Top 10 Gangster Crime Story In Hindi : टॉप 10 गैंगस्टर क्राइम स्टोरी हिंदी में

Top 10 Gangster Crime Story of 2022 : इन गैंगस्टर क्राइम स्टोरी को पढ़कर आप जान पाएंगे कि समाज में कैसे ये लोग अपने नाम को बढाने और समाज में अपना नाम बनाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते है. ऐसे ही कुछ लोग है जो फिल्म इंडस्ट्री में प्रसिद्द है और अंडरवर्ल्ड डौन, विकास दुबे जैसे कुछ लोगों के कारण समाज में डर पैदा हो रहा है इन सब से जागरूक होने और अपने आप को सुरक्षित करने के लिए पढ़े ये मनोहर कहानियां की ये Top 10 Gangster Crime story in Hindi

  1. गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई : जेल से ही दुश्मनों को मिटाने में माहिर

लारेंस किसी भी सूरत में अपने चचेरे भाई के हत्यारे की तलाश कर उन से बदला लेना चाहता था. नेपाल से लौट कर जब विरोधी गुट के सदस्यों की तलाश कर रहा थादुर्भाग्य से फिर पंजाब की फरीदकोट पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

दूसरी बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद लारेंस एक बात अच्छी तरह समझ गया कि अगर आप चालाकी से काम करो तो जेल के बाहर निकलने की जगह जेल में रह कर ही अपराध करो. इस के लिए बस आप को अपने गैंग की नेटवर्किंग को फैलाना होगा.

लारेंस अभी अपराध की दुनिया में कच्चा खिलाड़ी थालेकिन उस के सपने बड़ा डौन बनने के थे. वह लोगों के बीच अपने नाम का खौफ देखना चाहता था. अपराध की दुनिया का मंझा हुआ खिलाड़ी बनने के लिए उसे एक ऐसे गुरु की जरूरत थीजो उस की पसंद भी हो और जुर्म की दुनिया में लोग उसे मानते भी हों.

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2. नीरज बवाना : ऐसे बना जुर्म का खलीफा

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नीरज बवाना ने साल 2004 में जुर्म की दुनिया में पहला कदम रखा. उस के बाद साल 2005 आतेआते उस ने सुरेंद्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा गैंग से हाथ मिला लिया. कहा जाता है उस समय तक नीतू दाबोदा गैंग ने जुर्म की दुनिया में अच्छाखासा मुकाम हासिल कर लिया था. नीतू दाबोदा गैंग का मुख्य काम होता था, लूट डकैती और हत्या जैसी वारदातों को अंजाम देना.

साल 2010 तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा. तब तक नीरज बवाना जुर्म की दुनिया में एक फ्रैशर की तरह था. लेकिन साल 2011 आतेआते सूरत बदल गई. 2011 में नीरज के दोस्त सोनू पंडित की दाबोदा गैंग में एंट्री हुई. गैंग में सोनू पंडित के आने के बाद नीतू दाबोदा और नीरज बवाना के बीच दूरियां बढ़ती गईं.

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3. काला जठेड़ी : मोबाइल स्नैचर से बना जुर्म का माफिया

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पुलिस के अनुसार वर्ष 2006 में गांव के कुछ लोगों के साथ वह दिल्ली के डाबड़ी इलाके में आया. उस ने यहां विवाद में पीट कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी. उसे इस मामले में तिहाड़ जेल भेज दिया गया. जेल में उस की अनिल रोहिल्ला उर्फ लीला से दोस्ती हो गई.

अनिल रोहिल्ला ने ही उसे बताया कि रोहतक स्थित उस के गांव में एक परिवार से दुश्मनी चल रही है. उस परिवार में 7 भाई हैं और उन्होंने उस के पिता की हत्या की है. इस का बदला लेने के लिए उस ने गैंग बनाया है.

इस परिवार के 5 भाइयों सहित 8 लोगों को काला जठेड़ी ने मार डाला. इस हत्याकांड से ही संदीप का नाम काला जठेड़ी के रूप में अपराध की दुनिया में मशहूर हो गया.

