कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 4

आठवें एपीसोड के शुरू में दिखाया जाता है कि पारुल अस्पताल से घर आ जाती है और खुद को शीशे में देखती है तो रोने लगती है. अब उस की जिंदगी बदल चुकी थी. दूसरी ओर पुलिस स्टेशन में रश्मि को ला कर उस की ठीक से धुलाई की जाती है कि वह ऐसा क्यों कर रही थी. पर वह कुछ भी बताने को राजी नहीं थी.

बाद में वह रवि को बताती है कि पारुल अपनी जूठन आशीष को उसे देना चाहती थी. इसी बात से नाराज हो कर बदला लेने के लिए वह पारुल की फोटो लगा कर लड़कों से चैटिंग करने लगी थी. बाद में उसे इस में मजा आने लगा था, इसलिए अब भी वह उन से बातें कर रही थी. लेकिन पारुल पर एसिड फेंकने में उस का कोई हाथ नहीं था. तब रवि उसे जाने देता है. रश्मि का रोल हिबा कमर ने किया है.

सिपाही यादव साइबर कैफे से उन लोगों की लिस्ट लाता है, जो लोग साइबर कैफे में आते थे. इस में एक नाम नितिन का भी था, जिस ने अपनी बहन पर ही एसिड अटैक किया था. नितिन का रोल ओंकार भूषण नौटियाल ने किया है. नितिन से एक अस्पताल के बारे में पता चलता है, जहां लड़कियों का एबार्शन किया जाता था.

अस्पताल की डाक्टर बताती है कि लड़कियों की जिंदगी बचाने के लिए वह ऐसा करती थी. वहां से एक लड़के मनु के बारे में पता चलता है. मनु को पकड़ने के चक्कर में मुठभेड़ में कई सिपाही मारे जाते हैं, साथ ही विपक्ष का वह नेता भी जो गृहमंत्री मिश्रा की वीडियो पुलिस वालों से मांग रहा होता है.

रवि के सीने में रौड घुस जाती है, फिर भी वह मनु को पकड़ने में और एक बच्ची की जान बचाने में कामयाब हो जाता है. ऐसा हकीकत में कोई नहीं कर सकता. इस से तो यही लगता है कि डायरेक्टर का ऊपर का माला खाली था.

मनु से पता चलता है कि बेवफाई का बदला लेने के लिए ही मानव ने उस के साथ मिल कर पारुल पर एसिड डाला था. मनु की भूमिका अभिनव शुक्ला ने की है. इलाज करा कर रवि घर आता है तो शिवानी से अपने किए की माफी मांगता है और उस के साथ शादी के लिए तैयार हो जाता है.

पारुल भी उस से मिलने उस के घर आती है और अपने बारे में बताती है. एपीसोड का अंत शिवानी और रवि के विवाह होने और हंसीखुशी से रहने पर होता है.

विजय वर्मा

तेलंगाना के हैदराबाद में 26 मार्च, 1986 को एक हिंदू मारवाड़ी परिवार में अभिनेता विजय वर्मा का जन्म हुआ. वह मुख्य रूप से हिंदी फिल्मों में काम करता है. उस ने एफटीआईआई में अध्ययन किया है. विजय को लोग ‘पिंक’ में काम करने के बाद से जानने लगे हैं.

इस के बाद विजय वर्मा ने ‘एमसीए’, ‘गली बौय’, ‘बागी 3’, ‘डार्लिंग्स’, वेब शृंखला ‘मिर्जापुर’ में काम किया. विजय की भूमिकाओं को समीक्षकों द्वारा प्रशंसा मिली तो उस के द्वारा 2021 में ‘वह’ तथा 2023 में ‘दहाड़’ में किए गए अभिनय को सराहा गया. हाल ही में आई फिल्म ‘जाने जान’ में एक हत्या की जांच करने वाले पुलिसकर्मी की भूमिका के लिए सराहा जा रहा है.

विजय वर्मा ने अपने गृहनगर हैदराबाद से एक थिएटर कलाकार के रूप में अपनी अभिनय यात्रा शुरू की थी. एफटीआईआई से अभिनय की औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए 2 साल के लिए पुणे जाने से पहले उस ने कई नाटकों में काम किया था.

स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने अभिनय के शौक को पूरा करने के लिए वह मुंबई आ गया. उस ने अभिनय की शुरुआत राज निदिमोरु और कृष्णा डीके की लघु फिल्म ‘शोर’ से की. इस में उस के अभिनय को काफी सराहा गया. उस साल न्यूयार्क में आयोजित एआईएएसी उत्सव में इस लघु फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म का पुरस्कार जीता था. इस के बाद फिल्म ‘पिंक’ में उस ने अभिनय किया, जिस की समीक्षकों ने काफी प्रशंसा की.

