Top 10 Social crime story of 2022 : इन सामाजिक क्राइम स्टोरी को पढ़कर आप जान पाएंगे कि इस बदलते समाज में क्या क्या हो रहा है और किस तरह के बदलाव से समाज प्रभावित हो रहा है और समाज में हो रहे अपराध और धोखाधड़ी से आप स्वयं को और अपने आस पास के लोगों को कैसे जागरूक करने के लिए पढ़े ये मनोहर कहानियां Top 10 Social crime story in Hindi
- हाईप्रोफाइल हसीनाओं का रंगीन खेल – भाग 1
आईजी साहब ने उन पर एक नजर डाली. कुरसी पर बैठने का संकेत किया. इस के बाद उन से पूछा, ‘‘आप लोगों का कैसे आगमन हुआ? बताइए, क्या समस्या है?’’ तभी उन में से एक ने कहा, ‘‘सर, हम चकेरी थाने के श्यामनगर मोहल्ले में रहते हैं. हमारे घर के पास अजय सिंह का आलीशान मकान है. उस मकान में वह खुद तो नहीं रहते लेकिन उन्होंने मकान किराए पर दे रखा है. मकान की पहली मंजिल पर 2 अफसर रहते हैं पर भूतल पर जो किराएदार है, उस की गतिविधियां बेहद संदिग्ध हैं. उस के घर पर अपरिचित युवकयुवतियों का आनाजाना लगा रहता है. हम लोगों को शक है कि वह किराएदार अपनी पत्नी के सहयोग से सैक्स रैकेट चलाता है.
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- गलती गुरतेज की : क्यों बना बीवी का हत्यारा
जसप्रीत की बातों से गुरतेज को लगता कि वही गलत है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सच है और कौन झूठा? लेकिन एक बात तय थी कि कोई न कोई तो झूठ बोल रहा था. काफी सोचनेविचारने के बाद भी गुरतेज को इस समस्या का कोई हल नजर नहीं आया. इसी तरह ऊहापोह में कुछ दिन और बीत गए, इस बार उस के छोटे भाई जगतार ने एक दिन उस से कहा, ‘‘भाई, आप होश में आ जाइए, कहीं ऐसा न हो कि पानी सिर के ऊपर से गुजर जाए और आप को इस की खबर तक न लगे.’’
इस बार भाई जगतार ने जसप्रीत के बारे में खबर दी तो उसे पूरा विश्वास हो गया कि सभी सच थे, झूठ जसप्रीत ही बोल रही थी. इसलिए उस दिन गुरतेज ने सख्ती से काम लिया. उस ने जसप्रीत को खूब डांटाफटकारा.
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- रिश्तों की आड़ में…सेक्स, सेक्स और बस सेक्स
50 साला मकान मालिक लाखन सिंह अपने मकान में अकेले ही रहते थे. उन का बेटा अपने परिवार के साथ किसी बड़े शहर में रहता था. लाखन सिंह ने अपने मकान के चौक में पानी के लिए बोरिंग लगा रखा था. जब वे नहाते थे, तब उन के गठीले बदन को देख कर सुचित्रा का दिल उन्हें पाने को मचल उठता था. एक रात जब लाखन सिंह शौच के लिए जाने लगे, तो उन्होंने बैड पर सोती हुई सुचित्रा को झीने कपड़ों में देखा.
उन का दिल उसे पाने के लिए मचलने लगा. 10 साल पहले उन की बीवी की मौत हो चुकी थी. उस के बाद उन्होंने किसी औरत से जिस्मानी संबंध नहीं बनाए थे.
उस समय सुचित्रा भी जागी हुई थी, पर वे सोती समझ बैड के पास खड़े हो कर उस के शरीर को गौर से देखने लगे. अचानक सुचित्रा ने उन की ओर मुसकराते हुए एक मादक अंगड़ाई ली और अपने बैड पर बिठा लिया.
