तरुण बजाज के हत्यारों को गिरफ्तार करने की बात थानाप्रभारी मनीष जोशी ने देहरादून से ही एसीपी एस.के. गिरि को बता दी थी. पुलिस तीनों अभियुक्तों को दिल्ली ले आई. वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में तीनों से तरुण बजाज की हत्या की बाबत पूछताछ की गई तो हत्या के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह लव और सैक्स से सराबोर निकली.
दिल्ली के मध्य जिला के न्यू राजेंद्रनगर के एफ ब्लौक में रहने वाला तरुण बजाज केबल आपरेटर था. राजेंद्रनगर क्षेत्र में उस का इमेज केबल नेटवर्क था. उस की शादी रितु बजाज से हुई थी. तरुण बजाज एक संपन्न आदमी था. उस की आमदनी अच्छी थी, लेकिन एक कमी उसे और उस की पत्नी को हमेशा सालती रही कि रितु मां नहीं बन सकी.
तरुण ने पत्नी का काफी इलाज कराया. इस के बावजूद भी बच्चे की किलकारी उन के आंगन में नहीं गूंजी. रितु की नौकरी दिल्ली सरकार के खाद्य आपूर्ति विभाग में लीगल मैनेजर के पद पर लग गई थी.
बजाज दंपति के पास वैसे तो हर तरह की सुखसुविधा थी, लेकिन संतान न होने का दुख उन्हें जबतब विचलित करता रहता था. कहते हैं कि दौलत बढ़ने पर कुछ लोग गलत शौक पाल लेते हैं. तरुण बजाज को भी एक शौक लग गया था. वह था महिलाओं से दोस्ती कर उन से नजदीकी संबंध बनाना. पत्नी के ड्यूटी पर जाने के बाद वह फोन कर के अपनी महिला मित्र को बुला लेता और अपने फ्लैट में ही मौजमस्ती करता.
तरुण बजाज की ऐसी ही एक महिला पूजा से नजदीकी थी. तरुण की उस से करीब डेढ़ साल पहले मुलाकात हुई थी. पूजा कर्मपुरा के रहने वाले सूरज उर्फ साहिल की पत्नी थी. साहिल आवारा किस्म का था. पूजा की तरुण बजाज जैसे कई लोगों से नजदीकी थी, इसलिए उसी के खर्चे से घर का खर्च चलता था.