कपूत की करतूत : अपने पिता की दी सुपारी – भाग 2

अशोक उर्फ चौटाला ने उस नंबर पर 1 नवंबर, 2014 की सुबह, दोपहर, शाम और रात में फोन कर के काफी देर तक बातें की थीं. इस के अलावा इसी नंबर पर उस ने 2 नवंबर की सुबह 5 बजे, 11 बजे और शाम 6 बजे बातें की थीं. उसी दिन सुबह सवा 7 बजे मामन की हत्या हुई थी.

इस के बाद अशोक उर्फ चौटाला की उसी नंबर पर 25 दिसंबर से ले कर 28 दिसंबर, 2014 तक कुल 13 बार बातें हुईं थीं. इस के बाद 13 जनवरी से ले कर 17 जनवरी, 2015 तक 8 बार बातें हुई थीं. जिस नंबर पर बातें हुई थीं, वह नंबर रिलायंस का था. अशोक कुमार ने रिलायंस से इस नंबर के बारे में पता किया तो बताया गया कि वह नंबर उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर के रहने वाले नीतू उर्फ काला का है.

हत्या में जिस मोटरसाइकिल का उपयोग हुआ था, वह भी बिजनौर की थी, इसलिए अशोक कुमार को लगा कि हत्या नीतू उर्फ काला ने ही की है. उन्होंने बिजनौर पुलिस से संपर्क कर के नीतू उर्फ काला के बारे में जानकारी मांगी तो पता चला कि 26 वर्षीय नीतू उर्फ काला पेशेवर अपराधी है. उस के खिलाफ उत्तर प्रदेश और हरियाणा के अनेक थानों में लूट, हत्या, हत्या की कोशिश और रंगदारी के कई मुकदमे दर्ज थे. काला कई बार जेल भी जा चुका था. उस समय वह जमानत पर छूटा हुआ था. बिजनौर पुलिस ने उसे जिला बदर कर रखा था.

जब अशोक उर्फ चौटाला पूरी तरह संदेह के घेरे में आ गया तो अशोक कुमार ने अपने कुछ मुखबिर मामन के बेटे अशोक के पीछे लगा दिए. आखिर एक दिन उन्हें किसी मुखबिर से पता चला कि अशोक की शराब के ठेके पर 2 लोगों से झड़प हो रही थी. वे लोग उस से अपने पैसे मांग रहे थे, जो अशोक ने हत्या के एवज में देने का वादा किया था.

इस के बाद अशोक कुमार ने उन दोनों लोगों के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वे दोनों नीतू उर्फ काला और हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला सुपारी किलर जितेंद्र उर्फ ङ्क्षटकू थे. यह भी जानकारी मिली कि जितेंद्र काला का जिगरी दोस्त है. उस पर भी हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश में कई संगीन अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं. ये दोनों मिल कर अपराध करते हैं.

इस के बाद अशोक कुमार ने अपनी टीम के साथ हर उस जगह छापा मारा, जहां काला और ङ्क्षटकू मिल सकते थे. लेकिन वे कहीं नहीं मिले. अलबत्ता इस काररवाई में यह जरूर पता चला कि ङ्क्षटकू दिल्ली के छावला स्थित गांव ख्याला खुर्द में किराए का मकान ले कर रहता है, जबकि काला दिल्ली के नरेला के सैक्टर ए-6 के पौकेट 1 में मकान नंबर 167 में किराए पर रहता है. लेकिन दोनों वहां भी नहीं मिले.

इसी बीच पुलिस को पता चला कि मृतक मामन के बेटे अशोक ने 90 लाख में 2 एकड़ जमीन बेची है. मामन का बेटा शक के दायरे में आया था तो अशोक कुमार ने उन की बेटी सोनम के सोनीपत स्थित घर जा कर पूछताछ की थी. इस पूछताछ में उन्होंने जरा भी यह जाहिर नहीं होने दिया था कि उन्हें उस के भाई पर शक है. उन का पहला सवाल था,

“तुम्हारे पिता की किसी से ऐसी कोई दुश्मनी तो नहीं थी, जिस की वजह से उन की हत्या की गई हो?”