सीमा विश्वास

सीमा विश्वास का जन्म 24 जनवरी, 1964 को असम के नलबरी में हुआ था. उस के पिता का नाम जगदीश विश्वास तथा मां का नाम मीरा विश्वास था, जो असम में इतिहास की शिक्षिका थीं. सीमा ने नैशनल स्कूल औफ ड्रामा से अभिनय की बारीकियां सीखी थीं.

वह एक टेलीविजन अभिनेत्री है. फिल्मों में वह अपने दमदार किरदारों के लिए जानी जाती है. उसे 1994 में आई फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए जाना जाता है. उस ने शेखर कपूर की फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ से डेब्यू किया था. फूलन देवी के किरदार ने उसे काफी प्रसिद्धि दिलाई थी.

इस के बाद सीमा ने कई बेहतरीन फिल्मों में सहअभिनेत्री का किरदार निभाया. उस की बेहतरीन फिल्में हैं- ‘बैंडिट क्वीन’, ‘खामोशी: द म्यूजिकल’, ‘भूत’, ‘एक हसीना थी’, ‘विवाह’ और ‘हाफ गर्लफ्रेंड’. वेब सीरीज ‘कालकूट’ में उस का अभिनय दमदार है.

अपने अभिनय के दम पर सीमा विश्वास अनेक पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है, जिन में से फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के लिए 1997 में फिल्मफेयर का बेस्ट फीमेल डेब्यू अवार्ड, साथ ही इसी फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के साथ साल 1997 में स्टार स्क्रीन अवार्ड और 2001 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी शामिल है.

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 3

पांचवें एपीसोड के शुरू में एक आदमी खुद को गोली मार कर सुसाइड करते दिखाया जाता है. पर वह कौन है यह पता नहीं चलता. इस के बाद एसएचओ जगदीश थाने में सिपाही यादव से बताते हैं कि उन का घर में वाइफ से झगड़ा हो गया था, जिस से उन के हाथ में चोट लग गई है. तभी पता चलता है कि पारुल को होश आ गया.

जगदीश रवि को ले कर अस्पताल जाते हैं. पर वहां पता चलता है कि पारुल को थोड़ी देर के लिए ही होश आया था. इस के बाद वे मानव से पूछताछ करना चाहते थे, क्योंकि जगदीश को उस पर शक था. रवि बताता है कि आशीष पारुल को परेशान करता था. रवि पारुल की सहेली रश्मि से पूछताछ करता है.

पहले तो वह कुछ बताने को तैयार नहीं थी. पर जब वह पारुल का फोटो देखती है तो रोने लगती है और बताती है कि आशीष पारुल को मैसेज कर के परेशान करता था और उस से प्यार करने की बात करता था. पारुल ने 1090 नंबर पर उस की शिकायत भी की थी. उस के बाद आशीष ने उसे परेशान करना बंद कर दिया था.

रवि जब घर पहुंचता है तो उस की मंगेतर शिवानी आई होती है, जो उस के कमरे में कुछ देख रही होती है. तब रवि उस से कहता है कि वह उस की इनक्वायरी कर रही है. फिर शिवानी कहती है कि उसे भी उस के बारे में जानना चाहिए, पर वह तो जान ही नहीं रहा है.

पूछताछ में पता चलता है कि आशीष ने पारुल को मिलने के लिए बुलाया था और पारुल को उस से मिलने जाना पड़ा था, क्योंकि पारुल के कुछ फोटो उस के पास थे. शायद पोर्न साइट पर उसी ने उस के फोटो डाले थे. ये फोटो पारुल ने ही उसे भेजे थे.

रवि और यादव आशीष से मिलने उस के घर जाते हैं तो वहां मातम छाया था. क्योंकि आशीष की मौत हो गई थी. शुरू में जो गोली मार कर सुसाइड करते दिखाया गया था, वह आशीष ही था, जिस ने सुसाइड कर लिया था.

छठें एपीसोड में एक आदमी को एक पुरानी बिल्डिंग में कुछ कैमिकल से एसिड बनाते दिखाया गया है. एक बोतल में वह आदमी एसिड ले कर स्कूटी से निकल पड़ता है. यह वही इंसान था, जिस ने पारुल के फेस पर एसिड फेंका था.

