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सुमन भी बच्ची नहीं थी, जो वह अवधेश की नजरों को न पहचानती. धीरेधीरे उसे अवधेश का इस तरह ताकना अच्छा लगने लगा था. अब तक सुमन 23 साल की हो चुकी थी. आकर्षक कदकाठी की सुमन बहुत अच्छी लगती थी. अवधेश तो पहली ही मुलाकात में उसे दिल दे चुका था. लेकिन सुमन को इस बात की जानकारी देर से हुई थी.

एक दिन सुमन अवधेश के पास किसी काम से गई तो वह उसे टकटकी लगाए देखता रहा. तब सुमन ने उसे टोका, ‘‘सर, आप मुझे इस तरह क्यों ताक रहे हैं?’’

अवधेश चाह कर भी दिल की बात नहीं छिपा सका. सुमन ने जब दोबारा अपना सवाल दोहराया तो उस ने सुमन का हाथ थाम कर दिल की बात कह दी, ‘‘सुमन, मैं तुम से प्यार करने लगा हूं. अगर तुम जैसी सुंदर लड़की मेरे जीवन में आई होती तो शायद मैं दुनिया का सब से खुशकिस्मत इंसान होता. लेकिन अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. अगर तुम चाहो तो मेरी यह जिंदगी अभी संवर सकती है.’’

‘‘सर, आप यह कैसी बातें कर रहे हैं. कहां आप और कहां मैं. फिर आप शादीशुदा ही नहीं, बालबच्चेदार हैं. अगर आप की पत्नी और बच्चों को इस बारे में पता चल गया तो वे मेरे और आप के बारे में क्या सोचेंगे.’’ सुमन ने कहा.

‘‘तुम्हें इस की चिंता करने की जरूरत नहीं है. उन्हें कभी पता ही नहीं चल पाएगा. तुम सिर्फ यह बताओ कि तुम मुझ से प्यार करती हो या नहीं?’’ अवधेश ने कहा.

सुमन ने हामी में सिर हिला दिया तो अवधेश ने उस का हाथ अपनी दोनों हथेलियों के बीच ले कर सहलाते हुए कहा, ‘‘सुमन, तुम कितनी अच्छी हो. अब देखना मैं तुम्हारे लिए क्याक्या करता हूं. तुम्हें मैं वह हर खुशी दूंगा, जो अब तब तुम्हें नहीं मिली.’’

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