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“भैया, दरवाजा खोलो.’’ गेट की कुंडी खटखटाते हुए मोहिनी ने तेज आवाज में कहा.

घर के अंदर से कोई आवाज नहीं आई तो मोहिनी ने और तेज आवाज लगाते हुए एक बार फिर दरवाजे की कुंडी खटखटाई. इस बार घर के अंदर से किसी पुरुष की आवाज आई, ‘‘कौन है?’’

‘‘भैया, मैं हूं.’’ मोहिनी ने बाहर से जवाब दिया.

इस के बाद घर के अंदर से किसी के चल कर आने की पदचाप सुनाई दी तो मोहिनी आश्वस्त हो गई.

दरवाजा श्याम सिंह ने खोला. गेट पर छोटी बहन मोहिनी को देख कर उस ने पूछा, ‘‘मोहिनी, रात को आने की ऐसी क्या जरूरत पड़ गई. घर पर मम्मीपापा तो सब ठीक हैं न?’’

‘‘भैया, मम्मीपापा तो सब ठीक हैं, लेकिन बड़ी दीदी ठीक नहीं हैं.’’ मोहिनी ने चिंतित स्वर में कहा, ‘‘भैया, अंदर चलो. मैं सारी बात बताती हूं.’’ मोहिनी श्याम सिंह को घर के अंदर ले गई.

श्याम सिंह ने पहले घर का दरवाजा बंद किया, फिर मोहिनी को ले कर अपने कमरे में आ गया. मोहिनी से कमरे में बिछी चारपाई पर बैठने को कह कर वह उस के लिए मटके से पानी का गिलास भर कर ले आया. गिलास मोहिनी के हाथ में देते हुए श्याम सिंह ने कहा, ‘‘मोहिनी, तुम पहले पानी पी लो, फिर बताओ ऐसी क्या बात हुई, जिसे ले कर तुम परेशान हो.’’

मोहिनी एक ही बार में पूरा पानी पी गई. फिर लंबी सांस ले कर कुछ देर चुपचाप बैठी रही. मोहिनी को चुप बैठा देख श्याम सिंह बेचैन हो गया. उस ने मोहिनी के सिर पर स्नेह से हाथ रख कर पूछा, ‘‘आखिर बात क्या है?’’

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