इस के बाद थाने में जगदीश पारुल वाले मामले को बंद करने को कहता है. उस का कहना था कि वह फाइल में लिखे कि आशीष ने पारुल पर एसिड फेंका था. उस के बाद गिल्टी में उस ने सुसाइड कर लिया था. तभी थाने में एक बच्ची की मिसिंग दर्ज होती है तो एसएचओ रवि से उस बच्ची के बारे में पता करने को कहते हैं.

रवि उस रिक्शे वाले से पूछताछ करता है, जो उस बच्ची को स्कूल ले गया था. रिक्शे वाला कुछ नहीं बता पाता तो रवि पारुल से बात करने चला जाता है. बीच में वह अपनी मंगेतर शिवानी से मिलता है और उसे अपने पिता के बारे में बताता है.

पारुल रवि से कहती है कि वह उस के पिता को जानती थी. वह बहुत अच्छी कविताएं लिखते थे. एसिड डालने वाला हेलमेट लगाए था, इसलिए वह उसे पहचान नहीं पाई थी. उस ने यह भी बताया था कि उस का ईमेल एड्रेस हैक हो गया था.

रवि साइबर सेल से उस ईमेल का आईपी ऐड्रेस निकलवाता है, जिन से मेल आए थे. उन का पता मिलता है तो वह इस की जांच यादव को करने को कहता है. पर यादव उस की शिकायत जगदीश से कर देता है कि रवि लड़की का पता लगाने के बजाय पारुल वाले मामले में लगा है.

रवि आशीष के घर भी जाता है, जहां पता चला कि जिस दिन पारुल पर एसिड अटैक हुआ था, आशीष के घर वालों ने उस दिन उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया था. रवि ने आशीष का कंप्यूटर भी चैक किया, जिस में पारुल का मेल मिला कि अगर अब उस ने उसे परेशान किया तो ठीक नहीं होगा.

जगदीश रवि को डांटते हैं कि वह जा कर लड़की की तलाश करे. तब तक यादव बताता है कि लड़की मिल गई है. रवि लड़की के पास पहुंचता है तो देखता है कि उस का एक जूता जला हुआ है. रवि जब उस के बारे में पूछता है तो वह बताती है कि उस दिन एक आदमी ने एक लड़की के चेहरे पर एसिड फेंक दिया था.

तब उस ने कागज से एसिड पोंछना चाहा तो उसे और तकलीफ होने लगी. उस ने रवि को उस आदमी के स्कूटी का नंबर भी बता दिया था 3412. रवि घर आता है तो शिवानी किचन में खाना बना रही होती है. इस बीच उसे दौरा पड़ जाता है. यह जान कर रवि परेशान हो जाता है.

सातवें एपीसोड में शिवानी के दौरे की बीमारी के बारे में जान कर रवि का मूड औफ हो जाता है. घर वाले भी अब यह शादी नहीं करना चाहते. शिवानी रवि को मनाने की कोशिश करती है. पर रवि इस बात से नाराज था कि उस ने उस से यह बात छिपाई क्यों?

शिवानी उसे मनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती है. तब रवि उस से कहता है कि वह उस के साथ सैक्स कर ले. इतना कह कर रवि चला जाता है.

सिपाही यादव से पता चलता है कि 3412 नंबर का स्कूटर किसी जाकिर सिद्दीकी के नाम रजिस्टर्ड है. रवि और यादव सिद्दीकी के घर जाते हैं, जहां उस की मां मिलती है. पर वह न तो ठीक से बात करती है और न ही कुछ बताती है. जब वह स्कूटर मिलता है तो पता चलता है कि यह स्कूटर बहुत दिनों से यहीं खड़ा है. इसे लड़के पेट्रोल डाल कर चलाते हैं. स्कूटर की डिक्की खोलने की कोशिश की जाती है, पर वह नहीं खुलती.

तभी रवि के पिता का एक स्टूडेंट आलोक आ जाता है. आलोक का रोल अभिषेक अग्रवाल ने किया है. वह उस के पिता के बारे में कुछ बताता है. तभी रवि के पास शिवानी का फोन आता है कि वह उस के साथ सैक्स करना चाहती है. वह अब यह बताए कि वह उस के साथ कब और कहां सैक्स करना चाहेगा? रवि फोन काट देता है.

आलोक से पता चलता है कि जाकिर सिद्दीकी ने अपने पिता को बहुत मारा है, जिस की वजह से वह सरकारी अस्पताल में भरती हैं. रवि जाकिर के पिता से मिलता है, पर इस से उन की जांच को कोई रास्ता नहीं मिलता.

