला कि यह टिकट जय सिंह नामक व्यक्ति ने खरीदी थी. पुलिस को देर शाम एक व्यक्ति ने थाने में आ कर एक मोबाइल फोन जमा करवाते हुए कहा कि यह मोबाइल फोन उसे टैक्सी स्टैंड के पास मिला है.

वह मोबाइल साइबर टीम को सौंप दिया गया. पुलिस यह जान कर चौंक गई क्योंकि मोबाइल मृतका जौली सिंह का था. पुलिस को मोबाइल की काल हिस्ट्री की जांच के बाद जौली सिंह की हत्या में जय सिंह नामक व्यक्ति के हाथ होने का संदेह और मजबूत हो गया.

तत्काल पुलिस की एक टीम मुंबई भेजी गई. पुलिस ने जय सिंह की फ्लाइट टिकट के आधार पर उस का पता ठिकाना ढूंढ लिया था. वहां उस के बारे में मालूम हुआ कि वह एक फैक्ट्री में काम करता है. फैक्ट्री में पता चला कि वह कई दिनों से अपने गांव गया हुआ है. पुलिस टीम बैरंग रायपुर लौट आई.

जय सिंह भदोही (संत रविदास नगर), उत्तर प्रदेश का रहने वाला है. जिन दिनों छत्तीसगढ़ की पुलिस उस की तलाश में मुंबई गई थी, उन दिनों वह अपने घर भदोही आया हुआ था.

अपने घर जय सिंह कमरे में गहरी नींद में सोया हुआ था, तभी उसे किसी ने झिंझोड़ कर जगाया था. उस ने आंखें खोली तो सामने कुछ अपरिचित लोगों को देख कर घबरा गया. हड़बड़ी और टूटी आवाज में बोला, ”क..क!! क्या हुआ?… क्या बात है, जो मुझे इस तरह जगा दिए. कौन हैं आप लोग?’’

”मिस्टर जय सिंह, हम रायपुर से तुम्हें गिरफ्तार करने आए हैं!’’ कह कर सादे कपड़ों में मौजूद पुलिस टीम ने जय सिंह को दबोच लिया और कहा, ”तुम पर रायपुर में एक हत्या का आरोप है. तुम्हारे खिलाफ हमें सारे सबूत मिल चुके हैं.’’

इस पर घबरा कर पलंग पर उठ बैठे जय सिंह ने कहा, ”मगर आप लोगों को मेरे घर का पता कैसे चला?’’

”यह तुम्हें हम बाद में बताएंगे पहले तुम यह बताओ कि तुम ने जौली सिंह को क्यों मारा? तुम्हारा उस से कब से परिचय था?’’

यह सुनते ही जय सिंह समझ गया कि उस का खेल खत्म हो चुका है. वह टूट गया और सब कुछ बताने को तैयार हो गया. पुलिस टीम उसे रायपुर ले आई. उस ने बगैर किसी लागलपेट के अपनी करतूत की सारी कहानी उगल दी.

उस ने पुलिस को बताया कि उस ने कोविड19 के लौकडाउन के दरम्यान जौली का टिकटौक पर वीडियो देखा था. वह उसे लाइक करने लगा था. अचानक जुलाई में उस का वीडियो दिखना बंद हो गया. दोस्तों से मालूम हुआ कि भारत सरकार ने टिकटौक को बैन कर दिया है.

सच्ची चाहत ने मिलवा ही दिया जौली से

उसे बहुत निराशा हुई. वह सोशल साइट पर जौली के छोटेछोटे वीडियो ढूंढने लगा. इसी क्रम में उसे सितंबर 2020 में फेसबुक और इंस्टाग्राम पर छोटे रील्स मिले, जो मात्र 15 सेकेंड के थे. उस पर सर्च किया, तब जौली का वीडियो वहां मिल गया.

उस ने समझ लिया कि उस की किस्मत अच्छी है, जो जौली का वीडियो मिल गया. उस ने उसे तुरंत फालो कर दिया. इस तरह जय सिंह पर एक बार फिर से जौली की दीवानगी छा गई. वह उस से मोहब्बत कर बैठा था.

कोरोना का दौर खत्म होते ही वह जौली से मिलने के लिए रायपुर जा धमका. वे छिप कर मिलते रहे. किसी को उन के प्रेम संबंध की भनक तक नहीं लगी.

हालांकि जय सिंह विवाहित था. गांव में उस की पत्नी बच्चों के साथ रहती थी. जौली भी शादीशुदा थी, लेकिन पति शिशुपाल सिंह से विवाद के कारण अकेली रहती थी. फिर भी जौली और जय के बीच संबंध मधुर होते चले गए. जौली से मिलने के लिए जय रायपुर महीने 2 महीने के अंतराल पर जाने लगा.

एक रोज जौली ने उस पर विवाह करने का दबाव बनाया. इस पर जय ने इनकार कर दिया. उस ने बताया कि उस की पत्नी और 2 बच्चे हैं. इसलिए वह विवाह नहीं कर सकता है. इस पर वह नाराज हो गई और जय को जेल भेजने की धमकी देने लगी.

जब जय 5 मार्च, 2024 को उस के घर मिलने पंहुचा, तब जौली गले लगते ही उस से विवाह करने की जिद कर बैठी, जिस से उस का मूड खराब हो गया. जौली की जिद और बरताव को देख कर जय बौखला गया. गुस्से में आ गया. दूसरी तरफ जौली भी आपे से बाहर आ गई.

दोनों के बीच तूतूमैंमैं के साथ गालीगलौज तक होने लगी. जय ने भी उसे गाली दी और धक्का दे दिया. वह गिर गई माथे पर चोट आ गई और खून निकलने लगा.

तभी जय को खयाल आया कि क्यों न इस का काम तमाम कर दिया जाए. रोजरोज की ब्लैकमेलिंग से छुटकारा मिल जाएगा. पास ही रखी एक कैंची उठा कर जय ने उस पर ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए.

जौली बेजान हो गई. इस के बाद जय ने उस के शव को घसीट कर दूसरे कमरे में पहुंचा दिया. खून से सनी कैंची को पानी से धोया और वहां बैठ कर के बहुत देर तक रोता रहा.

कुछ समय बाद जय वहां से बाहर निकला. उस ने निकलते समय दरवाजे पर ताला लगा दिया. जौली का मोबाइल भी उस ने साथ रख लिया, मगर वह हड़बड़ी में कहीं गिर गया, इस का पता ही नहीं चला. फ्लाइट की टिकट भी नहीं मिली. वह भी कहीं गिर गई थी.

जय सिंह द्वारा हत्या का अपराध कुबूल करने के बाद अमासिवनी पुलिस ने आगे की काररवाई करते हुए उसे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, रायपुर के समक्ष पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित है

पत्नी व प्रेमी की विदेश में की हत्या

नेपाल के चितवन क्षेत्र के नारायण घाट से गुजर रहे लोगों की नजर एक बोरी पर पड़ी. उस समय सुबह के साढ़े 11 बजे का समय था. बोरी देख कर एक व्यक्ति ने उसे अपने कब्जे में ले लिया. उस ने सोचा कि बोरी में कोई सामान होगा. लोगों में आपस में बहस होने लगी कि इस बोरी पर उन का भी अधिकार है. इस के बाद माल की उम्मीद में जैसे ही बोरी का मुंह खोला गया, सभी के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. बोरी में कोई सामान नहीं, बल्कि एक   30-32 साल की महिला की लाश थी.

यह देख कर वहां मौजूद सभी लोग घबरा गए. फिर एक युवक ने तुरंत चितवन थाने की पुलिस को इस की सूचना दे दी. नेपाल पुलिस ने घटनास्थल पर पहुंच कर जांच शुरू की.  पुलिस ने डौग स्क्वायड भी बुला लिया. पुलिस सबूत जुटाने के प्रयास में थी, इसी बीच पुलिस को कुछ दूरी पर एक बोरी और मिली. उसे खोल कर देखा गया तो उस बोरी में भी एक 20-21 साल के युवक की लाश थी.

2-2 लाशें देखते ही पुलिस के होश उड़ गए. दोनों लाशें किस की हैं? कौन है युवती, कौन है युवक? किस ने की हैं इन दोनों की हत्याएं? 2-2 हत्याएं नेपाल पुलिस के लिए चुनौती बन गईं.

शवों की शिनाख्त नहीं होने पर पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू की. पुलिस समझ गई कि इन दोनों लाशों का आपस में जरूर कोई न कोई संबंध है. यह घटना 22 नवंबर, 2023 की थी.

झोले में छिपा हत्याओं का रहस्य

नेपाल पुलिस ने दोनों शवों को अपने कब्जे में ले लिया. उस क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया. एक फुटेज से पता चला कि एक व्यक्ति साइकिल पर रख कर 2 बार में इन शवों को यहां फेंक गया था. शवों को फेंकने वाले का चेहरा कैमरे में धुंधला होने के कारण उस का पता नहीं चल सका.

पहचान की गुंजाइश इतनी भर थी कि जांचपड़ताल के दौरान पुलिस को शवों से कुछ दूरी पर एक थैला मिला. उस थैले पर बिहार के मोतिहारी जिले के सुगौली की एक दुकान का पता लिखा हुआ था.

नेपाल पुलिस ने अनुमान लगाया कि जरूर इन दोनों लाशों का संबंध भारत के बिहार राज्य के सुगौली से होगा. बताते चलें कि मोतिहारी, बिहार राज्य के पूर्वी चंपारण का मुख्यालय है. बिहार की राजधानी पटना से 170 किलोमीटर दूर पूर्वी चंपारण नेपाल की सीमा पर बसा है.

इस के बाद नेपाल पुलिस ने थाना सुगौली पहुंच कर वहां की पुलिस को दोनों लाशों के साथ ही मिले थैले के बारे में जानकारी दी. दोनों लाशों के फोटो भी दिखाए.

