राहुल यादव ने छावला पुलिस स्टेशन के नोटिस बोर्ड पर लगे पैंफ्लेट को देख कर मृतक की पहचान अपने बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु के रूप में की. उसे थाने से बताया गया कि यह फोटो थाना कोतवाली लालकिला एरिया के हैडकांस्टेबल प्रशांत द्वारा लगाया गया है. इसलिए उन्हें कोतवाली से संपर्क करना चाहिए.
वह लोग थाना कोतवाली (लालकिला) पहुंच गए. वहां उन की मुलाकात एसआई सतेंद्र सिंह से हुई. राहुल यादव ने जेब से एक फोटो निकाल कर एसआई सतेंद्र सिंह की ओर बढ़ाते हुए कहा, ”सर, यह मेरे बड़े भाई हितेंद्र उर्फ हितु की फोटो है. यह इस सप्ताह घर नहीं आए तो मेरी भाभी पूजा रानी ने मुझ से उन का पता लगाने के लिए कहा. चूंकि भाई हितेंद्र का फोन स्विच्ड औफ आ रहा है, इसलिए मैं घबरा गया.
”हम भाई का फोटो ले कर उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाने थाना छावला गए थे. वहां नोटिस बोर्ड पर अपने भाई का फोटो लगा देख कर मालूम किया तो बताया गया उन की लाश मिली है. पहचान नहीं हो पा रही थी, इसलिए पुलिस ने यह पैंफ्लेट चस्पा किया है. हमें यहां संपर्क करने को कहा गया, तब हम यहां आ गए हैं.’’
”आप मृतक के छोटे भाई हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने पूछा.
”जी हां, मेरा नाम राहुल है. साथ में मेरी भाभी पूजा है. मेरे पिता का नाम नरेंद्र सिंह है. मेरे पिता सीआरपीएफ में हैं. मैं मानेसर (हरियाणा) में एक फर्म में प्राइवेट जौब करता हूं. हमारा घर दौलतपुर, दिल्ली में है.’’
”आप पूरे विश्वास से कह रहे हैं कि नोटिस बोर्ड पर आप ने जो फोटो देखी है, वह आप के बड़े भाई की है.’’
”जी हां, मैं ने अपने बड़े भाई की फोटो आप को दी है. आप देख लीजिए.’’
एसआई सतेंद्र सिंह ने फोटो देखी. वह मृतक के साथ हूबहू मिल रही थी.
”आप चल कर पहले मृतक की लाश देख लीजिए, फिर हम बैठ कर बात करेंगे.’’
”ठीक है साहब.’’
एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल के साथ सब्जी मंडी मोर्चरी भेज दिया.
सब्जी मंडी मोर्चरी में उस अज्ञात युवक की लाश का पोस्टमार्टम नहीं किया गया था. युवक की लाश जब राहुल यादव और उस की भाभी पूजा को दिखाई गई तो लाश की पहचान उन्होंने अपने बड़े भाई और पति हितेंद्र के रूप में की.
लाश को देख कर दोनों रोने लगे. किसी तरह उन्हें शांत करवा कर हैडकांस्टेबल प्रशांत और ओमपाल वापस कोतवाली ले आए. एसआई सतेंद्र सिंह उन्हीं का इतंजार कर रहे थे. एसआई सतेंद्र सिंह ने दोनों को सामने बैठा कर पूछताछ शुरू की.
”पूजा, तुम्हारे पति हितेंद्र की लाश हमें रिंग रोड पर गीता कालोनी फ्लाईओवर के नीचे झाडिय़ों में मिली थी. तुम्हारे पति की हत्या हुई है, यह मेरा मानना है. हत्या कैसे हुई, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मालूम होगा. पहले यह बताओ वह क्या काम करते थे?’’
”साहब, वह किसी कंपनी में औडिट का काम करते थे. उस कंपनी ने उन्हें नोएडा से उत्तराखंड तक का एरिया औडिट के लिए दिया हुआ था, इसलिए वह अधिकतर समय घर से बाहर ही रहते थे. एक सप्ताह में एक बार ही वह घर आते थे.
”सर, पिछले 10 दिनों से वह घर नहीं आए थे. मुझे उन की चिंता सता रही थी. 8 दिन गुजर जाने पर वह घर नहीं आए थे, न उन का फोन लग रहा था. तब तब मैं ने राहुल को अपनी चिंता से अवगत करवाया.
”2 दिन तक यह उन के विषय में मालूम करता रहा, फिर मुझे ले कर छावला पुलिस स्टेशन आ गया. यहां से मालूम हुआ कि मेरे पति की किसी ने हत्या कर दी है.’’ पूजा कहने लगी, ”सर, मेरे पति की हत्या किस ने की, आप यह पता लगा कर उसे फांसी पर चढ़ाइए, तभी मेरे मन को तसल्ली मिलेगी.’’
”मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आप के पति के कातिल को कड़ी से कड़ी सजा मिले. आप मुझे बताइए, आप के पति हितेंद्र की किसी से कोई दुश्मनी थी, जो उस की मौत का कारण बनी.’’
”वह तो बहुत सीधेसादे थे, सर. उन का भला कौन दुश्मन होगा.’’ पूजा ने बताया.
”भाई साहब सचमुच बहुत सीधे इंसान थे. अपने आप में व्यस्त रहने वाले, लेकिन मुझे जेम्स और रौकी पर संदेह जा रहा है.’’ राहुल गंभीर हो कर बोला.
”यह जेम्स और रौकी कौन हैं?’’ एसआई सतेंद्र सिंह ने राहुल के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.
”भाई के गहरे दोस्त रहे हैं ये. आजकल इन का भाई के साथ पैसों के लेनदेन पर क्लेश चल रहा था.’’
”क्या तुम्हारे भाई ने इन लोगों से कर्ज लिया था?’’
”यह तो नहीं मालूम साहब, लेकिन इतना मालूम हुआ है कि जेम्स और रौकी भाई से एक लाख रुपए मांग रहे थे. उन्होंने भाई की कार भी इसी चक्कर में छीन रखी थी.’’
एसआई सतेंद्र सिंह ने सिर हिलाया, ”इन दोनों को चैक करना पड़ेगा. क्या तुम इन के पते ठिकाने जानते हो?’’
”हां साहब, इन 2 दिनों में मैं ने यही मालूम किया है. मुझे परमवीर उर्फ नमन उर्फ जेम्स के घर का पता मालूम है, वह खरबंदा प्रौपर्टीज के पास संत कबीर के सामने वाली गली, चंदर विहार, दिल्ली में रहता है.’’
”…और रौकी?’’
”इस का असली नाम हरजीत सिंह है. लोगों में रौकी नाम से मशहूर है. पिता का नाम सतविंदर सिंह है. यह सी-27, थर्ड फ्लोर, टैगोर गार्डन एक्सटेंशन, दिल्ली में रहता है.
”साहब, मेरे भाई हितेंद्र का एक गहरा दोस्त है मंजीत. मैं ने जब भाभी पूजा से सुना कि इस हफ्ते भाई घर नहीं आए हैं और उन का फोन भी स्विच्ड औफ आ रहा है तो मैं मंजीत से मिला. उस ने मुझे बताया कि 9 जनवरी, 2024 को भाई उस के साथ था. वे दोनों टैगोर गार्डन गए थे. वहां से भाई रौकी और जेम्स के साथ उन की गाड़ी में बैठ कर कहीं चला गया था. मंजीत अकेला घर लौट आया था.’’
”यह बहुत महत्त्वपूर्ण खुलासा किया है तुम ने.’’ एसआई सतेंद्र सिंह खुश हो कर बोले, ”मैं अब रौकी और जेम्स की गरदन नापता हूं. तुम अपनी भाभी को ले कर घर जाओ. जैसे ही पोस्टमार्टम हो जाएगा, तुम्हारे भाई की लाश तुम्हें अंतिम क्रिया के लिए मिल जाएगी.’’ एसआई सतेंद्र सिंह कुरसी छोड़ते हुए बोले. राहुल यादव अपनी भाभी को ले कर बाहर निकल गया.
एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह एसआई प्रशांत
हितेंद्र उर्फ हितु की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी. उस की मौत का कारण दम घुटना बताया गया, जिस से हत्या की संभावना बनती थी. एसआई सतेंद्र सिंह ने इस हत्या के मामले को आईपीसी की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया. उन्होंने उच्चाधिकारियों को अपनी तरफ से की गई अब तक की जांच का पूरा विवरण दे दिया.
एसीपी (कोतवाली) विजय सिंह और औपरेशन सेल के एसीपी धर्मेंद्र कुमार के नेतृत्व में एडिशनल डीसीपी (नौर्थ) श्वेता के. सुगाथन के निर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया.
इस टीम में जतन सिंह एसएचओ (कोतवाली), इंसपेक्टर नीरज कुमार, जगदीप सिंह, राज मलिक (औपरेशन सेल), एसआई रोहित सारस्वत, सतेंद्र सिंह कोतवाली, देवेंद्र, विनीत, योगेश कुमार, सुरेश कुमार, प्रीति, हैडकांस्टेबल अनिल, ओमपाल, सौरव, प्रशांत, कांस्टेबल रितु और राहुल को शामिल किया गया.