यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जगदीश प्रसाद जाट की गिरफ्तारी भी 17 अप्रैल को नाटकीय तरीके से हुई. उस दिन सुबह एसओजी के एक डिप्टी एसपी महिला पुलिसकर्मी के साथ पितापुत्री बन कर जयपुर में मौडल टाउन स्थित प्रो. जगदीश प्रसाद जाट के घर गए. वे किराएदार बन कर उन से मिले और किराए पर मकान लेने की बात कही.
प्रो. जगदीश प्रसाद जाट ने उन्हें अपना मकान दिखा दिया. किराए पर मकान लेने के बहाने एसओजी के डिप्टी एसपी ने पूरा मकान देखपरख लिया और अन्य सबूट जुटा लिए. इस के बाद डिप्टी एसपी ने बाहर खड़े एसओजी के एडिशनल एसपी को खुद का दामाद बता कर अंदर बुलाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
एसओजी की टीम प्रो. जगदीश प्रसाद जाट को ले कर एसओजी मुख्यालय पहुंची तो वह हैरान रह गए. जो लोग किराए पर मकान लेने आए थे, वे पुलिस के अफसर निकले. दूसरी ओर प्रो. जगदीश प्रसाद जाट को एक महिला समेत 3-4 लोगों द्वारा ले जाने पर उन के घर में हड़कंप मच गया. वे समझ नहीं सके कि क्या हुआ था. उन्होंने पुलिस को प्रो. जगदीश प्रसाद जाट के अपहरण की सूचना दे दी.
उन की सूचना पर थाना मालवीयनगर पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी. करीब 3 घंटे बाद पता चला कि प्रो. जगदीश प्रसाद जाट को एसओजी ले गई थी. दिन भर की पूछताछ के बाद शाम को प्रो. जगदीश प्रसाद जाट की गिरफ्तारी की सूचना मिलने पर उन के घर वालों के चेहरे मुरझा गए थे.
यही स्थिति रमेश बुक डिपो के कर्मचारी शरद को गिरफ्तार करने के दौरान हुई थी. उस दिन सुबह सादे कपड़ों में एसओजी की टीम जयपुर में मानसरोवर के रजत पथ स्थित रमेश बुक डिपो से शरद को पकड़ कर ले गई. इस पर बुक डिपो के लोगों ने पुलिस को शरद के अपहरण की सूचना दे दी. थाना मानसरोवर पुलिस ने जांच की तो पता चला कि शरद को एसओजी ले गई थी.
पेपर लीक रैकेट में जयपुर के कई बुक डिपो की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. ये बुक डिपो विशेषज्ञों के नाम पर वन वीक सीरीज, गेस पेपर व पासबुक प्रकाशित करते हैं. रैकेट ने जिनजिन पेपरों को आउट किए हैं, उन पेपरों के न्यूमेरिकल हूबहू पासबुक व वन वीक सीरीज में थे. दरअसल, अलगअलग कालेजों एवं यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों तथा लेक्चरर विभिन्न बुक डिपो से जुड़े हुए हैं. कोई बुक डिपो की किताबों का लेखक है तो कोई वन वीक सीरीज का विशेषज्ञ.
बांदीकुई के कोचिंग संचालक चंद्रप्रकाश ने एसओजी को पूछताछ में बताया कि उसे आमतौर पर शाम को या देर रात को अगले दिन की परीक्षा का पेपर मिल जाता था. इस पेपर के आधार पर कोचिंग सेंटर के विद्यार्थियों को रिवीजन के नाम पर कोचिंग सेंटर पर बुला कर रात भर पेपर रटवाया जाता था. इस से उस की कोचिंग को प्रसिद्धि मिल रही थी. पेपर लीक रैकेट के उजागर होने से राजस्थान यूनिवर्सिटी प्रशासन उलझन में फंस गया है.
एसओजी की जांच एवं अन्य सबूतों के आधार पर कई पेपर आउट हुए थे. एसओजी ने इस का खुलासा तो किया ही, आरोपियों ने अपनी करतूत भी स्वीकार कर ली. लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन उन पेपरों को आउट घोषित करने में देरी करता रहा. इस की वजह यह थी कि परीक्षा प्लानिंग एवं मौनिटरिंग कमेटी ही यूनिवर्सिटी की सब से पावरफुल कमेटी होती है.
