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दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में नौकरी करने वाली रितु बजाज 25 जून, 2014 को शाम 6-सवा 6 बजे अपने  औफिस से घर पहुंचीं तो उन्हें फ्लैट का बाहरी गेट बंद मिला. घर पर उन के पति तरुण बजाज के अलावा नौकर राहुल रहता था. दरवाजा खुलवाने के लिए उन्होंने कालबैल का बटन दबाया तो फ्लैट के अंदर लगी घंटी बजी. लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. जबकि रोजाना घंटी बजाने के कुछ देर बाद ही नौकर या पति दरवाजा खोल देते थे.

वह दोबारा घंटी बजा कर दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगीं. कुछ देर बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो वह सोचने लगीं कि शायद दोनों ही सो गए हैं. उन के दरवाजे में जो लौक लगा हुआ था वह आटोमैटिक था यानी दरवाजा बंद होने पर वह स्वत: ही लौक हो जाता था और कमरे के अंदर व बाहर दोनों तरफ से चाबी द्वारा खोला जा सकता था. उस की एक चाबी रितु बजाज के पास भी रहती थी.

2 बार घंटी बजाने के बाद भी जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो रितु बजाज ने पर्स से चाबी निकाली और दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हुईं. घर में घुसते ही बाएं हाथ की ओर उन का बेडरूम था. घर में नौकर दिखाई नहीं दिया तो बेडरूम की ओर नजर दौड़ाई. उन्हें बेड से लटके हुए पति के पैर दिखाई दिए. वह सोचने लगीं कि कितने बेसुध हो कर सो रहे हैं कि घंटी की आवाज तक नहीं सुनाई दी.

इसी बात की शिकायत करने के लिए वह बेडरूम में पहुंचीं तो उन्हें फर्श और दीवारों पर खून के छींटे दिखे.  खून के छींटे और पति के ऊपर बेडशीट पड़ी देख कर उन्हें अजीब लगा. उन्होंने पति के ऊपर से जैसे ही बेडशीट हटाई, उन की चीख निकल गई. पति नग्न अवस्था में थे. उन के पूरे शरीर पर गहरे घाव थे और आतें भी बाहर निकली हुई थीं. पूरा शरीर खून से लथपथ था.

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