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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका देश की राजधानी दिल्ली से सटा उत्तर प्रदेश का जिला गौतमबुद्ध नगर (नोएडा)  जिस तेजी से विकास कर रहा है, उतनी ही तेजी से वहां अपराध का ग्राफ भी बढ़ रहा है. सच है, जहां पैसा होगा वहां अपराध भी होगा. क्योंकि ये दोनों साथसाथ चलते हैं. पुलिस के सजग रहने के बावजूद कब कौन किस तरह के अपराध का शिकार हो जाए, कोई नहीं जानता.

20 अप्रैल, 2014 को उत्तरप्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी के युवा नेता और नगर के महासचिव अनिल यादव के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. रात सवा 8 बजे के करीब उस की पत्नी सुनीता को हिना ने फोन कर के बताया, ‘‘अनिल की हत्या हो गई है और उन की लाश मेरे फ्लैट में पड़ी है.’’

हिना की बात सुन कर सुनीता के होश उड़ गए. वह हड़बड़ा कर बोली, ‘‘क…क्… क्या?’’

सुनीता कुछ और पूछ पाती, उस से पहले ही दूसरी ओर से फोन काट दिया गया. उस ने पलट कर फोन मिलाया, लेकिन दूसरी ओर से फोन नहीं उठाया गया. इस अनहोनी से सुनीता कांप उठी. कुछ देर पहले ही अनिल हिना के फ्लैट पर जाने की बात कह कर घर से निकला था. अनिल अपनी पत्नी और 2 बेटों, आर्यन तथा अवि के साथ सेक्टर-71 के एक अपार्टमेंट में रहता था.

सुनीता ने अपने देवर सुनील को फोन कर के यह बात बताई तो वह भी घबरा गया. सुनील अपने रिश्ते के भाई सुभाष को साथ ले कर थोड़ी ही देर में हिना के सेक्टर-71 स्थित डी-20/2 नंबर के फ्लैट पर पहुंच गया.

फ्लैट के दरवाजे पर बाहर से कुंडा लगा था. सुनील ने कुंडा खोला तो अंदर का नजारा देख कर उस के होश उड़ गए. अनिल फर्श पर सीधा अचेत पड़ा था. उस के बाएं हाथ की कलाई पर कटे के निशान थे. होंठ और चेहरा नीला पड़ा हुआ था. गले पर भी दबाने का निशान था. इस के अलावा फर्श पर खून के धब्बे भी थे.

सुनील ने सुभाष की मदद से अनिल को कार में डाला और सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल ले गए. वहां के डाक्टरों ने अनिल को भरती करने से मना कर दिया तो वे उसे ले कर मेट्रो अस्पताल गए, जहां डाक्टरों ने चैक कर के उसे मृत घोषित कर दिया.

अनिल की मौत की खबर से उस के घर में कोहराम मच गया. घर वाले और नाते रिश्तेदार अस्पताल पहुंच गए. घटना की सूचना पा कर कोतवाली सेक्टर-58 के प्रभारी एस.के. यादव भी मौके पर जा पहुंचे.

मामला सत्तारूढ़ दल के युवा नेता से जुड़ा था, इसलिए पुलिस अधीक्षक योगेश सिंह, पुलिस उपाधीक्षक विश्वजीत श्रीवास्तव भी मौके पहुंच गए थे. जिस फ्लैट में घटना घटी थी, उस का सामान बिखरा हुआ था. वहां शराब की 2 खाली बोतलें और कुछ गिलास रखे थे.

पीले रंग की एक चुन्नी बैड के ठीक ऊपर पंखे से लटक रही थी. चुन्नी में नीचे की ओर फंदा नहीं था. पहली ही नजर में लग रहा था कि हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई थी.

इस बीच पुलिस ने अनिल की लाश को अस्पताल से पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया था. अनिल के घर वाले रिपोर्ट दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे तो पुलिस ने सुबह आने को कहा. अगले दिन अनिल के घर वालों ने हिना और उस के साथियों के खिलाफ कोतवाली सेक्टर 58 में अनिल की हत्या का मुकदमा दर्ज करा दिया.

पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने अनिल की लाश को उस के घर वालों के हवाले कर दिया. कोतवाली प्रभारी एस.के. यादव की कार्यशैली से अनिल के घर वाले काफी नाराज थे, क्योंकि अभी तक वह उन से मिले तक नहीं थे.

अनिल की हत्या और कोतवाली प्रभारी की कार्यशैली से क्षुब्ध घर वालों ने कुछ लोगों के साथ मिल कर सड़क पर जाम लगा दिया और इंसपेक्टर के खिलाफ काररवाई कर के हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे.

इस हंगामें की सूचना पुलिस अधिकारियों को मिली तो वे मौके पर पहुंच गए. उन्होंने जाम लगाने वालों को समझाबुझा कर जांच थाना सेक्टर-20 की थानाप्रभारी रीता यादव को सौंप दी.

पुलिस ने अनिल के घर वालों से पूछताछ की तो पता चला कि हिना अनिल की परिचित थी. उसे वह फ्लैट अनिल ने ही किराए पर दिलाया था. हिना पर उस के 6 लाख रुपए उधार थे. वह उन्हें लेने गया था, तभी उस की हत्या कर दी गई थी.

अनिल नोएडा से सटे गांव बहलोलपुर के रहने वाले छोटेलाल यादव का बेटा था. छोटेलाल के परिवार में पत्नी सरोज के अलावा 3 बेटियां कृष्णा, मोनिका, सोनी और 2 बेटे अनिल तथा सुनील थे.

छोटेलाल के पास ठीकठाक जमीन थी. नोएडा बसा तो उन की सारी जमीन प्राधिकरण ने ले ली. छोटेलाल सुलझे हुए व्यक्ति थे. उन्हें जमीन के मुआवजे के रूप में जो पैसा मिला, उस से उन्होंने प्रौपर्टी की खरीदफरोख्त का काम शुरू कर दिया था.

इस के लिए छोटेलाल ने नोएडा में अपना औफिस भी बना रखा था. प्रौपर्टी के काम में उन के बेटे भी उन का हाथ बंटाते थे. अनिल को राजनीति में रुचि थी, इसलिए बीए करने के बाद वह राजनीति में आ कर समाजवादी पार्टी से जुड़ गया. उस का युवाओं में खासा प्रभाव था, इसलिए पार्टी ने उसे महानगर इकाई का सचिव बना दिया था.

मामला गंभीर था. एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने अपने अधीनस्थों को इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने का आदेश दिया. कोतवाली प्रभारी रीता यादव हिना की तलाश में जुट गईं. जानकारियों के आधार पर पुलिस ने उस के कई ठिकानों पर दबिश दी, परंतु वह हाथ नहीं लगी.

प्रौपर्टी डीलर जगदीप सिंह गिल को भी हिरासत में ले कर पूछताछ की गई, क्योंकि उसी के माध्यम से हिना को फ्लैट किराए पर दिलाया गया था. लेकिन उस से पूछताछ में पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची.

इसी बीच पुलिस को खबर मिली कि हिना अदालत में आत्मसमर्पण की फिराक में है. उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने 29 अप्रैल को अदालत के बाहर अपना जाल बिछाया, लेकिन पुलिस को चकमा दे कर वह बुर्के में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश हो गई. उसे न्यायिक हिरासत में लुक्सर स्थित जिला जेल भेज दिया गया.

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