‘रक्षक : इंडियाज ब्रेव्स सीजन 2’ – वेब सीरीज रिव्यू

सत्य घटना पर बनी वेब सीरीज ‘रक्षक: इंडियाज ब्रेव्स’ सीजन-2  (Rakshak India’s Braves – Season 2) अमेजन मिनी टीवी (Amazon Mini TV) पर दिखाई जा रही है. इस वेब सीरीज के सीजन-2 में नायब सूबेदार सोमबीर सिंह और डीवाईएसपी अमन ठाकुर के बारे में दिखाया गया है, जो आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे.

निर्देशक: अजय भुइयां

पटकथा:  अनिमित्रा चक्रवर्ती

ओटीटी:  अमेजन मिनी टीवी

कलाकार:  बरुण सोबती,  विश्वास किनी,  अश्मिता कौर बख्शी,  सुरभि चांदना, अमित गौड़, आयाम मेहता, फरहाना भट, ओमर शरीफ,  रजत कौल आदि

किसी के जीवन पर कहानी लिखना या उस का नाट्य रूपांतरण करना बहुत मुश्किल है. फिर जब इंसान जीवित न हो तो यह काम और भी मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही कुछ इस सीरीज में भी है.

वेब सीरीज ‘असुर’ से बेशुमार लोकप्रियता हासिल कर चुके अभिनेता बरुण सोबती (Varun Sobti) ने जहां नायब सूबेदार की भूमिका निभाई है, वहीं डीवाईएसपी की भूमिका में अभिनेता विश्वास किनी (Vishwas Kini) है. यह सीरीज देश और कानून की रक्षा करने वाले 2 नौजवान सिपाहियों के बलिदान की कहानी कहने वाली सत्य घटना पर आधारित है.

पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के बाद ‘औपरेशन कुलगाम’ को ले कर बनी इस सीरीज में ऐसे आतंकवादियों के साथ लड़ाई दिखाई गई है, जो सुरक्षाबलों की हिट लिस्ट में पहले स्थान पर थे. ऐसी लड़ाइयों का नाट्य रूपांतरण करना बहुत कठिन काम होता है. सच के युद्ध और फिल्मी युद्ध में जमीन- आसमान का अंतर होता है. वैसा ही अंतर इस सीरीज में भी साफ दिखाई देता है.

खतरनाक हथियारों से लैस आतंकी, जो मरने मारने को तैयार रहते हैं, उन के बीच घुस कर मुकाबला करना यानी मौत के मुंह में घुसते समय एक सिपाही के चेहरे पर क्या भाव होते होंगे, इस का चित्रांकन करना तो बिलकुल ही आसान काम नहीं है. वे भाव तो मात्र वही ला सकता है, जो इस तरह का मुकाबला कर चुका हो.

यहां भी डायरेक्टर ने कोशिश की है, पर सफलता नहीं मिली. शहीदों पर सीरीज बना कर डायरेक्टर ने दर्शक भी बटोर लिए और एक तरह से शहीदों को श्रद्धांजलि भी दे दी, लेकिन उस ने अपने डायरेक्शन में जो कमियां रखी हैं, उस से शहीदों का अपमान ही हुआ है. उन की बहादुरी को जिस तरह दर्शाया जाना चाहिए था, वह सीरीज में कहीं दिखाई नहीं देता.

अपने परिवार से दूर आतंकवादियों से मुठभेड़ में दिल में बहादुरी के जज्बे के साथ एक दर्द भी होता है, वह भी सीरीज दर्शा नहीं पाती. इस के अलावा दर्शक यह भी जानना चाहते हैं कि फौजी जीवन कैसा होता है, परिवार से दूर रह कर वह कैसा फील करते हैं, आपस में कैसी बातें करते हैं, क्या सोचते हैं, जैसा कुछ सीरीज में देखने को नहीं मिलता. इसलिए सीरीज अधूरी सी लगती है.

पहला एपिसोड

एपिसोड के शुरुआत में 14 फरवरी, 2019 का दृश्य दिखाया जाता है, जब पुलवामा अटैक हुआ था. इस के बाद नायब सूबेदार सोमबीर सिंह अपनी पत्नी से फोन पर बात कर के वेलेंटाइन डे विश करता है. फोन पर बात खत्म करते ही एक आदमी सोमबीर सिंह की पत्नी को एक बुके गिफ्ट करता है, जो सोमबीर सिंह की ओर से भेजा गया था.