“पापा बहुत अच्छे इंसान थे,” सोनम ने कहा, “वह हर किसी के दुखसुख में खड़े रहते थे. भला ऐसे आदमी की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती थी?”

“फिर भी उन की हत्या हो गई. हत्या की कोई तो वजह होगी? तुम्हारे ख्याल से क्या वजह हो सकती है?” अशोक कुमार ने पूछा.

सोनम कुछ क्षण सिर नीचा किए बैठी रही. उस के बाद गहरी सांस ले कर बोली, “क्या कहूं सर, मेरे ख्याल से पापा की हत्या संपत्ति की वजह से हुई है. मेरा भाई बहुत ज्यादा लाड़प्यार की वजह से बिगड़ गया था. वह अय्याश और नशेबाज है. जुआ भी खेलता है. उस की इन गलत आदतों की वजह से पापा ने उसे और उस की पत्नी को अलग मकान दे कर घर से निकाल दिया था. कोई कारोबार करने के लिए उसे 6-7 लाख रुपए भी दिए थे. भाई ने कारोबार करने के बजाय वे रुपए अपने गलत शौकों में उड़ा दिए. उस के बाद वह लोगों से कर्ज ले कर खर्च करता रहा. पता चला है कि इस समय एक करोड़ के करीब कर्ज है. कर्ज देने वाले उसे परेशान कर रहे थे.”

“तुम्हारे कहने का मतलब है कि तुम्हारे भाई ने पिता की हत्या कराई है?”

“मुझे तो ऐसा ही लगता है.”

“तुम्हारे पिता के पास कितनी संपत्ति होगी?”

“कई मकान, सैकड़ों एकड़ जमीन, करोड़ों का बैंक बैलेंस. कुल मिला कर सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति होगी.”

“इतनी संपत्ति के लिए तो तुम भी पिता की हत्या करवा सकती हो?”

“मैं पापा की हत्या क्यों कराऊंगी. सारी संपत्ति तो वैसे ही वह मेरे नाम करने जा रहे थे.”

“यह बात तुम्हारे भाई को पता थी?”

“जी पता थी. इस बात को ले कर वह अकसर पापा और मुझ से झगड़ा भी करता रहता था. पापा ने उस से कह भी दिया था कि वह उसे एक पैसा नहीं देंगे.”

इस के बाद उन्होंने अशोक उर्फ चौटाला की तलाकशुदा पत्नी रोशनी के घर जा कर पूछताछ की थी. रोशनी ने बताया था कि अशोक शराबी, जुआरी, बाजारू औरतों के पास जा कर मुंह काला करने वाला बदतमीज इंसान है. ऐसे आदमी के साथ कौन औरत गुजारा कर सकती है. परेशान हो कर उस ने भी तलाक ले लिया.

उस के ससुर बहुत अच्छे आदमी थे. अपने गलत शौक पूरे करने के लिए अशोक उन से पैसे मांगता था. पैसे न मिलने पर वह उन के साथ गालीगलौज करता था. कई बार उस ने उन्हें जान से मरवाने की धमकी भी दी थी. जरूर उसी ने उन की हत्या कराई होगी.

अशोक कुमार ने ये सारी बातें एसीपी जितेंद्र ङ्क्षसह को बताईं तो उन्होंने तुरंत अशोक उर्फ चौटाला को हिरासत में लेने का आदेश दे दिया. इस के बाद 22 सितंबर, 2015 को अशोक कुमार की टीम अशोक उर्फ चौटाला को हिरासत में ले कर नेहरू प्लेस स्थित थाना क्राइम ब्रांच ले आई, जहां उस से मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ की जाने लगी. पुलिस के पास उस के खिलाफ सारे सबूत थे ही, मजबूरन उसे अपना अपराध स्वीकार कर के सच बताना पड़ा.