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    मृतका अस्मिता उर्फ संजू देवी

जिन की लाशें मिलीं, थे हत्या के आरोपी

थाना सुगौली पुलिस को जैसे ही मृतकों के बारे में जानकारी मिली तो वह हतप्रभ रह गई. क्योंकि इन दोनों की पिछले 25 दिनों से तलाश कर रही थी. ये लाशें 21 वर्षीय ऋषभ, निवासी फुलवरिया थाना सुगौली और 30 वर्षीय अस्मिता उर्फ संजू देवी, निवासी सुगांव डीह थाना सुगौली की थीं. नेपाल पुलिस से पूरी दास्तान सुनने के बाद सुगौली थाने की पुलिस सक्रिय हो गई.

एसपी कांतेश कुमार मिश्रा

सुगौली के एसएचओ अमित कुमार सिंह ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को दी. इस पर एसपी कांतेश कुमार मिश्रा के निर्देश पर एएसपी (सदर) राज ने मामले को अपने हाथ में ले कर एसएचओ को आवश्यक काररवाई के आदेश दिए

इस के बाद सुगौली थाने के एसएचओ अमित कुमार सिंह ने इस संबंध में अपने थाने के रिकौर्ड के पन्ने पलटने शुरू किए. उन्हें याद आया कि 30 अक्तूबर, 2023 को एक रिपोर्ट दर्ज की गई थी.

एसएचओ अमित कुमार सिंह

यह रिपोर्ट फुलवरिया गांव के रहने वाले 22 वर्षीय रितेश शाह के लापता होने के संबंध में उस के पिता द्वारा दर्ज कराई गई थी. पुलिस रितेश के अपहरण के मामले को नहीं सुलझा पा रही थी. पुलिस ने काफी माथापच्ची की, लेकिन सुराग नहीं मिल रहा था. अब तक रितेश के अपहरण की गुत्थी अनसुलझी ही थी.

पिता ने रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि 23 अक्तूबर, 2023 को उन का बेटा रितेश शाह नवमी मेला देखने गया था, लेकिन लौट कर नहीं आया. उसे रिश्तेदारियों व दोस्तों के यहां भी तलाश किया, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.

उन्हें शक है कि उन के बेटे रितेश का अपहरण उस के बचपन के दोस्त ऋषभ निवासी फुलवरिया ने अपनी प्रेमिका अस्मिता उर्फ संजू देवी के साथ मिल कर किया है. उन्होंने पुलिस को यह भी जानकारी दी कि रितेश के अवैध संबंध भी उस अस्मिता से थे.

सुगौली थाना पुलिस को अब रितेश शाह के पिता पर ही शक होने लगा कि रितेश के अपहरण होने की रिपोर्ट दर्ज करा कर कहीं पिता उस का बचाव तो नहीं कर रहा.

पुलिस को अब यह भी लगने लगा कि कहीं आशिकी के चक्कर में रितेश और उस के घर वालों ने ही नेपाल ले जा कर ऋषभ और अस्मिता की हत्या तो नहीं कर दी और रितेश के अपहरण की मनगढ़ंत कहानी पुलिस को बता रहे हैं.

इस पर रितेश के पिता ने कहा कि जब से उन का बेटा लापता हुआ था. वह लगातार थाने के चक्कर काट रहा है और बेटे को तलाश करने की गुहार लगा रहा है. अब मेरे लापता बेटे पर ही हत्या का आरोप लगाना ठीक नहीं है.

पति पर पुलिस को क्यों हुआ शक

नेपाल से आई इस खबर ने अब मामले में एक नया मोड़ ला दिया था. सुगौली थाना पुलिस अब रितेश की तलाश में जुट गई. वहीं पुलिस को एक बात खटक रही थी कि जिस अखिलेश भगत की पत्नी अस्मिता उर्फ संजू अपने प्रेमी के साथ नेपाल चली गई, वह अब तक हाथ पर हाथ रखे क्यों बैठा है? उस ने पत्नी की गुमशुदगी अब तक दर्ज क्यों नहीं कराई, न संपर्क किया?  तब पुलिस का माथा ठनका.

पुलिस अखिलेश भगत की तलाश में जुट गई, लेकिन वह अपने घर सुगांव नहीं मिला. तभी 31 दिसंबर, 2023 को मुखबिर ने अखिलेश भगत के गांव कोवई में होने की सूचना पुलिस को दी.

Hatyara Akhilesh Bhagat

आरोपी अखिलेश भगत

सुगौली थाना पुलिस 2 जनवरी, 2024 को मृतका अस्मिता उर्फ संजू देवी के पति अखिलेश भगत को तलाशती हुई कोवई गांव पहुंची, जहां से उसे गिरफ्तार कर लिया. अखिलेश को थाने ला कर उस से पूछताछ की गई. अखिलेश ने पुलिस को बताया कि उस की पत्नी अस्मिता 2 युवकों को दिल दे बैठी थी. उसे इस बात का पता नहीं था.

जानकारी होने पर जब उस ने पत्नी पर दोनों प्रेमियों से मिलने पर पाबंदी लगा दी तो वह दोनों उस की पत्नी को ले कर फरार हो गए. अब पुलिस से ही उसे जानकारी मिली है कि नेपाल में उस की पत्नी और एक प्रेमी ऋषभ की हत्या हो गई है. जबकि दूसरा प्रेमी अभी फरार चल रहा है.

संजू देवी का पति अखिलेश भगत थाने की पुलिस को काफी देर तक यही कहानी सुना कर गुमराह करता रहा, लेकिन वह पुलिस की इस बात का कोई संतोषजनक जबाव नहीं दे पाया कि अपनी पत्नी की गुमशुदगी उस ने अब तक दर्ज क्यों नहीं कराई है. वह अब तक हाथ पर हाथ रखे क्यों बैठा है?

पुलिस समझ गई कि सीधी अंगुलियों से घी निकलने वाला नहीं है. तब पुलिस ने अखिलेश भगत से सख्ती से पूछताछ की, जिस का जल्दी ही परिणाम सामने आ गया. अखिलेश भगत वास्तव में बगुला भगत निकला. पुलिस की सख्ती के आगे वह रट्टू तोते की तरह बोलने लगा.

सुगौली पुलिस हवा में चलाती रही हाथपांव

एएसपी (सदर) राज ने प्रैसवार्ता आयोजित कर ट्रिपल मर्डर का परदाफाश करते हुए बताया कि एक आरोपी अखिलेश भगत को गिरफ्तार किया गया है. इस हत्याकांड में प्रेम प्रसंग कारण बन कर सामने आया है.

पहले महिला और उस के प्रेमी ऋषभ की हत्या की गुत्थी सुलझाई जा रही थी, तभी महिला के एक और प्रेमी रितेश शाह की हत्या का मामला सामने आया. रितेश के पिता ने अपहरण का आरोप रितेश के बचपन के दोस्त ऋषभ और प्रेमिका अस्मिता उर्फ संजू देवी पर लगाया था.

इस के बाद पुलिस ने जांच शुरू की, लेकिन ऋषभ और अस्मिता दोनों का पता नहीं चल सका था. जिले में पूरी खोजबीन के बावजूद पुलिस के हाथ खाली थे. 25 दिन से ज्यादा बीत जाने के बाद ऋषभ और अस्मिता तक नहीं पहुंचा जा रहा था. लेकिन नेपाल पुलिस द्वारा दी गई खबर से मामले में नया मोड़ आ गया.

अखिलेश से पूछताछ के बाद इस ट्रिपल मर्डर की चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

अखिलेश भगत इलैक्ट्रिक वायरिंग का काम करता था. वर्ष 2013 में उस की शादी अस्मिता के साथ हुई थी. दोनों का जीवन मजे से कट रहा था. शादी के बाद उन के 2 बेटे पैदा हुए. आज से लगभग 5 साल पहले वह पत्नी के साथ अपने मामा के घर फुलवरिया गांव में एक शादी समारोह में गया था.

ऋषभ और रितेश आपस में दोस्त थे. वह भी उस शादी समारोह में मौजूद थे. समारोह में बच्चा छोटा होने और भीड़ के कारण अस्मिता को खाना लाने में परेशानी हो रही थी. उस ने पास में खड़े एक युवक ऋषभ से मदद मांगी. इस पर ऋषभ उस के लिए प्लेट में खाना ले कर आ गया.

शादी में उस युवक का दोस्त रितेश शाह यह सब देख रहा था. उस ने ऋषभ से कहा कि वह भी उस महिला से दोस्ती करेगा.

ऋषभ ने कहा कि जैसा तू सोच रहा है वैसा कुछ नहीं है. मैं ने तो खाना लाने में उस की केवल मदद की है. लेकिन रितेश ने एक न सुनी और वह भी महिला को खाने का सामान ला कर देने लगा. इस तरह दोनों दोस्तों की पहचान अस्मिता से हो गई.

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                मृतक ऋषभ

रितेश और ऋषभ ने अस्मिता से मिलने के लिए अब उस के पति अखिलेश भगत से दोस्ती कर ली. उम्र में अंतर होने के बावजूद दोस्ती हो गई. अब दोनों युवकों का अखिलेश के घर आनाजाना शुरू हो गया. धीरेधीरे अस्मिता से दोस्ती प्यार में बदल गई और फिर दोनों दोस्तों के साथ अस्मिता के जिस्मानी संबंध बन गए.

अस्मिता ने दोनों दोस्तों को क्यों सौंपी अस्मत

अब जब भी रितेेश और ऋषभ को मौका मिलता, अस्मिता के पास आते और अपनी हसरतें पूरी कर चले जाते थे. वे दोनों अस्मिता, उस के बच्चों और पति पर भी खूब खर्चा करते थे, जिस से अखिलेश को उन पर शक न हो.

अखिलेश की पीठ पीछे उस की पत्नी क्या गुल खिला रही है, इस की अखिलेश को भनक तक नहीं लगी. धीरेधीरे अस्मिता का झुकाव प्रेमी ऋषभ की ओर अधिक हो गया. अंतरंग क्षणों में अस्मिता और ऋषभ को रितेश अब राह का रोड़ा नजर आने लगा.

एक दिन ऋषभ ने अखिलेश भगत से शिकायत कर दी कि उस की पत्नी के साथ रितेश शाह गलत काम करता है और उसे परेशान करता है. इस पर अखिलेश ने पत्नी से इस बारे में पूछताछ की.

