10 साल की सोनी रोज की तरह तैयार हो कर स्कूल पहुंची. उस की क्लास के मौनीटर ने उस से कहा कि उस के हाथ का नाखून काफी बढ़ा हुआ है, इसलिए डायरैक्टर साहब ने उसे अपने चैंबर में बुलाया है. सोनी के साथ उस की एक सहेली भी डायरैक्टर के चैंबर में पहुंची. डायरैक्टर ने सोनी की सहेली को क्लास में भेज दिया और उस के साथ जबरन अपना मुंह काला किया.
स्कूल की छुट्टी होने पर सोनी को स्कूल की गाड़ी से उस के घर पहुंचा दिया गया. सोनी की मां को बताया गया कि वह स्कूल में बेहोश हो गई थी. जब सोनी को होश आया, तो उस ने अपनी मां को सारी बातें बताईं. इस के बाद सोनी के परिवार वाले और आसपास के लोग स्कूल पहुंच गए और जम कर तोड़फोड़ की. डायरैक्टर को गिरफ्तार करने की मांग को ले कर सड़क जाम कर दी गई.
पटना के पुराने इलाके पटना सिटी के पटना सिटी सैंट्रल स्कूल, दर्शन विहार के डायरैक्टर पवन कुमार दर्शन की इस घिनौनी करतूत ने जहां एक ओर टीचर और स्टूडैंट के रिश्तों पर कालिख पोत दी है, वहीं दूसरी ओर मासूम बच्चियों की सुरक्षा पर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सच तो यह है कि मासूम बच्चियां स्कूल टीचर, प्रिंसिपल, ड्राइवर, खलासी, नौकर, चपरासी, पड़ोसी समेत करीबी रिश्तेदारों की घटिया सोच की शिकार हो रही हैं.
पटना हाईकोर्ट के सीनियर वकील उपेंद्र प्रसाद कहते हैं कि पहले लोग करीबी रिश्तेदारों और पड़ोसियों के पास अपने बच्चों को छोड़ कर किसी काम से बाहर चले जाते थे, पर आज ऐसा नहीं के बराबर हो रहा है. अपनों द्वारा भरोसा तोड़ने के बढ़ते मामलों की वजह से लोग पासपड़ोस में बच्चियों को छोड़ने से कतराने लगे हैं.