इस के बाद पुलिस टीम ने अशोक उर्फ चौटाला की निशानदेही पर जितेंद्र उर्फ ङ्क्षटकू और नीतू उर्फ काला को भी दिल्ली के छावला इलाके से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने 23 सितंबर, 2015 को तीनों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर के अदालत में पेश किया, जहां से पूछताछ के लिए तीनों को एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया.

रिमांड के दौरान पुलिस ने नीतू और ङ्क्षटकू की निशानदेही पर गांव ख्याला खुर्द के एक बाग से हत्या में प्रयुक्त गुप्ती बरामद कर ली. रिमांड खत्म होने पर तीनों को 24 सितंबर, 2015 को पुन: अदालत में पेश किया गया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया. हत्याभियुक्तों के बयान के आधार पर मामन की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी:

मामन पुश्तैनी रईस थे, लेकिन वह उन रईसों में नहीं थे, जो विरासत में मिली धनसंपत्ति से ऐश करते हैं. उन्होंने पुरखों से मिली धनसंपत्ति का सदुपयोग करते हुए उस में इजाफा ही किया था. उन की पत्नी की मौत तभी हो गई थी जब बेटा अशोक 14 साल का और बेटी सोनम 11 साल की थी. लोगों के कहने पर भी उन्होंने दूसरी शादी नहीं की थी और बच्चों को खुद ही पालने लगे थे. अधिक लाड़प्यार की वजह से बेटा अशोक बिगड़ गया था.

कपूत की करतूत : अपने पिता की दी सुपारी – भाग 1

62 वर्षीय मामन जमींदार परिवार से थे, इसलिए इलाके के लोग उन का काफी सम्मान करते थे. इस उम्र में भी वह पूरी तरह स्वस्थ थे. इस की वजह यह थी कि वह बहुत ही अनुशासित जीवन जीते थे. वह हर रोज सुबह घर से काफी दूर स्थित पार्क में टहलने जाते थे और अपने हर मिलने वाले का कुशलक्षेम पूछते हुए 7, साढ़े 7 बजे तक घर लौटते थे.

2 नवंबर, 2014 की सुबह जब वह पार्क में टहल कर सवा 7 बजे घर लौट रहे थे तो गली में एक पल्सर मोटरसाइकिल उन के सामने आ कर इस तरह रुकी कि वह उस से टकरातेटकराते बचे. मोटरसाइकिल पर 2 युवक सवार थे. उन के चेहरों पर रूमाल बंधे थे. युवकों की यह हरकत मामन को नागवार गुजरी तो उन्होंने युवकों को डांटने वाले अंदाज में कहा, “यह कैसी बदतमीजी है, तुम्हारे मांबाप ने तुम्हें यह नहीं सिखाया कि बुजुर्गों से किस तरह पेश आना चाहिए?”

“सिखाया तो था, लेकिन हम ने सीखा ही नहीं,” मोटरसाइकिल चला रहे युवक ने हंसते हुए कहा, “ताऊ, हम ने तो एक ही बात सीखी है, पैसा लो और खेल खत्म कर दो.”

“क्या मतलब?” मामन ने हकबका कर पूछा.

मोटरसाइकिल पर पीछे बैठे युवक ने उतरते हुए कहा, “ताऊ मतलब बताने से अच्छा है, कर के ही दिखा दूं.”

इसी के साथ उस ने हाथ में थामी गुप्ती निकाल कर मामन के पेट में घुसेड़ दी. चीख कर मामन जमीन पर बैठ गए. उस वक्त वह इस तरह घिरे थे कि भाग भी नहीं सकते थे. उन की चीख सुन कर कुछ लोग घरों से निकल आए. तभी मोटरसाइकिल पर सवार युवक ने पिस्तौल लहराते हुए धमकी दी, “अगर कोई भी नजदीक आया तो गोली मार दूंगा.”