अस्मिता ने बताया, रितेश से उस के अवैध संबंध नहीं हैं. लेकिन वह उसे परेशान करता है. कई बार मना किया, लेकिन वह मानता नहीं है.

इस के बाद अखिलेश भगत, ऋषभ और उस की पत्नी अस्मिता उर्फ संजू देवी ने मिल कर रितेश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई. इस योजना में अखिलेश ने अपने एक दोस्त विनय को भी शामिल कर लिया.

योजना के मुताबिक 23 अक्तूबर, 2023 को अस्मिता ने रितेश शाह को छपवा में आयोजित नवमी मेले को देखने के लिए बुलाया. रितेश अस्मिता के बुलावे पर मेला देखने पहुंच गया.

इसी दौरान एक सुनसान जगह पर ले जा कर रितेश के गले में गमछा डाल कर उस की गला घोंट कर सभी ने मिल कर हत्या कर दी. फिर लाश को एक वाहन से विनय अपने थाना केसरिया के गांव गोपालपुर ले गया, जहां एक खेत में गड्ढा खोद कर रितेश शाह को दफन कर दिया गया. इस के बाद हत्यारे अपनेअपने घरों को चले गए.

जब मेले से रितेश घर लौट कर नहीं आया तो उस के घर वालों को चिंता हुई. उन्होंने काफी खोजबीन की. नवमी मेले में ऋषभ और उस की प्रेमिका अस्मिता को रितेश के साथ गांव वालों ने देखा था. इस दौरान उन्हें पता चला कि दूसरे प्रेमी ऋषभ और अस्मिता इस समय छतौनी में हैं.

परिजनों के साथ ग्रामीणों ने दोनों को पकड़ कर छतौनी पुलिस के हवाले कर दिया. जब छतौनी पुलिस ने सुगौली थाने में संपर्क किया तो वहां की पुलिस ने महिला और उस के प्रेमी ऋषभ के खिलाफ प्राथमिकी और अन्य आरोपों से इंकार कर दिया. इस के बाद छतौनी पुलिस ने दोनों को उन के घर वालों को सौंप दिया.

इस घटना के बाद 30 अक्तूबर, 2023 को लापता प्रेमी रितेश शाह के पिता ने थाना सुगौली में गांव के ही ऋषभ और उस की प्रेमिका अस्मिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराते हए रितेश का अपहरण कर उस की हत्या कर देने की आशंका जताई.

पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद ऋषभ और अस्मिता नेपाल चले गए और वहां चितवन में जा कर रहने लगे.

अखिलेश ने कहां छिपाई थी लाश

इस जानकारी के बाद पुलिस ने अखिलेश भगत को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को अब रितेश की लाश को बरामद करना था. वह आरोपी अखिलेश भगत को ले कर बताए गए स्थान गांव गोपालपुर पहुंची. जहां मजिस्ट्रैट के समक्ष आरोपी अखिलेश भगत की निशानदेही पर खेत में खुदाई कराई गई.

खुदाई के दौरान गड्ढे से बाल, अंगूठा, नाखून आदि मिले, लेकिन पूरी बौडी नहीं मिली. पुलिस ने बरामद अवशेषों को सील करने के बाद उन्हें फोरैंसिक (एफएसएल) जांच के लिए भेज दिया. पुलिस को जांच के दौरान पता चला कि रितेश की लाश को ठिकाने लगाने में कुछ अन्य लोग भी शामिल थे. पुलिस अपने मुखबिरों से उन की पहचान कराने के बाद उन की गिरफ्तारी में जुट गई ताकि रितेश के शेष अवशेषों को बरामद किया जा सके.

उधर रितेश की हत्या के बाद ऋषभ और उस की प्रेमिका अस्मिता उर्फ संजू देवी अखिलेश भगत को बिना बताए नेपाल भाग गए. प्रेमीप्रेमिका ने अपने रास्ते के रोड़े को हटा दिया था. दोनों अब अपनी जिंदगी आराम से बिताना चाहते थे. नेपाल में दोनों किराए पर कमरा ले कर चितवन में रहने लगे.

इधर पत्नी अस्मिता और ऋषभ के अचानक गायब हो जाने पर अखिलेश परेशान हो गया. पूर्वी चंपारण से नेपाल अधिक दूरी पर नहीं है. डेढ़ घंटे का रास्ता है. उसे शक हुआ कि जरूर दोनों नेपाल भाग गए हैं.

इसी बीच उसे कुछ लोगों से पता चला कि ऋषभ और अस्मिता को नेपाल में देखा गया है. अखिलेश भगत दोनों को तलाशता हुआ एक दिन नेपाल जा पहुंचा. वहां उसे पता चला कि दोनों चितवन में किराए पर कमरा ले कर रहते हैं.

जब अखिलेश भगत उन के कमरे पर पहुंचा तो दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख कर उस का खून खौल गया. लेकिन उस ने अपने गुस्से को जाहिर नहीं होने दिया.

अखिलेश भगत भी दोनों के साथ वहां रहने लगा. वह जानता था कि उस के साथ पत्नी अस्मिता और उस के प्रेमी ऋषभ ने विश्वासघात किया है. उसे पता चल गया कि रितेश की हत्या भी ऋषभ और अस्मिता की चाल थी.

अखिलेश अब पूरी तरह से समझ गया था कि ऋषभ ने अस्मिता पर सिर्फ अपना एकाधिकार जमाने के लिए ही अपने दोस्त रितेश की हत्या की थी. लेकिन अखिलेश भगत ने अपने मन की बात दोनों के सामने जाहिर नहीं होने दी. वह उन के साथ सामान्य तरीके से रहने लगा.

अखिलेश ने विदेश जा कर की दोनों की हत्या

अखिलेश अब मौके की तलाश में रहने लगा. 18 नवंबर, 2023 को जब अखिलेश की पत्नी अस्मिता कपड़े धो रही थी और ऋषभ कमरे में सो रहा था, तभी अखिलेश ने सोते समय ऋषभ को दबोच लिया और उस के गले में गमछा डाल कर उस की हत्या कर दी.

कपड़े धो रही अस्मिता ने ऐसा करते हुए उसे देख लिया. उस ने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन गुस्से से भरे अखिलेश ने अपनी पत्नी का गला घोंट कर उसे भी मार डाला.

2-2 हत्याएं करने के बाद अब उन्हें ठिकाने भी लगाना था. अखिलेश ने अलगअलग बोरियों में दोनों लाशों को बंद करने के बाद एक साइकिल का इंतजाम किया. फिर एकएक बोरी को ले जा कर चितवन के जंगल में फेंक आया. इस के बाद वह नेपाल से भाग कर अपने गांव आ गया.

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एएसपी राज

एक युवक की हत्या भारत में जबकि एक युवक व एक महिला की हत्या नेपाल में कर दी जाती है. इस ट्रिपल मर्डर की गुत्थी को नेपाल पुलिस की मदद से एएसपी राज के नेतृत्व में सुगौली थाने के एसएचओ अमित कुमार सिंह, एसआई अभिनव राज व टेक्निकल टीम ने सुलझा लिया. इन को पुरस्कृत किए जाने के लिए मोतिहारी के एसपी कांतेश कुमार मिश्रा से सिफारिश की गई है.

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एसआई अभिनव राज

पुलिस ने अखिलेश भगत को गिरफ्तार कर न्यायालय के समक्ष पेश किया, जहां से उसे 3-3 हत्याओं यानी पत्नी अस्मिता उर्फ संजू देवी तथा उस के 2 प्रेमियों रितेश और ऋषभ की हत्या को अंजाम देने के आरोप में जेल भेज दिया गया.

समाज अनैतिक रिश्ते की इजाजत नहीं देता है. यह बात देखने और सुनने में रील लाइफ जैसी है, लेकिन है रीयल स्टोरी. पति के रहते हुए 2-2 प्रेमियों के मोहपाश में जकड़ी अस्मिता ने इस बात को यदि समय रहते समझ लिया होता तो उसे जान से हाथ नहीं धोना पड़ता.

25 दिनों में बिना आगापीछा सोचे अखिलेश भगत ने 3 मर्डर कर दिए, जिस की वजह से उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा. अब उस के 2 बच्चों की परवरिश कौन करेगा?

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मंगेतर के इश्क में हुई मौत

17 अप्रैल, 2023 को रोशनी का डिजिटल मार्केटिंग का पेपर था. वह जालौन जिले के एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल डिग्री कालेज में बीए (द्वितीय वर्ष) की छात्रा थी. इसी कालेज में उस की बड़ी बहन शीलम भी पढ़ती थी. वह बीए फाइनल में थी. उस का हिंदी साहित्य का पेपर था. सुबह 8 बजे उन दोनों को उन का भाई श्रीचंद्र अपनी बाइक से कालेज गेट पर छोड़ कर चला गया था.

लगभग साढ़े 10 बजे रोशनी और शीलम परीक्षा दे कर कालेज से निकलीं. हाथों में प्रवेश पत्र थामे दोनों बहनें अपने घर की तरफ चल दीं. चलतेचलते दोनों आपस में बातचीत भी करती जा रही थी. जैसे ही वे कोटरा तिराहे की ओर बढ़ीं, तभी रोशनी एकाएक ठिठक कर रुक गई.

किसी अनचाहे शख्स के अंदेशे में उस ने पलट कर देखा. पीछे एक बजाज पल्सर बाइक सवार को देख कर उस की आंखों में खौफ की छाया तैर गई. क्योंकि वह बाइक पर पीछे की सीट पर बैठे युवक को जानती थी. रोशनी ने तुरंत अपनी बड़ी बहन शीलम का हाथ जोर से पकड़ा और घसीटते हुए कहा, ”जरा तेज कदम बढ़ाओ.’’

शीलम ने रोशनी को खौफजदा पाया तो फौरन पलट कर पीछे देखा. वह भी पूरा मामला समझ गई. इस के बाद दोनों बहनें फुरती से तेजतेज चलने लगीं.

