20 जून, 2014 को सुबह से ही भीषण गरमी थी. सुबह के 11 बजे के आसपास उत्तराखंड के जिला हरिद्वार के कुंभ मेला  नियंत्रण कक्ष के बाहर काफी भीड़ जमा थी. क्योंकि थोड़ी देर बाद वहां हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डा. सदानंद दाते 2 साल पहले महानिर्वाणी अखाड़े के श्रीमहंत सुधीर गिरि हत्याकांड का खुलासा करने वाले थे. इसलिए वहां के साधुसंत, राजनेता, पत्रकार और अन्य लोग तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे.

श्रीमहंत की हत्या 14 अप्रैल, 2012 की रात को उस समय हुई थी, जब वह कार से हरिद्वार से गांव बेलड़ा स्थित अपने महानिर्वाणी अखाड़े जा रहे थे.  38 वर्षीय युवा श्रीमहंत सुधीर गिरि की हत्या हुए 2 साल से भी ज्यादा का समय बीत चुका था, मगर उन के हत्यारों का पुलिस को पता नहीं चल सका था. इसलिए संत समाज में पुलिस के प्रति काफी रोष था.

हत्या के वक्त रुड़की के थानाप्रभारी कुलदीप सिंह असवाल थे, जो काफी तेजतर्रार थे. उन्होंने भी इस मामले में दरजनों संदिग्धों से पूछताछ की थी. सर्विलांस के माध्यम से भी उन्होंने हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की थी, मगर उन्हें सफलता नहीं मिली थी.

इस के बाद इस केस को सुलझाने के लिए थाना ज्वालापुर, पथरी, कनखल के थानाप्रभारियों और देहरादून की एसटीएफ टीम को लगाया गया था, लेकिन वे भी पता नहीं लगा सके थे कि श्रीमहंत का हत्यारा कौन है. मीडिया ने भी इस मामले को काफी उछाला था, फिर भी यह केस नहीं खुल सका था. इस मामले के खुलने की किसी को कोई उम्मीद भी नहीं थी.

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