संदीप कुमार का एक दोस्त था मुकेश, जिस का बंगाली कालोनी की गली नंबर 16 में फोटो स्टूडियो था. चूंकि अपहरण जैसा काम संदीप के अकेले के बस का नहीं था, इसलिए उस ने मुकेश को लालच दे कर अपनी योजना में शामिल कर लिया.
अपहरण के लिए एक कार की जरूरत थी, इस के लिए संदीप कुमार ने अपने एक अन्य दोस्त संदीप उर्फ सन्नी से बात की. सन्नी का हरित विहार, बुराड़ी में ही सन्नी मेडिकल के नाम से दवाओं की दुकान थी. वह रहने वाला जहांगीरपुरी का था. मोटी रकम के लालच में सन्नी भी संदीप का साथ देने को तैयार हो गया था.
तीनों ने बैठ कर किशनलाल के दूसरे नंबर के बेटे जतिन ढींगरा के अपहरण की योजना बनाई. वैसे तो वे उस के छोटे बेटे हर्ष को उठाना चाहते थे, लेकिन समस्या यह थी कि हर्ष स्कूल आनेजाने के अलावा घर से निकलता नहीं था. और जब स्कूल जाताआता था तो उस के साथ घर का कोई सदस्य होता था, जबकि 13 साल का जतिन अकेला भी घर के बाहर आताजाता रहता था.
योजना बन गई, तो उन्हें फिरौती मांगने के लिए ऐसे फोन नंबर की जरूरत थी, जो किसी दूसरे की आईडी पर लिया गया हो, जिस से वे फंस न सकें. किसी दूसरे की आईडी उन तीनों में से किसी के पास थी नहीं.
मेडिकल स्टोर खोलने से पहले सन्नी एक फाइनेंस कंपनी में काम करता था. उसी के साथ जहांगीर पुरी का ही रहने वाला गौतम जैन भी नौकरी करता था. सन्नी ने बातें ही बातों में गौतम जैन से पता किया कि उस के पास किसी की आईडी तो नहीं पड़ी है? गौतम जैन ने सन्नी से आईडी की जरूरत के बारे में पूछा तो सन्नी ने उसे सच्चाई बता दी. पैसों के चक्कर में गौतम जैन के मन में भी लालच आ गया. उस ने कहा कि वह आईडी और फोटो तो उपलब्ध करा देगा, लेकिन फिरौती की रकम में वह भी बराबर का हिस्सा लेगा.