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चेहरे पर हलकी दाढ़ी और सख्त चेहरे वाला युवक राज उर्फ आतिश था, जो रोशनी का मंगेतर था, पर किसी वजह से उस से सगाई टूट गई थी. राज व उस के साथी को देख कर दोनों बहनों की चाल में लडख़ड़ाहट आ गई थी. आशंका को भांप कर रोशनी ने मोबाइल निकाल कर किसी का नंबर मिलाया.

वह मोबाइल पर बात कर पाती, उस के पहले ही राज बाइक से उतर कर उस के पास पहुंच गया. उस ने मोबाइल वाला हाथ झटकते हुए रोशनी का गला दबोच लिया. गले पर कसते सख्त हाथों की गिरफ्त से छूटने के लिए रोशनी ने जैसे ही हाथ चलाने की कोशिश की, राज ने कमर में खोंसा तमंचा निकाला और रोशनी के सिर पर सटा कर फायर कर दिया.

गोली लगते ही रोशनी चीखी और सड़क पर बिछ गई. उस के सिर से खून की धार बह निकली. कुछ देर छटपटाने के बाद रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया. बदहवास शीलम ने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन उस के गले से आवाज निकलने के बजाय वह जड़ हो कर रह गई. इसी बीच कुछ लोगों को आते देख कर राज डर गया. हड़बड़ाहट में वह भागा तो उस का तमंचा हाथ से छूट गया. वह बिना तमंचा उठाए ही अपने साथी के साथ बाइक पर सवार हो कर फरार हो गया.

हत्यारे फरार हो गए, तब शीलम जोरजोर से चीखने लगी. उस ने कई लोगों से मदद मांगी, लेकिन सभी ने मुंह फेर लिया. उस के बाद उस ने हिम्मत जुटा कर मोबाइल फोन से अपने घर वालों को जानकारी दी.

सामने हुई हत्या तमाशबीन क्यों रहे लोग

रोशनी की हत्या की खबर सुनने के बाद घर में कोहराम मच गया. कुछ ही देर बाद मृतका के मम्मीपापा, भाई व परिवार के अन्य लोग वहां पहुंच गए और खून से लथपथ रोशनी की लाश देख कर दहाड़ मार कर रोने लगे.

रोशनी की हत्या दिनदहाड़े कस्बे के कोटरा तिराहे के भीड़ भरे बाजार में की गई थी, लेकिन हत्यारों का सामना करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा सका था. दुकानदार तो इतने दहशत में आ गए थे कि वे अपनी दुकानों के शटर गिरा कर तमाशबीन बन गए थे.

दरअसल, दहशत इसलिए थी कि एक दिन पहले ही कुख्यात माफिया अतीक व उस के भाई की हत्या प्रयागराज में गोली मार कर की गई थी. लोगों के दिमाग में भय था कि इस हत्या का कनेक्शन कहीं उस वारदात से तो नहीं जुड़ा है.

घटनास्थल से एट कोतवाली की दूरी मात्र 200 मीटर थी. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह चौहान को वारदात की खबर लगी तो वह कुछ पुलिसकर्मियों के साथ घटनास्थल पहुंच गए. पुलिस के पहुंचते ही भीड़ का सैलाब उमड़ पड़ा. कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने मामले की जानकारी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, फिर निरीक्षण में जुट गए.

21 वर्षीया रोशनी की हत्या सिर में गोली मार कर की गई थी. शव के पास ही .315 बोर का तमंचा पड़ा था, जिस से उस की हत्या की गई थी. पुलिस ने तमंचे को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. मृतका का मोबाइल फोन व प्रवेशपत्र भी वहीं पड़ा था. पुलिस ने उसे भी सुरक्षित कर लिया.

अभी यह सब काररवाई चल ही रही थी कि एसपी डा. ईरज राजा, एएसपी असीम चौधरी तथा सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई भी घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी मौके पर बुला लिया.

पुलिस अफसरों के आते ही चीखपुकार बढ़ गई. मृतका की मम्मी सुनीता, पापा मानसिंह तथा भाई श्रीचंद्र दहाड़ें मार कर रोने लगे. पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें शव से अलग किया, फिर घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. फोरैंसिक टीम ने जांच कर साक्ष्य जुटाए.

घटनास्थल पर मृतका की बहन शीलम मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों को उस ने बताया कि उस की बहन रोशनी की हत्या उस के मंगेतर राज उर्फ आतिश ने की है. वह कंदौरा थाने के गांव जमरेही का रहने वाला है. रोशनी और राज आपस में प्रेम करते थे. मम्मीपापा ने दोनों का रिश्ता भी तय कर दिया था.

लेकिन जब रोशनी को पता चला कि राज गुस्से वाला, शक्की व सनकी स्वभाव का है तो रोशनी ने उस से शादी करने से इंकार कर दिया. इस से वह नाराज हो गया और रोशनी को डराने धमकाने लगा. रोशनी नहीं मानी तो आज उस ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी. उस के साथी को वह जानती पहचानती नहीं है.

निरीक्षण व पूछताछ के बाद पुलिस ने मृतका रोशनी के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. साथ ही मृतका की बड़ी बहन शीलम की तहरीर पर भादंवि की धारा 302 के तहत राज उर्फ आतिश तथा एक अज्ञात व्यकित के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने ऐसे ढूंढ निकाला आरोपी

एसपी डा. ईरज राजा ने छात्रा रोशनी हत्याकांड को बड़ी गंभीरता से लिया. अत: आरोपियों को पकडऩे के लिए उन्होंने पुलिस की 4 टीमें गठित कीं. एक टीम सीओ (कोंच) शैलेंद्र बाजपेई तथा दूसरी टीम कोतवाल अवधेश कुमार सिंह की अगुवाई में गठित की.

एसओजी तथा सर्विलांस टीम को भी सहयोग के लिए शामिल किया. इन चारों टीमों ने आरोपितों के हरसंभावित ठिकानों, हमीरपुर, कंदौरा, जमरेही, विवार तथा धनपुरा में ताबड़तोड़ दबिशें दीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी.

शाम 5 बजे कोतवाल अवधेश कुमार सिंह को मुखबिर के जरिए पता चला कि आरोपी राज एट थाने के गांव सोमई में किसी परिचित के घर छिपा है. इस सूचना पर पुलिस टीम ने सोमई गांव में दबिश डाल कर और उसे दबोच लिया. पुलिस टीम ने उस की बिना नंबर प्लेट वाली बजाज पल्सर बाइक भी बरामद कर ली. पूछताछ के लिए उसे थाना एट लाया गया.

थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो वह टूट गया और रोशनी की हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया. उस ने बताया कि रोशनी उस की प्रेमिका थी. वह उस से शादी करना चाहता था. घर वाले भी राजी हो गए थे, लेकिन रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया. उस ने उसे प्यार से भी समझाया और धमकाया भी. लेकिन जब वह नहीं मानी तो उसे मौत की नींद सुला दिया.

”तुम्हारे साथ जो अन्य युवक था, उस से तुम्हारा क्या संबंध है?’’ कोतवाल अवधेश सिंह ने पूछा.

”सर, वह मेरा  ममेरा भाई रोहित उर्फ गोविंदा था. वह हमीरपुर जिले के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला है. हमारे और रोशनी के बारे में उसे सब पता था. हम ने जब उसे प्रेमिका की बेवफाई और उसे सबक सिखाने की बात कही तो वह साथ देने को राजी हो गया.’’

”तुम्हारी बाइक की नंबर प्लेट नहीं है. क्या वह चोरी की है?’’ श्री सिंह ने पूछा.

”नहीं सर, बाइक चोरी की नहीं है. हम ने पहचान छिपाने के लिए नंबर प्लेट जंगल में छिपा दी तथा खून से सने कपड़े चिकासी गांव के पास बेतवा नदी में फेंक दिए थे.’’

चूंकि सबूत के तौर पर खून से सने कपड़े तथा नंबर प्लेट बरामद करना जरूरी था, अत: कोतवाल अवधेश कुमार सिंह ने आरोपी राज की निशानदेही पर कपड़े व प्लेट बरामद करने पुलिस टीम के साथ निकल पड़े. अब तक अंधेरा छा चुका था. राज जब पचखौरा नहर पुलिया के पास पहुंचा तो उस ने पुलिस जीप रुकवा दी.

वह नीचे उतरा और बताया कि यहीं नहर झाडिय़ों में उस ने नंबर प्लेट छिपाई थी. पुलिस के साथ राज झाडिय़ों की तरफ बढ़ा, तभी अचानक उस ने कोतवाल अवधेश कुमार सिंह के हाथ से सरकारी पिस्टल छीन ली और फायर झोंकने की धमकी दे कर भागने लगा. पुलिस टीम ने भी उस की घेराबंदी कर जवाबी काररवाई शुरू कर दी.

राज ने एक फायर किया, तभी पुलिस ने भी गोली चला दी. पुलिस की गोली राज के पैर में लगी, जिस से वह जख्मी हो कर जमीन पर गिर पड़ा. घायल राज को तुरंत जिला अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराया गया.

पुलिस की अन्य टीमें दूसरे आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा को पकडऩे के लिए अथक प्रयास में जुटी रहीं, लेकिन वह हाथ नहीं आया. पुलिस जांच में एक ऐसे शक्की व सनकी प्रेमी की कहानी सामने आई, जिस ने एक होनहार छात्रा की सांसें छीन लीं और स्वयं का जीवन भी अंधकारमय बना लिया.

मौसी के घर ऐसे बढ़ी प्रेम की बेल

उत्तर प्रदेश का एक जिला है जालौन. इसी जिले के एट थाना अंतर्गत ऐंधा गांव में मानसिंह अहिरवार सपरिवार रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सुनीता के अलावा 2 बेटे हरीश कुमार, श्रीचंद्र और 4 बेटियां रजनी, मोहनी, शीलम तथा रोशनी थी. मानसिंह किसान था.

खेतीबाड़ी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करता था. उस का बड़ा बेटा हरीश कुमार उरई में प्राइवेट जौब करता था, जबकि छोटा बेटा श्रीचंद्र खेती के काम में हाथ बंटाता था. 2 बेटियों रजनी व मोहनी के जवान होते ही मानसिंह ने उन का विवाह कर दिया था.

