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‘‘मैं जानता हूं एमबीबीएस करने के लिए अस्सीनब्बे लाख रुपया चाहिए. यह कोर्स अमीर लोग ही अपने बेटों को करवा सकते हैं. हम लोग यह कोर्स करने का सपना भी नहीं देख सकते, लेकिन अब हमारे लिए एक रास्ता खुल गया है.’’

‘‘कैसा रास्ता?’’ चंद्रेश ने राजवीर की ओर प्रश्नसूचक दृष्टि से देखा.

‘‘गौतमबुद्ध नगर में एक औफिस खुला है. वे एमबीबीएस के लिए संबंधित कालेज में केवल 15 लाख में एडमिशन दिलवा देते हैं.’’

‘‘15 लाख, यह तो ज्यादा है.’’ चंद्रेश की आवाज में निराशा झलकी.

‘‘अबे, 80-90 लाख से तो ठीक है. तेरा सपना अगर 15 लाख रुपए में पूरा हो जाए तो और क्या चाहिए. डाक्टर बन कर कालेज से बाहर आओगे तो ऐसे कितने ही 15 लाख कमा लोगे.’’

‘‘कहता तो तू ठीक है, बोल कब चलेगा उस औफिस में?’’

‘‘कल चलते हैं. मैं आज दोस्त से उस औफिस का एड्रैस कंफर्म कर लूंगा. मुझे भी एमबीबीएस करना है.’’

‘‘ठीक है, मैं कल तुम्हें 9 बजे तुम्हारे घर पर मिलता हूं.’’ चंद्रेश ने उठते हुए कहा.

शाम को उस ने घर पहुंच कर इंटरव्यू में धोखाधड़ी होने की बात अपनी भाभी रमा को बता दी थी. भाभी तब बहुत निराश हो गई थीं.

वह सोचता था, ‘क्या उस ने 10-12 हजार की नौकरी पाने के लिए बीएससी की थी?’

जैसेतैसे वह रात कटी. चंद्रेश ने जल्दी से बिस्तर छोड़ा. नित्यकर्म से फारिग होने के बाद उस ने चायनाश्ता किया और तैयार हो कर वह 8 बजे ही घर से निकल गया.

9 बजे से पहले ही वह राजवीर के घर पहुंच गया. उसे हैरानी हुई कि राजवीर पहले से ही तैयार हो कर उस का इंतजार कर रहा था.

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