खतरे में हैं हाथी

इंसान अपने स्वार्थ के लिए हाथियों का शिकार करना बंद नहीं कर रहा है. तो वहीं गुस्सैल हाथियों की चपेट में आकर हर साल अनेक लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं. आखिर इंसान और हाथियों के बीच क्यों बढ़ रहा है टकराव? और इस दिशा में सरकार ने उठाया है क्या कदम?

साइलेंट वैली नैशनल पार्क, केरल में 27 मई, 2020 को मादा हाथी की दर्दनाक मौत की दास्तान आप को जरूर याद होगी. 15 वर्ष की गर्भवती मादा हाथी को किसी सिरफिरे ने पटाखों से भरा अनानास खिला दिया था. पटाखे मुंह में फटने से उस का जबड़ा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था. इस वजह से 2 सप्ताह तक वह न तो कुछ खा सकी और न पानी पी सकी. 

मादा हाथी को हुए असहनीय दर्द का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसे इतनी जलन और दर्द हुआ कि वह कई दिनों तक झील में खड़ी रही. आखिरकार, कमजोरी से वह झील में गिरी और डूबने से उस की और गर्भ में पल रहे बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई.

इस घटना के बाद वन्यजीव संरक्षण के लिए काम कर रहे संगठनों के लोगों ने काफी होहल्ला मचाया और वक्त गुजरते ही यह किस्सा भी लोगों की जुबान से गायब हो गया. भारत में हाथियों और इंसानों के बीच खूनी संघर्ष आज भी जारी है. दुनिया के कई देशों में हाथी अब भी संकट में हैं, भारत में पिछले 8 सालों में हाथियों की संख्या में इजाफा तो हुआ है, मगर हाथियों की मौत भी कम नहीं हुई है.

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