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प्रवीण ने एक औटो तय किया, जिस में दोनों बैठ गए. महेंद्र फुरती से उस जगह आ गया, जहां उस के साथी खड़े थे. महेंद्र ने उन्हें वह औटो दिखा दिया, जिस में भरत और प्रवीण बैठे थे. पल्सर को जसपाल उर्फ रिंकू चला रहा था और उस पर महेंद्र तथा मोहम्मद आरिफ बैठे थे. दूसरी मोटरसाइकिल अपाचे को अरुण नागर उर्फ बौबी चला रहा था, जिस पर मनीष शर्मा और रोशन गुप्ता बैठ गए. वे सभी उस औटो का पीछा करने लगे, जिस में भरतभाई और प्रवीण बैठे थे.

जैसे ही वह औटो तांगा स्टैंड के पास पहुंचा, जसपाल ने उसे ओवरटेक कर के रोक लिया. इस के बाद अरुण नागर ने अपाचे मोटर-साइकिल औटो के बराबर में खड़ी कर दी. औटोचालक सरोज पटेल समझ नहीं पाया कि उन लोगों ने ऐसा क्यों किया, क्योंकि उस से तो कोई गलती भी नहीं हुई थी.

औटो रुकते ही आरिफ चाकू ले कर और मनीष शर्मा पिस्तौल ले कर भरतभाई और प्रवीण के पास पहुंच गए. महेंद्र ने भरत के हाथ से बैग छीनना चाहा तो उस ने बैग नहीं छोड़ा. तभी डराने के लिए आरिफ ने प्रवीण के पैर पर चाकू मार दिया. इसी के साथ महेंद्र ने ड्राइवर सरोज पटेल के 2 थप्पड़ जड़ दिए.

थप्पड़ लगते ही औटोचालक वहां से भाग कर सडक़ के उस पार चला गया. प्रवीण और भरतभाई भी डर गए थे. महेंद्र ने भरतभाई के हाथ से बैग छीन कर रोशन को पकड़ाया तो वे फुरती से यूटर्न ले कर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की ओर चले गए. वहां से गलियों में होते हुए वे शीला सिनेमा के सामने फ्लाईओवर के पास पहुंचे.

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