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4. जुर्म की दुनिया की लेडी डौन

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राजस्थान के सीकर के गांव अलफसर के एक मध्यमवर्गीय जाट परिवार में जन्मी अनुराधा का घर का नाम मिंटू रखा गया था. जब वह बहुत छोटी थी तभी उस की मां चल बसी. पिता रामदेव की कमाई बहुत ज्यादा नहीं थी, इसलिए वह दिल्ली आ गए. मिंटू जैसेजैसे बड़ी और समझदार होती गई, उसे यह एहसास होता गया कि जिंदगी में अगर कुछ बनना है तो पढ़ाईलिखाई बहुत जरूरी है. लिहाजा उस ने दिल लगा कर पढ़ाई की और वक्त रहते बीसीए और फिर एमबीए की भी डिग्री ले ली.

पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह स्थाई रूप से सीकर वापस आई तो वही हुआ जो इस उम्र में लड़कियों के साथ होना आम बात है. अनुराधा को फैलिक्स दीपक मिंज नाम के युवक से प्यार हो गया और उस ने घर और समाज वालों के विरोध और ऐतराज की कोई परवाह नहीं की और दीपक से लवमैरिज कर ली.

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5. सूरत की ब्यूटी लेडी डौन : अस्मिता ने मचाया आतंक

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13 मार्च, 2017 के इस वीडियो में जहां सूरत के वराछा इलाके में लोग होली का त्यौहार मनाने में मस्त थे तो वहीं अस्मिता गोहिल अपने कारनामों में व्यस्त थी. वह अपने प्रेमी संजय हिम्मतभाई वाघेला और गोपाल विट्ठल जाधव के साथ हाथों में नंगी तलवार और चाकू लिए उन के बीच पहुंची थी. फिर उस ने भागीरथी मार्केट की गलियों में वहां के लोगों को डरातेधमकाते हुए वहां भय का माहौल बना दिया था. उस के डर से लोग सहम गए थे.

इस वीडियो के वायरल होते ही सूरत के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के कान खड़े हो गए थे. वे पता लगाने लगे कि ये कौन सी डौन थी, जिस के आतंक से वहां के लोग इतने सहमे हुए थे. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीनियर पुलिस अधिकारियों ने वराछा के थानाप्रभारी मयूर पटेल से उस वीडियो की सच्चाई जानने के निर्देश दिए. सीनियर अधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी मामले की जांच में जुट गए.

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6. बदन सिंह बद्दो : हौलीवुड एक्टर जैसे कुख्यात गैंगस्टर

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1994 में बदन सिंह बद्दो ने प्रकाश नाम के एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी. साल 1996 में बदन सिंह ने वकील राजेंद्र पाल की हत्या की. इस के बाद तो जैसे हत्याओं का सिलसिला ही शुरू हो गया. वह सुपारी ले कर हत्याएं करवाने का धंधा भी करने लगा.

बद्दो के बारे में कहा जाता है कि उस का गुस्सा तभी शांत होता था, जब वह अपने दुश्मन से बदला ले लेता था. कहते हैं कि उसे टोकाटाकी कतई बरदाश्त नहीं है. वकील राजेंद्र पाल की हत्या ने बद्दो को खूब मशहूर किया.

दरअसल, वकील राजेंद्र पाल भी कुछ कम दबंग नहीं था. एक पार्टी में बदन सिंह बद्दो ने किसी बात से चिढ़ कर वकील राजेंद्र पाल के पारिवारिक मित्र की पत्नी के बारे में अनुचित टिप्पणी कर दी थी, जिस से नाराज राजेंद्र पाल ने उसे सरेआम थप्पड़ जड़ दिया. बस फिर क्या था, राजेंद्र को मौत के घाट उतार कर बद्दो ने बदला पूरा किया और फरार हो गया.

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7. सुभाष सिंह ठाकुर उर्फ बाबा : अंडरवर्ल्ड डौन का भी महागुरु

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सुभाष के पास ताकत भी थी और हिम्मत भी और साथ में लीडरशिप वाले गुण भी थे. इसलिए उस ने आए दिन होने वाले पुलिस के उत्पीड़न से बचने के लिए पूर्वांचल के ऐसे नौजवान लड़कों का गुट बनाना शुरू कर दिया, जो दिलेर थे और उन के सपने बडे़ थे.

सुभाष की मेहनत रंग लाई. उस ने 20-25 ऐसे नौजवानों का गुट बना लिया जो उस के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार थे. इस के बाद सुभाष ने पहले वसई और विरार इलाके में सक्रिय मराठी गुंडों के खिलाफ लड़ना शुरू किया, जो लोकल मार्केट में उगाही करते थे. सुभाष ठाकुर ने उन दुकानदारों से पहले हफ्ता वसूली शुरू की, जिन से पहले मराठी गुंडे वसूली करते थे.

