Bareilly Crime News : पति रामऔतार की आंखों में धूल झोंक कर नन्ही पति के दोस्त नरेंद्र के साथ हसरतें पूरी करती रही. उसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि नन्ही ने प्रेमी नरेंद्र के साथ मिल कर खुद अपना ही सिंदूर मिटा दिया…

के गांव पचैमी की रहने वाली नन्ही रामऔतार की पत्नी थी. उस का विवाह रामऔतार से करीब 15 साल पहले हुआ था. उस के 6 बच्चे थे. रामऔतार का गांव के ही इतवारी और उस के 2 बेटों से जमीन को ले कर विवाद हुआ तो वह पत्नी व बच्चों के साथ बदायूं के कलौरा गांव में परिवार के साथ आ कर रहने लगा. यहां वह एक ईंट भट्ठे पर काम करने लगा. काम करते रामऔतार की दोस्ती कलौरा गांव के ही नरेंद्र से हो गई. नरेंद्र भी उस के साथ ही काम करता था.

35 वर्षीय नरेंद्र अविवाहित था. वह अपने भाइयों में सब से बड़ा था. उस के पास खेती की कुछ जमीन थी, जिस पर वह खेती करता था. खेती करने से बचे समय में वह ईंट भट्ठे पर काम करता था. रामऔतार और नरेंद्र में दोस्ती करीब 2 साल पहले हुई थी. दोस्ती हुई तो नरेंद्र का रामऔतार के घर आनाजाना शुरू हो गया. आनेजाने के दौरान ही कुंवारे नरेंद्र को नन्ही का रूपरंग भा गया था. रामऔतार की गैरमौजूदगी में भी वह नन्ही का हालचाल जानने के बहाने उस के घर चला आता था. नन्ही उस की खूब आवभगत करती थी. नरेंद्र मंझे हुए खिलाड़ी की तरह अपना हर कदम आगे बढ़ा रहा था. जब भी वह रामऔतार के घर जाता, उस की नजरें नन्ही के इर्दगिर्द ही घूमा करती थीं. वह उस पर दिलोजान से लट्टू था. 6 बच्चों की मां बनने के बाद भी नन्ही में आकर्षण था. उस के इकहरे बदन में मादकता का बसेरा था.

नरेंद्र दोस्त की गैरमौजूदगी में नन्ही को कभीकभी तोहफा दे आता तो कभी रुपए दे कर खुश कर देता. उस के इस आत्मीय व्यवहार से नन्ही उस का खूब सत्कार करती और उस से खुल कर बातें करती थी. एक दिन दोपहर को जब नन्ही घर में अकेली थी, अचानक नरेंद्र उस के यहां पहुंच गया. हमेशा की तरह नन्ही ने उस का स्वागत किया और चाय बना कर दी. फिर हंसते हुए बोली, ‘‘आज आप की दोस्त से मुलाकात नहीं हो पाएगी. क्योंकि वह काम से बाहर गए हैं.’’

नरेंद्र के होंठों के कोनों पर शैतानी मुसकान आ बैठी, ‘‘कोई बात नहीं भाभी, असल में आज मैं तुम से ही मिलने आया था.’’

‘‘ऐसी क्या बात है कि आप को खास मुझ से मिलने की जरूरत आ पड़ी. बताओ, मैं किस काम आ सकती हूं.’’ वह बोली.

नन्ही का मन टटोलने के लिए नरेंद्र बोला, ‘‘वक्तबेवक्त अपनों का फर्ज बनता है कि अपनों की मदद करें. तुम्हें पता है कि मैं ने तुम्हारे लिए कभी अपना हाथ नहीं खींचा. आज उसी मदद का प्रतिदान मांगने आया हूं.’’

नरेंद्र ने बढ़ाया कदम नन्ही समझ नहीं पाई कि नरेंद्र कहना क्या चाहता है. वह बस इतना कह पाई, ‘‘आप कहिए तो, मैं आप के किस काम आ सकती हूं.’’

