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हत्या के विरोध में लोगों ने किया आंदोलन

बहरहाल, पत्रकार और एक्टीविस्ट अविनाश झा की निर्मम हत्या के विरोध में विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का शांतिपूर्ण आंदोलन चरम पर था. उस के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही थी. उस से शहर की शांति व्यवस्था उथलपुथल हो चुकी थी.

इस बीच, अविनाश का पोस्टमार्टम कर के उस का पार्थिव शरीर घर वालों को सौंप दिया गया था, लेकिन घर वालों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने हत्यारों के गिरफ्तार होने तक उस का अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया.

एसपी डा. सत्यप्रकाश जानते थे कि जब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा, शहर की कानूनव्यवस्था बिगड़ती जाएगी. उन्होंने एसडीपीओ (बेनीपट्टी) अरुण कुमार सिंह के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल अविनाश के घर उन्हें समझाने के लिए भेजा कि अविनाश के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा, उस का अंतिम संस्कार कर दें.

एसपी सत्यप्रकाश के आश्वासन पर मृतक के घर वालों ने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. इधर अविनाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी थी. रिपोर्ट में उस की मौत का कारण सिर में गहरी चोट लगना बताया गया था. साथ ही मौत 72 से 80 घंटे पहले होनी बताई गई.

यानी जिस दिन अविनाश रहस्यमय ढंग से गायब हुआ था, उसी दिन उस की हत्या हो चुकी थी. पुलिस ने अविनाश के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर गहन अध्ययन किया. काल डिटेल्स में रात के 9 बज कर 58 मिनट पर आखिरी बार किसी को काल आई थी.

जब पुलिस ने अविनाश के न्यूज पोर्टल औफिस में लगे सीसीटीवी कैमरे को चैक किया तो उस समय भी फुटेज में यही समय हो रहा था जब काल रिसीव करते हुए अविनाश बाहर निकल रहा था. उस के बाद वह घर नहीं लौटा था.

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