उस की इस धमकी से किसी की आगे आने की हिम्मत नहीं पड़ी. इस बीच वह युवक मामन पर गुप्ती से लगातार वार करता रहा. वह चीखते रहे, छटपटाते रहे. लेकिन वह उन्हें गुप्ती से तब तक गोदता रहा, जब तक उन की मौत नहीं हो गई. जब उसे लगा कि मामन मर चुके हैं तो वह कूद कर मोटरसाइकिल पर बैठ गया. उस के बाद मोटरसाइकिल पर सवार युवक तेजी से मोटरसाइकिल चलाता हुआ चला गया.

मामन इलाके के जानेमाने और सम्मानित व्यक्ति थे. उन की हत्या की खबर पलभर में पूरे इलाके में फैल गई. जहां हत्या हुई थी, थोड़ी ही देर में वहां भारी भीड़ जमा हो गई. किसी ने इस घटना की सूचना फोन से थाना नरेला को दे दी.

इलाके के एक सम्मानित व्यक्ति की हत्या होने की सूचना से थाना नरेला की पुलिस तुरंत हरकत में आ गई. थाने से एएसआई राजेंद्र सिंह, महिला सिपाही मधुबाला, अभिमन्यु एवं बीट के सिपाहियों को तुरंत घटनास्थल पर भेजा गया. राजेंद्र सिंह ने घटनास्थल एवं शव का निरीक्षण कर के वहां एकत्र लोगों से पूछताछ की. इस के बाद औपचारिक काररवाई निपटा कर उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए राजा हरिश्चंद्र अस्पताल भिजवा दिया.

थाना नरेला पुलिस की जांच का सिलसिला काफी लंबा चला. इस के बावजूद पुलिस न हत्या की वजह जान सकी और न हत्यारों का सुराग लगा सकी. मामन की हत्या जिन 2 युवकों ने की थी, उन्होंने चेहरों पर रूमाल बांध रखे थे, इसलिए हत्या के समय घटनास्थल पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शी पुलिस को उन के बारे में कुछ भी नहीं बता सके थे. हां, किसी ने उस पल्सर मोटरसाइकिल का नंबर जरूर बता दिया था, जिस से दोनों हत्यारे भागे थे.

पुलिस ने उस नंबर की मोटरसाइकिल के बारे में पता किया तो पता चला कि वह उत्तर प्रदेश के जिला बिजनौर की थी. उस के मालिक ने स्थानीय थाने में 1 नवंबर, 2014 को मोटरसाइकिल की चोरी की रिपोर्ट दर्ज करा रखी थी. बाद में 13 नवंबर, 2014 को वह नरेला के जंगल से बरामद हो गई थी.

दिल्ली के नरेला स्थित गांव बांकनेर के ममनीरपुर रोड पर मामन का आलीशान मकान था. उस इलाके में मामन के 5 अन्य मकान थे, जिन में तमाम किराएदार रहते थे. हर महीने किराए के रूप में उन्हें करीब 3 लाख रुपए मिलते थे. इस के अलावा उन के पास सैकड़ों एकड़ खेती की जमीन थी. साथ ही वह ब्याज पर पैसा देने का काम भी करते थे. ब्याज के भी उन्हें लाखों रुपए मिलते थे.

मामन के परिवार में एक बेटा अशोक उर्फ चौटाला और एक बेटी सोनम थी. उन की पत्नी की मौत तब हो गई थी, जब बेटी 11 साल की और बेटा 14 साल का था. सयानी होने पर सोनम की शादी उन्होंने हरियाणा के सोनीपत निवासी सत्येंद्र से कर दी थी. अशोक का विवाह उन्होंने दिल्ली के बसंतकुंज के रहने वाले हरिप्रसाद की बेटी रोशनी से किया था. लेकिन अशोक से रोशनी की पटरी नहीं बैठी. वह तलाक ले कर मायके में रहने लगी.

अदालत के आदेश पर उसे हर महीने 20 हजार रुपए गुजाराभत्ता मिलता था, जिसे अशोक हर माह अदालत में जमा करता था. अशोक राजा हरिशचंद्र अस्पताल में सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी करता था. मतभेदों के चलते मामन ने उसे घर से निकाल दिया था. वह मामन के बनवाए दूसरे मकान में अकेला रहता था.

