डा. समीर ने कई मरीजों को क्यों लगाए यूज्ड पेसमेकर
उत्तर प्रदेश के इटावा की रहने वाली 46 साल की नूरबानो को अचानक दिल का दौरा पड़ा. घर वाले फौरन उसे ले कर सैफई के आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के अस्पताल में ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे पेसमेकर लगाने की सलाह दी.
लेकिन हद तो तब हो गई कि औपरेशन के बाद सर्जन डा. समीर सर्राफ ने पेसमेकर सीने के अंदर नहीं, बाहर ही चिपका कर छोड़ दिया. इस के बाद नूरबानो के साथसाथ उस के घर वाले भी करीब 24 महीने तक इस पेसमेकर से जूझते रहे और आखिरकार नूरबानो की मौत हो गई.
इटावा की ही रहने वाली 40 साल की नजीमा को भी दिल की बीमारी थी. उस के परिवार वालों ने उसे साईं मैडिकल यूनिवर्सिटी हौस्पिटल में भरती करवाया. उस के इलाज में करीब 4 लाख रुपए खर्च किए. उसे भी डा. समीर सर्राफ ने पेसमेकर लगाया, मगर अंत में नजीमा की भी जान चली गई.
आमतौर पर मरीज डाक्टर पर आंखें मूंद कर विश्वास करते हैं, लेकिन जब कोई डाक्टर चंद नोटों की खातिर अपने पेशे से ही गद्दारी करने लगे, लोगों की जिंदगी को ही दांव पर लगा दे तो कोई क्या ही कर सकता है. डा. समीर सर्राफ की गिरफ्तारी के बाद ऐसी ऐसी हैरतअंगेज कहानियों का खुलासा हो रहा है कि जांच करने वाली पुलिस के साथसाथ समूचा देश भी हैरान हो कर रह गया.
इटावा के एसएसपी संजय कुमार वर्मा के अनुसार, पुलिस को अब तक की जांच में पता चला है कि डा. समीर सर्राफ ने कुछ मामलों में तो मरीजों को यूज्ड यानी कि इस्तेमाल किए गए पेसमेकर ही धोखे से लगा डाले थे.