कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिस में डा. समीर सर्राफ द्वारा किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ. कार्डियोलौजी विभाग की पैथ लैब में एक से डेढ़ साल का सामान होने के बावजूद डा. समीर सहित भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों ने 2019 में मनमानी कर करीब एक करोड़ की गैरजरूरी खरीद कर डाली थी.
विश्वविद्यालय प्रशासन की जांच से इस बात की पुष्टि होने पर तत्कालीन कुलपति ने भुगतान पर रोक लगा दी. जनवरी, 2020 से ही डा. समीर सर्राफ द्वारा खरीदा गया सामान विश्वविद्यालय के स्टोर में अभी भी रखा हुआ है. मगर पिछले 2 सालों से कभी भी इस का इस्तेमाल नहीं किया गया. अब ये सामान एक्सपायर होने वाला है.
डा. समीर सर्राफ ने भ्रष्टाचार की सभी सीमाएं पार कर डाली थीं. एक तरफ उस ने मरीजों से धोखाधड़ी कर घटिया पेसमेकर लगा दिए और इस के एवज में मरीजों से अधिक पैसा भी वसूला तो दूसरी तरफ उस ने प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत योजनाÓ के तहत भरती हुए मरीजों से भी ज्यादा पैसा वसूल किया.
7 फरवरी, 2022 को प्रोफेसर (डा.) आदेश कुमार, चिकित्सा अधीक्षक यूपीयूएमएस सैफई, इटावा द्वारा सैफई थाने में डा. समीर सर्राफ पुत्र जितेंद्र सर्राफ निवासी सिविल लाइंस, जनपद ललितपुर, तत्कालीन असिस्टेंट प्रोफेसर कार्डियोलौजी विभाग यूपीयूएमएस सैफई, इटावा के खिलाफ अनावश्यक आर्बिटरी खरीद, पेसमेकर धोखाधड़ी, अनावश्यक विदेश यात्राएं, गहन भ्रष्टाचार कर के सैफई आयुर्वेद विश्वविद्यालय को लाखों रुपए की वित्तीय हानि तथा मरीजों को भी धोखाधड़ी का शिकार बनाए जाने के संबंध में मुकदमा दर्ज कराया गया.
यह मुकदमा धारा 7/8/9/13/14 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 व भादंवि की धारा 467/468/471 और 420 के तहत दर्ज कर लिया गया.