प्रो. गोविंद पारीक इस कमेटी के संयोजक थे और वह पेपर लीक मामले में गिरफ्तार हो चुके थे. हालांकि उन की गिरफ्तारी के कई दिनों बाद उन के स्थान पर प्रो. एस.एल. शर्मा को इस कमेटी का संयोजक बना दिया गया था. प्रो. गोविंद पारीक ने यूनिवर्सिटी की चयन कमेटी की परीक्षाओं में पेपर लीक न हो, इस की जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन वह खुद ही पेपर लीक करने वालों में शामिल थे.
एसओजी की जांच में सामने आया है कि एमकौम का जो पेपर प्रो. गोविंद पारीक को बनाना था, वह उन्होंने चौमूं के निजी कालेज अग्रसेन कालेज के प्रोफेसर शंभुदयाल से बनवाया था और यूनिवर्सिटी में पेपर जमा करवाते समय यह शपथ पत्र दिया था कि पेपर उन्होंने खुद बनाया है. जबकि निजी कालेज के प्रोफेसर शंभुदयाल से पेपर बनाने के दौरान ही लीक हो गया था.
21 अप्रैल को राजस्थान यूनिवर्सिटी के कुलपति वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेश्वर सिंह ने एग्जामिनेशन प्लानिंग एंड मौनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर 5 पेपर रद्द करते हुए उन्हें दोबारा कराने का फैसला लिया.
इन में 10 अप्रैल को होने वाला बीए फाइनल ईयर का ज्योग्राफी प्रथम का प्रश्नपत्र, 11 अप्रैल को हुआ. एमए फाइनल ईयर का ज्योग्राफी औफ वाटर रिसोर्सेज देयर मैनेजमेंट एंड यूटिलिटीज का प्रश्नपत्र, 12 अप्रैल को होने वाला बीए फाइनल ईयर का ज्योग्राफी द्वितीय का प्रश्नपत्र, 13 अप्रैल को हुआ एमकौम प्रीवियस का एबीएसटी (एडवांस कास्ट एकाउंटिंग) का प्रश्नपत्र तथा 17 अप्रैल को आयोजित एमए फाइनल ईयर का एडवांस ज्योग्राफी औफ इंडिया प्रश्नपत्र का पेपर रद्द कर दिया गया.
दूसरी ओर एसओजी की ओर से लगातार की जा रही गिरफ्तारियों के विरोध में राजस्थान यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ एवं राजस्थान विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया. इन का कहना था कि एसओजी मनमर्जी से काररवाई कर रही है, जबकि सारे शिक्षक गलत नहीं हैं. कुछ शिक्षकों ने गेस पेपर विद्यार्थियों को बताए हैं, लेकिन फोन रिकौर्डिंग में रुपयों के लेनदेन की कोई बात साबित नहीं हो रही है.
एसओजी ने करीब एक महीने की अपनी जांच में लगभग सौ से अधिक लोगों के फोन टेप किए. इन फोन काल्स रिकौर्डिंग में कई चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं. इस के बाद 17 अप्रैल को एक साथ जयपुर, बीकानेर, चौमूं, बांदीकुई, हनुमानगढ़ के भादरा आदि स्थानों पर छापे मारे गए. सब से पहले 8 लोगों को पकड़ा गया. इन से पूछताछ में कडि़यां जुड़ती गईं और 7 दिनों में 19 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया.
एसओजी की जांच में ऐसे लेक्चरर और प्रोफेसर सामने आए हैं, जिन्होंने अपना ईमान नहीं बेचा. फोन रिकौर्डिंग के अनुसार, एक दिन यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार एम.सी. गुप्ता ने गोपनीय शाखा के अनुभाग अधिकारी नंदलाल सैनी को फोन कर के पूछा, ‘परीक्षाओं की क्या तैयारी चल रही है?’
नंदलाल ने कहा, ‘‘सर, पेपर प्रिंट हो कर आने लगे हैं.’’
‘‘अच्छा…यार ये इनकम टैक्स का पेपर किस का प्रिंट हुआ है?’’ गुप्ता ने पूछा.
