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बीब्लंट की फाइनैंस मैनेजर और लीगल एडवाइजर थी कीर्ति

इस कंपनी में कीर्ति व्यास लगभग 5 साल पहले आई थी. उस ने अपनी मेहनत और जिम्मेदारी से कंपनी के सीईओ और एमडी का दिल कुछ महीनों में ही जीत लिया था. कंपनी में उस की नियुक्ति फाइनैंस मैनेजर के पद पर हुई थी, लेकिन थोड़े ही दिनों में उसे कंपनी का लीगल एडवाइजर भी बना दिया गया था. कीर्ति की मेहनत से कंपनी को काफी लाभ हुआ था और टर्नओवर भी बढ़ गया था.

कंपनी के काम के प्रति वह जिम्मेदार और पाबंद तो थी ही, साथ ही वह वहां के कर्मचारियों के प्रति भी सख्त थी. काम में किसी भी प्रकार की ढिलाई या लापरवाही उसे जरा भी पसंद नहीं थी. कंपनी की लीगल एडवाइजर और फाइनैंस मैनेजर होने के नाते वह किसी भी प्रकार का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र थी. कंपनी के भले के लिए वह हर उस शख्स के प्रति सख्त थी जो लापरवाह रहता था. वह यह नहीं देखती थी कि कोई सीनियर है या जूनियर.

कीर्ति व्यास को गायब हुए अब तक 24 घंटे से अधिक हो चुके थे, लेकिन उस की कोई खबर नहीं मिली थी. घर वालों के सामने अब सिर्फ पुलिस के पास जाने का रास्ता बचा था. लाचार और मजबूर हो कर कीर्ति के पिता राजेंद्र व्यास अपने नातेरिश्तेदारों और कंपनी के कुछ लोगों के साथ थाना डी.बी. मार्ग पहुंचे. उन्होंने थानाप्रभारी से मिल कर उन्हें सारी बातें बताईं. थानाप्रभारी ने उन की बातें सुनने के बाद कीर्ति के अपहरण का मामला दर्ज करवा दिया.

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