मुसीबत और परेशानियां ऐसी थीं कि देवेंद्र को उनका कोई हल नहीं सूझ रहा था और जो सूझा वह हैरान कर देने वाला है. साल 2017 तक एक एनजीओ में काम करने बाला यह हट्टा कट्टा युवा आम लड़कों की तरह ही रहता था लेकिन अब औपरेशन के जरिये लड़की यानि ट्रांसजेंडर बनकर अपने ही शहर भोपाल में किन्नरों की टोली में तालियां बजाता नजर आता है .
आमतौर पर कोई भी लड़का ट्रांसजेंडर तभी बनने की सोचेगा जब उसमें बचपन से ही लड़कियों जैसे लक्षण हों या फिर वह खुद को सेक्स कर पाने में असमर्थ पाये पर देवेंद्र के साथ ऐसा कुछ नहीं था, बल्कि उसकी कहानी दिल को छू जाने वाली है. खासतौर से उस वक्त जब रक्षा बंधन का त्योहार आने वाला है. देवेंद्र अपनी बहन के लिए देविका बना था जिसका उसे कोई मलाल भी नहीं है, उल्टे वह खुश है कि बलात्कार के झूठे आरोप में फंसने से भी बच गया.
देवेंद्र अपनी बहन को बहुत चाहता था और उसकी विदाई 20 मई 2016 को इन दुआओं के साथ उसने की थी कि बहन ससुराल जाकर खुशहाल ज़िंदगी जिये लेकिन भगवान कहीं होता तो उसकी सुनता. हुआ यूं कि शादी के कुछ दिनों बाद ही बहन की ससुराल वालों ने उस पर तरह तरह के जुल्मों सितम ढाने शुरू कर दिये ठीक वैसे ही जैसे फिल्मों और टीवी सीरियलों में दिखाये जाते हैं. दहेज के लालची ससुराल वालों ने उसकी बहन को इतना सताया कि वह खून के आंसू रो दी .
अब देवेंद्र ने वही गलती की जो आमतौर पर दहेज के लिए सताई जाने वाली लड़कियों के घर वाले करते हैं. यह गलती थी ससुराल वालों के हाथ पैर जोड़ना और अपनी पगड़ी उनके चरणों में रख देना. ऐसे फिल्मी टोटकों से तो फिल्मों में भी बात नहीं बनती फिर यह तो सामने से होकर गुजर रही हकीकत थी. देवेंद्र ने मध्यस्थता करते हर मुमकिन कोशिश की कि जैसे भी हो बगैर किसी झगड़े फसाद विवाद या कोर्ट कचहरी के बहन की ज़िंदगी में खुशियां आ जाएं पर कोई कोशिश कामयाब नहीं हुई तो उसने भी थकहार कर वही रास्ता पकड़ा जो सभी पकड़ते हैं.