कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

नईनवेली मनपसंद दुलहन साथ हो तो दुनिया की हर शय, हर नजारा, हर जगह खूबसूरत लगने लगती है. मौका हनीमून का हो और जगह गोवा का  समुद्र तट तो फिर तो कहने ही क्या. …बलखाती समुद्र की लहरें. शीतल मंद बयार में झूमते नारियल के पेड़. छतरीदार पेड़ों से छन कर आए चुलबुले बालकों की तरह धरती पर लोटते धूप के टुकड़े. कहीं रंगीन रेस्तराओं के बाहर बड़ेबड़े छातों के नीचे गोल मेज के इर्दगिर्द सिमटे देशीविदेशी पर्यटक तो कहीं समुद्र किनारे खुले आसमान के नीचे रेत पर मस्ती में लेटी अर्धनग्न विदेशी सुंदरियां.

कहीं सजीधजी नावों और स्टीमरों पर समुद्र की सैर करते सैलानी तो कहीं समुद्र तटों पर हंसीठिठोली के साथ नहाते युवकयुवतियां. मस्ती ही मस्ती. ऊपर से मौसम अगर वसंत का हो तो फिर कहना ही क्या. सुबह की बेला में उगते सूरज का मनोहारी दृश्य हो या शाम के सूर्यास्त का समां, रंगरंगीले गोवा का हर दृश्य देख तनमन में मस्ती की लहर दौड़ जाती है. लगता है जैसे धरती पर स्वर्ग उतर आया हो.

अनुज और सोनम जब हनीमून मनाने गोवा पहुंचे तो उन्हें भी ऐसा ही लगा जैसे स्वर्ग में आ गए हों. कहां दिल्ली की शोरशराबे और प्रदूषण से आजिज मशीनी जिंदगी और कहां गोवा का सौंदर्य और शांति. आधे से अधिक दिन तो मुंबई से गोवा पहुंचने में ही निकल गया था. शाम को अंजुना बीच पर थोड़ा घूमने और समुद्र की चंचल लहरों के साथ थोड़ी मस्ती करने के अलावा उस दिन वे गोवा की रंगीन फिजाओं का ज्यादा आनंद नहीं ले सके.

लेकिन अगले दिन उन्होंने मनमाफिक मस्ती में गुजारा. गोवा में वह सब तो था ही जो मुंबई और दिल्ली जैसे महानगरों में होता है— एक से एक बढि़या रेस्तरां, क्रीड़ागृह, बड़ेबड़े होटल, बार, डिस्कोथेक और सजीधजी दुकानें. लेकिन दिल को मोहने वाले प्राकृतिक नजारों के अलावा वहां बहुत कुछ ऐसा भी था, जो दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों में नहीं होता.

मसलन केरल की नावों जैसे फ्लोटिंग पैलेस (तैरते महल), बलखातीं लहरें, दूर तक फैली रेत, हवा में झूमते झुकेझुके नारियल के पेड़ और बसंती बयार के साथ खेलती खिलीखिली चमकीली धूप. उस दिन उन दोनों ने खूब सैरसपाटा किया. लहरों से खेले, बीच पर नहाए, रेत में लेटे और बीच पर खुले रेस्तरां में खाना खाया.

अनुज और सोनम की शादी एक महीना पहले हुई थी. अनुज दिल्ली का रहने वाला था जबकि सोनम सिरसा, हरियाणा के एक संपन्न परिवार की बेटी. अनुज और सोनम की शादी दोनों परिवारों की सहमति से खूब धूमधाम से हुई थी.

अनुज के पिता चंद्रप्रकाश का दिल्ली में अपना व्यवसाय था. उन के 2 बेटों अनुज और नमित में अनुज बड़ा था. उस ने दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया था. पढ़ाई पूरी कर के वह पिता के काम में हाथ बंटाने लगा था. अनुज और सोनम को हनीमून के लिए गोवा जाना है, यह शादी के बाद ही तय हो गया था. रिजर्वेशन सहित उन के जाने की पूरी तैयारी कर दी गई थी.