मुंबई उन दिनों तेजी से आबाद हो रही थी. बड़ीबड़ी इमारतें बन रही थीं. बिल्डिंग बनाने और प्रौपर्टी के धंधे में बड़ा मुनाफा था. लेकिन जमीन से जुड़े विवाद के कारण बिल्डरों को सब से ज्यादा नेता, पुलिस और गुंडों की मदद लेनी पड़ती थी.

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8. लेडी डौन बनने की चाहत : कैसा जाल बिछाती थी प्रिया

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प्रिया की उन्मुक्तता में प्रोफेसर बनने का सपना धुंधला सा गया. वह रिश्तेदार का घर छोड़ कर मानसरोवर में ही पेइंगगेस्ट के रूप में रहने लगी. वैसे तो मातापिता उसे जयपुर में रहनेखाने और पढ़ाई के खर्च के लिए पैसे भेज देते थे, लेकिन उन पैसों से उस की मनचाही आवश्यकताएं पूरी नहीं हो पाती थीं. अपने शौक पूरे करने के लिए प्रिया को पैसों की जरूरत महसूस होने लगी. अकेले रहते हुए दौलत की चाह में वह कब अनैतिक काम करते हुए अपराध की दलदल में उतर गई, उसे खुद पता नहीं चला.

आज प्रिया के हाथ खून से रंगे हुए हैं. उस ने जयपुर में रहते हुए 5 साल के दौरान हर तरह के हथकंडे अपनाए. आलीशान फ्लैट में रहना, लग्जरी कार में घूमना, महंगी शराब पीना, गांजे की सिगरेट का नशा और मौजमस्ती. उस ने सब तरह की ऐश की. अपने हुस्न की झलक दिखाने के लिए वेबसाइट भी बनाई.

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9. अतीक अहमद : खूंखार डौन की बेबसी

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माफिया डौन अतीक अहमद का इतना आतंक है कि उत्तर प्रदेश की 4-4 जेलें उसे संभाल नहीं सकीं. इन जेलों के जेलरों ने स्वयं सरकार से कहा कि हम इस डौन को नहीं संभाल सकते.

इस का कारण यह था कि अतीक जब उत्तर प्रदेश के जिला देवरिया की जेल में बंद था, तब उस ने अपने गुंडों से लखनऊ के एक बिल्डर मोहित जायसवाल को जेल में बुला कर बहुत मारापीटा था और उस से उस की प्रौपर्टी के कागजों पर दस्तखत करा लिए थे.

अतीक अहमद ने अपना आतंक फैलाने के लिए इस मारपीट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था, जिस से लोगों में उस की दहशत बनी रहे. इस वीडियो को देखने के बाद राज्य में हड़कंप मचा तो अतीक अहमद को देवरिया की जेल से बरेली जेल भेजा गया. पर बरेली जेल के जेलर ने स्पष्ट कह दिया कि इस आदमी को वह नहीं संभाल सकते.

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10. विकास दुबे : नेताओं और पुलिसवालों की छत्रछाया में बना गैंगस्टर

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इस चुनाव में विकास दुबे ने इलाके के एकएक प्रधान, ग्राम पंचायत और ब्लौक के सदस्यों को डराधमका कर अपने गौडफादर हरिकृष्ण श्रीवास्तव के पक्ष में मतदान करने को मजबूर कर दिया. इसी चुनाव के दौरान संतोष शुक्ला और विकास दुबे के बीच कहासुनी भी हो गई थी, कड़े मुकाबले के बावजूद हरिकृष्ण श्रीवास्तव इलेक्शन जीत गए.

विकास और उस के गुर्गे जीत का जश्न मना रहे थे, तभी संतोष शुक्ला वहां से गुजरे. विकास ने उन की कार रोक कर गालीगलौज शुरू कर दी. दोनों तरफ से जम कर हाथापाई हुई. इस के बाद विकास ने संतोष शुक्ला को खत्म करने की ठान ली.

5 साल तक संतोष शुक्ला और विकास के बीच जंग जारी रही. इस दौरान दोनों तरफ के कई लोगों की जान गई. 1997 में कुछ समय के लिए बीजेपी के सर्मथन से बसपा की सरकार बनी और मायावती मुख्यमंत्री बन गईं. हरिकृष्ण श्रीवास्तव को स्पीकर बनाया गया.

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