अभियुक्तों की हुई गिरफ्तारी
क्राइम ब्रांच ने पवन को गिरफ्तार किया और उस फोटो को दिखा कर पूछा कि यह फोटो किस की है तो पवन ने राजपाल का नाम लिया. उस के बताए पते से राजपाल को भी उठा कर क्राइम ब्रांच के औफिस लाया गया.
थोड़ी सी सख्ती करते ही राजपाल ने बताया, “सर, यह सिम मेरे नाम से है, जो मैं ने राबिन को इस्तेमाल को दे दिया था. पवन मेरा दोस्त है, उस का कोई रोल इस सिम के मामले में नहीं है. उस का मैं ने आधार कार्ड इस्तेमाल किया था.”
“राबिन कहां रहता है?”
राजपाल ने राबिन का पता बता दिया. एक घंटे में राबिन को क्राइम ब्रांच की टीम पकड़ कर ले आई. उस से भी थोड़ी सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने बता दिया कि सारा खेल सुरेंद्र जीजा का है. उसी ने उसे अरविंद बना कर एक कालगर्ल के साथ भिन्नभिन्न होटलों में भेजा और मोनिका के डाक्यूमेंट वहां छोडऩे का प्लान बनाया ताकि होटल वाले मोनिका के परिवार वालों को यकीन दिला सके कि मोनिका जिंदा है.”
“मोनिका कहां है?”
“उस की मेरे जीजा ने गला घोंट कर 2 साल पहले हत्या कर दी थी.”
इस रहस्योद्घाटन पर इंसपेक्टर राजीव कक्कड़ ने गहरी सांस ली. उन्होंने सुरेंद्र राणा को गिरफ्तार करने के लिए सितंबर, 2023 के आखिरी सप्ताह में ही टीम को अलीपुर भेजा. वह घर पर ही मिल गया. उसे हिरासत में ले कर क्राइम ब्रांच औफिस लाया गया तो उस के चेहरे पर पसीने की असंख्य बूंदे छलक आई थीं. सुरेंद्र राणा ने आसानी से अधिकारियों के समक्ष कुबूल कर लिया कि उसी ने मोनिका की गला दबा कर 8 सितंबर, 2021 के दिन हत्या कर दी थी.
“मोनिका की हत्या तुम ने क्यों की?” राजीव कक्कड़ ने पूछा.
“मैं उसे चाहने लगा था. मैं उसे पाना चाहता था, इसलिए झूठ बोल कर कि मैं कुंवारा हूं, मैं ने मोनिका को किसी तरह शादी के लिए राजी कर लिया था, लेकिन वह 8 सितंबर को मेरा घर देखने के इरादे से अलीपुर पहुंच गई. उसे गांव में घुसता देख मैं डर गया.
“मोनिका को मेरे बीवीबच्चों का पता चल जाता तो मेरी सारी प्लानिंग फेल हो जाती. मैं अपनी कार ले कर मोनिका के सामने गया और उसे जबरन कार में बिठा कर कहा, ‘मां शहर गई हैं. घर में ताला बंद है. आओ, थोड़ा घूम आते हैं, तब तक मां आ जाएंगी.’
“मैं मोनिका को बुराड़ी की ओर यमुना पुश्ता पर ले गया. एक सुनसान जगह कार रोक कर मैं ने मोनिका को नीचे उतारा और पानी की तरफ बढ़ते हुए मोनिका की गरदन दबोच ली. वह मर गई तो मैं ने वहीं पर गड्ढा खोद कर उस की लाश दबा दी थी. उस के ऊपर पत्थर डाल दिए.”
इंसपेक्टर कक्कड़ ने पूछा, “2 साल तक तपस्या को तुम बहकाते रहे कि मोनिका जीवित है. शादी कर के अपने पति के साथ खुश है. ऐसा तुम क्यों कर रहे थे?”
“सर, मैं तपस्या के दिल में यह बात बिठा देना चाहता था कि मोनिका जिंदा है और वह शरम के कारण सामने नहीं आ रही है. मैं ने अपने साले राबिन के साथ एक कालगर्ल को अलगअलग होटलों में भेज कर मोनिका की आईडी वहां छुड़वा कर तपस्या को यह जताना चाहा कि मोनिका जीवित है. और होटल वाले यह भी बताएं कि दोनों पतिपत्नी के रूप में उन के होटल में रुके थे.”
“सर, मैं ने मोनिका के फोन से उस की वायस रिकौर्ड को अपने फोन में ले ली थी. एक सौफ्टवेयर की मदद से मैं मोनिका के शब्दों को वाक्य में बनाता और तपस्या को मोनिका के फोन से फोन कर के वह वायस सुनाता ताकि तपस्या समझे मोनिका बोल रही है और जीवित है.”
“इस के पीछे तुम्हारा क्या मकसद था सुरेंद्र?”
“यही कि तपस्या अपनी बहन मोनिका को जीवित समझे और यह मान ले कि मोनिका शरम के कारण वापस नहीं आ रही है. तपस्या उसे भुला देती तो पुलिस भी मामले से पीछे हट जाती और मोनिका की हत्या का राज राज ही बना रह जाता.”