मामन काफी मिलनसार थे. उन की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी. दुश्मनी होती भी कैसे, वह हर किसी के सुखदुख में खड़े रहते थे. किसी बीमार को इलाज के लिए पैसों की जरूरत होती अथवा किसी की बेटी की शादी होती तो वह बिना ब्याज के पैसा देते थे. जितनी हो सकती थी, मदद भी करते थे. इसी वजह से इलाके के लोग उन की इज्जत करते थे. ऐसे आदमी की किसी से ऐसी क्या दुश्मनी हो सकती थी, यह बात पुलिस समझ नहीं पा रही थी.

थाना नरेला पुलिस ने अपने स्तर से काफी छानबीन की, लेकिन वह हत्यारों का सुराग नहीं लगा सकी. जब थाना पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर सकी तो 13 फरवरी, 2015 को यह मामला दिल्ली की अपराध शाखा को सौंप दिया गया. अपराध शाखा के जौइंट कमिश्नर रविंद्र कुमार ने थाना नरेला पुलिस द्वारा की गई जांच का अध्ययन करने के बाद यह केस क्राइम ब्रांच के एडिशनल कमिश्नर अजय कुमार को सौंप दिया. अजय कुमार ने इस मामले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच के डीसीपी राजीव कुमार के नेतृत्व में एक टीम बनाई, जिस में क्राइम ब्रांच के एसीपी जितेंद्र ङ्क्षसह, इंसपेक्टर अशोक कुमार आदि को शामिल किया गया.

थाना नरेला पुलिस ने अपनी जांच की जो फाइल तैयार की थी, इंसपेक्टर अशोक कुमार ने उसे ध्यान से पढ़ा. उन्हें इस बात पर हैरानी हुई कि थाना पुलिस ने मामन , उन के बेटे अशोक, बेटी सोनम व सोनम के पति के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर जांच करने की जहमत नहीं उठाई थी, जबकि आजकल तमाम केसों का खुलासा मोबाइल फोन से ही हो जाता है.

अशोक कुमार ने तुरंत मृतक मामन, उन के बेटे अशोक उर्फ चौटाला, बेटी सोनम और उस के पति सत्येंद्र के मोबाइल नंबरों को सॢवलांस पर लगवाने के साथ उन के नंबरों की 1 नवंबर से 15 नवंबर, 2014 तक की काल डिटेल्स निकलवाई. उन्होंने तीनों की काल डिटेल्स को ध्यान से देखी तो मामन के बेटे अशोक उर्फ चौटाला की काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा मिला, जिस पर उन्हें संदेह हुआ.

जिम ट्रेनर की हत्या : प्यार में चली गोली

लव, सैक्स और गोली के इस केस में खुशबू, राजीव समेत सभी आरोपी पुलिस के फंदे में फंस चुके हैं. राजीव फिजियो थैरेपिस्ट है और जनता दल (यू) के मैडिकल सैल का उपाध्यक्ष है. इस केस में नाम आने के बाद पार्टी ने उसे पद से हटा दिया है.

पिछले 18 सितंबर की सुबह 6 बजे विक्रम लोहानीपुर महल्ले के अपने घर से जिम जाने के लिए स्कूटी से निकला, तो रास्ते में कदमकुआं इलाके के बुद्ध मूर्ति के पास शूटरों ने उस पर गोलियां चला दीं. विक्रम लहूलुहान हो कर स्कूटी से गिर पड़ा और आसपास खड़े लोगों से अस्पताल पहुंचाने की गुहार लगाने लगा. किसी ने दर्द से छटपटाते विक्रम की बात नहीं सुनी. आखिरकार खून से लथपथ विक्रम खुद ही उठा और स्कूटी चला कर पास के प्राइवेट अस्पताल पहुंचा. प्राइवेट अस्पताल ने उसे भरती करने से इनकार कर दिया, तो वह पटना मैडिकल कालेज पहुंचा. वहां तुरंत आपरेशन किया गया और उस के जिस्म से 5 गोलियां निकाली गईं.