नंदलाल ने बताया, ‘‘सर, कोई राम गर्ग हैं.’’
‘‘कहां का है यह?’’
‘‘सर, कूकस में आर्यन कालेज का लेक्चरर है.’’
‘‘यार, उस का कोई नंबर है तो मैसेज कर दो.’’
‘‘ठीक है सर, अभी करता हूं.’’
बाद में डिप्टी रजिस्ट्रार एम.सी. गुप्ता ने राम गर्ग को फोन किया, ‘‘राम गर्गजी बोल रहे हैं?’’
‘‘हां, बोल रहा हूं. बताओ, क्या काम है?’’ राम गर्ग ने पूछा.
‘‘मैं यूनिवर्सिटी से डिप्टी रजिस्ट्रार एम.सी. गुप्ता बोल रहा हूं.’’
‘‘जी सर, बताइए.’’
‘‘यार, आप ने जो पेपर सेट किया है, वही आएगा.’’
गर्ग, ‘‘अच्छा…’’
गुप्ता ने कहा, ‘‘यार, कौन से क्वेश्चन पेपर के लिए सेलेक्ट किए हैं, जरा बताओ.’’
‘‘पेपर..? सर मरवाओगे क्या? मैं ऐसा नहीं करूंगा.’’
‘‘अरे यार, कुछ नहीं होगा. तुम्हारे भी काम आऊंगा.’’
‘‘नहीं सर, मैं नहीं बताऊंगा. माफ करो.’’
कथा लिखे जाने तक कई प्रोफेसर फरार थे. एसओजी उन की तलाश में जुटी थी. बहरहाल, पेपर लीक प्रकरण ने उच्च शिक्षा को राजस्थान को बदनाम कर दिया है. इस समय राजस्थान में कभी किसी यूनिवर्सिटी और कालेज के पेपर आउट हो रहे हैं तो कभी किसी भर्ती परीक्षा के.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
लगातार तीसरे दिन काररवाई करते हुए एसओजी ने 19 अप्रैल को राजस्थान यूनिवर्सिटी के कौमर्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. महेशचंद गुप्ता को गिरफ्तार किया. उन्होंने यूनिवर्सिटी के एमकौम प्रीवियस की 13 अप्रैल को हुई एबीएसटी की परीक्षा का पेपर तैयार किया था.
इस की सूचना यूनिवर्सिटी की गोपनीय शाखा के अनुभाग अधिकारी नंदलाल सैनी ने प्रो. अशोक अग्रवाल को दी थी. प्रो. अशोक अग्रवाल ने डा. महेशचंद गुप्ता से संपर्क कर परीक्षा से एक दिन पहले पेपर हासिल कर लिया था. उसी दिन एसओजी ने राजकीय कालेज कालाडेरा के भूगोल के लेक्चरर सुरेंद्र कुमार सैनी को गिरफ्तार किया. उन्होंने यूनिवर्सिटी के एमए/एमएससी फाइनल ईयर भूगोल की एडवांस ज्योग्राफी औफ इंडिया की 17 अप्रैल को होने वाली परीक्षा का पेपर तैयार किया था.
सैनी ने यह पेपर शंकर को बता दिया था. शंकर के माध्यम से यह पेपर जगदीश प्रसाद जाट एवं अन्य लोगों तक पहुंच गया था. इस के बाद एसओजी ने 21 अप्रैल को राजस्थान यूनिवर्सिटी के कौमर्स विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर व चीफ वार्डन राजीव शर्मा एवं यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक के निजी सचिव सुरेंद्र मोहन शर्मा को गिरफ्तार किया.