सुरेंद्र राणा ने जुर्म कुबूल कर लिया था. उसे कोर्ट में पेश कर के 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड अवधि में सुरेंद्र ने यमुना किनारे दबाया मोनिका का कंकाल में तब्दील हो चुका शव बरामद करवा दिया. शव को डीएनए टेस्ट के लिए उस की मां का ब्लड ले कर लैब में भेज दिया गया. फोरैंसिक जांच के बाद ही पता चलेगा कि बरामद कंकाल मोनिका यादव का है भी या नहीं.
कंकाल मोनिका का हुआ तो वह परिजनों को अंतिम क्रियाकर्म के लिए सौंप दिया जाएगा. सुरेंद्र राणा, उस के साले राबिन और जयपाल को पुलिस ने जेल भेज दिया. मोनिका का फोन और बैग पुलिस ने कब्जे में ले लिया है. तीनों को कठोर से कठोर सजा दिलवाने के लिए पुलिस पुख्ता सबूत एकत्र करने में लगी हुई थी.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
दिन गुजरते गए, मोनिका सामने तो नहीं आई. ऋषिकेश, मसूरी आदि होटलों में मोनिका के द्वारा कोई न कोई डाक्यूमेंट छोडऩे की सूचना तपस्या को जरूर मिलती रही और तपस्या कभी अकेली, कभी सुरेंद्र के साथ उन होटलों में जा कर मोनिका के डाक्यूमेंट घर ले कर आती रही. इस से उसे यह विश्वास तो होने लगा कि मोनिका ठीक है और पति के साथ सैरसपाटा कर रही है. लेकिन तपस्या पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुई.
इतना ही नहीं, 2021 में ही एक दिन तपस्या को मोनिका का दिल्ली के अरुणा आसफ अली अस्पताल में कोरोना वैक्सीन लगवाने का सर्टिफिकेट भी मिला. इस के अलावा मोनिका के बैंक खाते से भी लेनदेन होते रहने के सबूत मिले.
2 साल ऐसे ही गुजर गए, लेकिन तपस्या इन सब से संतुष्ट नहीं थी, क्योंकि मोनिका सामने नहीं आ रही थी. उसे मामला गड़बड़ लग रहा था. आखिर एक दिन तपस्या दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से मिलने पहुंच गई.
उस ने पुलिस कमिश्नर को बताया, “सर, मेरी बहन मोनिका यादव 2 साल से लापता है. वह पहले थाना मुखर्जी नगर में कांस्टेबल के पद पर तैनात थी. सन 2020 में उस ने यूपी पुलिस में सबइंसपेक्टर का एग्जाम पास कर लिया था, इसलिए उस ने दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी और मुखर्जी नगर के पीजी में रह कर यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. 8 सितंबर, 2021 के दिन वह अचानक लापता हो गई है. मैं ने पुलिस में रिपोर्ट की थी, लेकिन थोड़ी जांच के बाद पुलिस ने फाइल बंद कर दी है.”
“क्यों?” पुलिस कमिश्नर ने पूछा.
“सर, मोनिका किसी अरविंद नाम के युवक के साथ शादी कर के घूम रही है. उस के द्वारा उन होटलों जैसे ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी आदि जगहों में डाक्यूमेंट छोड़े जा रहे हैं. वह मैं वहां जा कर लाती रही हूं, लेकिन इन 2 सालों में मोनिका ने न हमें फोन किया है, न सामने आई है.
“इस से मुझे संदेह है कि मोनिका अब नहीं है. मुझे उस की चीजों से गुमराह किया जा रहा है. मेरे पिता ब्रह्मपाल यूपी पुलिस में एसआई के पद पर थे. एक अपराधी को बस में दबोचने गए थे, बदमाश ने गोली चला दी, जिस से वह शहीद हो गए थे. मोनिका ही घर संभाल रही थी, उसी पर घर की उम्मीदें टिकी हुई थीं सर. आप उस की तलाश करवाने की कृपा करें.”
“ठीक है. मैं मोनिका का केस क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर करवा देता हूं. तुम निश्चिंत रहो, क्राइम ब्रांच उसे जरूर ढूंढ निकालेगी.”
क्राइम ब्रांच को सौंपी जांच
पुलिस कमिश्नर ने क्राइम ब्रांच के स्पैशल कमिश्नर रविंद्र यादव को फोन कर के मोनिका यादव का केस उन्हें सौंप कर संक्षिप्त में सारी बातें बता दीं. रविंद्र यादव ने यह केस रोहिणी क्राइम ब्रांच के हाथ सौंप दिया.
क्राइम ब्रांच ने 12 अप्रैल, 2023 को मोनिका की गुमशुदगी को अपहरण की धारा 365 आईपीसी में तरमीम कर दी. डीसीपी संजय भाटिया की देखरेख में जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर राजीव कक्कड़ को सौंपी गई. उन्होंने अपनी टीम के साथ जांच शुरू की.