सोमबीर की भूमिका बरुण सोबती ने की है. बुके देख कर अलका सिंह यानी सोमबीर की पत्नी बहुत खुश होती है. अलका की भूमिका सुरभि चांदना (Surbhi Chandana) ने निभाई है.

सोमबीर अपने साथियों के साथ वालीबौल खेलने जाता है, जहां डीवाईएसपी अमन ठाकुर वालीबौल खेल रहे थे. अमन ठाकुर की भूमिका विश्वास किनी ने निभाई है. वह जम्मूकश्मीर में पुलिस अधिकारी थे. यहीं पर नायब दीपक कुमार और लांस नायक बलराम सिंह भी थे, जो राष्ट्रीय राइफल में थे और सोमबीर सिंह के साथी थे. आर्मी और पुलिस वालों के बीच वालीबौल मैच हो रहा था, जिस में आर्मी वाले जीत गए थे.

सोमबीर सिंह और अमन ठाकुर आपस में बातें कर रहे थे, तभी एक पुलिस वाले ने आ कर बताया कि पुलवामा में किसी सुसाइड बौंबर ने अटैक किया है, जिस में आर्मी के काफी जवान शहीद हो गए हैं. फिर तो पुलवामा अटैक की खबर पूरे भारत में फैल गई थी, जिस से देश के लोग काफी दुखी हुए थे.

आगे दिल्ली में आर्मी का कमांडर अपने हैड से पुलवामा अटैक पर बात करता है और फिर जम्मूकश्मीर पुलिस और आर्मी को मिल कर संयुक्त मिशन करने के लिए कहते हैं, जिस से जम्मूकश्मीर में तंजीमुल मुजाहिदीन और जैशएआजादी जैसे आतंकवादी संगठनों को खत्म किया जा सके.

सोमबीर सिंह अपनी टीम के साथ नाके पर गाडिय़ों को चैक कर रहा था, तभी एक गाड़ी आती है, जिस में से एक आतंकवादी निकल कर एक लड़के को ढाल बना कर भागने लगा था. सोमबीर सिंह ने उसे देखा तो उस का पीछा कर के उस से लडऩे लगा था.

तभी अमन ठाकुर आ गया और उस आतंकवादी को गोली मार दी, क्योंकि वह आतंकवादी सोमबीर पर गोली चलाने जा रहा था. सोमबीर को लगा कि वह उन्हें गोली न मारता. वह सिर्फ उन का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रहा था. क्योंकि वह आतंकवादी दूर से ही भागने की कोशिश कर रहा था.

सोमबीर सिंह गाड़ी की तलाशी लेता है तो उस में से उसे स्पाइनर्स मिलती है, जिस से वह कहता है कि यह कुछ तो प्लानिंग कर रहा था. अमन और सोमबीर आतंकवादी की तलाशी लेते हैं तो उस की जेब से एक कुचला हुआ फूल मिलता है, जो पहाड़ों पर पाया जाता है.

इस से सोमबीर को इस में तंजीमुल मुजाहिदीन आतंकवादी ग्रुप का हाथ होने का शक होता है. तभी अमन ठाकुर की पत्नी का फोन आ जाता है और वह उसे खाने के लिए बुलाती है.

इस के आगे एक डाक्टर को दिखाया जाता है, जो तंजीमुल मुजाहिदीन आतंकवादी ग्रुप से मिला था. डाक्टर एक बच्ची को इंजेक्शन लगाता है, जिस के पैसे नहीं लेता. इस के बाद बुरका पहने एक लड़की आ कर बात करने लगती है. दरअसल, डाक्टर गांव वालों का फ्री में इसलिए इलाज करता था, क्योंकि वह उन का विश्वास जीत सके और जरूरत पडऩे पर वे लोग उस की मदद करें.

उसी बीच डाक्टर के फोन पर अफगानिस्तान से फोन आता है, जिस में बताया जाता है कि वे लोग रक्षामंत्री और आर्मी चीफ पर हमला करने की योजना बना रहे हैं, जो कुछ दिनों बाद जम्मूकश्मीर आने वाले हैं. वे रक्षा मंत्री और आर्मी चीफ पर हमला कर के अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. जिस से मुजाहिदीन को आईएसआई से फंडिंग मिल सके.