इन में निजी सहायक सुरेंद्र मोहन शर्मा ने नंदलाल सैनी से पेपर बनाने वाले प्राध्यापकों के नाम पता कर के एसोसिएट प्रोफेसर राजीव शर्मा को बताए थे. राजीव शर्मा ने अपने परिचितों के लिए पेपर बनाने वाले उन प्राध्यापकों से संपर्क किया और परीक्षा की गोपनीयता भंग की.एसओजी ने 22 अप्रैल को यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार एम.सी. गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया. इस के अगले दिन जयपुर के टोंक फाटक स्थित एक कौमर्स कोचिंग क्लासेज के संचालक अतिशय जैन को पकड़ा गया. इस तरह पेपर लीक प्रकरण में 17 से 23 अप्रैल तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
इन लोगों से की गई पूछताछ और एसओजी की जांच में सामने आया कि सरकारी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों, कर्मचारियों, पेपर बनाने वाले प्रोफेसरों से ले कर उन के सहायकों, कोचिंग संचालकों, प्राइवेट कालेजों एवं बुक सेलरों का पूरा रैकेट है. ये लोग पैसों के लालच, कोचिंग संस्थानों में पढ़ाने, पासबुक (गेस पेपर) लिखने के लिए राइटर बने रहने और परिचितों एवं परिजनों को अच्छे नंबर दिलाने के लिए पेपर लीक करते थे.
एसओजी ने पेपर लीक होने की सूचना मिलने के बाद कई दिनों तक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों व अन्य लोगों के फोन सर्विलांस पर रखे. इस के बाद एक से एक कडि़यां जुड़ती गईं. 1 अप्रैल को प्रिंसिपल एन.एस. मोदी व प्रोफेसर गोविंद पारीक के बीच वाट्सऐप पर हुई वार्ता में मोदी ने पारीक से कहा था, ‘‘5 अप्रैल को एमकौम का पेपर है, सेंड करो.’’
इस पर पारीक ने कहा, ‘‘पेपर मेरे पास नहीं है. मैं ले कर देता हूं.’’
इस के बाद चौमूं के अग्रसेन कालेज के प्रो. शंभुदयाल झालानी और पारीक के बीच बातचीत सामने आई. इस में पारीक ने झालानी से कहा, ‘‘यार, एमकौम का जो पेपर बनाया था, उसे सेंड करो.’’
झालानी ने कहा, ‘‘सर, उस दिन जो सेंड किया था, वही पेपर है.’’
पारीक ने कहा, ‘‘एक बार फिर सेंड करो.’’
झालानी ने कहा, ‘‘ठीक है, मैं अभी सेंड कर देता हूं.’’
पारीक ने कहा, ‘‘हां यार, मोदी को सेंड करना है. उन का बेटा एमकौम में है.’’
इस के बाद झालानी ने वाट्सऐप पर पारीक को पेपर सेंड कर दिया था.
राजस्थान यूनिवर्सिटी ने इसी साल पेपर सेटर के मानदेय बढ़ाए थे. अंडर ग्रैजुएट का प्रति पेपर मानदेय ढाई हजार रुपए एवं पोस्ट ग्रैजुएट का प्रति पेपर 3 हजार रुपए किया गया है. इस के बावजूद यूनिवर्सिटी के विभागाध्यक्ष और बोर्ड औफ स्टडीज के समन्वयक या सदस्यों के दबाव में आ कर पेपर लीक किए गए.
दरअसल, विभिन्न विषयों के विभागों में एक अध्ययन मंडल (बोर्ड औफ स्टडीज) होता है. इस में समन्वयक व 2 सदस्य होते हैं. ये ही पेपर सेटर नियुक्त करते हैं. संबंधित विषय के विभागाध्यक्ष या डीन इस से जुड़े रहते हैं. 3 प्रोफेसर 3 पेपर सेलेक्ट कर सीलबंद लिफाफे में परीक्षा नियंत्रक के पास भेजते हैं.
परीक्षा नियंत्रक एवं यूनिवर्सिटी के अन्य उच्चाधिकारी उन में से एक पेपर सेलेक्ट कर छपने के लिए प्रिंटिंग प्रैस पर भेजते हैं.
पेपर लीक करने के लिए कन्वीनर और सेलेक्टर संबंधित विभाग की गोपनीय शाखा से पता करते थे कि किस प्रोफेसर का पेपर सेलेक्ट हुआ है. जिस प्रोफेसर का पेपर सेलेक्ट होता था, उस से संपर्क कर के पेपर हासिल कर लिया जाता था. वह प्रोफेसर भी अपने परिचितों को पेपर बता देता था. कन्वीनर के पूछने पर उसे भी पेपर बता दिया जाता था.