इस बीच उन्हें यह भी पता चलता है कि पारुल की फ्रेंड रश्मि पारुल की आईडी से लड़कों से चैट करती थी. वह मानव से मिलता है और उसे कुछ लड़कों के फोटो दिखाता है. पर मानव कहता है कि वह इन्हें नहीं जानता. उसी बीच वह मानव के होटल में एक लड़के और लड़की को देखता है तो उसे शिवानी की याद आ जाती है.

वह उसे होटल में बुला लेता है और उस के साथ सैक्स करने की तैयारी करता है कि उस के पहले ही एसएचओ जगदीश का फोन आ जाता है. वह शिवानी को छोड़ कर थाने चला जाता है, जहां जाकिर को पकड़ कर लाया गया होता है.

जाकिर की भूमिका आदित्य वर्मा ने की है. पर उस की बातों से लगता है कि उसने यह वारदात नहीं की है. जाकिर के स्कूटर की डिक्की से कापर सल्फेट और एक बैंड का विजिटिंग कार्ड मिला था. तभी विपक्ष का वह नेता आ जाता है और जगदीश से गृहमंत्री पी.के. मिश्रा के वायरल वीडियो को देने को कहता है.

वह उस वीडियो के माध्यम से उसे बदनाम करना चाहता था. पर जगदीश उसे वह वीडियो नहीं देता. रवि घर आ जाता है और शिवानी के बारे में सोचता है. उस की बहन कहती है कि वह इस मामले में जल्दी न करे.

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 2

होता यह है कि राज्य के गृहमंत्री पी.के. मिश्रा सड़क पर ही एक महिला की पिटाई कर देता है. वह महिला प्रेग्नेंट थी. उसे सड़क पर ही बच्चा पैदा हो जाता है. कोई इस घटना की वीडियो बना कर वायरल कर देता है, जिस से उन की बड़ी बदनामी होती है. पी.के. मिश्रा का रोल वरुण टम्टा ने किया है.

एसआई रवि इस घटना की रिपोर्ट ले कर मंत्रीजी के घर जाता है तो वह उस की बहुत बेइज्जती करता है और उसे उस आदमी को पकड़ने को कहता है, जिस ने वीडियो बनाई थी.

रवि इस से बहुत क्षुब्ध होता है. लौटते समय उसे अपने पिता की वह कविता याद आती है, जिस में उन्होंने लिखा था कि अगर उसे नौकरी करनी है तो सारे सबूतों और साक्ष्यों को पैरों तले रौंदना होगा और अपने सीनियर की हर बात सहनी होगी.

थाने आ कर वह पारुल की फोटो देखता है तो पता चलता है कि यह फोटो तो उस के पास शादी के लिए आई थी. यह जान कर वह और ज्यादा परेशान हो जाता है.

दूसरे एपीसोड में पता चलता है कि पारुल को होश आ गया है. वह सिपाही यादव के साथ पारुल का बयान लेने जाता है. रास्ते में उस के नंबर पर एक फोन आता है. फोन करने वाली लड़की बताती है कि वह जनगणना औफिस से बोल रही है. वह उल्टेसीधे सवाल पूछ कर उसे परेशान करती है. इस के बाद अस्पताल पहुंच कर रवि देखता है कि पारुल का आधा चेहरा जला हुआ है.

पारुल की हालत देख कर रवि की तबीयत बिगड़ जाती है तो सिपाही यादव उसे ले कर बाहर आ जाता है. पारुल के मम्मीपापा उसे बताते हैं कि पारुल अपने काम से काम रखने वाली लड़की थी. किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी.

पारुल की मां की भूमिका में नीता मोहिंद्रा हैं तो पिता का रोल शशिभूषण ने किया है. इसी के साथ नर्स बताती है कि जो आदमी पारुल को अस्पताल ले कर आया था, उस ने कागज से उस का चेहरा पोंछ दिया था, जिस से उस की हालत और खराब हो गई थी. क्योंकि कागज उस के चेहरे से चिपक गया था.

नर्स का रोल बासनेट रोमिला ने किया है. बाहर आ कर पारुल की मां रवि से कहती है कि वह तो उसे जानता है, क्योंकि उस ने पारुल का फोटो उस के पास शादी के लिए भेजा था. रवि उस की इस बात को अनसुना कर देता है और पारुल के फोन के साथ उस का बैग भी ले कर उस लड़के को पकड़ने जाता है, जिस ने गृहमंत्री पी.के. मिश्रा का वीडियो बनाया था.

वह लड़का कहता है कि वह इसे न्यूज चैनल पर चलवाएगा, जिस से बड़े नेता इस तरह किसी गरीब को परेशान न करें. पर रवि उसे पकड़ कर थाने ले आता है. लड़के को और पारुल के बैग को रवि थाने में छोड़ कर अपने घर पहुंचता है तो पता चलता है कि उस की बड़ी बहन अपने पति के साथ आई है.