आर्मी बेस कैंप में सोमबीर को पता चलता है कि उस ने जिस आतंकवादी को मारा था, वह गांव का लोकल आदमी था, जिस ने जल्दी ही मुजाहिदीन आतंकवादी ग्रुप जौइन किया था. थोड़ी देर बाद सोमबीर का एक अधिकारी आ जाता है, जिस से सोमबीर गांव में छानबीन करने के लिए कहता है, क्योंकि जब से उसे आतंकवादी के पास से स्नाइपर मिली थी, उसे कुछ गड़बड़ लग रहा था. लेकिन वह अधिकारी छानबीन करने से मना कर देता है.

अगले दिन सोमबीर फोन पर अपनी पत्नी और बच्चों से बात करता है. बात करते हुए सोमबीर की पत्नी अलका उस से कहती है कि पुलवामा अटैक के बाद उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा है, इसलिए वह अपना ध्यान रखेगा. सोमबीर कपड़े धो रहा था, तभी उस के खबरी का फोन आता है. आतंकवादी की कुछ खबर दे कर वह कहता है कि आगे की खबर उसे दुर्रानी देगा.

सोमबीर अपने दोस्त अमन के घर जा कर खाना खाते खाते काफी बातें करता है. इस के बाद दोनों गाड़ी से जा रहे थे, तभी दुर्रानी का फोन आता है. वह बताता है कि उस ने कुछ आतंकवादियों को देखा है, जिन की वह लोकेशन भेज देता है. दुर्रानी उस घर में झांक कर देखता है तो उसे एक बड़ा आतंकवादी दिखाई देता है, जिस का नाम हैदर कासिम है.

दुर्रानी अपने मोबाइल से उस की वीडियो बनाने लगता है, तभी एक आतंकवादी पीछे से आ कर उसे मारता है. लेकिन वह होशियारी से स्पाई कैमरे को मुंह में रख लेता है. वह आतंकवादी दुर्रानी को एक पत्थर से बड़ी बेरहमी से मार देता है और सभी आतंकवादी फटाफट भाग जाते हैं.

थोड़ी देर में सोमबीर और अमन दुर्रानी की बताई लोकेशन पर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि दुर्रानी तो मरा पड़ा है. दोनों पूरा घर छान मारते हैं, पर वहां कोई आतंकवादी नहीं मिलता. मिलते भी कैसे, वे तो दुर्रानी को मार कर भाग गए थे.

उस मकान से निकल कर हैदर कासिम डाक्टर को फोन करता है तो डाक्टर कहता है कि उस ने उन लोगों के रहने की व्यवस्था पास के गांव में कर दी है. हैदर कासिम के आदमी कुछ लोगों को आरडीएक्स दे कर चले जाते हैं.

आर्मी वाले जम्मूकश्मीर में चैकिंग में लग जाते हैं, क्योंकि रक्षा मंत्री को श्रीनगर आना था. अमन सोमबीर को आसपास के गांवों की डिटेल देता है, ताकि भागे हुए आतंकवादियों को पकड़ा जा सके.

उधर डाक्टर एक आतंकवादी की गाड़ी में स्नाइपर रखता है, ताकि आर्मी वालों को लगे कि आतंकवादी रक्षा मंत्री पर स्नाइपर से हमला करने वाले हैं. पर उस की योजना यह थी कि वे रक्षा मंत्री की गाड़ी से एंबुलेंस की गाड़ी टकराएंगे, जिस में आरडीएक्स रखा होगा. यह काम एक आतंकवादी लड़की करने वाली थी.

आर्मी का हैड कमांडर चीफ से बात करता है. चीफ कहता है कि रक्षा मंत्री हर हाल में जम्मूकश्मीर आएंगे और उन का यह प्लान बिलकुल चेंज नहीं होगा. तब हैड कमांडर कहता है कि उन्होंने रक्षा मंत्री की सुरक्षा की पूरी तैयारी कर रखी है.

