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सभी मामलों में सिरप में डीईजी और उस से संबंधित रसायन एथिलीन ग्लाइकोल (ईजी) का उच्च स्तर पाया गया. इस पर डब्ल्यूएचओ का कहना था कि कम से कम 15 देशों में विभिन्न कंपनियों द्वारा बनाए गए दूषित सिरप बिक्री की जा सकती है.

साथ ही सिरप के नाम पर जहर पिलाए जाने की घटना के कारण भारत और विदेशों में आपराधिक जांच, मुकदमे और नियामक जांच में तेजी आ गई. भारतीय नियामकों ने कई निरीक्षण किए. कुल 160 कारखानों को निशाना बनाया गया. जांच में पाया गया कि 10 में से 9 कंपनियों के कारखानों में नियमों का उल्लंघन किया गया था.

किन किन कंपनियों के थे ये कफ सिरप

एक तरफ जम्मूकश्मीर से ले कर अफ्रीकी देशों में कफ सिरप पी कर मरने वाले बच्चों का सिलसिला जारी था, दूसरी तरफ जम्मू में बच्चों के परिवार उन मौतों के लिए अदालत तक में गुहार लगा चुके थे. इन में रामनगर की वीणा कुमारी भी थी, जिस के बेटे अनिरुद्ध की 2 साल की उम्र में 10 जनवरी, 2020 को जहरीला कफ सिरप पीने के बाद मृत्यु हो गई थी. उस ने जांचकर्ताओं को बारबार बच्चे की तसवीरें दिखाईं.

Indian children in ram nagar

जांच में असुरक्षित पाए गए मिलावटी 20 कफ सिरप, विटामिन सिरप और पैरासिटामोल सिरप थे. वे भारत और इंडोनेशिया की 15 फार्मा कंपनियों द्वारा बनाए गए थे.

इन में से 7 भारतीय कंपनियों में मेडन फार्मास्युटिकल्स (हरियाणा) के 4 सिरप, मैरियन बायोटेक (उत्तर प्रदेश) के 2 सिरप और एक सिरप क्यूपी फार्माकेम (पंजाब) के अलावा डिजिटल विजन कंपनी के सिरप भी थे. इन दवाओं को ले कर डब्ल्यूएचओ ने गांबिया, उज्बेकिस्तान, माइक्रोनेशिया और मार्शल आइलैंड्स में मैडिकल प्रोडक्ट अलर्ट जारी कर दिया था.

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