मानसिंह की सब से छोटी बेटी का नाम रोशनी था. वह बहुत चंचल थी. इसलिए वह किसी से भी बातचीत में नहीं झिझकती थी. रोशनी से बड़ी शीलम थी. वह भी बातूनी व हंसमुख थी. दोनों बहनें सुंदर तो थीं ही, पढऩे में भी तेज थी.

दोनों एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय में पढ़ती थीं और साथसाथ कालेज जाती थीं. कालेज में लड़के लड़कियां साथ पढ़ते थे, लेकिन कभी किसी लड़के की हिम्मत नहीं हुई कि वह इन दोनों बहनों से पंगा ले.

रोशनी की मौसी अनीता, कदौरा थाने के गांव जमरेही में ब्याही थी. वह रोशनी को बहुत चाहती थी. बात उन दिनों की है, जब रोशनी ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी. मौसी के बुलावे पर वह जमरेही गांव पहुंची. वहां मौसी ने उस की खूब आवभगत की और कुछ दिनों के लिए उसे अपने घर रोक लिया था.

मौसी के घर पर ही एक रोज रोशनी की मुलाकात राज उर्फ आतिश से हुई. पहली ही मुलाकात में दोनों एकदूसरे से प्रभावित हुए. राज उर्फ आतिश, रोशनी की मौसी अनीता का पड़ोसी था और उस की जातिबिरादरी का था.

चूंकि राज का अनीता के घर बेरोकटोक आनाजाना था, इसलिए उस की मुलाकातें बढऩे लगीं. उन मुलाकातों ने दोनों के दिलों में प्रेम के बीज बो दिए. धीरेधीरे दोनों के बीच बातचीत भी होने लगी. खूबसूरत रोशनी जहां राज के दिल में समा गई थी, वहीं स्मार्ट राज से बातचीत करना रोशनी को भी अच्छा लगने लगा था.

एक रोज राज अनीता के घर गया तो वह घर में नहीं दिखी. इस पर राज ने पूछा, ”रोशनी, आंटी नहीं दिख रहीं, क्या वह कहीं गई हैं?’’

”हां, मौसी खेत पर गई हैं. घंटे-2 घंटे बाद ही आएंगी.’’ रोशनी ने जवाब दिया.

रोशनी की बात सुन कर राज मन ही मन खुश हुआ. उसे लगा कि आज उसे अपने दिल की बात कहने का अच्छा मौका मिला है. अत: वह बोला, ”रोशनी आओ, मेरे पास बैठो. मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. लेकिन..?’’

”लेकिन क्या?’’ रोशनी ने आंखें नचा कर पूछा.

”यही कि डर लगता है कि कहीं तुम मेरी बात का बुरा न मान जाओ.’’

”तुम मुझे गाली तो दोगे नहीं, फिर भला मैं बुरा क्यों मान जाऊंगी?’’

”रोशनी, तुम मेरे जीवन को भी रोशनी से भर दो.’’ कहते हुए राज ने रोशनी का हाथ अपने हाथ में ले लिया. फिर बोला, ”रोशनी, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना अब मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लगता है. मैं तुम्हें अपने घर की रोशनी बनाना चाहता हूं.’’

रोशनी कुछ क्षण मौन रही फिर बोली, ”राज, मुझे तुम्हारा प्यार तो कुबूल है, लेकिन शादी का वादा नहीं कर सकती. क्योंकि एक तो मैं अभी पढ़ रही हूं, दूसरे शादी विवाह की बात घर वाले ही तय करेंगे. मैं ऐसा कोई वादा नहीं करना चाहती, जिस के टूटने से तुम्हारे दिल को ठेस लगे.’’

इस के बाद रोशनी और राज का प्यार परवान चढऩे लगा. दोनों ने एकदूसरे का मोबाइल नंबर ले लिया था, अत: उन की बात देरसवेर फोन पर भी होने लगी थी. ज्यादा देर बात करने को मौसी टोकती तो वह कालेज की सहेली से बात करने का बहाना बना देती. कभीकभी मां या बड़ी बहन से बात करने की बात कहती. अनीता उस की बातों पर सहज ही विश्वास कर लेती.

लेकिन अनीता के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक शाम धुंधलके में राज और रोशनी को आपस में छेड़छाड़ करते देख लिया. दूसरे रोज अनीता ने रोशनी को प्यार से समझाया, ”बेटी, लड़की की इज्जत सफेद चादर की तरह होती है. भूल से भी उस पर दाग लग जाए तो वह दाग जीवन भर नहीं जाता.’’

रोशनी समझ गई कि मौसी को उस पर शक हो गया है. उस ने अपनी सफाई में बहुत कुछ कहा. लेकिन अनीता ने यकीन नहीं किया. उस ने राज को भी फटकार लगाई. इसी के साथ वह दोनों पर निगरानी रखने लगी. लेकिन फिर भी दोनों फोन पर बतिया लेते थे और दिल की लगी बुझा लेते थे.

अनीता नहीं चाहती थी कि उस के घर पर रहते रोशनी कोई गलत कदम उठाए और वह बदनाम हो जाए. अत: उस ने रोशनी को उस के घर ऐंधा भेज दिया. रोशनी प्रेम रोग ले कर घर वापस आई थी. अत: उस का मन न तो पढ़ाई मेंं लगता था और न ही घर के दूसरे काम में.

वह खोईखोई सी रहने लगी थी. बड़ी बहन शीलम ने उस से कई बार पूछा कि वह खोईखोई सी क्यों रहती है? लेकिन रोशनी ने उसे कुछ नहीं बताया. वह बुत ही बनी रही.

बड़ी बहन को ऐसे पता लगा रोशनी के अफेयर का

एक रोज रोशनी बाथरूम में थी, तभी उस के फोन पर काल आई. काल शीलम ने रिसीव की और पूछा, ”आप कौन और किस से बात करनी है?’’

इस पर दूसरी ओर से आवाज आई, ”मैं राज बोल रहा हूं. मुझे रोशनी से बात करनी है. जब वह मौसी के घर जमरेही आई थी, तभी उस से जानपहचान हुई थी.’’

”ठीक है, अभी वह घर पर नहीं है.’’ कह कर शीलम ने काल डिसकनेक्ट कर दी. फिर सोचने लगी कि कहीं रोशनी किसी लड़के के प्यार के चक्कर में तो नहीं पड़ गई. कहीं रोशनी उसी के प्यार में तो नहीं खोई रहती. यदि ऐसा कुछ है तो वह आज भेद खोल कर ही रहेगी.

कुछ देर बाद रोशनी बाथरूम से बाहर आई तो शीलम ने पूछा, ”रोशनी, यह राज कौन है? तू उसे कैसे जानती है?’’

”दीदी, मैं किसी राज को नहीं जानती.’’ रोशनी धीमी आवाज में सफेद झूठ बोल गई.

”देखो रोशनी, अभी कुछ देर पहले जमरेही से राज का फोन आया था. वैसे तो उस ने मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है. लेकिन मैं सच्चाई तुम्हारे मुंह से सुनना चाहती हूं.’’

रोशनी समझ गई कि उस की आशिकी का भेद खुल गया है. अब सच्चाई बताने में ही भलाई है. अत: वह बोली, ”दीदी, जब हम मौसी के घर गए थे तो वहां हमारी मुलाकात मौसी के पड़ोस में रहने वाले अशोक अहिरवार के बेटे राज उर्फ आतिश से हुई थी. कुछ दिनों बाद ही हमारी मुलाकातें प्यार में बदल गईं और हम दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे. दीदी, राज पढ़ालिखा स्मार्ट युवक है. परिवार की आर्थिक स्थिति भी ठीक है. राज मुझे बेहद प्यार करता है और शादी करना चाहता है.’’

सच्चाई जानने के बाद शीलम ने सारी बात अपनी मम्मी सुनीता तथा पापा मानसिंह को बताई तो उन के आश्चर्य का ठिकाना न रहा. उन दोनों ने पहले प्यार से फिर डराधमका कर रोशनी को समझाने की कोशिश की, लेकिन रोशनी नहीं मानी. दोनों भाइयों ने भी रोशनी को समझाया. पर रोशनी ने राज से बातचीत करनी बंद नहीं की. वह कालेज आतेजाते तथा देर रात में राज से बातें करती रहती.

रोशनी की दीवानगी देख कर घर वालों को लगा कि यदि रोशनी पर ज्यादा सख्ती की गई तो कहीं ऐसा न हो कि रोशनी पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर अपने प्रेमी के साथ फुर्र न हो जाए. इसलिए मानसिंह ने अपने परिवार के साथ इस गहन समस्या पर मंथन किया. फिर निर्णय हुआ कि रोशनी की शादी राज के साथ तय कर दी जाए. लेकिन शर्त होगी कि शादी बीए फाइनल करने के बाद ही होगी.

इस के बाद सुनीता अपने पति मानसिंह के साथ अपनी बहन अनीता के घर जमरेही पहुंची. उस ने बहन को राज और रोशनी के प्रेम संबंधों के बारे में बताया और दोनों की शादी तय करने की बात कही. अनीता को दोनों के संबंधों के बारे में पहले से ही पता था सो वह राजी हो गई. अनीता ने कहा कि राज पढ़ालिखा है. संपन्न किसान का बेटा है. सब से बड़ी बात जातबिरादरी का है. अत: रिश्ता हर मायने में सही है.

सब को रिश्ता उचित लगा तो मानसिंह ने अशोक अहिरवार से उन के बेटे राज उर्फ आतिश के रिश्ते की बात चलाई. अशोक भी तैयार हो गया. उस के बाद रोशनी का रिश्ता राज के साथ तय हो गया. शर्त यह रखी गई कि रोशनी जब बीए पास कर लेगी, तब दोनों की शादी होगी. इस शर्त को राज व उस के घर वालों ने मान लिया.

शादी तय हो जाने के बाद राज का रोशनी के घर आनाजाना शुरू हो गया. वह हर सप्ताह बाइक से रोशनी के घर पहुंच जाता, रोशनी उस के साथ घूमने फिरने निकल जाती. फिर शाम को ही वापस आती. इस बीच दोनों खूब हंसते बतियाते, रेस्तरां में खाना खाते और जम कर लुत्फ उठाते. उन पर घर वालों की कोई पाबंदी न थी. अत: उन्हें किसी प्रकार का कोई डर भी न था. इस तरह एक साल बीत गया.

