विजेत का मन पूजा से शादी करने के लिए उतावला था, मगर पूजा अभी 18 साल की नहीं हुई थी. विजेत जानता था कि नाबालिग उम्र में वह पूजा से शादी नहीं कर सकता. ऐसे में इंतजार करने के अलावा उस के सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं था.
अगले साल जैसे ही पूजा शुक्ला ने अपने जीवन के 18 साल पूरे किए तो विजेत कश्यप ने हिम्मत कर के पूजा के घरवालों के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया.
विजेत के इस प्रस्ताव से पूजा के घर में हड़कंप मच गया. धीरज का तो खून खौल उठा. उस ने विजेत को भलाबुरा कहते हुए साफतौर पर कह दिया कि ये शादी हरगिज नहीं हो सकती. गांवदेहात के इलाकों में आज भी दूसरी जाति में शादी करना सामाजिक परंपराओं का उल्लंघन माना जाता है.
समाज में बदनामी का डर भी था. उस दिन के बाद से विजेत की धीरज के घर आने पर पाबंदी लगा दी गई और घर वाले पूजा पर सख्त नजर रखने लगे.
पूजा और विजेत के प्यार पर जब पहरा लगा तो दोनों बैचेन हो उठे. कभीकभार मोबाइल पर छिपछिप कर बातचीत कर के वह अपने मन की तसल्ली कर लेते. उन्हें एकदूजे के बगैर रहना नागवार लगने लगा तो आखिरकार काफी सोचविचार करने के बाद दोनों ने निर्णय कर लिया कि प्रेम के पंछी किसी पिंजरे में कैद हो कर ज्यादा दिन नहीं रहेंगे.
दिसंबर, 2020 में सर्दियों की एक रात विजेत अपनी प्रेमिका पूजा को घर से भगा ले गया. दूसरे दिन सुबह देर तक जब पूजा अपने कमरे से बाहर नहीं निकली तो उस की मां ने अंदर जा कर देखा, पूजा अपने बिस्तर पर नहीं थी.