वह तपस्या से मिले. तपस्या से इंसपेक्टर राजीव कक्कड़ को मालूम हुआ कि मोनिका यूपीएससी की तैयारी कर रही थी. इंसपेक्टर राजीव कक्कड़ को तपस्या ने सभी होटल जहां कहीं मोनिका ठहरी थी और उस के द्वारा डाक्यूमेंटस छोड़े गए थे, उन का नाम बता दिया.
तपस्या ने यह भी बताया कि मोनिका ने 2-3 बार उसे फोन किया था, लेकिन ज्यादा नहीं बोली. एक बार उस के कथित पति अरविंद ने फोन कर के बताया था कि मोनिका उस के साथ गुडग़ांव में है, उन्होंने शादी कर ली है.
इंसपेक्टर अपनी टीम के साथ तपस्या द्वारा बताए गए होटलों में गए. उन्होंने रिसैप्शन काउंटर पर लगे सीसीटीवी कैमरों की उस दिन की फुटेज हासिल की. जिसजिस दिन मोनिका उन होटलों में रुकी थी, सभी जगह की फुटेज ले कर वह दिल्ली आ गए.
उन्होंने तपस्या को अपने औफिस में बुला कर ऋषिकेश, देहरादून, मसूरी के होटलों के रिसैप्शन पर खड़े अरविंद और मोनिका की वह सीसीटीवी फुटेज दिखा कर तपस्या से कहा, “होटल वाले इन दोनों को अरविंद और मोनिका बता रहे हैं. इसे देख कर बताइए, यह आप की बहन मोनिका ही है?”
तपस्या ने देखा तो चौंक कर बोली, “सर, यह मोनिका नहीं है. मोनिका की तसवीर मेरे मोबाइल में है. आप देख लीजिए.”
बहन ने क्राइम ब्रांच को दिए सबूत
तपस्या ने मोबाइल निकाला तो इंसपेक्टर कक्कड़ मुसकरा कर बोले, “मेरे पास मोनिका की तसवीर है. मुझे पूरा शक था कि फुटेज में नजर आ रही युवती मोनिका नहीं है. फिर भी तसल्ली के लिए आप को बुलाया गया.”
“सर, मुझे शक है कि किसी ने मोनिका को कत्ल कर दिया है और 2 साल से उस की चीजें यहांवहां फेंक कर मुझे बेवकूफ बनाया है. आप साथ में खड़े इस युवक का पता लगाइए.”
“तपस्याजी, हमें भी अब शक है कि मोनिका की हत्या कर दी गई है.” इंसपेक्टर कक्कड़ गंभीर स्वर में बोले, “आप को अरविंद ने फोन किया. क्या वह नंबर आप की काल डिटेल में होगा.”
तपस्या ने वह नंबर इंसपेक्टर को दे दिया. कुछ सोच कर तपस्या ने कहा, “सर, सुरेंद्र राणा मुझ पर कई बार यह दबाब बनाने की कोशिश करवा रहा है कि मैं मोनिका को जीवित मान लूं और भूल जाऊं, क्योंकि वह अब शादी कर के अपनी जिंदगी जी रही है.”
“ओह!” इंसपेक्टर कक्कड़ ने होंठों को गोल सिकोड़ा, “वह इस मामले में रुचि क्यों ले रहा है?”
“दरअसल, मोनिका उस से प्यार करती थी. सुरेंद्र राणा उस से शादी करने वाला था.”
इसपेक्टर कक्कड़ मुसकराए, “सुरेंद्र राणा शादीशुदा और बालबच्चेदार है. वह पत्नी के साथ अलीपुर में रहता है.”
“ओह!” तपस्या चौंकी, “इतना बड़ा धोखा हमारे साथ…”
“मुझे अब इस नंबर को उपयोग करने वाले व्यक्ति तक पहुंचना है, जो आप को फोन करता है. और हां, तब तक आप सुरेंद्र राणा से दूर रहेंगी. समझ रही हैं न?”
“जी हां.” तपस्या ने सिर हिलाया.
इंसपेक्टर कक्कड़ ने तपस्या को जाने को कहा और उस नंबर के उपभोक्ता का पता निकालने के लिए एक हवलदार को फोन सेवा प्रदाता कंपनी भेज दिया.
एक घंटे में ही हवलदार पूरी डिटेल्स निकाल कर ले आया. यह नंबर किसी पवन नाम के व्यक्ति के नाम पर था, लेकिन यहां एक गड़बड़ यह थी कि आधार कार्ड तो पवन का लगाया गया था, फोटो किसी और व्यक्ति की थी जो आधार से मेल नहीं खा रही थी.
सुरेंद्र ने मोनिका की उस पड़ोसी लडक़ी को अपना फोन नंबर दे कर यह अनुरोध किया कि मोनिका पीजी आएगी तो फोन कर के बता देना. हैरानपरेशान वह पीजी की सीढिय़ां उतरा. नीचे आ कर उस ने तपस्या को फोन मिलाया, “दीदी, मोनिका कल दोपहर से ही कमरे पर नहीं लौटी है.”