इस घपले में लिप्त लोग बाकायदा बोर्ड औफ स्टडीज के चुनाव में अपने रसूख का प्रयोग करते थे. कुछेक तो बोर्ड औफ स्टडीज के समन्वयक भी बने हुए थे. इन्हीं के माध्यम से पेपर सेटर से पेपर पूछा जाता था. ऐसा न करने पर उन पर हटाने का दबाव डाला जाता था. दूसरी ओर कुछ पब्लिशर बोर्ड औफ स्टडीज एवं एचओडी से मिल कर मुख्य प्रश्नों की पासबुक (गेस पेपर) छापते थे.
जिस पब्लिशर की पासबुक से परीक्षा में सब से ज्यादा सवाल आते थे, उस की प्रसिद्धि रातोंरात हो जाती थी. उस की पासबुक खरीदने के लिए परीक्षार्थियों में होड़ मच जाती थी. ये पब्लिशर इस तरह चांदी काटते थे.
इस के अलावा कुछ प्रोफेसर कोचिंग संस्थानों में पढ़ाते थे. ये प्रोफेसर परीक्षार्थियों को मोस्ट इंपोर्टेंट सवाल बता कर अपनी प्रसिद्धि के लिए येन केन प्रकारेण पेपर हासिल करते थे. कोचिंग संस्थानों के संचालक भी रातोंरात प्रसिद्धि पाने और विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए अपने विद्यार्थियों को पेपर बताते थे. ये भी अनैतिक तरीकों से पेपर हासिल करते थे.
बांदीकुई का जो कोचिंग संचालक पकड़ा गया है, उस से इसी बात के संकेत मिलते हैं. प्रोफेसर बुकसेलरों को इसलिए पेपर मुहैया कराते थे, क्योंकि पब्लिशर उन्हें लेखक बनाए रखें. अधिकांश अपनी किताबों के लेखक राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों को बनाते थे, ताकि उन की किताबों की ज्यादा से ज्यादा बिक्री हो. इस के बदले में प्रोफेसर उन्हें पेपर उपलब्ध कराते थे.
पब्लिशर इन पेपरों का उपयोग वन वीक सीरीज आदि में करते थे, ताकि उन की किताबों, पासबुक और अन्य परीक्षाओं में सहायक पुस्तकों की बिक्री होती रहे. पेपर लीक करने का मामला उजागर होने पर 18 अप्रैल को राजस्थान की उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने राजस्थान यूनिवर्सिटी के भूगोल के विभागाध्यक्ष प्रो. जगदीश प्रसाद जाट, राजस्थान विश्वविद्यालय के कौमर्स विभाग के प्रोफेसर गोविंद पारीक, राजकीय कालेज खाजूवाला (बीकानेर) के प्राचार्य एन.एस. मोदी, राजकीय कालेज कालाडेरा के लेक्चरर शंकर चोपड़ा एवं यूनिवर्सिटी की गोपनीय शाखा के अनुभाग अधिकारी शंकरलाल सैनी को निलंबित कर दिया था.
इस के दूसरे दिन 19 अप्रैल को राजस्थान यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेश्वर सिंह ने प्रो. जगदीश प्रसाद जाट एवं प्रो. गोविंद पारीक को निलंबित कर दिया. यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 24 अप्रैल को एसोसिएट प्रोफेसर डा. राजीव शर्मा, कुलसचिव परीक्षा गोपनीय एम.सी. गुप्ता एवं परीक्षा नियंत्रक के पीए सुरेंद्र मोहन शर्मा को भी निलंबित कर दिया.
इसी साल 22 मार्च की सुबह के करीब 10 बजे जयपुर में कुछ पत्रकारों को सूचना मिली कि टोंक फाटक के पास किताबों की कुछ दुकानों पर राजस्थान विश्वविद्यालय का बीएससी द्वितीय वर्ष का फिजिकल कैमिस्ट्री का प्रश्नपत्र बेचा जा रहा है. यह पेपर उसी दिन दोपहर 3 बजे होने वाला था. किसी परीक्षार्थी ने दुकानों पर बिक रहे उस पेपर की कौपी वाट्सऐप द्वारा एक पत्रकार को भेज दी थी. उस पत्रकार ने इस मामले की जानकारी अपने एक साथी को दी.