रोशनी अब तक बीए (प्रथम वर्ष) पास कर द्वितीय वर्ष में पढऩे लगी थी. जबकि उस की बड़ी बहन शीलम तृतीय वर्ष में पढ़ रही थी. दोनों बहनें एट कस्बा स्थित रामलखन पटेल महाविद्यालय की छात्रा थीं. वह घर से कालेज साथ ही आतीजाती थीं. रोशनी को फोन पर बतियाने का बहुत शौक था. कालेज से निकलते ही वह बतियाने लगती थी. जबकि शीलम गंभीर थी. उसे फालतू बकवास पसंद न थी.

मंगेतर को ऐसे हुआ रोशनी पर शक

एक रोज राज ने रोशनी को काल की तो उस का नंबर व्यस्त बता रहा था. कई बार कोशिश करने पर भी जब रोशनी से बात नहीं हो पाई तो राज के मन में शक बैठ गया कि रोशनी उस के अलावा किसी और से भी प्यार करती है. जिस से वह घंटों बतियाती है. इसलिए उस का फोन व्यस्त रहता है. उस रोज वह बेहद परेशान रहा और कई तरह के विचार उस के मन में आते रहे.

राज के मन में शक समाया तो वह दूसरे रोज सुबह 11 बजे कालेज गेट पहुंच गया. रोशनी कालेज से निकली तो वह उस का पीछा करने लगा. उस रोज रोशनी कालेज अकेले ही आई थी. कुछ दूर पहुंचने पर रोशनी फोन पर किसी से हंसहंस कर बातें करने लगी. राज का शक यकीन में बदल गया कि रोशनी का कोई और भी यार है.

गुस्से से भरा राज रोशनी के पास जा पहुंचा और मोबाइल छीन कर बोला, ”तुम हंसहंस कर किस से बात कर रही थी. क्या मेरे अलावा कोई और भी दिलवर है?’’

राज को सामने देख कर रोशनी घबरा गई और बोली, ”मैं अपनी सहेली से बात कर रही थी. वह आज कालेज आई नहीं थी. लेकिन तुम यह बहकीबहकी बातें क्यों कर रहे हो?’’

”क्योंकि मुझे सच्चाई पता है. तुम सहेली से नहीं, अपने यार से बात कर रही थी.’’

”लगता है तुम शक्की और सनकी इंसान हो. मुझ पर यकीन नहीं तो मिलने क्यों आते हो. लगता है तुम्हारा प्यार छलावा है. तुम तो प्यार के काबिल ही नहीं हो.’’

उन दोनों के बीच उस दिन जम कर बहस हुई. इस बहस से रोशनी का दिल टूट गया. राज के प्रति उस की जो मोहब्बत थी, वह घायल हो गई. वह सोचने को मजबूर हो गई कि ऐसे शक्की इंसान के साथ वह जीवन कैसे गुजार सकेगी. रोशनी इस बात को ले कर परेशान रहने लगी. जबकि बड़ी बहन शीलम उसे समझाती कि वह चिंता न करे. सब ठीक हो जाएगा.

कहते हैं कि शक की विषबेल बहुत जल्दी पनपती है. राज के साथ भी ऐसा ही हुआ. उस का शक दिनबदिन बढ़ता ही गया. वह जब भी रोशनी को किसी से फोन पर बात करते देख लेता तो वह बात करने से रोकता, साथ ही उसे डांटता व अपशब्द भी कहता.

रोशनी को यह नागवार गुजरता था. फिर भी उस ने कई बार राज को समझाया भी कि वह अपनी दोस्त सहेलियों से ही बात करती है. लेकिन राज रोशनी की कोई बात सुनने को तैयार न था. कई बार समझाने पर भी जब राज के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया तो रोशनी उस से दूरी बनाने लगी. उस ने उस से मिलना भी कम कर दिया.

राज के दुव्र्यवहार से अब रोशनी चिंतित रहने लगी थी. सुनीता ने बेटी के माथे पर चिंता की लकीरें पढ़ीं तो उस ने एक रोज रोशनी से पूछा, ”बेटी, आजकल तू गुमसुम रहती है. चेहरे से हंसी भी गायब है, खाना भी समय पर नहीं खाती. आखिर बात क्या है?’’

मां की सहानुभूति पा कर रोशनी की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ”मां, मैं राज को ले कर चिंतित हूं. वह शक्की इंसान है. फोन पर किसी से बात करते देखता है तो शक करता है. मैं ने उस से दिल लगा कर भूल की है. मैं ऐसे शक्की इंसान से शादी नहीं कर सकती.’’

बेटी के दर्द से सुनीता भी तड़प उठी. उस ने यह बात पति मानसिंह को बताई तो उस का पारा भी चढ़ गया. इस के बाद मानसिंह ने अपनी पत्नी व बेटों से विचारविमर्श किया और शादी तोड़ देने का निश्चय किया. रिश्ता खत्म करने की जानकारी मानसिंह ने अशोक अहिरवार व उस के बेटे राज को भी दे दी.

राज क्यों नहीं चाहता था रोशनी से रिश्ता तोडऩा

रिश्ता टूटने से राज उर्फ आतिश बौखला गया. उस ने रोशनी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उस ने काल रिसीव ही नहीं की. दूसरे रोज राज रोशनी के कालेज पहुंच गया. रोशनी कालेज के बाहर आई तो उस ने पूछा, ”रोशनी, रिश्ता तुम ने तोड़ा है या तुम्हारे घर वालों ने?’’

”मैं ने अपनी व घर वालों की मरजी से खूब सोचसमझ कर रिश्ता तोड़ा है.’’

”क्यों तोड़ा है?’’ राज ने पूछा.

”इसलिए कि तुम शक्की व सनकी इंसान हो. तुम जैसे इंसान के साथ मैं जीवन नहीं बिता सकती.’’

”सोच लो. कहीं तुम्हारा यह फैसला भारी न पड़ जाए.’’ राज ने धमकी दी.

”मैं ने अच्छी तरह सोचसमझ कर ही फैसला लिया है. तुम्हारी धमकी से मैं डरने वाली नही हूं. और हां, आज के बाद मुझ से मिलने कालेज में मत आना.’’

लेकिन रोशनी की बात पर राज ने गौर नहीं किया. वह अकसर कालेज आ जाता और रोशनी को धमकाता कि वह उस से शादी करे. यही नहीं राज रोशनी के मम्मीपापा व भाइयों को भी फोन पर धमकाने लगा था कि रिश्ता तोड़ कर तुम लोगों ने अच्छा नहीं किया. अब भी समय है रिश्ता जोड़ लो. वरना परिणाम अच्छा न होगा.

अप्रैल, 2023 के दूसरे सप्ताह से रोशनी और शीलम की वार्षिक परीक्षा शुरू हो गई थी. दोनों बहनें साथसाथ परीक्षा देने आतीजाती थीं. 14 अप्रैल, 2023 को रोशनी व शीलम पेपर दे कर निकलीं तो कालेज गेट से कुछ दूरी पर राज ने रोशनी को रोक लिया और बोला, ”रोशनी, मैं तुम से आखिरी बार पूछ रहा हूं कि मुझ से रिश्ता जोड़ोगी या नहीं?’’

रोशनी गुस्से से बोली, ”मैं तुम से एक बार नहीं, सौ बार कह चुकी हूं कि तुम जैसे शक्की और सनकी इंसान से मैं शादी हरगिज नहीं करूंगी.’’

”यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ राज ने आंखें तरेर कर पूछा.

”हां, यह मेरा आखिरी फैसला है.’’ रोशनी ने भी आंखें तरेर कर ही जवाब दिया.

”तो तुम मेरा फैसला भी सुन लो, यदि तुम मेरी दुलहन नहीं बनोगी तो मैं तुम्हें किसी और की दुलहन भी नहीं बनने दूंगा.’’ धमकी दे कर राज चला गया.

राज उर्फ आतिश का ममेरा भाई था रोहित उर्फ गोविंदा. वह हमीरपुर जनपद के विवार थाने के गांव धनपुरा का रहने वाला था. राज की रोहित से खूब पटती थी. रोहित को रोशनी और राज के रिश्तों की बात पता थी. प्यार में जख्मी राज रोहित के पास पहुंचा और उसे बताया कि रोशनी ने शादी से इंकार कर दिया है. वह उस को बेवफाई का सबक सिखाना चाहता है. उस की मदद चाहिए.

रोहित मदद को राजी हो गया. इस के बाद दोनों ने मिल कर तमंचा व कारतूस का इंतजाम किया और एट आ गए.

17 अप्रैल, 2023 को शीलम और रोशनी अपनाअपना पेपर दे कर कालेज से निकलीं तो बाइक से राज व रोहित ने उन का पीछा करना शुरू किया. शीलम व रोशनी जैसे ही कोटरा तिराहा पहुंचीं, तभी राज व रोहित ने उन्हें घेर लिया. फिर बिना कुछ कहे राज ने रोशनी के सिर में तमंचा सटा कर फायर कर दिया. रोशनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया.

पूछताछ करने के बाद 19 अप्रैल, 2023 को पुलिस ने हत्यारोपी राज उर्फ आतिश को उरई कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. दूसरा आरोपी रोहित उर्फ गोविंदा फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

आशिक के लिए पति के किए 30 टुकड़े

आगरा के एतमादुद्दौला थाना क्षेत्र निवासी गुलजारीलाल प्रजापति अपना पुश्तैनी धंधा  कर के परिवार का भरणपोषण कर खुशहाल जिंदगी बिता रहा था. उस के काम में उस की पत्नी सोमवती और 3 बेटे भी हाथ बंटाते थे. एक बेटी थी जो घर के रोजाना के काम में मां का हाथ बंटाती थी. गुलजारीलाल के बेटे जवान हो गए तो पुश्तैनी धंधा छोड़ कर वे दूसरा काम करने लगे थे. फिर गुलजारीलाल ने कांच का सामान बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली.

