राजस्थान का जिला जैसलमेर मेहमानों की आवभगत के लिए प्रसिद्ध है. महारावल जैसल द्वारा त्रिकुट पहाड़ी पर बनवाए गए यहां के सोनार दुर्ग को देख कर अनुमान लगाया जा सकता है कि उस जमाने में जैसलमेर कितना भव्य नगर रहा होगा.

इस के साथ ही स्वर्णनगरी कहे जाने वाले जैसलमेर के इतिहास के पन्नों की सच्चाई पर यहां की स्वर्ण जैसी आभा वाले पीले पत्थरों से बनी हवेलियां और छतरियां भी इस शहर के स्वर्णिम काल पर मोहर लगाती हैं. शायद यही कारण है कि मरुभूमि वाले इस शहर को देखने हर साल दुनिया भर के लाखों पर्यटक आते हैं. जैसलमेर की भव्यता और नगर के आसपास फैले रेत के धोर किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं.

पर्यटकों के आगमन की वजह से यहां करीब 200 होटल और रेस्टोरेंट हैं. अक्तूबर से मार्च तक यहां के होटल और रेस्टोरेंट पर्यटकों से गुलजार रहते हैं. दरअसल, सच यह है कि चारों ओर रेतीले धोरों से घिरे जैसलमेर के ज्यादातर लोगों की आय का साधन पर्यटन ही है.

यहां के सम और खुहड़ी के रेतीले धोरों पर कैमल सफारी का अलग ही आनंद है. इसी रोमांच की ओर आकर्षित हो कर विदेशी पर्यटक यहां आते हैं. कैमल सफारी की वजह से यहां के ऊंट पालकों को भी अच्छी आय हो जाती है.

जैसलमेर जिले की एक तहसील है पोकरण, जिसे परमाणु परीक्षण की वजह से पोखरण भी कहा जाता है. दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के समय में भारत ने 11 से 13 मई, 1998 के बीच पोखरण परमाणु स्थल पर 5 परमाणु परीक्षण कर के दुनिया भर में तहलका मचा दिया था.

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