उन दिनों जयपुर में राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था. दोनों पत्रकारों ने सावधानी के तौर पर विधानसभा पहुंच कर कुछ विधायकों को इस मामले के बारे में बताया ही नहीं, वह पेपर भी दिखाया. दोनों पत्रकारों ने उस प्रश्नपत्र पर 4 विधायकों से हस्ताक्षर करवा कर समय भी दर्ज करवा लिया. उन में सत्तापक्ष भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी, कांग्रेस के घनश्याम मेहर, श्रवण कुमार और निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल शामिल थे.
शाम 6 बजे जब पेपर समाप्त हुआ तो उस पेपर का मिलान किया गया. हूबहू वही पेपर आया था, जो उन के पास था. उस में न कोई सवाल बदला था और न ही सवालों का क्रम. ओरिजिनल पेपर और बाजार में बिक रहे पेपर की भाषा और छपाई का फोंट भी एक ही था.
जब यह मामला सामने आया तो राजस्थान यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति वरिष्ठ आईएएस अधिकारी राजेश्वर सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस की जांच कराएगा. यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक बी.एल. गुप्ता ने कहा कि परीक्षाओं में पूरी गोपनीयता बरती जा रही है, फिर भी मामला कमेटी के पास जांच के लिए भेजा जाएगा.
जांच के बाद आखिर यूनिवर्सिटी ने वह पेपर निरस्त कर दिया. राजस्थान यूनिवर्सिटी की पूरे देश में बहुत अच्छी साख है. पेपर आउट होने की इस घटना से यूनिवर्सिटी की छवि पर विपरीत असर पड़ सकता था. निस्संदेह यह बेहद गंभीर मामला था, इसलिए उच्चाधिकारियों ने राजस्थान पुलिस के स्पैशल औपरेशन ग्रुप (एसओजी) को इस मामले की जांच करने को कहा.
एसओजी ने सूचनाएं जुटानी शुरू कीं तो जानकारी मिली कि राजस्थान के विभिन्न शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों की ओर से आयोजित होने वाली विभिन्न परीक्षाओं के प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही कई माध्यमों से लीक हो रहे हैं.
गहराई से जांच की गई तो पता चला कि बीकानेर यूनिवर्सिटी की ओर से इसी साल 5 अप्रैल को होने वाली एमकौम फाइनल की परीक्षा, राजस्थान विश्वविद्यालय द्वारा 10 अप्रैल को कराई गई बीए तृतीय वर्ष के भूगोल के प्रथम प्रश्नपत्र की परीक्षा और 12 अप्रैल को होने वाली द्वितीय प्रश्नपत्र और 13 अप्रैल को होने वाली एमए प्रीवियस एवं एबीएसटी द्वितीय के प्रश्नपत्र परीक्षा से पहले ही लीक हो गए थे.
इस से परीक्षाओं की गोपनीयता भंग हुई थी. जांच के बाद एसओजी ने पेपर माफिया के विरुद्ध 3 मामले दर्ज किए. एसओजी के आईजी दिनेश एम.एन. के निर्देश पर एसओजी के एसपी संजय श्रोत्रिय के निर्देशन में करीब एक दर्जन टीमों का गठन किया गया. इन टीमों ने पेपर लीक होने के मामले में तकनीकी जांच कर संदिग्ध लोगों की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी.
इस के बाद 17 अप्रैल को सब से पहले राजस्थान यूनिवर्सिटी के एक विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर सहित 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इन में राजस्थान यूनिवर्सिटी के भूगोल के विभागाध्यक्ष जगदीश प्रसाद जाट, राजस्थान विश्वविद्यालय के वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर गोविंद पारीक, भूगोल के सेवानिवृत्त प्रोफेसर बी.एल. गुप्ता थे.
इस के अलावा राजकीय कालेज खाजूवाला (बीकानेर) के प्राचार्य एन.एस. मोदी और बीकानेर निवासी उन के बेटे निपुण मोदी, एसएसजी पारीक गर्ल्स कालेज चौमूं (जयपुर) के प्रोफेसर शंभुदयाल झालानी, अग्रसेन कालेज भादरा (हनुमानगढ़़) के लेक्चरर कालीचरण शर्मा, रमेश बुक डिपो, मानसरोवर, जयपुर का कर्मचारी शरद शामिल थे.