बच्चे जवान थे तो उन की शादी के लिए रिश्ते भी आने लगे. मंझले बेटे विनोद की शादी फिरोजाबाद जिले के गांव मोहम्मदाबाद निवासी महेश की भतीजी अनीता से कर दी.

दरअसल अनीता के पिता रमेश और मां की मृत्यु उस समय हो गई थी, जब अनीता छोटी थी. तब उस के ताऊ महेश ने ही उस की और उस के भाईबहन की परवरिश की थी.

विनोद एक सीधासादा युवक था तो वहीं अनीता तेजतर्रार थी. ससुराल में वह खुश नहीं थी. गुलजारीलाल का संयुक्त परिवार था. अनीता को वहां घुटन हो रही थी. कुछ दिनों तक तो वह खामोश रही, पर उस ने पति पर जोर डालना शुरू कर दिया कि वह इस संयुक्त परिवार में नहीं रह सकती. वह अलग रहना चाहती है.

पत्नी की बात से विनोद हैरान था और परेशान भी. अपने परिवार से अलग होने की बात उस ने कभी सोची नहीं थी. ससुराल में सभी लोग अनीता का ठीक से खयाल रखते थे तो वह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर ऐसी क्या बात है जो वह अलग रहने की जिद कर रही है. बहरहाल, उन्होंने उसे किसी तरह समझाबुझा दिया.

एक दिन अनीता मायके गई और कई दिन तक जब उस ने आने का नाम नहीं लिया तो उस के ससुर गुलजारीलाल ने अनीता के ताऊ महेश को फोन किया कि वह अनीता को ससुराल छोड़ जाएं.

अगले दिन महेश अनीता को ले कर आ गया और उस ने गुलजारीलाल से कहा, ‘‘देखो समधीजी, अनीता अब आप की अमानत है. इस की देखभाल की जिम्मेदारी आप की ही है. मैं एक बात और बताना चाहता हूं कि यह जिद्दी स्वभाव की है. आप इस की किसी अनाप शनाप जिद पर ध्यान न दें.’’

उस दिन तो किसी ने महेश की बात पर गौर नहीं किया, लेकिन दिनबदिन अनीता का बदलता व्यवहार ससुराल वालों को अखर रहा था.

फिर एक दिन अनीता घर में किसी को बिना बताए कहीं चली गई. सास सोमवती ने बड़ी बहू मीना से पूछा कि अनीता कहां है तो मीना ने कहा कि कहीं से फोन आया था और वह फोन पर बातें करतेकरते बाहर निकल गई.

सोमवती चिंतित हो गईं कि पता नहीं यह कहां चली गई. काफी देर बाद जब अनीता वापस लौटी तो सास ने उस से पूछताछ की. अनीता ने कोई सफाई देने के बजाय सास से तपाक से कहा, ‘‘मैं कोई कैदी तो हूं नहीं, जो एक जगह बंद हो कर रहूं. इंसान हूं, कहीं घूमने चली गई तो इस में हैरान होने वाली क्या बात है.’’

अनीता का यह व्यवहार ससुराल में किसी को भी अच्छा नहीं लगा. ससुराल में अब उस पर नजर रखी जाने लगी. एक दिन तो हद हो गई. अनीता के जेठ राकेश ने उसे एतमादुद्दौला चौराहे पर किसी आदमी के साथ देख लिया.

राकेश ने उस समय तो उस से कुछ नहीं कहा. जब वह घर आई तो उस से पूछताछ की तो उस ने सफाई दी कि वह अपने रिश्ते के भाई से मिलने गई थी. गुलजारीलाल ने उस से सख्ती से कहा कि जिस से भी मिलना हो, घर पर मिलो, अन्यथा नतीजा अच्छा नहीं होगा.

अनीता ने तड़प कर कहा, ‘‘अब और बुरा क्या होगा. मेरी जिंदगी तो वैसे भी बरबाद हो कर रह गई है.’’

सोमवती ने हैरानी से उसे देखा और पूछा, ‘‘क्या परेशानी है तुझे, जो इस तरह बोल रही है?’’

‘‘तुम नहीं समझोगी अम्मा,’’ कह कर वह अपने कमरे में चली गई.

इस के बाद अनीता ससुराल वालों के शक के घेरे में आ गई थी. गुलजारीलाल ने उस के ताऊ महेश को सारी बात बताई तो उस ने कहा, ‘‘समधीजी, मैं ने पहले ही आप को बता दिया था कि आप ही इसे अपने हिसाब से रखें. अब आप ही जानो.’’

धीरेधीरे वक्त बीत रहा था. अनीता का 2 बार गर्भपात हो चुका था. आखिर 4 साल बाद उस ने एक बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम आयुष रखा गया. परिवार में बेटे के जन्म के बाद सभी लोग खुश हुए.

इस बीच घर वालों को यह बात पता चल चुकी थी कि शादी से पहले अनीता के गांव के ही किसी लड़के के साथ गलत संबंध थे. आयुष के जन्म के बाद तो अनीता बेखौफ हो गई और एक दिन अपने दुधमुंहे बच्चे को छोड़ कर घर से बिना बताए फिर गायब हो गई. बारबार बहू का घर से गायब होना बदनामी वाली बात थी, इसलिए घर के लोग चिंतित हो गए. अनीता के ताऊ ने साफ कह दिया कि उसे उस लड़की से कोई मतलब नहीं है.

काफी खोजबीन के बाद पता चला कि अनीता मोहम्मदाबाद के रहने वाले किशन नारायण के साथ टूंडला में किराए का कमरा ले कर रह रही है. ससुराल वाले हैरान रह गए कि बहू इतनी बेलगाम कैसे हो सकती है. आखिर ससुराल वाले उस के पास गए और उसे समझाबुझा कर वापस ले आए. घर पहुंचने पर पति विनोद ने अनीता की खूब पिटाई की, तो आखिर अनीता ने भी मुंह खोल दिया कि वह अपने प्रेमी के बिना नहीं रह सकती.

अब विनोद भी अपनी जिद पर था. उस ने अनीता को हिदायत दे दी कि उसे किशन को भूल जाना होगा वरना अंजाम बुरा होगा. इस के बाद घर के और लोग भी अनीता पर नजर रखने लगे. उस का घर से कहीं आनाजाना भी बंद कर दिया. इसी बीच वह एक बेटी पल्लवी की मां बन गई. 2 बच्चों की मां बनने के बाद भी वह प्रेमी को दिल से दूर नहीं कर पाई.

किशन भी शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप था पर इश्क के नशे में उस ने अपनी पत्नी और बच्चों की भी परवाह नहीं की.

बंदिशें लगने पर आशिकों की दीवानगी भी बढ़ती गई. दोनों ही परेशान थे. इश्क के लिए वे किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार थे. फिर योजनानुसार किशन ने विनोद से दोस्ती कर ली. उस ने विनोद से यह भी कहा कि जो कुछ हुआ, वह उसे भूल जाए और अब वह वादा करता है कि आगे से अनीता से कोई संबंध नहीं रखेगा. विनोद ने किशन की बात पर विश्वास कर लिया.

अपना विश्वास बढ़ाने के लिए किशन विनोद को खाना खिलाने ढाबे पर ले जाता और दारू भी पिलाता. ससुराल वालों के प्रति अनीता का जो अडि़यल रवैया था, वह उस ने बदल दिया. वह सभी से प्यार से पेश आने लगी. इस से ससुराल वाले समझने लगे कि वह अब सुधर गई है. लेकिन वह यह नहीं समझ पाए कि अनीता और उस के प्रेमी किशन ने इस के पीछे क्या योजना बना रखी है.

विनोद जिस फैक्ट्री में काम करता था, उस में कांच के गिफ्ट आइटम बनते थे. एक दिन किशन ने उस से कहा कि उस की मार्बल फैक्ट्री में अच्छी जानपहचान है. वह वहां उस की नौकरी लगवा सकता है. वहां उसे अच्छी सैलरी के अलावा कई तरह की सुविधाएं भी मिलेंगी. विनोद ने किशन की बात मान कर तुरंत हां कर दी. तब किशन ने कहा कि वह किसी दिन उस के साथ चला चलेगा और यदि सब कुछ ठीक रहा तो मार्बल फैक्ट्री में उस की नौकरी लग जाएगी.

विनोद सीधासादा आदमी था और अपनी दुनिया में ही खुश था. जबकि किशन बिजली मिस्त्री था और बहुत तेजतर्रार था. कोई नहीं जानता था कि किशन के मन में क्या चल रहा है. लेकिन प्रेमिका को पाने के लिए वह भयानक षडयंत्र रच रहा था.

अपने मकसद को पूरा करने के लिए एक दिन किशन ने अपने चचेरे भाई सुनील से बात की और कहा कि वह अपने प्यार को किसी भी कीमत पर पाना चाहता है. चाहे इस के लिए उसे किसी की जान ही क्यों न लेनी पड़े. इस काम में उसे उस की मदद की जरूरत है.

सुनील किशन का चचेरा भाई ही नहीं, लंगोटिया दोस्त भी था. वह टैंपो चलाता था. किशन की सहायता करने के लिए वह उस के गुनाह में शामिल होने को तैयार हो गया. इस के बाद किशन ने अनीता और सुनील के साथ एक षडयंत्र रचा.

27 दिसंबर, 2017 की शाम को विनोद के मोबाइल पर एक फोन आया. फोन करने वाले ने अपना नाम सुनील बताते हुए कहा, ‘‘मैं किशन का दोस्त बोल रहा हूं. किशन ने तुम्हारी नौकरी के लिए मुझ से बात की थी. अब हम और किशन रामबाग चौराहे पर खड़े तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं. तुम यहीं पर आ जाओ, जिस से नौकरी के बारे में बात की जा सके.’’

नौकरी की बात सुनते ही विनोद खुश हो गया और घर में किसी को बिना कुछ बताए रामबाग चौराहे पर पहुंच गया. वहां पर किशन एक टैंपो में बैठा मिला. उस के साथ एक और लड़का था. विनोद उस लड़के को नहीं जानता था. किशन ने उस का परिचय अपने चचेरे भाई सुनील के रूप में दिया.