“कहां चली गई वो?” परेशानी भरी आवाज थी तपस्या की, “सुरेंद्र, कल मोनिका से तुम्हारी मुलाकात हुई होगी?”
“नहीं दीदी, कल मैं रेस्ट पर था. मैं अलीपुर गया था किसी काम से. कल मैं ने दोपहर को मोनिका से बात की थी और आज उस के साथ बडख़ल झील घूमने का मन बनाया था. मैं ने मोनिका से कहा था कि वह तैयार रहे, लेकिन मैं उस के पीजी गया तो मोनिका के कमरे पर ताला लटका पाया. उस के पड़ोस में रहने वाली लडक़ी का कहना है कि मोनिका कल दोपहर में तैयार हो कर और बैग ले कर कहीं गई थी. अभी तक वापस नहीं लौटी है.”
“मेरा दिल घबरा रहा है सुरेंद्र. मोनिका एकएक बात मुझ से शेयर करती है, वह बैग ले कर कहां गई होगी. मैं ने अपनी रिश्तेदारी में मालूम कर लिया है, वह किसी के यहां नहीं है.”
“फिर मोनिका कहां गई?” सुरेंद्र परेशान हो कर बोला, “दीदी, आप दिल्ली आ जाओ. हम थाने में उस के गुम होने की रिपोर्ट लिखवा देते हैं.”
“मैं शाम तक दिल्ली पहुंच रही हूं सुरेंद्र,” तपस्या ने कहा और फोन काट दिया.
सुरेंद्र अपनी ड्यूटी के लिए थाना मुखर्जी नगर की ओर रवाना हो गया.
मोनिका की दर्ज कराई गुमशुदगी
मोनिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए तपस्या और उस की मां शकुंतला उत्तरपश्चिम दिल्ली के मुखर्जी नगर थाने पहुंचीं. उन्होंने 20 अक्तूबर, 2021 को मोनिका की गुमशुदगी दर्ज करा दी. सुरेंद्र राणा उस वक्त उन के साथ ही था. सुरेंद्र राणा ने तपस्या और उस की मां की मुखर्जी नगर में मोनिका की पीजी में रहने की व्यवस्था कर दी. वहां उन्हें मोनिका के 8 सितंबर को कमरे से जाने की बात पता चली.
दूसरे दिन से सुरेंद्र तपस्या के साथ मोनिका को हर संभावित स्थान में तलाश करता रहा, लेकिन मोनिका का कुछ पता नहीं चला. मुखर्जी नगर थाने के एसएचओ किशोर कुमार भी पुलिस टीम के साथ मोनिका की तलाश में लगे थे, लेकिन मोनिका का कोई सुराग नहीं मिल रहा था.
एसएचओ ने मोनिका के पीजी वाले कमरे की तलाशी ले कर यह मालूम करने की कोशिश की कि मोनिका का कोई इश्कविश्क का चक्कर तो नहीं चल रहा और वह उस बौयफ्रेंड के साथ कहीं चली गई हो, मगर कमरे में ऐसा कुछ नहीं मिला, जो यह सिद्ध करता कि मोनिका का किसी के साथ कोई चक्कर चल रहा था.
तफ्तीश जारी थी. पांचवें. दिन तपस्या के मोबाइल पर एक अंजान नंबर से काल आई. यह काल देहरादून के एक होटल से की गई थी वहां के मैनेजर ने बताया कि मोनिका उन के होटल में आ कर ठहरी थी. जाते वक्त वह अपने कुछ जरूरी डाक्यूमेंट्स होटल में भूल गई है, उन पर गुलावठी का पता और एक फोन नंबर लिखा था. मैं उसी नंबर को मिला कर बात कर रहा हूं. आप आ कर मोनिका के डाक्यूमेंट ले जाएं.”
“मोनिका आप के होटल में किस के साथ आई थी?” तपस्या ने पूछा.
“उस का पति था अरविंद कुमार.”
“ओह!” तपस्या हैरान हो गई. कुछ क्षण वह खामोश रही, फिर मैनेजर से बोली, “हम आज ही देहरादून आ रहे हैं वह डाक्यूमेंट लेने.”
तपस्या ने यह बात मुखर्जी नगर थाने के एसएचओ को बताई तो उन्होंने सुरेंद्र राणा को उन के साथ जा कर हकीकत पता लगाने के लिए कह दिया.
दूसरे प्रेमी अरविंद के साथ भागने की मिली खबर
सुरेंद्र राणा तपस्या को ले कर उसी दिन बस द्वारा देहरादून चला गया. रात को वह उस होटल में पहुंच गया, जहां से मैनेजर ने फोन किया था. मैनेजर ने तपस्या को जो डाक्यूमेंट सौंपे, उन में मोनिका का आधार कार्ड, पैन कार्ड और दिल्ली पुलिस में नौकरी करते वक्त का आईडीकार्ड था.