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- किन्नर का आखिरी वार : कैसे पड़ा परिवार पर भारी
दिल कंपा देने वाला मंजर बिखेरता हुआ, वह आदमी बाजार चौराहा पार कर के थाना बबेरू के गेट पर जा कर रुका. पहरे पर तैनात सिपाही की नजर जब उस पर पड़ी तो वह घबरा गया, फिर हिम्मत जुटा कर अपनी ड्यूटी निभाने के लिए पूछा, ‘‘कौन हो तुम. और तुम्हारे हाथ में ये कटा सिर किस का है?’’ ‘‘यह सब बातें हम बड़े दरोगा साहब को बताएंगे. उन्हें बुलाओ.’’ उस रौद्र रूपधारी आदमी ने जवाब दिया.‘‘ठीक है, तुम इस कुर्सी पर बैठो. मैं दरोगा साहब को बुला कर लाता हूं.’’उस आदमी ने कटा सिर जमीन पर रखा फिर कंधा से फरसा टिका कर इत्मीनान से कुर्सी पर बैठ गया. पहरे वाला सिपाही बदहवास हालत में थाना इंचार्ज जयश्याम शुक्ला के कक्ष में पहुंचा, ‘‘सर एक आदमी आया है. उस के हाथ में फरसा और महिला का कटा सिर है.
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- हाईटैक होता देह धंधा : शहरी चकाचौंध और ग्लैमर ने बदले मायने
अख्तरी बेगम का कहना है कि इस कारोबार में काहिल और बीमार हों, तब भी औरतें ‘सवारी’ पर जाती हैं और ‘गाडि़यों’ का काम शौकिया और पार्टटाइम कमाने वाली औरतों के लिए है. लेकिन धंधा चाहे ‘सवारी’ का हो या ‘गाड़ी’ का, एक बार जो औरत इस राह पर आ जाती है, उस का अंत उम्र ढल जाने के बाद या तो फुटपाथ पर पागलों की शक्ल में या कहीं दलालों के साथ कमीशनखोर के लैवल पर जा कर खत्म होता है. वे न तो मां रह पाती हैं, न बीवी, न बेटी और न बहन.
अजमेर और जयपुर में ज्यादातर ‘सवारियों’ को विदेश भेजा जाता है. विदेशों से आने वाले, जिन्हें यहां का गरम गोश्त भा जाता है, अपने देश में हमारे यहां से अपनी रातें रंगीन करने का सामान मंगाना ज्यादा पसंद करते हैं.
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- 100 लाशों के साथ सेक्स करने वाला इलेक्ट्रीशियन
रोड स्थित अपने अपार्टमेंट में 23 जून, 1987 को मृत पाई गई थी. पुलिस को इस की सूचना उस के मंगेतर ने दी थी. उस के शरीर पर कई जख्म थे. जबकि पियर्स की लाश उसी साल 5 महीने बाद 24 नवंबर को उन के घर से 40 मील दूर बांध के पानी में तैरती हुई बरामद हुई थी.
उन की मौत के सिलसिले में हुई जांच में हत्या और दुष्कर्म के जो सुराग मिले थे, उस के अनुसार मृतकों के शरीर, अंगवस्त्र, तौलिए, बैडशीट आदि से मिले एक जैसे डीएनए को सबूत का आधार बनाया गया था.
उस डीएनए वाले व्यक्ति का पता लगाने के लिए 15 दिसंबर, 1987 को अदालती आदेश के बाद ब्रिटिश पुलिस ने जांचपड़ताल शुरू कर दी थी. फोरैंसिक वैज्ञानिकों द्वारा 1999 में डीएनए जांच के आधुनिक तरीके अपनाए गए थे और इस के लिए एक नैशनल लेवल पर डेटाबेस तैयार किया गया था.
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- 3 साल बाद : एक भयानक हमले की कहानी
हाईप्रोफाइल मामला होने के कारण कोर्ट परिसर और आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे. इस विशेष अदालत में इन आतंकियों को कड़ी सुरक्षा के बीच लाया गया था. फैसले को ले कर कोर्टरूम पत्रकारों, वकीलों व अन्य लोगों से भरा हुआ था. सभी को इस फैसले का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार था. निर्धारित समय पर विशेष अदालत के जज मुजीबुर रहमान कोर्टरूम में आ कर अपनी कुरसी पर बैठे तो वहां मौजूद सभी लोगों की नजरें उन पर जम गईं.
