एक नहीं, बल्कि कई बार डा. रिपुदमन सिंह भदौरिया के दिल में यह खयाल आया था कि बैंक खाते से सारी जमापूंजी निकाल कर और कुछ यहां वहां से जुगाड़ कर 10 लाख रुपए इकट्ठा करे और दे मारे उस कमबख्त ब्लैकमेलर राजाबाबू के मुंह पर, जिस के एक फोन और सीडी ने उन के दिन का चैन और रातों की नींद छीन रखी है.
सोतेजागते, उठतेबैठते और खातेपीते एक ही डर उन के दिलोदिमाग में समाया था कि उन की और उस महाकमबख्त मनीषा की रंगरलियों वाली सीडी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई तो क्या होगा. इतना सोचते ही उन के हाथपैर फूल जाते और दिमाग सुन्न हो जाता था.
उन के दिमाग में यह बात भी आई कि अगर सीडी वायरल हो गई तो उन के सारे यारदोस्त, नातेरिश्तेदार, जानपहचान वाले ही नहीं, अंजान लोग भी ढूंढढूंढ कर उन्हें नफरत और तरस भरी निगाहों से देखेंगे. वे उन की खिल्ली उड़ाते हुए कहेंगे कि यही है वह डाक्टर, जो मरीज ठीक करने के बहाने औरतों से अय्याशी करता है.
लानत है इस सरकारी डाक्टर पर, इस के पास तो महिलाओं को ले जाना ही खतरे वाली बात है. यह तो अच्छा करने के बजाय उन्हें हमेशा के लिए बिगाड़ देता है. मरीजों के ब्लडप्रेशर का इलाज करने वाले डा. रिपुदमन सिंह का ब्लडप्रेशर उस वक्त और बढ़ जाता, जब वह सोचते कि हकीकत सामने आने पर सरकार उन्हें सस्पैंड कर के उन का मैडिकल प्रैक्टिस का लाइसेंस भी रद्द कर सकती है.
अगर ऐसा हो गया तो वह किसी काम के नहीं रहेंगे. उन की पूरी मेहनत और इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी. लोग भी उन से कतराने लगेंगे. यारदोस्त भी उन से कन्नी काटने लगेंगे. ब्लैकमेलर राजाबाबू ने उन से जो 10 लाख रुपए मांगे थे, उन के लिए खास बड़ी रकम नहीं थी, पर खौफ और डर इस बात का था कि ये 10 लाख रुपए उसे दे भी दें तो इस बात की क्या गारंटी कि वह उन का पिंड छोड़ देगा.