रजिस्टर में उस की अरविंद के साथ एंट्री भी दर्ज थी. सुरेंद्र ने सभी चीजें देख कर गहरी सांस छोड़ी, “दीदी, मोनिका ने मेरे साथ धोखा किया है. ये सब चीजें मोनिका की हैं, इस से यह साबित हो गया कि वह किसी अरविंद नाम के युवक के साथ भागी है? उन्होंने शादी कर ली है और यहां से अब कहीं और घूमने चले गए हैं.”
“मुझे विश्वास नहीं हो रहा है सुरेंद्र. मोनिका तुम्हें चाहती थी, यदि उस का अरविंद नाम के किसी व्यक्ति से कोई चक्कर चल रहा था तो मुझ से क्यों छिपाया. चोरी से वह क्यों भागी और शादी भी की.”
“दीदी, सब कुछ आप के सामने है. मोनिका ने मुझे धोखा दिया, इस का मुझे दुख है, लेकिन खुशी है कि वह ठीक है और उस ने शादी कर ली है. उस की खुशी अब मेरी खुशी है. दीदी आप से एक प्रार्थना है.”
“कहो.”
“अब किसी के आगे यह मत कहना कि मोनिका और मैं प्यार करते थे और जल्दी शादी भी करने वाले थे. इस से मेरी थाने में बेइज्जती होगी.”
“मैं किसी से नहीं कहूंगी,” तपस्या ने कहा और सुरेंद्र के साथ दिल्ली आने के लिए बसअड्डे के लिए रिक्शा पकड़ लिया.
मुखर्जी नगर थाने में जब सुरेंद्र राणा ने देहरादून के होटल से मोनिका का आईडीकार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड मिलने और उस की अपने पति के साथ होटल में 2 दिन रुकने की बात बताई तो मोनिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट रद्द कर के फाइल बंद कर दी गई.
तपस्या को नहीं हुआ विश्वास
तपस्या मोनिका की मौजूदगी की बात पता चलने के बाद भी उहापोह की स्थिति में थी. उस का कहना था, “मोनिका यदि जीवित है और उस का कोई अहित नहीं हुआ है तो वह परिवार के सामने क्यों नहीं आ रही है.”
सुरेंद्र राणा उसे समझाने के लिए कहता, “दीदी, ऐसा भी तो हो सकता है कि मोनिका शरम के कारण सामने नहीं आ रही है. वह जहां है खुश है तो उसे भुला देना ही ठीक रहेगा.”
सुरेंद्र मोनिका से नजदीकी बढ़ाने की हरसंभव कोशिश कर रहा था. उस की बांछें तब खिलीं, जब मोनिका की ड्यूटी उस के साथ ही पीसीआर वैन में लगा दी गई. फिर तो सुरेंद्र की इस दोस्ती में अब इंद्रधनुषी रंग भरने का वक्त आ गया था.
सुरेंद्र राणा अब सारा दिन पीसीआर वैन में साथ रहने वाली मोनिका को अपने दिल के करीब ला सकता था, उस के दिल में प्यार के फूल खिला सकता था. वह मोनिका को रिझाने के लिए उसे कोई महंगा तोहफा देना चाहता था. शाम को वह कनाट प्लेस गया और पालिका बाजार से लाल रंग का खूबसूरत लेडीज पर्स खरीद लाया.
दूसरे दिन मोनिका जब ड्यूटी पर आई तो सुरेंद्र राणा ने बगैर किसी भूमिका के अखबार में लिपटा पर्स मोनिका की तरफ बढ़ाते हुए कहा, “लो मोनिका, यह मैं तुम्हारे लिए लाया हूं.”
“क्या है इस अखबार में?”
“खोल कर देख लो.”
मोनिका ने अखबार हटाया तो खूबसूरत पर्स देख कर हैरान हो गई, “आप यह पर्स मेरे लिए लाए हैं.”
“मोनिका, मेरे घर में मेरी बूढ़ी मां के अलावा कोई नहीं है तो जाहिर सी बात है कि यह पर्स मैं ने तुम्हारे लिए ही खरीदा है.” सुरेंद्र झूठ बोला.
“अरे!” मोनिका इस बार चौंक कर सुरेंद्र का चेहरा देखने लगी.
“ऐसे क्यों देख रही हो मोनिका?”
“आप कह रहे हैं, घर में बूढ़ी मां है. आप की पत्नी कहां गई है?”
“मेरी शादी नहीं हुई है मोनिका.” सुरेंद्र राणा ने सफेद झूठ बोला, “मैं अभी तक कुंवारा हूं.”
“कमाल है! आप की शादी की उम्र तो निकल गई, आप ने अभी तक शादी क्यों नहीं की?” मोनिका ने हैरानी से पूछा.
“कोई लडक़ी मुझे आज से पहले पसंद ही नहीं आई थी, लेकिन अब एक लडक़ी मुझे अपना जीवनसाथी बनाने के लिए जंच रही है.” सुरेंद्र राणा ने मोनिका की आंखों की गहराई में उतरते हुए बेहिचक कह डाला, “क्या तुम मुझ से शादी करोगी मोनिका?”