सोमबीर का अधिकारी कहता है कि खबरी के मुंह से वीडियो कैमरा मिला है, जिस में एक वीडियो मिली है. उस में हैदर कासिम है, जो एक बहुत बड़ा आतंकवादी है. आर्मी के हैड को पता चल जाता है कि हैदर जम्मूकश्मीर आ गया है, जो बम बनाने में माहिर है. तब उन्हें लगता है कि पुलवामा जैसा ही कांड ये आतंकवादी रक्षामंत्री के साथ भी करना चाहते हैं. सोमबीर अपने अधिकारी से कहता है कि इन आतंकवादियों को किसी भी सूरत में खत्म कर देगा.

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दूसरा एपिसोड

दूसरे एपिसोड की शुरुआत में सोमबीर अमन ठाकुर से आतंकवादी हैदर कासिम के बारे में बात करता है. आगे सोमबीर की पत्नी अपने बच्चों से जम्मूकश्मीर जाने की बात करती है. इस के बाद सारे आतंकवादी सलीम नाम के आदमी के घर जाते हैं, जिस की डाक्टर ने पहले इलाज कर के मदद की थी. लेकिन जब आतंकवादी सलीम से उस के घर रुकने की बात करते हैं तो वह मना कर देता है. पर सारे आतंकवादी जबरदस्ती उस के घर में घुस जाते हैं और उस के घर के ऊपर के हिस्से में चले जाते हैं.

सलीम की बड़ी बेटी तबस्सुम अपने पिता से उन आतंकवादियों को भगाने के लिए कहती है. तब सलीम उसे समझाता है कि इन आतंकवादियों से बड़ी होशियारी से निपटना होगा, वरना ये हम सब को मार देंगे. तभी यूसुफ नाम का आतंकवादी सलीम के पास आ कर उसे पैसे दे कर कहता है कि आज खाने में सभी के लिए बकरा बनेगा और आते समय यह दवा भी लेते आना.

सलीम अपनी दोनों बेटियों को साथ ले कर बाजार जाने लगता है कि ये लोग उन के साथ किसी तरह की बदतमीजी न कर सकें. तब यूसुफ कहता है कि उसे अकेले ही बाजार जाना होगा. उस की दोनों बेटियां घर पर ही रहेंगी. सलीम का परिवार वैसा ही करता है.

आतंकवादी यूसुफ सलीम की दोनों बेटियों को ऊपर जाने के लिए कहता है. तब तबस्सुम चुपके से मिर्ची का पाउडर साथ में ले लेती है. दूसरी ओर सलीम मटन की दुकान से मटन लेता है. तब दुकान वाले को सलीम पर शक होता है. क्योंकि इस से पहले सलीम मटन सिर्फ ईद के मौके पर ही लेता था, वह भी उधार. पर उस दिन उस ने नकद मटन खरीदा था. वह डरा डरा भी लग रहा था.

दूसरी ओर सोमबीर जीप से जा रहा था, तभी रास्ते में उसे एक गाड़ी पर शक होता है. वह उसे चैक करता है तो वह खाली होती है. इस के बाद मटन की दुकान वाला सोमबीर को फोन करता है. क्योंकि वह उस का खबरी था.

वह सोमबीर को बताता है कि उसे सलीम नाम के आदमी पर शक है, क्योंकि आज वह काफी ज्यादा मटन ले कर गया था, जैसे कि उस के घर काफी लोग आए हों. वह डराडरा भी लग रहा था, साथ ही जाते समय उस ने मैडिकल स्टोर से किडनी के इलाज की दवा भी ली थी.

इस के बाद सोमबीर सलीम के घर की ओर चल पड़ता है और यह सारी जानकारी अपने अधिकारी को दे देता है. तब वह बताते हैं कि हैदर को किडनी की प्राब्लम है. यानी हैदर सलीम के घर पर होगा. इस का मतलब यह था कि सोमबीर की टीम सही रास्ते पर जा रही थी. सोमबीर का अधिकारी जम्मूकश्मीर पुलिस को जल्दी से सलीम की लोकेशन पर पहुंचने को कहता है.

अगले सीन में दिखाया जाता है कि सलीम की दोनों बेटियां आतंकवादियों के पास बैठी थीं. तभी नूर नाम के आतंकवादी से तबस्सुम की बहस हो जाती है और तबस्सुम ने नूर के ऊपर मिर्ची पाउडर डाल दिया था. तब नूर बंदूक से फायर कर देता है, जिस से गांव वालों को पता चल जाता है कि सलीम के घर कुछ गड़बड़ है. लोग भागने लगते हैं.