किशन ने विनोद को भी टैंपो में बैठा लिया. अनीता कुछ दिन पहले से अपने मायके में थी लेकिन थोड़ी देर में वह भी वहां आ गई. पत्नी को वहां देख कर विनोद हैरान रह गया. इस से पहले कि विनोद पत्नी से कुछ पूछता, किशन बोला, ‘‘दरअसल, अनीता तुम्हारे पास ही आने वाली थी. मैं ने सोचा कि तुम्हारे काम की बात करने के बाद यह यहीं से तुम्हारे साथ ही चली जाएगी.’’

वे सब कुछ देर तक इधरउधर की बातें करते रहे. तभी किशन ने विनोद से कहा कि फैक्ट्री मालिक ने मिलने के लिए आज शाम 8 बजे का समय दिया है. अभी तो 6 बज रहे हैं, चलो तब तक हम लोग खाना खा लेते हैं.

आने वाली आफत से बेखबर विनोद उस के साथ खाना खाने के लिए एक ढाबे पर चला गया. वहां सभी ने खाना खाया. खाना खाने के बाद किशन ने दारू मंगवाई और उस ने विनोद के गिलास में चुपके से नींद की 2 गोलियां डाल दीं.

दारू पीते ही विनोद को नशा चढ़ने ही लगा था. साथ ही उसे नींद सी आने लगी. तब तीनों उसे टैंपो में ले गए. फिर ढाबे से वे टैंपो को एक सुनसान जगह पर ले आए. वहीं पर अनीता और किशन ने विनोद को गला दबा कर मार डाला. उस की मौत के बाद उन्होंने राहत की सांस ली.

इधर रात को विनोद घर नहीं पहुंचा तो घर वाले चिंतित हो गए. फोन करने पर अनीता के ताऊ ने बताया कि अनीता तो कई दिन पहले ही यहां से अपनी ससुराल चली गई थी.

यह सुन कर परिजनों का माथा ठनका और देर रात में वे थाना एतमादुद्दौला पहुंचे, जहां उन्होंने विनोद की गुमशुदगी लिखाते हुए शक किशन और अनीता पर जताया. थानाप्रभारी ने उन्हें भरोसा दिया कि वह जल्दी ही विनोद का पता लगाने की कोशिश करेंगे.

विनोद के घर वालों ने रिश्तेदारियों में भी फोन किए पर विनोद का कुछ पता नहीं चला. 31 दिसंबर, 2017 को फिरोजाबाद जिले के थाना नारखी क्षेत्र के गांव बैदीपुर बिदरखा में पंचायत घर के बाहर एक युवक का सिर मिलने की सूचना गांव के चौकीदार ने दी तो थानाप्रभारी संजय सिंह तुरंत मौके पर पहुंच गए.

अब पुलिस युवक के शरीर के अन्य अंगों की तलाश में लग गई तो पुलिस को थोड़ी आगे एक पैर तथा कटी हुई हथेली मिल गई.

युवक के कटे हुए अंग मिलने की सूचना थानाप्रभारी ने प्रदेश के सभी थानों को वायरलैस द्वारा प्रसारित करा दी. थाना एतमादुद्दौला में गुलजारीलाल ने अपने मंझले बेटे विनोद की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा रखी थी, इसलिए किसी युवक का सिर और अन्य अंग नारखी थाना क्षेत्र में मिलने पर उन्हें शक हुआ कि कहीं ये अंग विनोद के ही तो नहीं हैं. उन्होंने गुलजारीलाल को थाने बुला लिया. इस के बाद वह उसे ले कर नारखी पहुंच गए. गुलजारीलाल ने जैसे ही वह कटा हुआ सिर देखा तो वह दहाड़ें मार कर रोने लगे. उन्होंने उस कटे हुए सिर की पहचान अपने बेटे विनोद के रूप में की.

सिर की शिनाख्त हो जाने के बाद नारखी पुलिस शव के बाकी हिस्सों की खोज में लग गई. तभी थानाप्रभारी संजय सिंह को सूचना मिली कि टूंडला पुलिस ने शमशान घाट से मोहम्मदाबाद जाने वाली सड़क पर इधरउधर बिखरे किसी इंसान के टुकड़े बरामद किए हैं.

थानाप्रभारी संजय सिंह वहां पहुंच गए. उन्होंने सोचा कि ये टुकड़े भी विनोद की ही लाश के होंगे, इसलिए जरूरी काररवाई कर के लाश के वे टुकड़े उन्होंने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिए. इस वीभत्स कत्ल की खबर जब इलाके के लोगों को हुई तो वे सभी हैरान रह गए.

नारखी पुलिस को अब कातिलों की तलाश थी. विनोद के भाइयों ने उस की पत्नी अनीता और उस के प्रेमी किशन पर अपना शक जताया था. पुलिस उन दोनों के पीछे लग गई पर दोनों में से घर पर कोई भी नहीं मिला.

कोशिश के बाद पुलिस के लंबे हाथ आखिर नामजद आरोपियों तक पहुंच ही गए. नारखी के थानाप्रभारी संजय सिंह को मुखबिर ने 4 जनवरी, 2018 को सूचना दी कि प्रेमी युगल रजावली चौराहे पर मौजूद हैं. थानाप्रभारी तुरंत पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और दोनों को दबोच लिया.

पुलिस दोनों को थाने ले आई. सख्ती से पूछताछ करने पर अनीता ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही किशन व उस के दोस्त सुनील के साथ मिल कर अपने पति विनोद की हत्या कर उस की लाश के 30 टुकड़े किए थे. अनीता ने यह भी स्वीकारा कि उस की शादी से पहले से ही गांव के किशन से उस के अवैध संबंध थे. चूंकि किशन उस की जाति का नहीं था, इसलिए ताऊ ने किशन के साथ उस की शादी करने से मना कर दिया था पर वे दोनों हर कीमत पर शादी करना चाहते थे.

इसी दौरान ताऊ महेश ने अनीता की मरजी के खिलाफ उस की शादी विनोद से कर दी थी. अनीता बेमन से विनोद की दुलहन बन कर ससुराल पहुंच गई थी.

अनीता के ताऊ ने सोचा था कि शादी के बाद वह सुधर जाएगी. लेकिन विवाह के बाद प्रेमी की जुदाई ने अनीता को बागी बना दिया. वह रातदिन किशन के लिए तड़पती रहती.

उधर किशन ने भी घर वालों के दबाव में शादी तो कर ली थी लेकिन वह प्यार तो अनीता से ही करता था. समय निकाल कर दोनों मिलते रहते थे. आशिकी का जुनून धीरेधीरे खतरनाक मोड़ पर पहुंच रहा था. अनीता विनोद के साथ सात फेरों के बंधन में बंधी थी, अत: इस शादी को तोड़ना उस के लिए आसान नहीं था. 2 बच्चों की मां बनने के बाद भी उसे लगने लगा कि दिल पर बोझ ले कर वह जी नहीं सकती.

एक दिन उस ने किशन से कहा कि क्यों न विनोद नाम के इस कांटे को ही जिंदगी से निकाल दिया जाए. इश्क के अंधे प्रेमी को प्रेमिका की बात जंच गई. उस ने यह तक नहीं सोचा कि गुनाह करने के बाद अगर वह पकड़ा गया तो उस के परिवार का क्या होगा.

आखिर उस ने अपने चचेरे भाई सुनील को अपना राजदार बना लिया और षडयंत्र के तहत काम दिलाने के बहाने विनोद को भी विश्वास में ले लिया. फिर योजनाबद्ध तरीके से विनोद की हत्या कर दी.

उन लोगों ने विनोद की हत्या तो कर दी, पर उन के सामने यह समस्या आई कि लाश कहां ठिकाने लगाई जाए, जिस से वे बच सकें. वह टैंपो से लाश को मोहम्मदाबाद शमशान घाट ले गए. वहां जमीन पर पौलीथिन बिछा कर बांके से विनोद की लाश के 30 टुकड़े किए. फिर सभी टुकड़े पौलीथिन सहित टैंपो में रख लिए.

टैंपो ले कर वे मोहम्मदाबाद की तरफ बढ़ गए. रास्ते में चलते हुए वे एकएक टुकड़ा डालते गए. बांका भी उन्होंने एक जगह फेंक दिया और काम खत्म हो जाने के बाद सुनील अपनी राह चला गया और अनीता किशन के साथ टूंडला स्थित किराए के कमरे पर आ गई.

विनोद का कटा हुआ सिर उन्होंने एक खेत में डाला था पर जानवर उसे घसीट कर पंचायतघर के सामने ले आए, जिसे पुलिस ने 31 दिसंबर, 2017 को चौकीदार की सूचना पर बरामद कर लिया.

विनोद के शरीर के टुकड़े इकट्ठा करने के लिए पुलिस अनीता को अपने साथ ले गई. जब भी कोई टुकड़ा पुलिस को मिलता, अनीता दहाड़ें मार कर रोने का नाटक करने लगती थी.

जेल जाने और सजा पाने का डर उस की आंखों में साफ नजर आ रहा था. इश्क की दीवानगी का सुरूर उतर चुका था. अब वे एक बेरहम कातिल के रूप में समाज के सामने थे, जिसे अब समाज शायद कभी अपना नहीं सकेगा.

उस ने रोरो कर कहा कि उस से बहुत बड़ी गलती हो गई है. मांबाप की मौत के बाद वह अपने ताऊ के घर पली थी और अब उस के 2 मासूम बच्चे अपनी बदचलन कातिल मां के कारण अनाथ हो गए. उन का भविष्य क्या होगा, यह सोचसोच कर वह बहुत परेशान थी.

अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने कत्ल में प्रयुक्त हुआ बांका भी बरामद कर लिया. हत्या में शामिल किशन का चचेरा भाई किशन पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सका.

कत्ल के बाद हर कातिल कानून से बचना चाहता है, इश्क में अंधी अनीता विनोद की पहचान मिटा कर अपनी अधूरी खुशियों को पूरा करना चाहती थी, पर ऐसा हो न सका.

इस फोटो का इस घटना से कोई संबंध नहीं है, यह एक काल्पनिक फोटो है