“म… मैं?” मोनिका हड़बड़ा कर बोली, “आप को ले कर मेरे मन में कभी यह विचार नहीं आया. आप की और मेरी उम्र में जमीनआसमान का अंतर है.”
“शादी किसी की उम्र देख कर नहीं, उस की हैसियत देख कर करनी चाहिए मोनिका. मैं दिल्ली पुलिस में हूं. आज कांस्टेबल हूं, कल ऊंची पोस्ट पर भी पहुंचूंगा. मेरे पास कई एकड़ जमीन है, अलीपुर में बहुत आलीशान घर है. लाखों रुपया बैंक में है. मैं तुम्हें रानी बना कर रखूंगा मोनिका. तुम पुलिस की नौकरी में रहना चाहोगी तो मैं रुकावट नहीं बनूंगा.”
“मैं आप को अपना अच्छा दोस्त मानती आई हूं.” मोनिका ने कहा.
“इस दोस्ती को प्यार भरे शादी के रिश्ते में भी बदला जा सकता है मोनिका. प्लीज हां कह दो, मैं तुम्हेंबहुत प्यार करता हूं.”
सुरेंद्र गिड़गिड़ाया.
मोनिका से कुछ कहते नहीं बना. उस के मन में अजीब सी उथलपुथल होने लगी.
“हां, बोल दो मोनिका. मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं.” सुरेंद्र राणा गिड़गिड़ाने लगा, “मैं अब तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता.”
“मैं सोचूंगी…” मोनिका ने बात खत्म करने के इरादे से कहा.
“कब जवाब दोगी?”
“कल.” मोनिका ने कहा और काम का बहाना बना कर वह रिक्शा स्टैंड की तरफ बढ़ गई.
सुरेंद्र के होंठों पर कुटिल मुसकान उभर आई. उस ने अपना शानदार अभिनय कर के मोनिका पर प्रेम जाल फेंक दिया था. उसे पूरी उम्मीद थी कि मोनिका इस प्रेम जाल में अवश्य ही फंस जाएगी. उसे अब कल का इंतजार था.
रहस्यमय तरीके से लापता हुई मोनिका
मोनिका पूरी रात इसी उलझन में फंसी रही कि वह सुरेंद्र को क्या जवाब दे. सुरेंद्र को उस ने 2-3 साल में अच्छी तरह पहचान और समझ लिया था. उस की उम्र जरूर 42 साल की हो गई थी, लेकिन उस में बच्चों जैसी मासूमियत और भोलापन था. युवकों की तरह वह फुरतीला, जोशीला और जांबाज था तो उस में चंचल, शोख और मस्तानापन भी था.
सुरेंद्र नरमगरम स्वभाव का व्यक्ति था. प्यार के लिए गिड़गिड़ाना भी उसे आता था. ऐसे व्यक्ति से शादी का इजहार करने में कोई बुराई नहीं हो सकती थी. शादी के बाद सुरेंद्र उसे रानी बना कर रखने वाला था और उस के द्वारा पुलिस की नौकरी करने में भी उसे कोई आपत्ति नहीं थी. मोनिका ने अच्छी तरह सोच कर फैसला ले लिया कि वह सुरेंद्र को शादी के लिए ‘हां’ बोल देगी.
लेकिन इस के लिए वह अपने घर वालों से बात करेगी. सुरेंद्र को भी परिवार के लोगों से मिलवाएगी. सब कुछ प्लान कर के रात के अंतिम पहर में इत्मीनान से सो गई.
9 सितंबर, 2021 की सुबह सुरेंद्र राणा काफी खुश नजर आ रहा था. पिछले महीने मोनिका यादव ने उस से शादी के लिए हां भी कह दी थी और सुरेंद्र को गुलावठी ले जा कर अपने घर वालों से भी मिला कर ले आई थी. परिवार में उस ने अपनी बहन तपस्या के कान में यह बात डाल दी थी कि वह सुरेंद्र के साथ शादी करने जा रही है. सुरेंद्र मोनिका को दुलहन बना लेने के लिए आतुर था.
उस दिन वह मोनिका को फरीदाबाद के बडख़ल झील घुमाने का मन बना कर मुखर्जी नगर में उस के पेइंग गेस्ट जा रहा था, जहां पर मोनिका रहती थी. वहां से उसे मोनिका को साथ लेना था.
अभी सुरेंद्र राणा रास्ते में ही था कि उस के मोबाइल की घंटी बजने जगी. बाइक सडक़ किनारे रोक कर सुरेंद्र राणा ने मोबाइल जेब से निकाला. नंबर देखा तो उस पर तपस्या का नाम फ्लैश होता दिखाई दिया.
“तपस्या दीदी.” वह हैरानी से बड़बड़ाया.
उस ने काल रिसीव की, “गुडमार्निंग तपस्या दीदी, कैसी हैं आप?”
“मैं अच्छी हूं सुरेंद्र, जरा पीजी जा कर मोनिका से मेरी बात करवाना. मैं कल रात से उस का फोन ट्राई कर रही हूं, लेकिन फोन लग ही नहीं रहा है.”
