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जमीन हड़पने वाले गिरोह के लोग देहरादून में काफी समय से खाली पड़ी जमीनों पर नजर रखते थे. जिन जमीनों के मालिक विदेशों में होते थे, सब से पहले वे उसी जमीन को अपना निशाना बनाते थे. उस के बाद मौका मिलते ही जमीनों के फरजी कागजात तैयार कर लिए जाते थे. उन कागजों को दिखा कर जमीन अन्य लोगों को बेच दिया करते थे.

रजिस्ट्री में फरजीवाड़ा करने के लिए 30 से 50 साल पुराने स्टांप पेपरों का इस्तेमाल किया जाता था, ताकि उन्हें उसी वक्त के बैनामे के तौर पर दर्शाया जा सके. इस के बाद रजिस्ट्रार कार्यालय में फरजी व्यक्तियों के नाम पर उन जमीनों को दर्ज कर दिया जाता था.

उन्हीं दिनों सालों से पुराने स्टांप इकट्ठा करने वाले एक माफिया के.पी. सिंह से जुड़ा मामला भी उजागर हो गया था. इस धंधे में उस ने करोड़ों रुपए कमाए थे और मालामाल हो गया था. सहारनपुर का एक भूमाफिया इस फरजीवाड़े के लिए लंबे समय से पुराने स्टांप इकट्ठा कर रहा था. वह इन स्टांपों को देहरादून और सहारनपुर के स्टांप वेंडरों से खरीदता था. इस के लिए एक स्टांप के लाखों रुपए तक अदा किए गए थे. इन्हीं के आधार पर पुराने मूल बैनामों की प्रतियां जला कर नष्ट कर दी गई थीं और इन के बदले स्टांप को लगा कर नए दस्तावेज बना लिए गए थे.

उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी सरकार ने 16 जुलाई, 2022 को अचानक एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए देहरादून के डीएम और एसएसपी का तबादला कर दिया था. प्रशासनिक स्तर पर डा. आर. राजेश कुमार की जगह सोनिका को जिला मजिस्ट्रैट बनाए जाने की काफी चर्चा हुई थी. कारण सोनिका अपर सचिव के पद पर तैनात थीं और उन्हें अतिरिक्त जिम्मेदारी के तौर पर जिलाधिकारी का कार्यभार सौंपा गया था.

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