अनुज के रिश्ते के एक चाचा विजयकरण मुंबई में रहते थे. अनुज और सोनम को मुंबई स्थित उन के घर जा कर रुकना था और वहां से गोवा जाना था. गोवा में उन के ठहरने और घूमने के लिए कार का इंतजाम करने की जिम्मेदारी विजयकरण ने ले रखी थी.

अनुज और सोनम दिल्ली से राजधानी एक्सप्रेस पकड़ कर मुंबई पहुंचे और अंधेरी स्थित विजयकरण के घर ठहरे. वहां इस नवदंपति का खूब स्वागत हुआ. विजयकरण ने अनुज और सोनम के मुंबई घूमने के लिए कार और ड्राइवर का इंतजाम कर दिया था. 3 दिन तक पतिपत्नी मुंबई की खासखास जगहों पर घूमे.

3 दिन मुंबई में रुकने के बाद अनुज और सोनम को गोवा जाना था. गोवा में विजयकरण के एक दोस्त विनोद अत्री सरकारी नौकरी में बड़े पद पर तैनात थे. विजयकरण ने उन्हें फोन कर के दोनों के लिए सेंट पैड्रो क्षेत्र में स्थित होटल में कमरा बुक करा दिया था.

साथ ही उन्होंने अपने दोस्त विनोद को कह भी दिया था कि वे बच्चों के घूमने के लिए कार और ड्राइवर का इंतजाम कर दें. अनुज को उन्होंने विनोद अत्री का फोन नंबर दे कर समझा दिया था कि गोवा पहुंच कर वह अपने वहां पहुंचने की सूचना उन्हें दे दे. वे कार और ड्राइवर भेज देंगे.

अनुज और सोनम बस द्वारा गोवा के लिए रवाना हो गए. उस समय उन के पास 50 हजार रुपए नकद और लगभग 2 लाख रुपए के जेवरात थे. गोवा के सेंट पैड्रो इलाके के एक होटल में अनुज और सोनम के लिए कमरा बुक था. बस से उतर कर वे सीधे होटल पहुंच गए और जाते ही विनोद अत्री को फोन कर दिया.

विनोद ने दोनों के घूमने के लिए ड्राइवर सहित कार भेज दी. उस दिन शाम को अनुज और सोनम अंजुना बीच घूमने गए. सफर की थकान थी, इसलिए उस दिन वे एकडेढ़ घंटे से ज्यादा नहीं घूम सके. ड्राइवर ने उन्हें होटल में छोड़ दिया और सुबह को आने की कह कर चला गया.

घर वालों के निर्देशानुसार अनुज और सोनम रोज शाम को अपनेअपने घर फोन करते थे. उस दिन भी उन्होंने दिल्ली और सिरसा फोन किए. साथ ही मुंबई फोन कर के विजयकरण को भी बता दिया कि वे लोग गोवा पहुंच गए हैं.

अगले दिन ड्राइवर कार ले कर होटल आ गया. उस दिन अनुज और सोनम ने गोवा की खूबसूरत वादियों और अंजुना व बामा बीच पर रेत की सतह पर चादर सी बिछाती समेटती लहरों का आनंद लिया. उन का वह पूरा दिन मौजमस्ती में गुजरा. लग रहा था जैसे कंकरीट के जंगल से निकल कर जन्नतएबहिश्त के किनारे आ बैठे हों.

मखमली रेत पर बैठ कर वे दोनों सिर से सिर जोड़े घंटों समुद्र की बलखाती लहरों को निहारते रहे. समुद्र तट पर गुनगुनी धूप में लेटे उन विदेशी पर्यटकों को देखते रहे जो भारतीय मिट्टी में अपनी संस्कृति की गंध घोलने का प्रयास कर रहे थे. हनीमून का वह दिन उन के लिए यादगार बन गया.

अगले दिन सुबह को विनोद अत्री का ड्राइवर पिछले दिनों की तरह कार ले कर होटल पहुंच गया. अनुज और सोनम लगभग साढ़े 10 बजे होटल से निकले. इधरउधर घूमते हुए वे दोनों अंजुना बीच पहुंचे. कार अस्थाई पार्किंग में लगवाने के बाद दोनों बीच पर चले गए. ड्राइवर कार में बैठा उन के लौटने का इंतजार करता रहा.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...