नूर तबस्सुम पर हमला करने वाला था कि उस के साथी उसे रोक लेते हैं. उसी समय सलीम घर आ जाता है. आतंकवादी सलीम को भी मार कर घायल कर देते हैं. सलीम की बीवी अपनी दोनों बेटियों को खाना बनाने के लिए ले जाती है.

इस बीच सोमबीर अपनी टीम के साथ सलीम के घर पहुंच जाता है. उधर हैदर कासिम ऊपर बम बनाने लगा था. अधिकारी सोमबीर उस से पुलिस के आने का इंतजार करने के लिए कहता है, पर सोमबीर चुपके से सलीम के घर के पीछे उस के परिवार को बचाने पहुंच जाता है.

हैदर डाक्टर से बात करता है तो पता चलता है कि डाक्टर ने 50 किलोग्राम आरडीएक्स जमा कर लिया है, जिससे वह रक्षा मंत्री पर हमला करवा सके. आर्मी वाले चुपके से सलीम का घर घेर लेते हैं. तबस्सुम मां और बहन के साथ मटन बनाते हुए घर के बाहर की ओर देखती है तो उसे सोमबीर दिखाई दे जाता है. वह चुपके से सोमबीर को बता देती है कि घर के अंदर कितने आतंकवादी हैं.

सोमबीर एक परची पर कुछ लिख कर तबस्सुम की ओर फेंकता है. लेकिन तभी नूर आ जाता है, जिस से तबस्सुम उसे उठा नहीं पाती. लेकिन जैसे ही नूर वहां से जाता है, तबस्सुम उस परची को उठा कर देखती है. उस में लिखा था, सभी लोग बाहर की ओर जाओ, वहां से आर्मी वाले उन्हें बचा लेंगे.

इस के बाद तबस्सुम सारी बात बता कर मां और बहन के साथ ऊपर जाने लगती है, तभी नूर आ जाता है. वह नूर को बरतन लाने के लिए भेज कर मां और बहन के साथ खिड़की से भाग जाती है तो आर्मी वाले उन्हें बचा लेते हैं. नूर आर्मी वालों को सलीम के परिवार वालों को बचाते देख लेता. यह बात वह हैदर को जा कर बताता है.

इस के बाद हैदर डाक्टर को फोन कर के वहां से निकालने के लिए कहता है. डाक्टर यूसुफ को फोन कर के कहता है कि अब तुझे पता है कि क्या करना है. तब यूसुफ आर्मी वालों पर बंदूक से हमला कर देता है. आर्मी वाले उसे मार कर जैसे ही घर के अंदर जाते हैं, देखते हैं कि हैदर अपने साथियों को ले कर सलीम के साथ भाग चुका है. क्योंकि सलीम को ही सारे खुफिया रास्ते पता थे.

आगे हैदर के साथी एक गाड़ी छीनते हैं और सलीम का गला काट कर उसी कार से चले जाते हैं. सोमबीर की टीम सलीम की लाश के पास पहुंचती है और सोमबीर अपने कर्नल को बताता है कि हैदर बस पकड़ा ही जाने वाला था, लेकिन वह भाग गया. लेकिन अब वह उसे पकड़ ही लेंगे.

उधर हैदर का दिया बम डाक्टर को मिल जाता है, जिसे वह एंबुलेंस में लगा सके. पर उस बम का ट्रिगर हैदर के पास ही था, जिसे वह लाने वाला था. आगे आतंकवादियों का यह ग्रुप कार से उतर कर आगे बढ़ता है, पर आगे पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी थी. हैदर एक स्कूल के बच्चे से मिल कर बात करता है. तभी उसे आइडिया आता है कि वे स्कूल में ही क्यों न छिप जाएं और सभी स्कूल के अंदर चले जाते हैं. दूसरी ओर आर्मी वाले हैदर की तलाश में लगे थे.

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तीसरा एपिसोड

तीसरे एपिसोड की शुरुआत में दिखाया जाता है कि आर्मी वाले सभी जगह गहन चैकिंग कर रहे थे, क्योंकि रक्षा मंत्री का प्लेन लैंड करने वाला था, इसलिए आर्मी वाले पूरी तैयारी से लगे थे.

