Himachal Crime : शिमला का बहुचर्चित युग गुप्ता हत्याकांड एक ऐसा केस था, जिस की सुनवाई पिछले डेढ़ साल से फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी. इस केस के फैसले पर राज्य की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की निगाहें टिकी थीं. आखिर...
शिमला के जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंदर सिंह की अदालत में अंदर और बाहर 6 अगस्त, 2018 को लोगों की भीड़ को देख ऐसा लग रहा था जैसे पूरा शिमला शहर ही कचहरी में उमड़ आया हो. अदालत परिसर के अंदर व बाहर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए थे और अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किया गया था. दरअसल, उस दिन 4 वर्षीय युग गुप्ता के अपहरण और हत्या का फैसला सुनाया जाना था. युग का अपहरण 4 करोड़ रुपए की फिरौती के लिए किया गया था. लेकिन फिरौती की रकम न मिलने के कारण अपहर्त्ताओं ने मासूम की हत्या कर दी थी.
युग के परिजनों के अलावा पूरे राज्य को करीब पौने 2 साल से अदालत के इस फैसले का इंतजार था. यह शायद देश का एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक फैसला था, जिसे सुनने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री भी अदालत पहुंचे थे.अपहर्त्ता कौन थे और उन्होंने युग का अपहरण कर उसे कितनी दर्दनाक मौत दी, जानने के लिए पूरी कहानी समझनी होगी. अचानक युग हुआ गायब बात 14 जून, 2014 की है. राजधानी शिमला के रामबाजार से एक व्यापारी विनोद कुमार गुप्ता का 4 वर्षीय बेटा युग लापता हो गया था. विनोद गुप्ता शहर के जानेमाने व्यापारी थे. शहर में उन की किराने की थोक दुकानें और गारमेंट का बिजनैस था. स्थानीय सदर थाना पुलिस ने मामले की जांच शुरू की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. बाद में नगरवासियों का आक्रोश देखते हुए यह मामला सीबीसीआईडी को सौंप दिया गया था.