वह अपनी बहन से बहुत प्यार करता था, पर बहनोई से नफरत करता था. उस की बड़ी बहन प्रेग्नेंट थी, जिस की वजह से वह कुछ दिन मायके में रहना चाहती थी. यह रवि को अच्छा नहीं लगा, पर वह ऊपरी मन से हां कर देता है. रवि की बहन की भूमिका एनाब खिजरा ने की है तो बहनोई का रोल गौरव गुप्ता ने किया है.

थाने में वीडियो बनाने वाले लड़के की जम कर पिटाई होती है. एसएचओ को पारुल के बैग से ह्विस्की मिलती है, जिस से वह कहता है कि पारुल धंधा करती थी. पर रवि को विश्वास नहीं होता. इस बात पर रवि और जगदीश के बीच सौ रुपए की शर्त लग जाती है. रवि पूछताछ के लिए पारुल के पिता को थाने बुला लेता है.

पूछताछ में जब वह पारुल के पिता से कहता है कि पारुल के बैग से ह्विस्की मिली है और वह धंधा करती थी. तभी एसएचओ जगदीश वहां आ जाते हैं और पारुल के बाप से कहते हैं कि वह जो कुछ भी जानते हैं, सब बता दें, वरना पुलिस वाले बहुत परेशान करेंगे. पारुल का बाप रोने लगता है और कहता है कि वह नहीं जानता कि उस की बेटी क्या करती थी.

इस के बाद रवि पारुल के पिता से कहता है कि वह पारुल से अपने फोन का लौक अनलौक करने के बारे में पूछे. अगर आगे कुछ पता चले तो वह यादव को फोन कर के तुरंत बताए.

फिर रवि पारुल का फोटो ले कर रेडलाइट एरिया में जाता है, जहां सरला नाम की औरत से उस के बारे में पूछता है. सरला का रोल इला पांडे ने किया है. इस के बाद दलाल शेरू अपने कंप्यूटर में पारुल का फोटो निकाल कर बताता है कि यह लड़की उस के पास आई थी, पर एक रात का 40 हजार रुपए मांग रही थी. इसलिए बात नहीं बनी.

यह जान कर रवि दुखी हो जाता है. वहां से बाहर निकलता है तो उसे बहन की याद आती है. तब वह सीधे बसस्टैंड पहुंचता है, जहां बहन को विदा करते समय रोने लगता है और कहता है कि वह 3 महीने पहले ही उस के घर आ जाए. वह उस का खयाल रख लेगा. दूसरी ओर अस्पताल में पारुल की मां पारुल से इशारे में फोन अनलौक करने के बारे पता करती है.

तीसरे एपीसोड में शुरू में दिखाया जाता है कि 2 लड़के बैठे हैं, तभी एक लड़का आ कर एक के सिर पर बीयर की बोतल से हमला कर देता है. इस के बाद दिखाया जाता है कि रवि के घर उस की दादी का फोन आया है. वह मरने से पहले उस से मिलना चाहती है. पर रवि के पास समय नहीं था.

रवि की दादी का रोल लज्जावती मिश्रा ने किया है. पारुल का फोन खुल जाने से उस में मृदुल नाम के एक युवक का नंबर मिलता है. इस के बाद रवि और यादव मृदुल की तलाश में लग जाते हैं.

काफी दौड़भाग के बाद भी वे मृदुल को पकड़ नहीं पाते. मृदुल की भूमिका में धीर हीरा है. थाने आने पर पता चलता है कि एसएचओ ने अटेंप्ट टू मर्डर में एक लड़के को पकड़ा है. दरअसल, वही मृदुल था. यहां आ कर पता चलता है कि इसी ने उस लड़के के सिर पर बीयर की बोतल मारी थी.

मृदुल बताता है कि पारुल वैसी लड़की नहीं है. वह बहुत अच्छी लड़की है. वह गे है. उस ने अपना इलाज डाक्टर राणा से कराया था. डा. राणा का रोल अमलीश श्रीवास्तव ने किया है. डाक्टर ने उस के बहुत पैसे ठग लिए थे. उस ने किसी लड़की से इंटीमेट होने के लिए कहा था. तब किसी पोर्न साइट से उसे पारुल का नंबर मिला था. उस का नंबर और फोटो किसी ने उस साइट पर डाल दिया था.