जवाब में नरेंद्र ने उस का हाथ पकड़ कर उसे अपनी बगल में बैठा लिया. फिर उस की जांघ पर हाथ रखते हुए उस के कान में बोला, ‘‘मैं ने मन से तुम्हारी मदद की, अब तुम तन से मेरी मदद कर दो.’’ कहने के साथ ही उस ने हाथ नन्ही की कमर में डाल कर उसे खुद से सटा लिया और उसे चूमते हुए बोला, ‘‘सच कहता हूं, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं. तुम्हें कसम है मेरे प्यार की, इनकार मत करना.’’

नन्ही हतप्रभ रह गई. उस ने नरेंद्र से हटने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे दोस्त की बीवी हूं. वह तुम पर बहुत विश्वास करते हैं. यह विश्वास टूटा तो दिल टूट जाएगा.’’

‘‘मैं तुम्हारे पति के विश्वास को कभी टूटने नहीं दूंगा. यकीन करो, हमारे बीच जो होगा, उसे मैं छिपा कर रखूंगा.’’ नरेंद्र ने कहा.

नन्ही के होंठ एक बार फिर बुदबुदाए, ‘‘कल जब यह भेद खुलेगा तो हम कहीं के नहीं रहेंगे.’’

‘‘भेद खुलेगा कैसे? मैं तुम्हें अपना समझता हूं. अब न मत करो.’’ उस के बाद नरेंद्र के हाथ नन्ही के बदन पर रेंगने लगे.

उस की हरकतों से नन्ही के विवेक पर भी परदा पड़ गया. नन्ही भी सारी मानमर्यादा भूल कर नरेंद्र के साथ अनैतिक रिश्ता बना बैठी. अपने स्त्री धर्म पर दाग लगा चुकी नन्ही को यह सब करने का पछतावा इसलिए अधिक नहीं हुआ क्योंकि अविवाहित नरेंद्र का साथ उसे बहुत अच्छा लगा था. औरत एक बार जब फिसलती है तो फिर फिसलन की राह पर जाने से अपने कदमों को रोक नहीं पाती. फिर नरेंद्र जैसा बहकाने वाला मर्द हो तो नन्ही जैसी औरतें कहां खुद को रोक पाती हैं. लिहाजा नन्ही और नरेंद्र के संबंधों का सिलसिला चल निकला.

नरेंद्र नन्ही को तोहफेऔर पैसे दे कर खुश रखता तो बदले में वह भी उसे खुश रखती. लेकिन अवैध संबंध कायम रखने में चाहे कितनी सावधानी क्यों न बरती जाए, एक दिन उन की पोल खुल ही जाती है. इन दोनों का राज भी खुल गया. दरअसल, एक दिन रामऔतार अपने काम से जल्दी लौट आया, उसे कुछ अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही थी. घर का मेनगेट खुला होने के कारण वह सीधा अंदर चला आया. उस ने अंदर का जो दृश्य देखा, वह जड़वत खड़ा रह गया. उस की बीवी नरेंद्र की बांहों में झूल रही थी. यह देखते ही रामऔतार की आंखों में खून उतर आया. वह चीखा तो दोनों हड़बड़ा कर अलग हो गए.

नरेंद्र तो तुरंत वहां से भाग खड़ा हुआ, नन्ही भला कहां भागती. वह अपराधबोध से नजरें झुकाए सामने खड़ी थी. रामऔतार ने लातघूंसों से उस की पिटाई करनी शुरू कर दी, ‘‘हरामजादी, मैं तेरी सुखसुविधाओं के लिए बाहर खट रहा हूं और तू गैरमर्द के साथ घर में गुलछर्रे उड़ा रही है. तूने एक बार मर्यादा के बारे में नहीं सोचा. कल जब तेरा कलंक गलीमोहल्ले वालों को पता लगेगा तो मैं सिर उठाने लायक रह पाऊंगा?’’