अलका टीवी पर न्यूज देखती है कि जहां सोमबीर की ड्यूटी है, वहां किसी हैदर नाम के आतंकी के आने की खबर है. अलका तुरंत सोमबीर को फोन करती है. तब वह अलका से कहता है कि डरने की कोई बात नहीं है, वहां सब ठीक है.

डाक्टर टीवी पर देखता है कि उस का आदमी यूसुफ मारा जा चुका है. दूसरी ओर आतंकवादी स्कूल के टौप फ्लोर पर पहुंच गए हैं. आर्मी वाले उस कार तक पहुंच गए थे, जिस से आतंकवादी भागे थे. हैदर फोन कर के डाक्टर को बताता है कि वे लोग एक स्कूल में आ गए हैं.

डाक्टर अपने आदमी फरहान से सारे आतंकवादियों को स्कूल से निकालने को कहता है. सोमबीर अमन को फोन कर के बताता है कि उसे आतंकवादियों वाली गाड़ी मिल गई है. पर वे सभी भाग गए हैं. दूसरी ओर अमन हैदर की फोटो दिखा कर लोगों से पूछताछ करता है. तब स्कूल का एक बच्चा बताता है कि यह आदमी अपने साथियों के साथ स्कूल के अंदर गया है.

पुलिस टीम स्कूल की ओर चल पड़ती है, ताकि आतंकवादियों को पकड़ा जा सके. उधर हैदर कासिम बम का ट्रिगर बनाने में लगा था. नूर को वह यह देखने के लिए बाहर भेजता है कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है? नूर जैसे ही नीचे पहुंचता है, देखता है कि पुलिस वाले स्कूल में आ गए हैं. वह फायरिंग कर के कुछ पुलिस वालों को घायल कर देता है.

पुलिस वाले फटाफट बच्चों को बाहर निकालने लगते हैं. नूर ऊपर जा कर हैदर को बताता है कि पुलिस वाले आ गए हैं. तब हैदर नाराज हो कर कहता है कि वे चुपचाप वहां से जा सकते थे. नूर कहता है कि कुछ ही पुलिस वाले तो हैं. वे उन्हें मार डालेंगे.

अमन फटाफट बच्चों को बाहर निकाल देता है. तभी एक टीचर से उसे पता चलता है कि आर्ट रूम में कुछ बच्चे फंसे हैं. अमन सोमबीर को फोन कर के बताता है कि आतंकवादियों ने उन पर फायरिंग की है. वह अपनी टीम के साथ जल्दी आ जाए. वह उसे यह भी बताता है कि उस ने कुछ बच्चों को बचा लिया है.

उसी समय बच्चों के मातापिता आ जाते हैं, जो बच्चों को बचाने के लिए स्कूल के अंदर जाने की कोशिश करने लगते हैं. हैदर ऊपर से स्नाइपर से गोली चलाता है, जिस से अमन घायल हो जाता है. बच्चों के मातापिता पुलिस वालों को धकेल कर अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे. तभी सोमबीर अपनी टीम के साथ आ जाता है और बच्चों के मातापिता को धकेल कर अंदर से गेट बंद कर लेता है.

सोमबीर कवर में जाता है तो देखता है कि अमन की हालत गोली लगने से काफी खराब है और वह गिरने वाला है. फिर वह अमन को कवर कर के गाड़ी के पीछे ले जाता है. दूसरी ओर आर्मी अधिकारी और फोर्स भेजते हैं. नूर बच्चों के पास जाता है और उन्हें हैदर के पास ले आता है. इधर अमन मौत के नजदीक पहुंच जाता है. वह सोमबीर से कहता है कि अगर वह मर गया तो इस हैदर को मार कर यहीं गाड़ देना. यही उस की आखिरी ख्वाहिश है.

थोड़ी देर में आर्मी के ट्रक स्कूल पहुंच जाते हैं. नूर स्नाइपर से आर्मी वालों पर हमला करने लगता है. हैदर उसे रोकता है, क्योंकि स्नाइपर चलाने से आर्मी वालों को उन की पोजीशन का पता चल जाता. वह नूर को नीचे भेज कर आर्मी वालों पर नजर रखने को कहता है.

सोमबीर अपने साथियों को अपना प्लान बता कर आर्ट वाली बिल्डिंग घेरने को कहता है. दूसरी ओर डाक्टर देखता है कि रक्षा मंत्री श्रीनगर पहुंच चुके हैं. आर्मी वाले बिल्डिंग को घेर लेते हैं तो सोमबीर खिड़की के पास वाले पाइप के सहारे ऊपर चढ़ता है और उस के साथी सीढिय़ों से अंदर आते हैं.