इस के बाद उस की पारुल से दोस्ती हो गई थी. उस ने उसे दूसरा नंबर ला कर दिया था. पारुल ने डा. राना को फोन कर के खूब सुनाया था. मृदुल से पता चलता है कि पारुल पर मानव ने एसिड डाला होगा. वह उस का फ्रेंड था. इस समय दोनों में लड़ाई चल रही थी.

चौथे एपीसोड में दिखाया जाता है कि कुछ लड़के एक लड़की पर तेजाब जैसा कुछ फेंक रहे हैं. आगे रवि अपनी मां के साथ एक लड़की शिवानी को देखने जाता है, जो उसे पसंद आ जाती है. शिवानी का रोल सुजाना मुखर्जी ने किया है, जिस ने अभिनय तो कोई खास नहीं किया, पर देखने में आकर्षक जरूर है.

लड़की देखने के बाद रवि मानव से मिलने जाता है, जो उसी अस्पताल में भरती है, जहां पारुल भरती है. मानव बताता है कि जिस समय पारुल पर एसिड अटैक हुआ था, उस समय वह मूवी देख रहा था. यादव पता करता है तो यह बात सच निकलती है.

मानव से आशीष अवस्थी के बारे में पता चलता है, जिस के साथ पारुल की शादी तय हूई थी. लेकिन बाद में मानव से पारुल का समझौता हो जाता है तो वह आशीष से संबंध खत्म कर लेती है. पर अपने जन्मदिन पर आशीष को बुला कर उस की दोस्ती अपनी सहेली रश्मि से करा देती है.

आशीष की भूमिका आयुष सपरा ने की है. तभी पारुल को अस्पताल में होश आ जाता है, पर अस्पताल में उस समय उस के पास कोई नहीं था. वह किसी को बुलाने की कोशिश करती है, पर बुला नहीं पाती.

इस के बाद वह रोने लगती है. रवि यादव को फोन कर के बताता है कि कापर सल्फेट का रंग नीला होता है. हो सकता है उस लड़की के ऊपर कापर सल्फेट का पानी हो. इस से लगता है कि दोनों घटनाओं का आपसी संबंध कहीं न कहीं जरूर हो सकता है.

कालकूट (वेब सीरीज रिव्यू) – भाग 1

डायरेक्टर: सुमित सक्सेना

प्रोड्यूसर: सिकंदर राणा

लेखक: अरुणाभ कुमार, सुमित सक्सेना

सिनेमैटोग्राफी: मनीष भट्ट

कलाकार: विजय वर्मा, सीमा विश्वास, सुजाना मुखर्जी, यशपाल शर्मा, गोपाल दत्त और श्वेता त्रिपाठी शर्मा, वरुण टम्टा, नीता मोहिंद्रा, शशिभूषण, बासनेट रोमिला, एजाज खिजरा, गौरव गुप्ता, इला पांडे, लज्जावती मिश्रा, धीर हीरा, अवनीश श्रीवास्तव, आयुष सपरा, अभिषेक अग्रवाल, आदित्य वर्मा, हिबा कमर

‘कालकूट’ एसिड अटैक पर बनी वेब सीरीज है. कालकूट उस विष को कहा जाता है, जिसे असुरों और देवताओं ने समुद्र को मथ कर निकाला था. जबकि इस वेब सीरीज में ‘कालकूट’ हमारी रक्षा के लिए बनाए गए उस सिस्टम को कहा गया है, जिसे भ्रष्टाचारियों ने भ्रष्ट कर दिया है.

8 एपीसोड वाली इस वेब सीरीज में 2 किरदारों के माध्यम से थकेहारे सिस्टम की कहानी दिखाई गई है. इस सीरीज की शुरुआत एसिड अटैक से होती है. पारुल नाम की लड़की पर कोई एसिड फेंक कर फरार हो जाता है.

सबइंसपेक्टर रविशंकर त्रिपाठी, जो टिपिकल किस्म का आदमी नहीं है. इसलिए वह खाकी वरदी का बोझ सहन नहीं कर पा रहा है, जिस की वजह से वह पुलिस की यह नौकरी छोड़ना चाहता है. जबकि सीनियर हैं कि उस का इस्तीफा स्वीकार ही नहीं कर रहे हैं और पारुल पर हुए एसिड अटैक की जांच की जिम्मेदारी ऊपर से सौंप देते हैं. रवि सच की तह तक पहुंचने की कोशिश करता है.

गोविंद निहलानी के निर्देशन में बनी एक फिल्म आई थी ‘अर्धसत्य’, जिस में एक आदर्शवादी पुलिस वाला भ्रष्ट तंत्र से बेचैन था, जिस के खिलाफ खुद को असहाय पा रहा था. रविशंकर त्रिपाठी की कहानी भी कुछ वैसी ही है.