“आप बेफिक्र रहिए दीदी. मैं पीजी ही जा रहा हूं. अभी वहां पहुंच कर आप की मोनिका से बात करवाता हूं.” सुरेंद्र ने कह कर फोन काट दिया और बाइक को आगे बढ़ा दिया.
वह पीजी पहुंचा और मोनिका के कमरे पर आया तो वहां ताला बंद था.
“कमाल है! सुबहसुबह कहां चली गई मोनिका?” सुरेंद्र राणा हैरानी में बुदबुदाया.
उस ने मोबाइल निकाल कर मोनिका को फोन लगाया. दूसरी ओर से फोन स्विच्ड औफ होने का संदेश बजा. सुरेंद्र ने 2-3 बार ट्राई किया, लेकिन मोनिका का फोन बंद होने का ही संदेश सुनने को मिला. सुरेंद्र ने मोनिका के आसपड़ोस में रहने वाली दूसरी लड़कियों से मोनिका के विषय में पूछा.
एक लडक़ी ने बताया, “मोनिका तैयार हो कर कल दोपहर को कहीं गई थी. रात को वापस नहीं लौटी, शायद आज वापस आएगी.”
‘कहां चली गई मोनिका, वह गुलावठी भी नहीं गई है, अगर वहां गई होती तो उस की बड़ी बहन तपस्या उस के लिए परेशान हो कर उसे नहीं कहती कि पीजी जा कर उस से बात करवाओ.
सुरेंद्र राणा दिल्ली पुलिस में हैडकांस्टेबल है. वह सन 2012 में भरती हुआ था. उस की तैनाती पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) यूनिट में थी. वह बाहरी दिल्ली के अलीपुर गांव में पत्नी सहित रहता था. वहां से मुखर्जी नगर अपनी बाइक द्वारा ड्यूटी पर आनाजाना करता था.
एक दिन उस का पत्नी से किसी बात पर झगड़ा हो गया था, इसलिए वह घर से बगैर खाना लिए ड्यूटी पर आ गया था. दोपहर तक वह पीसीआर वैन में रहा, फिर भूख लगने पर थाने की कैंटीन में खाना खाने आ गया. थाने की कैंटीन में उस ने अपनी पसंद का खाना प्लेट में लगवाया और टेबल की ओर आ गया. प्लेट टेबल पर रख कर सुरेंद्र राणा ने कुरसी खींची और बैठ गया. तभी उसे खयाल आया कि उस ने हाथ नहीं धोए हैं. वह हाथ धोने के लिए वाश बेसिन की ओर चला आया.
वहां हाथ धोने के बाद रुमाल से हाथों को पोंछता हुआ टेबल की तरफ बढ़ा, जिस पर उस ने खाने की प्लेट छोड़ी थी. वह हैरान रह गया, उस टेबल पर एक युवती बैठी हुई उस की प्लेट का खाना खा रही थी.
वह लपक कर उस टेबल के पास आ गया और रौब से बोला, “यह क्या बदतमीजी है मैडम, यह खाने की प्लेट मेरी है, जिस पर आप आराम से हाथ साफ कर रही हैं.”
युवती घबरा कर खड़ी हो गई. उस के हाथ सब्जी में सने हुए थे. वह मुसकराते हुए बोली, “सौरी सर, मुझे जोरों की भूख लगी थी और कैंटीन में मुझे रसोइया दिखा नहीं, इसलिए टेबल पर खाने की प्लेट देख कर मैं खाने पर टूट पड़ी.”
युवती की उम्र 24-25 साल की होगी. वह बेहद खूबसूरत थी. उस ने मेकअप नहीं किया था, फिर भी उस के गालों पर सेब जैसी लालिमा और होंठों पर गुलाब के फूलों वाला रंग बिखरा हुआ था. युवती की आंखों में अजीब सा नशा भरा दिखाई देता था. वह लाल रंग की सलवारकमीज पहने हुए थी. गले में लाल रंग की चुन्नी थी.
सुरेंद्र राणा उस की खूबसूरती और भरेपूरे यौवन पर मोहित हो गया. वह कुछ कहने की स्थिति में नहीं रह गया, बस ठगा सा उस युवती को देखता रहा.
“आप ने मुझे माफ कर दिया न.” युवती सुरेंद्र राणा को खामोश, ठगा सा खड़ा देख कर बोली, “मैं फिर से सौरी बोल देती हूं.”
सुरेंद्र राणा की मदहोशी उस युवती की कोयल जैसी सुरीली आवाज सुन कर और बढ़ गई.
पहली मुलाकात में दिल में बसा लिया मोनिका को
युवती हैरान थी कि यह पुलिस वाला कुछ बोल क्यों नहीं रहा है, उसे ही ताकने में लगा है. वह झुंझला गई. भूख से वह बेहाल थी. सुरेंद्र सोचने लगा कि पुलिस कैंटीन में कोई बाहरी व्यक्ति तो खाने के लिए आ नहीं सकता, जरूर यह भी पुलिस विभाग में ही होगी. लेकिन इस से पहले उस ने उस युवती को कभी देखा नहीं था. इसी सोच में वह बेसुध था.