पति को गुस्से में जलता देख नन्ही ने त्रियाचरित्र दिखाया, ‘‘मैं ने बहुत विरोध किया लेकिन तुम्हारी गैरमौजूदगी में तुम्हारा दोस्त मेरे साथ जबरदस्ती पर आमादा हो गया था. घर में मुझे अकेला पा कर उस के हौसले और भी बढ़ गए. मोहल्ले वालों की मदद इसलिए नहीं ली कि बात गांव में फैलती तो और बदनामी हो जाती. मैं कसम खा कर कहती हूं कि मैं मजबूर थी.’’

नन्ही ने चालाकी से अपने आप को बचा लिया. उस दिन के बाद से नरेंद्र काफी दिनों तक रामऔतार के सामने नहीं पड़ा और न ही उस के घर गया. लेकिन जिस्म की आग भला कहां चैन लेने देती है. फिर से नरेंद्र रामऔतार के घर उस की गैरमौजूदगी में जाने लगा. लेकिन अब दोनों ही सावधानी बरतने लगे थे. 20 अगस्त, 2020 की रात रामऔतार छत पर सो रहा था. नन्ही नीचे कमरे में सो रही थी. रात सवा 11 बजे कुछ लोगों ने घर में घुस कर रामऔतार को गोली मार दी. रामऔतार की हुई हत्या गोली की आवाज सुन कर गांव के लोग घरों से जब तक बाहर निकलते, तब तक हमलावार वहां से भाग गए.

गोली की आवाज सुन कर नन्ही कमरे से बाहर निकली और छत की तरफ देखा तो उसे अनहोनी की आशंका हुई. वह सीढि़यां चढ़ कर छत पर गई तो अपने पति रामऔतार को मृत पाया. वह रोनेचिल्लाने लगी. गोली की आवाज सुन कर घर से निकले आसपड़ोस के लोगों ने रामऔतार के घर से रोने की आवाजें सुनीं तो वहां पहुंच गए. छत पर खून से लथपथ रामऔतार की लाश पड़ी हुई थी, वहीं पास बैठी नन्ही रो रही थी. उसी दौरान किसी ने 112 नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना पुलिस को दे दी. घटनास्थल दातागंज थाने में आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से इस की सूचना दातागंज थाने को दे दी गई.

सूचना पा कर थानाप्रभारी अजीत कुमार सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर उन्होंने लाश का निरीक्षण किया. रामऔतार के सीने में गोली लगने का घाव था. छत व आसपास की लोकेशन को देखने के बाद उन्होंने नन्ही से पूछताछ की. नन्ही ने बताया कि वह नीचे कमरे में सो रही थी. गोली चलने की आवाज सुन कर बाहर आई तो यहां कोई नहीं था, न किसी को उस ने वहां से भागते देखा. छत पर आई तो पति की लाश पड़ी मिली. किसी पर शक होने के बारे में पूछने पर उस ने बताया कि वह अपने पति के साथ बरेली के फरीदपुर के पचैमी गांव में रहती थी. वहां गांव के ही इतवारी और उस के बेटों कलट्टर और अर्जुन से उस के पति का जमीनी विवाद चल रहा था.

उस विवाद की वजह से ही वह पति के साथ यहां आ कर रह रही थी. नन्ही ने आरोप लगाया कि उन तीनों ने ही उस के पति को मारा है. आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर पुलिस को ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली, जो केस खोलने के काम आए. पूछताछ के बाद थानाप्रभारी अजीत कुमार सिंह ने लाश मोर्चरी भेज दी. फिर नन्ही को सुबह थाने आने को कह कर वापस थाने लौट गए. सुबह थाने पहुंच कर नन्ही ने इतवारी, कलट्टर और अर्जुन के खिलाफ भादंवि की धारा 302/34 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. थानाप्रभारी सिंह ने जांच शुरू की. सब से पहले उन्होंने तीनों नामजद लोगों के बारे में पता किया.