समाज में होने वाले जघन्य अपराध उस से देखे नहीं जाते, उस से सहन नहीं हो रहा कि एक ओर किसी के उजागर हुए एमएमएस की बात हो रही है और दूसरी ओर उसी वाक्य को ठहाकों से पूरा किया जा रहा है. वह पूरे सिस्टम से चिढ़ा हुआ है, दूसरी ओर उस की मर्दानगी को चुनौती दी जाती है.

जहां एक ओर रवि अपने सीनियर्स और नौकरी से परेशान है, वहीं दूसरी ओर उस की मां शादी का रट लगाए उस के पीछे पड़ी है. जबकि उसे विवाह में कोई रुचि नहीं दिखाई देती. शायद उस की परेशानी को बढ़ाने के लिए ही उसे पारुल वाले मामले की जांच सौंपी गई है.

भ्रष्ट सिस्टम और शादी के प्रेशर और अपने मन में उठ रहे सैकड़ों सवालों से जूझते हुए एसआई रविशंकर त्रिपाठी न्याय की उम्मीद में बैठी एसिड अटैक की पीड़ित पारुल का केस सुलझा पाते हैं या नहीं? इस सीरीज की यही कहानी है.

इस वेब सीरीज की कहानी शुरुआत में भले ही ठीक लगती हो, पर अंत तक जो आनंद और उत्सुकता रहनी चाहिए, वह नहीं रह जाती और कहानी बोर करने लगती है. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि कहानी को सस्पेंस बनाने के लिए बेमतलब की चीजें भरी गई हैं, जिन का मकसद सिर्फ दर्शकों को उलझाना है.

लेखक व डायरेक्टर अरुणाभ कुमार और सुमित सक्सेना ने रोजमर्रा की जिंदगी में घटने वाली घटनाओं को अच्छी और मार्मिक तरह से पिरोने की कोशिश तो की है, पर अपनी इस कोशिश में वह सफल नहीं हो पाए हैं. क्योंकि सीरीज देखने पर ये घटनाएं बनावटी और सत्यता से परे लगती हैं. रविशंकर त्रिपाठी अपने चेहरे पर जिस तरह के हावभाव लाता है, उस से लगता है कि उस ने अपने किरदार को अच्छी तरह निभाने की कोशिश की है.

‘कालकूट’ में सब से ज्यादा परेशान करती हैं पुलिस अधिकारियों द्वारा दी जाने वाली गालियां. पुलिस अधिकारी मातहत को डांटते हैं, धिक्कारते हैं, पर अपने ही स्टाफ को मांबहन की गंदीगंदी गालियां नहीं देते. डायरेक्टर ने यहां अपना गंवारपन दिखा दिया है.

मैकमोहनगंज नाम के काल्पनिक शहर में यूपी 65 नंबर की यामाहा पर घूमते दरोगा रविशंकर त्रिपाठी की भूमिका करने वाले विजय वर्मा 3 महीने पहले ही बने दरोगा के किरदार में जीने की कोशिश करता है तो उस के प्रयास ईमानदार लगते हैं, लेकिन इसी 3 महीने में वह अपनी नौकरी से उकता कर इस्तीफा देना चाहता है.

प्रशासनिक नौकरियों की तैयारी करते हुए उस का दिमाग भले ही कंप्यूटर की तरह चलता है, पर उस में रत्ती भर आत्मविश्वास नहीं दिखाई देता. एसएचओ उसे गालियां देता रहता है. सिपाही तक उस का मजाक उड़ाते हैं.

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वेब सीरीज ‘कालकूट’ की कथा समुद्र मंथन से निकले हलाहल जैसी तो नहीं है, पर अपने नाम के अनुरूप दर्शकों के लिए समय मंथन अधिक है. आधेआधे घंटे के 8 एपीसोड हैं. हां, आखिरी एपीसोड करीब 50 मिनट का है. कहानी भी ऐसे सुडोकू की तरह है, जो कभी इस खाने की ओर ध्यान भटकाती है तो कभी उस खाने की ओर.

लोगों के बोलने का लहजा इसे उत्तर प्रदेश की पृष्ठभूमि की कहानी साबित करने की कोशिश करता है. 1090 जैसी महिला सहायता हेल्पलाइन भी है. लेकिन इस का जो थाना है, वह इस की ऐसीतैसी करने में कोई कसर नहीं छोड़ता. क्योंकि पत्थरों के बीच जो थाना बना है, उस तरह का थाना उत्तर प्रदेश में मिलना मुश्किल है.