इन लोगों से पूछताछ में पता चला कि बीकानेर यूनिवर्सिटी की ओर से 5 अप्रैल को एमकौम फाइनल वर्ष के ओआर एंड क्यूटी की परीक्षा आयोजित की गई थी. लेकिन इस परीक्षा के प्रश्नपत्र के सवालों को 4 दिन पहले यानी 1 अप्रैल को राजस्थान यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गोविंद पारीक ने एसएसजी पारीक गर्ल्स कालेज चौमूं के प्रोफेसर शंभुदयाल झालानी से नोट कर के बीकानेर यूनिवर्सिटी के खाजूवाला कालेज के प्राचार्य एन.एस. मोदी को बता दिया.
मोदी ने उन सवालों को अपने बेटे निपुण मोदी को बता दिया. वह इस पेपर की परीक्षा दे रहा था. यही पेपर रमेश बुक डिपो के कर्मचारी शरद ने परीक्षा से पहले ही अग्रसेन कालेज भादरा (हनुमानगढ़) के व्याख्याता कालीचरण शर्मा के जरिए फोन पर हासिल कर लिया और अन्य लोगों को वितरित कर दिया.
इसी तरह राजस्थान यूनिवर्सिटी में 10 अप्रैल को होने वाली बीए फाइनल ईयर की परीक्षा में भूगोल प्रथम प्रश्नपत्र का पेपर 8 अप्रैल को ही राजस्थान यूनिवर्सिटी के भूगोल के विभागाध्यक्ष जगदीश प्रसाद जाट ने पेपर सैटर बी.एल. गुप्ता से नोट किया और परीक्षार्थियों को वितरित कर दिया.
राजस्थान यूनिवर्सिटी की 12 अप्रैल को होने वाली बीए तृतीय वर्ष का भूगोल द्वितीय प्रश्नपत्र का पेपर 11 अप्रैल को ही जगदीश प्रसाद जाट ने हासिल कर विद्यार्थियों में बांट दिया था. इस तरह यह पेपर भी आउट कर दिया गया था.
राजस्थान यूनिवर्सिटी की 13 अप्रैल को होने वाली एबीएसटी द्वितीय प्रश्नपत्र (एडवांस्ट कोस्ट एकाउंटिंग) की परीक्षा का पेपर एक दिन पहले 12 अप्रैल को राजस्थान यूनिवर्सिटी की गोपनीय शाखा के कर्मचारी नंदलाल सैनी, अशोक अग्रवाल एवं महेश गुप्ता तथा अन्य लोगों ने आउट कर दिया था.
गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि 17 अप्रैल को हो रहे बीकौम फाइनल ईयर के इनकम टैक्स का पेपर भी परीक्षा से पहले लीक हो चुका था. इस सूचना पर 17 अप्रैल को ही एसओजी की एक टीम ने दौसा जिले के बांदीकुई कस्बे में छापा मारा. अगले दिन यानी 18 अप्रैल को एसओजी ने पेपर लीक प्रकरण में 3 अन्य मुकदमे दर्ज कर 5 लोगों को गिरफ्तार किया.
इन में राजस्थान यूनिवर्सिटी की गोपनीय शाखा का अनुभाग अधिकारी नंदलाल सैनी, राजकीय कालेज कालाडेरा (जयपुर) का लेक्चरर शंकर चोपड़ा, बांदीकुई (दौसा) का कोचिंग संचालक चंद्रप्रकाश सिंधी तथा फाइनल ईयर के छात्र अखिल रावत एवं अजय कुमार सैनी शामिल थे. इन में कालाडेरा कालेज के लेक्चरर शंकर चोपड़ा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी के एमए फाइनल ईयर के वाटर रिसोर्स एवं एडवांस ज्योग्राफी औफ इंडिया के पेपर परीक्षा से पहले 8 अप्रैल को ही यूनिवर्सिटी के भूगोल के विभागाध्यक्ष जगदीश प्रसाद जाट को बता दिए थे.