29 वर्षीय रति त्रिपाठी जम्मूतवी से इंदौर जाने वाली मालवा ऐक्सप्रैस में दिल्ली से एस-7 कोच में सवार हुई थी. पेशे से दिल्ली के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में काउंसलर रति उज्जैन जा रही थी. मालवा ऐक्सप्रैस तड़के 4 बजे ललितपुर रेलवे स्टेशन पहुंची तो लफंगे से दिखने वाले 2 युवक रति की बर्थ पर आ कर बैठ गए. रति ने एतराज जताया तो दोनों उठ कर चले गए.
रति चादर ओढ़, बेफिक्र हो कर दोबारा सोने का उपक्रम करने लगी पर आरक्षित कोच के यात्रियों की यह परेशानी उस के जेहन में आई कि कैसा महकमा है रेलवे का, जिसे देखो मुंह उठाए घुसा चला आता है और बर्थ पर बैठ जाता है. दूसरे आम लोगों की तरह इस अव्यवस्था पर रति पूरी तरह मन ही मन भुनभुना भी नहीं पाई थी कि दोनों युवक फिर आ धमके. ट्रेन अब तक रफ्तार पकड़ चुकी थी. इस दफा दोनों ने बजाय बैठने के सिरहाने रखा रति का पर्स उठा लिया.
रति ने हिम्मत दिखाते अपना पर्स वापस खींचा तो झूमाझटकी शुरू हो गई. इसी झूमाझटकी में इन मवालियों ने रति को धकियाते हुए उसे दरवाजे के बाहर फेंक दिया और उड़नछू हो गए.
रति जहां गिरी वह बीना के नजदीक करोंद रेलवे स्टेशन था. सुबहसुबह गांव वालों ने पटरियों के किनारे पड़ी इस युवती को देखा तो पुलिस को खबर की. पुलिस आई, रिपोर्ट दर्ज की और रति को इलाज के लिए बीना भेज दिया. बेहोश रति के सिर में गंभीर चोट थी और उस की नाक भी टूट गई थी. हालत गंभीर देख उसे बीना से सागर और फिर वहां से भोपाल रैफर कर दिया गया.