आगे बढ़ने से पहले आइए हम इस आतंकवादी हमले को याद कर लें. यह आतंकवादी हमला इतना वीभत्स था कि विश्वभर में इस की गूंज सुनाई दी. इस आतंकवादी हमले ने बंगलादेश को ही नहीं, भारत सहित कई देशों को स्तब्ध कर दिया था. दूतावास इलाके में हमला होने से बंगलादेश की छवि धूमिल हुई थी. इस के बाद पुलिस ने जगहजगह छापेमारी कर सैकड़ों संदिग्धों को हिरासत में लिया था.
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- कामुक तांत्रिक और शातिर बेगम
जब सारी जमापूंजी खर्च हो गई और कोई फायदा नहीं हुआ तो रूप सिंह दवा बंद कर के तंत्रमंत्र से अपनी जीवन की बुझती ज्योति को जलाने की कोशिश करने लगा. वह एक मुसीबत से जूझ ही रहा था कि अचानक एक और मुसीबत उस समय आ खड़ी हुई, जब जुलाई, 2016 के आखिरी सप्ताह में एक दिन उस की 16 साल की बेटी सत्यवती अचानक गायब हो गई. एकलौती होने की वजह से सत्यवती ही मीराबाई और रूप सिंह के लिए सब कुछ थी.
उस के अलावा पतिपत्नी के पास और कुछ नहीं था. इसलिए बेटी के गायब होने से दोनों परेशान हो उठे. रूप सिंह बीमारी की वजह से लाचार था, इसलिए मीराबाई अकेली ही बेटी की तलाश में भटकने लगी. जब बेटी का कहीं कुछ पता नहीं चला तो आधी रात के आसपास वह रोतीबिलखती थाना खातेगांव जा पहुंची.
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- दोस्ती के 12 टुकड़े : क्यों बना परिवार हत्यारा
किसी व्यक्ति ने नाले में पड़े सूटकेसों की जानकारी जिला पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी. पुलिस कंट्रोल रूम ने बिना किसी विलंब के इस मामले की जानकारी वायरलैस द्वारा प्रसारित कर दी. इस से घटना की जानकारी जिले के सभी पुलिस थानों और अधिकारियों को मिल गई. चूंकि मामला नेरल पुलिस थाने के अंतर्गत आता था, इसलिए नेरल थानाप्रभारी तानाजी नारनवर ने सूचना के आधार पर थाने के ड्यूटी अफसर को मामले की डायरी तैयार कर घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया.
ड्यूटी अफसर डायरी बना कर अपने सहायकों के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. घटनास्थल थाने से करीब 15-20 मिनट की दूरी पर था, वह पुलिस वैन से जल्द ही वहां पहुंच गए.
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- अपना ही तमाशा बनाने वाली एक लड़की : भाग 1
गैंगरेप की बात सुन कर ड्यूटी अफसर ने लड़की से उस का नामपता पूछ कर उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘‘तुम वहीं रुको, हम पुलिस की गाड़ी भेज रहे हैं.’’
सुबहसुबह गैंगरेप की सूचना मिलने पर कंट्रोल रूम में मौजूद पुलिसकर्मी परेशान हो उठे थे. ड्यूटी अफसर ने तुरंत वायरलैस संदेश दे कर पैट्रोलिंग पुलिस टीम को मौके पर जाने को कहा. इस के बाद पुलिस अधिकारियों को वारदात की सूचना दी गई. एमएनआईटी यानी मालवीय नैशनल इंस्टीट्यूट औफ टेक्नोलौजी राजस्थान का जानामाना इंस्टीट्यूट है, जो जयपुर के बीच मालवीय नगर, झालाना डूंगरी में स्थित है.
कड़ाके की ठंड में सुबह 5 बजे लोगों का घर में रजाई से बाहर निकलने का मन नहीं होता. लेकिन ठंड हो या गरमी, पुलिस को तो अपनी ड्यूटी करनी ही होती है. सूचना पा कर जयपुर (पूर्व) के पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंच गए.