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जम्मू के रामनगर में रहने वाले जफरुद्दीन का 2 महीने का बेटा इरफान रात को खांसी से काफी परेशान था. दिसंबर 2019 में सन्नाटे को चीरती हुई उस की बारबार उठने वाली खांसी से एक ओर परिवार और  पड़ोसियों की नींद में बारबार खलल पड़ रही थी, वहीं दूसरी ओर उस की सांस फूलने की हालत को देख कर जफरुद्दीन बेहद परेशान हो गया था. बच्चे को बुखार भी था. वह सो नहीं पा रहा था.

जफरुद्दीन और उस की बीवी जैसेतैसे रात काटते हुए सुबह होने का इंतजार करने लगे, ताकि उस के लिए बाजार से खांसी का कोई सिरप ला कर पिला सके. सूर्योदय से पहले ही जफरुद्दीन पहाड़ों में अपने एक कमरे वाले घर से निकला. करीब 10 किलोमीटर का सफर तय कर नजदीकी दवा की दुकान पर गया.

वहां से उस ने खांसी की एक सिरप खरीदी. वापस लौट कर बच्चे को चम्मच से एक खुराक सिरप पिला दी. मीठी सिरप पी कर बच्चा कुछ देर में ही सो गया. जफरुद्दीन ने भी चैन की सांस ली और बेफिक्र हो गया कि बच्चे की अब खांसी ठीक हो जाएगी.

कुछ घंटे बाद इरफान की नींद खुल गई. वह बेचैनी की हालत में था. अचानक जोर की खांसी उठी और उसे उल्टियां होने लगीं. जफर ने दवाई दुकानदार के कहे अनुसार उसे दूसरी खुराक पिला दी. बच्चा फिर सो गया. गहरी नींद में सो रहे बच्चे को देख कर जफर एक बार फिर आश्वस्त हो गया कि उस का बेटा स्वस्थ होने की स्थिति में आ चुका है. किंतु उस ने बच्चे में एक बदलाव भी देखा. उस का पेट फूला हुआ था. उसे काफी समय से पेशाब नहीं हुआ था.

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