सोमबीर खिड़की से अंदर देखता है कि नूर फस्र्ट फ्लोर पर है और वह यह बात अपने साथियों को बता देता है. सोमबीर खिड़की पर आवाज कर के नूर का ध्यान भटकाता है, तभी सोमबीर के साथी पीछे से पकड़ कर उसे मार डालते हैं. सोमबीर खिड़की से अंदर आता है और अपने साथियों के साथ मिल कर बाकी बच्चों को बचा लेता है.

उसी बीच डाक्टर का साथी फरहान स्कूल के पास पहुंच जाता है. डाक्टर फरहान से कहता है कि उसे किसी भी हालत में हैदर से बम का ट्रिगर चाहिए. इस के लिए उसे हैदर को भी खोना पड़े तो कोई बात नहीं है.

रक्षा मंत्री अपनी गाड़ी से श्रीनगर के लिए निकल पड़ते हैं. उधर सोमबीर खिड़की से हैदर और शाकिर को देखता है, जिन्होंने कुछ बच्चों को पकड़ रखा है, ताकि वह आर्मी वालों से बच सके. हैदर शाकिर को नूर को देखने के लिए भेजता है, क्योंकि वह अभी तक वापस नहीं आया था.

शाकिर जैसे ही नीचे पहुंचता है, देखता है कि नूर को तो आर्मी वालों ने मार दिया है. वह ऊपर जा कर जल्दी से गेट बंद कर देता है और हैदर को सब बताता है कि आर्मी वालों ने अंदर आ कर नूर को मार दिया है. अब हैदर को अपनी योजना फेल होती नजर आने लगी थी. क्योंकि अब वह ट्रिगर डाक्टर तक नहीं पहुंचा सकेगा.

वह डाक्टर को फोन कर के कहता है कि अब उसे प्लान बी इस्तेमाल करना होगा. इस में अगर एंबुलेंस को रक्षा मंत्री की गाड़ी से टकराएंगे तो आरडीएक्स अपने आप ब्लास्ट हो जाएगा और उन्हें ट्रिगर की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह सारी बात सोमबीर सुन कर अपने अधिकारी को बता देता है.

दूसरी ओर डाक्टर के लिए काम कर रही लड़की इस मिशन को करने से मना कर देती है. क्योंकि वह खुद को बम से उड़ाना नहीं चाहती थी. डाक्टर उस से एंबुलेंस की चाबी ले कर उसे गोली मार देता है और खुद एंबुलेंस ले कर रक्षा मंत्री की गाड़ी पर अटैक करने के लिए चल देता है.

उधर हैदर बच्चों को ढाल बना कर बैठा था. सोमबीर चुपके से खिड़की खोल कर कमरे में घुस जाता है. दूसरी ओर आर्मी वाले उस एंबुलेंस को ढूंढने में लग गए थे, जिसे डाक्टर ले कर निकला था. सोमबीर बम फोड़ कर चारों ओर धुआंधुआं कर देता है और शाकिर को मार देता है, साथ ही बच्चों को निकाल लेता है.

तभी फरहान हैदर को बचाने के लिए फायरिंग करते हुए स्कूल में घुसता है, लेकिन अमन उसे गोली मार देता है. घायल फरहान अमन को गोली मार देता है. लेकिन मरने से पहले अमन फरहान को चाकू से मार देता है.

उधर सोमबीर को भी हैदर की चलाई गोली लग जाती है. पर हैदर उसे दोबारा गोली मारता, उस से पहले ही सोमबीर उसे गोलियों से छलनी कर देता है और खुद बेहोश हो जाता है.

दूसरी ओर डाक्टर एंबुलेंस ले कर अटैक के लिए जा रहा था. आर्मी वाले उसे देख लेते हैं और फायरिंग कर के डाक्टर को मार देते हैं. इसी के साथ एंबुलेंस में रखा आरडीएक्स ब्लास्ट हो जाता है और बहुत बड़ा धमाका होता है. आर्मी वाले सोमबीर को बचाने के लिए एंबुलेंस से ले जाते हैं, पर सोमबीर रास्ते में देश के लिए शहीद हो जाता है.