तभी उस युवती ने सुरेंद्र राणा का हाथ पकड़ कर हिलाया, “ऐ जनाब, कहां खो गए आप?”
“तुम्हारी मोहिनी सूरत में…” सुरेंद्र राणा के मुंह से निकल गया. फिर वह तुरंत संभल गया, “क…क्या कहा तुम ने?”
“मैं ने आप की प्लेट से खाना खाया, इस के लिए सौरी बोल रही हूं. आप ध्यान ही नहीं दे रहे थे, इसलिए आप का हाथ भी पकड़ लिया.”
सुरेंद्र राणा मन ही मन बुदबुदाया, ‘यह हाथ जीवन भर के लिए पकड़ लो सुंदरी… मैं एक ही नजर में तुम्हारा दीवाना हो गया हूं.’
वह संभल कर बोला, “कोई बात नहीं, मैं दूसरी प्लेट ले आता हूं.”
वह कैंटीन में गया और अपने लिए दूसरी प्लेट ले आया और उसी टेबल पर खाने लगा. वह युवती अब इत्मीनान से खाना खा रही थी.
“क्या नाम है तुम्हारा?” सुरेंद्र राणा ने बात का सिलसिला शुरू करते हुए पूछा.
“मोनिका यादव.”
“दिल्ली में ही रहती हो?”
“हां, मैं दिल्ली में ही रहती हूं और दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल हूं. कल से मेरी इसी थाने में ड्यूटी लगाई गई है. वैसे मूलरूप से मैं गुलावठी (बुलंदशहर) की रहने वाली हूं.” युवती ने बताया.
“अरे, आप ने बताया क्यों नहीं कि आप भी डीपी में हैं. वैसे आप दिल्ली में कहां रहती हैं?” सुरेंद्र ने पूछा.
“यहीं मुखर्जी नगर में एक पीजी में रहती हूं. वहां रह कर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी भी कर रही हूं.”
“अरे वाह!” सुन कर सुरेंद्र राणा खुशी से उछल पड़ा, “मैं भी इसी थाने में तो मैं हैडकांस्टेबल हूं.”
“ओह,” मोनिका मुसकराई, “फिर तो आप की और मेरी मुलाकात रोज होगी.”
“बेशक होगी.” सुरेंद्र जल्दी से बोला, “अगर तुम्हें ड्यूटी के दौरान किसी किस्म की परेशानी आए तो बताना, मेरी ऊपर तक जानपहचान है.”
सुरेंद्र राणा मुसकराया, “अच्छा, चलता हूं, मुझे अभी पीसीआर वैन पर निकलना है. तुम से फिर मुलाकात करूंगा.” कहने के बाद सुरेंद्र राणा लंबेलंबे डग भरता हुआ कैंटीन से बाहर निकल गया. वह खुश था कि पहली मुलाकात में ही वह खूबसूरत मोनिका को इंप्रैस कर के उस के दिल में अपने लिए जगह बना आया है.
मोनिका ने अगले दिन ही मुखर्जी नगर थाने में अपनी आमद दर्ज करा ली. इस का पता सुरेंद्र राणा को हुआ तो वह फूला नहीं समाया.
मोनिका को प्यार के जाल में फांसने की कोशिश में जुटा सुरेंद्र
पहली मुलाकात में मोनिका के हुस्न का जो जादू उस पर चला था, वह अभी भी कायम था. सुरेंद्र शादीशुदा और एक बेटे का बाप होने के बाद भी मोनिका को अपनी जिंदगी में लाने के लिए मचल रहा था, जबकि मोनिका यादव उसे केवल अपना सच्चा हमदर्द दोस्त मान कर उस की इज्जत कर रही थी. इस की वजह थी कि सुरेंद्र राणा और अपनी उम्र में करीब 15 साल का अंतर होना.
मोनिका के मन में कभी भी यह विचार नहीं आया कि सुरेंद्र राणा को अपनी जिंदगी का हमसफर बनाए. उस के साथ प्यार के सुनहरे ख्वाब देखे. सुरेंद्र राणा को अपना सच्चा हितैषी समझ कर मोनिका उस से हंसतीबोलती थी. उस की इज्जत करती थी. जबकि सुरेंद्र की कोशिश थी कि वह मोनिका के बहुत करीब आ जाए. उस का दिल केवल मोनिका के लिए ही धडक़ने लगा था.
उस ने अब अपने घर अलीपुर भी जाना कम कर दिया था. पत्नी से उस ने झूठ बोला कि काम का बोझ अधिक होने की वजह से उसे थाने में ही रुकना पड़ता है. इतना वक्त नहीं होता कि वह घर आएजाए. पत्नी सीधीसादी थी. पुलिस वालों की नौकरी ऐसी ही होती है. इस नौकरी में रातदिन नहीं देखा जाता. उस ने संतोष करने की आदत डाल ली.