आशिकी के चक्कर में खुशबू ने विक्रम पर सुपारी किलर से गोलियां चलवाई थीं. इस के लिए पुराने दोस्त मिहिर सिंह के जरीए सुपारी किलर को ढाई लाख रुपए दिए गए थे. पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए कहा कि राजीव, खुशबू, मिहिर और 3 सुपारी किलरों को गिरफ्तार किया गया है. सुपारी किलर अमन कुमार, शमशाद और आर्यन उर्फ रोहित से पुलिस पूछताछ कर चुकी है और सभी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है.

18 सितंबर को सुपारी किलरों ने विक्रम के जिस्म में 5 गोलियां दागी थीं. अपराधियों ने कबूल किया कि उन्हीं लोगों ने विक्रम पर गोलियां चलाई थीं और इस काम के लिए मिहिर ने उन्हें रुपए दिए थे.

अमन एमबीए का स्टूडैंट है और डिलीवरी बौय का काम करता है. शमशाद गोवा में राजमिस्त्री का काम करता था और लौकडाउन की वजह से वह पटना आया हुआ था. अमन और शमशाद भागवतनगर में किराए के मकान में साथ रहते हैं. मकान का किराया 14,000 रुपए है. मिहिर के चचेरे भाई सूरज ने मिहिर की मुलाकात अमन से कराई थी.

जिम ट्रेनर को जान से मारने की धमकी देने का आडियो भी पुलिस को मिला. ट्रेनर की बीवी और परिवार वालों ने पुलिस को बताया कि आडियो में धमकी देने वाली महिला खुशबू की आवाज है, जो फिजियो थैरेपिस्ट राजीव कुमार सिंह की बीवी है.

ट्रेनर की बीवी वर्षा का आरोप है कि फिजियो थैरेपिस्ट की बीवी ने उस के पति को फोन पर गंदीगंदी गालियां भी दी थीं. उस ने बताया कि खुशबू अकसर पटना मार्केट के ‘द जिम सिटी’ पहुंच जाती थी. पहले तो फिजियो थैरेपिस्ट राजीव ने पुलिस को बताया कि जिम ट्रेनर विक्रम पर हुए हमले में उस का और उस की बीवी का कोई हाथ नहीं है.

अलबम बनाने के नाम पर विक्रम ने 60,000 रुपए लिए थे. अलबम नहीं बनाने पर राजीव और विक्रम से तीखी नोकझोंक हुई थी और रुपया लौटाने की बात हुई थी. बाद में विक्रम ने राजीव के अकाउंट में 40,000 रुपए और खुशबू के अकाउंट में 20,000 रुपए डाल दिए थे. मई महीने के बाद से राजीव और विक्रम से कोई बातचीत नहीं हुई थी. एसएसपी उपेंद्र शर्मा ने बताया कि खुशबू का कहना है कि विक्रम उस का पीछा नहीं छोड़ रहा था और वह उस से पीछा छुड़ाना चाह रही थी. खुशबू का कहना है कि 60,000 रुपए के लेनदेन को ले कर विवाद पैदा हुआ था.

पुलिस को दिए गए बयान में विक्रम ने कहा है कि खुशबू उसे पिछले एक साल से परेशान कर रही थी. एक साल तक वह राजीव को उन के पाटलीपुत्र कालोनी वाले घर में ऐक्सरसाइज कराने जाता था. पैसे को ले कर हिसाबकिताब ठीक नहीं रहने पर उस ने वहां जाना बंद कर दिया. उस के बाद खुशबू ने उसे सोशल मीडिया के जरीए तंग करना चालू कर दिया. एक बार खुशबू ने गुस्से में उस के सीने पर ब्लेड से हमला किया था.

पुलिस ने खुशबू और राजीव के मोबाइल फोन को खंगाला तो खुलासा हुआ कि जनवरी में खुशबू और विक्रम के बीच 1100 बार बातचीत हुई. राजीव से आखिरी बार 18 अप्रैल को बातहुई थी. उन के बीच ह्वाट्सएप और वीडियो काल के जरीए बातचीत होती थी.