जैसे ही इस बात की जानकारी अमन और सोमबीर के परिवार वालों को होती है, वे फूटफूट कर रोने लगते हैं. वेब सीरीज का यह बहुत ही इमोशनल दृश्य होता है. इस के बाद अमन ठाकुर और सोमबीर सिंह को सम्मान के साथ तिरंगे में विदा किया जाता है. अंत में अमन ठाकुर और सोमबीर सिंह की असली फोटो दिखाई जाती है और यहीं पर वेब सीरीज खत्म हो जाती है.

बरुण सोबती

बरुण सोबती का जन्म 21 अगस्त, 1984 को दिल्ली में हुआ था. यहीं उस का पालनपोषण और पढ़ाई भी हुई. उस ने नई दिल्ली के सेंट मार्क स्कूल से पढ़ाई की. मनोरंजन की दुनिया में आने से पहले उस ने 7 सालों तक जिंदल टेलीकौम में औपरेशन मैनेजर के रूप में काम किया था.

बरुण सोबती ने 12 दिसंबर, 2010 को एक गुरुद्वारे में एक निजी समारोह में अपनी हाईस्कूल की प्रेमिका पशमीन मनचंदा के साथ विवाह किया. जून, 2019 को वह एक बेटी के बाप बना. 2023 में इन के घर एक बेटा पैदा हुआ.

बरुण सोबती ने साल 2009 में स्टार प्लस के शो ‘श्रद्धा’ में स्वयं खुराना के रूप में अभिनय की शुरुआत की. इस के बाद मैडिकल शो में ‘दिल मिल गए’ में डाक्टर राज की भूमिका निभाई, जो नशीली दवाओं से पीडि़त एक मैडिकल इंटर्न था. साल 2010 में सोबती ने सोनी टीवी के शो ‘बात हमारी पक्की’ में श्रवण जायसवाल की भूमिका निभाई.

स्टार प्लस के शो ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ में अर्नव सिंह रायजादा के रूप में काम करने के साथ 2014 में रोमांटिक कामेडी ‘मैं मिस्टर राइट’ से अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत की. उस की दूसरी फिल्म थी ‘तू है मेरा संडे’. इस के अलावा भी उस ने कई फिल्मों में काम किया.

बरुण ने श्रीजीत मुखर्जी की वेब सीरीज ‘जांबाज हिंदुस्तान के’ में काम किया. ‘असुर’ में निखिल नायर के रूप में काम किया. ‘बदतमीज दिल’ में तथा ‘कोहरा’ में उस की भूमिका को काफी सराहा गया है.

सुरभि चांदना

11 सितंबर,1989 को मुंबई में पैदा हुई सुरभि चांदना मुख्यरूप से हिंदी टेलीविजन में काम करती है. चांदना ने अभिनय की शुरुआत सब टीवी पर आने वाले धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में स्वीटी के रूप में की. उस की पहली प्रमुख भूमिका ‘कुबूल है’ में हया कुरैशी के रूप में थी. उसे पहचान मिली ‘इश्कबाज’ से.

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‘इश्कबाज’ में उस ने अनिका सिंह त्रिवेदी ओबेराय की भूमिका कर के अपनी पहचान बनाई. यह धारावाहिक उस के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुआ. इस भूमिका के लिए उस ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, लोकप्रियता के लिए आईटीए पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते.

चांदना ने ‘संजीवनी’ में नमित खन्ना के साथ डा. इशानी अरोड़ा माथुर की भूमिका निभाई. इस के बाद ‘नागिन 5’ में बानी शर्मा की भूमिका निभा कर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने के साथ आईटीए पुरस्कार भी जीता.

‘हुनरबाज’ को होस्ट करने के साथ ‘शेरदिल शेरगिल’ में अकेली मां मनजीत शेरगिल यादव की भूमिका निभाई. हाल ही में उस ने ‘रक्षक: इंडियाज ब्रेव्स’ सीजन- 2 में बरुण सोबती के साथ काम किया है.

चांदना 2010 से उद्यमी करण शर्मा के साथ रिश्ते में थी. 13 सालों तक संबंध में रहने के बाद इसी साल यानी 2 मार्च, 2024 को दोनों ने जयपुर में हिंदू रीतिरिवाज से विवाह कर लिया है.