उन के फोन नंबर ले कर घटना की रात की लोकेशन की जांच की तो घटनास्थल तो क्या दूरदूर तक उन की लोकेशन नहीं मिली. इस से थानाप्रभारी को लगा कि दुश्मनी की आड़ में कोई और ही काम को अंजाम दे गया है. थानाप्रभारी अजीत सिंह की सोच यह थी कि गांव के या आसपास के ही किसी परिचित ने इस घटना को अंजाम दिया होगा. इसलिए थानाप्रभारी सिंह ने रामऔतार के दोस्तों और उस के घर आनेजाने वाले लोगों के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि गांव के नरेंद्र नाम के युवक से रामऔतार की अच्छी दोस्ती थी. वह दिन में उस के घर के कई चक्कर लगाता था.

आरोपियों ने स्वीकारा अपराध यह जानकारी मिली तो उन्होंने 26 अगस्त को नरेंद्र को शक के आधार पर हिरासत में ले लिया. जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म स्वीकार करते हुए हत्या में साथ देने वालों के नाम भी बता दिए. हत्या में उस का साथ मृतक की पत्नी नन्ही, नरेंद्र के सगे भाई मुकेश, मौसेरे भाई रिंकू, दोस्त रामनिवास और मुकेश ने दिया था. पुलिस ने उसी दिन नन्ही और रामनिवास व मुकेश को गिरफ्तार कर लिया. उन सभी से पूछताछ करने पर पता चला कि नन्ही और नरेंद्र रामऔतार की गैरमौजूदगी में सावधानी से मिल तो रहे थे लेकिन कई बार पकड़े जाने से बालबाल बचे थे. अब पकड़े जाने पर उन्हें रामऔतार की ओर से कोई खतरनाक कदम उठाए जाने का भी अंदेशा था.

वैसे भी जब से रामऔतार ने नन्ही को नरेंद्र के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देखा था, तब से वह वक्तबेवक्त घर आ धमकता था. उस के घर आने का खौफ दोनों के दिमाग पर हावी रहने लगा. ऐसे में वे दोनों ठीक से मिल भी नहीं पाते थे. इसलिए रामऔतार नाम के खौफ को हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से मिटाने का उन दोनों ने फैसला कर लिया. रामऔतार की हत्या में साथ देने के लिए नरेंद्र ने अपने सगे भाई मुकेश, मौसरे भाई रिंकू, दोस्त रामनिवास निवासी गांव मलौथी थाना दातागंज और दोस्त मुकेश निवासी गांव छेदापट्टी, जिला शाहजहांपुर को तैयार कर लिया. सब के साथ मिल कर नरेंद्र ने हत्या की योजना बनाई. योजना बना कर नन्ही को नरेंद्र ने पूरी योजना के बारे में बता दिया.

20 अगस्त की रात जब रामऔतार छत पर सो रहा था. नन्ही नीचे कमरे में जागी हुई उस का इंतजार कर रही थी. रात सवा 11 बजे नरेंद्र अपने साथियों के साथ रामऔतार के घर पहुंच गया और नन्ही द्वारा रामऔतार के छत पर सोने की बात बताने पर सभी छत पर पहुंच गए और सोते हुए रामऔतार के सीने पर गोली मार दी. गोली लगते ही रामऔतार ने दम तोड़ दिया. इस से पहले कि कोई वहां आए, वे लोग वहां से फरार हो गए. नन्ही योजना के अनुसार कुछ देर बाद छत पर जा कर रोनेचिल्लाने लगी. वे हत्या करने की अपनी योजना में तो सफल हो गए, लेकिन अपने आप को बचाने में सफल नहीं हो पाए और पकड़े गए. थानाप्रभारी अजीत कुमार सिंह ने मुकदमे में धारा 120बी और बढ़ा दी. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त तमंचे के साथ एक और तमंचा बरामद कर लिया.

कागजी खानापूर्ति करने के बाद चारों अभियुक्तों नन्ही, नरेंद्र, रामनिवास और मुकेश को सक्षम न्यायालय में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक नरेंद्र का भाई मुकेश और मौसेरा भाई रिंकू फरार थे, पुलिस सरगर्मी से उन की तलाश कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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