जमीन को ले कर हुए झगड़े ने एक बार फिर सदियों पुराने जातीय विद्वेष को उभार दिया है. घटना किसी दूरदराज इलाके में नहीं, देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा गाजियाबाद के कनावनी गांव में हुई. घटना के बाद हमेशा की तरह औपचारिक सरकारी प्रशासनिक कर्मकांड शुरू हो गया है. पुलिस, पीएसी फोर्स की गश्त, मानवाधिकारवादियों के दौरे, मीडिया रिपोर्टें और पीडि़तों के रोनेधोने, कोसने और दोषारोपण के दौर चले.\

28 अप्रैल की सुबह करीब 9 बजे गांव में 70 गज की जमीन के एक टुकड़े को ले कर समझौते के लिए गुर्जर और दलित समुदाय के लोग पूर्व प्रधान देशराज कसाना के यहां जुटे थे. इस जमीन पर देशराज गुर्जर और चमन सिंह अपनाअपना दावा कर रहे थे. दोनों पक्षों के बीच पहले भी इस जमीन को ले कर झगड़ा हुआ था और मामला कोर्ट में लंबित है.

देशराज ने विवादित जमीन पर कुछ निर्माण करा लिया और दावा किया कि उस ने यह जमीन एक ग्रामीण से खरीदी थी. इस पर चमन सिंह ने विरोध किया. दोनों के बीच जबानी बहस हुई. सो, दोनों समुदायों के लोग जुटे. समझौता नहीं हुआ तो दोनों ओर से पत्थरबाजी और फिर फायरिंग हुई. देशराज के भतीजे राहुल की गरदन में गोली लगने से मौत हो गई. दोनों ओर के दर्जनभर लोग घायल हो गए. करीब 2 घंटे तक चले संघर्ष में दर्जनों राउंड गोलियां चलीं. घटना के बाद इस प्रतिनिधि ने गांव का जायजा लिया.

दलित-गुर्जर झगड़ा

गौतमबुद्धनगर के कनावनी गांव में सन्नाटा पसरा था. गांव में प्रवेश करने से करीब 500 मीटर पहले चौक पर पुलिस के दर्जनभर जवान इक्कादुक्का आनेजाने वालों पर नजर रखे दिखे. सामने दूर से दिखाई दे रहे गांव के पूर्व प्रधान देशराज कसाना के बड़े से मकान के बाहर लगे टैंट में 15-20 लोग मातम की मुद्रा में बैठे थे.

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