इस के अलावा इस का दूसरा सब से नकारात्मक पहलू है दरोगा और सिपाही का बिना हेलमेट पूरे समय घूमते रहना. लेखकों को इस बात पर भी अक्ल लगानी चाहिए थी कि उन का दरोगा रविशंकर त्रिपाठी उत्तर प्रदेश का ब्राह्मण कितना भी क्रांतिकारी क्यों न हो, वह तुलसी के थलहा पर बिना नहाए बिलकुल ही नहीं बैठेगा.

यह ठीक है कि उस के पिता कम क्रांतिकारी नहीं रहे. मरने से पहले उन्होंने ‘जांघों के बीच’ शीर्षक से एक कविता अपने बेटे को इसलिए अपने ईमेल से शेड्यूल सेंड में डाल जाते हैं कि वह इसे अपनी मां को उन के जन्मदिन पर पढ़ कर सुनाए.

सीने के आरपार हो गई सरिया लिए बाइक चलाना और फिर उस सरिए को खुद ही निकाल कर अमिताभ बच्चन बन जाना कहानी को कमजोर और नाटकीय बनाता है.

सीरीज में विजय वर्मा की जोड़ी सुजाना मुखर्जी के साथ बनी है. जबकि श्वेता त्रिपाठी शर्मा कहानी का संदर्भ बिंदु भर है. सीरीज में सब से अच्छा अभिनय सीमा विश्वास का है. एक अरसे बाद उसे देखना अच्छा भी लगता है. सिपाही यादव का रोल यशपाल शर्मा ने किया है. इस तरह के रोल कर देना उन के बाएं हाथ का खेल है.

वेब सीरीज ‘कालकूट’ की कहानी का तानाबाना अभी जल्दी रिलीज हुई फिल्म ‘बवाल’ जैसा है. नायक स्वच्छंद है. पिता सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित है. मां कोमलहृदय है और एक बहू लाने के लिए बेचैन है.

‘कालकूट’ की कहानी में पारुल नाम की एक लड़की कोचिंग पढ़ कर अपने घर जा रही होती है, तभी पीछे से बाइक सवार हेलमेट लगाए एक लड़का आता है और सभी के सामने पारुल पर एसिड फेंक कर फरार हो जाता है. पारुल का रोल श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने किया है.

इस के पहले ‘मिर्जापुर’ में वह अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी है. पर इस में वह कुछ खास नहीं कर पाई, क्योंकि पूरे समय वह अस्पताल में पड़ी रही. इस के बाद थाना मैकमोहनगंज दिखाया जाता है, जहां दर्शकों की भेंट एसआई रविशंकर त्रिपाठी से होती है.

3 महीने की ही अपनी इस नौकरी से उकता कर वह इस्तीफा देना चाहता है, पर उस का इस्तीफा मंजूर न कर के उसे पारुल पर हुए एसिड अटैक के केस की जांच की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. एसआई की यह भूमिका विजय वर्मा ने की है. दूसरी ओर उस की मां रविशंकर त्रिपाठी पर विवाह के लगातार दबाव डाल रही होती है, जबकि उसे विवाह में कोई रुचि नहीं दिखाई देती.

एक दिन थाने में महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न पर एक मीटिंग थी, जिस में रविशंकर देर से पहुंचता है. तब उसे अधिकारियों की डांट खानी पड़ती है. इस से एसएचओ जगदीश उस से चिढ़ जाते हैं और उसे गालियां देते हुए सोलर लाइट की सफाई के लिए कहते हैं, लेकिन तभी अस्पताल से फोन आ जाता है कि पारुल को होश आ गया है.

एसएचओ जगदीश एसआई रविशंकर और सिपाही यादव को अस्पताल पारुल का बयान लेने भेज देते हैं. एसएचओ जगदीश का रोल गोपालदत्त ने निभाया है तो सिपाही यादव की भूमिका में यशपाल शर्मा है.

अस्पताल पहुंच कर पता चलता है कि पारुल को थोड़ी देर के लिए ही होश आया था. रवि के पिता की मौत हो चुकी होती है. वह अपने पिता का सामान लेने उन के औफिस जाता है, जहां उन के सामान में कुछ किताबें मिलती हैं. घर में उन्हें निकालने पर उन के बीच एक कागज मिलता है, जिस में एक कविता लिखी होती है.

उस कविता से पता चलता है कि उन्हें पता था कि रवि यह नौकरी नहीं करना चाहता. तभी एक घटना घट जाती है, जिस से एसएचओ की नौकरी खतरे में पड़ जाती है.