सितंबर, 2020 से मई, 2021 के बीच खुशबू ने विक्रम को 1875 काल की थी. दोनों के बीच साढ़े 5 लाख सैकंड बातचीत हुई थी. इतने ही समय के दौरान खुशबू ने अपने पति राजीव को महज 13 बार फोन किया. खुशबू और विक्रम के बीच अकसर घंटों बातें होती थीं.

मिहिर ने पुलिस को बताया कि वह 5-6 सालों से खुशबू को जानता था. खुशबू ने ही उस से कहा था कि विक्रम उसे परेशान करता है, इस वजह से वह उस की हत्या करवाना चाहती है. सुपारी किलर को जुलाई में ही एक लाख, 85 हजार रुपए दिए थे. एसएसपी ने बताया कि कुछ साल पहले मिहिर और खुशबू की पहचान भी फेसबुक के जरीए ही हुई थी.

पुलिस की छानबीन से यह बात भी सामने आई कि 5-6 साल पहले खुशबू और मिहिर के बीच भी गहरा रिश्ता रहा था. मिहिर भी खुशबू का प्रेमी रह चुका है. जब विक्रम ने खुशबू से कन्नी काटना शुरू किया, तो खुशबू को पुराने आशिक मिहिर की याद आई. उस ने मिहिर से कहा कि विक्रम उसे बहुत परेशान कर रहा है और फिर दोनों ने मिल कर विक्रम को रास्ते से हटाने की साजिश रची.

खुशबू ने मिहिर से यह भी कहा कि विक्रम को ठिकाने लगाने के लिए वह रुपयों की चिंता न करे. विक्रम को मारने के लिए मिहिर ने खुशबू से 3 लाख रुपए मांगे. खुशबू ने 3 किस्तों में एक लाख, 85 हजार रुपए मिहिर को दिए. मिहिर ने अपने चचेरे भाई सूरज के साथ मिल कर पूरी साजिश रची. उस के बाद शार्प शूटर अमन, आर्यन और शमशाद को विक्रम को मारने की सुपारी दी गई.

शूटरों के साथ यह डील अगस्त महीने की शुरुआत में ही हुई थी. अगस्त महीना खत्म हो गया और उस के बाद सितंबर भी आधा खत्म हो गया और विक्रम को ठिकाने नहीं लगाया जा सका तो खुशबू परेशान हो गई. उस ने मिहिर पर दबाव बनाना शुरू किया. विक्रम राजीव को जिम ट्रेनिंग देने के लिए उस के घर पर जाता था. वहीं खुशबू से जानपहचान हुई और बातचीत शुरू हुई. विक्रम के गठीले बदन को देख खुशबू उस पर फिदा हो गई. वह धीरेधीरे विक्रम के करीब आती गई. वह पटना मार्केट के पास विक्रम के जिम में पहुंचने लगी और वहीं कईकई घंटों तक बैठी रहती थी.

विक्रम ने पुलिस को बताया कि वह उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहती थी. ऐसा नहीं करने पर वह उसे फंसाने और ब्लैकमेल करने की धमकी देने लगी. जब विक्रम उस से दूर रहने की कोशिश करने लगा तो एक रात को विक्रम के घर पहुंच गई और हंगामा मचाने लगी. खुशबू की हरकतों से आजिज आ कर विक्रम ने डाक्टर राजीव को फोन कर सारे मामले की जानकारी भी दी. विक्रम ने उस से कहा कि खुशबू उसे पिछले कई दिनों से परेशान कर रही है. डाक्टर राजीव ने विक्रम की बातों पर यकीन नहीं किया और उस से कहा कि सुबूत ले कर आओ, उस के बाद देखा जाएगा.

विक्रम के बयान पर कदमकुआं थाने में केस दर्ज किया गया. केस नंबर है-477/2021. आरोपियों पर आईपीसी की धारा-307, 120बी, 34 और 27 के तहत केस दर्ज किया गया है.