अखिला से हादिया बनी केरल की लड़की कुएं से निकल कर खाई में जा रही है. अदालत में अपनी आजादी की बात करने वाली हादिया धर्म की जकड़न में खुद ही फंसती नजर आ रही है. 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हादिया को आगे की पढ़ाई करने की अनुमति देने का फैसला सुना कर एक तरह से उसे उस के मातापिता की कैद से आजादी दिला दी और शायद अगली सुनवाई तक अदालत उसे अपने मुसलिम पति के साथ रहने की आजादी भी दे दे पर जिस तरह की मजहबी मानसिकता और वेशभूषा में वह कोर्ट में दिखाई दे रही है,

वह आजादी का नहीं, गुलामी का रास्ता है, रोशनी का नहीं, अंधेरे कैदखाने का रास्ता है. हैरत यह है कि वह इस के लिए उतावली है. एक धर्म बदल कर दूसरे धर्म में जाना और स्वतंत्रता की मांग करना हैरानी की बात है क्योंकि धर्म तो औरत का गुलाम बनाए रखते हैं.

अखिला नाम बदल कर हादिया बनी यह युवती हिंदू धर्म का पाखंडी दलदल छोड़ कर मुसलिम मुल्लेमौलवियों के रहमोकरम व फतवों की गुलामी की बेडि़यां धारण कर रही है. बुर्के में कैद हो कर आजादी मांग रही है, वाह हादिया!

कोट्टायम जिले के वैकुम में थिरुमनी वेंकितापुरम गांव के एक हिंदू परिवार में जन्मी 24 वर्षीय अखिला अपने मातापिता की इकलौती बेटी है. हादिया ने 12वीं तक पढ़ाई अपने घर पर रह कर की थी. बाद में उस ने तमिलनाडु के सलेम में शिवराज होम्योपैथी मैडिकल कालेज में दाखिला लिया.

सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ से रिटायर्ड के एम अशोकन ने जनवरी 2016 को बेटी अखिला के लापता होने का मामला दर्ज कराया था. अखिला अपनी 2 सहेलियां फसीना और जसीना के साथ रह रही थी. लापता होने के कुछ दिनों बाद अखिला अपने कालेज में हिजाब पहने नजर आई. उस के हिंदू दोस्तों ने उस के पिता अशोकन को सूचना दी. अशोकन उस के निवास पर पहुंचे तो वह गायब हो चुकी थी.

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